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चक्रासन किन व्यक्तियों को नहीं करना चाहिए।


इसे जाने से पहले यह भी जरूर पढ़ें। चक्रासन करने की विधि क्या है  चक्रासन किन-किन व्यक्तियों को नहीं करना चाहिए - ऐसे व्यक्तियों को जो मेरुदंड से संबंधित विकारों; जैसे सर्वाइकल तथा पीठ की स्पोंडिलाइटिस से ग्रसित हो उन्हें इस आसन के अभ्यास से दूर रहना चाहिए। यदि आपको कलाइयों में टेंडनाइटिस (tendonitis) हो तो भी इस आसन को मत कीजिए। यदि आप सर दर्द ,अथवा उच्च रक्तचाप से ग्रसित हो तो इस आसन को मत... Read More

इसे जाने से पहले यह भी जरूर पढ़ें।

चक्रासन करने की विधि क्या है 

चक्रासन किन-किन व्यक्तियों को नहीं करना चाहिए -

  • ऐसे व्यक्तियों को जो मेरुदंड से संबंधित विकारों; जैसे सर्वाइकल तथा पीठ की स्पोंडिलाइटिस से ग्रसित हो उन्हें इस आसन के अभ्यास से दूर रहना चाहिए।
  • यदि आपको कलाइयों में टेंडनाइटिस (tendonitis) हो तो भी इस आसन को मत कीजिए।
  • यदि आप सर दर्द ,अथवा उच्च रक्तचाप से ग्रसित हो तो इस आसन को मत कीजिए।
  • यदि आपके कंधे में चोट हो तो इस आसन को मत कीजिए।

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चक्रासन क्या है और इसके लाभ क्या होते हैं?


चक्रासन करने की विधि क्या है  चक्रासन (chakrasana)-इसे करते समय, शरीर की आकृति एक चक्र की तरह हो जाती है, अतः  इस आसन को चक्रासन कहा जाता है। सबसे पहले पीठ केवल लेट जाइए। अपने हाथों को जमीन पर रखिए फिर अपने शरीर के मध्य भाग को ऊपर की ओर उठाइए इसको इतना ऊपर उठाई कि आपका शरीर अदरक गोलाकार अवस्था में आ जाए फिर अपने सर को अपने हाथों को नीचे की तरह झुकाइए। प्रारंभ में इस अवस्था को 1 मिनट तक क... Read More

चक्रासन करने की विधि क्या है 

चक्रासन (chakrasana)-इसे करते समय, शरीर की आकृति एक चक्र की तरह हो जाती है, अतः  इस आसन को चक्रासन कहा जाता है। सबसे पहले पीठ केवल लेट जाइए। अपने हाथों को जमीन पर रखिए फिर अपने शरीर के मध्य भाग को ऊपर की ओर उठाइए इसको इतना ऊपर उठाई कि आपका शरीर अदरक गोलाकार अवस्था में आ जाए फिर अपने सर को अपने हाथों को नीचे की तरह झुकाइए। प्रारंभ में इस अवस्था को 1 मिनट तक के लिए बनाए रखिए तथा फिर कुछ दिनों के अभ्यास के बाद इसे 3-5 मिनट तक के लिए कीजिए।

चक्रासन क्या लाभ है?

  • यह थायराइड ग्रंथि व पीयुष ग्रंथि को उत्तेजित करता है।
  • हानिरीय की समस्या से बचाव में सहायता  करता  है ।
  • यह गुर्दे में किसी भी दर्द के उपचार में सहायक है।
  • अर्ध गोलाकार अवस्था शरीर की पृष्ठीय साइड खिंचाव लाकर सीने को फैलाती है। इस कारण अधिक ताजी ऑक्सीजन उपलब्ध होती है।
  • यह पीठ दर्द के उपचार में सहायक है। 
  • यह तनाव एवं अवसाद को कम करने में सहायक है। 
  • यह अस्थमा संतानहीनता के उपचार में सहायक है।

यह भी जरूर पढ़ लें।

चक्रासन किन-किन व्यक्तियों को नहीं करना चाहिए -


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क्या होते हैं स्वास्थ्य के आयाम


स्वास्थ्य के आयाम (Dimensions of health) स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाले सभी अधिकारियों वह कर्मचारियों के स्वास्थ्य से जुड़े तीन आयाम निर्धारित किए गए हैं - 1.  शारिरीक आयाम, 2.मानसिक आयाम, 3.  सामाजिक आयाम। इनके सामाजिकअतिरिक्त कुछ अन्य, व्यावसायिक, भावनात्मक, पर्यावरणीय आदि। आयाम एक दूसरे से परस्पर जुड़े होते हैं। एक मनुष्य को तभी स्वस्थ कहा जा सकता है जब वह स्वास्थ्य के इन तीनो... Read More

स्वास्थ्य के आयाम (Dimensions of health)

स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाले सभी अधिकारियों वह कर्मचारियों के स्वास्थ्य से जुड़े तीन आयाम निर्धारित किए गए हैं -

1.  शारिरीक आयाम,

2.मानसिक आयाम,

3.  सामाजिक आयाम।

इनके सामाजिकअतिरिक्त कुछ अन्य, व्यावसायिक, भावनात्मक, पर्यावरणीय आदि। आयाम एक दूसरे से परस्पर जुड़े होते हैं। एक मनुष्य को तभी स्वस्थ कहा जा सकता है जब वह स्वास्थ्य के इन तीनों आयाम  से किसी में भी कम ना हो। आयाम एक दूसरे पर निर्भर होने के साथ-साथ एक दूसरे को प्रभावित भी करते हैं। स्वास्थ्य के इन आयामों की व्याख्या इस प्रकार है -

1.​​शारीरिक स्वास्थ्य (physical health)-किसी व्यक्ति का शारीरिक स्वास्थ्य कहीं तत्वों पर निर्भर करता है जैसे जैविक, वातावरणीय घटक, सामाजिक - सांस्कृतिक तत्व आदि।इसमें अच्छा शरीर कद के अनुसार उचित भार, साफ रंग, चमकदार आंखें ,साफ त्वचा और सुंदर बाल शामिल होते हैं। यह व्यक्ति के आवश्यक भाग है जो शारीरिक स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक है। अच्छा स्वास्थ्य पानी के लिए हमारे शरीर के विभिन्न संस्थाओं को अपने कार्य को सुचारू रूप से करना चाहिए शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति को कार्य करते हुए थकावट का अधिक एहसास नहीं होता। व्यक्ति को अपना स्वास्थ्य उन्नत करने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए-

  • व्यक्ति को शारीरिक व्यायाम नियमित रूप से करना चाहिए जिससे उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती रहे।
  • व्यक्ति को अपने शरीर की आवश्यकता के अनुसार पोषण युक्त भोजन ग्रहण करना चाहिए जिससे उसे ऊर्जा प्राप्त होती रहे।
  • व्यक्ति को अपने आंतरिक अंगों की सफाई के लिए निमित्त रूप से अधिक मात्रा में जल पीना चाहिए।
  • व्यक्ति को बिना किसी बाधा के प्रतिदिन कम से कम 6 7 घंटे की नींद लेनी चाहिए।
  • शारीरिक स्वास्थ्य के लिए व्यक्ति को नियमित रूप से सुबह नाश्ता करना चाहिए।
  • व्यक्ति को नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • व्यक्ति को अपनी और अपने परिवार के चिकित्सा जांच नियमित रूप से करनी चाहिए जिससे रोग को प्रारंभिक अवस्था में ही रोका जा सके।

2.मानसिक स्वास्थ्य(mental health)-शारीरिक स्वास्थ्य मानसिक स्वास्थ्य के बिना अधूरा है मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ है तनाव और दबाव से मुक्ति। यदि व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य ठीक है तो उसके मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के मध्य शहर संबंध अच्छा होता है। मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य एक दूसरे को प्रभावित करते हैं। अनेक बार मानसिक स्वास्थ्य व्यक्ति के भावों को समझने में असमर्थ होता है ।मानसिक रूप से वह व्यक्ति स्वस्थ होता है ,जो स्वयं को सुरक्षित तथा सुव्यवस्थित महसूस करता है।मानसिक स्वास्थ्य के लिए व्यक्ति को निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए _

  • व्यक्ति को प्रतीक अवसर को खुले विचार वह दिमाग से सोचना चाहिए।
  • व्यक्ति को अपने जीवन में सदैव सकारात्मक दृष्टिकोण रखना चाहिए विशेष रूप से संघर्ष की अवस्था में विशेष रूप में संघर्ष की अवस्था में।
  • व्यक्ति को अपने लक्ष्य वास्तविक रूप से निर्धारित करनी चाहिए जो उसकी पहुंच में हो।
  • विश्राम अवस्था में व्यक्ति को मानसिक तनाव वह दबाव को दूर रखना चाहिए।

3. सामाजिक स्वास्थ्य (social health)-सामाजिक स्वस्थ व्यक्ति की सामाजिक सुरक्षा पर निर्भर करता है। यदि व्यक्ति सुरक्षित नहीं है तो वह सामाजिक रूप से स्वस्थ नहीं होगा। यह कुछ करो क्रोक पर निबंध निर्भर करता है जैसे जीवन बीमा स्वास्थ्य सेवाएं पेंशन प्रोवाइड फंड संबंधित सुविधाएं आदि। सामाजिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति सैद्धांतिक आत्मनिर्भर वह जागृत होता है। उज्जीवन के प्रति उसका दृष्टिकोण सकारात्मक होता है। सामाजिक स्वास्थ्य के लिए व्यक्ति को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।

  • व्यक्ति को स्वयं की छवि को सकारात्मक बनाना चाहिए।
  • व्यक्ति को सकारात्मक वार्तालाप के कौशल को विकसित करना चाहिए।
  • व्यक्ति को भिन्न-भिन्न व्यक्तियों के मध्य संबंध स्थापित करने चाहिए।
  • व्यक्ति को भिन्न-भिन्न संस्कृत मानदंडों को अपनाना चाहिए।

व्यक्ति को सामाजिक रूप से आत्मनिर्भर होना चाहिए।

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सुखासन करने से पहले किन किन सावधानियां को बरतनी चाहिए?


सुखासन करने से पहले किन-किन सावधानियां को बरतनी चाहिए? यदि आपके घुटनों में अथवा नितंबों में कोई चोट हो तो इस आसन को मत कीजिए। यदि आपको स्लिप डिस्क की समस्या हो तो इस आसन को करने के दौरान पूर्ण सावधानियां बरतनी चाहिए। सुखासन करने से पहले ध्यान रखने वाली बातें (Important Notes) 1. सुखासन का अभ्यास सुबह के वक्त किया जाए। वैसे ये बिल्कुल भी जरूरी नहीं है कि इस आसन का खाली पेट ही किया जाए। लेकिन अगर... Read More

सुखासन करने से पहले किन-किन सावधानियां को बरतनी चाहिए?

  • यदि आपके घुटनों में अथवा नितंबों में कोई चोट हो तो इस आसन को मत कीजिए।
  • यदि आपको स्लिप डिस्क की समस्या हो तो इस आसन को करने के दौरान पूर्ण सावधानियां बरतनी चाहिए।

सुखासन करने से पहले ध्यान रखने वाली बातें (Important Notes)

  • 1. सुखासन का अभ्यास सुबह के वक्त किया जाए। वैसे ये बिल्कुल भी जरूरी नहीं है कि इस आसन का खाली पेट ही किया जाए। लेकिन अगर आप इस आसन के बाद किए जाने वाले योगासनों को कर रहे हैं तो जरूरी है कि आपने भोजन कम से कम 4 से 6 घंटे पहले कर लिया हो।

2. ये भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि आसन करने से पहले आपने शौच कर लिया हो और पेट एकदम खाली हो।  


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जानिए सुखासन क्या है और इस से क्या लाभ प्राप्त होगे ।


 इसे जानने से पहले इसके बारे में जरूर पढ़ें! सुखासन करने से पहले किन-किन सावधानियां को बरतनी चाहिए?  सुखासन क्या है और इसका लाभ क्या है?    सुखासन (Sukhasana)- इस आसन मे पैरो को सीधा करके बैठ जाए. इसके बाद दाया पैर मोडकर बाए जाघ के अन्दर रखिए. फिर बतया पैर मोडकर दाए जाघ के अन्दर रखिए. हाथो को घुटनो पर टिकाइए.ठोड़ी एक दम सीधी होनी चाहिए. अपने सिर, गदृन व पीठ को सीधा रखिए. आगोश क... Read More

 इसे जानने से पहले इसके बारे में जरूर पढ़ें!

सुखासन करने से पहले किन-किन सावधानियां को बरतनी चाहिए? 

सुखासन क्या है और इसका लाभ क्या है? 

  सुखासन (Sukhasana)-

इस आसन मे पैरो को सीधा करके बैठ जाए. इसके बाद दाया पैर मोडकर बाए जाघ के अन्दर रखिए. फिर बतया पैर मोडकर दाए जाघ के अन्दर रखिए. हाथो को घुटनो पर टिकाइए.ठोड़ी एक दम सीधी होनी चाहिए. अपने सिर, गदृन व पीठ को सीधा रखिए. आगोश को बन्द कर के शरीर को आराम दीजिए. 

सुखासन के लाभ है-

  • यह घुटनो ,पिडली की मांसपेशियो और जाघो को अच्छी मालिश करने मे मदद कर्ता है.
  • यह बिना किसी दद अथवा खिंचाव के मानसिक एव शरीरिक  संतुलन  को बनाए रखता है।
  • यह आसन शरीर को बेहतर बनाने मे भी सहायक है।
  • यह आपका मन शांत कर्ता है।
  • यह रीढ की हड्डी की लंबाई बढाने मे सहायक है।
  • यह आसन मानसिक थकान, तनाव व चिंता को कम करता है।

 


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क्या आप जानते हैं पवनमुक्तासन क्या है और इसके लाभ क्या होते हैं? आइए जानें


पवनमुक्तासन क्या है? (pawanmuktasana)-समतल सतह पर पीठ के बल लेट चहिए। अपने पैर इकट्ठे रखिए वह अपने  दोनों बाजू शरीर के बराबर में रखिए ।एक गहरी शवाश लीजिए। जब आप आप स्वस्थ पवनमुक्तासन। बाहर निकले तो अपने दोनों घुटनों को अपनी छाती से लगाइए। इसी समय अपनी जांघो को अपने उदर के साथ दबाइए। अपने हाथ अपनी टांगों के ऊपर। सुभाष को बाहर निकलएकी। और फंसाइए। जब सामान्य रूप से श्वास ले, इस आसन को बनाए रखें।... Read More

पवनमुक्तासन क्या है?

(pawanmuktasana)-समतल सतह पर पीठ के बल लेट चहिए। अपने पैर इकट्ठे रखिए वह अपने  दोनों बाजू शरीर के बराबर में रखिए ।एक गहरी शवाश लीजिए। जब आप आप स्वस्थ पवनमुक्तासन। बाहर निकले तो अपने दोनों घुटनों को अपनी छाती से लगाइए। इसी समय अपनी जांघो को अपने उदर के साथ दबाइए। अपने हाथ अपनी टांगों के ऊपर। सुभाष को बाहर निकलएकी। और फंसाइए। जब सामान्य रूप से श्वास ले, इस आसन को बनाए रखें। जब भी आप श्वास ले तो हर बार थोड़ा सा ग्रिप ढीला कीजिए, शवाश को बाहर निकलिए। लगभग तीन बार बराबर मेंं रॉक एंड रोल करने के पश्चात आसान छोड़ दीजिए।

पवनमुक्तासन के लाभ क्या है -

  • यह आसान पीठ के पिछले भाग में तनाव को कम करता है।
  • यह आसान श्रोणी भाग में रूधिर प्रवाह को बढ़ाता है।
  • यह जांघो ,नितंबों व उदरिय भागों की वसा घटाने में सहायता करता है।
  • इसको करने से आंतों की मालिश होती है और यह पाचन संस्थान के उन अंगों की भी मालिश करता है और यह पाचन संस्थान के उन अंगों की भी मालिश करता है जो गैस के निकलने में मदद करते हैं एवं पाचन को सुधारते हैं। 
  • इसे करने से कब्ज दूर होता है।

पवनमुक्तासन के विपरीत संकेत है-

  • बवासीर से ग्रसित व्यक्ति को इस आसन को करने से बचना चाहिए।
  • गर्भवती महिलाओं को इस आसन का अभ्यास करना चाहिए।

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पश्चिमोत्तानासन क्या है और इसके लाभ क्या होते हैं?


पश्चिमोत्तानासन क्या है और इसके लाभ क्या होते है? पश्चिमोत्तानासन (paschimottanasana )-पैरो को आगे की और फैलाकर जमीन पर बैठ जाइए। उसके बाद अपने दोनों हाथों की उंगलियों से दोनों पैरों के अंगूठों को पकड़िए। स्वास्थ्य धीरे-धीरे निकाल दीजिए वह माथे से अपने घुटनों को छूने का प्रयत्न कीजिए। उसके बाद धीरे-धीरे श्वास लीजिए। अपना सिर ऊपर उठाई तथा पहले वाली दशा में आ जाइए। इस आसन को 10 से 12 बार कीजिए।&nbsp... Read More

पश्चिमोत्तानासन क्या है और इसके लाभ क्या होते है?

पश्चिमोत्तानासन (paschimottanasana )-पैरो को आगे की और फैलाकर जमीन पर बैठ जाइए। उसके बाद अपने दोनों हाथों की उंगलियों से दोनों पैरों के अंगूठों को पकड़िए। स्वास्थ्य धीरे-धीरे निकाल दीजिए वह माथे से अपने घुटनों को छूने का प्रयत्न कीजिए। उसके बाद धीरे-धीरे श्वास लीजिए। अपना सिर ऊपर उठाई तथा पहले वाली दशा में आ जाइए। इस आसन को 10 से 12 बार कीजिए। 

paschimottanasana ke लाभ 

  • यह पेट की गैस को दूर करता है। 
  • यह हड्डियों को शीघ्र टूटने से रोकता है। 
  • यह कब्ज कोदर करता है।
  • यह मासिक धर्म में अच्छा बडी को सही रखता है।
  • यह अस्थमा साइटिका वह पीठ दर्दक सही।
  • इससे मोटापा कम होता है
  • यह उदर के सभी रोगों हेतु लाभदायक होता है।
  • यह चर्म रोग को दूर करता है ।
  • इससे रीढ़ की हड्डी स्वस्थ व लचीली हो जाती है।

विपरीत संकेत-

  • यदि आप बड़े हुए यकृत अथवा दिल्ली अथवा तीव्र अपेंडिसाइटिस से पीड़ित हैं, तो इस आसन को कभी ना करें। 
  • यदि आप अस्थमा अथवा किसी सत्संग संबंधी बीमारी से ग्रसित है तो इस आसन के अभ्यास से बचिए। 
  • यदि आपको पीट या रीड की समस्या है तो इस आसन को विशेषज्ञ के निर्देश में ही कीजिए।

 


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ताड़ासन क्या हैं?


ताडासन क्या हैं? इस आसन का प्रयोग शरीर की लम्बाई बढ़ाने और मांसपेशियों को लचीला बनाने के लिए करते है। यह ताड़ + आसन शब्दों से बना होता है। यहाँ ताड़ का अर्थ ताड़ के पेड़ से है और आसन का अर्थ योग आसन से है। अत: जो आसन शरीर को ताड़ के पेड़ की तरह लम्बा करने में मदद करे या जिसे अपनाने से ताड़ के पेड़ की आकृति बनती हो उसे ताड़ासन कहा जाता है। वैसे संस्कृत में ताड़ को पर्वत का पर्यायवाची भी कहा जाता है... Read More

ताडासन क्या हैं?

इस आसन का प्रयोग शरीर की लम्बाई बढ़ाने और मांसपेशियों को लचीला बनाने के लिए करते है। यह ताड़ + आसन शब्दों से बना होता है। यहाँ ताड़ का अर्थ ताड़ के पेड़ से है और आसन का अर्थ योग आसन से है। अत: जो आसन शरीर को ताड़ के पेड़ की तरह लम्बा करने में मदद करे या जिसे अपनाने से ताड़ के पेड़ की आकृति बनती हो उसे ताड़ासन कहा जाता है। वैसे संस्कृत में ताड़ को पर्वत का पर्यायवाची भी कहा जाता है,जो लम्बाई का प्रतिक होता है।

ताड़ासन करने की विधि :

 

सर्वप्रथम खड़े होकर पैरो के बीच में कुछ फासला लेंगे।

आँखों को किसी बिंदु पर केंद्रित करते हुए हाथों की उंगलियों को आपस में फाँसते हुए सिर के उपर की ओर शरीर की सीध में तानेंगे।

पंजों के बल खड़े होते हुए कुछ सेकेंड रोकते हुए वापिस आएँगे।

5-7 बार दोहरा सकते हैं।

साँस के साथ हाथ उपर ले जाएँ।

साँस निकालते हुए हाथ वापिस लाएंं।

सावधानी :

घुटनो के दर्द में यह अभ्यास नही करेंगे।

ताड़ासन करने के फायदे :

यह पैर और पिंडलियों की मासपेशियों में रक्त संचार तेज करता है।

बालक बालिकाओं की लंबाई के लिए फायदेमन्द है।


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ध्यान क्या हैं?


ध्यान  ध्यान एक प्राचीन अभ्यास है जो हज़ारों साल पुराना है। अपनी उम्र के बावजूद, यह अभ्यास दुनिया भर में आम है क्योंकि यह मस्तिष्क के स्वास्थ्य और समग्र कल्याण के लिए लाभकारी है। आधुनिक तकनीक की मदद से, शोधकर्ता इस बात की समझ का विस्तार करना जारी रखते हैं कि ध्यान लोगों की कैसे मदद करता है और यह क्यों काम करता है। ध्यान क्या हैं। ध्यान एक अभ्यास है जिसमें मानसिक और शारीरिक तकनीकों के संयोजन क... Read More

ध्यान 

ध्यान एक प्राचीन अभ्यास है जो हज़ारों साल पुराना है। अपनी उम्र के बावजूद, यह अभ्यास दुनिया भर में आम है क्योंकि यह मस्तिष्क के स्वास्थ्य और समग्र कल्याण के लिए लाभकारी है। आधुनिक तकनीक की मदद से, शोधकर्ता इस बात की समझ का विस्तार करना जारी रखते हैं कि ध्यान लोगों की कैसे मदद करता है और यह क्यों काम करता है।

ध्यान क्या हैं।

ध्यान एक अभ्यास है जिसमें मानसिक और शारीरिक तकनीकों के संयोजन का उपयोग करके अपने मन को केंद्रित या साफ़ किया जाता है।आप जिस तरह का ध्यान चुनते हैं, उसके आधार पर आप आराम करने, चिंता और तनाव को कम करने और बहुत कुछ करने के लिए ध्यान कर सकते हैं। कुछ लोग अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करने के लिए भी ध्यान का उपयोग करते हैं, जैसे कि तंबाकू उत्पादों को छोड़ने की चुनौतियों के अनुकूल होने में मदद करने के लिए इसका उपयोग करना ।


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भुजंगासन क्या है और इसके लाभ क्या हैं?


भुजंगासन क्या है, इसके लाभ और विपरीत संकेत क्या है? भुजंगासन (bhujangasana)-इस आसन में शरीर की आकृति साँप की तरह होती है।अत: आसन को भुजंगासन कहा जाता है।इस आसन को करने हेतु पेट के बाल जमीन पर लेट जाइए अपने हाथ कंधों के पास रखिए।टैंगो को धीरे-धीरे-धीरे-धीरे दिखाया जा सकता है। अब धीरे-धीरे बाजुओं को सीधा करो, छती को ऊपर उठो।आपका सर पिचे की तरफ होना चाहिए।क्या अवस्था में कुछ समय तक रहे, पहले वाली स्थ... Read More

भुजंगासन क्या है, इसके लाभ और विपरीत संकेत क्या है?

भुजंगासन (bhujangasana)-इस आसन में शरीर की आकृति साँप की तरह होती है।अत: आसन को भुजंगासन कहा जाता है।इस आसन को करने हेतु पेट के बाल जमीन पर लेट जाइए अपने हाथ कंधों के पास रखिए।टैंगो को धीरे-धीरे-धीरे-धीरे दिखाया जा सकता है। अब धीरे-धीरे बाजुओं को सीधा करो, छती को ऊपर उठो।आपका सर पिचे की तरफ होना चाहिए।क्या अवस्था में कुछ समय तक रहे, पहले वाली स्थिति में आ जाए।अच्छे परिणमन हेतु आसान को 3 से 5 बार करना चाहिए .

लाभ(benefits)-

शक्ति व स्फूर्ति प्रदान करती है।

इसे मसाने और सम्पन दोष दूर होते हैं

इससे किडनी के रोग दूर होते हैं।

रक्त संचार में वरदी करता है।

कबज अपचन और वायु विकार को दूर करता है।

हाथों की मनपसंद को मजबूत बनाता है।

मेरुदण्ड को पाटला एवं लछिला बनता है।

विपरीत संकेत(contraindications)-

गर्भवती महिलाओं को यह आसन नहीं करना चाहिए।

उन व्यक्तित्वों को जिन्हे पीठ की चोट हरिया सर दर्द या एचएएल ही में सर्जरी हुई हो इस आसन को नहीं करना चाहिए।


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