क्या ध्यान लगाने से बदलती है आपकी ज़िंदगी
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क्या ध्यान लगाने से बदलती है आपकी ज़िंदगी
सेहतमंद कौन रहना नहीं चाहता. आजकल तो फ़िटनेस के लिए लोगों का क्रेज़ भी ख़ूब बढ़ गया है.
यहां तक कि देश के प्रधानमंत्री मोदी अक्सर अपने भाषणों में सेहत पर ध्यान देने की बात करते नज़र आते हैं. वो ख़ुद भी नियमित रूप से योग करते हैं.
तमाम देशों में योग बेहद लोकप्रिय हो रहा है. फ़िटनेस के प्रति लोगों की बढ़ती दीवानगी ने इसे करोड़ों का बिज़नेस बना दिया है.
दरअसल बदलते जीवनस्तर के चलते दिमाग़ी सुकून कहीं खो गया है. चौबीसों घंटे काम करने के इस दौर ने रोज़गार के मौक़े तो ख़ूब दिए.
लेकिन, बदले में चैन और सुकून की नींद छीन ली. आज लगभग हर इंसान एक ख़ास बीमारी का शिकार है जिसका नाम है तनाव. इससे छुटकारा दिलाने के नाम पर तरह-तरह के ढकोसले भी हो रहे हैं. सभी को ध्यान और योग की सलाह दी जाती है. कुछ हद तक ये फ़ायदेमंद है भी.
तनाव दूर करने में ध्यान कितना कारगर?
1971 में अमरीकी सेना के जवान स्टीफ़न इसलस वियतनाम के युद्ध से घर लौटे तो काफ़ी परेशान थे. जंग ने उन्हें दिमाग़ी और जज़्बाती तौर पर तोड़कर रख दिया था.
उन्हें अजीब बेचैनी ने घेर लिया था. तभी किसी दोस्त ने उन्हें मेडिटेशन की सलाह दी. ध्यान करने से उन्हें कुछ हद तक फ़ायदा तो हुआ.
लेकिन आज इतने साल बीत जाने के बाद भी जंग की भयानक यादें उन्हें गाहे-बगाहे परेशान करती रहती हैं. स्टीफ़न कहते हैं कि उन्हें ध्यान करने से काफ़ी हद तक राहत मिली थी, लेकिन तनाव से पूरी तरह निजात नहीं.
इस बीमारी की पहचान साल 2000 में लॉस एंजिल्स मेडिकल सेंटर ने की थी. माना जाता है कि कई तरह की ध्यान-साधनाएं चिंता और तनाव के शिकार लोगों के लिए रामबाण का काम करती हैं.
माइंडफुलनेस मेडिटेशन एक तरह की ध्यान-साधना है जो कि आजकल काफ़ी चलन में है. इसने सेहत के बाज़ार में काफ़ी मज़बूत पकड़ बना ली है.
आज मेडिटेशन करोड़ों डॉलर का कारोबार बन गया है. इस ध्यान साधना के तहत मौजूदा स्थिति पर ध्यान केंद्रित करना होता है. हालांकि ये अभी तक साफ़ नहीं हो पाया है कि इस साधना से दिमाग़ को कितना सुकून मिलता है.
ध्यान साधना का चलन हालांकि हज़ारों साल पुराना है. लेकिन मनोवैज्ञानिकों और दिमाग़ के डॉक्टरों ने चंद दशकों पहले ही इस पर गहराई से रिसर्च शुरू किया है.
ध्यान का दिमाग पर कितना असर
मेडिटेशन का दिमाग़ पर कितना असर होता है ये जानने के लिए दिमाग़ के डॉक्टरों ने भी रिसर्च की है.
इनके मुताबिक़ दिमाग़ का विकास भले ही एक उम्र में आकर रूक जाता है लेकिन उसके आकार-प्रकार और तंत्रिकाओं में बदलाव हमेशा ही होते रहते हैं.
इंसान जैसे-जैसे नए हुनर सीखता है, उसका दिमाग़ उसी हिसाब से बदलता रहता है. उसमें नई तंत्रिकाएं जुड़ती रहती हैं. लेकिन मेडिटेशन से आए बदलाव कितने स्थाई होते हैं, ये कहना मुश्किल है.
जर्मनी में टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ़ म्यूनिख के रिसर्चर ब्रेट्टा हॉलज़ल और अमरीका के मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल की रिसर्चर सारा लेज़र का कहना है कि मेडिटेशन दिमाग़ में याददाश्त वाले हिस्से को मज़बूत बनाने में मददगार होती है.
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