कपालभाति: कपालभाति शब्द में कपालका अर्थ है–शेर या खोपड़ी तथा भारतीय का अर्थ है–ढोकनी की तरह है श्वास बाहर निकालना कपालभाति एक स्वस्थ संबंधित व्यायाम होता है यह मस्तिष्क को उत्तराजित करता है इसका पसलियों पर अच्छा प्रभाव पड़ता है इससे श्वास...
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कपालभाति: कपालभाति शब्द में कपालका अर्थ है–शेर या खोपड़ी तथा भारतीय का अर्थ है–ढोकनी की तरह है श्वास बाहर निकालना कपालभाति एक स्वस्थ संबंधित व्यायाम होता है यह मस्तिष्क को उत्तराजित करता है इसका पसलियों पर अच्छा प्रभाव पड़ता है इससे श्वास नली वह नासिक। की गुहिक स्वच्छ हो जाती है। यह क्रिया ऐसे व्यक्तियों को नहीं करनी चहिए।जिन्हें कोई मानसिक बीमारी हो।
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(सुतली प्राणायाम हम कैसे करते हैं जाने) : यहतितली प्राणायाम हर योग का एक भाग है शीतल का अर्थ है शांति है एक समसान व्यायाम है जो आंतरिक उष्मा को काम करता है और मानसिक शारीरिक व भावनात्मक संतुलन को बनाए रखना है इन्हें भी जाने : ...
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(सुतली प्राणायाम हम कैसे करते हैं जाने) : यहतितली प्राणायाम हर योग का एक भाग है शीतल का अर्थ है शांति है एक समसान व्यायाम है जो आंतरिक उष्मा को काम करता है और मानसिक शारीरिक व भावनात्मक संतुलन को बनाए रखना है इन्हें भी जाने : (बैठने की मुर्दा): इसे करते समय पैरों को कोर्स की तरह मोड कर आराम से जमीन पर इस प्रकार बैठिए जिससे कि पर जांघों के ऊपर रहे और पैरों के तलवे ऊपर की तरफ होअपने पैरोंमें मेरुदंडको सीधा रखिएतर्जनीउंगली के सिरों को अंगूठे के सिरों से मिले अपने शेष उंगलियों को या तो फैलाए या ढीला छोड़िए धीरे-धीरे आंखों को बंद कीजिए और अपने मस्तिष्क एवं शरीर को विश्राम दीजिए इन्हें भी पड़े (तकनीक) अपना मुंह खोले धीरे-धीरे जीव को बाहर की और निकलते हुए मोड़ने का प्रयास कीजिए शांति से भीतर की ओर फुककरकीआवाज केसाथ सांस लीजिए तथा सांस लेने के समय शीतलता काअनुभवकीजिएअब अपनी जेब कोभीतर की ओर ले जाए तथा अपने मुंह को बंद रखते हुए जबतक संभव हो सांसो को रोक कर रखिए इस बात का एहसास करें कि समास आपकेमस्तिष्क को अनु प्रणीत कर रही है और धीरे-धीरे समस्त तंत्रिका तंत्र मे फेल रही है धीरे-धीरे नासिक से श्वास छोड़ते हुए शीतलता को महसूस कीजिए यह शीतलप्राणायाम का पहला चरण है इसे 10 से 15 बार नियमित रूप से दोहराइये सावधानियां: १ ऐसे लोग जिन्हें ठंड जुखामअस्थमा अर्थराइटिसबरौनी किस्तऔर दिल की बीमारी है उन्हें इस प्राणायाम से बचना चाहिए/ २ इसका अभ्यास ठंडा मौसम में नहीं करना चाहिए / लाभ: १ यह है क्रोध चिंता में तनाव को काम करता है . . २ यह रक्त को शुद्ध करता है और शरीर में मस्तिष्क को तुरंत ताज रखना है . ३ यह न केवल पाचन क्रिया को सुधरता हैअपितु उच्च रक्तचाप वह अम्लता के लिए भी लाभदायक है ४ यह शरीर है मस्तिष्क को शांत रखता है
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हलासन : यह आसन करने से पूर्व जमीन पर पीठ के बल लेट जाना चाहिएहथेलियां नीचे की तरफ वह दोनों पर आपस में मिले होने चाहिए इसके बाद दोनों पैरों को धीरे-धीरे ऊपर उठाना चाहिएl जब पर सीधे हो जाए तो इन्हें थोड़ा- सा पीछे चुकाकर नितंब था पीठ को भी ऊपर उठाना उठा लेना चाहिए इसके बाद दोनों पैरों को जितना अधिक हो सीख सके पीछे ले जाकर जमीन पर टिका देना चाहिए हाथों को जमीन पर दबाकर शरीर को संतुलि...
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हलासन : यह आसन करने से पूर्व जमीन पर पीठ के बल लेट जाना चाहिएहथेलियां नीचे की तरफ वह दोनों पर आपस में मिले होने चाहिए इसके बाद दोनों पैरों को धीरे-धीरे ऊपर उठाना चाहिएl जब पर सीधे हो जाए तो इन्हें थोड़ा- सा पीछे चुकाकर नितंब था पीठ को भी ऊपर उठाना उठा लेना चाहिए इसके बाद दोनों पैरों को जितना अधिक हो सीख सके पीछे ले जाकर जमीन पर टिका देना चाहिए हाथों को जमीन पर दबाकर शरीर को संतुलित रखना चाहिए कुछ समय पश्चात धीरे-धीरे पूर्व अवस्था में आ जाना चाहिए l. (इन्हें भी पड़े) ( लाभ) शरीर के जोड़ों की कार्य कुशलता में वृद्धि करता है इस आसन को नियमित रूप से करने से रुधिर पर वहां ठीक रहता है इससे मरुधन दंड लचीला बनता है और व्यक्तित्व निरोग में स्वस्थ रहता है
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भद्रासन के लाभ व नियम। दोनों पैरों को सामने की तरफ फैला कर बैठ जाए फिर दाहिने पैर को मोड़कर दाहिने निबंधके नीचे व्यवहार पर को मोड़कर बाय निबंधके नीचेरखिएउसके बाद वज्जासनकी स्थितिमें बैठ जाएफिर दाहिने हाथ से बाएं पैर के अंगूठेकोऔर बाएं हाथ से दाहिने पैर के अंगूठे को पकड़िए अपनी समर्थके अनुसारइसी स्थिति में रख रहेइसके बाद अवस्थामें आ जाए &nb...
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भद्रासन के लाभ व नियम। दोनों पैरों को सामने की तरफ फैला कर बैठ जाए फिर दाहिने पैर को मोड़कर दाहिने निबंधके नीचे व्यवहार पर को मोड़कर बाय निबंधके नीचेरखिएउसके बाद वज्जासनकी स्थितिमें बैठ जाएफिर दाहिने हाथ से बाएं पैर के अंगूठेकोऔर बाएं हाथ से दाहिने पैर के अंगूठे को पकड़िए अपनी समर्थके अनुसारइसी स्थिति में रख रहेइसके बाद अवस्थामें आ जाए इन्हें भी जाने : लाभ इससे टांगों की मांसपेशियां मजबूत बनती है . इसे व्यर्थ के पदार्थ का निष्कर्ष होता है इससे एकाग्रता का विकास होता है इससे फेफड़ों को उचित मात्रा में ऑक्सीजन प्राप्त हो ती है यह आसान समाप्त हो गया है
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सुखासन , इस आसन मैं पैरों को सीधा करके बैठ जाए इसके बाद दया दया पर मोड कर बाय जंग के अ अंदर रखिए फिर बाय पर मोड कर दाएं जंगक अंदर रखिए हाथों को घुटनो पर टिकाई थोड़ी एकदम सीधी होनी चाहिए अपने सर गार्डन वह पीठ को सीधा रखिए आंखें बंद करके अपने सर को आराम दीजिए। लाभ।  ...
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सुखासन , इस आसन मैं पैरों को सीधा करके बैठ जाए इसके बाद दया दया पर मोड कर बाय जंग के अ अंदर रखिए फिर बाय पर मोड कर दाएं जंगक अंदर रखिए हाथों को घुटनो पर टिकाई थोड़ी एकदम सीधी होनी चाहिए अपने सर गार्डन वह पीठ को सीधा रखिए आंखें बंद करके अपने सर को आराम दीजिए। लाभ। यह घुटनों पिंडलियों की मसपेशियों और जांघों को अच्छी मालिश करने मदद करता है। यह बिना किसी दर्द अथवा खिंचाव के मानसिक एवं शारीरिक संतुलन बनाए रखना है। यह आसान शरीर को बेहतर बनाने में भी सहायक है। यह आपका मन शांत करताह। यह रीड की हड्डी की लंबाई बढ़ा ने में सहायकहै। विपरीत सकेत। यदि आपके घटनों अथवा निबंध में कोई चोट हो तो इस आसन को मत कीजिए। यदि आपको शिल्प डिस्क की की समस्या हो तो इस आसन को करने के दौरान पूर्ण सावधानियां बरतनी चाहिए
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Mul yoga yog Bhartiya Sanskriti ka ek prachin vigyan hai jo Sharif man aur atma ke samajaye ko sthapit karne ke mein madad karta hai yog shabd Sanskrit ki dhaatu use se nikala hai jiska Arth jodna ya Milana yog ka uddeshy vyakti ko atmik Gyan prapt karna Ishwar ya Param Satya se jodna hai yah Na Keval ek sharir vyayam hai balki mansik aur aadhyatmik Vikas ka Marg bhi hai
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Mul yoga yog Bhartiya Sanskriti ka ek prachin vigyan hai jo Sharif man aur atma ke samajaye ko sthapit karne ke mein madad karta hai yog shabd Sanskrit ki dhaatu use se nikala hai jiska Arth jodna ya Milana yog ka uddeshy vyakti ko atmik Gyan prapt karna Ishwar ya Param Satya se jodna hai yah Na Keval ek sharir vyayam hai balki mansik aur aadhyatmik Vikas ka Marg bhi hai
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yoga ka perichy yoga multha Atyth suchm vigyan per aadyatmike anushan hai jo man our shrir ke bich samnjsye lane per kendirth hai yeh svasth jiven ki ak kela our vigyan hai [yog...
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yoga ka perichy
yoga multha Atyth suchm vigyan per aadyatmike anushan hai jo man our shrir ke bich samnjsye lane per kendirth hai yeh svasth jiven ki ak kela our vigyan hai [yog]
shebd ki utpethi sanskrit dathu [yug] se hui hai
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yoga ka perichy yoga multha Atyth suchm vigyan per aadyatmike anushan hai jo man our shrir ke bich samnjsye lane per kendirth hai yeh svasth jiven ki ak kela our vigyan hai [yog...
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yoga ka perichy
yoga multha Atyth suchm vigyan per aadyatmike anushan hai jo man our shrir ke bich samnjsye lane per kendirth hai yeh svasth jiven ki ak kela our vigyan hai [yog]
shebd ki utpethi sanskrit dathu [yug] se hui hai
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