पश्चिमोत्तानासन क्या है और इसके लाभ क्या होते है? पश्चिमोत्तानासन (paschimottanasana )-पैरो को आगे की और फैलाकर जमीन पर बैठ जाइए। उसके बाद अपने दोनों हाथों की उंगलियों से दोनों पैरों के अंगूठों को पकड़िए। स्वास्थ्य धीरे-धीरे निकाल दीजिए वह माथे से अपने घुटनों को छूने का प्रयत्न कीजिए। उसके बाद धीरे-धीरे श्वास लीजिए। अपना सिर ऊपर उठाई तथा पहले वाली दशा में आ जाइए। इस आसन को 10 से 12 बार कीजिए। ...
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पश्चिमोत्तानासन क्या है और इसके लाभ क्या होते है?
पश्चिमोत्तानासन (paschimottanasana )-पैरो को आगे की और फैलाकर जमीन पर बैठ जाइए। उसके बाद अपने दोनों हाथों की उंगलियों से दोनों पैरों के अंगूठों को पकड़िए। स्वास्थ्य धीरे-धीरे निकाल दीजिए वह माथे से अपने घुटनों को छूने का प्रयत्न कीजिए। उसके बाद धीरे-धीरे श्वास लीजिए। अपना सिर ऊपर उठाई तथा पहले वाली दशा में आ जाइए। इस आसन को 10 से 12 बार कीजिए।
paschimottanasana ke लाभ
- यह पेट की गैस को दूर करता है।
- यह हड्डियों को शीघ्र टूटने से रोकता है।
- यह कब्ज कोदर करता है।
- यह मासिक धर्म में अच्छा बडी को सही रखता है।
- यह अस्थमा साइटिका वह पीठ दर्दक सही।
- इससे मोटापा कम होता है
- यह उदर के सभी रोगों हेतु लाभदायक होता है।
- यह चर्म रोग को दूर करता है ।
- इससे रीढ़ की हड्डी स्वस्थ व लचीली हो जाती है।
विपरीत संकेत-
- यदि आप बड़े हुए यकृत अथवा दिल्ली अथवा तीव्र अपेंडिसाइटिस से पीड़ित हैं, तो इस आसन को कभी ना करें।
- यदि आप अस्थमा अथवा किसी सत्संग संबंधी बीमारी से ग्रसित है तो इस आसन के अभ्यास से बचिए।
- यदि आपको पीट या रीड की समस्या है तो इस आसन को विशेषज्ञ के निर्देश में ही कीजिए।
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