Blog by vanshika pal | Digital Diary
" To Present local Business identity in front of global market"
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एक्यूपंक्चर के कितने बिंदु हैं– पारंपरिक चीनी चिकित्सा चिकित्सकों का मानना है कि शरीर में कम से कम 2,000 एक्यूपंक्चर बिंदु हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 1991 में एक प्रस्तावित मानक अंतर्राष्ट्रीय एक्यूपंक्चर नामकरण रिपोर्ट विकसित की, जिसमें 361 एक्यूपंक्चर बिंदुओं की पहचान की गई।
Read Full Blog...एक्यूप्रेशर शरीर पर विशिष्ट बिंदुओं पर दबाव डालने की एक प्रक्रिया है, जिससे दर्द या पाचन संबंधी समस्याओं जैसे लक्षणों को नियंत्रित किया जा सके । इसका उपयोग जापानी अभ्यास "शियात्सू" जैसी कुछ प्रकार की मालिश चिकित्सा में किया जाता है। इसे एक्यूपंक्चर उपचार के हिस्से के रूप में भी किया जा सकता है, या आप खुद पर एक्यूप्रेशर कर सकते हैं।
Read Full Blog...एक्यूप्रेशर और एक्यूपंचर का नाम तो आपने सुना ही होगा, लेकिन ये दोनों एक-दूसरे से बहुत अलग होते हैं। जानें इन दोनों में अंतर-
Acupuncture) का नाम तो आपने कभी न कभी जरूर सुना होगा, ये दोनों एक-दूसरे से बहुत अलग होते हैं। एक्यूप्रेशर और एक्यूपंचर दोनों अलग-अलग चिकित्सा विधि है। इन दोनों की विधि, प्रयोग एक-दूसरे से बिल्कुल अलग होते हैं। दरअसल, एक्यूप्रेशर और एक्यूपंचर दोनों शब्द चीनी चिकित्सा पद्धति से आई हैं। चीन में बहुत पुराने समय से इन दोनों चिकित्सा पद्धति से कई मरीजों का इलाज किया जा रहा है। लेकिन आज एक्यूप्रेशर और एक्यूपंचर दोनों चिकित्सा पद्धति विश्वभर में प्रचलित है। इन दोनों से कई तरह की बीमारियों का इलाज किया जाता है। अगर डॉक्टर की सलाह पर इन दोनों चिकित्सा पद्धति को किया जाए, तो इनके कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होते हैं।
एक्यूपंचर एक चीनी चिकित्सा पद्धति है। इस चिकित्सा विधि में शरीर के कुछ विशेष हिस्सों पर सूई चुभाकर बीमारियों का इलाज किया जाता है। दरअसल, हमारे शरीर में कुल 365 एनर्जी प्वाइंट होते हैं। इन प्वाइंट्स पर एक्सपर्ट सूई लगाकर, बीमारी का इलाज करते हैं। इसलिए इसे एक्यूपंचर कहा जाता है। बीमारियों का इलाज करने के लिए एक्यूपंचर को डब्लयूएचओ ने भी असरदार बताया है।
एक्यूपंचर एक चीनी चिकित्सा पद्धति है। इस चिकित्सा विधि में शरीर के कुछ विशेष हिस्सों पर सूई चुभाकर बीमारियों का इलाज किया जाता है। दरअसल, हमारे शरीर में कुल 365 एनर्जी प्वाइंट होते हैं। इन प्वाइंट्स पर एक्सपर्ट सूई लगाकर, बीमारी का इलाज करते हैं। इसलिए इसे एक्यूपंचर कहा जाता है। बीमारियों का इलाज करने के लिए एक्यूपंचर को डब्लयूएचओ ने भी असरदार बताया है।
एक्यूप्रेशर और एक्यूपंचर की मदद से आप कई तरह की बीमारियों का इलाज कर सकते हैं। इन दोनों में ही कुछ खास प्वाइंट्स की मदद इलाज को कारगर बनाया जाता है। एक्यूप्रेशर में कुछ प्वाइंट्स को दबाया जाता है, तो एक्यूपंचर में कुछ खास प्वाइंट्स पर सूई चुभाई जाती है। एक्यूपंचर और एक्यूप्रेशर की मदद से पुराने सिरदर्द, कमर दर्द, गर्दन दर्द, अर्थराइटिस, अनिद्रा या इंसोम्निया, मासिक धर्म में दर्द और माइग्रेन का इलाज किया जा सकता है। इतना ही नहीं इन दोनों चिकित्सा पद्धति की मदद से एंग्जायटी, डिप्रेशन या अवसाद जैसे इमोशन डिसऑर्डर का भी इलाज किया जा सकता है। लेकिन किसी भी बीमारी को एक्यूप्रेशर और एक्यूपंचर की मदद से ठीक करने के लिए आपको डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
एक्यूप्रेशर और एक्यूपंचर में काफी अंतर है। एक्यूपंचर में प्वाइंट्स पर सूई चुभाई जाती है, जबकि एक्यूप्रेशर में उगुलियों की मदद से प्वाइंट्स को दबाया जाता है। ये प्वाइंट्स दर्दनिवारण के लिए होते हैं।
एक्यूपंचर को सिर्फ डॉक्टर या एक्सपर्ट ही कर सकते हैं। जबकि एक्यूप्रेशर को कोई भी साधारण व्यक्ति कर सकता है। इसके लिए आपको सिर्फ एक बार सीखने की जरूरत होती है।
एक्यूप्रेशर हाथों से किए जाने वाला एक ट्रीटमेंट है। इसमें सूई की जरूरत नहीं होती है। एक्यूपंचर के कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है।
अगर सही तरीके से एक्यूप्रेशर और एक्यूपंचर किया जाए, तो इनसे कोई नुकसान नहीं होता है।
एक्यूप्रेशर चिकित्सा विधि क्या है?
Read Full Blog...एक्यूप्रेशर चिकित्सा में शरीर के विशिष्ट बिंदुओं पर दबाव डाला जाता है. यह चीन की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति है. एक्यूप्रेशर चिकित्सा की विधियां ये हैं:
एक्यूप्रेशर चिकित्सक उंगलियों, हथेलियों, कोहनी, या पैरों से दबाव डालता है.
एक्यूप्रेशर चिकित्सक विशेष उपकरणों का भी इस्तेमाल करता है.
एक्यूप्रेशर चिकित्सक शरीर के मेरिडियन पर दबाव डालता है.
एक्यूप्रेशर चिकित्सक शरीर के विशिष्ट बिंदुओं पर दृढ़ दबाव डालता है.
एक्यूप्रेशर चिकित्सक मोटी नोक वाली कांच की जांच का इस्तेमाल करता है.
एक्यूप्रेशर चिकित्सक सक्रिय बिंदु पर कुछ देर के लिए दबाव डालता है.
एक्यूप्रेशर चिकित्सा से जुड़ी कुछ और बातेंः
एक्यूप्रेशर चिकित्सा में स्ट्रेचिंग या मालिश भी शामिल हो सकती है.
एक्यूप्रेशर चिकित्सा से दर्द, चिंता, तनाव, पाचन संबंधी समस्याओं, हार्ट संबंधी बीमारियों, अस्थमा, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़ जैसी समस्याओं से राहत मिल सकती है.
Read Full Blog...जैसे तर्जनी अंगुली के साथ अंगूठे को दबाने से सिर का दर्द तुरंत गायब हो जाता है।
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सिरदर्द से परेशान आजकल की स्ट्रेसफुल लाइफ में कई लोग सिरदर्द से परेशान रहते हैं। ...
दवाओं का सेवन ...
सिरदर्द दूर करने के घरेलू उपाय ...
माथे पर ठंडी पट्टी रखें ...
बालों को खोल लें ...
एक्यूप्रेशर करें ...
5 मिनट तक रिपीट करें ...
च्युइंग गम न चबाएं।
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Read Full Blog...ओ इसे पढ़ने से पहले इसके बारे में जरूर जाने।
ST36 प्वाइंट घुटने से करीब 3 इंच नीचे होता है। पेट में गैस बनने पर आप अपने दो उंगुलियों को इस प्वाइंट पर रखें। दोनों उंगुलियों को इस प्वाइंट पर धीरे-धीरे घुमाएं और मसाज करें। 2-3 मिनट तक इस प्वाइंट को दबाने या मसाज करने से पेट की गैस आसानी से निकल जाती है।
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उदाहरण के लिए, एक्यूप्रेशर पुराने या अस्थायी दर्द से राहत दिलाने में मदद कर सकता है। यह स्वस्थ नींद के पैटर्न को भी बढ़ावा दे सकता है। एक्यूप्रेशर करवाने वाले ज़्यादातर लोगों को कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता।
Read Full Blog...एक्यूप्रेशर में पूरे शरीर में विशिष्ट बिंदुओं पर दृढ़ दबाव डाला जाता है। आराम से शुरुआत करें। कई बार गहरी साँस लें। दबाव बिंदु ढूंढें और अगले बिंदु पर जाने से पहले शरीर के दोनों तरफ 30 सेकंड से 1 मिनट तक दृढ़ दबाव डालें।
मतली - कुछ शोधों के अनुसार कलाई के एक्यूप्रेशर से मतली और उलटी का उपचार किया जा सकता हैं।
कैंसर - एक्यूप्रेशर थेरेपी कीमोथेरेपी से कैंसर के उपचार के तुरंत बाद होने वाली मतली से बचाती है और यह तनाव, ऊर्जा स्तर को बढ़ाने, दर्द कम करने और कैंसर या इसके उपचार के लक्षण कम करने में भी मदद कर सकती है।
दर्द - कुछ प्राथमिक प्रमाण यह बताते है कि एक्यूप्रेशर थेरेपी कमर दर्द, आपरेशन के बाद होने वाले दर्द और सिरदर्द में मदद कर सकती है। इससे अन्य तरह के दर्द में भी लाभ हो सकता है। (और पढ़े - नसों में दर्द का इलाज)
गठिया - कुछ अध्ययनों के अनुसार एक्यूप्रेशर थेरेपी से हमारे शरीर में एंडोर्फिन्स रिलीज़ होते हैं और यह थेरेपी एंटी-सूजन असर को बढ़ावा देती है, जिससे कुछ प्रकार के गठिया रोगों में मदद मिलती हैं।
अवसाद और चिंता - कुछ अध्ययन बताते है कि एक्यूप्रेशर थेरेपी से थकान और मनोदशा में सुधार हो सकता है।
किसी भी अन्य उपचार की ही तरह एक्यूप्रेशर थेरेपी के भी कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हैं, जैसे कि -
सामान्य रूप से एक्यूप्रेशर बहुत सुरक्षित उपचार है। अगर आपको कैंसर, दिल की बीमारी, जीर्ण रोग (पुरानी बीमारी) हैं, तो कोई भी थेरेपी करवाने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करें। एक रजिस्टर्ड एक्यूप्रेशर थेरेपिस्ट से ही थेरेपी करवाएं।
नोट - ये लेख केवल जानकारी के लिए है। किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है। आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय ले।
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बहुत से लोग वजन कम करने के लिए योग को प्रभावी विकल्प के तौर पर नहीं देखते हैं, पर असल में योगाभ्यास आपके वजन को नियंत्रित करने के साथ ही आपके समग्र स्वास्थ्य में सुधार करने में आपकी मदद कर सकता है। तो चलिए जानते हैं ऐसे ही कुछ योग मुद्राएं जो वजन कम करने में आपकी मदद कर सकती हैं।
आपने जितनी देर तक इस मुद्रा को धारण करके रखेंगी, परिणाम उतने ही बेहतर होंगे। वीरभद्रासन के कुछ ही मिनटों में, आप टाइट क्वाड्स प्राप्त कर सकती हैं। योद्धा मुद्रा आपके संतुलन को बेहतर बनाने के साथ-साथ आपकी पीठ, पैर और बाहों को टोन करने के लिए बनाई गई है। यह आपके पेट को टोन करने में भी मददगार है और अगर आप इस मुद्रा में रहते हुए अपने पेट की मांसपेशियों को सिकोड़ते हैं, तो आपको एक फ्लैट बेली प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
त्रिकोणासन पाचन को बेहतर बनाने के साथ-साथ पेट और कमर में जमा चर्बी को कम करने में मदद करता है। यह पूरे शरीर में रक्त सर्कुलेशन को उत्तेजित करता है और उन्हें बेहतर बनाता है। इस आसन की गति आपको कमर से अधिक फैट बर्न करने और जांघों और हैमस्ट्रिंग में अधिक मांसपेशियों का निर्माण करने में मदद करती है। यह संतुलन और एकाग्रता में भी सुधार करेंगे।
अधो मुख श्वानासन मांसपेशियों पर अतिरिक्त ध्यान देने के साथ आपके पूरे शरीर को टोन करता है। यह आपकी बाजू, जांघ, हैमस्ट्रिंग और पीठ को मजबूत बनाने में मदद करता है। इस मुद्रा को धारण करने और अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करने से आपकी मांसपेशियां सक्रिय हो जाती हैं, और उन्हें टोन करने में मदद मिलता है। साथ ही आपकी एकाग्रता और ब्लड सर्कुलेशन में सुधार होता है।
सर्वांगासन के कई लाभ होते हैं, यह ताकत बढ़ाने से लेकर पाचन क्रिया में सुधार कर सकते हैं। हालांकि, यह मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देने और थायराइड के स्तर को संतुलित करने में अधिक मददगार साबित हो सकता है। सर्वांगासन या शोल्डर स्टैंड ऊपरी शरीर, पेट की मांसपेशियों और पैरों को मजबूत बनाता है। साथ ही रेस्पिरेटरी सिस्टम को मजबूत करता है, और नींद को बढ़ावा दिया।
सेतु बंध सर्वज़ मांसपेशियों की टोन में सुधार करता है, पाचन हार्मोन को नियंत्रित करता है और थायराइड के स्तर में सुधार करता है। यह सभी फैक्टर वजन कम करने में आपकी सहायता कर सकते हैं। यह आपकी पीठ की मांसपेशियों को भी मजबूत बनाता है, और पीठ दर्द को कम कर देता है। इस मुद्रा में आपको पीछे के बल झुककर पेट को ऊपर रखते हुए हाथ और पैरों को सतह पर टिकाकर पुल
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