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vanshika pal

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Blog by vanshika pal | Digital Diary

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Meri Kalam Se Digital Diary Submit Post


ज्यादा सोचने कैसे बचें।


ओवरथिंकिंग से कैसे बचें: वर्तमान क्षण पर ध्यान दें: अपने विचारों को वर्तमान पर केंद्रित करने का अभ्यास करें, जैसे कि अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करना या अपनी इंद्रियों का उपयोग करके अपने आसपास की दुनिया को महसूस करना। सकारात्मक सोचें: नकारात्मक विचारों को सकारात्मक विचारों से बदलने का प्रयास करें। ध्यान और योग का अभ्यास करें: ध्यान और योग तनाव और चिंता को कम करने और मानसिक स्पष्टता बढ़ाने में मद... Read More

ओवरथिंकिंग से कैसे बचें:

वर्तमान क्षण पर ध्यान दें:

अपने विचारों को वर्तमान पर केंद्रित करने का अभ्यास करें, जैसे कि अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करना या अपनी इंद्रियों का उपयोग करके अपने आसपास की दुनिया को महसूस करना।

सकारात्मक सोचें:

नकारात्मक विचारों को सकारात्मक विचारों से बदलने का प्रयास करें।

ध्यान और योग का अभ्यास करें:

ध्यान और योग तनाव और चिंता को कम करने और मानसिक स्पष्टता बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।

शारीरिक रूप से सक्रिय रहें:

व्यायाम करने से तनाव कम होता है और मूड बेहतर होता है।

सामाजिक रूप से सक्रिय रहें:

दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताने से अकेलेपन और नकारात्मक विचारों से बचा जा सकता है।

पेशेवर मदद लें:

यदि आप ओवरथिंकिंग से जूझ रहे हैं और यह आपकी दैनिक जीवनशैली को प्रभावित कर रहा है, तो किसी मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से बात करें।


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ज्यादा सोचने से क्या होता है?


मानसिक स्वास्थ्य: तनाव और चिंता: जरूरत से ज्यादा सोचने से तनाव और चिंता का स्तर बढ़ सकता है, जिससे हर समय बेचैनी और घबराहट महसूस हो सकती है.  अवसाद: लगातार नकारात्मक विचारों और स्थितियों पर ध्यान केंद्रित करने से अवसाद की स्थिति पैदा हो सकती है.  नींद की समस्याएँ: ज्यादा सोचना नींद के पैटर्न को बाधित कर सकता है, जिससे अनिद्रा या अन्य नींद की समस्याएँ हो सकती हैं.  एकाग्रता में कमी:... Read More

मानसिक स्वास्थ्य:

तनाव और चिंता: जरूरत से ज्यादा सोचने से तनाव और चिंता का स्तर बढ़ सकता है, जिससे हर समय बेचैनी और घबराहट महसूस हो सकती है. 

अवसाद: लगातार नकारात्मक विचारों और स्थितियों पर ध्यान केंद्रित करने से अवसाद की स्थिति पैदा हो सकती है. 

नींद की समस्याएँ: ज्यादा सोचना नींद के पैटर्न को बाधित कर सकता है, जिससे अनिद्रा या अन्य नींद की समस्याएँ हो सकती हैं. 

एकाग्रता में कमी: अत्यधिक सोच-विचार के कारण, व्यक्ति किसी काम पर ध्यान केंद्रित करने में मुश्किल महसूस कर सकता है. 

शारीरिक स्वास्थ्य:

सिरदर्द: तनाव और चिंता के कारण सिरदर्द हो सकता है. 

पेट दर्द: अत्यधिक सोचने से पेट दर्द या पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. 

मांसपेशियों में दर्द: तनाव के कारण मांसपेशियों में दर्द या अकड़न हो सकती है. 

थकान: ज्यादा सोचने से शरीर और दिमाग दोनों थक जाते हैं, जिससे थकान महसूस हो सकती है. 

उच्च रक्तचाप: तनाव के कारण रक्तचाप बढ़ सकता है. 

रिश्तों पर प्रभाव:

दूरियां: अत्यधिक सोचने से व्यक्ति अपने प्रियजनों से दूर हो सकता है, क्योंकि वह अपनी चिंताओं में डूबा रहता है. 

गलतफहमी: ज्यादा सोचने से रिश्तों में गलतफहमी पैदा हो सकती है, क्योंकि व्यक्ति दूसरों की बातों को गलत समझ सकता है. 

अन्य प्रभाव:

आत्म-सम्मान में कमी: नकारात्मक विचारों और स्थितियों पर ध्यान केंद्रित करने से व्यक्ति का आत्मविश्वास कम हो सकता है. 

निर्णय लेने में कठिनाई: अत्यधिक सोचने से व्यक्ति किसी भी बात पर निर्णय लेने में मुश्किल महसूस कर सकता है. 


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24 घंटे में कितना पानी पीना चाहिए?


24 घंटे में कितना पानी पीना चाहिए? स्वस्थ व्यक्तियों के लिए, पुरुषों के लिए औसत दैनिक पानी की मात्रा लगभग 15.5 कप और महिलाओं के लिए लगभग 11.5 कप है। इसका मतलब है कि आपको केवल चार से छह कप सादा पानी की आवश्यकता हो सकती है, जो कॉफी, चाय, जूस, फल और सब्जियों जैसे अन्य तरल स्रोतों पर निर्भर करता है। Read More

24 घंटे में कितना पानी पीना चाहिए?

स्वस्थ व्यक्तियों के लिए, पुरुषों के लिए औसत दैनिक पानी की मात्रा लगभग 15.5 कप और महिलाओं के लिए लगभग 11.5 कप है। इसका मतलब है कि आपको केवल चार से छह कप सादा पानी की आवश्यकता हो सकती है, जो कॉफी, चाय, जूस, फल और सब्जियों जैसे अन्य तरल स्रोतों पर निर्भर करता है।


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कम पानी पीने के लक्षण।


कम पानी पीने के लक्षणों में शामिल हैं:  प्यास लगना: यह सबसे आम लक्षण है।  होंठ सूखना: होंठों का सूखापन और फटना भी कम पानी पीने का संकेत हो सकता है।  पेशाब का रंग गहरा होना: सामान्यतः, पेशाब हल्का पीला होना चाहिए, लेकिन कम पानी पीने से यह गहरा पीला या भूरा हो सकता है।  थकान: शरीर में पानी की कमी से ऊर्जा का स्तर कम हो सकता है, जिससे थकान महसूस हो सकती है।  चक्कर आना: कम पान... Read More

कम पानी पीने के लक्षणों में शामिल हैं: 

प्यास लगना:

यह सबसे आम लक्षण है। 

होंठ सूखना:

होंठों का सूखापन और फटना भी कम पानी पीने का संकेत हो सकता है। 

पेशाब का रंग गहरा होना:

सामान्यतः, पेशाब हल्का पीला होना चाहिए, लेकिन कम पानी पीने से यह गहरा पीला या भूरा हो सकता है। 

थकान:

शरीर में पानी की कमी से ऊर्जा का स्तर कम हो सकता है, जिससे थकान महसूस हो सकती है। 

चक्कर आना:

कम पानी पीने से ब्लड प्रेशर कम हो सकता है, जिससे चक्कर आ सकते हैं। 

सिरदर्द:

डिहाइड्रेशन सिरदर्द का कारण बन सकता है। 

सूखी त्वचा:

त्वचा रूखी और बेजान हो सकती है। 

कब्ज:

पानी की कमी से मल त्यागने में कठिनाई हो सकती है। 

मांसपेशियों में ऐंठन:

मांसपेशियों में ऐंठन या दर्द हो सकता है। 

भूख न लगना:

कुछ लोगों को कम पानी पीने से भूख कम लग सकती है। 

मुंह से बदबू आना:

पानी की कमी से मुंह में बैक्टीरिया बढ़ सकते हैं, जिससे सांसों में बदबू आ सकती है। 

दिल की धड़कन बढ़ना:

शरीर में पानी की कमी से दिल की धड़कन तेज हो सकती है। 

यदि आपको इनमें से कोई भी लक्षण महसूस हो तो पर्याप्त मात्रा में पानी पीना शुरू कर दें। यदि लक्षण गंभीर हैं, तो डॉक्टर से सलाह लें। 


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देर रात तक सोने के क्या नुकसान है? 


देर रात तक सोने के कई नुकसान हैं, जिनमें मानसिक स्वास्थ्य, शारीरिक स्वास्थ्य और दैनिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव शामिल हैं।  मानसिक स्वास्थ्य: तनाव, चिंता और अवसाद: देर रात तक सोने से मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है, जिससे तनाव, चिंता और अवसाद जैसी समस्याएं हो सकती हैं। मूड स्विंग: नींद की कमी से मूड स्विंग हो सकता है, जिससे चिड़चिड़ापन और दूसरों के साथ बातचीत करने में कठिनाई हो सकती ह... Read More

देर रात तक सोने के कई नुकसान हैं, जिनमें मानसिक स्वास्थ्य, शारीरिक स्वास्थ्य और दैनिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव शामिल हैं। 

मानसिक स्वास्थ्य:

तनाव, चिंता और अवसाद:

देर रात तक सोने से मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है, जिससे तनाव, चिंता और अवसाद जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

मूड स्विंग:

नींद की कमी से मूड स्विंग हो सकता है, जिससे चिड़चिड़ापन और दूसरों के साथ बातचीत करने में कठिनाई हो सकती है। 

ध्यान और एकाग्रता में कमी:

देर रात तक सोने से ध्यान और एकाग्रता में कमी हो सकती है, जिससे दैनिक कार्यों को करना मुश्किल हो सकता है।

याददाश्त कमजोर होना:

पर्याप्त नींद न लेने से याददाश्त कमजोर हो सकती है, जिससे चीजों को याद रखने में परेशानी हो सकती है।

शारीरिक स्वास्थ्य:

मोटापा:

देर रात तक सोने से मेटाबॉलिज्म धीमा हो सकता है, जिससे वजन बढ़ सकता है और मोटापा हो सकता है।

पाचन संबंधी समस्याएं:

देर रात तक सोने से पाचन तंत्र प्रभावित हो सकता है, जिससे कब्ज और अन्य पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

हृदय रोग:

देर रात तक सोने से हृदय रोग, जैसे हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना:

देर रात तक सोने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो सकती है, जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।

हार्मोनल असंतुलन:

देर रात तक सोने से शरीर में हार्मोन का संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे कई शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं।

दैनिक जीवन:

थकान और ऊर्जा की कमी:

देर रात तक सोने से थकान और ऊर्जा की कमी हो सकती है, जिससे दैनिक कार्यों को करने में कठिनाई हो सकती है।

कामकाज में कमी:

देर रात तक सोने से काम और पढ़ाई में प्रदर्शन में कमी आ सकती है।

सामाजिक जीवन पर असर:

देर रात तक सोने से सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने में कठिनाई हो सकती है, जिससे सामाजिक जीवन पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।

देर रात तक सोने से बचने के लिए, एक निश्चित समय पर सोने और जागने की आदत डालें और 7-8 घंटे की नींद लें, स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार।


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रात को ज्यादा जागने से क्या होता है?


देर से सोने के कुछ संभावित दुष्प्रभाव: हृदय रोग: देर से सोने से रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है, जिससे हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है। मधुमेह: देर से सोने से इंसुलिन प्रतिरोध हो सकता है, जो मधुमेह का कारण बन सकता है। मोटापा: देर से सोने से मेटाबॉलिज्म धीमा हो सकता है, जिससे वजन बढ़ सकता है। मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं: देर से सोने से तनाव, चिंता और अवसाद का खतरा बढ़ सकता है। प्रत... Read More

देर से सोने के कुछ संभावित दुष्प्रभाव:

हृदय रोग:

देर से सोने से रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है, जिससे हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है।

मधुमेह:

देर से सोने से इंसुलिन प्रतिरोध हो सकता है, जो मधुमेह का कारण बन सकता है।

मोटापा:

देर से सोने से मेटाबॉलिज्म धीमा हो सकता है, जिससे वजन बढ़ सकता है।

मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं:

देर से सोने से तनाव, चिंता और अवसाद का खतरा बढ़ सकता है।

प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होना:

नींद की कमी से प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है, जिससे संक्रमण और बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। 

पाचन समस्याएं:

देर से सोने से पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि कब्ज।

अन्य समस्याएं:

देर से सोने से सिरदर्द, थकान, और एकाग्रता में कमी जैसे अन्य दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं।

यदि आप देर से सोने के आदी हैं, तो अपनी नींद की आदतों को बदलने की कोशिश करें। नियमित रूप से एक ही समय पर सोने और उठने की कोशिश करें, और सोने से पहले कैफीन और शराब से बचें।यदि आपको नींद की समस्या हो रही है, तो डॉक्टर से बात करें।


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भारतीय त्योहार दीपावली क्या है क्यों मनाई जाती है ।


भारतीय त्योहार: दिपावली दीपावली भारत का एक प्रसिद्ध त्यौहार है। यह प्रकाश का त्यौहार है। यह पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है। हिंदू लोग इसे बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। यह कार्तिक माह की अमावस्या को मनाया जाता है। दीपावली के विषय अनेक कहानियां प्रचलित है। कुछ लोग मानते हैं कि इस दिन भगवान राम 14 वर्ष के पश्चात वनों से वापस अयोध्या आए थे। इसलिए लोगों ने उनके स्वागत में अपने घरों में मिट्टी के दीपक जलाए... Read More

भारतीय त्योहार: दिपावली

दीपावली भारत का एक प्रसिद्ध त्यौहार है। यह प्रकाश का त्यौहार है। यह पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है। हिंदू लोग इसे बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। यह कार्तिक माह की अमावस्या को मनाया जाता है। दीपावली के विषय अनेक कहानियां प्रचलित है। कुछ लोग मानते हैं कि इस दिन भगवान राम 14 वर्ष के पश्चात वनों से वापस अयोध्या आए थे। इसलिए लोगों ने उनके स्वागत में अपने घरों में मिट्टी के दीपक जलाए थे। जैन लोग मानते हैं कि इस दिन भगवान महावीर ने निर्वाण प्राप्त किया था। कुछ लोग मानते हैं कि इस दिन भगवान श्री कृष्णा  ने राक्षस नरकासुर का वध किया था। यह खुशियों का त्यौहार है। लोग उत्साह से भरे होते हैं। लोग अपने घरों वह दुकानों को साफ करते है। वे उनकी सफेदी करते है। वे अपने घरों और दुकानों को सजाते हैं। सभी जगह दीपक रखे जाते है। लोग रंग बिरंगी मोमबत्ती जलाते हैं। मिठाइयां व गिफ्टों का आदान-प्रदान होता है। बच्चे पटाखे पटकते हैं । इस दिन रात मैं लोग धन की देवी लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं । इस दिन कुछ लोग शराब पीते हैं। कुछ लोग जुआ खलते हैं। इस प्रकार में अपनी गाड़ी कमाई को गवा देते हैं। पटाखे छुड़ाने से अनेक दुर्घटनाएं हो जाती हैं । दीपावली एक अच्छा त्यौहार है और यह खुशी से भरा होता है।


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क्या है पेट की देसी दवाई। जानिए।


पेट की देसी दवाई क्या है? पेट दर्द के लिए 12 घरेलू उपचार अदरक की चाय अदरक पेट दर्द और मतली के लिए एक प्रसिद्ध उपाय है। ... पुदीना तेल पुदीने का तेल एक और शक्तिशाली उपाय है जो पेट दर्द को शांत करने में मदद कर सकता है। ... गर्म सेक  सौंफ़ के बीज ... कैमोमाइल चाय ... अजवायन के बीज ... धनिया के बीज ... नींबू पानी Read More

पेट की देसी दवाई क्या है?

पेट दर्द के लिए 12 घरेलू उपचार

अदरक की चाय अदरक पेट दर्द और मतली के लिए एक प्रसिद्ध उपाय है। ...

पुदीना तेल पुदीने का तेल एक और शक्तिशाली उपाय है जो पेट दर्द को शांत करने में मदद कर सकता है। ...

  • गर्म सेक 
  • सौंफ़ के बीज ...
  • कैमोमाइल चाय ...
  • अजवायन के बीज ...
  • धनिया के बीज ...
  • नींबू पानी

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गले में कफ जमने का घरेलू उपचार क्या है?


गले में कफ (बलगम) की समस्या से राहत पाने के लिए कई घरेलू उपचार हैं, जैसे कि गर्म पानी और नमक से गरारे करना, भाप लेना, और शहद और अदरक का सेवन करना। ये उपाय कफ को पतला करने और गले को शांत करने में मदद करते हैं। गले में कफ के लिए घरेलू उपचार: गर्म पानी और नमक से गरारे: एक गिलास गर्म पानी में एक चम्मच नमक मिलाकर गरारे करने से गले को आराम मिलता है और कफ को ढीला करने में मदद मिलती है। भाप लेना: भाप लेने... Read More

गले में कफ (बलगम) की समस्या से राहत पाने के लिए कई घरेलू उपचार हैं, जैसे कि गर्म पानी और नमक से गरारे करना, भाप लेना, और शहद और अदरक का सेवन करना। ये उपाय कफ को पतला करने और गले को शांत करने में मदद करते हैं।

गले में कफ के लिए घरेलू उपचार:

गर्म पानी और नमक से गरारे:

एक गिलास गर्म पानी में एक चम्मच नमक मिलाकर गरारे करने से गले को आराम मिलता है और कफ को ढीला करने में मदद मिलती है।

भाप लेना:

भाप लेने से कफ पतला होता है और सांस लेने में आसानी होती है। आप एक बर्तन में गर्म पानी भरकर, अपने सिर पर तौलिया रखकर भाप ले सकते हैं, या शावर में गर्म पानी का उपयोग कर सकते हैं. 

शहद और अदरक:

शहद और अदरक में प्राकृतिक रूप से सूजन-रोधी गुण होते हैं जो गले को शांत करने और कफ को कम करने में मदद करते हैं।

पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ:

खूब सारे तरल पदार्थ पीने से कफ पतला होता है और शरीर से बाहर निकलने में मदद मिलती है। गर्म पानी, हर्बल चाय, और सूप जैसे तरल पदार्थों का सेवन करें।

अन्य उपाय:

हल्दी: हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो गले की खराश और सूजन को कम करने में मदद करते हैं।

नींबू और शहद: नींबू और शहद का मिश्रण गले को शांत करने और कफ को ढीला करने में मदद करता है।

तुलसी: तुलसी में एंटीवायरल और जीवाणुरोधी गुण होते हैं जो संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। 

लहसुन: लहसुन में भी जीवाणुरोधी गुण होते हैं और यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करता है।

पुदीना: पुदीना गले को ठंडा करने और बलगम को कम करने में मदद कर सकता है।

नारियल का तेल: नारियल का तेल गले को चिकनाई देने और जलन को कम करने में मदद कर सकता है।

ध्यान दें: यदि घरेलू उपचारों से राहत नहीं मिलती है या यदि कफ के साथ बुखार, छाती में दर्द, या सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षण हैं, तो डॉक्टर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।

 


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क्या आप जानते है कि घरेलू उपचार क्या होता है?


घरेलू उपचार क्या होता है घरेलू उपचार का मतलब है, बिना डॉक्टर के पर्चे या पेशेवर पर्यवेक्षण के, घर पर उपलब्ध चीजों का उपयोग करके बीमारियों का इलाज करना या लक्षणों को कम करना. ये उपचार अक्सर सामान्य, हल्की बीमारियों या लक्षणों के लिए उपयोग किए जाते हैं, और इसमें प्राकृतिक सामग्री जैसे कि जड़ी-बूटियाँ, मसाले, फल, सब्जियां और अन्य घरेलू वस्तुएं शामिल हो सकती हैं.  Read More

घरेलू उपचार क्या होता है

घरेलू उपचार का मतलब है, बिना डॉक्टर के पर्चे या पेशेवर पर्यवेक्षण के, घर पर उपलब्ध चीजों का उपयोग करके बीमारियों का इलाज करना या लक्षणों को कम करना. ये उपचार अक्सर सामान्य, हल्की बीमारियों या लक्षणों के लिए उपयोग किए जाते हैं, और इसमें प्राकृतिक सामग्री जैसे कि जड़ी-बूटियाँ, मसाले, फल, सब्जियां और अन्य घरेलू वस्तुएं शामिल हो सकती हैं. 


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