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सुबह के समय योग (Morning Yoga) करना शरीर और मन दोनों को एनर्जी से भरने का बेहतरीन तरीका है। कुछ योगासन शरीर को फ्लेक्सिबल बनाते हैंडाइजेशन को सुधारते हैं और मेंटली रिलैक्स कराते हैं। इन्हें करने से आपकी फिजिकल और मेंटल हेल्थ को काफी फायदा (Yoga Benefits) मिलता है। आइए जानें सुबह के समय करने के लिए कुछ आसान
HighLights
योग करना सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है।
इससे फिजिकल और मेंटल हेल्थ को काफी फायदा मिलता है।
कुछ योगासन सुबह के समय करने से एनर्जी मिलती
Morning Yoga: सुबह का समय हमारे दिन की शुरुआत के लिए बहुत अहम होता है। इस समय हमारे शरीर और मन दोनों को एनर्जी की जरूरत होती है और योग इसका सबसे बेहतरीन तरीका है।ऐसे में सुबह के समय में किए जाने वाले योगासन न केवल फिजिकल फ्लेक्सिबिलिटी को बढ़ाते हैं, बल्कि मानसिक शांति और शारीरिक एनर्जी भी देते हैं। यहां हम ऐसे ही कुछ योगासनों के बारे में जानेंगे, जिन्हें सुबह के समय करके आप अपने दिन की शुरुआत ताजगी और एनर्जी के साथ कर सकते हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
ताड़ासन
ताड़ासन, जिसे पर्वत आसन भी कहा जाता है, शरीर की लंबाई और मुद्रा को सही करता है। यह आसन शारीरिक संतुलन और शक्ति को बढ़ाता है। यह शरीर को खिंचता है और एनर्जी से भरपूर बनाता है, जिससे आप पूरे दिन एक्टिव महसूस करते ।
कपालभाति प्राणायाम
यह सांस और शारीरिक उर्जा को सही तरीके से संचालित करने का एक शक्तिशाली योग है। कपालभाति प्राणायाम से आपके दिमाग को शांति मिलती है और शरीर को ताजगी मिलती है, जिससे आपके शरीर में पूरे दिन एनर्जी बनी रहती है।
भुजंगासन
भुजंगासन, जिसे किंग कोबरा पोज भी कहते हैं, रीढ़ की हड्डी को मजबूती देता है और पाचन तंत्र को सही करता है। यह आसन शरीर को खोलता है और शरीर में ताजगी का एहसास कराता है।
वृक्षासन
यह एक बेहतरीन संतुलन आसन है, जो मानसिक शांति और फोकस को बढ़ाता है। वृक्षासन शरीर को मजबूती प्रदान करता है और मानसिक तनाव को कम करता है, जिससे दिनभर की एनर्जी मिलती है।
उष्ट्रासन
यह आसन आपके शरीर को खींचता है और पेट, पीठ और कंधों को मजबूत बनाता है। उष्ट्रासन सुबह के समय एनर्जी का संचार करता है और मानसिक शांति को बढ़ावा देता है।
अधोमुख श्वानासन
यह आसन शरीर के सभी मसल्स को खींचता है और शरीर में ताजगी का अहसास कराता है। यह आपकी एनर्जी को बढ़ाता है और मांसपेशियों को रिलैक्स करता है।
त्रिकोणासन
त्रिकोणासन शरीर के कंधे, हिप और पैर को मजबूत बनाता है। यह आसन शरीर को संतुलित करता है और दिमाग को भी रिफ्रेश करता है।
सूर्य नमस्कार
सूर्य नमस्कार पूरे शरीर के लिए एक बेहतरीन योग है, जिसमें 12 स्टेप्स होते हैं। यह आसन शरीर की फ्लेक्सिबिलिटी को बढ़ाता है, ब्लड सर्कुलेशन को को बेहतर करता है और पूरे शरीर को एनर्जी से भरता है।
सुबह के समय इन योगासनों को अपनाकर आप न केवल अपने शरीर को एनर्जी और ताजगी से भर सकते हैं, बल्कि मानसिक शांति और संतुलन भी पा सकते हैं। योग आपके दिन की शुरुआत को सही दिशा में रखता है और पूरे दिन को एक्टिव और खुशहाल बनाने में मदद करता है।
Read Full Blog...अधिकतर लोग योगासन तथा व्यायाम इन दोनों को एक ही समझते हैं परन्तु ऐसा नहीं है. इन दोनों का अपना-अपना महत्व होता है. योग सिर्फ एक कसरत नहीं है. कसरत में तो आप सिर्फ शारीरिक प्रक्रिया करते हैं लेकिन योग में आप शारीरिक, मानसिक एवं भावानात्मक प्रक्रिया करते हैं. योगासन शरीर की स्थिरता को बनाए रखता है जबकि व्यायाम शरीर की गतिशीलता को बढ़ाता है।
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संस्कृत में मुद्रा शब्द का अर्थ शरीर की विशेष भाव-भंगिमा या परवर्ती से है। दूसरे शब्दों में मुद्रा किसी स्थिति विशेष या भावभंक्षगिमा विशेष का बोध कराती है। इस अर्थ में मुद्रा से तात्पर्य आसन एवं प्रणायाम के बीच की उस स्थिति से है जिसमें दृष्टि बंद आदि यौगिक क्रियाओं की सहायता से साधक शरीर और मन की ऐसी स्थिति में पहुंच जाता है जिसके द्वारा उसे अचेतन इच्छा शक्ति का ज्ञान प्राप्त करने में सहायता मिलती है।
अनामिका उंगली को अंगूठे के मूल पर लगाकर अंगूठे से दबाएं।
सूर्य मुद्रा के लाभ हैं–
इस मुद्रा से शरीर संतुलित होता है, वजन घटता है वह मोटापा कम करता है और शरीर में उष्णता की वृद्धि होकर पाचन में मदद मिलती है। इससे तनाव में कमी शक्ति का विकास तथा रक्त में कॉलेस्ट्रॉल कम हो जाता है। इस मुद्रा के अभ्यास से मधुमेह,जिगर के दोष दूर हो जाते हैं।
सावधानी –
इस मुद्रा को दुर्बल व्यक्ति ना करें। गर्मी में अधिक समय तक ना करें।
लिंक मुद्रा–
अपने हाथों की मुट्ठी बांधे तथा बाएं हाथ के अंगूठे को खड़ा रखें, अन्य उंगलियां परस्पर बंधी हुई हो।
लिंग मुद्रा के लाभ –
यह मुद्रा शरीर में गर्मी बढ़ती है इससे सर्दी-जुकाम,दमा-खांसी, साइनस लकवा तथा निम्न रक्षक में लाभ होता है। यह कफ को सूखाती है ।
सावधानी–
इसका प्रयोग करने पर जल फल फलों का रस घी और दूध सेवन अधिक मात्रा में न करें। इसे अधिक लंबे समय तक ना करें।
ओशो का मानना था कि 'योग धर्म, आस्था और अंधविश्वास से परे है।योग एक प्रायोगिक विज्ञान है।योग स्वस्थ जीवन जीने की कला है।योग शरीर के समस्त रोगों के लिए एक पूर्ण चिकित्सा पद्धति है। जहां धर्म लोगों को खूंटे से बांधता है वहीं योग सभी तरह के खूंटों से मुक्ति का मार्ग बताता है।'योग तन और मन से जुड़े तमाम तरह के रोग और विकारों को दूर कर मनुष्य का जीवन आसान कर देता है। यह मानव की हर तरह की शुद्धि का आसान उपकरण है।योग, भारतीय ज्ञान की पांच हजार वर्ष पुरानी शैली है।योग विज्ञान में जीवन शैली का पूर्ण सार समाहित किया गया है।
योग की शुरुआत करने जा रहे हैं तो अपनाएं ये टिप्स ।
हालांकि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अपनाई जाने वाली अन्य तरकीबों से योग कई मायनों में अलग है। इसका अभ्यास करने से पहले हमें कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है।
आइए जानते हैं वो बातें जिनका योग करने से पहले ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
1- योग करने से पहले एक ऐसा समय चुन लें जब आप बिल्कुल फ्री हों। समय सुबह का हो तो बेहतर होगा। इस बात का भी ध्यान रखें कि आप सातों दिन इस वक्त फ्री रहते हैं। रोजाना नियत समय पर ही योग करें। इससे शरीर में ऊर्जा बनी रहती है।
2- योग करने के लिए स्वच्छ और साफ वातावरण की आवश्यकता होती है। इसके अलावा माहौल शांत होना चाहिए. अगर शुद्ध हवा का आवागमन हो रहा है तो वह स्थान योग के लिए उपयुक्त होता है। इसलिए योग की प्रैक्टिस से पहले जगह तय कर लें।
3- योग सुबह खाली पेट किया जाए तो बहुत लाभप्रद होता है। अगर यह संभव नहीं हो तो योग और भोजन के बीच कम से कम 3 घंटे का अंतर रखें।योग करने के कुछ समय बाद आप भोजन कर सकते हैं लेकिन योग के पहले कम से कम 3 घंटे भोजन ना करें। हालांकि भोजन के तुरंत बाद आप वज्रासन कर सकते हैं।
4- योग करते समय तंग कपड़े ना पहनें। शरीर की मांसपेशियों के खिंचाव और ऐंठन के दौरान कपड़े फटने का डर तो होता ही है साथ ही साथ आप आसन भी अच्छे से नहीं कर पाते हैं, इसलिए तंग कपड़े ना पहनें।
5- योग करने के दौरान एकाग्र रहें. मोबाइल फोन या किसी से बात करने से बचें।
6- महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान योग नहीं करने की सलाह दी जाती है। इस दौरान योग करने से रक्त-स्राव संबंधी समस्या हो सकती है।
7.योग करते समय संयम और धैर्य रखना चाहिए, हर व्यक्ति की क्षमता अलग होती है, और उसी हिसाब से वह योग करता है. इसलिए अगर संयम के साथ आप योग सीखेंगे तो सकारात्मक परिणाम देखने को मिला।
8.- श्वास योग में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। श्वास की प्रक्रिया को नियंत्रित किये बिना के योग करना अधूरा है।आसन करते समय कभी भी मुंह से श्वास ना लें।योग-प्रशिक्षक से जानकारी लेकर योग-आसन करते समय नियम के अनुसार ही श्वास लें।
Read Full Blog...अभ्यास विधि :
-जिन्हें सइटिका या जोड़ों का दर्द हो उन्हें इस आसन से बचना चाहिए अथवा किसी विशेषज्ञ या योगगुरु से परामर्श लेना चाहिए।
Read Full Blog...अभ्यास विधि :
सभी प्रकार के आसनों के बाद शरीर को स्थिर करने के लिए इस आसन का अभ्यास किया जाता है।
मोटापा एवं हड्डी रोगों से ग्रसित व्यक्ति को इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए। महिलाओं को गर्भावस्था में इस आसन को नहीं करना चाहिए।
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चक्रासन (chakrasana)-इसे करते समय, शरीर की आकृति एक चक्र की तरह हो जाती है, अतः इस आसन को चक्रासन कहा जाता है। सबसे पहले पीठ केवल लेट जाइए। अपने हाथों को जमीन पर रखिए फिर अपने शरीर के मध्य भाग को ऊपर की ओर उठाइए इसको इतना ऊपर उठाई कि आपका शरीर अदरक गोलाकार अवस्था में आ जाए फिर अपने सर को अपने हाथों को नीचे की तरह झुकाइए। प्रारंभ में इस अवस्था को 1 मिनट तक के लिए बनाए रखिए तथा फिर कुछ दिनों के अभ्यास के बाद इसे 3-5 मिनट तक के लिए कीजिए।
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चक्रासन किन-किन व्यक्तियों को नहीं करना चाहिए -
Read Full Blog...स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाले सभी अधिकारियों वह कर्मचारियों के स्वास्थ्य से जुड़े तीन आयाम निर्धारित किए गए हैं -
1. शारिरीक आयाम,
2.मानसिक आयाम,
3. सामाजिक आयाम।
इनके सामाजिकअतिरिक्त कुछ अन्य, व्यावसायिक, भावनात्मक, पर्यावरणीय आदि। आयाम एक दूसरे से परस्पर जुड़े होते हैं। एक मनुष्य को तभी स्वस्थ कहा जा सकता है जब वह स्वास्थ्य के इन तीनों आयाम से किसी में भी कम ना हो। आयाम एक दूसरे पर निर्भर होने के साथ-साथ एक दूसरे को प्रभावित भी करते हैं। स्वास्थ्य के इन आयामों की व्याख्या इस प्रकार है -
1.शारीरिक स्वास्थ्य (physical health)-किसी व्यक्ति का शारीरिक स्वास्थ्य कहीं तत्वों पर निर्भर करता है जैसे जैविक, वातावरणीय घटक, सामाजिक - सांस्कृतिक तत्व आदि।इसमें अच्छा शरीर कद के अनुसार उचित भार, साफ रंग, चमकदार आंखें ,साफ त्वचा और सुंदर बाल शामिल होते हैं। यह व्यक्ति के आवश्यक भाग है जो शारीरिक स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक है। अच्छा स्वास्थ्य पानी के लिए हमारे शरीर के विभिन्न संस्थाओं को अपने कार्य को सुचारू रूप से करना चाहिए शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति को कार्य करते हुए थकावट का अधिक एहसास नहीं होता। व्यक्ति को अपना स्वास्थ्य उन्नत करने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए-
2.मानसिक स्वास्थ्य(mental health)-शारीरिक स्वास्थ्य मानसिक स्वास्थ्य के बिना अधूरा है मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ है तनाव और दबाव से मुक्ति। यदि व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य ठीक है तो उसके मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के मध्य शहर संबंध अच्छा होता है। मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य एक दूसरे को प्रभावित करते हैं। अनेक बार मानसिक स्वास्थ्य व्यक्ति के भावों को समझने में असमर्थ होता है ।मानसिक रूप से वह व्यक्ति स्वस्थ होता है ,जो स्वयं को सुरक्षित तथा सुव्यवस्थित महसूस करता है।मानसिक स्वास्थ्य के लिए व्यक्ति को निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए _
3. सामाजिक स्वास्थ्य (social health)-सामाजिक स्वस्थ व्यक्ति की सामाजिक सुरक्षा पर निर्भर करता है। यदि व्यक्ति सुरक्षित नहीं है तो वह सामाजिक रूप से स्वस्थ नहीं होगा। यह कुछ करो क्रोक पर निबंध निर्भर करता है जैसे जीवन बीमा स्वास्थ्य सेवाएं पेंशन प्रोवाइड फंड संबंधित सुविधाएं आदि। सामाजिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति सैद्धांतिक आत्मनिर्भर वह जागृत होता है। उज्जीवन के प्रति उसका दृष्टिकोण सकारात्मक होता है। सामाजिक स्वास्थ्य के लिए व्यक्ति को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।
व्यक्ति को सामाजिक रूप से आत्मनिर्भर होना चाहिए।
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2. ये भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि आसन करने से पहले आपने शौच कर लिया हो और पेट एकदम खाली हो।
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