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क्या आप जानते हैं पवनमुक्तासन क्या है और इसके लाभ क्या होते हैं? आइए जानें


पवनमुक्तासन क्या है? (pawanmuktasana)-समतल सतह पर पीठ के बल लेट चहिए। अपने पैर इकट्ठे रखिए वह अपने  दोनों बाजू शरीर के बराबर में रखिए ।एक गहरी शवाश लीजिए। जब आप आप स्वस्थ पवनमुक्तासन। बाहर निकले तो अपने दोनों घुटनों को अपनी छाती से लगाइए। इसी समय अपनी जांघो को अपने उदर के साथ दबाइए। अपने हाथ अपनी टांगों के ऊपर। सुभाष को बाहर निकलएकी। और फंसाइए। जब सामान्य रूप से श्वास ले, इस आसन को बनाए रखें।... Read More

पवनमुक्तासन क्या है?

(pawanmuktasana)-समतल सतह पर पीठ के बल लेट चहिए। अपने पैर इकट्ठे रखिए वह अपने  दोनों बाजू शरीर के बराबर में रखिए ।एक गहरी शवाश लीजिए। जब आप आप स्वस्थ पवनमुक्तासन। बाहर निकले तो अपने दोनों घुटनों को अपनी छाती से लगाइए। इसी समय अपनी जांघो को अपने उदर के साथ दबाइए। अपने हाथ अपनी टांगों के ऊपर। सुभाष को बाहर निकलएकी। और फंसाइए। जब सामान्य रूप से श्वास ले, इस आसन को बनाए रखें। जब भी आप श्वास ले तो हर बार थोड़ा सा ग्रिप ढीला कीजिए, शवाश को बाहर निकलिए। लगभग तीन बार बराबर मेंं रॉक एंड रोल करने के पश्चात आसान छोड़ दीजिए।

पवनमुक्तासन के लाभ क्या है -

  • यह आसान पीठ के पिछले भाग में तनाव को कम करता है।
  • यह आसान श्रोणी भाग में रूधिर प्रवाह को बढ़ाता है।
  • यह जांघो ,नितंबों व उदरिय भागों की वसा घटाने में सहायता करता है।
  • इसको करने से आंतों की मालिश होती है और यह पाचन संस्थान के उन अंगों की भी मालिश करता है और यह पाचन संस्थान के उन अंगों की भी मालिश करता है जो गैस के निकलने में मदद करते हैं एवं पाचन को सुधारते हैं। 
  • इसे करने से कब्ज दूर होता है।

पवनमुक्तासन के विपरीत संकेत है-

  • बवासीर से ग्रसित व्यक्ति को इस आसन को करने से बचना चाहिए।
  • गर्भवती महिलाओं को इस आसन का अभ्यास करना चाहिए।

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पश्चिमोत्तानासन क्या है और इसके लाभ क्या होते हैं?


पश्चिमोत्तानासन क्या है और इसके लाभ क्या होते है? पश्चिमोत्तानासन (paschimottanasana )-पैरो को आगे की और फैलाकर जमीन पर बैठ जाइए। उसके बाद अपने दोनों हाथों की उंगलियों से दोनों पैरों के अंगूठों को पकड़िए। स्वास्थ्य धीरे-धीरे निकाल दीजिए वह माथे से अपने घुटनों को छूने का प्रयत्न कीजिए। उसके बाद धीरे-धीरे श्वास लीजिए। अपना सिर ऊपर उठाई तथा पहले वाली दशा में आ जाइए। इस आसन को 10 से 12 बार कीजिए।&nbsp... Read More

पश्चिमोत्तानासन क्या है और इसके लाभ क्या होते है?

पश्चिमोत्तानासन (paschimottanasana )-पैरो को आगे की और फैलाकर जमीन पर बैठ जाइए। उसके बाद अपने दोनों हाथों की उंगलियों से दोनों पैरों के अंगूठों को पकड़िए। स्वास्थ्य धीरे-धीरे निकाल दीजिए वह माथे से अपने घुटनों को छूने का प्रयत्न कीजिए। उसके बाद धीरे-धीरे श्वास लीजिए। अपना सिर ऊपर उठाई तथा पहले वाली दशा में आ जाइए। इस आसन को 10 से 12 बार कीजिए। 

paschimottanasana ke लाभ 

  • यह पेट की गैस को दूर करता है। 
  • यह हड्डियों को शीघ्र टूटने से रोकता है। 
  • यह कब्ज कोदर करता है।
  • यह मासिक धर्म में अच्छा बडी को सही रखता है।
  • यह अस्थमा साइटिका वह पीठ दर्दक सही।
  • इससे मोटापा कम होता है
  • यह उदर के सभी रोगों हेतु लाभदायक होता है।
  • यह चर्म रोग को दूर करता है ।
  • इससे रीढ़ की हड्डी स्वस्थ व लचीली हो जाती है।

विपरीत संकेत-

  • यदि आप बड़े हुए यकृत अथवा दिल्ली अथवा तीव्र अपेंडिसाइटिस से पीड़ित हैं, तो इस आसन को कभी ना करें। 
  • यदि आप अस्थमा अथवा किसी सत्संग संबंधी बीमारी से ग्रसित है तो इस आसन के अभ्यास से बचिए। 
  • यदि आपको पीट या रीड की समस्या है तो इस आसन को विशेषज्ञ के निर्देश में ही कीजिए।

 


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ताड़ासन क्या हैं?


ताडासन क्या हैं? इस आसन का प्रयोग शरीर की लम्बाई बढ़ाने और मांसपेशियों को लचीला बनाने के लिए करते है। यह ताड़ + आसन शब्दों से बना होता है। यहाँ ताड़ का अर्थ ताड़ के पेड़ से है और आसन का अर्थ योग आसन से है। अत: जो आसन शरीर को ताड़ के पेड़ की तरह लम्बा करने में मदद करे या जिसे अपनाने से ताड़ के पेड़ की आकृति बनती हो उसे ताड़ासन कहा जाता है। वैसे संस्कृत में ताड़ को पर्वत का पर्यायवाची भी कहा जाता है... Read More

ताडासन क्या हैं?

इस आसन का प्रयोग शरीर की लम्बाई बढ़ाने और मांसपेशियों को लचीला बनाने के लिए करते है। यह ताड़ + आसन शब्दों से बना होता है। यहाँ ताड़ का अर्थ ताड़ के पेड़ से है और आसन का अर्थ योग आसन से है। अत: जो आसन शरीर को ताड़ के पेड़ की तरह लम्बा करने में मदद करे या जिसे अपनाने से ताड़ के पेड़ की आकृति बनती हो उसे ताड़ासन कहा जाता है। वैसे संस्कृत में ताड़ को पर्वत का पर्यायवाची भी कहा जाता है,जो लम्बाई का प्रतिक होता है।

ताड़ासन करने की विधि :

 

सर्वप्रथम खड़े होकर पैरो के बीच में कुछ फासला लेंगे।

आँखों को किसी बिंदु पर केंद्रित करते हुए हाथों की उंगलियों को आपस में फाँसते हुए सिर के उपर की ओर शरीर की सीध में तानेंगे।

पंजों के बल खड़े होते हुए कुछ सेकेंड रोकते हुए वापिस आएँगे।

5-7 बार दोहरा सकते हैं।

साँस के साथ हाथ उपर ले जाएँ।

साँस निकालते हुए हाथ वापिस लाएंं।

सावधानी :

घुटनो के दर्द में यह अभ्यास नही करेंगे।

ताड़ासन करने के फायदे :

यह पैर और पिंडलियों की मासपेशियों में रक्त संचार तेज करता है।

बालक बालिकाओं की लंबाई के लिए फायदेमन्द है।


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ध्यान क्या हैं?


ध्यान  ध्यान एक प्राचीन अभ्यास है जो हज़ारों साल पुराना है। अपनी उम्र के बावजूद, यह अभ्यास दुनिया भर में आम है क्योंकि यह मस्तिष्क के स्वास्थ्य और समग्र कल्याण के लिए लाभकारी है। आधुनिक तकनीक की मदद से, शोधकर्ता इस बात की समझ का विस्तार करना जारी रखते हैं कि ध्यान लोगों की कैसे मदद करता है और यह क्यों काम करता है। ध्यान क्या हैं। ध्यान एक अभ्यास है जिसमें मानसिक और शारीरिक तकनीकों के संयोजन क... Read More

ध्यान 

ध्यान एक प्राचीन अभ्यास है जो हज़ारों साल पुराना है। अपनी उम्र के बावजूद, यह अभ्यास दुनिया भर में आम है क्योंकि यह मस्तिष्क के स्वास्थ्य और समग्र कल्याण के लिए लाभकारी है। आधुनिक तकनीक की मदद से, शोधकर्ता इस बात की समझ का विस्तार करना जारी रखते हैं कि ध्यान लोगों की कैसे मदद करता है और यह क्यों काम करता है।

ध्यान क्या हैं।

ध्यान एक अभ्यास है जिसमें मानसिक और शारीरिक तकनीकों के संयोजन का उपयोग करके अपने मन को केंद्रित या साफ़ किया जाता है।आप जिस तरह का ध्यान चुनते हैं, उसके आधार पर आप आराम करने, चिंता और तनाव को कम करने और बहुत कुछ करने के लिए ध्यान कर सकते हैं। कुछ लोग अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करने के लिए भी ध्यान का उपयोग करते हैं, जैसे कि तंबाकू उत्पादों को छोड़ने की चुनौतियों के अनुकूल होने में मदद करने के लिए इसका उपयोग करना ।


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भुजंगासन क्या है और इसके लाभ क्या हैं?


भुजंगासन क्या है, इसके लाभ और विपरीत संकेत क्या है? भुजंगासन (bhujangasana)-इस आसन में शरीर की आकृति साँप की तरह होती है।अत: आसन को भुजंगासन कहा जाता है।इस आसन को करने हेतु पेट के बाल जमीन पर लेट जाइए अपने हाथ कंधों के पास रखिए।टैंगो को धीरे-धीरे-धीरे-धीरे दिखाया जा सकता है। अब धीरे-धीरे बाजुओं को सीधा करो, छती को ऊपर उठो।आपका सर पिचे की तरफ होना चाहिए।क्या अवस्था में कुछ समय तक रहे, पहले वाली स्थ... Read More

भुजंगासन क्या है, इसके लाभ और विपरीत संकेत क्या है?

भुजंगासन (bhujangasana)-इस आसन में शरीर की आकृति साँप की तरह होती है।अत: आसन को भुजंगासन कहा जाता है।इस आसन को करने हेतु पेट के बाल जमीन पर लेट जाइए अपने हाथ कंधों के पास रखिए।टैंगो को धीरे-धीरे-धीरे-धीरे दिखाया जा सकता है। अब धीरे-धीरे बाजुओं को सीधा करो, छती को ऊपर उठो।आपका सर पिचे की तरफ होना चाहिए।क्या अवस्था में कुछ समय तक रहे, पहले वाली स्थिति में आ जाए।अच्छे परिणमन हेतु आसान को 3 से 5 बार करना चाहिए .

लाभ(benefits)-

शक्ति व स्फूर्ति प्रदान करती है।

इसे मसाने और सम्पन दोष दूर होते हैं

इससे किडनी के रोग दूर होते हैं।

रक्त संचार में वरदी करता है।

कबज अपचन और वायु विकार को दूर करता है।

हाथों की मनपसंद को मजबूत बनाता है।

मेरुदण्ड को पाटला एवं लछिला बनता है।

विपरीत संकेत(contraindications)-

गर्भवती महिलाओं को यह आसन नहीं करना चाहिए।

उन व्यक्तित्वों को जिन्हे पीठ की चोट हरिया सर दर्द या एचएएल ही में सर्जरी हुई हो इस आसन को नहीं करना चाहिए।


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योग के अंग क्या है?


योग के अंग (parts of yoga) अष्टांक योग महर्षि पतंजलि के अनुसर चितवर्ती के निरोध का नाम योग है।इनको योग के आठ अंक बताए हैं।ये है--यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि। इनमें प्रथम पंच को बहिरंग तथा शेष तीन को अंतरंग योग कहा जाता है।   Read More

योग के अंग (parts of yoga)

अष्टांक योग महर्षि पतंजलि के अनुसर चितवर्ती के निरोध का नाम योग है।इनको योग के आठ अंक बताए हैं।ये है--यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि। इनमें प्रथम पंच को बहिरंग तथा शेष तीन को अंतरंग योग कहा जाता है।

 


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योग का महत्त्व


योग का महत्त्व क्या है ? वर्तमान समय में अपनी व्यवस्था जीवन शैली के करण लोक संतोष पाने के लिए योग करते हैं। योग सेना केवल व्यक्तित्व का तनाव दूर होता है बाल्की आदमी और मस्ती को शांति मिलती है। योग ना केवल हमारी मस्ती को ही शक्ति प्रदान करता है बल्कि हमारी आत्मा को भी शुद्ध करता है।आज बहुत से लोग मोटेप से बहुत परेशान हैं, उनके लिए योग बहुत ही लाभदायक है योग के लाभ से आप सभी अवगत हैं अंत है परिणम स्... Read More

योग का महत्त्व क्या है ?

वर्तमान समय में अपनी व्यवस्था जीवन शैली के करण लोक संतोष पाने के लिए योग करते हैं। योग सेना केवल व्यक्तित्व का तनाव दूर होता है बाल्की आदमी और मस्ती को शांति मिलती है। योग ना केवल हमारी मस्ती को ही शक्ति प्रदान करता है बल्कि हमारी आत्मा को भी शुद्ध करता है।आज बहुत से लोग मोटेप से बहुत परेशान हैं, उनके लिए योग बहुत ही लाभदायक है योग के लाभ से आप सभी अवगत हैं अंत है परिणम स्वरूप आज योग विदेश में भी प्रसिद्ध हैं


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Kya hota hai swasthya ka mahatva? Aaiae jaane


Swasthya mahatva Kya hota Hai  Swasthya hamare jivan ka sabse mahatvpurn aayam hota hai. yah hamare sharirik, mansik aur samajik tantu ka santulan hota hai jo hamare jivan ki gunvatta ko prabhavit karta hai. Swasthya Pratek vyakti ke liye avashyak hai. Atah yah kaha Gaya Hai ki swasthya hi dhan hai. Hamen yah bhi Dhyan rakhna chahie ki ek swasth mochi ek bimar Raja se kahin adhik achcha hota... Read More

Swasthya mahatva Kya hota Hai 

Swasthya hamare jivan ka sabse mahatvpurn aayam hota hai. yah hamare sharirik, mansik aur samajik tantu ka santulan hota hai jo hamare jivan ki gunvatta ko prabhavit karta hai.

Swasthya Pratek vyakti ke liye avashyak hai. Atah yah kaha Gaya Hai ki swasthya hi dhan hai. Hamen yah bhi Dhyan rakhna chahie ki ek swasth mochi ek bimar Raja se kahin adhik achcha hota Hai. Vastav mein swasthya Keval vyakti ko prabhavit nahin karta balki jis samaj mein vah rahata hai use sampurn Samaj Ko prabhavit Karta Hai arthat jis samaj mein Ham rahte Hain use per bhi hamare swasthya ka prabhav padta hai. Yadi vyakti swayam ko swasth nahin rakhega to uska jivan khushhal nahin hoga aur Samaj mein vah Apne kartavyon Ko acchi tarah nahin nibha payega.


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Swasthya ke niyam kya hai


Swasthya ke niyam  Swasthya ke niyam nimnalikhit prakar se hai------ 1. Sharir ko shuddh vayu prakar soldier Milana chahie.  2. Sharir ko acche swasthya ke liye paushtik aahar; Jaise -- carbohydrate ,Vasa, vitamin, protein aadi santulit avastha mein Milana chahie. 3. Acche swasthya ke liye vyayam karna chahie.  4. Vyakti ko acche swasthya ke liye adhik garmi aur Sardi Se bachav karn... Read More

Swasthya ke niyam 

Swasthya ke niyam nimnalikhit prakar se hai------

1. Sharir ko shuddh vayu prakar soldier Milana chahie. 

2. Sharir ko acche swasthya ke liye paushtik aahar; Jaise -- carbohydrate ,Vasa, vitamin, protein aadi santulit avastha mein Milana chahie.

3. Acche swasthya ke liye vyayam karna chahie. 

4. Vyakti ko acche swasthya ke liye adhik garmi aur Sardi Se bachav karna chahie. 

5. Vyakti ko समय-समय per Apne sharir ki jaanch karani chahie. 

6. Vyakti ko acche swasthya ke liye apni vyavhar ko sakaratmak Roop se pradarshit karna chahie.


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Swasthya ka arth kya hai aur iski paribhasha kya hai


Swasthya ka Arth  ​​​​Adhikansh vyakti swasthya ke bare mein abhigy hai. Swasthya sambandhi anbhigyta  ke Karan hi vartman kal mein Vishva ke adhikansh log vibhinn sankramak rogon ki chapet mein a jaate Hain .issi Karan logon ke swasthya ke sthar mein giravat ho rahi hai. Vastav mein kisi desh ka utthan tatha Kalyan use Desh mein Rahane wale logon ke swasthya per nirbhar Karta Hai. yadi... Read More

Swasthya ka Arth 

​​​​Adhikansh vyakti swasthya ke bare mein abhigy hai. Swasthya sambandhi anbhigyta  ke Karan hi vartman kal mein Vishva ke adhikansh log vibhinn sankramak rogon ki chapet mein a jaate Hain .issi Karan logon ke swasthya ke sthar mein giravat ho rahi hai.

Vastav mein kisi desh ka utthan tatha Kalyan use Desh mein Rahane wale logon ke swasthya per nirbhar Karta Hai. yadi kisi Desh ke log swasth Hain to yah nishchit Hai ki vah Desh jivan ke vibhinn kshetron mein Pragati ke Shikhar per pahunch sakta hai .yah hamare Desh ke liye durbhagya ki baat hai ki humne abhi tak swasthya ke mahatva Ko nahin samjha hai swasthya Shabd angreji ke shabd "health" ka Hindi rupantaran ha,Jiska Arth Hai swasth avam utsahi. Kaha jata hai ki swachh sharir mein Hi swasth mastishk nivas karta hai.

Adhyay swastika vastvik Arth Hai sharir ke sabhi angon tatha tatvon ka persper santulan samnvayiye tatha unka uchit kriyanvayan ek swasth vyakti pray Rog mukt rahata Hai uska Tan Man swasth hota hai tatha uski sharirik avam mansik kshamtaen uchch star ki hoti hai.

Iske liye kuchh paribhashaen  hai --

1. "Swasthya hi Pratham punji hai." 

2." Swasth sharir mein Hi swasth man vas karta hai. "

3." Swasthya  jivan ka vah gun hai jisse vyakti dirghayu hokar Uttam sevaen pradan karta hai."

4." Sharirik ,mansik tatha samajik Drishti se purnatya sukhi hona Hi swasthya Hai ,Keval Rog ya vikriti se mukt rahana hi swasthya nahin Hai."

5." Swasthya ka Arth, sharir man athva atma ke swachh tatha per sanchit Rahane Vishesh Roop se sharirik Rog ya Dard Se Swatantra Rahane ki dasha hai."


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