Blog by Suveta Notiyal | Digital Diary
" To Present local Business identity in front of global market"
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काली मिर्च को मसालों की रानी भी कहा जाता है. ये केवल हमारे खाने का स्वाद बढ़ाने तक सीमित नहीं है. इसमें कई औषधीय गुण होते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं. अगर इसे सोने से पहले सही तरीके से खाया जाए, तो यह कई स्वास्थ्य लाभ दे सकती है. काली मिर्च के फायदे इतने हैं कि इन्हें नजरअंदाज करना किसी भी कीमत पर सही नहीं होगा. हम सभी खुद को हमेशा स्वस्थ रखने के लिए तरह-तरह के उपाय आजमाते हैं. कुछ घरेलू नुस्खे सेहत के लिए चमत्कारिक काम करते हैं. घी, शहद और गुनगुने पानी के साथ काली मिर्च का सेवन भी उन्हीं नु्स्खों में से एक है. आपको बता दें काली मिर्च के स्वास्थ्य लाभों की फहरिस्त काफी लंबी है. इसके सभी फायदे लेने के लिए यहां बताए गए तरीके से काली मिर्च का सेवन करें. आइए जानते हैं कि रात को बिस्तर पर जाने से पहले काली मिर्च का सेवन किस प्रकार फायदेमंद हो सकता है और इसे किस चीज में मिलाकर खाना चाहिए
1. पाचन में सुधार
काली मिर्च में पाइपेरिन नामक यौगिक पाया जाता है, जो पाचन क्रिया को तेज करता है. सोने से पहले काली मिर्च का सेवन गैस, अपच और पेट की अन्य समस्याओं से राहत दिला सकता है.
2. इम्यूनिटी मजबूत बनाती है
काली मिर्च में एंटीऑक्सिडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं. यह सर्दी-जुकाम जैसी समस्याओं से बचाने में सहायक है.
3. नींद में सुधार
अगर आप नींद की समस्या से परेशान हैं, तो काली मिर्च का सेवन आपको राहत दे सकता है. यह शरीर को आराम देता है और स्लीप क्वालिटी को बेहतर बनाता है.
4. वजन घटाने में मददगार
काली मिर्च मेटाबॉलिज़्म को तेज करती है और फैट बर्निंग प्रक्रिया को बढ़ावा देती है. रात में इसका सेवन वजन घटाने में मदद कर सकता है.
5. स्किन और बालों के लिए फायदेमंद
काली मिर्च का नियमित सेवन त्वचा को चमकदार और बालों को मजबूत बनाता है. इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण त्वचा को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं और उम्र बढ़ने के लक्षणों को धीमा करते हैं.
6. सांस संबंधी समस्याओं में लाभकारी
काली मिर्च बलगम को कम करने और फेफड़ों को साफ करने में मदद करती है. यह अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी समस्याओं में उपयोगी मानी जाती है.
7. एंटी-कैंसर गुण
इसमें मौजूद पाइपरिन नामक तत्व कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकने में सहायक होता है. यह शरीर से हानिकारक टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है और सेल्स को हेल्दी रखता है.
8. मानसिक स्वास्थ्य में सुधार
काली मिर्च का सेवन ब्रेन फंक्शन को बेहतर करता है और याददाश्त को तेज करता है. यह अवसाद और तनाव को कम करने में सहायक हो सकता है.
दूध में काली मिर्च: एक गिलास गर्म दूध में एक चुटकी काली मिर्च का पाउडर मिलाएं. इसे सोने से पहले पिएं. यह न केवल पाचन को बेहतर बनाएगा बल्कि सर्दी-जुकाम में भी राहत देगा.
शहद और काली मिर्च: एक चम्मच शहद में थोड़ी-सी पिसी हुई काली मिर्च मिलाएं. यह मिश्रण गले की खराश और इम्यूनिटी के लिए फायदेमंद होता है.
गर्म पानी में काली मिर्च: गर्म पानी में काली मिर्च और नींबू का रस मिलाकर पीने से शरीर डिटॉक्स होता है और वजन घटाने में मदद मिलती है.
घी और काली मिर्च: एक चम्मच देसी घी में चुटकीभर काली मिर्च मिलाकर खाने से जोड़ों का दर्द और शरीर की थकान दूर होती है.
काली मिर्च का बहुत ज्यादा सेवन न करें, क्योंकि यह पेट में जलन पैदा कर सकती है.
अगर आपको पेट की अल्सर या गैस्ट्रिक की समस्या है, तो डॉक्टर से सलाह लें.
छोटे बच्चों को काली मिर्च सीमित मात्रा में ही दें.
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कूठ एक औषधीय पौधा है। आयुर्वेद में इस पौधे का प्रयोग सूजन, अस्थमा, छाले आदि परेशानियों को दूर करने में किया गया है। कूठ में एंटीमाइक्रोबियल और एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टीज होती हैं जिनके कारण बड़ी आंत में बैक्टीरिया की ग्रोथ होती है और पाचन संबंधी परेशानियों दूर होती हैं। शरीर की विभिन्न बीमारियों को दूर करने के लिए एलोपैथिक दवाओं से पहले आयुर्वेदिक दवाओं का ही प्रयोग किया जाता था। कोरोना आने के बाद लोगों को आयुर्वेद की शक्ति का अधिक एहसास हुआ। इस महामाीर के बीच लोग जड़ी-बूटियों की ओर मुड़े। ऐसे में यह जगजाहिर है कि आज भी शरीर के रोगों को दूर करने में आयुर्वेद एक टिकाऊ परंपरा है।
कूठ के फायदों के बारे में जानने से पहले कूठ के बारे में जानना जरूरी है। कूठ को कूट भी कहा जाता है। कूठ का प्रयोग शरीर के कई रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है। इसका वानस्पतिक नाम Saussurea costus Lipschitz syn Saussurea lappa है। यह पौधा ऐस्टरेसी कुल का है। इसकी जड़ अधिक उपयोगी मानी जाती है। भारत के हिमालयी क्षेत्र में कूठ अधिक पाया जाता है।
1. अस्थमा में लाभकारी
अस्थमा की परेशानी होने पर फेफड़ों में बलगम जम जाती है, जिस वजह से रोगी को सांस लेने में दिक्कत होती है। इस बलगम को साफ करने का काम कूठ की जड़ करती है। जिन लोगों को अस्थमा या सांस संबंधी परेशानियां है, वे कूठ की जड़ का पाउडर बना लें। इस पाउडर को शहद के साथ चाटें। इससे फेफड़ों से बलगम साफ होगी और दमा की परेशानी दूर होगी।
2. त्वचा रोगों को करे दूर
सिर में फोड़े, फुंसी, चेहरे पर मुहासों की समस्या या शरीर में किसी जगह दाद होने पर भी कूठ का प्रयोग किया जाता है। कूठ में एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टीज पाई जाती हैं, यह प्रॉपर्टीज त्वचा संबंधी संक्रमण को दूर रखती हैं। जिन लोगों को त्वचा संबंधी परेशानियां हैं, वे कूठ के चूर्ण में तेल मिलाकर प्रभावित जगह पर लगाएं। इससे परेशानी जल्द ठीक हो जाती है। तो वहीं, घाव भरने में भी कूठ का प्रयोग मिट्टी के बर्तन में भूनकर उसमें तेल लगाकर घाव पर लगाने से घाव जल्दी भरता है।
3. खांसी को करे दूर
खासी की परेशानी होने पर कूठ का प्रयोग लाभकारी है। खांसी की वजह से आने वाले बुखार में कूठ लाभकारी है। खांसी में फेफड़ों में बलगम जम जाती है। जिस वजह से सांस लेने में भी दिक्कत होती है और खांसी की परेशानी होती है। खांसी होने पर कूठ के चूर्ण को शहद के साथ चाटने से परेशानी में लाभ मिलता है। मलेरिया बुखार को दूर करने में भी कूठ का प्रयोग किया जाता है।
4. सूजन को दूर करने में मददगार
कूठ में एंटी-इंफ्लामेटरी प्रॉपर्टीज होती हैं, जिस वजह से सूजन को दूर करने का भी काम करता है। इसके अन्य उपयोग में आप कूठ के काढ़े का प्रयोग भी सूजन को दूर करने में कर सकते हैं। शरीर में सूजन होने पर कूठ की जड़ का काढ़ा बना लें। इस काढ़े से नहाने से सूजन वाली जगह ठीक हो जाती है।
5. मुंह के छाले करे दूर
मुंह में छाले, जलन आदि परेशानियों में कूठ लाभकारी है। कूठ का क्वाथ मुंह के छालों में लाभ पहुंचाता है। कूठ में एंटी-अल्सर प्रभाव होता है। इसलिए यह मुंह के छालों के लिए रामबाण दवा है। कूठ का काढ़ा बनाकर मुंह में कुछ देर रखकर कुल्ला करें, इससे परेशानी में आराम मिलता है।
औषधीय पौधों और जड़ी बूटियों जैसे हल्दी, अदरक, तुलसी के पत्ते, पुदीना और दालचीनी आमतौर पर भारतीय व्यंजनों में उपयोग किए जाते हैं और वे कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं. इनसे कोल्ड और फ्लू, तनाव से राहत, बेहतर पाचन, मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली पाने के अलावा और भी बहुत से फायदों की एक लंबी लिस्ट है. चलिए जानते हैं कि ऐसे कौन से 7 औषधीय पौधे हैं, जो आप अपने घर में लगा सकते हैं और यह कई रोगों से मुक्ति दिला सकते हैं.
आयुर्वेद में, एलोवेरा को 'औषधीय पौधों के राजा' के रूप में जाना जाता है. यह अपने मांसल पत्तों में पानी रखता है यही कारण है कि यह बहुत शुष्क परिस्थितियों में भी बनाए रख सकता है. तो, अपने बगीचे में एलो वेरा बढ़ने से आपको हर बार पौधे की अतिरिक्त देखभाल करने की जरूरत नहीं होगी. हालांकि, यह निश्चित रूप से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज कर सकता है. इसमें शामिल है:
कब्ज़
पाचन संकट
मुंहासे
खराब शरीर की प्रतिरक्षा
तुलसी या औषधीय पौधों की रानी ऐसा दूसरा पौधा है जो आपके घर में होना जरूरी है. यह पौधा हिंदू धर्म में काफी महत्व रखता है. लेकिन यह सिर्फ धार्मिक महत्व ही नहीं सेहत से जुड़े लाभ भी देता है. तुलसी की मजबूत सुगंध बैक्टीरिया के विकास को रोकने के लिए पर्याप्त है. यह अपने चिकित्सा गुणों के लिए जाना जाता है. यहां तुलसी के उपयोग और उपचार गुणों की सूची दी गई है:
यह आपको तनाव से लड़ने की ताकत देता है
लंबे जीवन को बढ़ावा देता है
खांसी का इलाज करता है
अपच का इलाज करता है
विरोधी कैंसर
बालों के झड़ने, हृदय रोगों, मधुमेह, आदि के लिए अच्छा है.
यह ताजा सुगंधित औषधीय पौधा कई तरह से इस्तेमाल किया जाता है. अपने मनोदशा को बढ़ाने से लेकर अपच का इलाज करने तक, पुदीना यह सब कर सकता है. इस पौधे को बढ़ने के लिए बहुत अधिक पानी की जरूरत होती है. इसलिए आप इसके बीजों को बोएं और पानी पिलाते रहें. पुदीना के बारे में सबसे अच्छा हिस्सा इसकी कीट और कीड़ों को पीछे हटाने की क्षमता है, इसलिए आपका घर एक स्वच्छ वातावरण होगा. पुदीना के फायदे कुछ ऐसे होते हैं-
पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है
प्रतिरक्षा बढ़ाता है
मूड बढ़ाता है
शरीर से खांसी को बाहर निकालता है
लाभ श्वसन स्वास्थ्य
मच्छरों को दूर रखता है
मेथी औषधीय पौधों में से एक है, तो यह इसके गुणों के कारण है. यह एक सदाबहार पौधा है और इसके पत्ते और बीज दोनों उपयोगी होते हैं. मेथी के लाभों पर एक नज़र डालें तो:
कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करता है
बालों का झड़ना कम करता है
भूख बढ़ाता है
अपने उत्सर्जन प्रणाली को बढ़ाता है
रक्त को शुद्ध करता है
ब्लड प्रेशर कम करता है
दर्द और मधुमेह के लिए फायदेमंद
सौंफ एक सुगंधित पौधा है, जो कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं के लिए उपयोगी है. भारत में, लोग हर भोजन के बाद सौंफ के बीज चबाने के आदी हैं. इसे आपके बगीचे में आसानी से उगाया जा सकता है और इसके लिए ज्यादा देखभाल की जरूरत भी नहीं होती है. सौंफ के बीज के कई लाभों पर एक नज़र डालें:
खांसी का इलाज करता है
कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है
आंखों की रोशनी बढ़ाता है
एसिडिटी का इलाज करें
सांसों की बदबू को रोकता है
स्तनपान कराने वाली महिलाओं में स्तन के दूध की आपूर्ति में सुधार करता है
भारतीय रसोई का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है धनिया. इसके पत्ते, बीज और बीजों का पाउडर, सब कुछ आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है. यह आपके भोजन में एक विशिष्ट स्वाद जोड़ता है और इसमें कई प्रकार के औषधीय गुण होते हैं. यहां बताया गया है कि धनिया आपको कैसे स्वस्थ रखता है:
खाने को खराब होने से बचाता है
यह एंटीऑक्सिडेंट में समृद्ध है
मूत्र प्रतिधारण को ठीक करता है
पाचन में सुधार करता है
यह आपके मासिक धर्म चक्र को नियंत्रित करता है
मुंहासे का इलाज करता है
आप किसी भी समस्या का नाम लें, उसका हल अदरक होगी! यह कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं के लिए मूल समाधान है. आपको बस अपने बगीचे में अदरक की जड़ बोनी है और कुछ ही दिनों में यह उग जाएगी. इसमें ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं होती है. यह अपने विशिष्ट स्वाद और निश्चित रूप से आपके समग्र स्वास्थ्य के लिए इसके लाभों के कारण भारतीय भोजन का एक महत्वपूर्ण घटक है. यहां बताया गया है कि अदरक आपके संपूर्ण स्वास्थ्य को कैसे लाभ पहुंचाता है:
अपच का इलाज करता है
सिर में दर्द होता है
ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है
सर्दी, खांसी, फ्लू और अस्थमा का इलाज करता है
मासिक धर्म दर्द और ऐंठन से राहत देता है
आयुर्वेद में कई ऐसी जड़ी-बूटियां हैं, जिनके उपयोग से शरीर बीमारियों से दूर रहता है। इन्हीं जड़ी-बूटियों में एक बूटी है कुटकी। यह जड़ी-बूटी मूल रूप से पहाड़ों में पाई जाती है। कुटकी एक दुर्लभ औषधि है, इसलिए इसके फायदों के बारे में लोग कम जानते हैं। कुटकी का सेवन कई स्वास्थ्य समस्याओं में लाभकारी साबित होता है। बुखार और कई तरह के संक्रमण में कुटकी रामबाण इलाज साबित हो सकती है। इतना ही नहीं, कुटकी बढ़ते वजन को कंट्रोल करने के लिए भी काफी प्रभावी हो सकती है। तो आइए जानते हैं कुटकी के फायदे के बारे में विस्तार से
बुखार से दिलाए आराम
बुखार होने पर हम में से ज्यादातर लोग एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करते हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि कुटकी बुखार को ठीक कर सकती है। दरअसल, कुटकी में एंटीपायरेटिक गुण मौजूद होते हैं, जो शरीर के तापमान को कम करके बुखार ठीक करते हैं। इतना ही नहीं, कुटकी में मौजूद औषधीय गुण मौसमी बीमारियों से बचाव करते हैं। आप कुटकी को गर्म पानी या घी के साथ खा सकते हैं।
वजन घटाने में सहायक
वजन घटाने के लिए कुटकी काफी प्रभावी मानी जाती है। अगर आप वजन कम करना चाहते हैं, तो कुटकी के सेवन से आपको फायदा हो सकता है। कुटकी में मौजूद तत्व गैस्ट्रिक फंक्शन को उत्तेजित करते हैं। इससे डायजेस्टिव फाइबर का उत्पादन बढ़ता है, जिससे अतिरिक्त फैट को कम करने में मदद मिलती है। इतना ही नहीं, कुटकी का सेवन करने से मेटाबॉलिज बूस्ट होता है। रोजाना सुबह खाली पेट कुटकी के पत्तों के अर्क का सेवन करने से वजन घटाने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा, आप चाहें तो गर्म पानी के साथ कुटकी का सेवन कर सकते हैं।
सांस से जुड़ी तकलीफ दूर करे
प्रदूषण, धूल-मिट्टी या संक्रमण के कारण सांस लेने में दिक्क्त हो सकती है। कुटकी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो वायुमार्ग को खोलकर, कंजेशन से राहत दिलाते हैं। यह शरीर में हिस्टामिन के रिलीज को सीमित करता है, जिससे अस्थमा के रोगियों को राहत मिल सकती है। कुटकी का सेवन करने से इम्यूनिटी मजबूत होती है और कई तरह के संक्रमण से बचाव होता है।
लिवर को स्वस्थ रखे
कुटकी का सेवन लिवर को स्वस्थ रखने के लिए किया जा सकता है। कुटकी लिवर को स्वस्थ रखने के लिए काफी असरदार जड़ी-बूटी है। कुटकी का सेवन करने से लिवर संबंधी समस्याओं से बचाव होता है। कुटकी का सेवन पित्त दोष को ठीक करने के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। कुटकी में कुटकिन और पिक्रोलिव जैसे एंजाइम पाए जाते हैं, जो लिवर की कार्य क्षमता को बेहतर बनाते हैं। इसके साथ ही, कुटकी विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में मदद करती है। इससे कई बीमारियों से बचाव में मदद मिलती है।
त्वचा संबंधी समस्याएं दूर करे
अगर आप फोड़े-फुंसी, घाव और त्वचा संबंधी समस्याओं से परेशान हैं, तो कुटकी का सेवन कर सकते हैं। कुटकी में मौजूद तत्व घाव जल्दी भरने में मदद करते हैं। कुटकी में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो त्वचा संबंधी समस्याओं को ठीक करने में मदद करते हैं। कुटकी का सेवन करने से त्वचा के घाव, खुजली और चक्क्ते जल्दी ठीक होते हैं। शोध में पाया गया है कि सोरायसिस और विटिलिगो जैसे त्वचा संबंधित रोगों को दूर करने में भी कुटकी फायदेमंद है।
इलायची, जिसे हिंदी में Elaichi और अंग्रेजी में Cardamom कहा जाता है, भारतीय रसोई में एक खास मसाला है। यह छोटी-छोटी हरी बीन्स अपनी अद्भुत खुशबू और स्वाद के लिए जानी जाती हैं। शायद आपने कभी सोचा नहीं होगा कि इस छोटी सी बीन्स के इतने सारे फायदे हो सकते हैं। भारतीय चाय, मिठाइयों, और खास व्यंजनों में इलायची का उपयोग न केवल स्वाद को बढ़ाता है, बल्कि यह आपके स्वास्थ्य के लिए भी एक बेमिसाल चीज है।
इलायची का इस्तेमाल करने के तरीके सरल और विविध हैं। आप इसे चाय, दूध, या खाना पकाने में डाल सकते हैं। जब आप चाय में इलायची डालते हैं, तो न केवल चाय का स्वाद बढ़ जाता है, बल्कि इसके स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं। इलायची का पाउडर बनाकर मिठाइयों में डालना भी एक अच्छा तरीका है। लेकिन ध्यान रखें कि इसे अधिक मात्रा में न डालें, क्योंकि इससे पेट दर्द या अन्य समस्याएँ हो सकती हैं।
इलायची के फायदे न सिर्फ सेहत के लिए बल्कि सौंदर्य के लिए भी महत्वपूर्ण हैं. इसमें उपस्थित गुण पाचन तंत्र को सुधारने से लेकर त्वचा को निखारने तक लाभकारी होते हैं. आईये जानते हैं इलायची के फायदे और उनके बारे में विस्तार से.
स्वास्थ्य के लाभ
इलायची का सेवन आपके पाचन तंत्र को ठीक रखता है, सांस की समस्याओं को दूर करता है और दिल की सेहत में सुधार लाता है। यह रक्तदाब को नियंत्रित करने में भी मदद करती है। एक स्वास्थ्य विशेषज्ञ के शब्दों में, "इलायची एक सुपरफूड की तरह काम करती है, जो कई स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में सहायक होती है।
सौंदर्य के लाभ
इलायची की अच्छाइयाँ केवल स्वास्थ्य तक ही सीमित नहीं हैं, यह आपके सौंदर्य रूटीन में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स त्वचा को निखार सकते हैं और बालों की सेहत को सुधार सकते हैं। "इलायची को अपने सौंदर्य रूटीन में शामिल करके आप पा सकते हैं चमकदार त्वचा और स्वस्थ बाल।
पाचन तंत्र को सुधारता है
इलायची का पाचन तंत्र पर गहरा असर होता है। यह पेट की समस्याओं को दूर करने में मदद करती है, जैसे गैस, अपच, और सूजन। खाना खाने के बाद अगर आपको पेट में भारीपन या असहजता महसूस होती है, तो एक इलायची का सेवन इस परेशानी को कम कर सकता है. "इलायची पाचन को ठीक करने में कमाल की भूमिका निभाती है, जिससे पेट की समस्याएँ दूर हो सकती हैं।
सांस की बदबू को कम करता है
इलायची की ताजगी देने वाली विशेषताएँ सांस की बदबू को प्रभावी ढंग से कम कर सकती हैं। इसकी एंटीबैक्टीरियल प्रकृति मुँह में बैक्टीरिया को कम करती है, जिससे सांस ताजगी से भरी रहती है। अगर आप गुमसुम या चाय के बाद ताजगी चाहते हैं, तो इलायची आपके काम आ सकती है।"इलायची आपके मुँह को ताजगी देने के साथ-साथ सांस की बदबू को भी कम कर सकती है।
दिल की सेहत को सुधारता है
इलायची में मौजूद पोषक तत्व दिल की सेहत के लिए भी फायदेमंद हैं। यह रक्तदाब को नियंत्रित करने और दिल को स्वस्थ रखने में मदद करती है। यदि आप दिल की सेहत को लेकर चिंतित हैं, तो इलायची का नियमित सेवन एक अच्छा विकल्प हो सकता है।"इलायची दिल के लिए एक अच्छे दोस्त की तरह काम करती है, जो हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है।
खाँसी और जुकाम में राहत देती है
इलायची खाँसी और जुकाम जैसी समस्याओं में भी मददगार हो सकती है। इसका सेवन कफ को कम करने और गले को सुकून देने में मदद करता है। सर्दियों में जब ठंड और खाँसी से राहत की जरूरत हो, तो इलायची एक असरदार उपाय हो सकती है। "इलायची सर्दियों में खाँसी और जुकाम से राहत पाने के लिए उपयोगी हो सकती है।"
त्वचा को निखारता है
इलायची में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स त्वचा की चमक को बढ़ाते हैं और त्वचा को स्वस्थ बनाए रखते हैं। इससे दाग-धब्बों को कम किया जा सकता है और त्वचा को एक नैचुरल ग्लो मिल सकता है। यदि आप अपनी त्वचा को निखारना चाहते हैं, तो इलायची को अपने सौंदर्य रूटीन में शामिल कर सकते हैं।"इलायची आपकी त्वचा को प्राकृतिक रूप से निखार सकती है और आपकी खूबसूरती को बढ़ा सकती है।"
हालांकि इलायची के फायदे अनेक हैं, लेकिन इसके सेवन में कुछ सावधानियाँ बरतनी ज़रूरी हैं। अगर आप बहुत अधिक इलायची का सेवन करते हैं, तो आपको पेट दर्द, उल्टी और दस्त जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। कुछ लोगों को इससे एलर्जी भी हो सकती है। यदि आप किसी विशेष दवा का सेवन कर रहे हैं, तो इलायची का उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेना हमेशा बेहतर होता है। "इलायची का सेवन संतुलित मात्रा में करें ताकि आप इसके लाभ उठा सकें और किसी भी प्रकार की समस्या से बच सकें।"
आयुर्वेद में कई ऐसी जड़ी-बूटियां जिनका उपयोग तरह-तरह के रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है। ये जड़ी बूटियां हमारी सेहत के लिए भी फायदेमंद होती हैं। इन्हीं में से एक जड़ी बूटी है गुग्गुल। गुग्गुल एक वृक्ष है, इसमें से निकलने वाले गोंद का उपयोग आयुर्वेद में किया जाता है। गुग्गुल को जोड़ों की दर्द, सूजन और डायबिटीज की समस्या दूर करने में लाभकारी माना जाता है। गुग्गुल बीमारियों को दूर रखने और आपको स्वस्थ रखने में मदद करता है। लेकिन इसका सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए, अन्यथा यह नुकसानदायक भी हो सकता है।
गुग्गुल की तासीर गर्म होती है, यह स्वाद में कड़वा होता है। गुग्गुल का वानस्पतिक नाम Commiphora wightii (कौमीफोरा वाइटिआइ) है। इसे गूगल और गुग्गुलु के नाम से भी जाना जाता है। इसे अंग्रेजी में Indian bdellium कहते हैं। गुग्गुल गोंद को औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। गुग्गुल विटामिंस, एंटीऑक्सीडेंट और मिनरल्स से भरपूर होता है।
1. डायबिटीज में फायदेमंद गुग्गुल
आयुर्वेद के अनुसार डायबिटीज वात और कफ दोष के असुंतलन के कारण होता है।गुग्गुल में वात और कफ को कम करने वाले गुण होते हैं, इसलिए इसे डायबिटीज रोगियों के लिए लाभकारी माना जाता है। गुग्गुल इंसुलिन का उत्पादन करने में मदद करता है, ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखता है। डायबिटीज रोगी गुग्गुल का सेवन डॉक्टर की सलाह पर कर सकते हैं।
2. कब्ज से राहत दिलाए गुग्गुल
पाचन तंत्र में गड़बड़ी की वजह से गैस, अपच और कब्ज की समस्या होती है। गुग्गुल पाचन में सुधार करता है। गुग्गुल का चूर्ण एसिडिटी और कब्ज की समस्या से राहत दिलाता है। पाचन की ठीक रखने के लिए आप गुग्गुल का सेवन कर सकते हैं।
3. त्वचा के लिए लाभकारी गुग्गुल
आयुर्वेद में गुग्गुल का उपयोग त्वचा से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए भी किया जाता है। गुग्गुल में कषाय गुण होता है, जो त्वचा की परेशानियों को दूर करता है। गुग्गुलत्वचा के मुहांसों से निजात दिलाता है। लेकिन गुग्गुल की तासीर गर्म होती है, इसलिए पित्त प्रकृति वाले लोगों को इसका सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए। गुग्गुल रूखी त्वचा का कारण भी बन सकता है।
4. जोड़ों के दर्द में लाभकारी गुग्गुल
जोड़ों में दर्द और सूजन शरीर में वात दोष बढ़ने के कारण होती है। गुग्गुल वात को संतुलन में रखती है, इससे दर्द से राहत मिलती है। गुग्गुल का सेवन हड्डियों को भी मजबूत बनाता है। साथ ही गुग्गुल में इंफ्लामेटेरी गुण होते हैं, जो सूजन से राहत देने में मदद करते हैं। गुग्गुल गठिया रोग में भी फायदेमंद होता है।
5. घाव ठीक करे गुग्गुल
अगर आपको कोई चोट लगती है, तो इसके घाव को भरने में समय लग सकता है। गुग्गुल चोट के घाव को जल्दी ठीक करने में सहायक होता है। यह घाव के जलन और दर्द से भी राहत दिलाता है। घाव पर गुग्गुल का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर की राय जरूर लें।
अगर गुग्गुल का सेवन सीमित मात्रा में किया जाए, तो यह सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। लेकिन अधिक मात्रा में इसका सेवन करना नुकसानदायक भी हो सकता है। यह मोतियाबिंद और ड्राय स्किन की समस्या पैदा कर सकते हैं। इसलिए आपको गुग्गुल का सेवन हमेशा डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए।
दुनियाभर में कई ऐसी जड़ी-बूटियां हैं जिनका इस्तेमाल दवाएं, च्यवनप्राश और कई तरह की बीमारियों के इलाज में किया जाता है। इनमें अश्वगंधा, सफेद मूसली, मुलेठी जैसी जड़ी-बूटियां शामिल हैं। औषधीय गुणों के कारण इन जड़ी-बूटियों को सेहत के लिए वरदान माना जाता है। आज इस लेख में हम आपको एक ऐसी ही आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका प्रयोग तो बहुत होता है, लेकिन जानकारी बहुत ही कम लोगों को होती है। इस जड़ी-बूटी का नाम है अकरकरा। आइए जानते हैं अकरकरा है क्या और इसका इस्तेमाल किन बीमारियों के इलाज में किया जा सकता है।
अकरकरा हिमालयी क्षेत्र में पाई जाने वाली एक खास तरह की जड़ी-बूटी है। अकरकरा मुख्य तौर पर एक पेड़ होता है। बीमारियों के इलाज में अकरकरा के छोटे पौधे और जड़ का इस्तेमाल किया जाता है। आइए जानते हैं अकरकरा के फायदों के बारे में।
बुखार को करता है कम
अकरकरा में एंटी-वायरल और एंटी-बैक्टीरियल पोषक तत्व पाए जाते हैं जो बुखार को कम करने में सहायक होते हैं। यही कारण है कि हल्के बुखार में अकरकरा का चूर्ण लेने की सलाह दी जाती है।
सूखी खांसी से दिलाता है राहत
बदलते मौसम में होने वाली सूखी खांसी से राहत दिलाने में भी अकरकरा बहुत फायदेमंद होता है। सूखी खांसी में अकरकरा के चूर्ण में सोंठ और शहद मिलाकर सेवन करने की सलाह दी जाती हैं। हालांकि जिन लोगों को बहुत ज्यादा सूखी खांसी है उन्हें अकरकरा का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
हिचकी दूर करने में मददगार
अचानक होने वाली हिचकी को कम करने में अकरकरा काफी फायदेमंद माना जाता है। हिचकी की समस्या होने पर अकरकरा के चूर्ण में शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने की सलाह दी जाती हैं। हिचकी की समस्या होने पर अकरकरा के चूर्ण को गुनगुने पानी में घोलकर भी सकते हैं।
गठिया की परेशानी से दिलाता है राहत
आजकल की गलत लाइफस्टाइल के कारण कई लोगों को गठिया की समस्या हो रही है। गठिया की समस्या से राहत दिलाने में अकरकरा काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। गठिया के दर्द का इलाज करने के लिए आप अकरकरा के चूर्ण का लेप बनाकर इस्तेमाल कर सकते हैं।
घाव भरने में मददगार
अकरकरा में मौजूद एंटी बैक्टीरियल गुण किसी भी घाव को भरने में मदद कर सकते हैं। अकरकरा घाव के साथ-साथ उस हिस्से पर होने वाली सूजन को भी खत्म करने में मदद कर सकता है।
अकरकरा एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है इसका इस्तेमाल सदियों से दवा के रूप में किया जा रहा है, लेकिन जिन लोगों को डायबिटीज, किडनी रोग या किसी भी तरह की एलर्जी की समस्या है वो अकरकरा का सेवन बिना डॉक्टरी सलाह के न करें। अगर आप किसी समस्या में अकरकरा का सेवन कर रहे हैं और इससे आपको खुजली, जलन या पाचन संबंधी समस्या होती है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
पर्यावरण संरक्षण, प्राणवायु आक्सीजन और शुद्ध हवा के लिए तमाम तरह के पौधे लगाए जा रहे हैं। इसमें नीम, बरगद या बड़ और पीपल को प्रमुखता दी जा रही है, लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि सिरस या शिरीष समेत कई नामों से पुकारा जाने वाला यह पेड़ इन सबसे ऊपर है। इसके फूलों की सुगंध एक बार नाक में लग गई तो आपको जिंदगी भर याद रहेगी।
दुख इस बात का है कि आज इस पेड़ की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है। सभी नीम, बड़, पीपल आदि लगा रहे हैं। आज सिरस के पेड़ नाममात्र के लिए देखने भर रह गए हैं। इस पेड़ के औषधीय गुण भी काफी ज्यादा हैं। यह शरीर मे कहीं भी गांठ हो, उसको गला देता है। शरीर के नसों में जमा हुआ खून पतला कर देता है। चर्म रोग ठीक करता है। उच्च रक्तचाप या हाई-बीपी को ठीक करता है। इससे कैंसर की गांठ भी ठीक हो जाती है। इसके अनगिनत गुण-धर्म हैं। यह रोग के तीन प्रमुख कारक वात, पित्त व कफ में काम करता है। जिसके पास भी इस पौधे के बीज हैं वो ज्यादा से ज्यादा लोगों को बांटें, अधिक से अधिक इस पेड़ के पौधे लगाएं। अब यह बहुत कम दिखता है, इसलिए इसे बचाना बहुत जरूरी है।
सिरस औषधि का खजाना है। इसका पेड़ घना होता है। छायादार वृक्षों में इसे सबसे उत्तम माना गया है, क्योंकि इसके नीचे रहने पर ना केवल शुद्ध वायु मिलती है, बल्कि सुगंधित भी, जो अन्य पेड़ों में बहुत कम होती है। इसकी छाल, फूल, बीज, जड़, पत्ते आदि हरेक का इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता है, बस आपको जानकारी होनी चाहिए। यह वृक्ष बहुत तेजी से बढ़ता भी है। इसके विशाल पेड़ भी देखने को मिल सकते हैं। वसंत ऋतु में जब पतझड़ आती है, तो इसके भी पत्ते गिर जाते हैं।
सिरस के पेड़ में उगने वाले फूल लाल, पीले, सफेद और काले भी होते हैं। यह इसकी अलग-अलग प्रजाति पर निर्भर होती है, लेकिन औषधीय गुण में विशेष अंतर नहीं होता। पहले यह पेड़ जमशेदपुर व आसपास समेत यहां के जंगलों में भी खूब मिलता था, लेकिन अब यह लुप्तप्राय हो गया है। सड़क किनारे लगे सिरस के कई पेड़ सड़क चौड़ीकरण में कट गए हैं। वन विभाग को इसके पेड़ लगाने चाहिए।
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आधुनिक समय में जोड़ों के दर्द की समस्या आम हो गई है। इस समस्या से किसी भी उम्र का व्यक्ति प्रभावित हो सकता है। जोड़ों में दर्द के कई कारण हैं। इनमें शरीर में कैल्शियम और विटामिन-डी की कमी प्रमुख है। इसके अलावा, गठिया, ऑस्टियोपोरोसिस, चोट, कमजोर हड्डियां और अधिक काम करने से भी जोड़ों में दर्द की समस्या होती है। अगर आप भी जोड़ों के दर्द की समस्या से परेशान हैं और इससे निजात पाना चाहते हैं, तो रोजाना यह खास काढ़ा जरूर पिएं। इस काढ़े के सेवन से जोड़ों के दर्द में बहुत जल्द आराम मिलता है। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
आयुर्वेद में निर्गुन्डी को औषधि का दर्जा प्राप्त है। अंग्रेजी में इसे Chinese chastetree और संस्कृत में सिन्दुवार कहा जाता है। देश के विभिन्न क्षेत्रों में अलग अलग नामों से जाना जाता है। इस पौधे की अधिकतम ऊंचाई 10 फीट तक होती है। इसकी पत्तियां हरे रंग की होती है। वहीं, फूल सफ़ेद, नीले और काले रंग के होते हैं। इसकी पत्तियां सेहत के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। आयुर्वेद विशेषज्ञ बदलते मौसम में सेहतमंद रहने के लिए निर्गुन्डी की पत्तियों के काढ़े का सेवन करने की सलाह देते हैं।
निर्गुन्डी का काढ़ा पीने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है। इसके लिए निर्गुन्डी की पत्तियों का काढ़ा बनाकर रोजाना सेवन करें। निर्गुन्डी का काढ़ा बनाने के लिए उसकी कुछ पत्तियों को पानी में अच्छी तरह उबाल लें। आप चाहे तो इसमें लौंग, दालचीनी, अदरक आदि चीजें मिला सकते हैं। इसके बाद काढ़े का सेवन करें। इसके अलावा, निर्गुन्डी की पत्तियों और फूलों को सुखा लें। फिर, ग्राइंडर में पीसकर पाउडर तैयार कर लें। अब रोजाना एक गिलास पानी के साथ पाउडर का सेवन करें। हालांकि, सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर से जरूर सलाह लें।
भगवान शिव को प्रिय धतूरा केवल धार्मिक महत्व नहीं रखता, बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है. इसके पत्ते, बीज और फल औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं. आयुर्वेद में इसे दर्द निवारक और सूजन कम करने वाली औषधि माना गया है. धतूरा जोड़ों के दर्द, गठिया, अस्थमा और त्वचा संबंधी समस्याओं में लाभकारी होता है. यह पाचन तंत्र को सुधारने में भी सहायक है. हालांकि, धतूरा जहरीला होता है, इसलिए इसका सेवन केवल डॉक्टर की सलाह से ही करना चाहिए.
धतूरा, जिसे अंग्रेजी में "जिम्सनवीड" कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है. इसके पत्ते, बीज और फल में कई औषधीय गुण होते हैं. आयुर्वेद में धतूरा का उपयोग विभिन्न रोगों के उपचार में किया जाता है. यह एक प्रभावी दर्द निवारक है और गठिया, मांसपेशियों के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करता है. धतूरा अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी श्वसन समस्याओं में भी उपयोगी होता है, क्योंकि यह श्वसन नलियों को आराम पहुंचाता है.
धतूरे के बीज पाचन तंत्र को सुधारने में मददगार होते हैं. इसके अलावा यह त्वचा की समस्याओं, जैसे फोड़े और खुजली के इलाज में भी सहायक है. धतूरा अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी श्वसन समस्याओं में राहत देता है. क्योंकि यह श्वसन तंत्र को आराम प्रदान करता है. इसके पत्तों और बीजों का सेवन पाचन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है. हालांकि, धतूरा का सेवन सावधानीपूर्वक करना चाहिए, क्योंकि इसकी अधिक मात्रा जहरीली हो सकती है. विशेषज्ञ की सलाह के बिना इसका उपयोग नहीं करना चाहिए. ये एक शक्तिशाली औषधि है, जो सही तरीके से प्रयोग करने पर स्वास्थ्य के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकता है.
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