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" To Present local Business identity in front of global market"
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बच्चों से जरूर करवाएं योग और मेडिटेशन, मेंटल हेल्थ रहेगी बेहतर
डिजिटल वर्ल्ड का बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहर असर हो रहा है। ऐसे में बच्चों के लिए योग और मेडिटेशन का अभ्यास लाभदायक हो सकता है।
आजकल की तेज-तर्रार लाइफस्टाइल और डिजिटल दुनिया का बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर हो रहा है। बच्चों पर पढ़ाई के साथ-साथ तरह-तरह की कॉम्पिटिशन और टेक्नोलॉजी का दबाव बढ़ रहा है, जिसके कारण बच्चों में तनाव, चिंता और एकाग्रता की कमी जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं, जो उनके समग्र विकास को प्रभावित कर सकती हैं। ऐसे में योग और ध्यान का अभ्यास बच्चों के लिए लाभदायक साबित हो सकता है। ध्यान और योग न केवल बच्चों के शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है, बल्कि उनकी मानसिक स्थिरता को भी बनाए रखने में मदद करता है। नियमित योग अभ्यास से बच्चों में मानसिक शांति, एकाग्रता और आत्म-विश्वास बढ़ता है। इस लेख में दिल्ली के उत्तम नगर में स्थित योग जंक्शन के योग थेरेपिस्ट प्रवीण गौतम, बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए योग और मेडिटेशन के फायदों के बारे में बता रहे हैं।
बच्चों के लिए योग के फायदे
योग और ध्यान शारीरिक और मानसिक संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं। बच्चों के लिए यह खास तौर पर फायदेमंद होता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह न केवल उनके शरीर को हेल्दी बनाता है, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य को भी संवारता है।
नियमित योगाभ्यास से बच्चों में मानसिक शांति आती है, जिससे वे तनाव से दूर रहते हैं।
योग के आसन बच्चों को ध्यान केंद्रित करने में मदद करते हैं, जिससे उनकी पढ़ाई और अन्य एक्टिविटीज में भी सुधार होता है।
योग अभ्यास से बच्चे अधिक सकारात्मक सोच विकसित करते हैं, जो उनके मानसिक विकास के लिए जरूरी है।
बच्चों के लिए ध्यान के फायदे
ध्यान या मेडिटेशन का अभ्यास बच्चों की मानसिक स्थिति को शांत और केंद्रित करता है। नियमित ध्यान का अभ्यास बच्चों की एकाग्रता को बढ़ाता है।
ध्यान से बच्चों में सकारात्मक ऊर्जा यानी पॉजिटिव एनर्जी का संचार होता है, जिससे वे अपने आस-पास के माहौल में शांति और सुकून महसूस करते हैं।
आजकल बच्चों में भी तनाव की समस्या बढ़ती जा रही है। ध्यान का अभ्यास उन्हें तनाव से निपटने में मदद करता है।
ध्यान करने से बच्चों की नींद की क्वालिटी बेहतर होती है, जो उनके मानसिक और शारीरिक विकास के लिए जरूरी है।
ध्यान से बच्चों में सकारात्मक ऊर्जा यानी पॉजिटिव एनर्जी का संचार होता है, जिससे वे अपने आस-पास के माहौल में शांति और सुकून महसूस करते हैं।
आजकल बच्चों में भी तनाव की समस्या बढ़ती जा रही है। ध्यान का अभ्यास उन्हें तनाव से निपटने में मदद करता है।
ध्यान करने से बच्चों की नींद की क्वालिटी बेहतर होती है, जो उनके मानसिक और शारीरिक विकास के लिए जरूरी है
बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग और ध्यान
योग और ध्यान बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने के लिए एक बेहतरीन तरीका है। दोनों ही क्रियाएं बच्चों के दिमाग को शांत और एक्टिव करती हैं। नियमित रूप से योग और ध्यान का अभ्यास करने से बच्चों की मानसिक क्षमता (mental capacity) और आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है।
बच्चों को योग और ध्यान कैसे सिखाएं?
1. आप बच्चों को योग और ध्यान का अभ्यास करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। छोटे बच्चों को योग खेल-खेल में सिखाएं और इसके महत्व को समझाएं।
2. बच्चों को ध्यान के लिए प्रेरित करने के लिए ध्यान के समय पर उन्हें उनकी मनपसंद कहानियां सुनाएं। इससे उनकी कल्पना शक्ति को बढ़ावा मिलेगा।
3. बच्चों को योग और ध्यान का महत्व समझाने के लिए यह जरूरी है कि परिवार भी इसका अभ्यास करे। एक साथ योग करने से बच्चों में इसे नियमित करने की इच्छा जागेगी।
बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखना बेहद जरूरी है और इसके लिए योग और ध्यान एक बेहतरीन उपाय है। इससे न केवल बच्चों में मानसिक शांति आती है, बल्कि उनमें एकाग्रता भी बढ़ती है।
Read Full Blog...क्या मेडिटेशन करने से स्किन हेल्थ इंप्रूव होती है? जानें एक्सपर्ट से
मेडिटेशन का प्रभाव पूरे स्वास्थ्य पर पड़ता है। लेकिन क्या यह हमारी त्वचा के लिए फायदेमंद होता है?
Does Meditation Improve Skin: प्राचीन समय से भारत में ध्यान करने का बहुत महत्व रहा है। यह ऋषि-मुनियों के समय से चलकर आज भी कई लोगों की जीवनशैली का हिस्सा बना हुआ है। आजकल की भागदौड़ बड़ी जिंदगी में मानसिक स्वास्थ्य के लिए मेडिटेशन करना हर किसी के लिए जरूरी भी हो गया है। इससे स्ट्रेस, एंग्जायटी और ओवरथिंकिंग जैसी कई समस्याओं से राहत मिलती है। मेडिटेशन के फायदों को फिजिकल और मेंटल हेल्थ ही नहीं, बल्कि स्किन हेल्थ से जोड़कर भी देखा जाने लगा है। लेकिन क्या यह वाकई त्वचा के लिए फायदेमंद होता है? इस बारे में जानने के लिए हमने बात कि लखनऊ के योगवशी (Yogvashi) योगा इंस्टीट्यूट की योगा एक्सपर्ट वैशाली सिंह से। आइये लेख में एक्सपर्ट से जानें इसका जवाब।
क्या मेडिटेशन त्वचा के लिए फायदेमंद है? Does Meditation Beneficial For Skin Health
एक्सपर्ट के मुताबिक मेडिटेशन हमारी मेंटल और फिजिकल हेल्थ के साथ स्किन हेल्थ के लिए भी फायदेमंद है। मेडिटेशन करने से ब्रेन में न्यूरोलॉजिकल चेंजेस होते हैं। इससे स्ट्रेस और एंग्जायटी कम होते हैं और स्किन हेल्थ इंप्रूव होती है। रोज मेडिटेशन करने से स्किन से जुड़ी कई समस्याओं में फायदा मिलता है।
मेडिटेशन करने से त्वचा को क्या फायदे मिलते हैं? How Meditation Is Beneficial For Skin Health
एक्ने और रिंकल्स कम होते हैं- Reduce Acne and Wrinkles
स्ट्रेस और एंग्जायटी के कारण त्वचा बेजान और रूखी नजर आने लगती है। लेकिन मेडिटेशन करने से स्ट्रेस और एंग्जायटी को कंट्रोल किया जा सकता है। इससे रिंकल्स और हार्मोनल एक्ने की समस्या कम होती है। इससे अंडर आई बेग्स और स्किन पर रेडनेस रहने जैसी समस्याएं कम होती हैं।
डार्क सर्कल्स कम होते हैं- Reduce Dark Circles
मेडिटेशन करने से डार्क सर्कल्स भी कम होने लगते हैं। इससे बॉडी में ऑक्सीजन फ्लो बढ़ जाता है और स्किन हेल्दी रहती है। मेडिटेशन के दौरान हम लंबी सांस लेते हैं। इससे बॉडी में ऑक्सीजन और न्यूट्रिएंट्स का फ्लो बढ़ता है। इससे ब्लड फ्लो बढ़ता है और सेल्यूलर हेल्थ भी इंप्रूव होती है। यह डल स्किन, आंखों की सूजन और डार्क सर्कल्स जैसी समस्याओं को खत्म करता है।
स्किन टोन इंप्रूव होता है- Improve Skin Health
स्किन टोन को इंप्रूव करने के लिए भी मेडिटेशन फायदेमंद है। स्ट्रेस के कारण स्किन बेरियर को नुकसान होता है। इससे स्किन की मॉइस्चर और रिपेयर करने की क्षमता कम होती है। इससे मुंहासे, सोराइसिस और एक्जिमा जैसी समस्याएं ठीक होती हैं। मेडिटेशन करने से त्वचा में खुजली और रेडनेस भी कम होती है। ये सभी चीजें स्किन हेल्थ इंप्रूव करने में मदद करती हैं।
नेचुरल ग्लो बना रहता है- Natural Glow
मेडिटेशन करने से त्वचा में प्राकृतिक निखार भी आता है। इससे ऑक्सीजन और ब्लड फ्लो बढ़ता है, जो स्किन हेल्थ इंप्रूव करता है। मेडिटेशन करने से स्ट्रेस और एंग्जायटी भी कंट्रोल होती है। त्वचा में होने वाले इन सभी बदलावों से चेहरे पर निखार बना रहता है।
Read Full Blog...बच्चों को मेडिटेशन करने से मिल सकते हैं कई फायदे, एकाग्रता और याददाश्त बढ़ाने में भी कारगर
आज के समय में बच्चे तकनीक और डिजिटल डिवाइस के आदी होते जा रहे हैं। ऐसे में पेरेंट्स को बच्चों को फिजिकल एक्टिविटी और मेडिटेशन के प्रति प्रेरित करना चाहिए।
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में बच्चों को मानसिक शांति और ध्यान केंद्रित करने की जरूरत पहले से कहीं ज्यादा है। पढ़ाई का बढ़ता दबाव, डिजिटल डिवाइस का उपयोग और फिजिकल एक्टिविटी की कमी बच्चों को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रभावित कर सकती है। ऐसे में मेडिटेशन यानी ध्यान एक सरल और प्रभावी उपाय है, जो न केवल बच्चों की मानसिक स्थिति को सुधारता है बल्कि उनके शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। इसे शुरू करने के लिए माता-पिता को बच्चों के साथ मिलकर मेडिटेशन करना (How to explain meditation to children) चाहिए और इसे उनकी दिनचर्या का हिस्सा बनाना चाहिए। इस लेख में उत्तम नगर में स्थित योग जंक्शन के योग थेरेपिस्ट प्रवीण गौतम से जानिए, बच्चों के लिए मेडिटेशन के फायदे क्या-क्या हैं?
बच्चों के लिए मेडिटेशन के फायदे - What Are The Benefits Of Meditation for Children
1. ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ाए - Improves Concentration in Children
बच्चों की पढ़ाई और अन्य एक्टिविटी में बेहतर प्रदर्शन के लिए ध्यान केंद्रित करना जरूरी है। मेडिटेशन मस्तिष्क को शांत करता है और बच्चों की फोकस करने की क्षमता को बढ़ाता है। मेडिटेशन से मस्तिष्क में ब्लड फ्लो को बढ़ता है, जिससे बच्चे अपनी पढ़ाई और अन्य कार्यों में बेहतर तरीके से ध्यान केंद्रित कर पाते हैं।
2. तनाव और चिंता कम करे Reduces Stress and Anxiety in Kids
बच्चों को भी कभी-कभी तनाव और चिंता का सामना करना पड़ता है, खासकर जब वे परीक्षाओं से गुजरते हैं। मेडिटेशन बच्चों को तनाव और चिंता से राहत दिलाने का एक प्रभावी उपाय है। ध्यान लगाने से बच्चों में हैप्पी हार्मोन का स्तर बढ़ता है, जिससे वे ज्यादा शांत और खुश महसूस करते हैं।
3. मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए - Enhances Mental and Physical Health
मेडिटेशन न केवलमानसिक स्वास्थ्य को सुधारता है, बल्कि यह बच्चों के शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। यह उनके इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है और उन्हें बीमारियों से बचाता है। ध्यान बच्चों को अंदर से स्वस्थ बनाता है और उनके शरीर में पॉजिटिव एनर्जी का संचार करता है
4. आत्मविश्वास बढ़ाए - Improves Self-Confidence in Children
मेडिटेशन बच्चों को खुद पर विश्वास करने में मदद करता है। यह उनके आत्म-सम्मान को बढ़ाता है और उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करता है। ध्यान लगाने से बच्चों में पॉजिटिव सोच विकसित होती है, जो उनके आत्मविश्वास को मजबूत बनाती है।
मेडिटेशन शुरू करने के आसान टिप्स
बच्चों को रोजाना 5-10 मिनट मेडिटेशन करने की आदत डालें।
उन्हें एक शांत जगह पर ध्यान लगाने के लिए प्रेरित करें।
शुरुआत में उन्हें गहरी सांस लेने और छोड़ने की प्रैक्टिस कराएं।
बच्चों के लिए डिजाइन किए गए मेडिटेशन ऐप्स का उपयोग करें।
मेडिटेशन बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए बेहतरीन है। यह न केवल उनके तनाव और चिंता को कम करता है, बल्कि उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में सफल होने के लिए प्रेरित करता है।
Read Full Blog...स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है 'वॉकिंग मेडिटेशन', जानें इससे मिलने वाले फायदे और सही तरीका
जो लोग हर रोज 15 मिनट तक वॉकिंग मेडिटेशन करते हैं, उनके मनोदशा, चिंता के स्तर और रक्तचाप में सुधार आता है। जानें कैसे करें ये मेडिटेशन।
वॉकिंग मेडिटेशन (walking meditation) एक माइंडफुलनेस प्रैक्टिस है, जिसकी उत्पत्ति बौद्ध धर्म में हुई है। इसका अभ्यास कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकता है। 'यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉन्सिन-मैडिसन' के एक अध्ययन के अनुसार, गठिया, सूजन आंत्र रोग और अस्थमा जैसी पुरानी बीमारियों से पीड़ित लोगों को इस तरह की माइंडफुलनेस मेडिटेशन तकनीकों से लाभ हो सकता है। वहींजर्नल 'ब्रेन, बिहेवियर एंड इम्यूनिटी' ने अध्ययन में भी बताया गया है कि कैसे वॉकिंग मेडिटेशन आपके मानसिक स्वास्थ्य को भी बढ़ावा दे सकता है। तो आइए जानते हैं क्या है ये मेडिटेशन और हम इसे कैसे कर सकते हैं।
क्या है वॉकिंग मेडिटेशन (walking meditation)?
वॉकिंग मेडिटेशन की बात करें, तो आमतौर पर इसमें व्यक्ति को एक सर्कल में, एक सीधी रेखा में या एक भूलभुलैया में लगातार चलना होता है। इस तरह एक ही जगह पर शरीर और मस्तिष्क को एक साथ केंद्रित करते हुए चलने से ये आपको कंस्ट्रक्टेड बनाता है और आपको ध्यान की मुद्रा में ले जाता है। इस तरह मेडिटेशन के साथ आप एक लंबी सैर कर आते हैं, जो आपकी शारीरिक समेत मानसिक स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देता है।
वॉकिंग मेडिटेशन के फायदे (benefits of walking meditation)
ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाता है
चलने वाले ध्यान का उपयोग अक्सर उन लोगों द्वारा किया जाता है जो लंबे समय तक बैठते हैं। चलने का अभ्यास रक्त प्रवाह को बेहतर बनाने में मदद करता है, विशेष रूप से पैरों को। यह सुस्ती या स्थिरता की भावनाओं को कम करने में मदद करता है। अगर आप विस्तारित अवधि के लिए बैठने का काम कर रहे हैं तो माइंडफुल घूमना भी रक्त परिसंचरण को बढ़ावा देने और अपनी ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने का एक शानदार तरीका है।
पाचन में सुधार
खाने के बाद चलना पाचन को बढ़ावा देने का एक शानदार तरीका है, खासकर अगर आप भारी या भरा हुआ महसूस कर रहे हैं। इस तरह एक ही जगह पर इस तरह से चलते रहना आपके पाचन तंत्र के माध्यम से भोजन को स्थानांतरित करने में मदद करता है। वहीं ये कब्ज जैसी पेट की परेशानियों को भी ठीक करने में मदद करता है।
स्ट्रेस कम करता है
अगर आप अपने तनाव के स्तर को कम करना चाहते हैं, तो आपको काम करने से पहले या बाद में एक ध्यान का अभ्यास जरूर करना चाहिए। खसकर युवा वयस्कों को, जिनमें आज मानसिक बीमारियों की शिकायत बढ़ती ही जा रही है। वहीं 2017 के एक अध्ययन से पता चलता है कि ध्यान के साथ जुड़ने पर चिंता के लक्षणों को कम करने में चलना अधिक प्रभावी है।जिन प्रतिभागियों ने अपनी चिंता के स्तरों में सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तन दिखाया, उन्होंने या तो ध्यान किया, चलने से पहले ध्यान लगाया, या ध्यान करने से पहले चले। यानी कि प्रत्येक ध्यान से चलने का सत्र अगर आपने 10 मिनट का तय किया है तो ये आपके लिए जरूर फायदेमंद होगा।
ब्लड शुगर के स्तर और इसके सर्कुलेशन में सुधार करता है
2016 के एक छोटे से अध्ययन ने निष्कर्ष निकाला कि एक बौद्ध-आधारित चलने वाले ध्यान अभ्यास का रक्त शर्करा के स्तर और टाइप 2 मधुमेह वाले लोगों में परिसंचरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। लोगों ने 12 मिनट के लिए सप्ताह में 3 बार 30 मिनट के लिए दिमागदार या पारंपरिक चलने का अभ्यास किया। ऐस में इस तरह से चलने का अभ्यास करने वाले समूह ने पारंपरिक चलने वाले समूह की तुलना में अधिक लाभ पाया।
नींद की गुणवत्ता में सुधार करता है
व्यायाम के लाभों को प्राप्त करने के लिए, गहन कसरत करना आवश्यक नहीं है। 2019 के शोध से पता चला कि नियमित व्यायाम नींद की गुणवत्ता पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। ऐसे में चलने से लचीलेपन में सुधार और मांसपेशियों में तनाव को कम करने में मदद मिलती है और शारीरिक बेहतर महसूस करता है। साथ ही, ये आपके तनाव और चिंता की भावनाओं को भी कम करने में मदद करता है, खासकर जब आप सुबह के वक्त चलते हैं। इन सभी चिंता से जुड़े मन के भावों को आप एक शांत, स्पष्ट मन के साथ छोड़ देते हैं, इस तरह हर रात आपको एक गहरी नींद आती है।
Read Full Blog...मेडिटेशन के बारे में अक्सर लोगों के मन में होते हैं ये 6 भ्रम, जानें क्या है इनकी सच्चाई
मेडिटेशन या ध्यान का अभ्यास माइंड और बॉडी दोनों के लिए ही उपयोगी होता है, जानें मेडिटेशन से जुड़े कुछ मिथक और उनकी सच्चाई के बारे में।
स्वस्थ शरीर और मन के लिए ध्यान या मेडिटेशन बहुत उपयोगी माना जाता है। योगासनों का अभ्यास और ध्यान दोनों एक दूसरे के अंग हैं। योग का सही लाभ पाने के लिए रोजाना ध्यान का अभ्यास बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। ध्यान के बारे में लोग यह धारणा रखते हैं की यह सिर्फ मन और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का काम करता है। लेकिन मेडिटेशन या ध्यान का अभ्यास न सिर्फ मन को शांत और केंद्रित रखने का काम करता है बल्कि इसका अभ्यास आपके शारीरिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाने का काम करता है। माइंड और बॉडी दोनों को ही हेल्दी बनाये रखने के लिए योग के अभ्यास के साथ-साथ ध्यान लगाना बहुत जरूरी है। लेकिन आज के इन्टरनेट के युग में मेडिटेशन या ध्यान से जुड़ी तमाम ऐसी बातें लोगों के बीच फैली हुई हैं जो न सिर्फ भ्रामक हैं बल्कि इसकी वजह से लोगों के बीच ध्यान से जुड़ी गलत जानकारी फैलती है। आइये योग एक्सपर्ट जेनिल ढोलकिया से विस्तार से जानते हैं ध्यान या मेडिटेशन से जुड़ी कुछ भ्रामक बातें और उनकी सच्चाई।
मेडिटेशन से जुड़ी भ्रामक बातें और उनकी सच्चाई
रोजाना ध्यान लगाने से न सिर्फ आपके माइंड को फायदा मिलता है बल्कि इसकी वजह से शरीर को भी बहुत फायदा मिलता है। मेडिटेशन या ध्यान का अभ्यास करने से आपका मन एकाग्र होता है और मन को आराम मिलता है। ध्यान या मेडिटेशन से जुड़े कुछ मिथक और उनकी सच्चाई इस प्रकार से हैं।
1. मेडिटेशन करने के लिए विशिष्ट तरीके से आसन लगाने की जरूरत होती है
ध्यान या मेडिटेशन के बारे में लोगों में फैली सबसे भ्रामक बात यह है की इसका अभ्यास करने के लिए आपको विशेष आसन में बैठने की जरूरत होती है। दरअसल इसका अभ्यास आप कहीं भी और किसी भी तरह से बैठकर कर सकते हैं। लेकिन मेडिटेशन का पूरा लाभ पाने के लिए आपको रीढ़ की हड्डी को सीधा करके बैठना चाहिए। पद्मासन में बैठकर ध्यान लगाना फायदेमंद माना जाता है। लेकिन अगर आप इस पोजीशन में बैठने में सक्षम नहीं हैं तो किसी भी तरीके से बैठकर ध्यान लगा सकते हैं लेकिन ऐसा करने से आपको मेडिटेशन का पूरा फायदा नहीं मिलेगा।
2. मेरा दिमाग एक्टिव और हेल्दी है इसलिए मुझे ध्यान लगाने की जरूरत नहीं है
ज्यादातर लोगों में मेडिटेशन से जुड़ी यह बात सबसे ज्यादा फैली है कि एक्टिव माइंड वाले लोगों को ध्यान लगाने की जरूरत नहीं है। जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। मेडिटेशन आपके दिमाग को रिलैक्स करने का काम करता है इसका अभ्यास सभी लोगों के लिए फायदेमंद है। चाहे आपके पास सुपर एक्टिव ब्रेन हो या नहीं मेडिटेशन आपके लिए बहुत उपयोगी हो सकता है।
3. ध्यान लगाते समय आप आराम से सो सकते हैं
कई लोगों का ये मानना है की मेडिटेशन करते समय आप आराम से सो सकते हैं। लेकिन ऐसा करना फायदेमंद नहीं माना जाता है। ध्यान के दौरान आपको केंद्रित और जागरूक होना चाहिए, इस दौरान सो जाने से आपको मेडिटेशन का फायदा नहीं मिलता है। अगर आपको मेडिटेशन करते समय नींद आती है तो आपको उठकर थोड़ी देर टहलने के बाद दोबारा ध्यान लगाना चाहिए।
4. ध्यान लगाते समय शांत माहौल होना जरूरी है
ऐसा जरूरी नहीं है कि आप मेडिटेशन सिर्फ शांत और मौन माहौल में ही कर सकते हैं। आप चलते हुए या वॉक करते हुए ध्यान कर सकते हैं। ध्यान के पीछे विचार यह है कि आप अपना पूरा ध्यान अपनी सांसों पर केंद्रित करें। इसका मतलब यह नहीं कि आप अकेले में बैठकर जप-तप करें।
5. घंटों तक ध्यान लगाने से पूरा फायदा मिलता है
ध्यान से जुड़े मिथक में से एक यह भी है की रोजाना घंटों तक ध्यान लगाने से ही इसका पूरा फायदा मिलता है। जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। अगर आप मेडिटेशन की शुरुआत कर रहे हैं तो शुरुआत में आप 5 मिनट के लिए भी ध्यान लगा सकते हैं। रोजाना 5 मिनट तक मेडिटेशन करने से आप मानसिक रूप से चार्ज हो सकते हैं। कई सिद्ध लोग घंटों तक ध्यान लगाते हैं लेकिन आप अगर रोजाना 15 से 20 मिनट तक मेडिटेशन करते हैं तो यह भी फायदेमंद होगा।
6. ध्यान एक धार्मिक अभ्यास है
कई लोगों का यह मानना होता है की मेडिटेशन या ध्यान एक धार्मिक अभ्यास है। जबकि ऐसा बिलकुल भी नहीं है, मेडिटेशन का अभ्यास किसी भी धर्म के लोग कर सकते हैं। इसका अभ्यास आपके दिमाग को रिलैक्स और अधिक प्रभावशाली बनाने का काम करता है।
ध्यान से जुड़े ये मिथक लोगों में आम हैं। अगर आप मेडिटेशन या ध्यान की शुरुआत कर रहे हैं तो रोजाना 5 से 10 मिनट का ध्यान भी उपयोगी होता है। शुरुआत में मेडिटेशन करने के लिए एक्सपर्ट की सहायता लेनी चाहिए।मेडिटेशन के बारे में अक्सर लोगों के मन में होते हैं ये 6 भ्रम, जानें क्या है इनकी सच्चाई
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ध्यान तल्लीनता का वह स्तर है जब व्यक्ति को ईश्वर का वास्तविक अनुभव होता है"
शांति
भगवान सबसे पहले भक्त के पास गहरी शांति के रूप में आते हैं।" पहली बार मुझे पता चला कि मैं भगवान की उपस्थिति का अनुभव कर रहा था, जब मैं किशोर था और जंगल में टहल रहा था। मुझे जो शांति महसूस हुई वह इतनी गहरी, इतनी ताज़ा, इतनी आनंदमय थी कि इसने वास्तव में मेरा जीवन बदल दिया। ईश्वरीय कृपा से (मुझे विश्वास है), मुझे पता था कि यह भगवान थे, और इसलिए उस क्षण से मैंने अपना जीवन उनकी खोज में बिताने की कसम खाई।
अगली बार जब आप प्रकृति में हों, तो सचेत रूप से उसकी शांति में तालमेल बिठाने की कोशिश करें। अपने आस-पास की शांति के प्रति सजग रहें। वहाँ ध्यान करें और महसूस करें कि आपके सभी विचार, आपकी चिंताएँ और आपके बोझ उस शांति में शांत और शुद्ध हो रहे हैं। अपनी जागरूकता का विस्तार तब तक करें जब तक कि इसमें पेड़, पहाड़, पक्षी, हवा शामिल न हो जाएँ। अपने आस-पास की शांति के साथ एक हो जाएँ। महसूस करें कि आप ही वह शांति हैं।
Read Full Blog...क्या ध्यान लगाने से बदलती है आपकी ज़िंदगी
सेहतमंद कौन रहना नहीं चाहता. आजकल तो फ़िटनेस के लिए लोगों का क्रेज़ भी ख़ूब बढ़ गया है.
यहां तक कि देश के प्रधानमंत्री मोदी अक्सर अपने भाषणों में सेहत पर ध्यान देने की बात करते नज़र आते हैं. वो ख़ुद भी नियमित रूप से योग करते हैं.
तमाम देशों में योग बेहद लोकप्रिय हो रहा है. फ़िटनेस के प्रति लोगों की बढ़ती दीवानगी ने इसे करोड़ों का बिज़नेस बना दिया है.
दरअसल बदलते जीवनस्तर के चलते दिमाग़ी सुकून कहीं खो गया है. चौबीसों घंटे काम करने के इस दौर ने रोज़गार के मौक़े तो ख़ूब दिए.
लेकिन, बदले में चैन और सुकून की नींद छीन ली. आज लगभग हर इंसान एक ख़ास बीमारी का शिकार है जिसका नाम है तनाव. इससे छुटकारा दिलाने के नाम पर तरह-तरह के ढकोसले भी हो रहे हैं. सभी को ध्यान और योग की सलाह दी जाती है. कुछ हद तक ये फ़ायदेमंद है भी.
तनाव दूर करने में ध्यान कितना कारगर?
1971 में अमरीकी सेना के जवान स्टीफ़न इसलस वियतनाम के युद्ध से घर लौटे तो काफ़ी परेशान थे. जंग ने उन्हें दिमाग़ी और जज़्बाती तौर पर तोड़कर रख दिया था.
उन्हें अजीब बेचैनी ने घेर लिया था. तभी किसी दोस्त ने उन्हें मेडिटेशन की सलाह दी. ध्यान करने से उन्हें कुछ हद तक फ़ायदा तो हुआ.
लेकिन आज इतने साल बीत जाने के बाद भी जंग की भयानक यादें उन्हें गाहे-बगाहे परेशान करती रहती हैं. स्टीफ़न कहते हैं कि उन्हें ध्यान करने से काफ़ी हद तक राहत मिली थी, लेकिन तनाव से पूरी तरह निजात नहीं.
इस बीमारी की पहचान साल 2000 में लॉस एंजिल्स मेडिकल सेंटर ने की थी. माना जाता है कि कई तरह की ध्यान-साधनाएं चिंता और तनाव के शिकार लोगों के लिए रामबाण का काम करती हैं.
माइंडफुलनेस मेडिटेशन एक तरह की ध्यान-साधना है जो कि आजकल काफ़ी चलन में है. इसने सेहत के बाज़ार में काफ़ी मज़बूत पकड़ बना ली है.
आज मेडिटेशन करोड़ों डॉलर का कारोबार बन गया है. इस ध्यान साधना के तहत मौजूदा स्थिति पर ध्यान केंद्रित करना होता है. हालांकि ये अभी तक साफ़ नहीं हो पाया है कि इस साधना से दिमाग़ को कितना सुकून मिलता है.
ध्यान साधना का चलन हालांकि हज़ारों साल पुराना है. लेकिन मनोवैज्ञानिकों और दिमाग़ के डॉक्टरों ने चंद दशकों पहले ही इस पर गहराई से रिसर्च शुरू किया है.
ध्यान का दिमाग पर कितना असर
मेडिटेशन का दिमाग़ पर कितना असर होता है ये जानने के लिए दिमाग़ के डॉक्टरों ने भी रिसर्च की है.
इनके मुताबिक़ दिमाग़ का विकास भले ही एक उम्र में आकर रूक जाता है लेकिन उसके आकार-प्रकार और तंत्रिकाओं में बदलाव हमेशा ही होते रहते हैं.
इंसान जैसे-जैसे नए हुनर सीखता है, उसका दिमाग़ उसी हिसाब से बदलता रहता है. उसमें नई तंत्रिकाएं जुड़ती रहती हैं. लेकिन मेडिटेशन से आए बदलाव कितने स्थाई होते हैं, ये कहना मुश्किल है.
जर्मनी में टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ़ म्यूनिख के रिसर्चर ब्रेट्टा हॉलज़ल और अमरीका के मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल की रिसर्चर सारा लेज़र का कहना है कि मेडिटेशन दिमाग़ में याददाश्त वाले हिस्से को मज़बूत बनाने में मददगार होती है.
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मेडिटेशन दिमाग पर कैसे करता है असर, 8 हफ्तों में आता है ये बदलाव
दुनिया के कई वैज्ञानिकों ने मेडिटेशन प्रकिया के कई तरह के टेस्ट किए हैं. स्टडी में पाया गया कि मेडिटेशन करने वालों के दिमाग, स्वास्थ्य ज्यादा बेहतर तरीके से काम करता है. वहीं, जो लोग मेडिटेशन प्रैक्टिस नहीं करते हैं, उनका दिमाग ज्यादा भटकता है. इसके अलावा उनको स्ट्रेस भी कम होता है.
बढ़ती उम्र के साथ-साथ व्यक्ति के जीवन में परेशानियां भी बढ़ती हैं. किसी के जीवन में तो परेशानियां इतनी बढ़ जाती हैं, कि उनसे छुटकारा पाने के लिए शख्स खुद को खत्म ही कर लेता है. लेकिन, एक ऐसी चीज है जिससे न सिर्फ मानसिक तनाव कम होता है बल्कि आप पॉजिटिव महसूस करने लगते हैं. मेडिटेशन, यानी ध्यान लगाने का अभ्यास. भारत में आज से नहीं बल्कि कई दशकों से ध्यान की परंपरा चली आ रही है. हजारों सालों से लोग कई वजहों से मेडिटेशन करते आ रहे हैं. इसमें दार्शनिक और धार्मिक वजह भी शामिल
दुनिया के कई वैज्ञानिकों ने मेडिटेशन प्रकिया के कई तरह के टेस्ट किए हैं. इसे आधुनिक उपकरणों और साइंटिफिक तरीकों से टेस्ट किया गया. इसके जो परिणाम सामने आए वो चौकाने वाले थे. स्टडी में पाया गया कि मेडिटेशन करने वालों के दिमाग, स्वास्थ्य ज्यादा बेहतर तरीके से काम कर रहे थे, बजाए एक ऐसे आदमी के जो मेडिटेशन नहीं करता है. लेकिन सवाल ये, कि ऐसा क्या बदल जाता है मेडिटेशन करने वालों के दिमाग में?
नहीं भटकता दिमाग
एक टेस्ट किया गया जिसमें, कुछ लोगों को विशेष तरह का फोन दिया गया. पूरी दिन में उनसे कुछ सवाल पूछे गए. फाइनल रिपोर्ट में पाया गया कि लगभग 47% समय लोगों का दिमाग भटकता रहता है. यानी व्यक्ति कर कुछ रहा होता है लेकिन दिमाग में पिचर कुछ और ही चल रही होती है. यही भटका हुआ मन न खुशी पैदा करता है. यानी एक तरीके से देखा जाए तो हमारा ही दिमाग हमारा दुश्मन बन जाता है. मेडिटेशन प्रैक्टिस लगातार प्रक्रिया है. यानी इसे लंबे समय के लिए, लगातार करने से ही फायदा मिलता है. जो मेडिटेट करने की शुरुआत कर रहे हैं, उन्हें 8 हफ्ते लगते हैं, इसका असर दिखने में.
स्टडीज में क्या मिला?
मेडिटेशन अपने दुश्मन दिमाग तो दोस्त बनाने की एक निंजा तकनीक मानी जाती है. भटके हुए मन को एक जगह एकाग्र करने में मदद करती है. मेडिटेशन का असर जानने के लिए साइंटिस्ट ने कई स्टडीज की. इसमें सामने आया कि जो लोग मेडिटेशन करते हैं उनके दिमाग में स्ट्रेस ज्यादा समय तक टिकता नहीं है. यानी वो ज्यादा फोकस्ड रहते हैं. वो अपने जीवन में होने वाली छोटी-छोटी निगेटिव बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं, जिससे वो फोकस में बने रहते हैं.
दिमाग पर क्या असर पड़ता है?
मेडिटेशन हमारी बुद्धि में एक और अहम भूमिका निभाता है. एक स्टडी में पाया गया है कि जो बच्चे मेडिटेशन करते हैं उनका दिमाग ज्यादा अच्छे से काम करता है. उन्हें पढ़ाई की चीजें अच्छे से और लंबे समय तक याद रहती हैं. मेडिटेशन से व्यक्ति का डिसीजन मेकिंग भी अच्छा होता है.
मेडिटेशन व्यक्ति के सोशल बिहेवियर के लिए भी जिम्मेदार होता है. ऐसा भी माना गया है कि मेडिटेशन से व्यक्ति के दिमाग के अंदर के सेल्स जो दया, हमदर्दी, और लर्निंग से जुड़े होते हैं, वो ज्यादा बेहतर तरीके से काम करते हैं.
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अच्छा जीवन जीने के लिए ध्यान करना बहुत जरूरी है। यदि आप चाहते हैं कि आप शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के साथ ही मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहें तो प्रतिदिन ध्यान करें। ध्यान करने का मन बनाना, उसके विषय में सोचना बहुत आसान है लेकिन उसे खुद से करना इतना आसान नहीं होता है। कई सारे लोगों को ध्यान करते समय तरह-तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे कि बेचैनी होना, मन न लगना आदि। अगली स्लाइड्स में बताए गए नियमों का यदि आप पालन करेंगे तो आप जल्दी ही सही ढंग से ध्यान करने लगेंगे।
कई बार हम सही ढ़ग से मेडिटेशन इसलिए भी नहीं कर पाते हैं क्योंकि हम गलत समय का चयन कर लेते हैं। ध्यान करने के लिए हर समय ठीक नहीं होता है। ध्यान के लिए सही समय सुबह 4 बजे से शाम 4 बजे तक होता है। इसके पीछे कारण यह है कि इस समय सूर्य और पृथ्वी के बीच 60 डिग्री का कोण बनता है। इस दौरान ध्यान करने से पीयूषग्रंथि और शीर्षग्रंथि पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। जिस वजह से ध्यान में पूरा मन लगता है।
बहुत जरूरी है कि आप जिस जगह ध्यान कर रहे हैं, उस जगह को अच्छे से देख लें क्योंकि हर जगह ध्यान नहीं हो सकता। यदि आप बिस्तर पर बैठकर शयनघर में मेडिटेशन करते हैं तब तो आपका मन नहीं ही लग सकता है इसलिए किसी ऐसे स्थान पर ध्यान करें, जहां पर शांति, सकारात्मक ऊर्जा और पर्याप्त रोशनी हो
कई लोगों को मेडिटेशन करते वक्त इसलिए भी समस्या आती है क्योंकि उनके बैठने का तरीका गलत होता है जिस वजह से उनके शरीर पर अलग- अलग जगह दबाव बनता है और उनका ध्यान भंग होता है। इसलिए जब भी ध्यान करने बैठें तो रीढ़ की हड्डी को सीधा रखकर एकदम सीधे बैठें। ढीलेढाले कपड़े पहनें और कंधों और गर्दन को अधिक न तो तानें और न ही बहुत अधिक ढीला भी न छोड़ें।
Read Full Blog...ध्यान: अपनी स्मरण शक्ति और बुद्धि बढ़ाएँ
इस डिजिटल युग में, जब हर कोई जल्दी में या अपने स्मार्टफोन पर व्यस्त रहता है, तो सूचनाओं और विचारों, विभिन्न प्रकार के शोर, गतिविधियों और कामों से अभिभूत होना आसान है। नतीजा? हम ज़्यादातर दिनों में तनावग्रस्त रहते हैं, हमारा दिमाग बहुत ज़्यादा काम करता है और हमारा स्वास्थ्य खराब होता है।
तनाव से निपटने के बहुत से तरीके हैं, और उनमें से एक है ध्यान। ध्यान मन को प्रशिक्षित करने के लिए किया जाता है, हमें वर्तमान क्षण में वापस लाता है और हमें न केवल खुद के लिए बल्कि अन्य लोगों के लिए भी शांत और दयालु होने का अवसर देता है।
माइंडफुलनेस मेडिटेशन
पिछले कुछ सालों में माइंडफुलनेस मेडिटेशन बहुत लोकप्रिय हो गया है। इसका उद्देश्य आपको तनाव कम करने और शांति और स्थिरता में सुधार करने में मदद करना है। इस प्रकार के ध्यान में, अभ्यासकर्ता बिना किसी निर्णय के वर्तमान क्षण पर ध्यान केंद्रित करता है।
एक आम गलत धारणा यह है कि ध्यान में मन को खाली करना शामिल है, लेकिन वास्तव में यह हमें शारीरिक संवेदनाओं, विचारों और भावनाओं पर ध्यान केंद्रित करना सिखाता है ताकि हम उन्हें अधिक स्पष्टता से देख सकें।
अपनी याददाश्त और IQ बढ़ाने के लिए ध्यान करें
ध्यान तनाव कम करने, रक्तचाप कम करने और मूड को बेहतर बनाने में फायदेमंद है। हालाँकि, क्या आप जानते हैं कि नियमित रूप से ध्यान करने से आपकी याददाश्त और IQ भी बढ़ सकती है?
अपनी याददाश्त बढ़ाएँ
कॉन्शियसनेस एंड कॉग्निशन में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि जिन प्रतिभागियों ने चार दिनों तक 20 मिनट तक ध्यान लगाया, उनमें तनाव का स्तर कम हुआ और साथ ही उनकी याददाश्त और संज्ञान में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ। जिन लोगों ने ध्यान लगाया, उन्होंने वर्किंग मेमोरी टास्क में भी 10 गुना बेहतर प्रदर्शन किया।
एक अन्य अध्ययन में, यूसी सांता बारबरा के शोधकर्ताओं ने पाया कि माइंडफुलनेस मेडिटेशन के मात्र दो सप्ताह से भी कम समय में कार्यशील स्मृति क्षमता, पढ़ने की समझ और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में महत्वपूर्ण सुधार हो सकता है। आप इस फोकस को CFI के वित्तीय मॉडलिंग और मूल्यांकन विश्लेषक (FMVA™) प्रमाणन कार्यक्रम के साथ विश्व स्तरीय वित्तीय विश्लेषक बनने की दिशा में काम करने के लिए निर्देशित कर सकते हैं।
अपनी IQ बढ़ाएँ
एसोसिएशन फॉर एप्लाइड साइकोफिजियोलॉजी एंड बायोफीडबैक के न्यूरोफीडबैक डिवीजन के पूर्व अध्यक्ष सिगफ्रीड ओथमर ने इस विषय पर न्यूरोफीडबैक शोध किया। परिणामों से पता चला कि जिन प्रतिभागियों ने ध्यान लगाया, उनकी IQ में औसतन 23 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।
इसका एक कारण यह है कि गहन ध्यान मस्तिष्क की गतिविधि को धीमा कर देता है। धीमी मस्तिष्क तरंगों के साथ, मस्तिष्क खुद को पुनर्गठित करने की अपनी क्षमता बढ़ाता है। जब आप अपने मस्तिष्क को थोड़ा आराम देते हैं, तो यह खुद को बेहतर बनाता है।
बस अपनी सांस को नियंत्रित करने से कॉर्टिसोल नामक तनाव हार्मोन कम हो जाता है। जब मन भटकता है, तो यह नकारात्मक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है, जिससे तनाव हो सकता है। ध्यान के साथ, मन कम सक्रिय होता है और इसलिए तनाव का स्तर कम होता है।
ध्यान का प्रयास करें
ध्यान करने की कोशिश करना चाहते हैं? शुरू करने के कई तरीके हैं। अगर आप डिजिटल तरीके से ध्यान करने जा रहे हैं, तो हेडस्पेस ऐप पर विचार करें, जो आपको प्रक्रिया के दौरान मार्गदर्शन कर सकता है। यह आपको अपनी प्रगति को ट्रैक करने में भी सक्षम बनाता है। आप खुद भी अभ्यास कर सकते हैं। अपनी आँखें बंद करके बैठें, फिर अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करें। आप कुछ सुखदायक संगीत भी सुन सकते हैं।
अतिरिक्त संसाधन
अपने दिमाग को तरोताजा करके खुद को बेहतर बनाने की दिशा में काम करें। कॉर्पोरेट फाइनेंस इंस्टीट्यूट कई तरह के कोर्स और संसाधन उपलब्ध कराता है, जो आपको सीखने और अपने करियर को आगे बढ़ाने में मदद कर सकते हैं!
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