Blog by Suveta Notiyal | Digital Diary
" To Present local Business identity in front of global market"
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दुनियाभर में कई ऐसी जड़ी-बूटियां हैं जिनका इस्तेमाल दवाएं, च्यवनप्राश और कई तरह की बीमारियों के इलाज में किया जाता है। इनमें अश्वगंधा, सफेद मूसली, मुलेठी जैसी जड़ी-बूटियां शामिल हैं। औषधीय गुणों के कारण इन जड़ी-बूटियों को सेहत के लिए वरदान माना जाता है। आज इस लेख में हम आपको एक ऐसी ही आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका प्रयोग तो बहुत होता है, लेकिन जानकारी बहुत ही कम लोगों को होती है। इस जड़ी-बूटी का नाम है अकरकरा। आइए जानते हैं अकरकरा है क्या और इसका इस्तेमाल किन बीमारियों के इलाज में किया जा सकता है।
अकरकरा हिमालयी क्षेत्र में पाई जाने वाली एक खास तरह की जड़ी-बूटी है। अकरकरा मुख्य तौर पर एक पेड़ होता है। बीमारियों के इलाज में अकरकरा के छोटे पौधे और जड़ का इस्तेमाल किया जाता है। आइए जानते हैं अकरकरा के फायदों के बारे में।
बुखार को करता है कम
अकरकरा में एंटी-वायरल और एंटी-बैक्टीरियल पोषक तत्व पाए जाते हैं जो बुखार को कम करने में सहायक होते हैं। यही कारण है कि हल्के बुखार में अकरकरा का चूर्ण लेने की सलाह दी जाती है।
सूखी खांसी से दिलाता है राहत
बदलते मौसम में होने वाली सूखी खांसी से राहत दिलाने में भी अकरकरा बहुत फायदेमंद होता है। सूखी खांसी में अकरकरा के चूर्ण में सोंठ और शहद मिलाकर सेवन करने की सलाह दी जाती हैं। हालांकि जिन लोगों को बहुत ज्यादा सूखी खांसी है उन्हें अकरकरा का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
हिचकी दूर करने में मददगार
अचानक होने वाली हिचकी को कम करने में अकरकरा काफी फायदेमंद माना जाता है। हिचकी की समस्या होने पर अकरकरा के चूर्ण में शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने की सलाह दी जाती हैं। हिचकी की समस्या होने पर अकरकरा के चूर्ण को गुनगुने पानी में घोलकर भी सकते हैं।
गठिया की परेशानी से दिलाता है राहत
आजकल की गलत लाइफस्टाइल के कारण कई लोगों को गठिया की समस्या हो रही है। गठिया की समस्या से राहत दिलाने में अकरकरा काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। गठिया के दर्द का इलाज करने के लिए आप अकरकरा के चूर्ण का लेप बनाकर इस्तेमाल कर सकते हैं।
घाव भरने में मददगार
अकरकरा में मौजूद एंटी बैक्टीरियल गुण किसी भी घाव को भरने में मदद कर सकते हैं। अकरकरा घाव के साथ-साथ उस हिस्से पर होने वाली सूजन को भी खत्म करने में मदद कर सकता है।
अकरकरा एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है इसका इस्तेमाल सदियों से दवा के रूप में किया जा रहा है, लेकिन जिन लोगों को डायबिटीज, किडनी रोग या किसी भी तरह की एलर्जी की समस्या है वो अकरकरा का सेवन बिना डॉक्टरी सलाह के न करें। अगर आप किसी समस्या में अकरकरा का सेवन कर रहे हैं और इससे आपको खुजली, जलन या पाचन संबंधी समस्या होती है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
पर्यावरण संरक्षण, प्राणवायु आक्सीजन और शुद्ध हवा के लिए तमाम तरह के पौधे लगाए जा रहे हैं। इसमें नीम, बरगद या बड़ और पीपल को प्रमुखता दी जा रही है, लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि सिरस या शिरीष समेत कई नामों से पुकारा जाने वाला यह पेड़ इन सबसे ऊपर है। इसके फूलों की सुगंध एक बार नाक में लग गई तो आपको जिंदगी भर याद रहेगी।
दुख इस बात का है कि आज इस पेड़ की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है। सभी नीम, बड़, पीपल आदि लगा रहे हैं। आज सिरस के पेड़ नाममात्र के लिए देखने भर रह गए हैं। इस पेड़ के औषधीय गुण भी काफी ज्यादा हैं। यह शरीर मे कहीं भी गांठ हो, उसको गला देता है। शरीर के नसों में जमा हुआ खून पतला कर देता है। चर्म रोग ठीक करता है। उच्च रक्तचाप या हाई-बीपी को ठीक करता है। इससे कैंसर की गांठ भी ठीक हो जाती है। इसके अनगिनत गुण-धर्म हैं। यह रोग के तीन प्रमुख कारक वात, पित्त व कफ में काम करता है। जिसके पास भी इस पौधे के बीज हैं वो ज्यादा से ज्यादा लोगों को बांटें, अधिक से अधिक इस पेड़ के पौधे लगाएं। अब यह बहुत कम दिखता है, इसलिए इसे बचाना बहुत जरूरी है।
सिरस औषधि का खजाना है। इसका पेड़ घना होता है। छायादार वृक्षों में इसे सबसे उत्तम माना गया है, क्योंकि इसके नीचे रहने पर ना केवल शुद्ध वायु मिलती है, बल्कि सुगंधित भी, जो अन्य पेड़ों में बहुत कम होती है। इसकी छाल, फूल, बीज, जड़, पत्ते आदि हरेक का इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता है, बस आपको जानकारी होनी चाहिए। यह वृक्ष बहुत तेजी से बढ़ता भी है। इसके विशाल पेड़ भी देखने को मिल सकते हैं। वसंत ऋतु में जब पतझड़ आती है, तो इसके भी पत्ते गिर जाते हैं।
सिरस के पेड़ में उगने वाले फूल लाल, पीले, सफेद और काले भी होते हैं। यह इसकी अलग-अलग प्रजाति पर निर्भर होती है, लेकिन औषधीय गुण में विशेष अंतर नहीं होता। पहले यह पेड़ जमशेदपुर व आसपास समेत यहां के जंगलों में भी खूब मिलता था, लेकिन अब यह लुप्तप्राय हो गया है। सड़क किनारे लगे सिरस के कई पेड़ सड़क चौड़ीकरण में कट गए हैं। वन विभाग को इसके पेड़ लगाने चाहिए।
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आधुनिक समय में जोड़ों के दर्द की समस्या आम हो गई है। इस समस्या से किसी भी उम्र का व्यक्ति प्रभावित हो सकता है। जोड़ों में दर्द के कई कारण हैं। इनमें शरीर में कैल्शियम और विटामिन-डी की कमी प्रमुख है। इसके अलावा, गठिया, ऑस्टियोपोरोसिस, चोट, कमजोर हड्डियां और अधिक काम करने से भी जोड़ों में दर्द की समस्या होती है। अगर आप भी जोड़ों के दर्द की समस्या से परेशान हैं और इससे निजात पाना चाहते हैं, तो रोजाना यह खास काढ़ा जरूर पिएं। इस काढ़े के सेवन से जोड़ों के दर्द में बहुत जल्द आराम मिलता है। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
आयुर्वेद में निर्गुन्डी को औषधि का दर्जा प्राप्त है। अंग्रेजी में इसे Chinese chastetree और संस्कृत में सिन्दुवार कहा जाता है। देश के विभिन्न क्षेत्रों में अलग अलग नामों से जाना जाता है। इस पौधे की अधिकतम ऊंचाई 10 फीट तक होती है। इसकी पत्तियां हरे रंग की होती है। वहीं, फूल सफ़ेद, नीले और काले रंग के होते हैं। इसकी पत्तियां सेहत के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। आयुर्वेद विशेषज्ञ बदलते मौसम में सेहतमंद रहने के लिए निर्गुन्डी की पत्तियों के काढ़े का सेवन करने की सलाह देते हैं।
निर्गुन्डी का काढ़ा पीने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है। इसके लिए निर्गुन्डी की पत्तियों का काढ़ा बनाकर रोजाना सेवन करें। निर्गुन्डी का काढ़ा बनाने के लिए उसकी कुछ पत्तियों को पानी में अच्छी तरह उबाल लें। आप चाहे तो इसमें लौंग, दालचीनी, अदरक आदि चीजें मिला सकते हैं। इसके बाद काढ़े का सेवन करें। इसके अलावा, निर्गुन्डी की पत्तियों और फूलों को सुखा लें। फिर, ग्राइंडर में पीसकर पाउडर तैयार कर लें। अब रोजाना एक गिलास पानी के साथ पाउडर का सेवन करें। हालांकि, सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर से जरूर सलाह लें।
भगवान शिव को प्रिय धतूरा केवल धार्मिक महत्व नहीं रखता, बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है. इसके पत्ते, बीज और फल औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं. आयुर्वेद में इसे दर्द निवारक और सूजन कम करने वाली औषधि माना गया है. धतूरा जोड़ों के दर्द, गठिया, अस्थमा और त्वचा संबंधी समस्याओं में लाभकारी होता है. यह पाचन तंत्र को सुधारने में भी सहायक है. हालांकि, धतूरा जहरीला होता है, इसलिए इसका सेवन केवल डॉक्टर की सलाह से ही करना चाहिए.
धतूरा, जिसे अंग्रेजी में "जिम्सनवीड" कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है. इसके पत्ते, बीज और फल में कई औषधीय गुण होते हैं. आयुर्वेद में धतूरा का उपयोग विभिन्न रोगों के उपचार में किया जाता है. यह एक प्रभावी दर्द निवारक है और गठिया, मांसपेशियों के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करता है. धतूरा अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी श्वसन समस्याओं में भी उपयोगी होता है, क्योंकि यह श्वसन नलियों को आराम पहुंचाता है.
धतूरे के बीज पाचन तंत्र को सुधारने में मददगार होते हैं. इसके अलावा यह त्वचा की समस्याओं, जैसे फोड़े और खुजली के इलाज में भी सहायक है. धतूरा अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी श्वसन समस्याओं में राहत देता है. क्योंकि यह श्वसन तंत्र को आराम प्रदान करता है. इसके पत्तों और बीजों का सेवन पाचन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है. हालांकि, धतूरा का सेवन सावधानीपूर्वक करना चाहिए, क्योंकि इसकी अधिक मात्रा जहरीली हो सकती है. विशेषज्ञ की सलाह के बिना इसका उपयोग नहीं करना चाहिए. ये एक शक्तिशाली औषधि है, जो सही तरीके से प्रयोग करने पर स्वास्थ्य के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकता है.
लंबे समय तक काम करने, व्यक्तिगत और व्यवसायिक प्रतिबद्धताओं को पूरा करने और हमारे जीवन के कई अन्य पहलुओं का हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे में चिड़चिड़ापन और थकान महसूस होना स्वाभाविक है, लेकिन मन की यह स्थिति आपके फैसलों को भी प्रभावित करती है। मगर, इस स्थिति पर विराम लगाने और अपने मूवमेंट्स को नियंत्रित करने का एक समग्र तरीका है।
क्या आप जानते हैं कि आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का सेवन आपको आराम करने में मदद कर सकता है, जिससे आपके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिलती है? हां, यह सच है! लेकिन सवाल उठता है कि ये कौन सी जड़ी-बूटियां हैं जो यह कर सकती हैं? आइए जानते हैं।
आमतौर पर भारतीय अश्वगंधा को जिनसेंग के रूप में जाना जाता है। यह जड़ी-बूटी एडाप्टोजेन्स से भरी होती है, जो शरीर को तनाव को नियंत्रित करने में मदद करती है। यह मस्तिष्क के कार्य को बढ़ाने में भी मदद करती है और कोर्टिसोल के स्तर में सुधार करती है। साथ ही, रक्त शर्करा को कम करती है। स्वस्थ मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बढ़ावा देकर, यह आपके मूड को बेहतर बना सकती है। यह अवसाद और चिंता को दूर रखने में भी सक्षम है।
ब्राह्मी नैदानिक मानसिक स्वास्थ्य रोगों के इलाज और दैनिक जीवन के तनावों से निपटने के लिए एक शक्तिशाली जड़ी-बूटी है।ब्राह्मी में मौजूद एक जैव-रासायनिक बैकोसाइड मस्तिष्क के ऊतकों के पुनर्निर्माण में मदद करता है और इसलिए स्मृति, एकाग्रता और बुद्धि पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। ब्राह्मी कोर्टिसोल को लक्षित करती है, जिसे व्यापक रूप से "तनाव हार्मोन" के रूप में जाना जाता है, जो तनाव और हल्की एंग्जायटी को प्रबंधित करने में मदद करती है। यह जड़ी-बूटी अल्जाइमर के लक्षणों को भी कम करने का काम करती है।"
गुडुचि को आमतौर पर गिलोय के नाम से जाना जाता है। संस्कृत में, इसका अर्थ है "जो शरीर को रोगों से बचाता है"। यह अवसाद के इलाज में काफी मददगार है, और तनाव को संतुलित करने और याददाश्त बढ़ाने में भी मदद करती है।
हल्दी को व्यापक रूप से भारत में कई खाद्य व्यंजनों और घरेलू उपचारों में इस्तेमाल किया जाता है। यह मसाला एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होने के साथ-साथ एक एंटीऑक्सीडेंट भी है। हल्दी में करक्यूमिन होता है, और यह रक्त प्रवाह को बढ़ाने में मदद करता है जो हृदय रोगों को रोकता है।
मंडुकपर्णी या खुलकुडी एक भारतीय सुगंधित जड़ी-बूटी है, जो मानसिक सतर्कता और अच्छी याददाश्त के लिए अत्यधिक फायदेमंद है। तेज स्मृति शक्ति प्राप्त करने के लिए जड़ी बूटी का नियमित रूप से उपयोग किया जा सकता है। मंडुकपर्णी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने और विनियमित करने में मदद करती है, और दिन में दो बार एक कैप्सूल आपको ब्रेन फ़ॉग से छुटकारा पाने में मदद करेगा।
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आयुर्वेद में सदियों से बालों की समस्याओं का रामबाण माना जाने वाला भृंगराज या महाभृंगराज आज भी अपनी अद्भुत शक्तियों के लिए जाना जाता है। हमारी दादी-नानी के जमाने में लोग जंगलों से भृंगराज की पत्तियां तोड़कर लाते थे और उनसे तेल बनाते थे, लेकिन आजकल आप इसे आसानी से अपने घर के बगीचे में भी उगा सकते हैं। भृंगराज के तेल में मौजूद पोषक तत्व बालों को अंदर से मजबूत बनाते हैं और उन्हें झड़ने से रोकते हैं। आइए इस आर्टिकल में आपको इसे बनाने और इस्तेमाल का सही तरीका बताते हैं।
बालों का झड़ना रोकता है।
बालों को काला और चमकदार बनाता है।
बालों को मजबूत बनाता है।
डैंड्रफ को दूर करता है।
स्कैल्प को क्लीन रखता है।
बालों की ग्रोथ को बढ़ाता है।
बालों को समय से पहले सफेद होने से बचाता है।
आप घर पर आसानी से भृंगराज तेल बना सकते हैं। इसके लिए आपको यहां बताई कुछ चीजों की जरूरत होगी।
भृंगराज की पत्तियां- 50 ग्राम (ताजी या सूखी)
नारियल का तेल- 250 मिली लीटर
पानी- 1 कप
अगर आप ताजी पत्तियां इस्तेमाल कर रहे हैं तो उन्हें धोकर अच्छी तरह सुखा लें। सूखी पत्तियों को सीधा इस्तेमाल किया जा सकता है।
भृंगराज की पत्तियों को मिक्सर में पीसकर पाउडर बना लें।
एक पैन में नारियल का तेल गरम करें और फिर गरम तेल में भृंगराज का पाउडर डालकर अच्छी तरह मिला लें।
मिश्रण में एक कप पानी डालें और फिर इसे धीमी आंच पर तब तक पकाएं जब तक कि आधा पानी उड़ न जाए और तेल का रंग गहरा न हो जाए।
इसके बाद ठंडा होने के बाद मिश्रण को छन्नी से छान लें और तेल को एक कांच की बोतल में भर लें।
रात को सोने से पहले भृंगराज तेल को बालों और स्कैल्प पर अच्छी तरह से लगाएं और हल्के हाथों से मसाज करें।
भृंगराज तेल को दही या अंडे के साथ मिलाकर हेयर मास्क के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
आप भृंगराज तेल को अपने शैम्पू में मिलाकर भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
शिवलिंगी बीज बेहद मददगार हैं। यह न केवल बांझपन की समस्या को दूर कर सकते हैं बल्कि पाचन तंत्र को मजबूत बनाने के साथ-साथ टाइफाइड जैसे गंभीर बुखार को दूर करने में बेहद उपयोगी साबित हो सकते हैं। बता दें शिवलिंगी को संस्कृत में बहुपत्रा, शिवल्ली कहते हैं तो वही इसे इंग्लिश में ब्रायोनिया लैसीनोसा (Bryonia Laciniosa) के नाम से जानते हैं। आज का हमारा लेख शिवलिंगी के बीजों पर है। आज हम आपको अपने लेख के माध्यम से बताएंगे कि यह प्रमुख जड़ी-बूटी जिसे शिवलिंगी के नाम से जाना जाता है, यह सेहत के लिए कितनी फायदेमंद है? साथ ही हम इसके नुकसान के बारे में भी जानेंगे।
1 - बुखार को दूर करें शिवलिंगी के बीज
बता दें कि शिवलिंगी के अंदर ऐसे गुण पाए जाते हैं जो न केवल बुखार को दूर करते हैं बल्कि दर्द में भी आराम पहुंचाते हैं। इसके अंदर एंटी-फीवर गुण मौजूद होते हैं जो बुखार को दूर करने के साथ टाइफाइड जैसी समस्या को भी दूर कर सकते हैं। बता दें कि शिवलिंगी का चूर्ण का सेवन पेट की सूजन को भी दूर करने में बेहद उपयोगी है लेकिन इसकी मात्रा का एक बार एक्सपर्ट से ज्ञान ले लें।
2 - कब्ज की समस्या को दूर करें शिवलिंगी के बीज
जिस प्रकार की जीवन शैली हम जी रहे हैं या असंतुलन आहार के कारण अक्सर लोगों को कब्ज की परेशानी रहती है। ऐसे में वे इस परेशानी को दूर करने के लिए न जाने कौन कौन सी दवाइयों का सेवन करते हैं। लेकिन उन लोगों को बता दें कि अगर आप पाचन तंत्र को मजबूत बनाना चाहते हैं और कब्ज की परेशानी से लड़ना चाहते हैं तो शिवलिंगी के बीज का सेवन समस्या को दूर कर सकता है। यह खाने को आसानी से पचाने में मदद करता है।
3 - वजन को कम करने में लाभदायक है शिवलिंगी के बीज
कुछ लोग अपने वजन घटाने के लिए दिनभर एक्सरसाइज अपने खाने पीने में कटौती और न जानें कौन कौन सी जड़ी बूटियों का सेवन करते हैं। ऐसे में बता दें कि यह जड़ी-बूटी यानी कि शिवलिंगी के बीज आपका वजन कम करने मैं बेहद उपयोगी साबित हो सकते हैं। बता दे कि कहीं ना कहीं वजन बढ़ाने में आपकी पाचन क्रिया का भी हाथ होता है। ऐसे में अगर आप का पाचन तंत्र मजबूत रहेगा तो आपका वजन भी नहीं बढ़ेगा। हमने पहले भी बताया कि शिवलिंगी के बीजों से पाचन तंत्र को मजबूती मिलती है। ऐसे में हम कह सकते हैं कि यह वजन को कम करने में भी बेहद मददगार है।
4 - प्रेगनेंसी के लिए शिवलिंगी के बीज
जैसे कि हमने अपने इंटरव्यू में भी बताया कि शिवलिंगी के सेवन से गर्भावस्था के दौरान काफी मुश्किलें दूर हो जाती हैं। बता दें कि शिवलिंगी के बीज गर्भधारण करने में तो मदद करते ही हैं साथ ही ये नवजात शिशु को स्वस्थ बनाने में भी बेहद मददगार हैं। ऐसे में गर्भावस्था के दौरान इसका सेवन करना एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। हमने पहले भी बताया की एक बार प्रेग्नेंट महिलाएं अपनी डाइट में इस जड़ी-बूटी को जोड़ने से पहले एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें।
5 - पाचन तंत्र को मजबूती दें शिवलिंगी के बीज
शिवलिंगी के बीज के सेवन से ना केवल आंतों के काम में सुधार आता है बल्कि यह मल को आसानी से बाहर निकालने में भी मदद करता है। हमने यह तो पहले बताया था कि कब्ज की समस्या से लड़ने में एक अच्छा विकल्प है। लेकिन आपको बता दें कि अपच और एसिडिटी की समस्या को दूर करने में भी बेहद उपयोगी है।
बता दें कि शिवलिंगी के बीजों का उपयोग केवल डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए। साथ ही शिवलिंगी के बीज किसी मात्रा के बारे में भी पता होना चाहिए। लेकिन जैसा हमने कई बार बताया है कि किसी भी चीज की अति सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसा ही कुछ शिवलिंगी के बीज के साथ हैं। बता दें कि शिवलिंगी के बीज अगर ज्यादा मात्रा में लिए जाएं तो यह परेशानी बढ़ा सकते हैं। ऐसे में इसका उपयोग सावधानी के साथ ही करना चाहिए।
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कैमोमाइल को बबूने के फूल के नाम से भी जाना जाता है। यह फूल देखने में काफी खूबसूरत लगता है। इससे बनी चाय सेहत के लिए बेहद फायदेमंद मानी जाती है। कैमोमाइल खासकर एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और उत्तरी अमेरिका में पाया जाता है। कैमोमाइल को हर्बल टी के रूप में जाना जाता है। इसमें एंटी फंगल, एंटी बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं।
कैमोमाइल टी का स्वाद हल्का मीठा होता है। इसे पीने से कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं दूर हो सकती हैं। तो चलिए जानते हैं, कैमोमाइल टी के फायदों के बारे मे
नींद की समस्या में कारगर
नींद की कमी के कारण आपको कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। स्वस्थ रहने के लिए हेल्थ एक्सपर्ट भी रोजाना 7-8 घंटे की नींद लेने की सलाह देते हैं। अगर आप बेहतर नींद चाहते हैं, तो आपके लिए कैमोमाइल टी फायदेमंद साबित हो सकता है। इसे पीने से आपको अच्छी नींद आएगी। चैन की नींद सोने के लिए रात के खाने के बाद आप इस चाय को पी सकते हैं।
पाचन के लिए फायदेमंद
पाचन को स्वस्थ रखने के लिए आप खाना खाने के लगभग एक घंटे बाद कैमोमाइल टी पी सकते हैं। इसे पीने से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल बीमारियों से बचा जा सकता है।
सर्दी-खांस से राहत दिलाने में कारगर
अगर आप सर्दी-खांसी और गले में खराश की समस्या से परेशान है, तो कैमोमाइल आपके लिए सबसे अच्छा ऑप्शन है। यह आपको बंद नाक से राहत दिला सकता है। आप कैमोमाइल भाप भी ले सकते हैं।
त्वचा के लिए फायदेमंद
कैमोमाइल चाय एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है जो आपकी त्वचा को बेहतर बनाने में मदद करती है। इससे स्किन के रंगत में निखार आता है। स्किन को हेल्दी रखने के लिए इस जादुई चाय की जरूर चुस्की लें।
सामग्री
2 चम्मच सूखे कैमोमाइल के फूल, 1 -2 कप पानी, 1 टी स्पून चीनी
बनाने की विधि
एक पैन में पानी गर्म करें, इसमें कैमोमाइल फूल मिलाएं और इसे अच्छी तरह उबालें।
अब इसे छान लें और स्वाद के लिए इसमें चीनी या गुड़ मिला सकते हैं।
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भारतीय मसाले के हर एक मसाले का अपना महत्व है। इन्हीं में से एक अहम मसाला है, लौंग जो कि पूरे शरीर के लिए कई मायनों में फायदेमंद है। लौंग को कई प्रकार की डिशेज में मिलाया जाता है, क्योंकि इसकी एक तेज खास महक इसे एक अलग फ्लेवर भी देती है। इसी तरह प्रतिदिन मात्र एक लौंग चबाने से हेल्थ को कई प्रकार के फायदे मिलते हैं। आइए जानते हैं प्रतिदिन एक लौंग चबाने के फायदे-
लौंग में एंटी-इंफ्लेमटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जिससे खाना खाने के बाद एक लौंग चबाने से ब्लोटिंग, गैस और एसिडिटी से राहत मिलती है। लौंग के एंटी बैक्टीरिया गुण आंतों में मौजूद पैरासाइट को नष्ट करते हैं। ये भूख भी बढ़ाता है और साथ ही पाचन शक्ति भी बढ़ाता है, जिससे शरीर को स्फूर्ति मिलती है।
ओरल हेल्थ के लिए लौंग का इस्तेमाल करने की जानकारी लगभग सभी को है। इसमें मौजूद एंटीसेप्टिक गुण इन्फेक्शन से लड़ने में मदद करते हैं, साथ ही लौंग का तेल मुंह के छालों और दांत दर्द के लिए बहुत फायदेमंद है। ये मुंह की बदबू भी दूर करता है।
लौंग के एंटी-वायरल गुण कई बीमारियों से बचाव करने में मदद करते हैं। ये एक बेहतरीन एंटी-ऑक्सीडेंट है, जिससे ये शरीर को खतरनाक फ्री रेडिकल से बचाता है। इससे फ्लू जैसे संक्रमण से बचाव होता है।
लौंग में विटामिन सी, के, फाइबर और मैंगनीज पाया जाता है, जो शरीर को जरूरी पोषक तत्व देने के साथ इंफ्लेमेशन से बचाव करता है और लिवर, बोन, डाइजेस्टिव और रेस्पिरेटरी हेल्थ के लिए कई मायनों में फायदेमंद होता है।
लौंग में यूजेनॉल और फ्लेवोनॉयड जैसे हाइड्रो एल्कोहलिक कंपाउंड पाए जाते हैं जो बोन डेंसिटी बढ़ाते हैं और हड्डियों में मिनरल की मात्रा भी बढ़ाते हैं
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कौन नहीं चाहता कि उसके बाल लंबे-घने और मजबूत हो जाए! हम अपने बालों के लिए क्या कुछ नहीं करते हैं यहां कर की 1000 तरह के केमिकल भी बालों पर लगाते हैं। लेकिन होता ये है कि उनसे हमारे बाल झड़ने लगते हैं। भला अब आप बालों को लंबा-घना भी करना चाहती हैं और केमिकल्स का कोई साइड इफेक्ट भी नहीं चाहती हैं, ये कैसे हो सकता है?
बिल्कुल हो सकता है और ये काम करेगी बालों के लिए वरदान कही जाने वाली जटामांसी जड़ी बूटी। आपको बता दें कि जटामांसी कोई आम जड़ी बूटी नहीं है बल्कि ये हमारे बालों को फिर से उगाने और उन्हें घना बनाने में भी फायदेमंद होती है। आइए आपको बताते हैं फायदों से भरी इस जड़ी बूटी को बालों पर इस्तेमाल करने का तरीका।
अगर आप अपनी खोपड़ी में घने बाल चाहते हैं तो जटामांसी आपके लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद है। जटामांसी पर किए गए शोध में पॉजिटिव रिजल्ट मिले हैं साथ ही बालों को फिर से उगाने में कम समय भी लेती है। जब खुद साइंटिफिकली प्रूव है तो फिर आइए जानते हैं कि हम इसे कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन उससे पहले इसके फायदों के बारे में भी जान लेते हैं।
बालों पर लगाएं जटामांसी हेयर मास्क
पेड़ की जड़ों जैसी दिखने वाली जटमांसी को आप कई तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं जिनमें से पहला तरीका है हेयर मास्क बनाने का। इसके लिए आपको जरूरी चीजें चाहिए होगी, जैसे-
जटामांसी- 1-2 गुच्छे
पाउडर हिना मेहंदी- 3 चम्मच
नारियल का तेल
हेयर मास्क बनाने का तरीका
अब सबसे पहले रात को सोने से पहले जटामांसी को एक बाउल में पानी रखकर भिगोने के लिए रख दें।
सुबह आप देखेंगे की पानी का रंग गाढ़ा हो गया है और जटामांसी गिलगीली हो गई है।
अब आपको ये करना है कि जटामांसी को पानी सहित मिक्सी में डाल दें और पीस लें।
जो पेस्ट तैयार हुआ है उसे छान लें। आप चाहें तो बारीक पेस्ट बनाकर उसे डायरेक्ट भी बालों पर लगा सकते हैं।
दूसरा तरीका है कि अगर आप पेस्ट को छानकर पानी अलग कर रही हैं तो फिर इसमें बताई गई गई मात्रा के अनुसार मेहंदी और नारियल का तेल मिक्स कर दें और स्मूथ पेस्ट तैयार कर लें।
अब आप इसे बालों पर लगाकर 1 घंटे कर रखें और फिर समय पूरा होने के बाद हेयर वॉश कर लें।
हर महीने इस हेयर मास्क का इस्तेमाल करें और बालों पर ऑयलिंग करना न भूलें।
जटामांसी हेयर ऑयल
बालों के लिए सबसे ज्यादा जरूरी होता है पोषण जो हमें ऑयलिंग के दौरान मिलता है। ऐसे में अगर आप बालों पर तेल नहीं लगाएंगी तो वो रूखे, बेजान और दोमुंहे हो जाएंगे। आप अपने बालों की ग्रोथ को बढ़ाने के लिए जटामांसी तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। आजकल बालों पर तेल लगाने के कई टूल्स आ गए हैं, जिनकी मदद से आप स्कैल्प के अंदर तक तेल पहुंचा सकते हैं और उन्हें पोषण दे सकते है।
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