Blog by vanshika pal | Digital Diary

" To Present local Business identity in front of global market"

Meri Kalam Se Digital Diary Submit Post


मुद्रा क्या है?


       मुद्रा  संस्कृत में मुद्रा शब्द का अर्थ शरीर की विशेष भाव-भंगिमा या परवर्ती से है। दूसरे शब्दों में मुद्रा किसी स्थिति विशेष या भावभंक्षगिमा विशेष का बोध कराती है। इस अर्थ में मुद्रा से तात्पर्य आसन एवं प्रणायाम के बीच की उस स्थिति से है जिसमें दृष्टि बंद आदि यौगिक क्रियाओं की सहायता से साधक शरीर और मन की ऐसी स्थिति में पहुंच जाता है जिसके द्वारा उसे अचेतन इच्छा शक्... Read More

       मुद्रा 

संस्कृत में मुद्रा शब्द का अर्थ शरीर की विशेष भाव-भंगिमा या परवर्ती से है। दूसरे शब्दों में मुद्रा किसी स्थिति विशेष या भावभंक्षगिमा विशेष का बोध कराती है। इस अर्थ में मुद्रा से तात्पर्य आसन एवं प्रणायाम के बीच की उस स्थिति से है जिसमें दृष्टि बंद आदि यौगिक क्रियाओं की सहायता से साधक शरीर और मन की ऐसी स्थिति में पहुंच जाता है जिसके द्वारा उसे अचेतन इच्छा शक्ति का ज्ञान प्राप्त करने में सहायता मिलती है।

 सूर्य मुद्रा क्या है और इसके लाभ क्या हैं?

सर्य मुद्रा –

अनामिका उंगली को अंगूठे के मूल पर लगाकर अंगूठे से दबाएं।

 सूर्य मुद्रा के लाभ हैं–

इस मुद्रा से शरीर संतुलित होता है, वजन घटता है वह मोटापा कम करता है और शरीर में उष्णता की वृद्धि होकर पाचन में मदद मिलती है। इससे तनाव में कमी शक्ति का विकास तथा रक्त में कॉलेस्ट्रॉल कम हो जाता है। इस मुद्रा के अभ्यास से मधुमेह,जिगर के दोष दूर हो जाते हैं।

सावधानी

इस मुद्रा को दुर्बल व्यक्ति ना करें। गर्मी में अधिक समय तक ना करें। 

लिंक मुद्रा क्या है और इसके लाभ क्या हैं?

लिंक मुद्रा–

​​​​​​​​​अपने हाथों की मुट्ठी बांधे तथा बाएं हाथ के अंगूठे को खड़ा रखें, अन्य उंगलियां परस्पर बंधी हुई हो।

 लिंग मुद्रा के लाभ –

यह मुद्रा शरीर में गर्मी बढ़ती है इससे सर्दी-जुकाम,दमा-खांसी, साइनस लकवा तथा निम्न रक्षक में लाभ होता है। यह कफ को सूखाती है ‌।

सावधानी–

इसका प्रयोग करने पर जल फल फलों का रस घी और दूध सेवन अधिक मात्रा में न करें। इसे अधिक लंबे समय तक ना करें।

 


Read Full Blog...


योग करने से पहले यह टिप्स जरूर जाने


योग करने से पहले यह टिप्स जरूर जाने! ओशो का मानना था कि 'योग धर्म, आस्था और अंधविश्वास से परे है।योग एक प्रायोगिक विज्ञान है।योग स्वस्थ जीवन जीने की कला है।योग शरीर के समस्त रोगों के लिए एक पूर्ण चिकित्सा पद्धति है। जहां धर्म लोगों को खूंटे से बांधता है वहीं योग सभी तरह के खूंटों से मुक्ति का मार्ग बताता है।'योग तन और मन से जुड़े तमाम तरह के रोग और विकारों को दूर कर मनुष्य का जीवन आसान कर... Read More

योग करने से पहले यह टिप्स जरूर जाने!

ओशो का मानना था कि 'योग धर्म, आस्था और अंधविश्वास से परे है।योग एक प्रायोगिक विज्ञान है।योग स्वस्थ जीवन जीने की कला है।योग शरीर के समस्त रोगों के लिए एक पूर्ण चिकित्सा पद्धति है। जहां धर्म लोगों को खूंटे से बांधता है वहीं योग सभी तरह के खूंटों से मुक्ति का मार्ग बताता है।'योग तन और मन से जुड़े तमाम तरह के रोग और विकारों को दूर कर मनुष्य का जीवन आसान कर देता है। यह मानव की हर तरह की शुद्धि का आसान उपकरण है।योग, भारतीय ज्ञान की पांच हजार वर्ष पुरानी शैली है।योग विज्ञान में जीवन शैली का पूर्ण सार समाहित किया गया है।

योग की शुरुआत करने जा रहे हैं तो अपनाएं ये टिप्स ‌।

हालांकि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अपनाई जाने वाली अन्य तरकीबों से योग कई मायनों में अलग है। इसका अभ्यास करने से पहले हमें कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है।

आइए जानते हैं वो बातें जिनका योग करने से पहले ध्यान रखना बेहद जरूरी है।

1- योग करने से पहले एक ऐसा समय चुन लें जब आप बिल्कुल फ्री हों। समय सुबह का हो तो बेहतर होगा। इस बात का भी ध्यान रखें कि आप सातों दिन इस वक्त फ्री रहते हैं। रोजाना नियत समय पर ही योग करें। इससे शरीर में ऊर्जा बनी रहती है।

2- योग करने के लिए स्वच्छ और साफ वातावरण की आवश्यकता होती है। इसके अलावा माहौल शांत होना चाहिए. अगर शुद्ध हवा का आवागमन हो रहा है तो वह स्थान योग के लिए उपयुक्त होता है। इसलिए योग की प्रैक्टिस से पहले जगह तय कर लें।

3- योग सुबह खाली पेट किया जाए तो बहुत लाभप्रद होता है। अगर यह संभव नहीं हो तो योग और भोजन के बीच कम से कम 3 घंटे का अंतर रखें।योग करने के कुछ समय बाद आप भोजन कर सकते हैं लेकिन योग के पहले कम से कम 3 घंटे भोजन ना करें। हालांकि भोजन के तुरंत बाद आप वज्रासन कर सकते हैं।

4- योग करते समय तंग कपड़े ना पहनें। शरीर की मांसपेशियों के खिंचाव और ऐंठन के दौरान कपड़े फटने का डर तो होता ही है साथ ही साथ आप आसन भी अच्छे से नहीं कर पाते हैं, इसलिए तंग कपड़े ना पहनें।

5- योग करने के दौरान एकाग्र रहें. मोबाइल फोन या किसी से बात करने से बचें।

6- महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान योग नहीं करने की सलाह दी जाती है। इस दौरान योग करने से रक्त-स्राव संबंधी समस्या हो सकती है।

7.योग करते समय संयम और धैर्य रखना चाहिए, हर व्यक्ति की क्षमता अलग होती है, और उसी हिसाब से वह योग करता है. इसलिए अगर संयम के साथ आप योग सीखेंगे तो सकारात्मक परिणाम देखने को मिला।

8.- श्वास योग में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। श्वास की प्रक्रिया को नियंत्रित किये बिना के योग करना अधूरा है।आसन करते समय कभी भी मुंह से श्वास ना लें।योग-प्रशिक्षक से जानकारी लेकर योग-आसन करते समय नियम के अनुसार ही श्वास लें।


Read Full Blog...


अर्धपद्मासनसन करने की विधि क्या है और इसके लाभ क्या हैं?


अर्धपद्मासन करने की विधि:- अभ्यास विधि : चटाई पर सामने की ओर पैर फैला कर बैठ जाए। पहले दाया पैर मोड़कर इसका तलवा बाई जांघ के नीचे रखें। अब बाय पैर मोड़कर इसका तलवा दाए जांघ के ऊपर रखें। अपने दोनों हाथों को दोनों घुटनों पर रखकर ध्यानमद्रा में आएं और जब तक संभव हो सके तब तक इस मुद्रा में रहे। ध्यान मुद्रा से वापस पहले वाली अवस्था में आने के लिए दोनों हाथों को नीचे रखें।  अब पहले बाय पर को खोलक... Read More

अर्धपद्मासन करने की विधि:-

अभ्यास विधि :

  • चटाई पर सामने की ओर पैर फैला कर बैठ जाए।
  • पहले दाया पैर मोड़कर इसका तलवा बाई जांघ के नीचे रखें।
  • अब बाय पैर मोड़कर इसका तलवा दाए जांघ के ऊपर रखें।
  • अपने दोनों हाथों को दोनों घुटनों पर रखकर ध्यानमद्रा में आएं और जब तक संभव हो सके तब तक इस मुद्रा में रहे।
  • ध्यान मुद्रा से वापस पहले वाली अवस्था में आने के लिए दोनों हाथों को नीचे रखें। 
  • अब पहले बाय पर को खोलकर फैलाएं। 
  • फिर दाएं पैर को खोले और दोनों पैरों को फैलाकर आराम से बैठ जए।
  • अब पैरों को बदलकर आसान दोहराइए ।

अर्ध पद्मासन के लाभ क्या है 

  • अर्ध पद्मासनसे मानसिक एकाग्रता बढ़ती है।
  • इससे मानसिक व शारीरिक थकावट दूर होती है।
  • इससे शरीर के  कई महत्वपूर्ण अंगों में रक्त संचार बढ़ने से उनके कार्य क्षमता में सुधार होता है।

सावधानी:-

-जिन्हें सइटिका या जोड़ों का दर्द हो उन्हें इस  आसन से बचना चाहिए अथवा किसी विशेषज्ञ या योगगुरु से परामर्श लेना चाहिए।


Read Full Blog...


जाने मकरासन करने की विधि और इसके लाभ क्या है?


मकरासन करने की विधि क्या है?  अभ्यास विधि  : पहले पेट के बल लेट जाएं  पैरों को सुविधाजनक दूरी पर वीडियो को अंदर की ओर और पंजों को बाहर की ओर रखते हो टेखनो को जमीन पर रखें। बाजू को कोहनियों से मोडे फिर दएं हाथ से बाए कंधे को तथा बाएं हाथ से दाएं कंधे को पकड़े। एक कहानी को दूसरी कोहनी के ऊपर रखें।  अब अपने ललाट को बाजू के गद्दे के ऊपर रखे और सामान्य रूप से श्वास ले। इस अवस्था मे... Read More

मकरासन करने की विधि क्या है? 

अभ्यास विधि  :

  • पहले पेट के बल लेट जाएं 
  • पैरों को सुविधाजनक दूरी पर वीडियो को अंदर की ओर और पंजों को बाहर की ओर रखते हो टेखनो को जमीन पर रखें।
  • बाजू को कोहनियों से मोडे फिर दएं हाथ से बाए कंधे को तथा बाएं हाथ से दाएं कंधे को पकड़े।
  • एक कहानी को दूसरी कोहनी के ऊपर रखें। 
  • अब अपने ललाट को बाजू के गद्दे के ऊपर रखे और सामान्य रूप से श्वास ले।
  • इस अवस्था में कुछ देर आराम करें। 
  • अब बाए कंधे से दाएं कंधे को हटाए और इस शरीर के दाएं और बगल में रखें।
  • हृदय कंधे से बाएं हाथ को हटाए और इस शरीर के बाई और बगलमें रखे।
  • अब पैरों के बीच की दूरी कम करें और पहले वाली अवस्था में आ जाइए। 

सभी प्रकार के आसनों के बाद शरीर को स्थिर करने के लिए इस आसन का अभ्यास किया जाता है।

मकरासन के क्या लाभ है?

  • यह आसान शरीर और मन को आराम देता है।
  • यह आसान चिंता और तनाव को काम करता है। 
  • यह श्वसन अंगों के साथ-साथ पाचन अंगों के लिए भी लाभकारी है। 
  • यह पूरे शरीर में रक्त संचार को सुधरता है। 

सावधानी:-

मोटापा एवं हड्डी रोगों से ग्रसित व्यक्ति को इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए। महिलाओं को गर्भावस्था में इस आसन को नहीं करना चाहिए।

 

 


Read Full Blog...


चक्रासन किन व्यक्तियों को नहीं करना चाहिए।


इसे जाने से पहले यह भी जरूर पढ़ें। चक्रासन करने की विधि क्या है  चक्रासन किन-किन व्यक्तियों को नहीं करना चाहिए - ऐसे व्यक्तियों को जो मेरुदंड से संबंधित विकारों; जैसे सर्वाइकल तथा पीठ की स्पोंडिलाइटिस से ग्रसित हो उन्हें इस आसन के अभ्यास से दूर रहना चाहिए। यदि आपको कलाइयों में टेंडनाइटिस (tendonitis) हो तो भी इस आसन को मत कीजिए। यदि आप सर दर्द ,अथवा उच्च रक्तचाप से ग्रसित हो तो इस आसन को मत... Read More

इसे जाने से पहले यह भी जरूर पढ़ें।

चक्रासन करने की विधि क्या है 

चक्रासन किन-किन व्यक्तियों को नहीं करना चाहिए -

  • ऐसे व्यक्तियों को जो मेरुदंड से संबंधित विकारों; जैसे सर्वाइकल तथा पीठ की स्पोंडिलाइटिस से ग्रसित हो उन्हें इस आसन के अभ्यास से दूर रहना चाहिए।
  • यदि आपको कलाइयों में टेंडनाइटिस (tendonitis) हो तो भी इस आसन को मत कीजिए।
  • यदि आप सर दर्द ,अथवा उच्च रक्तचाप से ग्रसित हो तो इस आसन को मत कीजिए।
  • यदि आपके कंधे में चोट हो तो इस आसन को मत कीजिए।

Read Full Blog...


चक्रासन क्या है और इसके लाभ क्या होते हैं?


चक्रासन करने की विधि क्या है  चक्रासन (chakrasana)-इसे करते समय, शरीर की आकृति एक चक्र की तरह हो जाती है, अतः  इस आसन को चक्रासन कहा जाता है। सबसे पहले पीठ केवल लेट जाइए। अपने हाथों को जमीन पर रखिए फिर अपने शरीर के मध्य भाग को ऊपर की ओर उठाइए इसको इतना ऊपर उठाई कि आपका शरीर अदरक गोलाकार अवस्था में आ जाए फिर अपने सर को अपने हाथों को नीचे की तरह झुकाइए। प्रारंभ में इस अवस्था को 1 मिनट तक क... Read More

चक्रासन करने की विधि क्या है 

चक्रासन (chakrasana)-इसे करते समय, शरीर की आकृति एक चक्र की तरह हो जाती है, अतः  इस आसन को चक्रासन कहा जाता है। सबसे पहले पीठ केवल लेट जाइए। अपने हाथों को जमीन पर रखिए फिर अपने शरीर के मध्य भाग को ऊपर की ओर उठाइए इसको इतना ऊपर उठाई कि आपका शरीर अदरक गोलाकार अवस्था में आ जाए फिर अपने सर को अपने हाथों को नीचे की तरह झुकाइए। प्रारंभ में इस अवस्था को 1 मिनट तक के लिए बनाए रखिए तथा फिर कुछ दिनों के अभ्यास के बाद इसे 3-5 मिनट तक के लिए कीजिए।

चक्रासन क्या लाभ है?

  • यह थायराइड ग्रंथि व पीयुष ग्रंथि को उत्तेजित करता है।
  • हानिरीय की समस्या से बचाव में सहायता  करता  है ।
  • यह गुर्दे में किसी भी दर्द के उपचार में सहायक है।
  • अर्ध गोलाकार अवस्था शरीर की पृष्ठीय साइड खिंचाव लाकर सीने को फैलाती है। इस कारण अधिक ताजी ऑक्सीजन उपलब्ध होती है।
  • यह पीठ दर्द के उपचार में सहायक है। 
  • यह तनाव एवं अवसाद को कम करने में सहायक है। 
  • यह अस्थमा संतानहीनता के उपचार में सहायक है।

यह भी जरूर पढ़ लें।

चक्रासन किन-किन व्यक्तियों को नहीं करना चाहिए -


Read Full Blog...


क्या होते हैं स्वास्थ्य के आयाम


स्वास्थ्य के आयाम (Dimensions of health) स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाले सभी अधिकारियों वह कर्मचारियों के स्वास्थ्य से जुड़े तीन आयाम निर्धारित किए गए हैं - 1.  शारिरीक आयाम, 2.मानसिक आयाम, 3.  सामाजिक आयाम। इनके सामाजिकअतिरिक्त कुछ अन्य, व्यावसायिक, भावनात्मक, पर्यावरणीय आदि। आयाम एक दूसरे से परस्पर जुड़े होते हैं। एक मनुष्य को तभी स्वस्थ कहा जा सकता है जब वह स्वास्थ्य के इन तीनो... Read More

स्वास्थ्य के आयाम (Dimensions of health)

स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाले सभी अधिकारियों वह कर्मचारियों के स्वास्थ्य से जुड़े तीन आयाम निर्धारित किए गए हैं -

1.  शारिरीक आयाम,

2.मानसिक आयाम,

3.  सामाजिक आयाम।

इनके सामाजिकअतिरिक्त कुछ अन्य, व्यावसायिक, भावनात्मक, पर्यावरणीय आदि। आयाम एक दूसरे से परस्पर जुड़े होते हैं। एक मनुष्य को तभी स्वस्थ कहा जा सकता है जब वह स्वास्थ्य के इन तीनों आयाम  से किसी में भी कम ना हो। आयाम एक दूसरे पर निर्भर होने के साथ-साथ एक दूसरे को प्रभावित भी करते हैं। स्वास्थ्य के इन आयामों की व्याख्या इस प्रकार है -

1.​​शारीरिक स्वास्थ्य (physical health)-किसी व्यक्ति का शारीरिक स्वास्थ्य कहीं तत्वों पर निर्भर करता है जैसे जैविक, वातावरणीय घटक, सामाजिक - सांस्कृतिक तत्व आदि।इसमें अच्छा शरीर कद के अनुसार उचित भार, साफ रंग, चमकदार आंखें ,साफ त्वचा और सुंदर बाल शामिल होते हैं। यह व्यक्ति के आवश्यक भाग है जो शारीरिक स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक है। अच्छा स्वास्थ्य पानी के लिए हमारे शरीर के विभिन्न संस्थाओं को अपने कार्य को सुचारू रूप से करना चाहिए शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति को कार्य करते हुए थकावट का अधिक एहसास नहीं होता। व्यक्ति को अपना स्वास्थ्य उन्नत करने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए-

  • व्यक्ति को शारीरिक व्यायाम नियमित रूप से करना चाहिए जिससे उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती रहे।
  • व्यक्ति को अपने शरीर की आवश्यकता के अनुसार पोषण युक्त भोजन ग्रहण करना चाहिए जिससे उसे ऊर्जा प्राप्त होती रहे।
  • व्यक्ति को अपने आंतरिक अंगों की सफाई के लिए निमित्त रूप से अधिक मात्रा में जल पीना चाहिए।
  • व्यक्ति को बिना किसी बाधा के प्रतिदिन कम से कम 6 7 घंटे की नींद लेनी चाहिए।
  • शारीरिक स्वास्थ्य के लिए व्यक्ति को नियमित रूप से सुबह नाश्ता करना चाहिए।
  • व्यक्ति को नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • व्यक्ति को अपनी और अपने परिवार के चिकित्सा जांच नियमित रूप से करनी चाहिए जिससे रोग को प्रारंभिक अवस्था में ही रोका जा सके।

2.मानसिक स्वास्थ्य(mental health)-शारीरिक स्वास्थ्य मानसिक स्वास्थ्य के बिना अधूरा है मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ है तनाव और दबाव से मुक्ति। यदि व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य ठीक है तो उसके मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के मध्य शहर संबंध अच्छा होता है। मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य एक दूसरे को प्रभावित करते हैं। अनेक बार मानसिक स्वास्थ्य व्यक्ति के भावों को समझने में असमर्थ होता है ।मानसिक रूप से वह व्यक्ति स्वस्थ होता है ,जो स्वयं को सुरक्षित तथा सुव्यवस्थित महसूस करता है।मानसिक स्वास्थ्य के लिए व्यक्ति को निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए _

  • व्यक्ति को प्रतीक अवसर को खुले विचार वह दिमाग से सोचना चाहिए।
  • व्यक्ति को अपने जीवन में सदैव सकारात्मक दृष्टिकोण रखना चाहिए विशेष रूप से संघर्ष की अवस्था में विशेष रूप में संघर्ष की अवस्था में।
  • व्यक्ति को अपने लक्ष्य वास्तविक रूप से निर्धारित करनी चाहिए जो उसकी पहुंच में हो।
  • विश्राम अवस्था में व्यक्ति को मानसिक तनाव वह दबाव को दूर रखना चाहिए।

3. सामाजिक स्वास्थ्य (social health)-सामाजिक स्वस्थ व्यक्ति की सामाजिक सुरक्षा पर निर्भर करता है। यदि व्यक्ति सुरक्षित नहीं है तो वह सामाजिक रूप से स्वस्थ नहीं होगा। यह कुछ करो क्रोक पर निबंध निर्भर करता है जैसे जीवन बीमा स्वास्थ्य सेवाएं पेंशन प्रोवाइड फंड संबंधित सुविधाएं आदि। सामाजिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति सैद्धांतिक आत्मनिर्भर वह जागृत होता है। उज्जीवन के प्रति उसका दृष्टिकोण सकारात्मक होता है। सामाजिक स्वास्थ्य के लिए व्यक्ति को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।

  • व्यक्ति को स्वयं की छवि को सकारात्मक बनाना चाहिए।
  • व्यक्ति को सकारात्मक वार्तालाप के कौशल को विकसित करना चाहिए।
  • व्यक्ति को भिन्न-भिन्न व्यक्तियों के मध्य संबंध स्थापित करने चाहिए।
  • व्यक्ति को भिन्न-भिन्न संस्कृत मानदंडों को अपनाना चाहिए।

व्यक्ति को सामाजिक रूप से आत्मनिर्भर होना चाहिए।

​​​​

 

 


Read Full Blog...


सुखासन करने से पहले किन किन सावधानियां को बरतनी चाहिए?


सुखासन करने से पहले किन-किन सावधानियां को बरतनी चाहिए? यदि आपके घुटनों में अथवा नितंबों में कोई चोट हो तो इस आसन को मत कीजिए। यदि आपको स्लिप डिस्क की समस्या हो तो इस आसन को करने के दौरान पूर्ण सावधानियां बरतनी चाहिए। सुखासन करने से पहले ध्यान रखने वाली बातें (Important Notes) 1. सुखासन का अभ्यास सुबह के वक्त किया जाए। वैसे ये बिल्कुल भी जरूरी नहीं है कि इस आसन का खाली पेट ही किया जाए। लेकिन अगर... Read More

सुखासन करने से पहले किन-किन सावधानियां को बरतनी चाहिए?

  • यदि आपके घुटनों में अथवा नितंबों में कोई चोट हो तो इस आसन को मत कीजिए।
  • यदि आपको स्लिप डिस्क की समस्या हो तो इस आसन को करने के दौरान पूर्ण सावधानियां बरतनी चाहिए।

सुखासन करने से पहले ध्यान रखने वाली बातें (Important Notes)

  • 1. सुखासन का अभ्यास सुबह के वक्त किया जाए। वैसे ये बिल्कुल भी जरूरी नहीं है कि इस आसन का खाली पेट ही किया जाए। लेकिन अगर आप इस आसन के बाद किए जाने वाले योगासनों को कर रहे हैं तो जरूरी है कि आपने भोजन कम से कम 4 से 6 घंटे पहले कर लिया हो।

2. ये भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि आसन करने से पहले आपने शौच कर लिया हो और पेट एकदम खाली हो।  


Read Full Blog...


जानिए सुखासन क्या है और इस से क्या लाभ प्राप्त होगे ।


 इसे जानने से पहले इसके बारे में जरूर पढ़ें! सुखासन करने से पहले किन-किन सावधानियां को बरतनी चाहिए?  सुखासन क्या है और इसका लाभ क्या है?    सुखासन (Sukhasana)- इस आसन मे पैरो को सीधा करके बैठ जाए. इसके बाद दाया पैर मोडकर बाए जाघ के अन्दर रखिए. फिर बतया पैर मोडकर दाए जाघ के अन्दर रखिए. हाथो को घुटनो पर टिकाइए.ठोड़ी एक दम सीधी होनी चाहिए. अपने सिर, गदृन व पीठ को सीधा रखिए. आगोश क... Read More

 इसे जानने से पहले इसके बारे में जरूर पढ़ें!

सुखासन करने से पहले किन-किन सावधानियां को बरतनी चाहिए? 

सुखासन क्या है और इसका लाभ क्या है? 

  सुखासन (Sukhasana)-

इस आसन मे पैरो को सीधा करके बैठ जाए. इसके बाद दाया पैर मोडकर बाए जाघ के अन्दर रखिए. फिर बतया पैर मोडकर दाए जाघ के अन्दर रखिए. हाथो को घुटनो पर टिकाइए.ठोड़ी एक दम सीधी होनी चाहिए. अपने सिर, गदृन व पीठ को सीधा रखिए. आगोश को बन्द कर के शरीर को आराम दीजिए. 

सुखासन के लाभ है-

  • यह घुटनो ,पिडली की मांसपेशियो और जाघो को अच्छी मालिश करने मे मदद कर्ता है.
  • यह बिना किसी दद अथवा खिंचाव के मानसिक एव शरीरिक  संतुलन  को बनाए रखता है।
  • यह आसन शरीर को बेहतर बनाने मे भी सहायक है।
  • यह आपका मन शांत कर्ता है।
  • यह रीढ की हड्डी की लंबाई बढाने मे सहायक है।
  • यह आसन मानसिक थकान, तनाव व चिंता को कम करता है।

 


Read Full Blog...


क्या आप जानते हैं पवनमुक्तासन क्या है और इसके लाभ क्या होते हैं? आइए जानें


पवनमुक्तासन क्या है? (pawanmuktasana)-समतल सतह पर पीठ के बल लेट चहिए। अपने पैर इकट्ठे रखिए वह अपने  दोनों बाजू शरीर के बराबर में रखिए ।एक गहरी शवाश लीजिए। जब आप आप स्वस्थ पवनमुक्तासन। बाहर निकले तो अपने दोनों घुटनों को अपनी छाती से लगाइए। इसी समय अपनी जांघो को अपने उदर के साथ दबाइए। अपने हाथ अपनी टांगों के ऊपर। सुभाष को बाहर निकलएकी। और फंसाइए। जब सामान्य रूप से श्वास ले, इस आसन को बनाए रखें।... Read More

पवनमुक्तासन क्या है?

(pawanmuktasana)-समतल सतह पर पीठ के बल लेट चहिए। अपने पैर इकट्ठे रखिए वह अपने  दोनों बाजू शरीर के बराबर में रखिए ।एक गहरी शवाश लीजिए। जब आप आप स्वस्थ पवनमुक्तासन। बाहर निकले तो अपने दोनों घुटनों को अपनी छाती से लगाइए। इसी समय अपनी जांघो को अपने उदर के साथ दबाइए। अपने हाथ अपनी टांगों के ऊपर। सुभाष को बाहर निकलएकी। और फंसाइए। जब सामान्य रूप से श्वास ले, इस आसन को बनाए रखें। जब भी आप श्वास ले तो हर बार थोड़ा सा ग्रिप ढीला कीजिए, शवाश को बाहर निकलिए। लगभग तीन बार बराबर मेंं रॉक एंड रोल करने के पश्चात आसान छोड़ दीजिए।

पवनमुक्तासन के लाभ क्या है -

  • यह आसान पीठ के पिछले भाग में तनाव को कम करता है।
  • यह आसान श्रोणी भाग में रूधिर प्रवाह को बढ़ाता है।
  • यह जांघो ,नितंबों व उदरिय भागों की वसा घटाने में सहायता करता है।
  • इसको करने से आंतों की मालिश होती है और यह पाचन संस्थान के उन अंगों की भी मालिश करता है और यह पाचन संस्थान के उन अंगों की भी मालिश करता है जो गैस के निकलने में मदद करते हैं एवं पाचन को सुधारते हैं। 
  • इसे करने से कब्ज दूर होता है।

पवनमुक्तासन के विपरीत संकेत है-

  • बवासीर से ग्रसित व्यक्ति को इस आसन को करने से बचना चाहिए।
  • गर्भवती महिलाओं को इस आसन का अभ्यास करना चाहिए।

Read Full Blog...



Blog Catgories