Blog by Khushi prerna | Digital Diary
" To Present local Business identity in front of global market"
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क्या ध्यान लगाने से बदलती है आपकी ज़िंदगी
सेहतमंद कौन रहना नहीं चाहता. आजकल तो फ़िटनेस के लिए लोगों का क्रेज़ भी ख़ूब बढ़ गया है.
यहां तक कि देश के प्रधानमंत्री मोदी अक्सर अपने भाषणों में सेहत पर ध्यान देने की बात करते नज़र आते हैं. वो ख़ुद भी नियमित रूप से योग करते हैं.
तमाम देशों में योग बेहद लोकप्रिय हो रहा है. फ़िटनेस के प्रति लोगों की बढ़ती दीवानगी ने इसे करोड़ों का बिज़नेस बना दिया है.
दरअसल बदलते जीवनस्तर के चलते दिमाग़ी सुकून कहीं खो गया है. चौबीसों घंटे काम करने के इस दौर ने रोज़गार के मौक़े तो ख़ूब दिए.
लेकिन, बदले में चैन और सुकून की नींद छीन ली. आज लगभग हर इंसान एक ख़ास बीमारी का शिकार है जिसका नाम है तनाव. इससे छुटकारा दिलाने के नाम पर तरह-तरह के ढकोसले भी हो रहे हैं. सभी को ध्यान और योग की सलाह दी जाती है. कुछ हद तक ये फ़ायदेमंद है भी.
तनाव दूर करने में ध्यान कितना कारगर?
1971 में अमरीकी सेना के जवान स्टीफ़न इसलस वियतनाम के युद्ध से घर लौटे तो काफ़ी परेशान थे. जंग ने उन्हें दिमाग़ी और जज़्बाती तौर पर तोड़कर रख दिया था.
उन्हें अजीब बेचैनी ने घेर लिया था. तभी किसी दोस्त ने उन्हें मेडिटेशन की सलाह दी. ध्यान करने से उन्हें कुछ हद तक फ़ायदा तो हुआ.
लेकिन आज इतने साल बीत जाने के बाद भी जंग की भयानक यादें उन्हें गाहे-बगाहे परेशान करती रहती हैं. स्टीफ़न कहते हैं कि उन्हें ध्यान करने से काफ़ी हद तक राहत मिली थी, लेकिन तनाव से पूरी तरह निजात नहीं.
इस बीमारी की पहचान साल 2000 में लॉस एंजिल्स मेडिकल सेंटर ने की थी. माना जाता है कि कई तरह की ध्यान-साधनाएं चिंता और तनाव के शिकार लोगों के लिए रामबाण का काम करती हैं.
माइंडफुलनेस मेडिटेशन एक तरह की ध्यान-साधना है जो कि आजकल काफ़ी चलन में है. इसने सेहत के बाज़ार में काफ़ी मज़बूत पकड़ बना ली है.
आज मेडिटेशन करोड़ों डॉलर का कारोबार बन गया है. इस ध्यान साधना के तहत मौजूदा स्थिति पर ध्यान केंद्रित करना होता है. हालांकि ये अभी तक साफ़ नहीं हो पाया है कि इस साधना से दिमाग़ को कितना सुकून मिलता है.
ध्यान साधना का चलन हालांकि हज़ारों साल पुराना है. लेकिन मनोवैज्ञानिकों और दिमाग़ के डॉक्टरों ने चंद दशकों पहले ही इस पर गहराई से रिसर्च शुरू किया है.
ध्यान का दिमाग पर कितना असर
मेडिटेशन का दिमाग़ पर कितना असर होता है ये जानने के लिए दिमाग़ के डॉक्टरों ने भी रिसर्च की है.
इनके मुताबिक़ दिमाग़ का विकास भले ही एक उम्र में आकर रूक जाता है लेकिन उसके आकार-प्रकार और तंत्रिकाओं में बदलाव हमेशा ही होते रहते हैं.
इंसान जैसे-जैसे नए हुनर सीखता है, उसका दिमाग़ उसी हिसाब से बदलता रहता है. उसमें नई तंत्रिकाएं जुड़ती रहती हैं. लेकिन मेडिटेशन से आए बदलाव कितने स्थाई होते हैं, ये कहना मुश्किल है.
जर्मनी में टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ़ म्यूनिख के रिसर्चर ब्रेट्टा हॉलज़ल और अमरीका के मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल की रिसर्चर सारा लेज़र का कहना है कि मेडिटेशन दिमाग़ में याददाश्त वाले हिस्से को मज़बूत बनाने में मददगार होती है.
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मेडिटेशन दिमाग पर कैसे करता है असर, 8 हफ्तों में आता है ये बदलाव
दुनिया के कई वैज्ञानिकों ने मेडिटेशन प्रकिया के कई तरह के टेस्ट किए हैं. स्टडी में पाया गया कि मेडिटेशन करने वालों के दिमाग, स्वास्थ्य ज्यादा बेहतर तरीके से काम करता है. वहीं, जो लोग मेडिटेशन प्रैक्टिस नहीं करते हैं, उनका दिमाग ज्यादा भटकता है. इसके अलावा उनको स्ट्रेस भी कम होता है.
बढ़ती उम्र के साथ-साथ व्यक्ति के जीवन में परेशानियां भी बढ़ती हैं. किसी के जीवन में तो परेशानियां इतनी बढ़ जाती हैं, कि उनसे छुटकारा पाने के लिए शख्स खुद को खत्म ही कर लेता है. लेकिन, एक ऐसी चीज है जिससे न सिर्फ मानसिक तनाव कम होता है बल्कि आप पॉजिटिव महसूस करने लगते हैं. मेडिटेशन, यानी ध्यान लगाने का अभ्यास. भारत में आज से नहीं बल्कि कई दशकों से ध्यान की परंपरा चली आ रही है. हजारों सालों से लोग कई वजहों से मेडिटेशन करते आ रहे हैं. इसमें दार्शनिक और धार्मिक वजह भी शामिल
दुनिया के कई वैज्ञानिकों ने मेडिटेशन प्रकिया के कई तरह के टेस्ट किए हैं. इसे आधुनिक उपकरणों और साइंटिफिक तरीकों से टेस्ट किया गया. इसके जो परिणाम सामने आए वो चौकाने वाले थे. स्टडी में पाया गया कि मेडिटेशन करने वालों के दिमाग, स्वास्थ्य ज्यादा बेहतर तरीके से काम कर रहे थे, बजाए एक ऐसे आदमी के जो मेडिटेशन नहीं करता है. लेकिन सवाल ये, कि ऐसा क्या बदल जाता है मेडिटेशन करने वालों के दिमाग में?
नहीं भटकता दिमाग
एक टेस्ट किया गया जिसमें, कुछ लोगों को विशेष तरह का फोन दिया गया. पूरी दिन में उनसे कुछ सवाल पूछे गए. फाइनल रिपोर्ट में पाया गया कि लगभग 47% समय लोगों का दिमाग भटकता रहता है. यानी व्यक्ति कर कुछ रहा होता है लेकिन दिमाग में पिचर कुछ और ही चल रही होती है. यही भटका हुआ मन न खुशी पैदा करता है. यानी एक तरीके से देखा जाए तो हमारा ही दिमाग हमारा दुश्मन बन जाता है. मेडिटेशन प्रैक्टिस लगातार प्रक्रिया है. यानी इसे लंबे समय के लिए, लगातार करने से ही फायदा मिलता है. जो मेडिटेट करने की शुरुआत कर रहे हैं, उन्हें 8 हफ्ते लगते हैं, इसका असर दिखने में.
स्टडीज में क्या मिला?
मेडिटेशन अपने दुश्मन दिमाग तो दोस्त बनाने की एक निंजा तकनीक मानी जाती है. भटके हुए मन को एक जगह एकाग्र करने में मदद करती है. मेडिटेशन का असर जानने के लिए साइंटिस्ट ने कई स्टडीज की. इसमें सामने आया कि जो लोग मेडिटेशन करते हैं उनके दिमाग में स्ट्रेस ज्यादा समय तक टिकता नहीं है. यानी वो ज्यादा फोकस्ड रहते हैं. वो अपने जीवन में होने वाली छोटी-छोटी निगेटिव बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं, जिससे वो फोकस में बने रहते हैं.
दिमाग पर क्या असर पड़ता है?
मेडिटेशन हमारी बुद्धि में एक और अहम भूमिका निभाता है. एक स्टडी में पाया गया है कि जो बच्चे मेडिटेशन करते हैं उनका दिमाग ज्यादा अच्छे से काम करता है. उन्हें पढ़ाई की चीजें अच्छे से और लंबे समय तक याद रहती हैं. मेडिटेशन से व्यक्ति का डिसीजन मेकिंग भी अच्छा होता है.
मेडिटेशन व्यक्ति के सोशल बिहेवियर के लिए भी जिम्मेदार होता है. ऐसा भी माना गया है कि मेडिटेशन से व्यक्ति के दिमाग के अंदर के सेल्स जो दया, हमदर्दी, और लर्निंग से जुड़े होते हैं, वो ज्यादा बेहतर तरीके से काम करते हैं.
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अच्छा जीवन जीने के लिए ध्यान करना बहुत जरूरी है। यदि आप चाहते हैं कि आप शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के साथ ही मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहें तो प्रतिदिन ध्यान करें। ध्यान करने का मन बनाना, उसके विषय में सोचना बहुत आसान है लेकिन उसे खुद से करना इतना आसान नहीं होता है। कई सारे लोगों को ध्यान करते समय तरह-तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे कि बेचैनी होना, मन न लगना आदि। अगली स्लाइड्स में बताए गए नियमों का यदि आप पालन करेंगे तो आप जल्दी ही सही ढंग से ध्यान करने लगेंगे।
कई बार हम सही ढ़ग से मेडिटेशन इसलिए भी नहीं कर पाते हैं क्योंकि हम गलत समय का चयन कर लेते हैं। ध्यान करने के लिए हर समय ठीक नहीं होता है। ध्यान के लिए सही समय सुबह 4 बजे से शाम 4 बजे तक होता है। इसके पीछे कारण यह है कि इस समय सूर्य और पृथ्वी के बीच 60 डिग्री का कोण बनता है। इस दौरान ध्यान करने से पीयूषग्रंथि और शीर्षग्रंथि पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। जिस वजह से ध्यान में पूरा मन लगता है।
बहुत जरूरी है कि आप जिस जगह ध्यान कर रहे हैं, उस जगह को अच्छे से देख लें क्योंकि हर जगह ध्यान नहीं हो सकता। यदि आप बिस्तर पर बैठकर शयनघर में मेडिटेशन करते हैं तब तो आपका मन नहीं ही लग सकता है इसलिए किसी ऐसे स्थान पर ध्यान करें, जहां पर शांति, सकारात्मक ऊर्जा और पर्याप्त रोशनी हो
कई लोगों को मेडिटेशन करते वक्त इसलिए भी समस्या आती है क्योंकि उनके बैठने का तरीका गलत होता है जिस वजह से उनके शरीर पर अलग- अलग जगह दबाव बनता है और उनका ध्यान भंग होता है। इसलिए जब भी ध्यान करने बैठें तो रीढ़ की हड्डी को सीधा रखकर एकदम सीधे बैठें। ढीलेढाले कपड़े पहनें और कंधों और गर्दन को अधिक न तो तानें और न ही बहुत अधिक ढीला भी न छोड़ें।
Read Full Blog...ध्यान: अपनी स्मरण शक्ति और बुद्धि बढ़ाएँ
इस डिजिटल युग में, जब हर कोई जल्दी में या अपने स्मार्टफोन पर व्यस्त रहता है, तो सूचनाओं और विचारों, विभिन्न प्रकार के शोर, गतिविधियों और कामों से अभिभूत होना आसान है। नतीजा? हम ज़्यादातर दिनों में तनावग्रस्त रहते हैं, हमारा दिमाग बहुत ज़्यादा काम करता है और हमारा स्वास्थ्य खराब होता है।
तनाव से निपटने के बहुत से तरीके हैं, और उनमें से एक है ध्यान। ध्यान मन को प्रशिक्षित करने के लिए किया जाता है, हमें वर्तमान क्षण में वापस लाता है और हमें न केवल खुद के लिए बल्कि अन्य लोगों के लिए भी शांत और दयालु होने का अवसर देता है।
माइंडफुलनेस मेडिटेशन
पिछले कुछ सालों में माइंडफुलनेस मेडिटेशन बहुत लोकप्रिय हो गया है। इसका उद्देश्य आपको तनाव कम करने और शांति और स्थिरता में सुधार करने में मदद करना है। इस प्रकार के ध्यान में, अभ्यासकर्ता बिना किसी निर्णय के वर्तमान क्षण पर ध्यान केंद्रित करता है।
एक आम गलत धारणा यह है कि ध्यान में मन को खाली करना शामिल है, लेकिन वास्तव में यह हमें शारीरिक संवेदनाओं, विचारों और भावनाओं पर ध्यान केंद्रित करना सिखाता है ताकि हम उन्हें अधिक स्पष्टता से देख सकें।
अपनी याददाश्त और IQ बढ़ाने के लिए ध्यान करें
ध्यान तनाव कम करने, रक्तचाप कम करने और मूड को बेहतर बनाने में फायदेमंद है। हालाँकि, क्या आप जानते हैं कि नियमित रूप से ध्यान करने से आपकी याददाश्त और IQ भी बढ़ सकती है?
अपनी याददाश्त बढ़ाएँ
कॉन्शियसनेस एंड कॉग्निशन में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि जिन प्रतिभागियों ने चार दिनों तक 20 मिनट तक ध्यान लगाया, उनमें तनाव का स्तर कम हुआ और साथ ही उनकी याददाश्त और संज्ञान में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ। जिन लोगों ने ध्यान लगाया, उन्होंने वर्किंग मेमोरी टास्क में भी 10 गुना बेहतर प्रदर्शन किया।
एक अन्य अध्ययन में, यूसी सांता बारबरा के शोधकर्ताओं ने पाया कि माइंडफुलनेस मेडिटेशन के मात्र दो सप्ताह से भी कम समय में कार्यशील स्मृति क्षमता, पढ़ने की समझ और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में महत्वपूर्ण सुधार हो सकता है। आप इस फोकस को CFI के वित्तीय मॉडलिंग और मूल्यांकन विश्लेषक (FMVA™) प्रमाणन कार्यक्रम के साथ विश्व स्तरीय वित्तीय विश्लेषक बनने की दिशा में काम करने के लिए निर्देशित कर सकते हैं।
अपनी IQ बढ़ाएँ
एसोसिएशन फॉर एप्लाइड साइकोफिजियोलॉजी एंड बायोफीडबैक के न्यूरोफीडबैक डिवीजन के पूर्व अध्यक्ष सिगफ्रीड ओथमर ने इस विषय पर न्यूरोफीडबैक शोध किया। परिणामों से पता चला कि जिन प्रतिभागियों ने ध्यान लगाया, उनकी IQ में औसतन 23 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।
इसका एक कारण यह है कि गहन ध्यान मस्तिष्क की गतिविधि को धीमा कर देता है। धीमी मस्तिष्क तरंगों के साथ, मस्तिष्क खुद को पुनर्गठित करने की अपनी क्षमता बढ़ाता है। जब आप अपने मस्तिष्क को थोड़ा आराम देते हैं, तो यह खुद को बेहतर बनाता है।
बस अपनी सांस को नियंत्रित करने से कॉर्टिसोल नामक तनाव हार्मोन कम हो जाता है। जब मन भटकता है, तो यह नकारात्मक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है, जिससे तनाव हो सकता है। ध्यान के साथ, मन कम सक्रिय होता है और इसलिए तनाव का स्तर कम होता है।
ध्यान का प्रयास करें
ध्यान करने की कोशिश करना चाहते हैं? शुरू करने के कई तरीके हैं। अगर आप डिजिटल तरीके से ध्यान करने जा रहे हैं, तो हेडस्पेस ऐप पर विचार करें, जो आपको प्रक्रिया के दौरान मार्गदर्शन कर सकता है। यह आपको अपनी प्रगति को ट्रैक करने में भी सक्षम बनाता है। आप खुद भी अभ्यास कर सकते हैं। अपनी आँखें बंद करके बैठें, फिर अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करें। आप कुछ सुखदायक संगीत भी सुन सकते हैं।
अतिरिक्त संसाधन
अपने दिमाग को तरोताजा करके खुद को बेहतर बनाने की दिशा में काम करें। कॉर्पोरेट फाइनेंस इंस्टीट्यूट कई तरह के कोर्स और संसाधन उपलब्ध कराता है, जो आपको सीखने और अपने करियर को आगे बढ़ाने में मदद कर सकते हैं!
Read Full Blog...वर्कप्रेशर से बिगड़ रही है Mental Health, तो आज से ही रोज सुबह करना शुरू कर दें मेडिटेशन
क्या आप भी दनभर अपने काम में ही बिजी रहते हैं और तनाव व एंग्जायटी से परेशान हैं? तो रोज सिर्फ 5 मिनट मेडिटेट करने से आपको ऐसी कई परेशानियों को दूर करने में मदद मिलेगी। मेडिटेशन आपको कई शारीरिक और मानसिक लाभ (Benefits of Meditation) पहुंचाता है। आइए जानें रोज 5 मिनट मेडिटेट करना आपकी सेहत के लिए काफी फायदेमंद है।
वर्कप्रेशर और बिजी लाइफस्टाइल के कारण तनाव और एंग्जायटी की समस्या बढ़ जाती है।
1 मेंटल हेल्थ के लिए रोज 5 मिनट मेडिटेशन करना शुरू करें।
2 मेडिटेशन शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए फायदेमंद है।
हमारी लाइफस्टाइल इतनी व्यस्त हो चुकी है कि शांति से बैठकर खाने तक का समय हमारे पास नहीं है। ऐसे में मेंटल हेल्थ (Mental Health) का ख्याल रखना किसी चुनौती से कम नहीं है। काम का बढ़ता प्रेशर और अपने लिए समय न निकाल पाने की वजह से कई लोग कितनी ही तरह की बीमारियों का शिकार हो जाते हैं, जिनमें हार्ट डिजीज, हाई ब्लड प्रेशर, डिप्रेशन और एंग्जायटी शामिल हैं।
इसलिए अपने दिन में से ज्यादा नहीं तो कम से कम 5 मिनट तो आपको अपने लिए निकालना ही चाहिए। इस समय आपको किसी और के साथ नहीं, बल्कि खुद के साथ वक्त बिताना चाहिए और इसके लिए मेडिटेशन (Benefits of Doing Meditation for 5 Minutes) से बेहतर विकल्प क्या हो सकता है। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि क्यों रोजाना 5 मिनट मेडिटेशन करना आपके लिए फायदेमंद है।
1 तनाव और चिंता को कम करता है
मेडिटेशन करने से स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल के स्तर को कम करने में मदद मिलती है। जब आप मेडिटेट करते हैं, तो आप अपने विचारों को शांत कर सकते हैं और आज में पूरी तरह से मौजूद हो सकते हैं। ये तनाव और एंग्जायटी से राहत दिलाता है और आपको शांत और सहज महसूस करने में मदद करता है।
2 मेंटल क्लेरिटी और फोकस करने की क्षमता बढ़ाता है
नियमित रूप से मेडिटेशन करने से आपकी मेंटल क्लेरिटी और फोकस करने की क्षमता में सुधार होता है। जब आप मेडिटेट करते हैं, तो आप अपने दिमाग को शांत कर सकते हैं और परेशान या बेचैन करने वाले विचारों से दूर रह सकते हैं। यह आपको ज्यादा फोकस्ड और प्रोडक्टिव बनने में मदद करता है।
3 नींद की गुणवत्ता में सुधार करता है
रोज मेडिटेशन करने से करने से आपकी नींद की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है। जब आप मेडिटेट करते हैं, तो आप अपने दिमाग को शांत कर सकते हैं और तनाव और चिंता को कम कर सकते हैं। ये आपको नींद न आने की समस्या या खराब नींद जैसी परेशानी से बचाने में मदद करता है।ॉ
4 इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है
मेडिटेशन करने से आपकी इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद मिल सकती है। मेडिटेशन कॉर्टिसोल हार्मोन के लेवल को कम करता है, जिससे इम्यून सिस्टम की गतिविधि को बढ़ावा मिलता है। ये आपको बीमारियों से बचाने में मदद कर सकता है।
5 इमोशनल स्टेबिलिटी को बढ़ाता है
मेडिटेशन करने से आपकी इमोशनल स्टेबिलिटी को बढ़ावा मिल सकता है। इससे आप अपनी भावनाओं को ज्यादा बेहतर तरीके से सकते हैं और उन्हें बिना किसी रिएक्शन के स्वीकार कर सकते हैं। यह आपको भावनात्मक उतार-चढ़ाव से बेहतर तरीके से निपटने में मदद करता है।
6 ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करता है
मेडिटेशन करने से हाई ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद मिल सकती है। इससे स्ट्रेस हार्मोन कम होता है, जिससे ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद मिलती है। ये हार्ट डिजीज के रिस्क को कम करने में भी मदद कर सकता है।
7 सेल्फ अवेयरनेस को बढ़ाता है
मेडिटेशन करने से सेल्फ अवेयरनेस हासिल करने हासिल करने में मदद मिलती है। जब आप ध्यान करते हैं, तो आप अपने विचारों, भावनाओं और शरीर के बारे में ज्यादा जागरूक होते हैं। यह आपको अपने बारे में ज्यादा समझने और एक्सेप्टेंस हासिल करने में मदद करता है।
Read Full Blog...हमेशा तनाव में रहते हैं तो रोजाना करें 10 मिनट Meditation, मिलेंगे कई हैरान करने वाले फायदे
मेडिटेशन दिमाग की शांति के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसे करने से ऐसे कई फायदे मिलते हैं जिनके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे। इसलिए रोजाना सिर्फ 10 मिनट मेडिटेशन करने से भी आपकी मेंटल हेल्थ का ख्याल रखने (Meditation Benefits) में मदद मिलती है। इसलिए अपनी मानसिक सेहत का ख्याल रखने के लिए आपको रोजाना मेडिटेशन जरूर करना चाहिए।
मेडिटेशन करना हमारी मेंटल हेल्थ के लिए फायदेमंद है।
1 इससे तनाव कम होता है और मानसिक शांति मिलती है।
2 रोजाना 10 मिनट मेडिटेशन करना प्रोडक्टिविटी भी बढ़ती है।
Benefits: आजकल की भागदौड़ भरी जिदंगी में लोग अपनी फिजिकल हेल्थ का तो ख्याल रख लेते हैं लेकिन मेंटल हेल्थ को नजरअंदाज कर देते हैं। मेंटल हेल्थ बनाए रखना फिजिकल हेल्थ ही तरह ही बहुत महत्वपूर्ण होता है। ऐसे मेंथल हेल्थ को बनाए रखने के लिए रोजाना मेडिटेशन करना फायदेमंद रहता है। रोजाना कम से कम 10 मिनट मेडिटेशन करने से व्यक्ति को शांति मिलती है। साथ ही स्ट्रेस दूर करने में भी मदद मिलती है। इसके अलावा मेडिटेशन करने से हार्ट हेल्थ भी सुधरती है और ब्रेन भी शार्प होता है। आइए जानते हैं रोजाना मेडिटेशन करने के क्या फायदे होते हैं
रोजाना मेडिटेशन करने के कई फायदे होते हैं
1 मानसिक शांति
रोजाना मेडिटेशन करने से आपको शांति महसूस होती है। इससे एकाग्रता बढ़ती है। व्यक्ति ऑफस में अच्छे से काम कर पाता है।
2 स्ट्रेस मेनेजमेंट
रोजाना 10 मिनट मेडिटेशन करने से तनाव कम करने में मदद मिलती है जिससे व्यक्ति चिंता मुक्त होकर अच्छे से अपना काम कर पाता है।
3 मानसिक स्वास्थ्य
मेडिटेशन करने ये आपके मानसिक स्वास्थ्य को सुधारता है और आत्मविश्वास को बढ़ाता है। इसलिए रोजाना मेडिटेशन करना शुरु करें।
4 एजिंग
कुछ शोध में इस बात का पता चला है कि रोजाना मेडिटेशन करने से एजिंग के साइड इफेक्ट्स कम होते हैं।
5 नींद न आने की समस्या
रोजाना मेडिटेशन करने से नींद न आने की समस्या भी दूर होती है। जिस व्यक्ति को नींद आने की समस्या है उसे रोजाना कम से कम 20 मिनट मेडिटेशन जरूर करना चाहिए।
6 निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है
रोजाना कम से कम 10 मिनट मेडिटेशन करने से व्यक्ति को निर्णय लेने में आसानी होती है। इससे निर्णायक क्षमता बढ़ती है।
मेडिटेशन करने के कई स्वास्थ्य के लाभ भी है। रोजाना 10 मिनट मेडिटेशन करने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है, ब्लड शुगर लेवल भी कंट्रोल रहता है और तो और पाचन भी दुरुस्त रहता है।
Read Full Blog...दिखने लगे अगर ये 4 बदलाव, तो समझ लें कि मेडिटेशन आपको फायदे की जगह नुकसान पहुंचा रहा है
मेडिटेशन यानि ध्यान करना हमेशा से अच्छा माना जाता है और इसके अनगिनत फायदे होने के कारण सबको इसे करने की सलाह दी जाती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मेडिटेशन करना आपको फायदे की जगह नुकसान भी पहुंचा सकता है। शायद ही किसी ने आपको इससे होने वाले नुकसान के बारे में बताया होगा। तो, मेडिटेशन से क्या नुकसान होते हैं, जानते हैं...
मेडिटेशन, जिसे ध्यान भी कहा जाता है, मानसिक शांति और आत्मा-विश्लेषण के लिए एक सुरक्षित तरीका है।
गहरे ध्यान के दौरान कई लोगों के अवचेतन मन में दबी पुरानी भावनाएं उभर सकती हैं, जिससे मानसिक असंतुलन और चिंता हो सकती है।
दीर्घकालिक मेडिटेशन कुछ व्यक्तियों में भावनात्मक अस्थिरता या शून्यता की भावना उत्पन्न कर सकता है।
मेडिटेशन करते समय प्रशिक्षित गुरु या विशेषज्ञ की सलाह लेना महत्वपूर्ण है ताकि संभावित नुकसानों से बचा जा सके।
मेडिटेशन, जिसे ध्यान भी कहा जाता है, मानसिक शांति पाने और आत्मा-विश्लेषण करने का एक सुरक्षित तरीका माना जाता है। ध्यान इतना फायदेमंद है कि कभी किसी ने इसके नुकसान के बारे में सोचा ही नहीं। परन्तु कुछ मामलों में मेडिटेशन के कुछ नकारात्मक प्रभाव या नुकसान भी हो सकते हैं। वो नुकसान किस प्रकार आपको नजर आ सकते हैं,
1 मानसिक असंतुलन और चिंता
कुछ व्यक्तियों के लिए, मेडिटेशन मानसिक शान्ति या स्थिरता की जगह मानसिक असंतुलन या चिंता का कारण बन सकती है। असल में गहरे ध्यान के दौरान कई लोगों के दिमाग में अवचेतन मन में दबी पुरानी बातें और दबी हुई भावनाएं उभर जाती हैं, जो उन्हें तनावपूर्ण या असुविधाजनक बना देती हैं। ऐसे में ध्यान करना उन्हें नुकसान पहुंचाने लगता है।
2. शारीरिक असुविधा
मेडिटेशन के दौरान गलत तरीके से आसन लगाकर बैठना या लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठने से शारीरिक असुविधा, जैसे पीठ दर्द, गर्दन दर्द या अन्य शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए कुछ लोगों को कुछ आसन करने से या तो मना कर दिया जाता है या फिर उन्हें किसी एक्सपर्ट से सलाह लेने को कहा जाता है। मेडिटेशन करते समय अधूरी जानकारी के आधार पर अभ्यास करना हानिकारक हो सकता है। किसी प्रशिक्षित गुरु या विशेषज्ञ की सहायता के बिना गलत तरीके से मेडिटेशन करने से मन और शरीर दोनों के लिए खतरे की संभावना बढ़ जाती है।
3. भावनात्मक अस्थिरता
दीर्घकालिक मेडिटेशन कुछ लोगों में भावनात्मक अस्थिरता या शून्यता की भावना उत्पन्न कर सकता है। यह समस्या उन लोगों में अधिक होती है जो अत्यधिक संवेदनशील होते हैं या जो मेडिटेशन में गहराई से जुड़ जाते हैं। कुछ लोग मेडिटेशन के दौरान कई असहज अनुभव को महसूस कर डर भी जाते हैं। कुछ लोग मेडिटेशन में इतना एकाग्र हो जाते हैं कि उनका दुनिया से कटाव शुरू हो जाता है। हालांकि, कई बार वो भ्रम का भी शिकार हो जाते हैं।
4. अनियंत्रित विचार या नींद की कमी
कुछ व्यक्तियों के लिए, मेडिटेशन के दौरान मन में आने वाले अनियंत्रित विचार और मानसिक अशांति एक समस्या बन सकती है। यह मानसिक स्थिति को और अधिक जटिल बना सकता है और ध्यान को केंद्रित करना कठिन हो सकता है। कई लोगों को मेडिटेशन करने के दौरान रात में नींद आनी बंद हो जाती है। उन्हें ऊर्जा बहुत महसूस होती है लेकिन नींद 3-4 घंटों में ही पूरी होने लगती है। जब ऐसा हो, तो समझ जाइये कि आपके दिमाग के अंदर हलचल शुरू हो गई है अगर आपने ध्यान करना नहीं छोड़ा, तो थोड़े दिन के लिए तो आप नींद न लेने के कारण गंभीर रूप से मानसिक बीमारी का शिकार भी हो सकते हैं।
मेडिटेशन हमेशा किसी प्रशिक्षित गुरु या विशेषज्ञ की सलाह से करें और अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए इसे अपनाएं। सही मार्गदर्शन के साथ ही आप मेडिटेशन के लाभों का पूरा अनुभव कर सकते हैं और संभावित नुकसानों से बच सकते हैं।
Read Full Blog...मेडिटेशन को मुश्किल बना देती हैं ये 6 बाधाएं, जानिये इनसे कैसे निपट सकते हैं आप
मेडिटेशन करना किसी के लिए भी आसान नहीं होता क्योंकि मेडिटेशन करते वक्त कई चीजें परेशान करने लगती हैं। इसे ध्यान प्रतिरोध कहते हैं। ये मानसिक और भावनात्मक अवरोध हैं जो ध्यान की अवस्था को शुरू करना या उसमें बने रहना कठिन बनाते हैं। तो, वो कौन सी 6 सामान्य चुनौतियां हैं जिसका सामना सभी मेडिटेशन करते वक्त करते हैं और उससे कैसे निपटते हैं, चलिए जानते हैं...
ध्यान के दौरान मन का बार-बार भटकना सामान्य है; इसे नियंत्रित करने के लिए सांस पर ध्यान केंद्रित करना मददगार हो सकता है।
सुस्ती या नींद से बचने के लिए ध्यान करते समय बैठकर करना और चेहरे पर ठंडा पानी लगाना फायदेमंद हो सकता है।
ध्यान को समय की बर्बादी समझने के बजाय, इसे दिनचर्या में शामिल करें, भले ही केवल 5 मिनट के लिए ही क्यों न हो।
शारीरिक दर्द या असुविधा से निपटने के लिए आरामदायक मुद्रा अपनाना और हल्के योगासन करना सहायक हो सकता है।
मन चंचल होता है और मेडिटेशन के दौरान उसे एक जगह स्थिर रखना बहुत बड़ी चुनौती होती है। ध्यान के अभ्यास के दौरान, कई लोग विभिन्न प्रकार के मानसिक और शारीरिक प्रतिरोधों का सामना करते हैं। ऐसा होना सामान्य है, लेकिन इससे निपटना उतना आसान नहीं। लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसे टिप्स बता रहे हैं, जिससे आप इन प्रतिरोधों से निपट सकते हैं।
1। बेचैनी और व्याकुलता (Restlessness and Distraction)
ध्यान के दौरान मन का बार-बार इधर-उधर भटकना सामान्य है। कई बार लोगों को शरीर में खुजली होने लगती है, कभी आस-पास की आवाज या वातावरण परेशान कर देती है, तो कभी बैठना मुश्किल लगने लगता है। ऐसे में शरीर में बेचैनी महसूस होती है और ध्यान से मन भटकता रहता है। इससे निपटने का आसान तरीका है कि अपने सांस पर ध्यान केंद्रित करें। सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया को गहराई से महसूस करें। शुरुआत में छोटे समय (5-10 मिनट) से ध्यान करें और फिर धीरे-धीरे बढ़ाएं। यदि सांस पर ध्यान देना मुश्किल हो, तो मंत्र, प्रकाश, या किसी ध्वनि पर ध्यान दें।
2। नींद आना (Drowsiness and Sleepiness)
ध्यान के दौरान सुस्ती या नींद आना भी बहुत आम बात है। कई लोग ध्यान करते वक्त इतने आराम की अवस्था में चले जाते हैं कि उन्हें सुस्ती छाने लगती है। ऐसी स्थिति में लेटकर ध्यान करने की बजाय बैठकर ध्यान करें। ध्यान से पहले ठंडे पानी से चेहरा धो लें। या फिर ऐसा ध्यान करें जिसमें आपको आँखे बंद करने की जरूरत ना हो, जैसे कि कपालभाति प्राणायाम या चलते हुए ध्यान (वॉकिंग मेडिटेशन)
3। समय की बर्बादी (wastage of Time)
कई लोगों को ध्यान करते वक्त मन में यही ख़याल रहता है कि यह समय की बर्बादी है या वे इस समय को प्रोडक्टिव नहीं बना पा रहे हैं। कुछ लोग आलस में या फिर व्यस्त रहने के कारण नियमित ध्यान के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं। ऐसा अगर है, तो दिन में 5 मिनट भी ध्यान करने से लाभ मिलता है। इसलिए, समय के ज्यादा पाबन्द होने के बजाय सुबह या रात में सोने से पहले ध्यान को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। लंबा ध्यान करने के बजाय माइंडफुलनेस का अभ्यास दिन भर करें।
4। शारीरिक दर्द या असुविधा (Physical Discomfort)
कई लोगों को लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठने से दर्द या खिंचाव की समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसे में आरामदायक मुद्रा अपनाएं। यानि कुर्सी पर बैठकर या तकिया का सहारा लेकर ध्यान करें। आप ध्यान से पहले कुछ हल्के योगासन भी कर सकते हैं। शुरुआती चरण में लंबे समय तक न बैठें।
5। नकारात्मक विचार (Negative Thoughts)
ध्यान के दौरान पुराने दुख, डर, या चिंताएं सामने आना आम बात है। कई लोगों के लिए इन समस्याओं के कारण ध्यान एक दर्दनाक अनुभव भी बन जाता है। लेकिन ऐसी स्थिति में अपने विचारों को दबाने की बजाय उन्हें स्वीकार करें और उन्हें गुजरने दें। विचारों को देखें लेकिन उनके साथ जुड़ें नहीं। आप सकारात्मक मंत्र का उच्चारण भी कर सकते हैं, जैसे कि "ओम्" या "मैं शांत हूं।
6। धैर्य की कमी (Impatience)कई लोग ध्यान का तुरंत परिणाम न देखकर निराश हो जाते हैं। ऐसा करना सही नहीं है क्योंकि ध्यान एक अनुभव है, कोई कार्य नहीं। इसलिए परिणाम की अपेक्षा छोड़कर अभ्यास का आनंद लें। अपने अनुभवों को लिखें और समय के साथ हुए बदलाव को पहचानें। याद रखें कि ध्यान एक दीर्घकालिक अभ्यास है और इसके लाभ धीरे-धीरे दिखाई देते हैं।
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गहरे ध्यान में होते हैं कुछ चमत्कारिक अनुभव जो आपको चौंका सकते हैं, जानिये क्या हैं ये और ऐसा अनुभव क्यों होता है
ध्यान में बैठने वाले लोग केवल ध्यान से मिलाने वाले लाभों के बारे में सोचकर ध्यान करते हैं लेकिन जैसे-जैसे वो गहरे ध्यान में उतरते जाते हैं , उनके अनुभव का विस्तार होता जाता है। ये अनुभव उनकी उम्मीदों से कहीं अलग होते हैं। तो, चलिए जानते हैं क्या हैं ये…
जब लगातार अभ्यास से वह गहरे ध्यान में उतरने में सक्षम हो जाता है, तो उसके अनुभव भी बढ़ने लगते हैं
1 ध्यान में अलग-अलग रंगों का दिखाई देना
2 ध्यान में विचित्र दृश्य दिखना
3 ध्यान में शरीर हिलने और हवा में तैरने का अनुभव
4 ध्यान में अलग-अलग आवाजें सुनाई देना
कई लोग जब ध्यान करना शुरु करते हैं, तो ध्यान में अनुभव के तौर पर एकाग्रता, शांति और भावनाओं की स्थिरता से ज्यादा कुछ मिलने की उम्मीद नहीं होती लेकिन ध्यान के अनुभव इस सबसे कहीं ऊपर, अनोखे और चमत्कारिक होते हैं। शुर-शुरु में जब कोई ध्यान करना शुरु करता है, तो उसे केवल आंखों के आगे अंधेरा दिखता है लेकिन जब लगातार अभ्यास से वह गहरे ध्यान में उतरने में सक्षम हो जाता है, तो उसके अनुभव भी बढ़ने लगते हैं और फायदे भी। क्या हैं ध्यान से मिलने वाले चमत्कारिक अनुभव, आईये जानते हैं.
ध्यान में अलग-अलग रंगों का दिखाई देना
जैसा कि मैंने बताया कि शुरु में लोगों को आज्ञा चक्र के बीच यानि भौंहों के बीच केवल अंधेरा नजर आता है लेकिन बाद में गहराई में जाने के बाद उन्हें
अलग-अलग रंग दिखाई देने लगते हैं, जैसे कि लाल रंग, पीला, नीला, सफेद इत्यादि। अध्यात्म में इन सभी रंगों को एक संकेत के रूप में देखा जाता है और सबके दिखने के रंगों के अनुसार अलग-अलग अर्थ होते हैं।
ध्यान में विचित्र दृश्य दिखना
कुछ लोगों को ध्यान में कई दृश्य भी दिखाई देते हैं। कुछ को भंवर दिखाई देता है, कुछ को अंतरिक्ष, कुछ को कोई आध्यात्मिक हस्ती, तो कुछ को नवजात शिशु। अक्सर लोग ध्यान में ये दृश्य देखकर चौंक जाते हैं अथवा घबरा जाते हैं क्योंकि वे इसके लिए तैयार नहीं होते। वो ध्यान में भी ये सोच-सोचकर परेशान हो जाते हैं कि उन्हें ये सब क्यों दिखाई दे रहा है। हालांकि इन सबको भी एक संकेत के रूप में माना जाता है लेकिन सलाह यही दी जाती है कि आप इसपर फोकस ना करें बल्कि ध्यान के लक्ष्य पर फोकस करें। अगर इन दृश्यों के बारे में सोचते रहेंगे, तो ध्यान में आगे नहीं बढ़ पायेंगे।
इस सलाह से जुड़ी एक कहानी है। एक बार एक बौद्ध भिक्षु ध्यान कर रहा था कि उसने ध्यान में भगवान बुद्ध को देखा। उसे लगा ध्यान में गौतम बुद्ध दिख गये, जिनके करीब पहुंचना सभी बौद्धों का लक्ष्य होता है, तो उसका ध्यान सार्थक हो गया। उसने यह बात जाकर अपने गुरु को बताई। उसके गुरु ने उससे कहा कि 'अगर तुम्हें ध्यान में अगली बार गौतम बुद्ध दिखें तो तुम उनपर ध्यान दिए बिना आगे अपने ध्यान के लक्ष्य पर फोकस करना'। वह भिक्षु ने उसका कारण जानना चाहा, तो उसके गुरु ने कहा कि ये सारे दृश्य तुम्हें ध्यान के लक्ष्य से भटकाते हैं क्योंकि तुम इनमें अर्थ ढूंढने लगते हो। इसलिए, अगर ध्यान के अगले चरण पर जाना है, तो तुम्हें ध्यान में कुछ भी दिखे, उसे नजरंदाज कर आगे बढ़ो।
ध्यान में शरीर हिलने और हवा में तैरने का अनुभव
ऐसा चमत्कारिक अनुभव बहुत ही गहरे ध्यान में होता है जहां आप अपने शरीर का अस्तित्व भूल जाते हैं और केवल अपनी आत्मा को अपना अस्तित्व समझते हैं। ऐसे में आपको बहुत हल्का महसूस होता है क्योंकि आपका शरीर आपके लिए नगण्य है और आपको ऐसा आभास होता है कि आपका शरीर जमीन से थोड़ा ऊपर हवा में तैर रहा है। ये अनुभव भी थोड़ा डरावना होता है लेकिन इसमें डरने वाली कोई बात नहीं होती। शरीर में जरूरत से ज्यादा ऊर्जा ग्रहण होने से शरीर में कंपन भी पैदा होने लगती है।
ध्यान में अलग-अलग आवाजें सुनाई देना
बहुत लोगों को ध्यान में अलग-अलग आवाजें भी सुनाई देती है। कुछ लोगों को ऊँ की आवाज सुनाई देती है जबकि कुछ को घंटी और झिंगुर ककी आवाज सुनाई देती है। इन अलग-अलग आवाजों का सुनाई देने का भी अलग-अलग अर्थ है।
ये कुछ अनुभव हैं जो बहुत ही चमत्कारिक हैं जो केवल गहरे ध्यान में ही सुनाई देती है। ध्यान में चाहे आपका अनुभव कैसा भी हो, आपको डरना नहीं है और ना ही उसपर विचार करना है बल्कि ध्यान के लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते रहना है।
Read Full Blog...क्या आपको भी योग करने के दौरान लग जाती है चोट या हो जाती है शारीरिक परेशानी, जानिये इसे कैसे रोक सकते हैं
कई लोग जब नया-नया योग शुरू करते हैं, तो उन्हें योग अक्सर किसी एक्सपर्ट के प्रशिक्षण में करने की सलाह दी जाती है। ऐसा इसलिए कहा जाता है, ताकि उन्हें योग के दौरान किसी तरह की इंजुरी ना हो या चोट न लगे। लेकिन अगर तब भी आप योग के दौरान किसी चोट या मसल्स स्ट्रेच का शिकार हो जाते हैं, तो जानिये ऐसी स्थिति को आप कैसे रोक सकते हैं...
योग अभ्यास की शुरुआत हमेशा वार्म-अप से करें, जिससे मांसपेशियों को रिलैक्स किया जा सके और चोट का जोखिम कम हो सके।
अपनी शरीर की सीमा को पहचानें और कठिन आसनों से बचें, ताकि मांसपेशियों पर अधिक भार न पड़े और चोट से बचा जा सके।
योग करते समय सही तकनीक और मुद्रा का पालन करें, और प्रशिक्षित योग गुरु की देखरेख में अभ्यास करें।
योग के लिए उचित मैट और उपकरण का उपयोग करें, और एक शांत और सुरक्षित स्थान का चयन करें।
योग करने के बाद शवासन अवश्य करें और शरीर को आराम देने के साथ-साथ हाइड्रेटेड रहने का ध्यान रखें।
योग एक प्राचीन अभ्यास है, जो शरीर, मन और आत्मा को संतुलित करता है। लेकिन योग में कई ऐसे आसन हैं, जिन्हें करना मुश्किल होता है या उसके लिए सही मार्ग दर्शन की आवश्यकता होती है। अगर ऐसा न किया जाए या यदि योग सही तरीके से न किया जाए, तो यह चोट (injury) का कारण बन सकती है। तो, योग करते समय उन चोटों से कैसे बचा जा सकता है, चलिए जानते हैं.
1 योग की शुरुआत हमेशा वार्म-अप (Warm-Up) से करें
किसी भी एक्सरसाईज या योग करने से पहले वार्म अप करने की सलाह दी जाती है। वार्म अप शरीर के मसल्स को रिलैक्स कर उसे उन आसनों के लिए तैयार करता है। इसलिए, योगासन से पहले शरीर को गर्म करना आवश्यक है। हल्के स्ट्रेचिंग, सूर्य नमस्कार, या हल्की गतिविधि करने से मांसपेशियां लचीली बनती हैं और चोट का जोखिम कम होता है।
2 अपने शरीर की सीमा पहचानें
कई लोग योग की शुरुआत ही कठिन आसनों से करते हैं, जिससे उनके शरीर और मसल्स पर अतिरिक्त भार पड़ता है। इसी से उन्हें चोट लग जाती है। उनका या तो मसल्स स्ट्रेच हो जाता है या फिर किसी हड्डी में कोई इंजरी हो जाती है। इसलिए, अपनी क्षमताओं से अधिक कठिन आसनों को करने की कोशिश न करें। धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाएं और अपने शरीर की क्षमता के अनुसार योग करें। दर्द होने पर तुरंत रुकें और विश्राम करें।
3 सही टेक्निक और फॉर्म अपनाएं
गलत मुद्रा (posture) से चोट लगने की संभावना बढ़ जाती है। हमेशा प्रशिक्षित योग गुरु की देखरेख में योग करें या विश्वसनीय स्रोतों से सीखें। योगासन के दौरान सही तरीके से सांस लेना बहुत महत्वपूर्ण है। जबरदस्ती सांस रोकने या गलत तरीके से सांस लेने से शरीर पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है। धीमी, गहरी और नियंत्रित सांस लें। शरीर को जरूरत से ज्यादा खींचने (overstretching) से मांसपेशियों में खिंचाव और चोट लग सकती है। धीरे-धीरे स्ट्रेचिंग बढ़ाएं और आरामदायक सीमा तक ही जाएं।
4 योग मैट और सही उपकरण का उपयोग करें
फिसलन वाली या बहुत कठोर सतह पर योग न करें। आरामदायक आसन, योगा मैट, कुशन, बेल्ट इत्यादि का इस्तेमाल करें। अपने शरीर के क्षमता के अनुसार माहौल या आसन चुनें। योग के लिए शांत और सुरक्षित स्थान चुनें।
5 योग के बाद विश्राम करेंयोगासन के बाद शवासन (Shavasana) जरूर करें, ताकि शरीर को आराम मिल सके। योग के बाद पानी पिएं और शरीर को हाइड्रेटेड रखें। अगर कोई दर्द या असहजता महसूस हो तो तुरंत योगाभ्यास रोक दें और जरूरत पड़ने पर विशेषज्ञ से सलाह लें।
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