Blog by Sanjeev panday | Digital Diary
" To Present local Business identity in front of global market"
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गणना करने की आवश्यकता से उत्पन्न हुआ। प्रारंभिक युग से लेकर आधुनिक युग तक, कंप्यूटर ने मानव सभ्यता के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज के सुपरकंप्यूटर और क्वांटम कंप्यूटर का विकास साधारण गणना उपकरणों से हुआ है। कंप्यूटर के विकास के इस सफर में कई वैज्ञानिकों और आविष्कारकों का योगदान रहा है।
प्रारंभिक गणना उपकरण: कंप्यूटर के इतिहास का आरंभ गणना करने के प्रारंभिक उपकरणों से होता है, जो मानव सभ्यता के शुरुआती चरणों में विकसित हुए।
1. अबेकस (Abacus):
- अबेकस को कंप्यूटर का सबसे प्रारंभिक रूप माना जा सकता है। यह एक सरल गणना उपकरण था, जिसका उपयोग प्राचीन चीन, ग्रीस और रोम में किया जाता था। - यह लकड़ी के ढांचे में मोती और धागों से बना होता था, और इसे जोड़ने, घटाने, गुणा और भाग करने के लिए उपयोग किया जाता था।
2. पास्कलाइन (Pascaline):
- 1642 में ब्लेज़ पास्कल ने एक यांत्रिक कैलकुलेटर का निर्माण किया जिसे पास्कलाइन कहा जाता है। यह जोड़ने और घटाने की क्रियाओं को यांत्रिक रूप से करने में सक्षम था।
3. लिब्निज़ व्हील (Leibniz Wheel):
- 1673 में, गॉटफ्राइड विल्हेम लिब्निज़ ने एक उपकरण विकसित किया जो गुणा और भाग करने में सक्षम था। यह कंप्यूटर के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम था।
यांत्रिक कंप्यूटर (Mechanical Computers): 19वीं शताब्दी में यांत्रिक कंप्यूटरों का विकास हुआ, जो गणना करने में अधिक सक्षम थे।
1. चार्ल्स बैबेज का अंतर इंजन (Difference Engine):
- चार्ल्स बैबेज को "कंप्यूटर का जनक" कहा जाता है। उन्होंने 1822 में अंतर इंजन का आविष्कार किया, जो एक यांत्रिक कंप्यूटर था। - यह बड़ी गणनाओं को यांत्रिक रूप से करने में सक्षम था, लेकिन इसे पूरी तरह से विकसित नहीं किया जा सका।
2. विश्लेषणात्मक इंजन (Analytical Engine):
- 1837 में, बैबेज ने विश्लेषणात्मक इंजन का डिजाइन तैयार किया, जो एक पूर्ण कंप्यूटर की तरह था। यह गणनाओं को करने और उन्हें संग्रहित करने में सक्षम था। - यह इंजन आधुनिक कंप्यूटर का प्रारंभिक रूप माना जाता है, और इसमें पंच कार्ड का उपयोग किया जाता था।
3. एडा लवलेस का योगदान
- एडा लवलेस, जो बैबेज के साथ काम कर रही थीं, को प्रथम कंप्यूटर प्रोग्रामर माना जाता है। उन्होंने विश्लेषणात्मक इंजन के लिए पहला एल्गोरिद्म लिखा।
विद्युत यांत्रिक कंप्यूटर (Electromechanical Computers): 20वीं शताब्दी की शुरुआत में विद्युत यांत्रिक कंप्यूटरों का विकास हुआ।
1. ज़्यूस 3 (Z3)
- 1941 में, कोनराड ज़्यूस ने जर्मनी में Z3 कंप्यूटर का निर्माण किया। यह पहला प्रोग्रामेबल इलेक्ट्रोमेchanical कंप्यूटर था। - यह बाइनरी नंबरों का उपयोग करता था और इसमें स्विच का उपयोग किया गया था, जिससे यह गणना करने में सक्षम था।
2. ENIAC (Electronic Numerical Integrator and Computer):
- ENIAC को दुनिया का पहला इलेक्ट्रॉनिक जनरल-पर्पस कंप्यूटर माना जाता है। इसे 1945 में अमेरिका में विकसित किया गया था। - यह पूर्ण रूप से डिजिटल था और इसमें बड़ी गणनाओं को करने की क्षमता थी। इसमें 18,000 वैक्यूम ट्यूब्स का उपयोग किया गया था।
ट्रांजिस्टर और एकीकृत सर्किट (Transistor and Integrated Circuit): 1950 और 1960 के दशकों में कंप्यूटर तकनीक में बड़ा बदलाव आया, जब ट्रांजिस्टर और एकीकृत सर्किट का विकास हुआ।
1. ट्रांजिस्टर का विकास:
- 1947 में बेल लैब्स में विलियम शॉक्ली, जॉन बार्डीन और वाल्टर ब्रैटेन ने ट्रांजिस्टर का आविष्कार किया। ट्रांजिस्टर ने वैक्यूम ट्यूब की जगह ले ली, जिससे कंप्यूटर छोटे और अधिक कुशल हो गए।
2. एकीकृत सर्किट (IC):
- 1958 में, जैक किल्बी और रॉबर्ट नोयस ने एकीकृत सर्किट का आविष्कार किया। IC में एक ही चिप पर कई ट्रांजिस्टर होते थे, जिससे कंप्यूटर की प्रसंस्करण क्षमता और बढ़ गई।
आधुनिक कंप्यूटर (Modern Computers): 1970 के दशक में माइक्रोप्रोसेसर के विकास के साथ कंप्यूटर का युग पूरी तरह बदल गया।
1. माइक्रोप्रोसेसर का विकास
- 1971 में, इंटेल ने पहला माइक्रोप्रोसेसर, इंटेल 4004, विकसित किया। यह कंप्यूटर के CPU को एक छोटी चिप में संयोजित करता था, जिससे व्यक्तिगत कंप्यूटर (PC) का विकास संभव हुआ।
2. व्यक्तिगत कंप्यूटर (PC):
- 1970 के दशक के अंत और 1980 के दशक की शुरुआत में, एप्पल और IBM ने व्यक्तिगत कंप्यूटर का विकास किया। एप्पल I, एप्पल II और IBM PC इस युग के प्रमुख उदाहरण थे। - इन कंप्यूटरों का उपयोग आम जनता के लिए संभव हो गया, और यह कंप्यूटर क्रांति का प्रारंभ था।
3. ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (GUI)
- 1980 के दशक में, ज़ेरॉक्स, एप्पल और माइक्रोसॉफ्ट ने GUI का विकास किया। GUI ने कंप्यूटर को उपयोग करने में सरल बना दिया, और यह आम लोगों में लोकप्रिय हुआ।
इंटरनेट और नेटवर्किंग (Internet and Networking): 1990 के दशक में इंटरनेट का विकास हुआ, जिसने पूरी दुनिया को बदल दिया।
1. वर्ल्ड वाइड वेब (WWW)
- 1991 में टिम बर्नर्स-ली ने वर्ल्ड वाइड वेब का आविष्कार किया। यह इंटरनेट पर डेटा एक्सेस करने के लिए एक ग्राफिकल इंटरफेस प्रदान करता है, जिससे जानकारी को पूरी दुनिया में फैलाना आसान हो गया।
1. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)
- AI के क्षेत्र में मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग जैसे नवाचार हो रहे हैं। AI आधारित सिस्टम डेटा प्रोसेसिंग और निर्णय लेने में क्रांतिकारी बदलाव ला रहे हैं।
2. क्वांटम कंप्यूटर
- क्वांटम कंप्यूटर अभी भी विकास के प्रारंभिक चरण में हैं, लेकिन इनसे भविष्य में कंप्यूटिंग की दुनिया में भारी बदलाव की संभावना है। क्वांटम कंप्यूटर जटिल समस्याओं को तेज़ी से हल कर सकेंगे।
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प्रस्तावना कंप्यूटर प्रौद्योगिकी के विकास का अध्ययन करते हुए, हमें इसकी विभिन्न पीढ़ियों के बारे में जानकारी मिलती है, जो 1940 के दशक से शुरू होती हैं। कंप्यूटर की हर पीढ़ी में उल्लेखनीय प्रगति हुई है, जिसने कंप्यूटिंग की दुनिया को पूरी तरह से बदल दिया है। इस लेख में हम कंप्यूटर की सभी पाँच पीढ़ियों को विस्तार से समझेंगे, साथ ही उनके प्रमुख उदाहरणों, तकनीकी विकासों, और प्रभावों की चर्चा करेंगे।
तकनीकी अविष्कार: वैक्यूम ट्यूब्स प्रमुख उदाहरण: ENIAC (Electronic Numerical Integrator and Computer): ENIAC को 1945 में अमेरिकी सेना के लिए विकसित किया गया था और यह पहला सामान्य-उद्देश्य वाला इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर था। इसे 18,000 से अधिक वैक्यूम ट्यूब्स से निर्मित किया गया था और यह लगभग 30 टन वजनी था।
यह पहला व्यावसायिक रूप से उपलब्ध कंप्यूटर था, जिसे 1951 में विकसित किया गया था। UNIVAC ने संयुक्त राज्य अमेरिका की जनगणना के लिए डेटा को प्रोसेस करने में सहायता की थी।
- वैक्यूम ट्यूब्स को स्विचिंग डिवाइस के रूप में उपयोग किया गया था, जो इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल्स को प्रवर्धित और स्विच कर सकते थे। - इन कंप्यूटरों का उपयोग मुख्य रूप से गणना और डेटा प्रोसेसिंग के लिए किया जाता था।
- बड़े आकार के और भारी - अत्यधिक बिजली की खपत - केवल मशीन भाषा (0s और 1s) का उपयोग - धीमी गति और सीमित स्मृति
- बड़ी मात्रा में गर्मी उत्पन्न करने के कारण निरंतर शीतलन की आवश्यकता
- अत्यधिक गर्मी उत्पन्न होने के कारण बार-बार खराब हो जाते थे।
- बहुत अधिक रखरखाव की आवश्यकता होती थी।
- केवल बुनियादी गणना और डेटा प्रोसेसिंग कार्य कर सकते थे।
- ENIAC कंप्यूटर का चित्र जिसमें वैक्यूम ट्यूब्स का उपयोग दिखाया गया हो। - UNIVAC कंप्यूटर का चित्र जिसमें उसके बड़े आकार को दिखाया गया हो।
तकनीकी अविष्कार: ट्रांजिस्टर प्रमुख उदाहरण: IBM 7090: यह कंप्यूटर IBM द्वारा विकसित किया गया था और यह ट्रांजिस्टर आधारित पहला कंप्यूटर था। इसका उपयोग वैज्ञानिक गणना और इंजीनियरिंग कार्यों के लिए किया जाता था। UNIVAC II:
UNIVAC II को UNIVAC I का उन्नत संस्करण माना जाता है और यह ट्रांजिस्टर आधारित था।
- ट्रांजिस्टर, वैक्यूम ट्यूब्स की तुलना में अधिक विश्वसनीय थे, और उन्होंने कंप्यूटरों को और अधिक तेज़ और कम आकार का बना दिया।
- इन कंप्यूटरों में असेंबली भाषा और उच्च-स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषाओं जैसे कि FORTRAN और COBOL का उपयोग किया गया।
- आकार में छोटे और अधिक विश्वसनीय - बिजली की कम खपत - तेज गति और बेहतर स्मृति - उच्च स्तर की प्रोग्रामिंग भाषाओं का उपयोग
- प्रोग्रामिंग के लिए अभी भी विशेष कौशल की आवश्यकता थी। - हार्डवेयर को फिर भी समय-समय पर रखरखाव की आवश्यकता थी।
- IBM 7090 का चित्र जिसमें ट्रांजिस्टरों का उपयोग दिखाया गया हो। - UNIVAC II का चित्र जिसमें इसका उन्नत डिज़ाइन दिखाया गया हो।
तकनीकी अविष्कार: एकीकृत सर्किट्स (ICs) प्रमुख उदाहरण: IBM 360: IBM 360 एक बड़े पैमाने पर उपयोग किए जाने वाला कंप्यूटर था, जिसने व्यावसायिक और वैज्ञानिक उपयोग दोनों में क्रांति ला दी। PDP-8:
PDP-8 को डिजिटल इक्विपमेंट कॉर्पोरेशन द्वारा विकसित किया गया था और यह पहला मिनीकंप्यूटर था जो ICs का उपयोग करता था।
- एकीकृत सर्किट्स (ICs) ने कंप्यूटर के आकार को और भी कम कर दिया और उनकी गति और क्षमता को कई गुना बढ़ा दिया।
- मल्टीप्रोग्रामिंग और मल्टीटास्किंग की सुविधा भी इस पीढ़ी के कंप्यूटरों में देखी गई।
- अधिक विश्वसनीय और तेज़ - छोटे आकार और कम लागत - ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (GUI) का विकास - नेटवर्किंग और दूरसंचार का उभरना
- प्रारंभिक ICs की जटिलता और उत्पादन कठिनाइयाँ - अभी भी कुछ हद तक सीमित स्मृति और गति
- IBM 360 का चित्र जिसमें ICs का उपयोग दिखाया गया हो। - PDP-8 का चित्र जिसमें इसके छोटे आकार और उपयोगिता को दर्शाया गया हो।
तकनीकी अविष्कार: माइक्रोप्रोसेसर प्रमुख उदाहरण: Intel 4004: Intel 4004 पहला माइक्रोप्रोसेसर था जो पूरे कंप्यूटर की CPU को एक ही चिप पर समाहित करता था।
IBM PC:
IBM PC पहला व्यापक रूप से अपनाया गया व्यक्तिगत कंप्यूटर था, जिसने व्यक्तिगत कंप्यूटरों के युग की शुरुआत की।
- माइक्रोप्रोसेसर ने कंप्यूटर के आकार को और भी छोटा कर दिया और उनकी प्रोसेसिंग शक्ति को कई गुना बढ़ा दिया। - व्यक्तिगत कंप्यूटर (PC) का विकास हुआ और ये आम उपयोग में आने लगे। - नेटवर्किंग और इंटरनेट का व्यापक प्रसार इस पीढ़ी का एक महत्वपूर्ण परिणाम था।
- कंप्यूटर का छोटे आकार और उच्च गति - बड़ी स्मृति और स्टोरेज क्षमता
- ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (GUI) और मल्टीमीडिया की सुविधा
- व्यापक रूप से नेटवर्किंग और इंटरनेट का उपयोग
- साइबर सुरक्षा के मुद्दे और वायरस का उदय - तकनीकी अपडेट की निरंतर आवश्यकता
- Intel 4004 का चित्र जिसमें इसका छोटा आकार दिखाया गया हो। - IBM PC का चित्र जिसमें इसका उपयोगिता और डिज़ाइन दर्शाया गया हो।
तकनीकी अविष्कार: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कंप्यूटिंग, नैनोटेक्नोलॉजी प्रमुख उदाहरण: सुपरकंप्यूटर्स: सुपरकंप्यूटर्स का उपयोग बड़े पैमाने पर वैज्ञानिक गणना, मौसम पूर्वानुमान, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए किया जा रहा है। क्वांटम कंप्यूटर्स:
क्वांटम कंप्यूटर्स कंप्यूटिंग की अगली पीढ़ी माने जा रहे हैं, जो अतिसंवेदनशील गणना और डेटा प्रोसेसिंग के लिए प्रयोग किए जाते हैं।
- AI और मशीन लर्निंग ने कंप्यूटरों को और भी स्मार्ट और स्वचालित बना दिया है। - क्वांटम कंप्यूटिंग और नैनोटेक्नोलॉजी ने कंप्यूटरों की प्रोसेस
िंग क्षमता को असीमित बना दिया है।
- मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग की क्षमता - उच्चस्तरीय स्वचालन और बुद्धिमान प्रणाली - क्लाउड कंप्यूटिंग और बड़े डेटा का उपयोग - प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण और उन्नत रोबोटिक्स
- नैतिकता और गोपनीयता से जुड़े मुद्दे - अत्यधिक जटिलता और लागत
- सुपरकंप्यूटर का चित्र जिसमें इसकी विशालता और उपयोगिता दर्शाई गई हो। - क्वांटम कंप्यूटर का चित्र जिसमें इसकी उन्नत तकनीक को दर्शाया गया हो।
कंप्यूटर की प्रत्येक पीढ़ी ने प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाए हैं। भविष्य में, कंप्यूटर की अगली पीढ़ियाँ न केवल हमारी समस्याओं को हल करने में सक्षम होंगी, बल्कि वे उन तरीकों को भी बदल देंगी जिनसे हम जीवन जीते हैं और काम करते हैं।
यह लेख एक व्यापक रूपरेखा प्रदान करता है जिसे आप 10,000 शब्दों में विस्तारित कर सकते हैं। प्रत्येक खंड को विस्तार से समझाते हुए, आप प्रौद्योगिकी, सामाजिक प्रभाव, और कंप्यूटर के विकास के विभिन्न चरणों को जोड़ सकते हैं। यदि आपको किसी विशेष क्षेत्र में अधिक विस्तार या विशिष्ट छवियों की आवश्यकता है, तो कृपया बताएं।
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कंप्यूटर एक इलैक्ट्रॉनिक मशीन है, जो निर्धारित आँकड़ों ( Input) पर दिए गए निर्देशों की शृंखला (Program) के अनुसार विशेषीकृत प्रक्रिया (Process) करके अपेक्षित सूचना या परिणाम (Output) प्रस्तुत करती है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि कंप्यूटर का कोई फुल फॉर्म नहीं होता, यह एक शॉर्ट फॉर्म है | इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि कंप्यूटर का असली फुल फॉर्म क्या है और इसका मतलब क्या होता है इस आर्टिकल का मुख्य उद्देश्य कंप्यूटर का फुल फॉर्म स्पष्ट करना ताकि सभी को सही जानकारी मिल सके !
Common Operating Machine Purposely Used for Technological and Education Research
जैसे की हमें रिसर्च करके ये पता चला की कंप्यूटर के कोई सही फुल फॉर्म नहीं होता है ये एक सिर्फ शब्द है, तो काफी सरे लोग कंप्यूटर के फुल फॉर्म लिस्ट बनाया है वही निचे बताया है। आप अगर इन सभी नाम को कंप्यूटर के फुल फॉर्म के कहते हो तो गलत नहीं होगा।
फर्स्ट जेनरेशन कंप्यूटर्स – बेस्ट ऑन वेक्यूम ट्यूब (1940-1956)
2nd जेनरेशन कंप्यूटर – बेस्ड ऑन ट्रांजिस्टर (1956-1963)
थर्ड जेनरेशन कंप्यूटर्स – बेस्ट ऑन इंटीग्रेटेड सर्किट (1964-1971)
फोर्थ जेनरेशन कंप्यूटर्स – बेस्ट ऑन माइक्रोप्रोसेसर (1971- अभी तक)
5th जेनरेशन कंप्यूटर – अभी चल रहा है, और भविष्य में भी इसी का प्रयोग होगा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के साथ
Computer की वो क्या विसेश्तायें हैं जो की इसे दूसरों से अलग करती है. चलिए इसके विषय में और अच्छे तरीके से जानते हैं।
जैसे की हम जानते हैं की computer बहुत ही तेजी से काम करता है. इसे केवल कुछ ही seconds लगते हैं कोई calculations करने के लिए, जो की हमें करीब कई घंटे ये उससे भी ज्यादा लग सकते हैं।
आपको ये जानकर बड़ा आश्चर्य होगा की computer एक second में करीब 1 millions (1,000,000) की instructions को process कर सकता है या इससे भी ज्यादा।
इसलिए Computer की speed को microsecond (एक second का 10^6 part ) या nanosecond (एक second का 10^9 part) में determine किया जाता है. इससे आप सोच सकते हैं की ये computers कितने fast होते हैं और कैसे ये काम करते हैं।
Computer की degree of accuracy बहुत ही ज्यादा high होती है और प्रत्येक calculation को उसी accuracy के साथ perform किया जाता है. Accuracy Level को determine किया जाता है computer के design के basis पर।
वहीँ computer में जो भी errors होते हैं वो हम इंसानों के लिए होते हैं या फिर inaccurate data के होने से।
एक Computer पूरी तरह से आलस्य से दूर होता है, इसमें tiredness, lack of concentration, fatigue, जैसे humanly emotion नहीं होते हैं. क्यूंकि ये आखिर में एक machine ही होता है. बिना कोई error किये ही ये घंटों काम कर सकता है।
अगर इसमें millions की तादाद में calculations perform किया जाये, तब भी एक computer सभी calculation को समान accuracy के साथ ही perform करेगा।
इसकी यही capability के कारण ये हम इंसानों को मात देता है routine type की work करने में।
इसका मतलब ये की ये अलग अलग प्रकार के काम करने में सक्षम होता है. जैसे की आप अपने computer से एक समय में payroll silps perpare करे रहे होते हैं, वहीँ दुसरे ही वक़्त में आप कोई electric bill बना रहे होते हैं. कोई भी काम आप इसमें कर सकते हैं जो की इसे versatile बनाता है।
Computer में वो खासियत है की वो कितनी भी मात्रा की information या data store कर सकते हैं. कोई भी information को store और recall किया जा सकता है, जब भी आप चाहें तब. इसे कई वर्षो तक safely store किया जा सकता है।
ये user को ऊपर निर्भर करता है की वो कितनी data store करना चाहता है और उसे वो कब retrieve करना चाहता है।
Computer पूरी तरह से एक dumb machine होती है और ये कोई भी कार्य खुद से नहीं कर सकता है, बल्कि इसे प्रत्येक कार्य करने के लिए instruction देना होता है।
और निर्देश देते मात्र ही ये बहुत ही speed और accuracy के साथ अपना कार्य perform करता है. ये आपके ऊपर निर्भर करता है की आप अपने computer से क्या करवाना चाहते हैं।
इसकी खुदकी कोई feelings या emotion, taste, knowledge या experience नहीं होती है. आप भले ही कुछ समय काम करने के बाद थक सकते हैं लेकिन computer कभी भी नहीं थकता है।
Computer की खुदकी in-built memory होती है जहाँ ये बहुत ही बड़ी मात्रा की data को store कर सकती है. इसके साथ आप चाहें तो अपने data को दुसरे secondary storage devices में भी store कर सकते हैं. इसे computer के बहार store किया जाता है और इसे कहीं पर भी store कर सकते हैं।
भारत का पहला कंप्यूटर TIFRAC था। जिसे मुंबई में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च में विकसित किया गया था। इसका पूरा नाम टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च आटोमेटिक कैलकुलेटर है। यह नाम इसे देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने दिया था। प्रारंभ में TIFR पायलट मशीन 1950 के दशक में विकसित की गई थी। आईएएस मशीन डिज़ाइन के आधार पर, अंतिम मशीन का विकास 1955 में शुरू किया गया था और औपचारिक रूप से 1960 में चालू किया गया था। और 1965 तक यह काम करता रहा।
21 जनवरी 1969 को भारत में निर्मित पहला इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर विक्रम साराभाई द्वारा भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) में चालू किया गया था।
साल 1966 में भारत का पहला कंप्यूटर ISIJU विकसित किया गया। ISIJU कंप्यूटर को भारतीय सांख्यिकी संस्थान (Indian Statistical Institute) और कोलकाता की जादवपुर यूनिवर्सिटी (Jadavpur University) ने मिलकर तैयार किया था। ISIJU एक ट्रांजिस्टर युक्त कंप्यूटर था। इस कंप्यूटर का विकास भारतीय कंप्यूटर तकनीक के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण कदम था।
यह "पैरेलल मशीन" का संक्षिप्त रूप है । परम का निर्माण विजय पांडुरंग भटकर ने किया था।
कंप्यूटर का हिन्दी नाम क्या है?
Ans. कंप्यूटर को हिंदी में 'संगणक' कहा जाता है
कंप्यूटर का दूसरा नाम क्या है?
Ans. कंप्यूटर हिन्दी नाम – अभिकलित्र, संगणक, अभिकलक, परिकलक)
एक इनपुट डिवाइस (input device) वह उपकरण है जिसका उपयोग कम्प्यूटर (computer) में डाटा (data) को फीड (feed) करने के लिए किया जाता है। कम्प्यूटर जगत में विभिन्न प्रकार के इनपुट डिवाइसेस उपलब्ध हैं।
कीबोर्ड (Keyboard) अत्यंत सामान्य इनपुट डिवाइस (input device) है। इसमें अनेक छोटे बटन (button) होते हैं जो कीज़ (keys) कहलाते हैं। यह उपयोगकर्ता द्वारा अक्षर, संख्या और कमाण्ड command) को इनपुट किए जाने हेतु उपयोग किये जाते है।
कीबोर्ड विभिन्न साइजों एवं नमूनों में आते हैं तथा कीबोर्ड पर दी गयी (अतिरिक्त) कीज़ की संख्या के आधार पर उनका वर्गीकरण किया जाता है। सामान्यतः अधिकतर कीबोर्ड में 101 कीज़ और विन्डोज़ (windows) कीबोर्ड में 104 अथवा 105 कीज़ होते हैं।
अल्फाबेटिक कीज़ (Alphabetic Keys): कीज़ जिन पर A से Z तक अक्षर अंकित होते हैं
न्यूमेरिक कीज़ (Numeric Keys): कीज जिन पर 0 से 9 तक संख्या अंकित होते हैं
फंक्शन कीज़ (Function Keys): कीज़ जिन पर F1 से F12 तक अंकित होत है
नेविगेशन कीज़ (Navigation Keys): कीज जिन पर
Delete, Insert, Home, End, PageUp, PageDown अंकित होत हैं
↓↑
एन्टर की (Enter Key) :
यह की कम्प्यूटर को कमाण्ड भेजने के लिए उपयोग होता है।
स्पेसबार की (Spacebar Key):
यह कीबोर्ड पर साईज में सबसे लंबी की है। यह शब्दों के बीच स्थान को टाइप (type) करने के लिए उपयोग किया जाता है।
बैकस्पेस की (Backspace Key):
इस की का उपयोग कर्जर के बायीं ओर के अक्षर या संख्या को मिटाने के लिए किया जाता हैं।
शिफ्ट कीज़ (Shift Keys)
: इस की का उपयोग हमेशा अन्य की के साथ अपरकेस (uppercase) अथवा लोअरकेस (lowercase) में कैरेक्टर (characters) को टाइप करने के लिए किया जाता है। यह
/*+, जैसे अन्य विशेष अक्षर (कैरेक्टर्स) टाइप करने के लिए भी उपयोग किया जाता है।
डिलिट अथवा Del की
: इसका उपयोग कर्जर के स्थान पर उपस्थित अक्षर / अंक को मिटाने हेतु किया जाता है।
इन्सर्ट अथवा Ins की
: इस की का उपयोग कर्सर के स्थान पर अक्षर/अंक को इन्सर्ट करने हेतु किया जाता है।
स्कैनर (Scanner) एक इनपुट डिवाइस है जिसके माध्यम से कागज के डॉक्युमेन्ट (document), इमेज और माइक्रो फाइल (micro-files) से सूचना प्राप्त कर कम्प्यूटर में सुरक्षित (स्टोर) किया जाता है। किसी भी टेक्स्ट (Text), ग्राफिक (Graphic), अथवा चित्र को स्कैनर के द्वारा कम्प्यूटर में लाया (फीड किया) जा सकता है। स्कैनर के विभिन्न प्रकार हैं- हैण्डहेल्ड स्कैनर (Hand-held Scanner), फ्लैटबेड स्कैनर (Flatbed Scanner), डेस्कटॉप फिल्म स्कैनर (Desktop Film Scanner), माइक्रो फिल्म स्कैनर (Micro Film Scanner) आदि।
ओ एम आर (ऑपटिकल मार्क रीडिंग एन्ड रिकग्नीशन) (OMR (Optical Mark Reading and Recognition)
बहु विकल्पीय प्रश्नों के उत्तर हेतु विशेष प्रकार के बाक्स वाली उत्तर पुस्तिकाओं, जिसमें गहरे रंग के पेन्सिल या स्याही से चिन्ह बनाकर भरा जाता है, को पढ़कर कम्प्यूटर में फीड करने वाले उपकरण को ओ.एम.आर. अथवा आप्टिकल मार्क रीडर कहते हैं। ये उपकरण प्रकाश किरणों की सहायता से गहरे रंग के चिन्हों को पहचान कर (recognise) कर उन्हें इलेक्ट्रिकल पल्सेस (electrical pulses) में परिवर्तित करते हैं। इस प्रकार के डाक्यूमेन्ट उन क्षेत्रों में प्रयुक्त होते हैं जहाँ दिए गए विकल्प कम हैं एवं उनमें से एक ही विकल्प उसका उत्तर है तथा प्रोसेस किए जाने वाले डाटा की मात्रा अधिक है। उदाहरण के लिए परीक्षाओं में वितरित की जाने वाली बीच वैकल्पिक उत्तर पुस्तिका जिसमें बड़ी संख्या में प्रवेशार्थी भाग लेते हैं
# बाज़ार सर्वेक्षण, जनगणना सर्वेक्षण आदि
# आदेश फार्मस जिसमें कम विकल्प के विषय हों
# कारखाने के मज़दूरों द्वारा कार्य प्रारम्भ एवं समाप्ती समय को अंकित करने वाली टाइम शीट (Time sheets)
ओ सी आर (ऑपटिकल कैरेक्टर रिकग्नीशन) (OCR (Optical Character Recognition)
ऑपटीकल स्कैनर वह उपकरण है जो एक इमेज (image) को रीड (read) करके उसे 0's और 1's में परिवर्तित करके कम्प्यूटर के मेमोरी (memory) में संग्रहीत करने के लिए उपयोग किया जाता है। इमेज हाथ से लिखा, टाइप किया हुआ या प्रिन्ट (pirmt) किया हुआ डाक्युमेन्ट या चित्र हो सकता है।
एम आइ सी आर (मेगनेटिक इंक कैरेक्टर रिकग्नीशन) (MICR (Magnetic Ink Character Recognition))
इस तरीके में विशेष विद्युतीय स्याही के उपयोग से चेक (cheque) जैसे डाक्युमेन्ट पर मानव द्वारा पढ़ने योग्य कैरेक्टरों को प्रिन्ट किया जाता है। यह चेक एक विशेष इनपुट यूनिट के उपयोग से पढ़ा जा सकता है जो विद्युतीय स्याही के अक्षरों को पहचान सकता है। इस तरीके में डाटा को
चेक से फ्लॉपी में डालने की आवश्यकता नहीं है। समय की बचत के साथ यह तरीका सही डाटा एन्ट्री (data entry) को सुनिश्चित करता है तथा अत्यधिक सुरक्षित उपाय है।
माउस (Mouse) एक छोटा उपकरण है जो हाथ में लेकर समतल सतह पर दबाया जाता है। यह कर्सर बनतेवतद्ध को किसी भी दिशा में घुमा/चालित कर सकता है। माउस के अंदर एक छोटा गेंद रखा होता है और वह गेंद माउस के नीचे के छेद से पैड (pad) को छूता है। जब माउस हिलाया जाता है तब गेंद लुढ़कता है। गेंद की यह चाल इलेक्ट्रानिक सिग्नल्स में परिवर्तित करता है और कम्प्यूटर को भेजता है।
विन्डोज़ और ग्राफिकल यूज़र इन्टरफेस (Graphical User Interface (GUI)) एप्लीकेशन्स (applications) का उपयोग करने वाले आधुनिक कम्प्यूटरों में माउस बहुत ही प्रसिद्ध है।
लाइट पेन (Light Pen) एक प्वाइंटिंग डिवाइस है जिसका उपयोग स्क्रीन से किसी फाइल फोल्डर अथवा आइकॉन (icon) को प्वाइंट (point) करके चुनने के लिए किया जा सकता है। यह सीधे स्क्रीन पर चित्र बनाने में भी उपयोग किया जाता है। यह मेन्यू पर आधारित एप्लीकेशन्स के लिए बहुत ही उपयोगी है।
जॉयस्टिक (joystick) कई वीडियो गेम्स (video games) के लिए नियंत्रण उपकरण है। माउस की तरह यह दो दिशाओं में गति को पहचानता है तथा उन्हे सिग्नलों से जोड़ता है। स्टिक वहनीय शैफ्ट (shaft) के द्वारा केबल (cable) में लगा रहता है। यह नीचे समकोण में होते हैं। दो इलेक्ट्रॉनिक उपकरण सिग्नल भेजते हैं जो कर्सर को चलाते हैं। ये सिग्नल शैफ्ट और केबल की स्थिति के आधार पर बदलते हैं।
वेब केमरा (Web camera) स्थिर तथा चलित तस्वीरों को खींचने वाला एक उपकरण है तथा डिजिटल फोटोग्राफिक इमेज (digital photographic image) को संग्रहीत करता है जिसे कम्प्यूटर रीड कर सकता है। इसके बाद आप अपने कैमरे से सीधे इमेजेस को अपने कम्प्यूटर पर भेज सकते हैं। यह इंटरनेट पर वीडियो कॉनफ्रेन्सिंग (video conferencing) के लिए भी उपयोग किया जाता है।
ध्वनि को इलेक्ट्रिकल सिग्नलों (electrical signals) में परिवर्तित करने का उपकरण है जो ध्वनि को रेकार्ड (record) करने के लिए उपयोग होता है। यह अपना प्रभाव विभिन्न तरीकों में उत्पन्न करता है, उदाहरण के लिए विद्युतीय प्रवाह के तीव्रता में परिवर्तन, संवहनीय वस्तु के संपर्क क्षमता में भिन्नता, विशेषतः ध्वनिक कंपन क्रिया के अधीन अनुचित संवहनीय वस्तुएँ।
प्रेषित अथवा दिए गये अनुदेशों के अनुसार कम्प्यूटर डाटा को प्रॉसेस करता है। डाटा प्रॉसेसिंग का परिणाम आउटपुट कहलाता है। विभिन्न आउटपुट डिवाइसेस हैं।
वी डी यू (मोनीटर या वीडियो डिस्प्ले यूनिट) (V.D.U (Monitor or Video Display Unit)
मॉनीटर्स (Monitors) डाटा को प्रत्यक्ष प्रस्तुत करते हैं। यह एक टेलिविजन की तरह दिखाई देता है। प्रारंभ में केवल मोनोक्रोम (monochrome) अथवा श्वेत श्याम मॉनीटर्स थे। धीरे-धीरे ऐसे मॉनीटर विकसित किये गये जो रंगों को प्रदर्शित कर सकते हैं। मॉनीटर्स कई प्रकार के हैं तथा उनकी प्रदर्शन क्षमता भिन्न भिन्न हैं। ये क्षमता एडाप्टर कार्ड (Adapter card) नाम के विशेष सर्किट (circuit) पर आधारित होते हैं। कुछ एडाप्टर कार्ड इस प्रकार हैं-:
कलर ग्राफिक्स एडाप्टर (Color Graphics Adapter (CGA)
एक्स्टेन्डेड ग्राफिक्स एडाप्टर (Extended Graphics Adapter(EGA)
वेक्टर ग्राफिक्स एडाप्टर (Vector Graphics Adapter (VGA)
सूपर वेक्टर ग्राफिक्स एडाप्टर (Super Vector Graphics Adapter (SVGA)
मॉनीटर पर जो सबसी छोटी बिंदु प्रदर्शित की जाती है पिक्सल (pixel) कहलाती है। वर्टिकली (vertically) और हारिजॉन्टली (horizontally) प्रदर्शित किए जाने वाले पिक्सल मॉनीटर को अधिकतम रिजोल्यूशन (resolution) प्रदान करते हैं। मॉनीटर का रिजोल्यूशन प्रदर्शन के गुण का निर्णय करते हैं। रिजोल्यूशन अधिक होने से प्रदर्शन का गुण भी बेहतर होता है। कुछ प्रसिद्ध रिसोल्यूशन 800 x 640 पिक्सल्स, 1024 x 768 पिक्सल्स, 1280x1024 पिक्सल्स हैं।
कीबोर्ड (डाटा इनपुट के लिए) और विजुअल डिस्प्ले यूनिट (वीडीयू डाटा के आउटपुट के लिए) का संघटन टर्मिनल कहलाता है। मल्टी-यूज़र सिस्टम में कई टर्मिनल एक अकेले सी पी यू से कनेक्ट होते हैं।
मॉनीटर पर दर्शाया गया आउटपुट दूसरे स्थान में ले जाकर भविष्य के लिए संग्रहीत करना संभव नहीं है। प्रोसेस की गयी सूचना को कागज पर प्रिन्ट करने के लिए प्रिन्टर का उपयोग किया जाता है। कागज़ पर प्रिन्ट किया गया सूचना आउटपुट की हार्ड कॉपी
(Hard Copy) कहलाती है। प्रिन्टर अक्षर, संख्या और इमेज को प्रिन्ट कर सकते हैं। प्रिन्ट करने के तकनीकी के आधार पर प्रिन्टर को इम्पैक्ट प्रिन्टर (impact printer) और नॉन-इम्पैक्ट प्रिन्टर (non-impact printer) में विभाजित किया जा सकता है।
लेजर प्रिन्टर (Laser printers) अत्यन्त उच्च कोटि के आउटपुट उत्पन्न करते हैं, कीमत अधिक होने पर भी यह खामोश और तेज़ होते हैं। यह एक नॉन-इम्पैक्ट प्रिन्टर है।
इंकजेट प्रिन्टर (Ink-jet printers) सस्ते हैं, काले और सफेद (श्वेत श्याम) या रंगीन प्रिन्ट प्रदान करते हैं जिसमें गुणवत्ता तथा गति कम होती हैं। यह भी एक नॉन-इम्पैक्ट प्रिन्टर है।
डॉट-मैट्रिक्स प्रिन्टर (Dot-matrix printers) आजकल ज्यादा उपयोग में नहीं हैं। तुलनात्मक रुप से वे शोर अधिक करते हैं और गुण भी कम है लेकिन चलाने के लिए सस्ते हैं और प्रारूप प्रतियाँ निकालने के लिए उचित हैं। यह एक इम्पैक्ट प्रिन्टर है।
प्लॉटर्स (Plotters) का उपयोग आकृति तथा ग्राफ (graphs) प्रिन्ट करने के लिए होता है। इन्हें उच्च गुणवत्ता के, सही और स्पष्ट, A3 या उससे बड़े आकार के चित्र बनाने में उपयोग किए जा सकते हैं। इनका उपयोग मकान या कार के पुर्जे बनाने के प्लॉन को प्रिन्ट करना जैसे कम्प्यूटर एडेड डिजाइन (ComputerAided Design(CAD) और कम्प्यूटर एडेड मैन्यूफैक्चर (Computer Aided Manufacture (CAM) के लिए होता है। दो प्रकार के प्लॉटर हैं। वे
# ड्रम प्लॉटर (Drum Plotter)
# फ्लैट बेड प्लॉटर (Flat Bed plotter)
#माइक्रोफिल्म और माइक्रोफिक (Microfilm and Microfiche) ग्राफिक डिस्प्ले डिवाइस (Graphic Display device)
स्पीच आउटपुट यूनिट (Speech output unit)
रोबोट आर्म (robot arm) की तरह के डिवाइस (device) के लिए आउटपुट अनुदेश के रूप में भी हो सकते हैं।
स्टोरेज डिवाइसेस (Storage Devices)
फ्लॉपी और फ्लॉपी डिस्क ड्राइव (Floppy and Floppy Disk Drive (FDD))
फ्लॉपी एक लचीला 3.5 इन्च व्यास का वृत्तीय डिस्क है जो प्लास्टिक (plastic) से लेपा हुआ है और चुंबकीय वस्तु से बना है। यह एक वर्गाकार के प्लास्टिक जैकट (jacket) में रखा जाता है। प्रत्येक फ्लॉपी डिस्क लगभग डेढ़ मिल्लियन कैरेक्टर संग्रहीत कर सकता है।
फ्लॉपी डिस्क पर रेकार्ड किया हुआ डाटा फ्लॉपी डिस्क ड्राइव (floppy disk drive (FDD)) नाम के डिवाइस के उपयोग से कम्प्यूटर मेमोरी में रीड राईट तथा संग्रहीत किया जाता है। फ्लॉपी डिस्क को एफडीडी के एक स्लॉट (slot) में इन्सर्ट (insert) किया जाता है। डिस्क सामान्यतः प्रति मिनट 300 चक्कर काटता है। एक रीडिंग हेड (reading head) ट्रैक (track) को छूता हुआ रखा गया है। चुंककीय स्थान हेड के नीचे चलने पर हेड पर लगे कॉयल में एक वोल्टेज उत्प्रेरित होता है। उत्प्रेरित वोल्टेज की ध्रुविता हेड के नीचे के स्थान के चुंबकत्व की दिशा पर निर्भर करता है। 1 को रीड करते समय वोल्टेज की उत्प्रेरणा ० को रीड करते समय वोल्टेज की उत्प्रेरणा के विपरीत है। हेड कॉयल द्वारा महसूस किए वोल्टेज प्रवर्धित होकर उचित सिग्नल में परिवर्तित होकर कम्प्यूटर के मेमोरी में संग्रहीत होती है।
EVERONH
5%" फ्लॉपी डिस्क
3½" फ्लॉपी डिस्क (आगे और पीछे का व्यू)
फ्लॉपी डिस्क विभिन्न क्षमता के साथ आते हैं जिसे नीचे दर्शाया गया है 54" drive-360 KB, 1.2 MB (1 KB-210-1024 bytes)
3½" drive-1.44 MB, 2.88 MB (1 MB-220 bytes)
डिस्क ड्राइव (Hard Disk Drive (HDD))
हार्ड फ्लॉपी डिस्क जो लचीला और निकाला जा सकता है उसके विवरीत, पी सी में उपयोग किया जाने वाला हार्ड डिस्क है जो स्थाई रूप से लगा रहता है। एक हायर एन्ड पीसी (higher end PC) में उपयोग होने वाले हार्ड डिस्क में अधिकतम संग्रहण क्षमता वर्तमान में 80 GB अथवा अधिक हो सकती है। (Giga Byte; 1 GB 1024 MB = 230 bytes). सीपीयू और हार्डडिस्क ड्राइव के मध्य डाटा स्थानांतरण दर सीपीयू और फ्लॉपी के मध्य डाटा स्थानांतरण की तुलना में बहुत अधिक है। सीपीयू द्वारा डाटा और प्रोग्राम को लोड (load) करने तथा डाटा को संग्रहीत करने के लिए भी हार्ड डिस्क का उपयोग किया जा सकता है। हार्ड डिस्क महत्वपूर्ण इनपुट/आउटपुट डिवाइस है। हार्ड डिस्क ड्राइव के अनुरक्षण अथवा मेन्टेनेन्स पर कोई विशेष
ध्यान देने की आवश्यकता नहीं होती है उसे मात्र धूलरहित और ठंडे वातावरण में चलाया जा चाहिए। (शीतानुकूल वातावरण अपेक्षित है)।
हार्ड डिस्क का बाह्य दृश्य
हार्ड डिस्क का आंतरिक दृश्य
सारांश में, कम्प्यूटर सिस्टम विभिन्न प्रकार के मेमोरीज के समतुल्य रचना-विन्यास से आयोजित है। प्रमुख मेमोरी (RAM) का उपयोग कम्प्यूटर द्वारा निष्पादित किये जाने वाले प्रोग्राम को संग्रहीत करने के लिए होता है। डिस्क का उपयोग बड़े डाटा और प्रोग्राम फाइल्स को संग्रहीत करने के लिए होता है। टेप्स सीरियल एक्सेस मेमोरीज (serial access memories) हैं तथा उनका उपयोग डिस्क से फाइल्स का बैकअप (backup) निकालने के लिए होता है। सी डी रॉम (CD- ROMs) का प्रयोग यूज़र मैन्युअल (manuals), बड़े टेक्स्ट, आडियो और वीडियो डाटा को संग्रहीत करने के लिए होता है।
सीडी और सीडी ड्राइव (CD and CD Drive)
सीडी- रॉम (CD-ROM) कॉम्पैक्ट डिस्क रीड ओन्ली मेमोरी (Compact Disk Read Only Memory) डिस्क के स्पाइरल ट्रैक (spiral tracks) में डाटा को रेकार्ड और रीड करने के लिए लेजर बीम (laser beam) का उपयोग करता है। एक डिस्क में 650 एमबी सूचना को संग्रहीत किया जा सकता है। सीडी रॉम को सामान्यतः बहुत बड़े टेक्स्ट डाटा (जैसे एन्साइक्लोपीडिया) को संग्रहीत करने के लिए उपयोग किया जाता है जो स्थाई रूप में रखा जाता है और कई बार पढ़ा जाता है। आजकल सीडी राइटर्स (CD writers) बाज़ार में मिलते हैं। सीडी राइटर के उपयोग से बहुत सारी जानकारी सीडी रॉम पर लिखी जा सकती हैं और भविष्य के लिए संग्रहीत की जा सकती हैं।
डी. वी. डी (D.V.D)
डिजिटल वर्सेटाइल डिस्क (Digital Versatile Disk) का आकार भी सी डी के ही समान है परन्तु सीडी से सात गुणा ज्यादा डाटा को संग्रहीत करने की क्षमता है। डीवीडी भी दो तरफा या दुगने परत के हो सकते हैं। आजकल अधिकतर डीवीडी पूरी लंबी वाणिज्यिक चलचित्र, अन्य वस्तु जैसे आउटटेक्स (outtakes), निर्देशक की टिप्पणी, पिक्चर की ट्रेलर आदि प्रदर्शित करने के लिए प्रयुक्त होते हैं।
मैग्नेटिक टेप्स (Magnetic Tapes)
चुंबकीय टेप सुप्रसिद्ध संग्रहण माध्यम है जो बड़े कम्प्यूटर सिस्टम में उपयोग होते हैं। डाटा को चुंबकीय टेप पर संग्रहीत करके क्रमशः रीड किया जाता है। चुंबकीय टेप कई रीलों में उपलब्ध हैं। आजकल चुंबकीय टेप छोटे कैसेट के रुप में भी मिलते हैं जो कार्टिज कहलाते हैं।
चुंबकीय टेप ड्राइव का उपयोग एक चुंबकीय टेप से डाटा को रीड और उसमें डाटा को राइट करने के लिए होता है।
टेप ड्राइव (Tape drive)
टेप ड्राइव (Tape drive) एक कम्प्यूटर पेरिफेरल (peripheral) है जो चुंबकीय टेप से रीड और उसमें राइट करता है। ड्राइव एक खुले रील पर टेप या छोटा बंद टेप काट्रिज का उपयोग कर सकता है। प्रत्येक बार किसी फाइल को ढूँढ़ने के लिए टेप मैनेजमेन्ट सॉफ्टवेअर को टेप के शुरू से देखना पड़ता है, प्राइमरी संग्रहण सिस्टम के रूप में उपयोग करने के लिए टेप बहुत ही धीमी है लेकिन अक्सर टेप का उपयोग हार्ड डिस्क का बैक अप करने के लिए किया जाता है।
पेन ड्राइव (Pen Drive)
पेन ड्राइव (pen device) एक यूएसबी फ्लैश मेमोरी ड्राइव (USB flash memory drive) है। पेन ड्राइव यूएसबी फ्लैश डिस्क एक प्लग एण्ड प्ले (plug and play) play) डिवाइस है। किसी भी यूएसबी पोर्ट में प्लग कीजिए और कम्प्यूटर अपनेआप उसे एक रीमूवेबल ड्राइव (removable drive) के रुप में पहचानेगा। पेन ड्राइव आकार में बहुत ही छोटे होते है। इसकी विभिन्न संग्रहण क्षमता है जैसे
16MB, 32MB, 64MB आदि
इस ड्राइव के उपयोग से आप अपने हार्ड डिस्क से पेन ड्राइव और पेन ड्राइव से हार्ड डिस्क में
डाटा को रीड, राइट, कॉपी, डिलीट (delete) और मूव (move) कर सकते हैं। हम सीधे पेन ड्राइव से एप्लीकेशन, वीडियो, एमपी३ फाइल्स, उच्च गुणवत्ता के डिजिटल फोटो चला सकते हैं।
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Content-Based:
1. Ebooks (novels, self-help books, cookbooks)
2. Online courses (coding, cooking, language learning)
3. Stock photos (landscapes, cityscapes, nature)
4. Stock videos (travel, nature, city life)
5. Music (instrumental, vocal, sound effects)
6. Podcasts (true crime, comedy, news)
7. Graphic design templates (logos, business cards, flyers)
8. Website templates (e-commerce, portfolio, blog)
9. Social media templates (Instagram posts, Facebook ads, Twitter banners)
10. Lightroom presets (landscape, portrait, vintage)
11. Photoshop actions (retouching, colour grading, special effects)
12. Procreate brushes (calligraphy, painting, sketching)
13. Fonts (serif, sans-serif, script)
14. Printable art (wall art, greeting cards, colouring pages)
15. Printable planners (daily planner, meal planner, budget planner)
16. Printable stickers (planner stickers, decorative stickers, labels)
17. Printable party decorations (banners, cupcake toppers, invitations)
18. Knitting patterns (sweaters, scarves, blankets)
19. Sewing patterns (dresses, bags, home decor)
20. Crochet patterns (amigurumi toys, hats, blankets)
21. Embroidery patterns (floral designs, quotes, animals)
22. Quilting patterns (traditional blocks, modern designs, applique)
23. Scrapbooking templates (layouts, embellishments, journaling cards)
24. Digital paper packs (floral designs, geometric patterns, textured papers)
25. Clipart sets (floral elements, cute animals, holiday themes)
26. Digital stamps (sentiments, images for colouring, backgrounds)
27. Digital art prints (abstract art, illustrations, photography)
28. Digital stickers for planners and journals (cute animals, motivational quotes, habit
trackers)
29. Digital colouring pages for adults and children (mandalas, animals, landscapes)
30. Digital journaling kits with prompts and templates (gratitude journaling, travel
journaling, daily reflection)
31. Digital cookbooks with recipes and meal plans (vegan, gluten-free, international
cuisine)
32. Digital workout plans with exercises and schedules (HIIT, yoga, strength training)
33. Digital travel guides with itineraries and recommendations (city guides, adventure
travel, cultural experiences)
34. Digital language learning materials with lessons and exercises (grammar lessons,
vocabulary lists, conversation practice)
35. Digital sheet music for various instruments (piano, guitar, violin)
36. Digital sound libraries for music production (drum samples, synth presets, sound
effects)
37. Digital video tutorials on various topics (makeup tutorials, cooking tutorials, DIY
tutorials)
38. Digital magazines on various topics (fashion, travel, technology)
39. Digital comics and graphic novels (superheroes, manga, indie comics)
40. Digital art tutorials and lessons (drawing tutorials, painting tutorials, digital art
tutorials)
41. Digital writing prompts and exercises (creative writing prompts, journaling prompts,
writing exercises)
42. Digital meditation and mindfulness guides (guided meditations, mindfulness
exercises, relaxation techniques)
43. Digital yoga classes with videos and instructions (beginner yoga classes, advanced
yoga classes, yoga for stress relief)
44. Digital tarot readings with personalized interpretations (love tarot readings, career
tarot readings, general tarot readings)
45. Digital astrology charts with personalized interpretations (natal charts, compatibility
charts, transit charts)
46. Digital dream interpretation guides with symbols and meanings (common dream
symbols, dream analysis techniques, dream journaling prompts)
47. Digital guided journaling prompts for self-discovery (personal growth prompts,
self-reflection prompts, goal-setting prompts)
48. Digital vision board templates for goal setting (career goals vision board template,
personal goals vision board template, relationship goals vision board template)
49. Digital gratitude journal templates for daily reflection (daily gratitude journal
template, weekly gratitude journal template, monthly gratitude journal template)
50. Digital habit tracker templates for personal development (daily habit tracker
template, weekly habit tracker template, monthly habit tracker template)
51. Digital affirmations for daily inspiration (positive affirmations, self-love affirmations,
success affirmations)
Functionality-Based:
1. Mobile apps for productivity (to-do list apps, calendar apps, note-taking apps)
2. Mobile apps for fitness tracking (step tracker apps, calorie counter apps, workout
tracker apps)
3. Mobile apps for language learning (vocabulary builder apps, grammar practice apps,
conversation practice apps)
4. Mobile apps for meditation (guided meditation apps, mindfulness exercise apps,
relaxation technique apps)
5. Mobile apps for budgeting (expense tracker apps, savings goal apps, debt payoff
planner apps)
6. Mobile apps for meal planning (recipe organizer apps, grocery list apps, meal prep
planner apps)
7. Mobile apps for photo editing (filter and effect apps, retouching and enhancement
apps, collage maker apps)
8. Mobile apps for video editing (trimming and cutting apps, transition and effect apps,
text and captioning apps)
9. Mobile apps for social media management (post-scheduling apps, analytics and
insights apps, content creation tools)
10. Mobile apps for habit tracking (daily habit tracker app, goal setting app, progress
tracking app)
11. SaaS products for project management (task assignment tools, timeline and
milestone tools, collaboration and communication tools)
12. SaaS products for team collaboration (file-sharing tools, real-time messaging tools,
video conferencing tools)
13. SaaS products for customer relationship management (contact management tools,
sales pipeline tools, customer service tools)
14. SaaS products for email marketing (newsletter creation tools, subscriber management
tools, campaign analytics tools)
15. SaaS products for social media marketing (post-scheduling tools, audience targeting
tools, engagement analytics tools)
16. SaaS products for search engine optimization (keyword research tools, on-page
optimization tools, backlink analysis tools)
17. SaaS products for website analytics (traffic analysis tools, conversion tracking tools,
behaviour analysis tools)
18. SaaS products for e-commerce management (product listing tools, order
management tools, payment processing tools)
19. SaaS products for inventory management (stock level tracking tools, order fulfilment
tools, supplier management tools)
20. SaaS products for human resources management (employee record-keeping tools
payroll processing tools benefits administration tools)
21. Marketplaces for freelance services (graphic design services, writing services,
programming services)
22. Marketplaces for handmade goods (jewellery, clothing, home decor)
23. Marketplaces for vintage items (clothing, furniture, collectables)
24. Marketplaces for digital art (printable art, digital illustrations, digital paintings)
25. Marketplaces for stock photos and videos (landscape photos, cityscape photos,
nature videos)
26. Marketplaces for music licensing (instrumental music, vocal music, sound effects)
27. Marketplaces for website templates and themes (e-commerce templates, portfolio
templates, blog templates)
28. Marketplaces for graphic design assets (logo templates, business card templates,
flyer templates)
29. Web-based games with in-app purchases (puzzle games, strategy games, adventure
games)
30. Web-based virtual reality experiences (virtual tours, virtual art exhibits, virtual
concerts)
31. Web-based augmented reality experiences (virtual try-on tools, virtual home design
tools, virtual product demos)
32. Web-based educational platforms with interactive lessons (math lessons, science
lessons, history lessons)
33. Web-based language learning platforms with AI tutors (grammar lessons,
vocabulary lessons, conversation practice)
34. Web-based art creation platforms with collaborative features (drawing tools,
painting tools, animation tools)
35. Web-based music creation platforms with collaborative features (instrument
samples, synth presets, collaboration tools)
36. Web-based writing platforms with AI assistance (grammar-checking tools,
style-checking tools, writing prompts)
37. Web-based design platforms with AI assistance (logo design tools, business card
design tools, flyer design tools)
38. Web-based video editing platforms with AI assistance (trimming and cutting tools,
transition and effect tools, text and captioning tools)
39. Web-based photo editing platforms with AI assistance (filter and effect tools,
retouching and enhancement tools, collage maker tools)
40. Web-based project management tools with AI assistance (task assignment tools,
timeline and milestone tools, collaboration and communication tools)
41. Web-based team collaboration tools with AI assistance (file-sharing tools, real-time
messaging tools, video conferencing tools)
42. Web-based customer relationship management tools with AI assistance (contact
management tools, sales pipeline tools, customer service tools)
43. Web-based email marketing tools with AI assistance (newsletter creation tools,
subscriber management tools, campaign analytics tools)
44. Web-based social media marketing tools with AI assistance (post-scheduling tools,
audience targeting tools, engagement analytics tools)
45. Web-based search engine optimization tools with AI assistance (keyword research
tools, on-page optimization tools, backlink analysis tools)
46. Web-based website analytics tools with AI assistance (traffic analysis tools,
conversion tracking tools, behaviour analysis tools)
47. Web-based e-commerce management tools with AI assistance (product listing tools,
order management tools, payment processing tools)
48. Web-based inventory management tools with AI assistance (stock level tracking
tools, supplier management tools, order fulfilment tools), supplier management tools)
49. Web-based human resources management tools with AI assistance (employee
record-keeping tools, payroll processing tools, benefits administration tools)
50. Web-based virtual event platforms with interactive features (virtual conference tools,
virtual trade show tools, virtual networking tools)
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भारत में ई-कॉमर्स कारोबार जोरदार तेजी से बढ़ रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में मौजूदा दौर में ई-कॉमर्स का करीब 16 अरब डॉलर का मार्केट है. 2021 तक इसके 64 अरब डॉलर के लेवल पर पहुंचने की संभावना है. मतलब अगले 4 साल में इसका मार्केट 4 गुना बढ़ने वाला है. ऐसे में कॉमर्स मार्केट ने भारत में कमाई के कई मौके भी पैदा किए हैं. आप ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ घर बैठे अपना बिज़नेस चला सकते हैं. आज हम आपको अमेजन के साथ बिजनेस पार्टनर बनकर प्रोडक्ट बेचने की पूरी जानकारी दे रहे हैं. सेलर बनने का मौका- इसके लिए आपको कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट करना होगा. कंपनी आपके प्रोडक्ट को अपनी बेसाइटट पर लगाएगी और बिकने के बाद पैसा आपके अकाउंट में पहुंच जाएगा.
ऐसे बनें अमेजन के सेलर्स
(1) इसके लिए आपको services.amazon.in पर क्लिक करना होगा.
(2) सर्विस के टैब पर क्लिक करें- यहां आप सर्विस के टैब को क्लिक करें. इसके भीतर आपको sell-on-amazon के टैब को क्लिक करना होगा.
(3) ऐसे करें रजिस्ट-आपके पास रजिस्टर का ऑप्शन आएगा. यहां आप नाम मेलआईडी और पासवर्ड के जरिए आपना अकाउंट जनरेट कर सकते हैं.
(4) अपनी फर्म और कंपनी की जानकारी दें- इसके बाद आपके पास नया पेज जाएगा, जहां आपको अपनी कंपनी और अकाउंट से जुड़ी डीटेल भरनी होगी.
(5) एक छोटा सा इंटरव्यू और बन गए सेलर- कुछ और जरूरी डीटेल भरने के बाद आपको अमेजन के साथ एक छोटा सा इंटरव्यू देना होगा. इसके बाद आपके पास डैशबोर्ड का ऑप्शन आएगा. यहां आप अपने सामान अपलोड करिए और बिजनेस शुरू.
सेलर बनने के बाद करें ऐसे बेचें अपने प्रोडक्टस
(1) पहला कदम : अमेजन.इन पर प्रोडक्ट को लिस्ट करें- रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी करने के बाद आप अपने प्रोडक्ट्स एक-एक कर या बल्क में लिस्ट कर सकते हैं. आपको केवल वेब आधारित टूल से बल्क में आइटम अपलोड करना होगा और आप सेल करने के लिए तैयार हो जाएंगे. (2) दूसरा कदम : कस्टमर्स देखेंगे और आपके प्रोडक्ट्स खरीदेंगे- अपने प्रोडक्ट्स को लिस्ट करने के बाद लाखों कस्टमर्स अमेजन.इन पर आपके प्रोडक्ट्स को देख सकते हैं. शॉपिंग के हिसाब से अमेजन प्रोडक्ट्स की खरीदारी और पेमेंट को आसान बना देगा.
(3) तीसरा कदम : हमें डिलिवर करने दें या आप खुद डिलिवर करें- अमेजन आपको ई-मेल के जरिए जानकारी देगा कि आपके प्रोडक्ट के लिए ऑर्डर लिया गया है. आपको केवल अपना प्रोडक्ट पैक कर कस्टमर के पास पहुंचाना है. आप अमेजन के फुलफिलमेंट सर्विस और अमेजन ईजी शिप या एफबीए का फायदा उठा सकते हैं. जहां अमेजन प्रोडक्ट पैक करके डिलिवर करेगी.
(4) चौथा कदम : अमेजन से मिलेगा आपको पेमेंट- अमेजन की फीस काटने के बाद आपका पेमेंट बैंक अकाउंट में डिपॉजिट किया जाएगा. पेमेंट की जानकारी आपको ई-मेल के जरिए मिलेगी. अमेजन. इन वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, रेफरल फीस 8 फीसदी से लेकर 15 फीसदी प्रति आइटम है. इसके अलावा, विभिन्न प्रोडक्ट कैटेगरी के हिसाब से 1 से 2 डॉलर की रेफरल फीस है.
(5) ऑनलाइन प्रोडक्ट सेल करने का फायदा- देश भर में कारोबार फैलाने का मौका. कस्टमर्स को शॉपिंग का बेहतर अनुभव मिलने से सेलर्स को अपनी ब्रांड वैल्यू बढ़ाने में मदद मिलती है. लाखों कस्टमर्स तक एक क्लिक से पहुंचने का मौका. सुरक्षित और समय पेमेंट का भुगतान. प्रोडक्ट लिस्ट कराने के लिए कोई फीस नहीं देनी होगी. आपको केवल प्रोडक्ट बेचने पर भुगतान करना होगा. (लिमिटेड पीरियड ऑफर) वेबसाइट पर स्टोर्स खोलने के लिए कोई अपफ्रंट कॉस्ट नहीं होता. ई-कॉमर्स कंपनी के वेयरहाउस का इस्तेमाल कर सकते हैं.
buy supplies. For most small businesses, buying supplies
Amazon एक बहुत ही प्रसिद्ध company है जिसको १९९४ में Jeff Bezos द्वारा बनाया गया था| अगर आप amazon के साथ Business करना चाहते है मतलब आप Amazon के ज़रिये अपने Products बेचना चाहते है तो ये पोस्ट आपके लिए है| इस हम जानेंगे की Amazon Seller कैसे बनते है और अपने खुद के products को amazon के ज़रिये कैसे बेच सकते है|
जो लोग बहुत भारी मात्रा में अपने products का निर्माण करते है उनको ऐसा लगना ज़ाहिर से बात है की वो अपने products को ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पोहोंचा सके| amazon पर seller बनने का और एक अच्छा फायदा है की आप अपने products को सिर्फ भारत में हे नही बल्कि बहुत सारे देशों में पोहोंचा सकते हो| अगर आप भारत के बहार भी अपना product बेचना चाहते हो तो आपको Import Export code की ज़रुरत पड़ सकती है तो आप पहले से ही इसके बारे में जानकारी ले ले| अब हम जानते है की amazon पर seller बनने के लिए क्या करना होगा उअर amazon पर seller बनने के फायदे क्या है|
Benefits of Become Amazon Seller
अब हम जानेंगे की amazon seller बनने के फायदे क्या है और amazon seller program आपको किस तरह से फायदेमंद होगा|
सबसे पहला और सबसे बेहतरीन फायदा यही है की आपका बनाया हुआ product ज्यादा से ज्यादा देशों के लोगों तक पोहोंचेगा मतलब product खरीदने वालो की संख्या भी बहुत बढ़ेगी, और अगर खरीदने वालो की संख्या बढ़ेगी तो आपकी Income भी बढ़ेगी|
अब आपको अपना product बेचने के लिए किसी Salesmen की ज़रुरत नहीं पड़ेगी और साथ ही साथ आपको अपने product की Advertisement करने की भी कोई ज़रुरत नहीं होगी| ये सब काम amazon अपनी तरफ से करता है इसके लिए आपको किसी दुसरे व्यक्ति की ज़रुरत नहीं पड़ती|
अगर आपका product अच्छा होगा और आपके customer को आपका product पसंद आएगा तो amazon review system की मदत से वो customer आपके product के बारे में अच्छा लिखेगा और जब भी कोई नया customer product खरीदने आएगा तब वो review देख कर आपके Brand पर भरोसा करके आपके पास से product खरीद लेगा|
amazon पर seller बनने के लिए आपको दस्तावेजों की आवश्यकता हो सकती है तो कृपया आप इसके बारे में जान ले ताकि आपको आगे की प्रक्रिया करने में आसानी रहे| साथ ही साथ amazon पर seller बनने के लिए इन चीजों की भी ज़रुरत होगी|
Taxpayer Identification Number [TIN]
1.अब आपको निचे दिए हुए लिंक पर जाना है और Register Now पर क्लिक करना है|
अब आपको अपना नाम, ईमेल और पासवर्ड डाल के "Create Your Amazon Account" पर क्लिक करना है.
2. अब आपको अपने "business" का नाम लिख के "continue" पर क्लिक कर देना है|
3. अब आपको अपना Mobile Number लिख के SmS द्वारा verify कर लेना है|
4. उसके बाद आपको अपनी Information, Tax Details और कुछ सवाल पूछे जायेंगे और इसके बाद आपका पूरा process ख़तम होगा| ये सब अगर आप ठीक से करते है तो आपका amazon seller account approve हो जायेगा और फिर आप अपने products ऑनलाइन बेच पायेंगे|
Read Full Blog...GST यानी 'Sale एवं Service Tax' एक अप्रत्यक्ष कर प्रणाली है जिसमें वस्तुओं के Sale-Purchage पर और सेवा क्षेत्र में पूरे देश में एक समान कर लागू होगा। इसके लागू होने से 17 प्रकार के केंद्रीय और राज्य स्तर पर लगाए जाने वाले करों से मुक्ति मिल जाएगी।
इसमें विभिन्न वस्तुओं पर 0% से 28% तक का टैक्स लगेगा जो देश के हर कोने में सामान रूप से लागू होगा। यह प्रणाली भारतीय अर्थव्यवस्था में एक राष्ट्रीय बाजार की अवधारणा पर आधारित है।
1) वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाले कुल 40 प्रकार के अप्रत्यक्ष कर और सेस से मुक्ति मिल जाएगी। इसके बदले हमें सिर्फ वस्तु एवं सेवा कर(Gst) देना होगा।
2) Service Tax, Sale Tax, मनोरंजन कर, Purchase Tax, सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी, लग्जरी टैक्स आदि अब नहीं देना होगा।
3) Gst के लागू होने से जरूरी चीजे सस्ती होंगी,जिसके कारण मुद्रा स्फीति में गिरावट आएगी।
4) 81% प्रतिशत वस्तुओं पर Gst की दर 18% या उससे कम होगी। Gst के तहत गुड़, दूध, अंडा, दही, नमक जैसी रोजमर्रा की जरुरी चीजों में कोई भी कर देय नहीं होगा।
5) Gst को ऑनलाइन कनेक्टिविटी से जोड़ा गया है, जिसके कारण कारोबार में पारदर्शिता आएगी और भ्रष्टाचार या कर चोरी करना असंभव हो जायेगा।
6) 20 लाख से कम की वार्षिक बिक्री वाले छोटे व्यापारियों को Gst से छूट दी जाएगी।
अगर आप एक Businessman है और GST को बहुत अच्छे से समझना चाहते है कैसे आप अपने कारोबार को GST के नियम फॉलो करके बड़ा कर सकते है
1) बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं को 15% स्लैब से निकाल कर 18% कर दिया जायेगा जिसके कारण यह सेवाएं महंगी हो जाएंगी|
2) इसमें केंद्र और राज्य दोनों सरकार द्वारा हर कारोबार पर नियंत्रण होगा, जिसके तहत कंप्लायंस कीमत में वृद्धि होगी।
3) भुगतान की क्रिया ऑनलाइन कनेक्टिविटी के द्वारा होगी, इस प्रणाली से अभ्यस्त न होने के कारण छोटे व्यापारियों को दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है।
4) कुछ अर्थशास्त्रियों का कहना है कि जीएसटी के लागू होने से रियल स्टेट बाजार पर बुरा असर पड़ेगा। नये मकानों की कीमत में 8% तक की वृद्धि होगी।
5) उड्डयन उद्योग को इससे नुकसान होगा। हवाई सफर पर लगने वाले 6-9% तक के सर्विस टैक्स की जगह अब जीएसटी के तहत 15% या उससे अधिक कर देय होगा।
6) कार, एयरकंडीशनर, रेफ्रीजिरेटर, चाकलेट और हर प्रकार की औद्योगिक इंटरमीडिएटरी पर 28% की दर लगेगी जो विश्व में किसी भी देश द्वारा लगायी गयी सबसे ज्यादा दर है।
अगर अभी भी GST से जुड़ा आपका कोई सवाल है तो कमेंट करके पूछ सकते है दोस्तों हमें उम्मीद है कि अगर कोई आपसे जीएसटी के बारे में पूछेगा तो आप घुमा फिराकर या फिर जवाब देने से बचेंगे नहीं। बल्कि हमारे आज के विषय को पढ़कर लोगों को भी Gst के प्रति जागरूक करेंगे।
Read Full Blog...कैसे करे अपने startup idea का सही चुनाव, कैसे आप अपने आइडिया से लोगो को हेल्प दे सकते है कैसे काम करना चाहिये आपका बिज़नेस idea ये सब बात आपके साथ इस post में करेंगे.
आज का समय इंडिया में startup का समय है हर कोई अपना बिज़नेस, अपनी कंपनी, अपनी वेबसाइट बनाना चाहता है. बहुत अच्छी बात है सबको करना चाहिए जिससे हमारा भारत देश पुरे संसार में आगे बढ़ सके और पूरी दुनिया में इंडिया अपना लोहा मनवा सके इसके लिए भारत सरकर भी बहुत सपोर्ट कर रही है Startup India के माध्यम से.
बहुत सारे लोग रोजाना 1000 काम करते है, बिज़नेस स्टार्ट करते है, वेबसाइट लांच करते है, कंपनी खोलते है किन्तु उन हजारो में से 1 या 2 की लोग सफल हो पाते है. बाकी लोग फैल हो जाते है क्यूँ?
ऐसा क्यूँ होता है. इस आर्टिकल में हम आपको point to point समझाने की पूरी कोशिश करेंगे की आप अपनी business, startup, company में फैल ना हो, अगर आप अपने startup में फैल नहीं होना चाहते है तो हमारे बताये गये पॉइंट्स के according अपने बिज़नेस, स्टार्टअप का सिलेक्शन करे हमे पूरी आशा है फिर आप fail नहीं होंगे.
आइये, बात करते है उन बिंदु पर जो मदद करेंगे आपको आपका business idea खोजने में.
यहाँ एक बात आपको बताना चाहते है आप कोई भी idea का selection करे, अपने आस पास हो रही गति-विधि से मिलता जुलता example ले ताकि आपको सारी चीजे अच्छे से clear रहे क्या problems है और क्या solutions क्योंकि idea वही होता है जो दिक्कतों को हल करे.
1) पेन पॉइंट क्या है What is the pain point
जब कोई भी founder किसी भी नये idea को लेकर मार्किट में आता है तो उसके पीछे एक दर्द भरी दास्तान होती है जो खुद फाउंडर ने झेली होती है क्योंकि कोई भी आइडिया बिना लॉजिक के काम नहीं करता है. कोई भी खोजकर्ता जब किसी idea की खोज करता है जो लॉजिक उसके आइडिया में होता है तो उस टाइम वो इंसान उस प्रॉब्लम से जूझ रहा होता है उस वक़्त उसको जो पेन/दर्द होता है उससे एक आइडिया निकल कर आता है.
Friends, इसी प्रकार जब आप किसी startup idea के बारे में सोचते हो तो आपके दिमाग में उससे जुड़े पेन point होने चाहिये फिर आप कैसे उन्हें हल करेंगे ये सब आपके concept के लिए बहुत जरुरी है.
2) ये किन लोगो के काम आयेगा Who is this for
आप जो आइडिया अपने mind में सोच रहे है ये idea किस तरह के लोगो के काम आयेगा. क्या मेरा आइडिया businessman लोगो के काम आयेगा, क्या मेरा आइडिया सिर्फ बहुत अधिक पढ़े लिखे लोगो के काम आयेगा, मेरा आइडिया सिर्फ city वालो के लिये है, मेरा आइडिया सिर्फ 35 साल से ऊपर के लोगो के लिये है इत्यादि.
ये आपको फिगर आउट करना होगा कि मेरा startup idea कैसे लोगो के काम आयेगा. हो सके तो ऐसा idea सोचे जो हर age, group, गांव, शहर सबके काम आये.
3) आपका सॉल्यूशन क्या है What is the Solution
जो भी आपका आइडिया होगा वो मार्किट में क्या सॉल्यूशन देगा, किस तरह देगा ऑनलाइन देगा या ऑफलाइन देगा. लोगो को घर-घर जाकर solutions देगा या जिस तरह से आप उसे डिजाईन करना चाहते है वो picture आपके दिल और दिमाग को बहुत साफ़-साफ़ दिखाई देनी चाहिये.
4) कोई इस काम को पहले से कर रहा है Before doing any
अपने startup को start करने से पहले आपको एक मार्किट research करनी होगी, कि जो idea आप लॉच करने जा रहे है कही वो पहले से मार्किट में तो नहीं है ये बहुत जरुरी है आपकी अपनी समझ के लिये. इसके लिये आप अपने कुछ trustable लोगो से बात करे internet पर सर्च करे newspaper में देखे आपको एक idea हो जायेगा की जो काम आप शुरू कर रहे है वो मार्किट है या नहीं.
5 क्या आपका सॉल्यूशन दुसरो से अलग है Is your solution different
एक important बात कभी भी किसी के idea की copy ना करे ऐसा करना आपको फायदा का सौदा नहीं रहेगा क्योंकि जब कोई idea design होता है तो उसे design करने वाला ही उसकी सारी जानकारी रखता है. आप जो बिज़नेस आइडिया या कंपनी स्टार्ट करने की सोच रहे है उसके लिये बेहद जरुरी है कि आपकी company या business आइडिया दूसरे लोगो के idea से अलग कैसे लोगो को सॉल्यूशन देगा फिर अगला step ले.
6) क्या में ग्राहक से पैसे चार्ज कर सकता हूँ What can I charge
ये आपके startup idea पर depend करता है आपका business idea मार्किट में कैसे काम करता है कैसे लोगो के काम आ रहा है उनकी दिक्कतों को कितना solve कर रहा है, आपका idea customers को पसंद आ रहा है या नहीं उनके काम को easy बना रहा है या नहीं. अगर आपका बिज़नेस idea ये सब कंडीशन customers की fulfil करता है तो आप बड़े आराम से ग्राहकों से पैसे चार्ज कर सकते है.
कितने पैसे चार्ज कर सकते है? ये आपके बिज़नेस एरिया पर निर्भर करता है आपका मार्किट कैसा है लोग कैसे है उस एरिया की फाइनेंसियल कंडीशन कैसी है इन सबके हिसाब से पैसे चार्ज करे.
हमे पूरी आशा ये जो 6 पॉइंट्स हमने आपको बताये है की कैसे आपके startup idea को choose करने में आपके बहुत काम आयेंगे. यदि आपके दिमाग में आपभी कोई idea चल रहा है जो आप start करना चाहते है तो अभी इन 6 points के according कैलकुलेट करे आपका काम आसान हो जायेगा.
हमे कमेंट करके बताये How to Get Startup Idea कैसे चुने स्टार्टअप आइडिया, पोस्ट आपको कैसी लगी आपके कितना काम आयी ये सब हमे आपकी कमेंट देखकर बहुत ख़ुशी मिलती है. धन्यवाद
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