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Off Page Seo


Off Page Seo   ऑफ पेज seo वह तकनी क है जि ससे हम अपनी वेबसा इट को बा हर से ऑप्टि मा इज करते हैं जि समें हम बैकलिं क बना ते हैं बैकलिं क एक एसी प्रक्रि या है जि समें दूसरी वेबसा इट आपकी वेबसा इट के पेज को अपनी वेबसा इट के पेज में जो ड़ती है इसका मतलब है दूसरी वेबसा इट आपकी वेबसा इट को पॉ इंट करती है recommend करती है सर्च इंजन या नी गूगल इसे एक वो ट समझता है अगर ज्या दा बैकलिं क हो ते हैं तो ग... Read More

Off Page Seo

 

ऑफ पेज seo वह तकनी क है जि ससे हम अपनी वेबसा इट को बा हर से
ऑप्टि मा इज करते हैं जि समें हम बैकलिं क बना ते हैं बैकलिं क एक एसी प्रक्रि या है
जि समें दूसरी वेबसा इट आपकी वेबसा इट के पेज को अपनी वेबसा इट के पेज में
जो ड़ती है इसका मतलब है दूसरी वेबसा इट आपकी वेबसा इट को पॉ इंट करती है
recommend करती है सर्च इंजन या नी गूगल इसे एक वो ट समझता है अगर
ज्या दा बैकलिं क हो ते हैं तो गूगल उस वेबसा इट को ज्या दा Trusted Valuable
समझता है इससे आपकी सर्च इंजन रैंकिं ग बढ़ती है organic ट्रैफि क मि लता है

सरल भा षा में कहे तो ऑफ page seo एक महत्वपूर्ण तकनी क है जि सका
उद्देश्य वेबसा इट की सर्च इंजन रैंकिं ग को बढ़ा ना है लेकि न यह तकनी क वेबसा इट
के बा हर के का रकों पर केंद्रि त हो ती है ऑफ पेज seo में मुख्य रूप से बैकलिं क
का नि र्मा ण सो शल मी डि या मा र्केटिं ग और ब्रां ड मेंशन जैसी गति वि धि यां शा मि ल
हो ती हैं

 

ऑफ पेज seo ब्लॉ गिं ग के लि ए बहुत जरूरी है | क्यों कि यह आपके ब्लॉ ग की
ऑनला इन वि जि बि लि टी और अथॉ रि टी को बढ़ा ता है off page seo आपके
ब्लॉ ग के बा हरी फैक्टर को इंप्रूव करने का का म करता है, जैसे कि बैकलिं क और
सो शल सि ग्नल्स यहां कुछ तरी के हैं जि नसे आप off page seo को अपने ब्लॉ ग
के लि ए इंप्ली मेंट कर सकते हैं ||

 

1.High Quality Backlink -

 

बैकलिं क या नी की दूसरी वेबसा इट से आपके ब्लॉ ग की तरफ इनकमिं ग लिं क सर्च
इंजन के लि ए एक इंपॉ र्टेंट रैंकिं ग फैक्टर है आप हा ई क्वा लि टी वेबसा इट से रेली वेंट
और अथॉ रि टेटि व बेकलिं ग प्रा प्त करने के लि ए आउटरेज करें, गेस्ट पो स्टिं ग करें
और इंडस्ट्री फॉ र्म और कम्युनि टी ज में participate करें ||

 

Guest blogging -

 

गेस्ट ब्लॉ गिं ग एक इफेक्टि व तरी का है हा ई क्वा लि टी
बैकलिं क प्रा प्त करने का आप अथॉ रि टेटि व ब्लॉ ग या वेबसा इट पर अपने नी च से
रि लेटेड आर्टि कल्स लि खकर उन्हें कंट्री ब्यूट कर सकते हैं | इससे आपको author
bio के द्वा रा back link मि लते हैं जो आपके ब्लॉ ग की तरफ ट्रैफि क ला ते हैं ||

 

Broken Link Building -

 

ब्रो कन लिं क बि ल्डिं ग का मतलब है कि आप दूसरे
वेबसा इट पर ब्रो कन लिं क को आइडेंटि फि केशन करते हैं | और उनके वेब मा स्टर
को अपने रेली वेंट कंटेंट के लिं क प्रो वा इड करते हैं इससे उनको एक फा यदा मि लता
है और वह आपको बैकलिं क प्रो वा इड करते हैं ||

 

Resource page link building -

 

बहुत से वेबसा इट के पा स रि सो र्स पेज
हो ते हैं जो उन्हों ने अपने ऑडि यंस के लि ए यूज़फुल रि सो र्स कलेक्ट कि ए हो ते हैं
आप उन वेबसा इट के वेब मा स्टर से कां टेक्ट करके अपने ब्लॉ ग को उनके रि सो र्स
पेज में इंक्लूड करने के लि ए रि क्वेस्ट कर सकते हैं ||

 

Social media sharing -

 

अपने ब्लॉ ग पो स्ट को सो शल मी डि या प्लेटफॉ र्म
पर शेयर करके भी आप बैकलिं क प्रा प्त कर सकते हैं | अगर आपके कंटेंट को
कि सी Influencer person या वेबसा इट ने शेयर कि या तो इससे आपको
नेचुरल बैकलिं क मि ल सकते हैं |

 

Harvesting Competitor Backlink -

 

आप अपने Competitor के
बैकलिं क को एना ला इज करके उन्ही वेबसा इट से बैकलिं क प्रा प्त कर सकते हैं
आपको पता चल जा एगा कि कौ न सी वेबसा इट आपके कंपी टी टर को बैकलिं क दे
रही है और आप भी उनसे कां टेक्ट करके अपने ब्लॉ ग के लि ए बैकलिं क प्रा प्त कर
सकते हैं ||

:Content Promotion aur outreach -

 

अगर आप हा ई क्वा लि टी और
वैल्युएबल कंटेंट प्रो ड्यूस करते हैं तो आप इसे दूसरे एलि मेंट वेबसा इट और ब्लॉ ग्स
को प्रमो ट कर सकते हैं | अगर उन्हें आपका कंटेंट पसंद आता है तो वह आपके
बैक लिं क देना शुरू कर देंगे ||

या द रहे की हा ई क्वा लि टी बैकलिं क प्रा प्त करने के लि ए आपको पेशेंस और
कंसि स्टेंट एफर्ट की जरूरत हो ती है | आपको हमेशा रेली वेंट और वैल्युएबल कंटेंट
प्रो ड्यूस करने चा हि ए और अपने आउटरी ज एफर्ट को भी स्ट्रैटेजि क और
पर्सनला इज्ड तरी के से करना चा हि ए ||

 

2. Social media promotion

 

अपने ब्लॉ ग पो स्ट को सो शल मी डि या पर शेयर करने एक मुख्य off page seo
strategy है | इससे आप अपने ब्लॉ ग की वि जि बि लि टी बढ़ा सकते हैं और
ऑडि यंस के सा थ इंगेजमेंट भी increase कर सकते हैं अपने सो शल मी डि या
प्रो फा इल्स को ऑप्टि मा इज करें और रेगुलरली अपने कंटेंट को शेयर करें ||

सो शल मी डि या प्रमो शन एक Important Aspect है | ब्ला गिं ग में, क्यों कि यह
आपको अपने ब्लॉ ग को टा रगेट ऑडि यंस तक पहुंचा ने और इंगेजमेंट को बढ़ा ने
का मौ का प्रदा न करता है,

हैयह आपको अपने ब्लॉ ग की वि जि बि लि टी को बढ़ा ने
ब्रां ड अवेयरनेस को बढ़ा ने और ट्रैफि क को Increase करने में मदद करता है |
यहाँ कुछ तरी के हैं जि न्हें आप अपने ब्लॉ ग को सो शल मी डि या प्लेटफॉ र्म पर प्रमो ट
करने के लि ए इस्तेमा ल कर सकते हैं ||

 

Share Engaging Content -

 

अपने ब्लॉ ग के लेटेस्ट पो स्ट को रेगुलरली
अपने सो शल मी डि या अका उंट्स पर शेयर करें | इसके सा थ-सा थ sure करें कि
आप इंगेजिं ग कैप्शन और वि जुअल का इस्तेमा ल करते हैं जो ऑडि यंस के ध्या न
को अपनी तरफ खीं च सकते हैं ||

 

Optimize for each platform -


हर सो शल मी डि या प्लेटफॉ र्म का अपना यूनि क ऑडि यंस और इंगेजमेंट स्टा इल
हो ता है इसलि ए आपको हर प्लेटफा र्म के लि ए अलग-अलग स्ट्रेटजी बना नी हो गी |
फॉ र Example इंस्टा ग्रा म पर आप वि जुअल अपी लिं ग कंटेंट और हैशटैग का
इस्तेमा ल करें जबकि लिं कडइन पर आप प्रो फेशनल इनफॉ र्मेटि व कंटेंट शेयर करें ||

 

Engage with your audience


अपने फॉ लो वर्स के सा थ interact करें उनके कॉ मेंट्स और मैसेजिं ग का जवा ब
दें उनके Question का हल करें और उनके फी डबैक का ध्या न रखें इससे आप
उनके सा थ एक स्ट्रां ग कनेक्शन बना एंगेएं गेऔर उनका इंगेजमेंट भी बढ़ेगा ||

 

Utilize Hashtags


Hashtag का इस्तेमा ल करके आप अपने कंटेंट को रेली वेंट ऑडि यंस तक पहुंचा
सकते हैं | लेकि न या द रहे कि आपको रेली वेंट और पॉ पुलर Hashtag का
इस्तेमा ल करना हो गा जो आपके niche से जुड़ी हुई है ||

Use social media advertising
सो शल मी डि या प्लेटफॉ र्म पर paid एडवरटा इजिं ग का इस्तेमा ल करके भी आप
अपने ब्लॉ ग को प्रमो ट कर सकते हैं | आप अपने टा रगेट ऑडि यंस के लि ए
कस्टमा इज ऐड क्रि एट कर सकते हैं और उन्हें रेली वेंट कंटेंट तक पहुंचा सकते हैं ||
सो शल मी डि या प्रमो शन के द्वा रा आप अपने ब्लॉ ग के reach बढ़ा सकते हैं
ऑडि यंस के सा थ इंगेजमेंट को इंप्रूव कर सकते हैं और अल्टी मेटली अपने ब्लॉ ग
का ट्रैफि क increase कर सकते हैं, इसलि ए अपने सो शल मी डि या स्ट्रेटजी को
ध्या न से प्ला न करें और रेगुलरली update करते रहे ||

 

3. Social Bookmarking

 

सो शल बुक मा र्किं ग सा इट बहुत ज्या दा इंपॉ र्टेंट हो ती है | हमा रे ब्लॉ ग के लि ए off
page seo बहुत ज्या दा अहम रो ल नि भा ता हैं सो शल बुक मा र्किं ग ब्लॉ गिं ग एक
महत्वपूर्ण तरी का है अपने ब्लॉ ग की वि जि बि लि टी को बढ़ा ने और ऑडि यंस तक
पहुंचा ने का , यह आपके ब्लॉ ग के लि ए एक तरह का off page seo है | जो
आपकी सा इट की रैंकिं ग और ट्रैफि क को बढ़ा ने में मदद करता है यहां कुछ का रण
बता ए गए हैं कि सो शल बुक मा र्किं ग ब्लॉ गिं ग के लि ए क्यों महत्वपूर्ण?

Traffic बढ़ाना -


जब आप अपने ब्लॉ ग के पो स्ट को पा पुलर सो शल बुक सा इट जैसे की raddit ,
stumbleupon digg पर शेयर करते हैं तो आपको अधि क ट्रैफि क मि लता है
जब लो ग आपके कंटेंट को पसंद करते हैं तो वह आपके ब्लॉ ग पर आते हैं और
आपके पो स्ट को पढ़ते हैं ||

 

Backlink प्राप्त करना -

 

जब आप अपने ब्लॉ ग के पो स्ट को सो शल बुक मा र्किं ग
सा इट पर शेयर करते हैं, तो यह आपको बैकलिं क प्रा प्त करने का भी अवसर देता
है अगर आपके पो स्ट को लो ग पसंद करते हैं तो वह उन्हें अपने blog या वेबसा इट
पर शेयर कर सकते हैं जि ससे आपको और भी बैकलिं क मि लते हैं ||

:
Search engine ranking मै सुधार -

 

सर्च इंजन जैसे कि गूगल भी सो शल
बुक मा र्किं ग सा इट को इंडेक्स करते हैं अगर आपके ब्लॉ ग के पो स्ट को इन सा इट्स
पर शेयर कि या गया है और वहां से ट्रैफि क आता है तो यह सर्च इंजन रैंकिं ग में भी
सुधा र ला सकता है ||

Blogging Community


मे शा मि ल हो ना - सो शल बुक मा र्किं ग सा इट ब्लॉ गिं ग कम्युनि टी में भी एक
महत्वपूर्ण स्था न रखते हैं, यहां आपके ब्लॉ ग के पो स्ट को दूसरे ब्लॉ गर और कंटेंट
क्रि एटर देख सकते हैं और उनके सा थ कनेक्ट कर सकते हैं इससे आपके ब्लॉ ग का
एक्सपो जर और ऑडि यंस बढ़ता है ||

 

Brand Awareness बढाना


जब आप अपने ब्लॉ ग के पो स्ट को सो शल बुक मा र्किं ग सा इट पर शेयर करते हैं तो
आप अपने ब्रां ड का अवेयरनेस भी बढ़ा सकते हैं अगर लो ग रेगुलरली आपके पो स्ट
को देखते हैं और पसंद करते हैं तो वह आपके ब्रां ड के प्रति वि श्वा स बढ़ा ते हैं ||

इस तरह से सो शल बुक मा र्किं ग ब्लॉ गिं ग के लि ए एक महत्वपूर्ण तरी का है अपने
blog को प्रमो ट करने का और ऑडि यंस तक पहुंचा ने का यह आपको ट्रैफि क
बढ़ा ने में मदद करता है और आपके blog को और भी ज्या दा लो गों तक पहुँचा

 

4. Influencer Outreach

 

Influencer outreach ब्ला गिं ग में अपने ब्लॉ ग को प्रमो ट करने का एक
प्रभा वशा ली तरी का है || यह आपको अपने टा रगेट ऑडि यंस तक पहुंचा ने और
अपने ब्लॉ ग की वि जि बि लि टी को बढ़ा ने में मदद करता है नी चे दि ए गए कुछ कम
इनफ्लुएंसएं र आउटरि स ब्लॉ गिं ग के लि ए उपयो गी है ||

 

Influencers का चुनाव करे!


सबसे पहले अपने niche में प्रसि द्ध और वि श्वसनी य इनफ्लुएंसएं र का पता लगा ए
यह इनफ्लुएंसएं र आपके टा रगेट ऑडि यंस के सा थ संबंधि त हो और आपके ब्लॉ ग
के क्षेत्र में प्रति ष्ठा रखता हो ||

सम्पर्क स्थापित करे -

एक बा र जब आप सही इनफ्लुएंसएं र का चयन कर लेते हैं तो उनके सा थ संपर्क
स्था पि त करें | यह एक प्रक्रि या है जि समें आप उन्हें ईमेल सो शल मी डि या के
मा ध्यम से या उनके वेबसा इट के कंटेंट फॉ र्म के जरि ए संपर्क कर सकते हैं ||

Personalized Approach


प्रया स करें कि आपका संपर्क व्यक्ति गत हो और आप उन्हें अपनी ईमेल या संदेश में
उनके का र्य क्षेत्र और उनके प्रभा व के मा ध्यम में ला ने का सबूत दें ||


Collaboration का ऑफर दे!

 

अपने ब्लॉ ग के लि ए इनफ्लुएंसएं र से को लैबो रेशन का प्रस्ता व दें | इसमें आप उन्हें
गेस्ट पो स्ट लि खना एक सा थ कंटेंट बना ने वेबी ना र या पॉ डका स्ट में शा मि ल हो ने या
फि र उनके सा थ समझ में आमने-सा मने आने का प्रस्ता व दे सकते हैं ||

Social media पर उन्हे tag करे!रे

अगर आप कि सी के सा थ को लैबो रेशन कर रहे हैं या उनके कंटेंट शेयर कर रहे हैं तो
उन्हें सो शल मी डि या प्लेटफॉ र्म पर टैग करें.रेंइससे उनका ध्या न आपके प्रस्ता व पर
चला जा एगा और उनके फॉ लो अर्स भी आपके ब्लॉग के प्रति

5. Backlink

 

जब हम अपना ब्लॉ गिं ग का on page seo पूरा कर लेते हैं तो off page seo
की बा री आती है | तो उसमें सबसे ज्या दा महत्वपूर्ण जो हो ता है वह हमा रा
बैकलिं क हो ता है | जि तने ज्या दा हम बैकलिं क बना एंगेएं गेउतनी ज्या दा हमा री पो स्ट
वा यरल हो गी और गूगल की नजरों में उसकी वैल्यू बनेगी , इसलि ए आपको रेगुलर
बेस पर बैक लिं क बना ने हों गे और आप को शि श करें आपको ऐसे बैकलिं क बना ने
हैं | जो do follow वेबसा इट से आपको मि ले एक अच्छी वेबसा इट से आपको
बैक लिं क देना है बैकलिं क पर ज्या दा से ज्या दा आपको मेहनत करनी है,
हैक्यों कि
अगर आप देखेंगे कि जि तनी भी बड़ी सा इट हो ती है जो गूगल पर रैंक करती है वह
ज्या दा से ज्या दा बैकलिं क बना ती है अगर आप उनके बैकलिं क भी चेक करेंगे तो
हजा रों ला खों में बैकलिं क हो ते हैं इसके लि ए आप semrush पर जा कर डो मेन
overview में कि सी भी वेबसा इट का आप लिं क पेस्ट करें उसमें वहां पर आप
वह दि खा देगा आपको इस वेबसा इट के पा स कि तने back लिं क है || क्यों कि
अगर वह वेबसा इट फर्स्ट पर रैंक कर रही है तो जा हि र सी बा त है उसने ज्या दा से
ज्या दा बैकलिं क बना ए हैं इसलि ए off page seo बहुत ज्या दा जरूरी हो ता है
बैकलिं क के मध्य नजर बैंक लिं क आपको रेगुलर बना ने हैं ऐसा नहीं करने की
आज आपने backlink बना ए उसके बा द आप 15 दि न में बना रहे हैं | बैकलिं क
रेगुलर आपको अपडेट रहना है और ज्या दा से ज्या दा आपको बैकलिं क बना ने हों गे


Important points

 

ब्ला गिं ग में off page seo का हो ना बहुत ही महत्वपूर्ण है | क्यों कि यह आपके
ब्लॉ ग की वि जि बि लि टी और रैंकिं ग को बढ़ा सकता है off page seo का मुख्य
उद्देश्य यह हो ता है कि आपके ब्लॉ ग को दूसरे वेबसा इट पर प्रमो ट करना ता कि
आपके ब्लॉ ग की क्रेडि बि लि टी और अथॉ रि टी बढ़े. इसके लि ए आपको हा ई
क्वा लि टी बैकलिं क प्रा प्त करना हो गा जो आपके ब्लॉ ग को सर्च इंजन रि जल्ट में
उचि त स्था न प्रदा न करेंगे | इसके अला वा सो शल मी डि या पर अपने ब्लॉ ग पो स्ट को
शेयर करना है off page seo का एक महत्वपूर्ण हि स्सा है
सो शल मी डि या प्लेटफॉ र्म जैसे फेसबुक, ट्वि टर, लिं क्डइन और इंस्टा ग्रा म पर
अपना कंटेंट को शेयर करते हैं | आप अपने ऑडि यंस तक पहुंच सकते हैं और
अपने ब्लॉ ग के ट्रैफि क को बढ़ा सकते हैं गेस्ट पो स्टिं ग भी एक उपयुक्त तरी का है.
off page seo के लि ए अगर आप अपने ब्लॉ ग से रि लेटेड दूसरे ब्लॉ ग पर गेस्ट
पो स्ट लि खते हैं तो आपके ब्लॉ ग को और भी अधि क एक्स्पो ज़र मि ल सकता है
इसके अला वा कमेंट करना और पा र्टि सि पेट करना भी off page seo में
मददगा र सा बि त हो सकता है | इस तरह के एक्टि वि टी ज से आप अपने ब्लॉ ग की
ऑनला इन presence को बढ़ा सकते हैं और अपने ब्लॉ ग पर अधि क ट्रैफि क ला
सकते हैं ||
जैसे कि आप सब जा नते हैं seo ती न प्रका र का हो ते है on page seo, off
page seo , टेक्नि कल seo एक तरी के से हमा री वेबसा इट के लि ए on page
जरूरी है off page जरूरी है उसी तरी के से हमा री वेबसा इट के लि ए टेक्नि कल
seo भी बहुत ज्या दा जरूरी है कि सी भी वेबसा इट कि सी भी वेब पेज को
टेक्नि कल एक्सपेक्ट को टेक्नि कल seo कहते हैं वेबसा इट की इंडेक्सिं ग क्रा उलिं ग
या स्पी ड के लि ए टेक्नि कल seo कि या जा ता है टेक्नि कल seo में जो भी हम
करते हैं वह एक बा र हो ता है ला इफ में लेकि न ऑन पेज ऑफ पेज को हमेशा करते
रहना पड़ता है जैसे कि टेक्नि कल seo का ही पा र्ट है एसएसएल सर्टि फि केट आप
एक बा र सि र्फ उसे ज्वा इन करते हैं एक बा र डा उनलो ड करते हैं अपनी वेबसा इट में
ला इफटा इम के लि ए हो जा ता है एक ही बा र आपकी सा इट पर लगता है का फी
सा रे ऐसे फैक्टर है टैग हों गे जो एक ही बा र सेट करने हैं बा र-बा र आपको नहीं सेट
करना टेक्नि कल seo बहुत ज्या दा जरूरी है हमा री वेबसा इट के लि ए स्पेशली
हमा री वेबसा इट की स्पी ड को बढ़ा ने के लि ए टेक्नि कल seo बहुत ज्या दा जरूरी है

सरल भा षा में कहें तो टेक्नि कल seo एक ऐसी प्रक्रि या है जो वेबसा इट के
टेक्नि कल एस्पेक्ट पर फो कस करता है जि ससे सर्च इंजन जैसे गूगल, बिं ग, या हू
etc... आपकी वेबसा इट को बेटर अंडरस्टैंड कर सके और उसे सही तरी के से
इंडेक्स कर सके यह seo का एक इंपॉ र्टेंट पा र्ट है जो डा यरेक्टली वेबसा इट के
परफॉ र्मेंस और सर्च इंजन रैंकिं ग को इनफ्लुएंसएं करता है
नी चे दि ए गए कुछ तरी कों का इस्तेमा ल करके आप टेक्नि कल seo को अच्छे से
कर सकते हैं अपनी वेबसा इट की स्पी ड को बढ़ा सकते हैं
यह तरी का नि म्नलि खि त है ||
5.TECHNICAL SEO


1.Site map xml


टेक्नि कल seo में सबसे पहले हम अपनी वेबसा इट के लि ए site map बना ते हैं
site map भी दो तरी के के हो ते हैं एक हो ता है सा इट map xml एक हो ता है
सा इड map html site map xml जो हो ता है जब भी आपका क्रा उलर
आपकी वेबसा इट पर आता है वह सभी पेज की इंडेक्सिं ग कर लेता है क्यों कि
जि तने भी आपकी वेबसा इट पर पेज है पो स्ट है वह सभी गूगल को शो हो गी सा रे
लिं क उसको शो हों गे अगर आपने सा इट map xml एड कर लि या तो इससे
फा यदा यह हो ता है कि एक ही बा र में आपके सा रे पो स्ट पेज गूगल इंडेक्स कर
लेता है crawle कर लेता है वह पेज या पो स्ट भी इंडेक्स कर लेता है जो पहले
नहीं हुए हैं तो सा इट map xml गूगल के लि ए हो ता है सर्च इंजन के लि ए हो ता है
अपनी वेबसा इट पर यह सेटअप करना बहुत जरूरी हो ता है ||

 

2.Sitmap html


Site मैप html यूजर के लि ए हो ता है री डर के लि ए हो ता है यह दि खा ता है कि
हमा री सा इट पर कौ न सा पेज या पो स्ट कहां पर है इससे आसा नी हो ती है यूजर को
ऑडि यंस के लि ए मैप हो ता है एक तरी के से यह मैप हो ता है मा न लो आपकी सा इट
पर बहुत सा रा कंटेंट है बहुत सा री पो स्ट है बहुत सा रे पेज हैं तो यूजर को जि स पेज
की या पो स्ट की नी ड है वह वहां तक कैसे जा एगा इसके लि ए अगर आप अपनी
सा इट पर site map html डा उनलो ड सेटअप करके रखते हैं तो वह आसा नी से
जो भी यूजर को चा हि ए जि स भी यूजर को नी ड हो गी जि स ची ज की नी ड हो गी वह
आसा नी से उसको शो हो गा आपकी सा इट पर जि तने भी पेज है पो स्ट है सा रे site
map html की मदद से एक ही रूप में वह शो हो जा एंगेएं गेआपके यूजर को जो भी
इंक्वा री चा हि ए हो गी जो भी उसको चा हि ए वह वहां से आसा नी से प्रा प्त कर
सकता है उसे ढूंढना नहीं पड़ेगा वेबसा इट में अंदर जा कर तो यह भी टेक्नि कल
seo का बहुत ही जरूरी पार्ट है ||
Part of techincal seo


3.Website speed


हमें हमेशा अपनी वेबसा इट की स्पी ड बहुत अच्छी रखनी हो ती है क्यों कि हर सर्च
इंजन यह चा हता है कि जब भी यूजर वेबसा इट पर आए जब भी serp रि जल्ट
दि खा ई दे ऑडि यंस को तो फा स्ट दि खें यूजर एक्सपी रि यंस अच्छा हो तो गूगल
हमेशा उन सा इट को फर्स्ट पेज पर रखता है जि न सा इट की स्पी ड अच्छी है अगर
को ई यूजर आता है उसकी वेबसा इट पर क्लि क करता है तो वह स्पी ड में ओपन हो
जा एगी इसलि ए अपनी वेबसा इट की स्पी ड को मेंटेन रखना बहुत जरूरी है
टेक्नि कल seo में हम अपनी वेबसा इट की स्पी ड को बढ़ा ने पर का म करते हैं
टेक्नि कल seo को एक तरी के से on page seo भी कह सकते हैं क्यों कि यह भी
बैकऐंड का का र्य बैकऐंड का का म सा रा टेक्नि कल seo में ही हो ता है मा न लो आप
कि सी वेबसा इट पर जा ते हैं और उस वेबसा इट को आप ओपन करते हैं वह का फी
देर में ओपन हो रही है तो यूजर एक्सपी रि यंस खरा ब हो गा यूजर कि सी दूसरी
वेबसा इट पर चला जा एगा और आपकी रैंक कम हो जा एगी इसलि ए गूगल सर्च
इंजन हमेशा उन्हीं वेबसा इट को ऊपर रखता है जि नकी स्पी ड अच्छी हो ती है
टेक्नि कल seo वेबसा इट की स्पी ड बढ़ा ने के लि ए भी बहुत ज्या दा जरूरी है

वेबसा इट की स्पी ड बहुत जरूरी है वेबसा इट की स्पी ड को गूगल बहुत जल्दी
नो टि स करता है अगर आपकी वेबसा इट की स्पी ड अच्छी है तो जल्दी crawle
हो ता है जल्दी इंडेक्स हो ता है और यूजर एक्सपी रि यंस भी अच्छा हो ता है वेबसा इट
की लो डिं ग स्पी ड को optimize करना है आपको जि ससे यूजर को फा स्ट
एक्सेस मि ले और बा उंस रेट कम हो क्यों कि अगर आपकी वेबसा इट का बा उंस रेट
बढ़ जा ता है तो गूगल की नजरों में आपकी वेबसा इट की वैल्यू कम हो जा ती है वह
उसको रैंक नहीं करता इसलि ए हमें अपने बा उंस रेट को कम से कम रखना है अगर
को ई यूजर आपकी वेबसा इट पर आता है तो वह का फी देर तक उस पर टा इम स्पेंड
करें यूजर एक्सपी रि यंस अच्छा हो ना चा हि ए
इसलि ए वेबसा इट की स्पी ड को मेंटेन रखना बहुत जरूरी है अगर आपकी
वेबसा इट की स्पी ड अच्छी नहीं है तो यूजर भी उस वेबसा इट पर नहीं रुकता और
गूगल भी उस वेबसा इट के पेज को इंडेक्स जल्दी से नहीं करता बहुत ज्या दा ध्या न
दें वेबसा इट की स्पी ड पर टेक्नि कल seo में सबसे ज्या दा जरूरी वेबसा इट की
स्पी ड है वेबसा इट की स्पी ड को ठी क करने के लि ए आप अपनी थी म बहुत ही इजी
ले और वेबसा इट पर ज्या दा लो ड ना दे एक्स्ट्रा plunging हटा दें बहुत नॉ र्मल
वेबसा इट रखें इजी वेबसा इट रखें इससे आपकी वेबसा इट की स्पी ड बढ़ती है इमेज
ऑप्टि मा इज करने के बा द ही इमेज का इस्तेमा ल करें ||

4.SSL Certificate


गूगल चा हता है जि तनी भी वेबसा इट हो उन पर ssl सर्टि फि केट लगा हो क्यों कि
ssl सर्टि फि केट हमा री वेबसा इट को प्रो टेक्ट करता है हैकर से हमा री वेबसा इट एक
वेरी फा इड वेबसा इट हो जा ती है इसलि ए अपनी वेबसा इट पर ssl सर्टि फि केट का
लगा ना बहुत जरूरी है आप देखते हों गे कि सी भी वेबसा इट को जि स पर https है
तो वहां पर ssl सर्टि फि केट अप्ला ई है और जि न वेबसा इट के शुरू में http ऑन है
और s नहीं है तो उन पर ssl सर्टि फि केट नहीं है ssl सर्टि फि केट लगा ना बहुत
जरूरी हो ता है यह हमा रे रैंक पर भी बहुत ज्या दा असर डा लता है
Https का use करना जो वेबसा इट को सि क्यो र कनेक्शन प्रो वा इड करता है और
सर्च इंजन के लि ए भी एक रैंकिं ग सि ग्नल है ssl एक प्रो टो कॉ ल है जो वेबसा इट
और यूजर के बी च डा टा ट्रां सफर को secure बना ता है ssl का फुल फॉ र्म है
Secure Socket Layer यह टेक्नो लॉ जी ensure करता है कि जो डा टा
आपकी वेबसा इट पर यूजर और ब्रा उज़र के बी च ट्रां सफर हो रहा है वह इंक्रि प्टेड हो
जि ससे अनऑथरा इज्ड एक्सेस और डा टा से बचा व हो सके ssl सर्टि फि केट को
वेबसा इट सर्वर पर इंस्टॉ ल कि या जा ता है जब ssl सर्टि फि केट इंस्टॉ ल हो ता है
तो वेबसा इट का यूआरएल http://" से https://" हो जा ता है जहां "S" सि क्यो र
कनेक्शन को इंडि केट करता है
Ssl वेबसा इट और यूजर के बी च कम्युनि केशन को secure बना ता है ट्रस्ट
build करता है और सर्च इंजन रैंकिं ग को इंप्रूव करता है इसलि ए यह टेक्नि कल
seo का बहुत important part है ssl सर्टि फि केट का आपकी वेबसा इट पर
हो ना बहुत जरूरी है इससे यूजर का भी ट्रस्ट बनता है गूगल का भी ट्रस्ट बनता है
जब भी आप टेक्नि कल seo करें तो ssl सर्टि फि केट को जरूर इंस्टॉ ल करें ||

5.Make mobile friendly


आपको एक ची ज का ख्या ल रखना है आपके 95% लो ग ऐसे हों गे जो मो बा इल में
आपकी वेबसा इट को ओपन करेंगे तो आपको हमेशा अपनी वेबसा इट को
मो बा इल फ्रेंडली बना ना है आपके सभी पेज मो बा इल पर प्रॉ पर दि खा ई दे आप जो
भी इमेज का इस्तेमा ल कर रहे हैं मो बा इल में प्रॉ पर दि खा ई दे क्यों कि हमा रे जो
यूजर है वह मो बा इल से ही आएगा 95% इसलि ए टेक्नि कल seo में सबसे ज्या दा
ध्या न देना है आपको अपनी वेबसा इट मो बा इल फ्रेंडली बना नी है मो बा इल में अच्छे
से ऑप्टि मा इज करनी है आपको अपनी वेबसा इट मो बा इल के लि ए ऑप्टि मा इज
करना है मो बा इल और डेस्कटॉ प दो नों में वह अच्छे से शो हो सके इससे आपका
यूजर एक्सपी रि यंस अच्छा हो गा और गूगल भी उन्हीं वेबसा इट को वेल्यू देता है जो
मो बा इल फ्रेंडली हो ती है

वेबसा इट का मो बा इल फ्रेंडली हो ना बहुत जरूरी है जि ससे मो बा इल यूजर को भी
स्मूथ और इफेक्टि व यूजर एक्सपी रि यंस मि ले
मो बा इल रेस्पॉ न्सि व वेबसा इट के लि ए बहुत जरूरी है और यह वेबसा इट डि जा इन
का एक इंर्पो टेंट एस्पेक्ट बन गया है इसका मतलब है
कि आपकी वेबसा इट अलग-अलग स्क्री न सा इज और डि वा इसेज जैसे स्मा र्टफो न,
टैबलेट, लैपटॉ प पर अच्छी तरह से फंक्शन और डि स्प्ले हो यहां कुछ key री जन है
कि मो बा इल रेस्पॉ न्सि व क्यों जरूरी है रेस्पॉ न्सि व वेबसा इट यूजर फ्रेंडली हो ती हैं
जि ससे वि जि टर इजी ली नेवि गेट कर सकते हैं और कंटेंट एक्सेस कर सकते हैं
डि फरेंट स्क्री न सा इज पर कंटेंट और layout automatically एडजस्ट हो
जा ता है जि ससे स्क्रो लिं ग और जूमिं ग की जरूरत नहीं पड़ती आजकल बहुत से
लो ग इंटरनेट एक्सेस के लि ए स्मा र्टफो न और टैबलेट का use करते हैं एक
रेस्पॉ न्सि व वेबसा इट ensure करती है कि आप इन मो बा इल यूजर्स को
इफेक्टि वली reach कर सकते हैं मो बा इल फ्रेंडली वेबसा इट पर वि जि टर ज्या दा
टा इम स्पेंड करते हैं और बा उंस रेट कम हो ता है

गूगल और दूसरे सर्च इंजन रेस्पॉ न्सि व वेबसा इट को prefer करते हैं गूगल
मो बा इल फर्स्ट इंडेक्सिं ग use करते हैं जि समें वेबसा इट की मो बा इल वर्जन को
प्रा इमरी वर्जन मा ना जा ता है रेस्पॉ न्सि व वेबसा इट सर्च इंजन रि जल्ट में हा यर रैंक
करती है जैसे ऑर्गेनि क ट्रैफि क इंक्री ज हो ता है एक रेस्पॉ न्सि व वेबसा इट का
मतलब है कि आपको अलग-अलग डि वा इस के लि ए मल्टी प्ल वर्जन मेंटेन करने
की जरूरत नहीं पड़ती जो का स्ट और एफर्ट दो नों save करता है
रेस्पॉ न्सि व वेबसा इट को स्पी ड और परफॉ र्मेंस के लि ए ऑप्टि मा इज कि या जा ता है
जो मो बा इल डि वा इसेज पर फा स्ट लो डिं ग ensure करता है फा स्टर लो डिं ग टा इम
से बा उंस रेट कम हो ता है जि ससे यूजर इंगेजमेंट और कन्वर्जन इंप्रूव हो ती है
मो बा इल फ्रेंडली वेबसा इट आपको कंपटी शन में आगे करती है अगर आपकी
वेबसा इट रेस्पॉ न्सि व नहीं है और कंपी टी टर की वेबसा इट है तो आप वैल्युएबल
ट्रैफि क और कस्टमर खो सकते हैं ||


6.Redirection -404


जब भी सर्वर पर पेज ढूंढ रहे हैं आप तो उस पेज में 404 आ रहा है या नी पेज
available नहीं है तो ऐसे में आपकी वेबसा इट की रैंक पर असर पड़ता है यूजर
एक्सपी रि यंस खरा ब हो ता है यूजर फि र आपकी वेबसा इट पर नहीं आता इसलि ए
कुछ री डा यरेक्शन पेज बना ने हों गे या नी जो भी पेज available नहीं है वह दूसरे
पेज पर री डा यरेक्ट कर ले यूजर खा ली न जा ए यूजर का एक्सपी रि यंस आपकी
वेबसा इट से बेका र न हो इसलि ए री डा यरेक्शन 404 को भी हमे अपनी वेबसा इट
पर इंस्टॉ ल करके रखना है एक plugin आता है जो आपको अपनी वेबसा इट पर
सेटअप करना है को ई भी अगर आपका पेज available नहीं है तो कि सी दूसरे
पेज पर उसको री डा यरेक्ट करना बहुत जरूरी हो ता है वरना आपका यूजर
एक्सपी रि यंस खरा ब हो सकता है जि ससे कि आपकी वेबसा इट की रैंक गि र
सकती है खरा ब हो सकती है ||

 

7.Robot. txt


सर्च इंजन को बढ़ा ने के लि ए कि सी स्पेसि फि क पेज को crawle करना है या नहीं
करना है
रॉ बर्ट.txt एक txt फा इल है जो वेबसा इट के रूट डा यरेक्टरी में रखी जा ती है और
सर्च इंजन क्रा उलर्स रो बो ट को बता ती है वेबसा इट के कौ न से पा र्ट्स को crawle
और इंडेक्स करना चा हि ए और कौ न से पा र्ट्स को नहीं यह फा इल वेब प्रॉ ब्लम के
बि हेवि यर को कंट्रो ल करने के लि ए use हो ती है रॉ बर्ट txt फा इल सिं पल txt बेस्ट
सिं टेक्स use करती है इसमें यूजर एजेंट वेब क्रा उलर और उनके रूल्स स्पेसि फा ई
कि ए जा ते हैं
रॉ बर्ट txt file पॉ वरफुल टूल है जो वेब मा स्टर को सर्च इंजन क्रा उलर्स के
बि हेवि यर को कंट्रो ल करने में मदद करती है यह फा इल वेबसा इट के crawle
बजट को ऑप्टि मा इज करना


सेंसेटि व इनफॉ रमेशन को प्रो टेक्ट करना और डुप्ली केट कंटेंट इशू को मैनेज करने
में हेल्प करती है इसलि ए टेक्नि कल seo का यह भी एक इंपॉ र्टेंट पा र्ट है इसको भी
आपको जरूर फॉ लो करना है और इंप्ली मेंट करना है अपनी वेबसा इट में ||

Conclusion

उम्मी द करता हूं आप समझ ही गए हों गे कि टेक्नि कल seo क्या हो ता है टेक्नि कल
seo हमा री वेबसा इट के लि ए क्यों जरूरी है जि स तरह ऑन पेज seo ऑफ पेज
seo हमा री वेबसा इट के लि ए जरूरी है इस तरह टेक्नि कल seo भी हमा री
वेबसा इट के लि ए बहुत जरूरी है अगर हम अपनी वेबसा इट में टेक्नि कल seo के
यह सा रे पा र्ट पर का म करेंगे इन सा रे पा र्ट को फॉ लो करेंगे तो हमा री वेबसा इट बहुत
अच्छे तरी के से रैंक हो गी क्यों कि हमा री वेबसा इट हमेशा फा स्ट ओपन हो नी
चा हि ए उसमें को ई कमी नहीं रहनी चा हि ए जो भी कमी हो ती है तो आपकी
वेबसा इट की रैंक कम हो जा ती है इसलि ए seo के ती नों पा र्ट पर आपको बहुत
ज्या दा ध्या न देना है टेक्नि कल seo पर भी बहुत ज्या दा आपको ध्या न देना हो गा
सबसे अच्छी बा त यह है कि टेक्नि कल seo आपको एक ही बा र करना हो ता है
बा र-बा र नहीं करना हो ता है एक बा र टेक्नि कल seo आप कर देंगे वह ला इफ
टा इम के लि ए उस पर सेट हो जा एगा फि र बा र-बा र आपको technical seo
नहीं करना on page seo आपको बा र-बा र करना हो ता है ऑफ पेज seo भी
बा र-बा र करना हो ता है लेकि न टेक्नि कल seo सि र्फ एक ही बा र करना है इसलि ए
अपनी वेबसा इट के लि ए टेक्नि कल seo बहुत ही अच्छे से करें अगर आप इतने
ज्या दा एक्सपर्ट नहीं है तो कि सी एक्सपर्ट से अपनी वेबसा इट का टेक्नि कल seo
करा ले क्यों कि टेक्नि कल seo के बि ना आपकी वेबसा इट कभी भी रैंक नहीं कर
पा एगी ||

 

 

 


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ON PAGE SEO


On page seo   में सर्चइंजन के लिए अपनी वेबसाइट को अंदर से ऑप्टिमाइज करते हैं ताकि सर्च इंजन को समझने में आसानी हो हमारी वेबसाइट किस टॉपिक पर है या हम क्या आर्टिकल पब्लिश कर रहे हैं ताकि वह हमारी वेबसाइट को जल्दी रैंक करें क्यों कि अगर सर्च इंजन नहीं समझ पाएगा कि आपने किस से रिलेटेड अपनी पोस्ट या पेज लिखा है तो वह रैंक कैसे करेगा इसलिए on page seo का मतलब होता है अपनी वेबसाइट को अंदर से ऑप्टिम... Read More

On page seo

 

में सर्चइंजन के लिए अपनी वेबसाइट को अंदर से ऑप्टिमाइज करते हैं ताकि सर्च इंजन को समझने में आसानी हो हमारी वेबसाइट किस टॉपिक पर है या हम क्या आर्टिकल पब्लिश कर रहे हैं ताकि वह हमारी वेबसाइट को जल्दी रैंक करें क्यों कि अगर सर्च इंजन नहीं समझ पाएगा कि आपने किस से
रिलेटेड अपनी पोस्ट या पेज लिखा है तो वह रैंक कैसे करेगा इसलिए on page seo का मतलब होता है अपनी वेबसाइट को अंदर से ऑप्टिमाइज करना जो की बहुत जरूरी है जब तक आपकी वेबसाइट अंदर से ऑप्टिमाइज नहीं हो गी तो ऑफ पेज seo का भी कोई काम नहीं है सबसे पहला स्टेप seo में ऑन पेज seo
ही हो ता है इसलि ए on page seo पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान दीजिए जब भी हम Seo की बात करते हैं तो seo ती न प्रकार के होते हैं on page seo,
off page seo, technical seo. सबसे पहले प्रोसेस हो ता है seo करने के लिए क्योंकि on page seo, On Page Seo में हम पूरा कंटेंट लिखते हैं On page seo में हम ब्लॉग लिखते हैं पेज बनाते है अगर हम कोई post बना रहे हैं तो सबसे पहले on page seo करेंगे on page seo वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से आप अपनी वेबसाइट के pages को इस प्रका र अनुकूलि त करते हैं कि वह खोज इंजन के लिए अधिक प्रासंगिक और उपयोगकर्ता अनुकूल हो सके इसका उद्देश्य वेबसाइट की सामग्री एचटी एमएल कोड और संरचना को इस प्रकार सुधारना है कि सर्चइंजन आपकी वेबसाइट को बेहतर तरीके से समझ सके और
उसे उच्च रैंकिंग दे सके क्यों जब हम कोई भी ब्लॉग लिखते हैं या पोस्ट लिखते हैं तो वह ब्लॉग और  गूगल को समझ आनाचा हिए वह तभी रैंक करेगा जब गूगल उसको समझेगा की आपने किस से रिलेटेड blog लिखा है अगर आप on page seo ठीक ढंग से करेंगे तभी गूगल समझ पाएगा कि आपका पोस्ट या पेज
किस से रिलेटेड है



On page seo के प्रमुख तत्व निम्नलिखित हैं 

 

1.Keyword -

जब भी आप इंटरनेट पर कुछ भी सर्च करते हैं जैसे की रि यल एस्टेट यह एक keyword है कीवर्ड seo में बहुत ज्या दा इंपो र्टेंट हो ता है जब हम अपनी वेबसा इट को ऑप्टिमाइज करते हैं तब हम कुछ स्पेशल कीवर्ड को टारगेट करते हैं अगर हम सर्च इंजन पर कुछ भी सर्च करते हैं तो वही कीवर्ड हो ता है कीर्ड का
बहुत ज्या दा अहम रो ल हो ता है seo में तो keyword पर ज्या दा से ज्यादा आप ध्यान दीजिए कीवर्ड बहुत ही ज्यादा यूजफुल होने चाहिए क्वालिटी वाले होने
 


On page seo

में जैसे कि हम जानते हैं कि on page seo में backand का काम होता है सब अंदर का काम होता है तो सबसे पहले कीवर्ड हो ता है अगर आप को ई ब्लॉग या कोई पोस्ट या कोई पेज बना ने जा रहे हैं तो उसमें आपको कीवर्ड रिसर्च बहुत ही अच्छे से करना है keyword पर बहुत ज्यादा ध्यान देना है ऑन
पेज seo में कीवर्ड का बहुत ज्यादा अहम रोल है इसलिए का फीरिसर्च करने के बाद ही कीवर्ड को सेलेक्ट

करें अच्छे सर्च वॉल्यूम वाले कीवर्ड को सेलेक्ट करें ||

 

2.Content Optimization

 

हमारी वेबसाइट के कंटेंट को बेहतर  हम अपनी वेबसाइट के कंटेंट को अट्रैक्टि व बना ते हैं जि ससे की यूजर हमारे कंटेंट को बार-बार पढ़ें कंटेंट इस तरी के से ऑप्टिमाइज होना चाहिए की यूजर को पढ़ने में
आसानी हो उसे कंटेंट भी अट्रैक्टिव लगे इसलिए कंटेंट हमेशा क्वालिटी का होना चाहिए और कहीं से भी कॉपी नहीं हो अगर आप कॉपी कंटेंट गूगल पर डालते हैं तो गूगल कभी भी उसको रैंक नहीं करता इसलिए कंटेंट की क्वालिटी पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया जाता है ऑन पेज seo में कंटेंट सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है कंटेंट
optimization सबसे ज्यादा अहम रोल अदा करता है

1.Keyword -
जब भी आप इंटरनेट पर कुछ भी सर्च करते हैं जैसे की रियल एस्टेट यह एक keyword है की वर्ड seo में बहुत ज्यादा इंपोर्टेंट होता है जब हम अपनी वेबसाइट को ऑप्टिमाइज करते हैं तब हम कुछ स्पेशल की वर्ड को टारगेट करते हैं अगर हम सर्च इंजन पर कुछ भी सर्च करते हैं तो वही कीवर्ड हो ता है कीवर्ड का
बहुत ज्यादा अहम रोल होता है seo में तो keyword पर ज्यादा से ज्यादा आप ध्यान दीजिए कीवर्ड बहुत ही ज्यादा यूजफुल होने चाहिए क्वालिटी वाले होने चाहिए.

ऑन पेज seo में इसलिए सबसे पहला स्टेप कंटेंट optimization है अपना कंटेंट आपको बेहतर से बेहतर बना ना हो गा आपको अपने कंटेंट में क्वालिटी लानी है और अपने कंटेंट में सारी इनफार्मेशन
देनी है आपकी पोस्ट पर कंटेंट पर आकर यूजर को पूरी जानकारी मिल जानी चाहिए वह किसी दूसरी वेबसा इट पर न जाए आपके कंटेंट में पूरी डिटेल में जानकारी हो नी चाहिए कंटेंट आपको इस तरीके से  है उच्च गुणवत्ता और प्रासंगिक सामग्री वेबसाइट की रैंकिंग में सुधार करती है अगर आप भी चाहते हैं
रैंक कराना तो अपनी वेबसाइट को हाई क्वालिटी वाला कंटेंट लिखें उपयोगकर्ता की जरूरत को ध्यान में रखते हुए सामग्री लिखे इसमें प्रमुख और संबंधि त keyword को प्राकृतिक रूप से शा मि ल करें और long tail keyword का भी उपयोग करें इसमें आपको वह सभी  का इस्तेमाल करना है जो यूजर के इंटेंड के अकॉर्डिंग हो यूज़र ने जो भी सर्च किया उससे रिलेटेड आपको सारे keyword अपने कंटेंट में कवर करने हैं कंटेंट को आपको इतना शॉर्ट भी नहीं लिखना और इतना  भी नहीं लिखना बस मीडियम लि खना है अपना कंटेंट , on page seo में कंटेंट का अहमरोल है कंटेंट क्वालिटी पर बहुत ज्यादा ध्यान दें तभी ऑन page seo आप ठीक ढंग से कर पाएंगेएंगे||

 

3.Url Heading

यूआरएल हेडिंग on page seo के लिए बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट हो ती है हमें अपने यूआरएल और हेडिंग को अट्रैक्टिव बनाना होता है इससे सर्चइंजन को समझने मे आसा नी होती है क्योंकि जब सर्च इंजन नहीं समझ  कि आपका यूआरएल किस से रिलेटेड है या आपकी हेडिंग किस सब्जेक्ट से रिलेटेड है तो वह यूजर को
कैसे दि खा एगा क्यों कि गूगल आपका पो स्ट या पेज उन्हीं लो गों को दि खा ता है जो उसे रि लेटेड इनफा र्मेशन सर्च करते हैं तो इसलि ए अपना यूआरएल जो भी आपका पेज या पो स्ट का लिं क हो गा उसको अट्रैक्टि व रखें बहुत ही इजी रखें जो कि समझने में आसा नी हो क्यों कि जो गूगल के फर्स्ट पेज पर शो हो ता है सबसे पहले यूआरएल शो हो ता है यूआरएल को देखने के बा द ही यूजर उस पर क्लि क करता है फि र अंदर हेडिं ग भी आपकी अट्रैक्टि व हो नी चा हि ए यूजर की enquiry से रि लेटेड हो नी चा हि ए इसलि ए यूआरएल और हेडिं ग पर सबसे ज्या दा ध्या न दी जि ए
On page seo में यूआरएल हेडिं ग का बहुत अहम रो ल हो ता है क्यों कि को ई भी यूजर जब कुछ सर्च करते है सर्च इंजन पर तो एक की वर्ड enter करते है हेडिं ग डा लता है तो अगर आपने अपने ब्लॉ ग की हेडिं ग का फी अच्छे से ऑप्टि मा इज की है यूआरएल आपने एक अच्छा बना या रिलेटेड यूआरएल बना या है तो आपको रैंक जल्दी मिलेगा साफ़ और वर्णनात्मक यूआरएल उपयोगकर्ता और सर्च इंजन दो नों के लि ए सहायक हो ते हैं यूआरएल को संक्षि प्त और की वर्डरीच बनाएं साथ ही उन्हें पढ़ने में आसान बनाएं url आपको सरल बना ना है हा र्ड बिल्कुल नहीं करना ||

 

4.Image Optimization

 

जब भी हम को ईकंटेंट लिखते हैं तो हम उसमें इमेज का इस्तेमाल करते हैं हमें अपनी इमेज को ऑप्टिमा करना होता है उसके बाद पब्लिश करना होता है इमेज का सा इज कम करने की को शि श करनी चा हि ए ट्रा ई करना कि उसके पिक्सल बिल्कुल ना फटे और साइज भी कम हो जा ए अगर आप अच्छे से इमेज को ऑप्टि मा इज करते हैं तो उस से बहुत ज्यादा फर्क पड़ता है आपकी रैंकिं ग पर क्यों कि गूगल पर एक ऑप्शन हो ता है इमेज का इमेज के जरिये भी आप का  सारा ट्रैफि  पा सकते हैं अगर आपकी इमेज अट्रैक्टिव है तो इमेज पर भी का फी अच्छा ट्रैफि क आएगा जो डा यरेक्ट आपकी वेबसा इट पर लैंड करेगा इसलि ए इमेज को हमेशा अट्रैक्टि व रखें और उसका सा इज हमेशा कम रखें अगर आप सा इज ज्या दा कर देंगे तो वह लो ड हो ने में देर लगा एगी और जब वह लो ड हो ने में देर लगा एगा तो यूजर वहां से चला जा एगा दूसरे कि सी वेबसा इट पर वह सर्च करेगा इसलि ए इमेज का सा इज हमेशा कम रखें और अच्छे से इमेज को ऑप्टि मा इज करें अपने कंटेंट में आपको इमेज का इस्तेमा ल करना है इमेज आपके कंटेंट को
अट्रैक्टि व बना ता है और यूजर को समझने में मदद करता है कि आप के कंटेंट में जो हेडिं ग है वह कि स लि ए है इसलि ए हमेशा इंफो ग्रा फी इमेज का इस्तेमा ल करें इमेज को ऑप्टि मा इज करें अच्छे से अपने कंटेंट से रि लेटेड ही इमेज का इस्तेमा ल करें रि लेटेड इमेज हो ना चा हि ए आपके कंटेंट से तो इमेज ऑन page seo के लि ए बहुत जरूरी है अहम रो ल है इसका on page seo मैं.

 

5.Meta Tags & Meta Description

 

यह दोनोंटैग भी on पेज seo के लि ए बहुत ज्या दा महत्वपूर्ण है मेटा टैग का फी मदद करता है आपकी रैंकिं गलाने में जब भी आप को ई ब्लग या पोस्ट लिखते हैं तो उसमें आपको ऑप्शन मिलता है मेटा टैग और मेटाडि स्क्रिप्शन इन दो नों को आपको अपने फो कस की वर्ड के साथ इस्तेमा ल करना है मेटा टैग और meta डि स्क्रिप्शन बहुत ज्या दा अहम रोल अदा करता है ऑन page seo में तो आप ज्या दा से ज्या दा ध्या न दें और अच्छे से इसको सेट करें ब्रा उज़र में जब आप को ई वेब पेज खो लते हैं तो सबसे ऊपर जो टाइप होता है यह टाइटल tag दिखता है

जब आप गूगल पर को ई ची ज सर्च करते हैं तो रि जल्ट पेज पर हर लिंक के साथ एक छो टा सा शर्षक दिखता है वही टाइटल tag हो ता है टा इटल tag सर्च इंजन और यूजर दो नों के लि ए महत्वपूर्ण है टा इटल tag सर्च इंजन को बता ता है कि वह पेज कि स बा रे में है इससे सर्च इंजन को यह समझने में मदद मि लती है कि कौ न से सर्च के लि ए यह पेज ठी क है यूजर टा इटल tag से यूजर को समझने में मदद
मि लती है कि वेब पेज कि स ची ज के बा रे में है अच्छा टा इटल टैग use करें अच्छा टा इटल टैग यूजर को क्लि क करने के लि ए लुभा ता है कि वह वही ची ज है जि से वह ढूंढ रहा था टा इटल tag पृष्ठ के शी र्षकों को दर्शा ते हैं और सर्च इंजन परि णा म फर्स्ट serp पर दि खा ए जा ते हैं प्रत्येक page के लि ए एक अद्वि ती य और वर्णना त्मक शी र्षक का उपयो ग करें जि समें मुख्य की वर्ड शा मि ल हो अच्छे से टा इटल tag का
इस्तेमा ल करें और स्पष्ट तरी के से टा इटल tag का इस्तेमा ल करें टा इटल टैग ऑन page seo में अहम रो ल अदा करता है ||

 

6.Internal Linking

 

जब हम ब्लॉगिंग करते हैं तो ब्लागिंग में इंटरनल लिंकिंग के कई सा रे फायदे हो ते हैं मा न ली जि ए आपके पा स को ई वेबसा इट है आपने एक ब्लॉ ग लि खा है और आपने पहले उस ब्लॉग से संबंधि त को ई दूसरा ब्लॉ ग भी लि खा है फि र आप अपने नए ब्लॉ ग में पुरा ने ब्लॉ ग का लिं क जो ड़ सकते हैं आप ऐसा कर सकते हैं इसे इंटरनल लिं किं ग कहा जा ता है आप अपनी वेबसा इट के ब्लॉग पर संबंधि त ब्लॉग के
आंतरि क लिं क देते हैं इसका सबसे बड़ा फा यदा यह हो ता है कि यूजर जब आपके ब्लॉग पर आता है और उसको दूसरी भी जानकारी चाहिए तो वह कि सी दूसरी वेबसाइट पर नहीं जiता वह आपकी वेबसाइट पर ही घूमता रहता तो इससे आपकी रैंकिं ग पर बहुत ज्या दा फर्क पड़ता है आपको अच्छी रैंकिं ग मि लती है इससे  इंटरनेट लिं किं ग के सा रे फा यदे जा न जा एंगेएं गेइंटरनल लिं किं ग रैंक बढ़ा ने के लि ए
बहुत ज्या दा महत्वपूर्ण है और बा उंस रेट कम करने के लि ए भी बहुत ज्या दा महत्वपूर्ण है इंटरनल लिं किं ग कुछ फा यदे जो नि म्नलि खि त है
Best for Seo
जब भी आप SEO करते हैं तो SEO में आपको रैंक चा हि ए हो ती है इंटरनल लिं किं ग के द्वा रा जो गूगल का क्रा उलर हो ता है वह आपकी वेबसा इट पर आता है जो ब्लॉ ग आपके इंडेक्स नहीं हुए पुरा ने ब्लॉ ग को भी इंटरनल लिं किं ग की वजह से वह इंडेक्स कर लेता है और आपके ब्लॉ ग रैंक हो ने लगते हैं तो seo के लि ए बहुत बेहतर है इंटरनल linking जब आप SEO करते हैं तो उसके का फी सा रे पा र्ट हो ते हैं क्यों कि SEO कि सी एक ची ज का ना म नहीं है बहुत सा री ची जों से मि लकर बनता है तो इंटरनल लिं किं ग भी उसका एक बहुत जरूरी पा र्ट है जब आप इंटरनल लिं किं ग करते हैं तो आपको ब्लॉ ग का SEO अच्छे से हो जा ता है और इंटरनल लिं किं ग SEO को बेहतर बना सकती है

 

Decrease Bounce Rate

 

अगर आपने अपने आर्टि कल में इंटरनल लिं किं ग की है तो इससे आपके बा उंस रेट भी कम हो ता है क्यों कि जो यूजर हो ता है वह आपकी वेबसा इट पर ही बना रहता है वह का फी देर तक उस वेबसा इट पर रहता है जि ससे आपका बा उंस रेट कम हो ता है इंगेजमेंट बढ़ जा ता है क्यों कि जि तना अधि क आपका बा उंस रेट हो गा आपकी वेबसा इट के लि ए उतना ही बुरा हो गा उससे बहुत ज्या दा नका रा त्मक प्रभा व पड़ता है क्यों कि जब को ई यूजर आपकी वेबसा इट पर आया और वह उसे जा नका री नहीं

वह आपकी वेबसा इट से चला गया 2 सेकंड में ही चला गया तो आपकी जो वेबसा इट है उसकी वैल्यू कम हो जा ती है गूगल की नजरों में उसकी वैल्यू बहुत कम  हो जा ती है इसलि ए बा उंस रेट को हमेशा हमें कम करना चा हि ए हमें को शि श करनी चा हि ए की यूजर हमा री वेबसा इट पर बना रहे वह वेबसा इट को

जल्दी से ना छो ड़े इसलि ए इंटरनल लिं किं ग करके हम उसको घुमा ते रहते हैं ब्ला गिं ग में बा उंस रेट को
कम करने के लि ए इंटरनेट लिं किं ग का उपयो ग बहुत ज्या दा प्रभा वि त तरी का है बा उंस रेट को कम करने के लि ए इंटरनल लिं क का ज्या दा से ज्या दा इस्तेमा ल  करि ए और अपनी वेबसा इट की रैंक को बढ़ा ये

 

Reader Retention

इंटरनल लिं किं ग री डर को आपकी वेबसा इट पर रखने में बहुत ज्या दा मदद करताहै क्यों कि री डर internal linking के द्वा रा आपकी वेबसा इट पर रहता है जि तनी देर आपकी वेबसा इट पर रहेगा वह तो इससे इंगेजमेंट का फी अच्छा मि ल जा ता है अगर यूजर को को ई जा नका री चा हि ए वह आपकी वेबसा इट पर नहीं है तो दूसरे वेबसा इट पर जा एगा इसलि ए अगर आपकी वेबसा इट में वह जा नका री पहले
ही आप दे चुके आपने पहले ही उस पर blog लि खा है तो आप वहीं पर internal लिं किं ग दे देंगे इससे आपका री डर रि टेंशन बढ़ता है अगर आप रि लेटेड कंटेंट की लिं किं ग करेंगे तो वि जि टर आपका आर्टि कल पर बना रहेगा और आपके आर्टि कल पर का फी टा इम वह बि ता एगा और ध्या न रहे आपको अपनी पा पुलर पो स्ट की भी लिं किं ग करनी है अगर आपने को ई ब्लॉ ग लि खा तो आप यह भी लि खेंगे कि इससे रि लेटेड यह पो स्ट भी आप पढ़े तो जो पा पुलर पो स्ट हों गे उनको री डर आपका जरूर पढेगा जरूर ओपन करेगा इससे आपके इंगेजमेंट बढ़ेगी आपका बा उंस रेट कम हो गा और आपकी वेबसा इट की वैल्यू बढ़ेगी अथॉ रि टी बढ़ेगी आपका वेबसा इट रैंक हो गी इसलि ए internal linking का ज्या दा से
ज्या दा इस्तेमा ल करें

 

For Indexing

 

इंटरनल लिं किं ग आपके ब्लॉ ग को इंडेक्स करने में भी का फी मदद करती है क्यों कि जब आप इंटरनल लिं किं ग करते हैं तो जब गूगल का crawler आपकी वेबसा इट पर आता है तो आपके पुरा ने ब्लॉ ग को भी देखता है पुरा ने ब्लॉ ग को भी crawl करता है जो ब्लॉ ग पहले crawl नहीं हुए पहले इंडेक्स नहीं हुई तो इंटरनल लिं किं ग की मदद से वह आपके पुरा ने blog को भी crawl कर लेगा इससे आपकी वेबसा इट की रैंक बढ़ेगी आपके सा रे ब्लॉ ग इंडेक्स हों गे ज्या दा से ज्या दा आप इस्तेमा ल करि ए इंटरनल लिं किं ग का यह आपके seo को सुधा रने में मदद करता है प्लस जब आपके ब्लॉ ग इंडेक्स हों गे crawal हों गे तो आपके सभी ब्लॉ ग वा यरल हो ने लगेंगे इससे आपकी वेबसा इट की अथॉ रि टी बढ़ जा एगी और आपकी
वेबसा इट रैंक हो ने लगेगी ज्या दा से ज्या दा internal linking का इस्तेमा ल करि ए ||


Conclusion

 

जैसे कि आप जा न हीं चुके हों गे कि ऑन पेज seo क्या हो ता है seo के ती न पा र्ट हो ते हैं on page off page, technical seo टेक्नि कल seo तो इन ती नों में सबसे पहला हो ता है आपको ऑन page seo बेहतर से बेहतर करना है क्यों कि अगर on page seo बेहतर ढंग से नहीं हुआ तो off page seo और
टेक्नि कल seo का को ई का म नहीं रहा इसलि ए on page मे ही जि तने भी स्टेप है आपको सभी फॉ लो करने हैं और बैटर तरी के से अपना पो स्ट और पेज को लि खना है जि ससे कि गूगल उसे रैंक दे और यूजर की भी मदद हो जा ए, क्यों कि हम जब भी को ई पो स्ट या पेज लि खते हैं तो हमा री को शि श यह रहती है कि वह गूगल के फर्स्ट पेज पर रैंक करें और गूगल की को शि श यह रहती है कि यूजर को ज्या दा से ज्या दा
अट्रैक्टि व क्वा लि टी वा ला कंटेंट मि ले जि ससे यूजर का अपने सर्च इंजन पर ट्रस्ट बने और वह कि सी और सर्च इंजन पर नहीं जा ए तो इसलि ए गूगल हमेशा उन्हीं वेबसा इटों को फर्स्ट पेज पर रैंक करा ता है जो बहुत ज्या दा क्वा लि टी की हो ती हैं बहुत ज्या दा अट्रैक्टि व हो ती हैं और जि समें का फी मेहनत की हुई हो ती है इसलि ए जब भी आप पो स्ट या ब्लॉ ग लि खे तो on page seo पर बहुत ज्या दा ध्या न दें
आने वा ली page में हम डि स्कस करेंगे ऑफ page seo ||


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Keyword क्या है Keyword Research महत्वपूर्ण एवं विधियां


Keyword क्या है कीवर्ड ब्लॉगिंग के लिए या किसी भी वेबसाइट के लिए या किसी भी ब्लॉग के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है क्यों कि इससे आपको अपनी टारगेट ऑडियंस मिल जा ती है टा रगेट ऑडि यंस तक पहुंचने में आपकी मदद करते हैं कीवर्ड और आपके ब्लॉग के seo को भी सुधारने में काफी ज्यादा आपकी मदद करते हैं जब आप ब्लॉग लिखते हैं तो उसमें आपको काफी सारे कीवर्ड कवर करने होते हैं कीवर्ड ही हमें रैंक दिलाता है कीवर्ड क... Read More

Keyword क्या है

कीवर्ड ब्लॉगिंग के लिए या किसी भी वेबसाइट के लिए या किसी भी ब्लॉग के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है क्यों कि इससे आपको अपनी टारगेट ऑडियंस मिल जा ती है टा रगेट ऑडि यंस तक पहुंचने में आपकी मदद करते हैं कीवर्ड और आपके ब्लॉग के seo को भी सुधारने में काफी ज्यादा आपकी मदद करते हैं जब आप ब्लॉग लिखते हैं तो उसमें आपको काफी सारे कीवर्ड कवर करने होते हैं कीवर्ड ही हमें रैंक दिलाता है

कीवर्ड क्या होता है मान लो आप गूगल पर जाते हो आप सर्च करते हो what is digital मार्केटिंग तो यह डिजिटल मार्केटिंग की वर्ड हो गया इस की वर्ड पर जितने भी ब्लॉग होंगे दुनिया में वह सा रेब्लॉग आपको गूगल के पेज पर शो हो जा एंगेएंगेजि न जिन लोगों ने इस की वर्ड को अपने ब्लॉग में कवर किया होगा तो वह ब्लॉग आपको फर्स्ट पर दिख जाएगा तो यही हमारे कीवर्ड होता है हम जब भी ब्लॉग लिखते हैं तो हमें keyword का बहुत ज्यादा ध्यान रखना हो ता है जब हम सही कीवर्ड को
टारगेट करते हैं seo करने के बाद ही कीवर्ड को select करते हैं एक अच्छा keyword हम बनाते हैं हा ई वॉ ल्यूम वा ला की वर्ड बना ते हैं तो उससे हमारा जो ब्लॉग है वह बहुत जल्दी रैंक हो ता है keyword बहुत ज्या दा महत्वपूर्ण है ब्लॉ ग के लिए keyword पर बहुत ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है इस पूरे ब्लॉग में  keyword के बा रे में डिटेल में बा त करेंगे ||

Seo में keyword का बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट रोल होता है कीवर्ड की मदद से ही कोई भी यूजर ऑडियंस आपकी वेबसाइट तक आता है उसे कोई भी जानकारी चाहिए वह सर्च इंजन में कीवर्ड को पेस्ट करता है और फिर सर्च इंजन उसकी की वर्ड के अकॉर्डिंग ही उसको रिजल्ट दिखाता है seo में आपकी वेबसाइट के कंटेंट को उन कीवर्ड के इर्द- गिर्द तैयार किया जाता है ताकि सर्च इंजन को यह पता चले कि आपका कंटेंट किस बारे में है और कौनसी चीजों के लिए आपकी वेबसा इट रेलीवेंट है सर्च इंजन की वर्ड को देखकर आपके वेब पेज के कंटेंट को समझने की कोशिश करते हैं जितना ज्यादा आपका कंटेंट उन कीवर्ड से जुड़ा होगा उतना ही ज्यादा संभावना है कि आपकी वेबसा इट रेली वेंट सर्च रिजल्ट में दिखाई देगी सही की वर्ड चुनने से आप उन लोगों तक पहुंच सकते हैं

जो असल में आपकी वेबसाइट पर आना चाहते हैं उदाहरण के लिए अगर आपकी वेबसा इट है डिजिटल मार्केटिंग से रिलेटेड तो अगर आप यह की वर्ड का इस्तेमाल करेंगे तो डिजिटल मार्केटिंग से रिलेटेड ही ऑडियंस आपके पास आएगी हर को ई अपनी वेबस इट को टॉप पर लाना चाहता है लेकिन अगर आप सही कीवर्ड को टारगेट करते हैं और उनको अपने कंटेंट में अच्छी तरह से इस्तेमाल करते हैं तो आप अपनी कंपटीशन से आगे निकल सकते हैं क्युकी अच्छे seo के लिए अच्छे
कीर्ड रिसर्च बहुत जरूरी है इसमें यह पता लगाना शामिल है कि लग क्या खोज रहे हैं उन चीजों पर क तना सर्च कर रहे हैं कौन से keyword आपकी वेबसाइट के लिए सबसे फायदेमंद होंगे आने वाले पेज में हम कीवर्ड के बारे में डिटेल में आपको बताएंगेएंगे||

 

Search Engine क्या होता है

सर्च इंजन एक सॉफ्टवेयर एप्लकेशन होता है जो इंटरनेट पर मौजूद इनफॉरमेशन को  करने और डिस्प्ले करने में मदद करता है जब हम किसी सर्च इंजन में को ई इंक्वा री या सर्च टर्म enter करते हैं तो वह उस टर्म से रि लेटेड वेब पेज इमेज वीडियो और अन्य कॉन्टेंट को आईडेंटिफाई करता है और उन्हें यूजर के सामने लिस्ट करता है और उन्हें शो करता है कुछ प्रमुख सर्च इंजन जैसे गूगल बिंग ,याहू, duk-duk go को शामिल है यह सर्च इंजन वेब crawler और इंडेक्सिंग एल्गो रिथम का उपयोग करते हैं जो वेब पेज को डिस्कवर और ऑर्गेनाइज करने में मदद करते हैं अगर को ई भी यूजर को कोई भी जानकारी चाहिए तो वह सर्च इंजन पर जाता है जैसे गूगल पर जाता है और वहां से अपनी जानकारी लेता है या कोई भी सर्विस चाहिए तो वह गूगल से ले सकता है गूगल पर उससे रिलेटेड बहुत सारी वेबसा इट होती है जो गूगल उन्हें शो कराता है

की वर्ड ब्लॉ गिं ग के लि ए या कि सी भी वेबसा इट के लि ए या कि सी भी ब्लॉ ग के लि ए बहुत ज्या दा महत्वपूर्ण है क्यों कि इससे आपको अपनी टा रगेट ऑडि यंस मि ल जा ती है टा रगेट ऑडि यंस तक पहुंचने में आपकी मदद करते हैं की वर्ड और आपके ब्लॉ ग के seo को भी सुधा रने में का फी ज्या दा आपकी मदद करते हैं जब आप ब्लॉ ग लि खते हैं तो उसमें आपको का फी सा रे की वर्ड कवर करने हो ते हैं की वर्ड ही हमें रैंक दि ला ता है

की वर्ड क्या हो ता है मा न लो आप गूगल पर जा ते हो आप सर्च करते हो what is
digital मा र्केटिं ग तो यह डि जि टल मा र्केटिं ग की वर्ड हो गया इस की वर्ड पर जि तने
भी ब्लॉ ग हों गे दुनि या में वह सा रे ब्लॉ ग आपको गूगल के पेज पर शो हो जा एंगेएं गेजि न
जि न लो गों ने इस की वर्ड को अपने ब्लॉ ग में कवर कि या हो गा तो वह ब्लॉ ग आपको
फर्स्ट पर दि ख जा एगा तो यही हमा रे की वर्ड हो ता है हम जब भी ब्लॉ ग लि खते हैं

तो हमें keyword का बहुत ज्या दा ध्या न रखना हो ता है जब हम सही की वर्ड कोटा रगेट करते हैं seo करने के बा द ही की वर्ड को select करते हैं एक अच्छा keyword हम बना ते हैं हा ई वॉ ल्यूम वा ला की वर्ड बना ते हैं तो उससे हमा रा जो ब्लॉ ग है वह बहुत जल्दी रैंक हो ता है keyword बहुत ज्या दा महत्वपूर्ण है ब्लॉ ग के लि ए keyword पर बहुत ज्या दा ध्या न देने की जरूरत है इस पूरे ब्लॉ ग में हम keyword के बा रे में डि टेल में बा त करेंगे ||

3.Keyword Research

Short tail Keyword

की वर्ड ती न तरी के के हो ते हैं सबसे पहले हो ता है short tail keyword, short tail keyword सि र्फ एक या दो शब्द से मि लकर बना हो ता है जैसे डि जि टल मा र्केटिं ग एक short tail keyword हो गया short tail keyword पर बहुत ज्या दा कंपटी शन हो ता है short tail keyword
वह लो ग इस्तेमा ल करते हैं जि नकी ऑलरेडी वेबसा इट रैंक है जो का फी बड़ी वेबसा इट है क्यों कि उनको ऑलरेडी रैंकिं ग मि ली हुई है अगर आप short tail keyword का इस्तेमा ल करते हैं आपने अपनी को ई ब्लॉ गिं ग जर्नी शुरू की है तो short tail keyword 
का इस्तेमा ल आपके लि ए ठी क नहीं है क्यों कि short tail keyword पर रैंकिं ग मि लना बहुत मुश्कि ल है क्युकी
short tail keyword पर कंपटी शन ज्या दा हो ता है तो आपको रैंकिं ग मि लने में कई सा ल लग सकते हैं इसलि ए जब आप अपने ब्लॉ गिं ग करि यर की शुरुआत करें तो
short tail keyword का इस्तेमा ल न करें ||

Types of keywords

Short tail keyword के फा यदे शॉर्ट tail की वर्ड को अक्सर हेड टर्म या शा र्ट की वर्ड भी कहा जा ता है आमतौर पर 1 से 3 शब्दों के हो ते हैं और व्या पक हो ते हैं उनको उपयोग करने के कई फा यदे हैं जो नि म्नलि खि त हैं !

1.अधि क ट्रैफ़ि क आकर्षि त करते है

शॉ र्ट tail की वर्ड का सर्च वॉ ल्यूम अधि क हो ता है जि ससे आपकी वेबसा इट पर अधि क ट्रैफि क आ सकता है लेकि न शॉ र्ट tail की वर्ड पर कंपटी शन भी बहुत ज्या दा हो ता है जो बड़ी वेबसा इट है उन पर ज्या दा ट्रैफि क आता है अगर आप शॉ र्ट tail की वर्ड का इस्तेमा ल करते हैं तो आपकी पो स्ट को रैंक हो ने में थो ड़ा समय लगेगा आपकी पो स्ट पर ट्रैफि क आने में थो ड़ा सा समय लगेगा

2.बड़े audience को टा र्गेट करते है

यह की वर्ड व्या पक हो ते हैं और एक बड़ी ऑडि यंस को टा रगेट करते हैं जि ससे आपकी वेबसा इट को अधि क लो गों द्वा रा देखा जा सकता है क्यों कि इन keyword पर ट्रैफि क बहुत ज्या दा हो ता है और यह की वर्ड दो से ती न शब्दों के हो ते हैं तो ज्या दा तर यूजर शॉ र्ट की वर्ड लि खकर ही सर्च करते है अगर उन्हें गूगल पर को ई भी जा नका री चा हि ए वह ज्या दा की वर्ड नहीं लि खते और शॉर्ट की वर्ड सर्च करते है क्युकी शॉ र्ट tail की वर्ड पर एक बड़ी ऑडि यंस हो तीं है एक बड़ी ऑडि यंस
को टा रगेट कर सकते हैं लेकि न थो ड़ा सा इसमें आपको सबर करना हो गा रैंकिं ग के लि ए

3.Competition को समझने मे मदद

शॉ र्ट tail की वर्ड के लि ए प्रति स्पर्धा अधि क हो ती है जि ससे आपको अपने प्रति स्पर्धि यों की रणनी ति यों को समझने और बेहतर करने में मदद मि लती है यह सर्च इंजन में रैंकिं ग की संभा वना बढ़ा ते हैं- यदि आपकी वेबसा इट शॉ र्ट tail की वर्ड के लि ए रैंक करती है तो यह संभा वना है कि आपकी वेबसा इट सर्च इंजन में उच्च स्था न प्रा प्त करेगी शॉ र्ट tail की वर्ड को रैंक हो ने में टा इम तो लगता है लेकि न अगर एक बा र आपको रैंक मि ल जा ए तो लंबे समय तक आपकी वेबसा इट rank
करेगी और गूगल की नजरों में आपकी वेबसा इट की वैल्यू बढ़ेगी और आपको उच्च स्था न देगी .

इन ला भों को ध्या न में रखते हुए शॉ र्ट tail की वर्ड का उपयो ग करना एक मजबूत seo रणनी ति का महत्वपूर्ण हि स्सा हो सकता है हा लां कि इन्हें लौं ग tail keyword के सा थ संतुलि त तरी के से उपयो ग करना महत्वपूर्ण हो ता है की आपकी वेबसा इट की रैंकिं ग और ट्रैफि क दो नों ही बढ़ सके ||

Long tail keyword वह हो ते हैं जो चा र से पां च शब्द को मि ला कर बनता है Long tail keyword का उदा हरण जैसे की बेस्ट डि जि टल मा र्केटिं ग को र्स इन दि ल्ली अगर आप को ई मा र्केटिं ग कर रहे हैं अपने लो कल एरि या में मा र्केटिं ग कर रहे हैं तो आप इस तरह की keyword का इस्तेमा ल कर सकते हैं Long tail keyword पर कंपटी शन कम हो ता है Long tail keyword
पर रैंकिं ग आपको जल्दी मि ल सकती है क्यों कि जो बड़ी वेबसा इट हो ती है वह Long tail keyword का इस्तेमा ल नहीं करती वह short tail की वर्ड का इस्तेमा ल करती है इसलि ए वह हमेशा फर्स्ट रैंक पर बने रहते हैं और आपको रैंकिं ग मि लने के बहुत कम चां स हो ते हैं जब हम Long tail keyword को टा रगेट करते हैं तो हमें रैंकिं ग बहुत जल्दी मि लती है इसलि ए अगर आप नए ब्लॉ गर हैं आपने नए ब्लॉ गिं ग जर्नी शुरू की है तो आपको हमेशा Long tail keyword
का ही इस्तेमा ल करना है अपने ब्लॉ ग में ||

Long tail keyword

लों ग tail की वर्ड जो अक्सर ती न या अधि क शब्दों के हो ते हैं और वि शेष रूप से एक विशिष्ट विषय या इंक्वा री को टा रगेट करते हैं इसके कई महत्वपूर्ण फा यदे हैं

1.Low Competition

लौं ग tail की वर्ड के लि ए लो कंपटी शन हो ता है जि ससे आपकी वेबसा इट को सर्च इंजन रि जल्ट में उच्च स्था न प्रा प्त करना आसा न हो जा ता है लौं ग tail keyword पर ट्रैफि क कम हो ता है लेकि न इसमें कंपटी शन बहुत कम हो ता है क्यों कि जो बड़ी वेबसा इट है वह हमेशा short tail की वर्ड का इस्तेमा ल करती है अगर आपकी नई वेबसा इट है ब्लॉ गिं ग की शुरुआत कर रहे हैं तो लौं ग tail keyword का ही इस्तेमा ल करें.

2.बेहतर conversion rate

हा य कन्वर्जन keyword अधि क वि शि ष्ट हो ते हैं जि ससे वह अधि क टा रगेटे ऑडि यंस को आकर्षि त करते हैं ऐसे यूजर्स की संभा वना अधि क हो ती है कि वह आपकी सा इट पर आते ही कुछ खरी द या अन्य लक्ष्य को पूरा कर सके मा न लो आपकी को ई डि जि टल मा र्केटिं ग को चिं ग क्ला स है तो आप ऐसे keyword कोटा रगेट करेंगे जैसे डि जि टल मा र्केटिं ग को र्स इन यमुना वि हा र दि ल्ली तो यह आपके लि ए का फी फा यदेमंद हो सकते हैं लौं ग tail की वर्ड एक अच्छा रि जल्ट दे सकते हैं और आप सेल या ली ड अधि क प्रा प्त कर सकते हैं

Long tail keyword के फायेदे

3.Targeting Audience

अगर आपका को ई बि जनेस है या आपकी को ई सर्वि स है तो आपको टा रगेटिं ग ऑडि यंस चाहि ए तो उसके लि ए आप लौं ग tail की वर्ड का इस्तेमा ल कर सकते हैं आपके व्यवसा य के लि ए यह बहुत ज्या दा फा यदेमंद हो ते हैं लौं ग tail की वर्ड हमेशा आपके का म आएंगेएं गेअगर आप को ई services सेल कर रहे हैं या फि र को ई बि जनेस कर रहे हैं

4.कम ला गत पर PPC

अगर आप वि ज्ञा पन कर रहे हैं गूगल ऐड चला रहे हैं तो अगर आप लौं ग tail keyword का इस्तेमा ल करेगे तो उसमें ppc का फी कम हो ता है आपका इन्वेस्टमेंट बहुत कम आएगा क्यों कि लौं ग tail की वर्ड पर रेट बहुत कम हो ता है और अच्छे रि जल्ट आने की उम्मी द हो ती है

लौं ग tail की वर्ड के का फी फा यदे हो ते हैं लौं ग tail की वर्ड में आप अपने कि सी भी बि जनेस को अच्छे से डि स्क्रा इब कर सकते हैं क्यों कि शॉ र्ट tail की वर्ड दो या ती न शब्द का हो ता है लेकिन लौंग tail की वर्ड 5 से 6 शब्द का भी हो सकता है लौं ग tail की वर्ड पर कंपटी शन बहुत कम हो ता है इसलि ए लौं ग tail की वर्ड पर रैंककरना बहुत आसा न हो ता है और जल्दी आप rank कर सकते हैं अगर आप अच्छे तरी के से keyword रि सर्च करते हैं लौं ग tail keyword रि सर्च करते हैं तो
आपको बहुत जल्दी रैंकिं ग मि लने की संभा वना हो ती है इसलि ए लौं ग tail की वर्ड का इस्तेमा ल करें अगर आप बि गनर है आपने शुरुआत की है ब्लॉ गिं ग की या फि र को ई वेबसा इट बना ई है

तो आपको लौं ग tail की वर्ड का इस्तेमा ल करना है शॉ र्ट tail की वर्ड का इस्तेमा ल नहीं करना क्यों कि शॉ र्ट tail keyword में रैंकिं ग पा ने में बहुत टा इम लग जा ता है इतना टा इम लग जा ता है कि फि र लो ग डि मो टि वेट हो जा ते हैं और वह करि यर को वहीं छो ड़ देते हैं इसलि ए लौं ग tail की वर्ड का इस्तेमा ल आपको का फी फा यदे देगा |

Body tail keyword

ती सरा हो ता है बॉ डी tail की वर्ड, बॉ डी tail की वर्ड के बहुत सा रे फा यदे हो ते हैं बॉ डी tail की वर्ड का उदा हरण की बा त करें तो बॉ डी tail की वर्ड हो ता जो 3 या 4 शब्द का हो ता है जैसे एग्जां पल डि जि टल मा र्केटिं ग दि ल्ली पर भी आप का म कर सकते हैं body tail keyword भी जल्दी रैंक हो सकता है क्यों कि बॉ डी tail keyword पर भी कंपटी शन हो ता है लेकि न इतना नहीं हो ता इसलि ए बॉ डी tail की वर्ड का इस्तेमा ल करे अगर आप इस्तेमा ल करना चा हते हैं तो यह भी कर सकते हैं अच्छा ऑप्शन है

बॉडी tail की वर्ड के फा यदे !

बॉ डी tail की वर्ड वह हो ते हैं जो एक वेबसा इट के पृष्ठ पर प्रमुख रूप से उपयो ग कि ए जा ते हैं यह की वर्ड मुख्य वि षय को सटी क रूप से दर्शा ते हैं और यह की वर्ड ती न से चा र शब्द के हो सकते हैं इन की वर्ड पर कंपटी शन ज्या दा हो ता है ट्रैफि क भी ज्या दा हो ता है अगर आपने अपनी ब्लॉ गिं ग करि यर की शुरुआत की है तो आप इन बॉ डी tail की वर्ड का इस्तेमा ल कर सकते हैं उनके कुछ प्रमुख फा यदे निम्नलिखित है !

1.Targeted Audience

बॉ डी tail की वर्ड एक वि शि ष्ट या उत्पा दन के बा रे में हो ते हैं आपकी वेबसा इट पर सही प्रका र के वि जि टर आ सकते हैं अगर आप बॉ डी tail की वर्ड का इस्तेमा ल करते हैं तो आपको टा रगेटेड ऑडि यंस मि ल सकती है जि सकी आपको जरूरत है जि न ऑडि यंस की आपको जरूरत है वह audiance आप आसा नी से पा सकते हैं यह बॉ डी tail की वर्ड का बहुत अच्छा फा यदा है

2.Moderate Competion

इन की वर्ड पर ना तो ज्या दा कंपटी शन हो ता है और ना ही कम कंपटी शन हो ता है यह मध्य प्रकार के हो ते हैं और इन पर ना ज्या दा ट्रैफि क हो ता है ना कम ट्रैफि क हो ता है मध्य प्रका र का ट्रैफि क हो ता है लेकि न इन पर रैंक करवा ना आसा न हो ता है

3.Better Relavance

आपकी वेबसा इट के कंटेंट को सर्च इंजन और यूजर दो नों के लि ए अधिक प्रा संगि क बना ते हैं

4.Improve Click Thrrough Rate. बॉ डी tail

की वर्ड अधि क वि शि ष्ट हो ते हैं इसलि ए वह यूजर को अधि क आकर्षि त करते हैं जि ससे visitors बढ़ सकता है अगर आप बॉ डी tail keyword का इस्तेमा ल करते हैं तो आपके visitors का फी अच्छे हो सकते है क्युकी इन पर क्लि क बहुत अच्छे आते हैं

यह कुछ मुख्य फा यदे थे बॉ डी tail की वर्ड के आप बॉ डी tail की वर्ड का इस्तेमाल कर सकते हैं आपको अच्छा रैंक मि ल सकता है लेकि न आपको रैंक इतना जल्दी नहीं मि ल सकता थो ड़ा धी रे-धी रे रैंक मि लेगा इसके लि ए आपको थो ड़ा सा इंतजा र करना पड़ेगा अगर आप न्यू ब्लॉ गर है या फि र न्यू वेबसा इट अपने शुरू की है तो आप body tail की वर्ड का इस्तेमा ल कर सकते हैं यह का फी फा यदेमंद होगा आपके लिए ||

Seo के लि ए की वर्ड रि सर्च एक महत्वपूर्ण प्रक्रि या है सही की वर्ड का चयन आपकी वेबसा इट की खो ज इंजन रैंकिं ग को बढ़ा ने में महत्वपूर्ण भूमि का नि भा ता है अगर आप seo करने जा रहे हैं तो की वर्ड रि सर्च उसका सबसे पहला स्टेप है अगर आपने पहला स्टेप ठी क ढंग से कर लि या keyword research ठी क ढंग से कर लि या तो आपकी वेबसा इट और आपके ब्लॉ ग बहुत जल्दी रैंक करेगे और आप seo एक्सपर्ट बन जा एंगेएं गेइसलि ए keyword रि सर्च पर बहुत ज्या दा ध्या न दें की वर्ड रि सर्च कैसे करें इसके लि ए कुछ महत्वपूर्ण तरी के हैं जो नि म्नलि खि त हैं !

1.अपने लक्ष्यों को समझे

सबसे पहले आपको यह स्पष्ट करना हो गा कि आप कि स प्रका र की जानकारी उत्पाद या सेवा को लक्षि त कर रहे हैं आपके लक्ष्य आपके की वर्ड रिसर्च को नि र्देशि त करेंगे मा ना कि आपका को ई बिजनेस है आप अपने बि जनेस के लि ए को ई ब्लॉ ग लि ख रहे हैं keyword रि सर्च कर रहे हैं तो आपको यह देखना होगा कि आपका बि जनेस के लि ए कौ न से की वर्ड आपके लि ए फा यदेमंद हो गया आपको रि सर्च करना हो गा गूगल पर जा ना हो गा उस की वर्ड से रि लेटेड आपको
सा रे ब्लॉ ग देखने हों गे कि स तरी के से लो गों ने उस keyword को टा रगेट कि या है तो वहां से आपको आईडि या लेना हो गा

2.seed keywords की पहचा न करें

Seed की वर्ड वह हो ते हैं जो आपकी मुख्य की वर्ड हो ते हैं इनका आपको ज्या दा ज्या दा उपयो ग करना है मा न लो आपका को ई बि जनेस है आपका बि जनेस है डि जि टल मा र्केटिं ग तो डि जि टल मा र्केटिं ग आपका seed की वर्ड हो गया तो उस की वर्ड पर आपको ज्या दा फो कस करना है उसका उपयो ग ज्या दा जगह करना है जहां भी आपको मौ का मि ले वहां पर आपको seed keyword को पेस्ट करना है इससे आपको रैंक बहुत जल्दी मि लती है

3.Keyword Research tool का उपयो ग

हम सभी जा नते हैं कि की वर्ड हजा रों ला खों की संख्या में हो सकते हैं तो इतने की वर्ड हम अपनी तरफ से इस्तेमा ल नहीं कर सकते इतना आइडि या और दि मा ग हम नहीं लगा पा एंगेएं गेक्यों कि हम एक इंसा न है तो इसलि ए हमें का फी सा रे टूल की जरूरत हो ती है यह टूल आपको की वर्ड रि सर्च करने में आपकी का फी मदद करते हैं रेली वेंट की वर्ड को खो जने में आपकी मदद
करते हैं की वर्ड आपकी requirement के अनुसा र ही आपको अच्छे की वर्ड रि सर्च करके देते हैं हजा रों की संख्या में की वर्ड आपको खो ज कर देते हैं की वर्ड टूल्स कुछ लो कप्रि य टूल्स है जो नि म्नलि खि त है
Google keyword planner
Semrush
Ahrefs
Moz Keyword Explore
Ubersuggest

4.Relevant Keyword खो जे
अपने seed की वर्ड को इन टूल्स में डा लकर वि भि न्न रि लेटेड की वर्ड की सूची प्रा प्त करें यह आपको नए वि चा र और संभा वि त keyword की सूची देगा फि र आपके पा स जि तने भी की वर्ड हो जा ते हैं उन keyword की एक लि स्ट बना कर अपने ब्लॉ ग में या अपने पो स्ट में उन सभी को use करना है उन सभी को कहां -कहां पर use करना है यह आने वा ले पेज में हम बता एंगेएं गेजो कि ऑन पेज seo में हो गा तो यह सा रे की वर्ड आपके seo करने में बहुत ज्या दा का म आएंगेएं गेइसलि ए रि लेटेड की वर्ड का इस्तेमा ल आपको जरूर करना है इससे आपको रैंक बहुत जल्दी मिलता है

5.Search Volume और Competion की जां च करे

प्रत्येक keyword के लि ए सर्च वॉ ल्यूम और कंपटी शन की जां च करें सर्च वॉ ल्यूम वह हो ता है जो को ई भी पा र्टि कुलर की वर्ड एक मही ने में कि तने लो गों द्वा रा सर्च कि या जा रहा है सर्च वॉ ल्यूम देखने के लि ए आप ubersuggest टूल का इस्तेमा ल कर सकते हैं और कुछ हद तक यह टूल फ्री भी हो ते हैं तो आप की वर्ड का सर्च वॉ ल्यूम फ्री में भी देख सकते हैं जि स शब्द का सर्च वॉ ल्यूम ज्या दा हो और
कंपटी शन कम हो तो वह की वर्ड आप use कर सकते हैं कंपटी शन का मतलब हो ता है पार्टिकुलर की वर्ड पर कि तना कंपटी शन है मतलब कि तनी उम्मी द है कि आपका ब्लॉ ग वा यरल हो सकता है कि तने लो गों ने इस की वर्ड पर ब्लॉ ग लि खे हैं तो सर्च वॉ ल्यूम और कंपटी शन आपको देखना है सर्च वॉ ल्यूम ज्या दा हो ना चा हि ए कंपटी शन कम हो ना चा हि ए कंपटी शन 30 से 40 के बी च हो ना चा हि ए तो वह की वर्ड आप use कर सकते हैं इस्तेमा ल कर सकते हैं इससे आपको जल्दी rank
मि लने की संभा वना एं हो ती है

4.Relevant Keyword खो जे

अपने seed की वर्ड को इन टूल्स में डा लकर वि भि न्न रि लेटेड की वर्ड की सूची प्रा प्त करें यह आपको नए वि चा र और संभा वि त keyword की सूची देगा फि र आपके पा स जि तने भी की वर्ड हो जा ते हैं उन keyword की एक लि स्ट बना कर अपने ब्लॉ ग में या अपने पो स्ट में उन सभी को use करना है उन सभी को कहां -कहां पर use करना है यह आने वा ले पेज में हम बता एंगेएं गेजो कि ऑन पेज seo में हो गा तो यह सा रे की वर्ड आपके seo करने में बहुत ज्या दा का म आएंगेएं गेइसलि ए रि लेटेड की वर्ड का इस्तेमा ल आपको जरूर करना है इससे आपको रैंक बहुत जल्दी मि लता
है

5.Search Volume और Competion की जां च करे

प्रत्येक keyword के लि ए सर्च वॉ ल्यूम और कंपटी शन की जां च करें सर्च वॉ ल्यूम वह हो ता है जो को ई भी पा र्टि कुलर की वर्ड एक मही ने में कि तने लो गों द्वा रा सर्च कि या जा रहा है सर्च वॉ ल्यूम देखने के लि ए आप ubersuggest टूल का इस्तेमा ल कर सकते हैं और कुछ हद तक यह टूल फ्री भी हो ते हैं तो आप की वर्ड का सर्च वॉ ल्यूम फ्री में भी देख सकते हैं जि स शब्द का सर्च वॉ ल्यूम ज्या दा हो और कंपटी शन कम हो तो वह की वर्ड आप use कर सकते हैं कंपटी शन का मतलब हो ता है पा र्टि कुलर की वर्ड पर कि तना कंपटी शन है मतलब कि तनी उम्मी द है कि आपका ब्लॉ ग वा यरल हो सकता है कि तने लो गों ने इस की वर्ड पर ब्लॉ ग लि खे हैं तो सर्च वॉ ल्यूम और कंपटी शन आपको देखना है सर्च वॉ ल्यूम ज्या दा हो ना चा हि ए कंपटी शन कम हो ना चा हि ए कंपटी शन 30 से 40 के बी च हो ना चा हि ए तो वह की वर्ड आप use कर सकते हैं इस्तेमा ल कर सकते हैं इससे आपको जल्दी rank मि लने की संभा वना एं हो ती है

6.long tail keyword को प्रा थमि कता दें

लों ग tail keyword अक्सर कम कंपटी शन वा ले हो ते हैं और हा ई कन्वर्जन रेट
वा ले हो ते हैं लौं ग tail keyword पर सर्च वॉ ल्यूम ज्या दा हो ता है कंपटी शन कम हो ता है इसलि ए अगर आप भी जल्दी रैंक पा ना चा हते हैं तो लौं ग tail की वर्ड का इस्तेमा ल करें

7.user intent को समझें

की वर्ड का चयन करते समय यूजर इंटेंट को समझना महत्वपूर्ण है जब तक हम यूजर के intent को नहीं समझेंगे तो की वर्ड का चयन नहीं कर सकते यूजर क्या सर्च करना चा हता है यूजर क्या सर्च कर रहा है हमें उसके इंटेंट को समझना है यूजर इंटेंस ती न प्रका र के हो सकते हैं
Informational Intent
Navigational Intent
Trasactional Intent
अगर आपने यूजर के इंटेंट को समझ लि या यूजर के इंटेंट के अकॉ र्डिं ग ही आपने की वर्ड का चयन कि या है तो आपकी वेबसा इट और आपसे ब्लॉ ग बहुत जल्दी
वा यरल हों गे

8.Competitor Analysis

अपने कंपी टी टर के keyword की जां च करें आप उनकी वेबसा इट पर जा कर यह tool का उपयो ग करके देख सकते हैं कि वह कौ न से की वर्ड को टा रगेट कर रहे हैं मा न लो आपके कंपी टी टर ने को ई keyword का इस्तेमा ल कि या टा इटल में की वर्ड का इस्तेमा ल कि या लेकि न उस की वर्ड में कुछ कमि यां है वह कमी आप दूर करके एक नया की वर्ड बना सकते हैं इससे आपका ब्लॉ ग बहुत जल्दी वा यरल हो गा

9.Content Maping

आपके द्वा रा चुने गए की वर्ड के आधा र पर अपनी वेबसा इट के प्रस्तों के लि ए सा मग्री यो जना बना एं सुनि श्चि त करें कि आपके page पर चयनि त keyword स्वा भा वि क रूप से प्रा संगि क रूप से शा मि ल हो जब आप कंटेंट बना एं तो उसमें वह सा रे की वर्ड की लि स्ट रखें जो आपने रि सर्च कि या है रि लेटेड की वर्ड जो अपने रि सर्च की उनकी लि स्ट बना कर रखें और अपने कंटेंट में जगह-जगह पर उन keyword का इस्तेमा ल करें एक मैप बना एं उन सभी की वर्ड को अपने कंटेंट में
ईस्तेमा ल करें तो आप बहुत जल्दी seo एक्सपर्ट बन सकते हैं

10.Keyword को monitor और update करे

Seo एक नि रंतर प्रक्रि या है समय-समय पर अपने keyword की प्रदर्शन की समी क्षा करें और आवश्यकता अनुसा र उन्हें अपडेट करें क्यों कि कुछ की वर्ड अभी रैंक कर रहे हैं तो आपने उनका इस्तेमा ल कि या है लेकि न कुछ समय बा द वह keyword रैंक नहीं कर रहे ओर आगे अपडेट आया है तो उन शब्द को भी अपडेट करें अपने ब्लॉ ग में जगह-जगह पर समय-समय पर अपडेट रहे और की वर्ड को चेक करते रहें क्यों कि seo एक नि रंतर चलने वा ली प्रक्रि या है इसमें डेली
आपको का म करना है

इन सभी प्रकि या का पा लन करके आप एक मजबूत keyword स्ट्रेटजी बना सकते हैं जो आपकी वेबसा इट की खो ज इंजन रैंकिं ग को बेहतर बना एगी ||

 आपके ब्लॉ ग को सर्च इंजन में दि खा ने में बहुत ज्या दा मदद करता है जब आप एक सही की वर्ड का इस्तेमा ल करते हैं मा न लो आप ब्लॉ ग लि खने जा रहे हैं या आपने को ई page बना या है आपने का फी रि सर्च कि या का फी मेहनत करने के बा द को ई की वर्ड सि लेक्ट कि या और आपने एक अच्छा की वर्ड सेलेक्ट कर लि या तो यह आपके ब्लॉ ग की page की वि जि बि लि टी को का फी हद तक बढ़ा देता है और लो ग आपके ब्लॉ ग और पो स्ट को आसा नी से ढूंढ सकते हैं क्यों कि की वर्ड का मेंन मकसद यही हो ता है अपनी टा रगेट ऑडि यंस को ढूंढना हमें जो हमा रा niche है जो हमा री कैटेगरी है उस से रि लेटेड हमें ऑडि यंस की जरूरत हो ती है री डर की जरूरत हो ती है सर्च इंजन ऑप्टि मा इजेशन का जो मेंन उद्देश्य हो ता है वह कंटेंट को गूगल के फर्स्ट पेज पर दि खा ना हो ता है इसके लि ए सही की वर्ड का इस्तेमा ल करना बहुत जरूरी हो ता है गूगल पर अगर आप सही की वर्ड का इस्तेमा ल नहीं करेंगे तो SEO कैसे हो गा फि र SEO ठी क से नहीं हो पा एगा इसलि ए अगर आप प्रॉ पर SEO करना चा हते हैं अपनी वेबसा इट को रैंक में ला ना चा हते हैं तो एक सही
की वर्ड का इस्तेमा ल करि ए अच्छे की वर्ड का इस्तेमा ल करि ए और लौं ग tail की वर्ड का इस्तेमा ल करि ए ||

Benefits Keyword Research

कुछ लो ग का फी परेशा न रहते हैं कि हमा रे ब्लॉ ग या पो स्ट रैंक नहीं कर रहे हम का फी मेहनत कर रहे हैं लेकि न हमा री वेबसा इट नहीं रैंक कर रही तो उसका सबसे मेंन का रण यह हो ता है कि आपने अपने ब्लॉ ग में सही की वर्ड रि सर्च नहीं कि या आपने अपने ब्लॉ ग या पो स्ट में जि तने भी की वर्ड का इस्तेमा ल कि या है वह उचि त नहीं है वह ऐसे keyword है जि न की वर्ड को को ई भी लो ग search ही नहीं कर रहे तो आपको यह सबसे पहले देखना है कि कौ न से की वर्ड को ज्या दा लो ग सर्च कर रहे हैं कौ न सी कंट्री में कर रहे हैं आपको यह सा रा रि सर्च करने के बा द ही की वर्ड का इस्तेमा ल करना है अगर आप भी चा हते हैं कि आपका ब्लॉ ग रैंक हो आपकी वि जि बि लि टी बड़े आपको अच्छे click मि ले इंप्रेशन मि ले अच्छे क्लि क मि ले तो इसके लि ए की वर्ड का इस्तेमा ल बहुत ज्या दा जरूरी हो ता है की वर्ड का इस्तेमा ल करने के लि ए आप टूल का इस्तेमा ल करि ए टूल हमा री का फी मदद करते हैं keyword का इस्तेमा ल करने के लि ए जब हम सही keyword का इस्तेमा ल
करते हैं तो हमें बहुत जल्दी रैंक मि लता है क्यों कि अगर आप एक blogger है तो
रैंक आना बहुत जरूरी है ब्ला गिं ग में रैंक का हो ना ही सबसे मेंन है अगर आपको
रैंक ही नहीं मि ला तो आप कि तने भी ब्लॉ गिं ग करले कि तना भी ब्लॉ ग लि ख ले
उसका को ई भी फा यदा नहीं है इसलि ए की वर्ड रि सर्च पर ध्या न दें अगर आप रैंक
लेना चा हते हैं ||

Keyword Research

उम्मी द करता हूं इस पेज को पूरा पढ़ने के बा द आप समझ गए हों गे कि की वर्ड क्या
है की वर्ड क्यों जरूरी है keyword का इस्तेमा ल करना क्यों जरूरी है
keyword हमा रे रैंक के लि ए कि तना जरूरी है सा री ची ज आप जा न गए हों गे तो
की वर्ड का इस्तेमा ल बहुत ज्या दा जरूरी हो ता है की वर्ड क्या हो ता है को ई भी री डर
या को ई भी यूजर जब गूगल पर को ई भी इंक्वा री सर्च करता है तो की वर्ड enter
करता है जैसे यूज़र ने लि खा ब्लॉ गिं ग को र्स क्या है तो ब्लॉ गिं ग को र्स क्या है यह
की वर्ड हो गया उस रि लेटेड जि तने भी ब्लॉ ग गूगल पर हों गे वह सब आपके शो हो
जा एंगेएं गेहजा रों पेज में शो हों गे बहुत सा रे ब्लॉ गर ने उन पर ब्लॉ ग लि खा हो गा लेकि न
जि न लो गों ने अच्छे से की वर्ड रि सर्च कि या हो गा keyword को सही ढंग से उसने
प्लेस कि या हो गा की वर्ड रि सर्च का इस्तेमा ल कि या हो गा तो उसका ब्लॉ ग आपको
सबसे ऊपर दि खेगा फर्स्ट पेज पर दि खेगा तो हमा रे ब्लॉ ग का फर्स्ट पेज पर दि खना
बहुत ज्या दा जरूरी हो ता है क्यों कि जब तक हमा रा ब्लॉ ग फर्स्ट पेज पर नहीं
आएगा तब तक हमें रैंक नहीं मि लेगी और हमें को ई क्लि क नहीं मि लेंगे इसलि ए
की वर्ड रि सर्च ब्लॉ गिं ग की एक जड़ है की वर्ड रि सर्च ब्लॉ गिं ग की री ड की हड्डी है
की वर्ड रि सर्च करना बहुत जरूरी है अगर आप एक अच्छे ब्लॉ गर बनना चा हते हैं
की वर्ड रि सर्च का इस्तेमा ल ज्या दा से ज्या दा करि ए क्यों कि seo ही की वर्ड से बना
हे अगर आप अच्छे की वर्ड का इस्तेमा ल करेंगे तो फा यदा अच्छा मि लेगा जब
की वर्ड अच्छे से आप सेलेक्ट करेंगे तो आपका पूरा ब्लॉ ग seo ऑप्टि मा इज हो गा
इसलि ए की वर्ड रि सर्च करना बहुत जरूरी है और long tail keyword का
इस्तेमा ल ज्या दा से ज्या दा की जि ए हा य वॉ ल्यूम की वर्ड का इस्तेमा ल करि ए जि नका
वॉ ल्यूम ज्या दा हो तो ज्या दा सर्च कि या जा रहा हो कंपटी शन कम हो उन ही
keyword का इस्तेमा ल करि ए ||


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Search Engine कैसे काम करता है


How search Engine works    1.Crawling    जब भी हम कोई पोस्ट लिखते हैं या कोई पेज बनाते हैं तो गूगल का क्राउलर यानी गूगल का बोट उस वेबसाइट पर जा ता है और वेबसाइट के कंटेंट को चेक करता है खो जता है उसकी क्वालिटी चेक करता है और उसे व्यवस्थित तरीके से स्कैन करता है जब कोई बोट कि सी वेबसाइट को Crawle करता है तो वह उसके पेज को इंडेक्स करता है ताकि उसे सर्च रिजल्ट में दिखाया जा सके इस... Read More

How search Engine works 

 

1.Crawling

 

 जब भी हम कोई पोस्ट लिखते हैं या कोई पेज बनाते हैं तो गूगल का क्राउलर यानी गूगल का बोट उस

वेबसाइट पर जा ता है और वेबसाइट के कंटेंट को चेक करता है खो जता है उसकी क्वालिटी चेक करता है और उसे व्यवस्थित तरीके से स्कैन करता है जब कोई बोट कि सी वेबसाइट को Crawle करता है तो
वह उसके पेज को इंडेक्स करता है ताकि उसे सर्च रिजल्ट में दिखाया जा सके इस प्रक्रिया के जरिए सर्च इंजन वेबसाइट के कंटेंट को समझते हैं और यूजर को उसके मुताबिक नतीजे देते हैं जिससे उन्हें पहले रैंक पाने में मदद मिलती है स्टेप फर्स्ट crawling गूगल द्वारा की जाती है crawling के बाद इंडेक्सिंग की जाती है गूगल आपकी पोस्ट को अपने डेटा बेस में रखता है फिर यूजर की इंक्वारी के हिसाब से उसे रिजल्ट में
दिखा ता है इसलिए आपका कंटेंट क्वालिटी वाला होना चाहिए कोई कॉपी किया हुआ नहीं होना चाहिए अगर आपका कंटेंट क्वालिटी वाला नहीं है तो क्राउलर उसे इंडेक्स नहीं करता है और वह कभी भी यूजर को नहीं दखाया जाता

 

2.Indexing 

 

इंडेक्सिंग का मतलब है जब गूगल सर्च इंजन आपकी वेबसाइट के पेज को अपने डेटा बेस में शामिल करता है ता कि वह यूजर की पूछता छ के हिसाब से रिजल्ट दे सके इंडेक्सिंग के लिए सर्च इंजन बो ट आपकी वेबसाइट और उसके हर पेज को crawler करता है और विश्लेषण करता है कि अगर आपकी
सा इट इंडेक्स नहीं है तो वह सर्च इंजन के रिजल्ट में सबसे ऊपर नहीं होगी क्रा उलिंग के बाद गूगल आपका पेज को अपने डेटा बेस में शामिल करता है उसे ही हम इंडेक्सिंग कहते हैं सबसे पहले गूगल crawling करता है और फिर इंडेक्सिंग करता है अगर आपकी पोस्ट या पेज इंडेक्स हो गई है तो यह माना जता है कि आपका पेज या पोस्ट सही है और उसे यूजर को दिखाया जा सकता है इसलिए जब भी आप गूगल पर कोई पोस्ट या पेज अपलोड करें तो उसके इंडेक्सिंग रिक्वेस्ट जरूर सबमिट करें क्यों कि जब तक आपकी पोस्ट या पेज इंडेक्स नहीं हो गा वह गूगल पर कभी नहीं दिखाया जाएगा वह किसी भी यूजर को नहीं दिखाया ज एगा और इससे आपकी क ई इनकम भी नहि होगी और नाही आपकी पोस्ट भविष्य में वायरल हो गी इसलि ए हमेशा क्वालिटी कंटेंट लिखो ता कि गूगल उसे डेटा बेस में इंडेक्स कर सके और यूजर को आपकी पस्ट या पेज दिखा 

 

3.Ranking

 

जब आपकी कोई पोस्ट या पेज Crawle हो जाती है उसके बाद इंडेक्स भी हो जाती है तो फिर यह तीसरा स्टेप होता है रैंकिंग गूगल आपकी पोस्ट को यूजर की इंक्वारी के अकॉर्डिंग दिखाता है माना कि goggle ने आपकी पोस्ट को दिखाया शो कि या लेकिन उस पर ज्यादा क्लिक नहीं आया ज्यादा लोगों ने उसको पसंद नहीं किया तो उसकी रैंक गूगल कम कर देगा मा न लो आपने कोई अच्छा सा पोस्ट लिखा को ई पेज बनाया उस पर यूजर ने काफी अच्छे क्लिक कि ए तो गूगल फिर उसके बाद ज्यादा लोगों को उसको दिखाएगा इससे आपको रैंकिंग मिलती है तो अपनी पोस्ट को हमेशा क्वालिटी पो स्ट लिखें क्वालिटी पेज बनाएं जिससे गूगल उसको रैंक कर सके ||

A. लिं क के मा ध्यम से Traverse करना crawler वेब पेज पर जा ने के लिए उसमें मौ जूद लिं क का इस्तेमा ल करता है हर वेब पेज के एचटी एमएल को ड में लिंक यूआरएल हो ते हैं जो दूसरे वेब पेज के रि सो  पर रिडायरेक्ट करते हैं क्रॉ लरलिं क को फॉ लो करते हुए वेब पेज के चैन को फॉ लो करते हैं

B. कंटेंट का Extraction crawler हर वेब पेज को विकसि त करके उसका कंटेंट एक्सट्रैक्ट करते हैं जैसे टेक्स्ट इमेज वी डि यो meta tittle जैसे टा इटल डि स्क्रि प्शन और अन्य रेली वेंट इनफॉ रमेशन इस इनफा र्मेशन को सर्च इंजन इंडेक्स में स्टो र कि या जा ता है ता कि यूजर के सर्च क्वेरी के अकॉ र्डिं ग रेली वेंट रिजल्ट दिए जा सके

C. Frequency of crawling रेगुलर इंटरवल्स पर वेबसा इट को रिवीजन करते हैं ता कि उन्हें पता चल सके कि क्या नया कंटेंट ऐड हुआ है या को ई चेंज हुए हैं पॉपुलर वेबसा इट को Crawlers अधि क फ्रिक्वेंटली विजिट करते हैं

D. Robot.txt और meta tags वेबसा इट्स crawler को कंट्रोल करने के लि ए रॉ बर्ट txt file और मेटा text का उपयो ग करते है रॉ बर्ट txtfile में स्पेसि फा ई इंस्ट्रक्शन हो ती है कि crawler कि स पा र्ट्स को
कंट्रो ल कर सकते हैं और कि स पा र्ट्स को नहीं मेटा टैग भी crawlers को स्पेसि फि क इंस्ट्रक्शन देती है जैसे no इंडेक्स meta tag जो क्रो लर्स को यह बता ता है कि पेज को इंडेक्स ना करें. ओवरऑल वेब crawling एक क्रि टि कल स्टेप है सर्च इंजन के लि ए जो उन्हें नया और अपडेटेड कंटेंट को ढूंढने में मदद करते हैं ता कि वह यूजर को एक्यूरेट और फ्रेश इनफॉ रमेशन प्रो वा इड कर सके यह प्रक्रि या लगा तार चलती रहती है नए वेब पेज को खो जने और मौ जूदा वेब पेज में हुए बदला वों को ट्रैक करने के लि ए क्रॉ लर इंटरनेट को नि यमि त रूप से स्कैन करते रहते हैं वेब क्रा उलिं ग सर्च इंजन को का म करने का एक महत्वपूर्ण हि स्सा है इसके बि ना सर्च इंजन को पता नहीं चलेगा कि कौ न से वेब पेज मौ जूद है और उनमें
क्या जा नका री है ||

For Fast Crawling

जब हम को ई पो स्ट लि खते हैं या को ई पेज बना ते हैं तो उसका crawle हो ना बहुत जरूरी है क्यों कि जब तक वह क्रा उलिं ग नहीं हो गा तो फि र इंडेक्सिं ग भी नहीं हो गा इंडेक्सिं ग नहीं हो गा तो रैंकिं ग नहीं हो गा वह कहीं भी शो नहीं हो गा कि सी भी यूजर को शो नहीं हो गा इसलि ए कुछ जरूरी फैक्टर हो ते हैं जि न्हें आप फॉ लो कर सकते हैं कुछ नि म्नलि खि त ऐसे फैक्टर हम आपको बता एंगेएं गेजो आपका फा स्ट crawling करने में आपकी मदद करेंगे वह फैक्टर नि म्नलि खि त है

1.Sitemap submit


बेहतर crawling करने के लि ए आपको सा इटमेप सबमि ट करना है अपनी वेबसा इट में site मैप को इंटी ग्रेटेड करना है सा इटमेंप दो तरह के हो ते हैं एक हो ता है sitemap एचटी एमएल एक हो ता है sitemap xml यह दो नों ही आपको अपनी वेबसा इट में ऐड करने हैं सेटअप करना है क्यों कि जब आपकी वेबसा इट पर sitemap हो गा तो आपके ब्लॉ ग सा रे गूगल की नजरों में आएंगेएं गेऔर इसके सा थ ही यूजर की नजरों में भी सा रे ब्लॉ ग आएंगेएं गेइसलि ए sitemap को जल्दी से जल्दी ऐड करें इससे आपके सा रे जो ब्लॉ ग है वह क्रा उलिं ग हों गे क्यों कि जब आप गूगल का crawling एक पेज पर जा एगा तो वह दूसरे पेज पर भी sitemap की वजह से चला जा एगा तो इसलि ए sitemap को जल्दी से ऐड करें


For Fast Crawling

जब आपकी वेबसा इट स्पी ड अच्छी हो ती है आपकी पो स्ट बहुत जल्दी ओपन हो ती है तो गूगल उन वेबसा इटों को उन पो स्ट को उन पेज को बहुत जल्दी crawl करता है क्यों कि जब आपकी वेबसा इट की स्पीड अच्छी होगी तो यूजर एक्सपीरियंस अच्छा हो गा मा न लो गूगल का crawlar आपकी वेबसाइट पर आता है आपका पेज ओपन करता है और वह पेज काफी देर में ओपन होता है आपकी वेबसाइट की स्पीड बहुत कम है तो उसे गूगल crawl नहीं करेगा क्यों कि जब गूगल कोई ही वह इतनी देर में ओपन हो रही है तो यूजर को कि तनी देर में ओपन हो गी तो इसलिए अपनी वेबसा इट की स्पी ड को बढ़ा ये इसके लि ए टेक्नि कल seo करें एक्स्ट्रा प्लगइन को डि ली ट कर दें अपनी वेबसा इट को बि ल्कुल इजी रखें फ्री रखें उस पर ज्यादा जोर ना दें उस पर ज्यादा लोड ना डालें इसलिए ब्लागिंग वेबसाइट को हमेशा नॉ र्मल रखती है सरल रखती है ज्या दा डिजानिंग नहीं करनी बिजनेस वेबसा इट में डि जा इनिं ग होती है ब्ल गिंग वेबसाइट में डिजाइनिंग नहीं हो ती बस आपको इनफॉरमेशन अच्छी देनी है हाई क्वालिटी कंटेंट लिखना है


3.Internal linking


2.Website speed

Fast crawling करने के लिए इंटरनल लिंकिंग का हो ना बहुत जरूरी है मान लो आपने को ई ब्लॉग लिखा उस से रि लेटेड पहले भी ब्लॉ ग लि खा है तो अगर आप उस ब्लॉ ग में अपने पुरा ने वा ले ब्लॉग का लिं क देते हैं अगर पुराना वाला ब्लॉग आपका इंडेक्स नहीं हुआ तो नए ब्लॉग में इंटरनल लिंकिंग की वजह से आपका पुरा ना ब्लॉग भी crawl हो जा एगा क्यों कि जब गूगल का Bot आपके नए ब्लॉग पर आएगा इंटरनल लिंकिंग के द्वारा वह आपके पुरा ने ब्लॉ ग पर भी चला जा एगा इसलिए इंटरनल लिंकिंग का करना बहुत जरूरी है अगर आप चा हते हैं कि आपके सारे पेज crawling हो आपकी सारी पोस्ट crawl हो और जल्दी हो तो अपने हर पो स्ट में आपको कुछ इंटर लिंकिंग करनी है आपने देखा हो गा बहुत सा री ऐसी वेबसाइट है जो बहुत ज्यादा इंटरनल लिं किं ग करते हैं इंटरनल लिं किं ग करने का एक फा यदा यह भी होता है
आपके जो पुरा ने ब्लॉ ग पो स्ट है वह भी रैंक हो ने लगते हैं इसलिए फास्ट crawling करने के लिए इंटरनल लिंकिंग का बहुत ज्यादा बड़ा यो गदान है

4.Hosting -


होस्टिंग भी आपको proper सही कंपनी से लेनी है कुछ लो ग को ई लो कल हो स्टिं ग ले लेते हैं हो स्टिं ग की वजह से आपका जो सरवर है बहुत ज्या दा स्लो चलता है आपकी वेबसा इट के पेज पर कुछ भी शो नहीं हो ता कुछ देर तक या फिर कभी 404 Eror आता है या वेबसा इट Diactivate आता है का फी सा रे ऐसे Eror आने लगते हैं इसलि ए हमेशा ध्या न रखें कि आपको जब भी हो स्टिं ग लेनी है तो अच्छी वेबसा इट से लेनी है पो स्टिं ग का खा स ध्या न रखना है आपको अपनी वेबसा इट में जब आप अच्छी हो स्टिं ग लेंगे फास्ट होस्टिंग लेंगे तो आपके जो ब्लॉग है वह सा रे ब्लॉ ग crawl हों गे और इंडेक्स होंगे


5.Post Regular Without Gap


आप जब ब्ला गिं ग वेबसा इट बना एंगेएं गेतो आपको इस ची ज का बिल्कुल ध्यान रखना है कि आपको रेगुलर पो स्ट लि खनी है ऐसा ना हो कि आज आपने एक पोस्ट लिख दी उसके बा द 10 दि न बा द आपने पो स्ट लि ख दी तो इससे गूगल आपकी पो स्ट को crawl नहीं करेगा क्यों कि गूगल उन्ही वेबसा इटों को crawl और इंडेक्स करता है जो लो ग सी रि यस हो ते हैं जो ब्लॉ गिं ग को रेगुलर बेस पर करते हैंऔर अच्छी पो स्ट लि खते हैं इसलि ए आपको रेगुलर पो स्ट करना है जब आप रेगुलर पो स्ट करेंगे तो आपकी क्रा उलिं ग फा स्ट हो गी और गूगल की नजरों में आपकी वेबसा इट की वैल्यू बनेगी इसलि ए अगर आप ब्लॉ गिं ग कर रहे हैं तो उसको आप एक टा इम टेबल की तरह करें आप उसमें डेली टा इम दे वक्त दे और प्रॉ पर तरी के से आप ब्लॉ ग लि खे अगर आप गैप करेंगे तो आपकी क्रा उलिं ग रुक जा एगी और गूगल आपकी पो स्ट को crawl नहीं करेगा इसलि ए को ई गैप नहीं करना रेगुलर बेस पर आपको पो स्ट लि खनी है ब्लॉ ग लि खने हैं अगर आप फा स्ट crawling करना चा हते हैं तो पो स्ट रेगुलर करिए

6.Backlink
बैकलिं क हमा री वेबसा इट का ऑफ पेज seo हो ता है जि स तरी के से ऑन पेज seo में हम कंटेंट लि खते हैं इमेज लगा ते हैं पूरा पो स्ट डि जा इन करते हैं पूरी पो स्ट लि खते हैं ठी क उसी तरह वेबसा इट के लि ए off page seo हो ता है off page seo आपकी वेबसा इट को बा हरी तरी के से रैंक करता है on page seo में आपको बैकऐंड का का म करना हो ता है अंदर से ही वेबसा इट को seo करना हो ता
है लेकि न off page seo में ऐसा नहीं हो ता इसमें आपको ज्या दा से ज्या दा backlink बना ने हो ते हैं
सो शल मी डि या इंगेजमेंट को बढ़ा ना हो ता है अगर आप ज्या दा से ज्या दा अपनी वेबसा इट पर बैकलिं क बना एंगेएं गेतो आपकी क्रा उलिं ग फा स्ट हो गी मा न लो आपने कि सी अपनी पो स्ट का बैकलिं क बना या और वह crawl नहीं हुआ तो जब गूगल उस वेबसा इट पर जा एगा जि स वेबसा इट पर आपने ब्लॉ ग लि खा है जब वह उस वेबसा इट की क्रा उलिं ग करेगा तो बैकलिं क के जरि ये आपकी आपकी वेबसा इट भी उसको शो हो गी आपका पेज भी उसको शो हो गा जि सकी वजह से आपकी क्रा उलिं ग गूगल बहुत जल्दी करेगा क्यों कि गूगल के क्रॉ लर को उस लिं क के द्वा रा आपकी वेबसा इट तक आने का मौ का मि लेगा इसलि ए ज्या दा से ज्या दा बैकलिं क बना या क्यों कि जि तने ज्या दा बैकलिं क बना येगे उस से आपकी वेबसा इट की अथॉ रि टी बढ़ती है आपकी वेबसा इट का ट्रस्ट बनता है और गूगल की नजरों में आपकी वेबसा इट की वैल्यू बनती है और आपको बहुत अच्छी रैंक मि लती है फा स्ट crawling करने के लि ए बैकलिं क बहुत ज्या दा जरूरी है इसलि ए बैकलिं क का ज्या दा से ज्या दा ध्या न रखें और ज्या दा से ज्या दा backlink बना ये रेगुलर बेस पर बैकलिं क बना एं अगर आप फा स्ट crawling चा हते हैं

Conclusion


उम्मी द करता हूं आप अच्छे से समझ गए हों गे कि फा स्ट crawling के लि ए आपको क्या करना है फा स्ट crawling के लि ए आपको ज्या दा मेहनत नहीं करनी बस कुछ पॉ इंट है जो आपको ऊपर बता ए गए हैं इन सभी को फॉ लो करना है आप इन सभी को फॉ लो करके देखि ए उसके बा द आपकी क्रा उलिं ग बहुत जल्दी हो गी बहुत स्पी ड में हो गी क्यों कि हमा रे पो स्ट का crawl हो ना बहुत जरूरी है जब आपकी वेबसा इट पर गूगल आ ही नहीं रहा है तो वह उसको रेंक कैसे करेगा अगर आपकी वेबसा इट शो ही नहीं हो रही है गूगल पर ही ही नहीं तो फि र वह यूजर को कहां से दि खेगी इसलि ए हमें चा हि ए कि गूगल हमा री वेबसा इट पर आए हमा रे पो स्ट को crawl करें क्रा उलिं ग फा स्ट करने के लि ए कुछ सेटिं ग हो ती है कुछ method हो ते हैं कुछ ट्रि क हो ती हैं वह हमें पूरी फॉ लो करनी है उसके बा द ही आपको रेगुलर ब्लॉ ग लि खना है अगर आप रेगुलर बेस पर ब्लॉ ग लि खेंगे तो आपकी क्रा उलिं ग जल्दी हो गी एक टा इम ऐसा आएगा कि आप इधर पो स्ट करेंगे उधर 5 मि नट में आपकी पो स्ट इंडेक्स हो गी और जब आपके पो स्ट इंडेक्स हो गी तो वह रैंक भी हो गी मा न लो अगर गूगल आपकी वेबसा इट को crawl ही नहीं कर रहा है आपके पेज को crawl ही नहीं कर रहा तो गूगल पर कैसे शो हो गा जब वह गूगल पर शो नहीं हो गा तो आपकी वेबसा इट कभी भी रैंक नहीं करेगी इसलि ए अपनी वेबसा इट को जल्दी crawl करने के लि ए आपको कुछ सेटिं ग करनी हो गी कुछ ट्रि क करनी हो गी कुछ जरूरी ची ज़े हैं जो आपको करनी हो गी इस ब्लॉ ग में हमने वह सा री ची ज कवर की है आप इस ब्लॉ ग को पूरा पढ़ि ए और इसके बा द यह सा रे पॉ इंट आप follow करेंगे अपने ब्लॉ ग में जि ससे आपको बहुत जल्दी रैंकिं ग मि लेगी बहुत जल्दी इंडेक्सिं ग मि लेगी और करो लिं ग भी आपकी बहुत जल्दी हो गी अपनी वेबसा इट को trusted बना ये जब आपकी वेबसा इट trusted बनेगी गूगल की नजरों में तो आपकी वेबसा इट रैंक करेगी इसके लि ए आपको रेगुलर बेस पर ब्लॉ ग लि खना है और सी रि यस हो कर ब्लॉ गिं ग करनी है gape बि ल्कुल नहीं करना आपको इंटरनल लिं किं ग का बिल्कुल ध्या न देना है जि तनी ज्या दा इंटरनल लिं किं ग करेंगे उतना ज्या दा crawl और इंडेक्सिं ग जल्दी हो गी इसके सा थ ही बैकलिं क पर बहुत ज्या दा ध्या न देना है बैकलिं क भी आपको रेगुलर बना ने हैं बैकलिं क के द्वा रा आपकी वेबसा इट के सभी पेज इंडेक्स हो जा ते हैं सभी पो स्ट इंडेक्स हो जा ती है इसलि ए यह सा री क्रि या एं आपको करनी है अपनी वेबसा इट को जल्दी crawl करा ने के लि ए

2.Indexing

Indexing का मतलब हो ता है जब सर्च इंजन जैसे गूगल आपकी वेबसा इट के पेज को अपने डेटा बेस में शा मि ल करता है ता कि वह यूजर की inquiary के अकॉ र्डिं ग रेली वेंट रि जल्ट प्रो वा इड कर सके इंडेक्सिं ग के लि ए सर्च इंजन बो ट आपकी वेबसा इट को crawle करते हैं और उसमें से हर पेज को एना ला इज करते
हैं यदि आपकी सा इट इंडेक्स नहीं है तो वह सर्च इंजन रि जल्ट में ऊपर नहीं हो गी क्रा उलिं ग करने के बा द गूगल आपकी पेज को अपने डेटा बेस में इंक्लूड कर लेता है इसे ही हम इंडेक्सिं ग कहते हैं सबसे पहले गूगल crawling करता है फि र इंडेक्सिं ग करता है अगर आपका पो स्ट या पेज इंडेक्स हो गया है तो यह मा ना जा ता है कि आपका पेज या पो स्ट रा इट है ठी क है वह यूजर को दि खा या जा सकता है इसलि ए जब भी आप को ई पो स्ट या पेज गूगल पर अपलो ड करते हैं


2.Indexing

 

तो उसके इंडेक्सिं ग रि क्वेस्ट जरूर डा लि ए क्यों कि जब तक आपका पो स्ट या पेज इंडेक्स नहीं हो गा तो वह गूगल पर कभी नहीं शो हो गा कि सी भी यूजर को शो नहीं हो गा और इससे आपकी को ई इनकम जनरेट नहीं हो गी और न ही आपका पो स्ट कभी भवि ष्य में वा यरल हो गा इसलि ए हमेशा क्वा लि टी कंटेंट लि खें ता कि गूगल अपने डेटा बेस में उसको इंडेक्स कर सके और यूजर को आपका पो स्ट या पेज
दि खा सके उसके बा द ती सरा स्टेप आता है रैंकिं ग || जब गूगल का बो ट या स्पा इडर पो स्ट को वेबसा इट को Crawle कर लेता है तो उसके बा द इंडेक्सिं ग हो ती है गूगल बो ट द्वा रा इकट्ठा की गई जा नका री को गूगल के डेटा बेस में स्टो र कि या जा ता है इस स्टेप में पेज की सा मग्री को एना ला इज कि या जा ता है और उसे की वर्ड और अन्य महत्वपूर्ण जा नका री के आधा र पर इंडेक्स कि या जा ता है इसका मतलब है कि जब भी को ई यूजर गूगल पर कुछ सर्च करता है तो यह इंडेक्स यूजर को सबसे रेली वेंट रि जल्ट प्रदा न करता है गूगल अपने डेटा बेस में वह सा री सा मग्री रख लेता है जैसे ला इब्रेरी हो ती है ला इब्रेरी में कई सा री रेक हो ती है उसमें कुछ सा इंस की बुक्स या कुछ मैथ की बुक्स कुछ इंग्लि श की बुक्स तो इसी तरी के से गूगल उन सा री पो स्टों को स्टो र कर लेता है यूजर की इंक्वा री के अकॉ र्डिं ग ही उन इंडेक्स हुई पो स्ट को वेबसा इट को serp में रि जल्ट में शो कर देता है तो इंडेक्स हो ना बहुत जरूरी है हमा री पो स्ट का जब तक हमा री को ई भी पो स्ट या वेबसा इट इंडेक्स नहीं हो गी तो वह गूगल के डेटा बेस में नहीं हो गी और वह यूजर को कभी भी नहीं दि खेगी और ना ही आपकी वेबसा इट कभी रेंक करेगी इसलि ए हमें ध्या न देना है
अपनी पो स्ट की इंडेक्सिं ग को ज्या दा से ज्या दा करना है इंडेक्सिं ग से पहले हमें क्राउलिं ग पर ध्या न देना है क्यों कि क्रा उलिं ग हो ने के बा द ही इंडेक्सिं ग हो ती है सबसे पहले क्रा उलिं ग करने के लि ए जो भी जरूरत हो ती है वह हम आपको ऊपर बता चुके हैं यह सा रे स्टेप आप फॉलो करें इससे आपका ब्लॉ ग और आपकी वेबसा इट जल्दी रैंक हो गी और जल्दी

For fast Indexing

A. Google Search Console


Google search console का इस्तेमा ल करें यह आपको फा स्ट इंडेक्सिं ग के लि ए बहुत ज्या दा मदद करता है गूगल सर्च console में एक ऑप्शन हो ता है रि क्वेस्ट इंडेक्सिं ग जब भी आप को ई ब्लॉ ग लि खो या को ई भी आप पेज बना ओ तो उसका लिं क वहां पर आप पेस्ट करें और इंडेक्सिं ग के लि ए रि क्वेस्ट कर दें इससे गूगल को आपके यूआरएल को जल्द से जल्द इंडेक्स करने का अनुरो ध जा एगा और गूगल आपकी पो स्ट पर जल्दी आएगा और उसको crawle करेगा इंडेक्स करेगा गूगल सर्च console का इस्तेमा ल आपको जरूर करना है अगर आपको जल्दी इंडेक्सिं ग करनी है अपनी पो स्ट की

2.Sitemap


अपनी वेबसा इट का XML Sitemap जमा करें अपनी वेबसा इट का XML Sitemap तैया र करें यह आपकी वेबसा इट के सभी महत्वपूर्ण pages की सूची हो ती है इसे गूगल सर्च console में सा इट map क्षेत्र में सबमि ट करें गूगल को यह बताने के लि ए कि आपकी सा इट पर कौ न-कौ न से पेज मौ जूद है यह एक बेहतरीन तरीका है क्यों कि site map यूजर के लि ए फा यदेमंद हो ता है और हमा री indexing को फा स्ट करने के लि ए भी फा यदेमंद हो ता है गूगल की नजरों में आपके सा रे पो स्ट सा रे पेज आएंगेएं गेवह सभी को इंडेक्स करेगा सभी को crawle करेगा इसलिए साइट map जरूर सबमि ट करें
For fast Indexing

Your paragraph text
C. Website को Mobile Friendly बा ना ये
सुनि श्चि त करें कि आपकी वेबसा इट मो बा इल फ्रेंडली है गूगल मो बा इल फ्रेंडली वेबसाइट को प्रा थमि कता देता है गूगल मो बा इल फ्रेंडली टेस्ट टूल का उपयो ग करके अपनी वेबसा इट की जां च करें क्यों कि हम सभी जा नते हैं कि हमा रे 95% यूजर मोबा इल में ही हमा रे पो स्ट को ओपन करते हैं मो बा इल में ही हमा री वेबसा इट को देखते हैं तो इसलि ए हमा रे जो यूजर हो ते हैं वह मो बा इल का इस्तेमा ल ज्या दा करते हैं मो बा इल फ्रेंडली अपने थी म बना ए इसे जल्दी इंडेक्सिं ग हो गी .

D. उच्च गुणवत्ता का कंटेंट बना एं
अपनी वेबसा इट पर उच्च गुणवत्ता का कंटेंट पो स्ट करें जो उपयो गकर्ता के लि ए उपयो गी और आकर्षक हो नि यमि त रूप से नई सा मग्री जो ड़ते रहे आपके पो स्ट लि खने में गैप नहीं करना नि यमि त रूप से ब्लॉ ग लि खते रहना हैं पो स्ट बना नी है और कंटेंट क्वा लि टी का बहुत ज्यादा ध्यान रखना है क्यों कि गूगल क्वॉ लि टी कंटेंट को ही इंडेक्स करता है इसलि ए जब तक आप क्वा लि टी कंटेंट नहीं लि खेंगे नहीं आपका क्रा उलिं ग हो गी और ना ही आपकी इंडेक्सिं ग हो गी ठी क तरी के से.

E. Backlink प्रा प्त करे
अन्य वेबसा इट से बैकलिं क प्रा प्त करें उच्च गुणवत्ता वा ली वेबसा इट से बैकलिं क मि लने से आपकी वेबसा इट की वि श्वसनी यता बढ़ती है और गूगल इसे तेजी से इंडेक्स करता है जब आप ज्या दा से ज्या दा बैकलिं क बना एंगेएं गेनि यमि त रूप से backlinks बना एंगेएं गेतो उस पर इंगेजमेंट ज्या दा हो ता है ज्या दा ट्रैफि क आता है तो गूगल भी उनको जल्दी इंडेक्स करता है

Your paragraph text
और ट्रस्ट बनता है गूगल का अगर आप एक अच्छी वेबसा इट से बैकलिं क प्रा प्त करते हैं तो ध्या न रहे आपको अच्छी वेबसा इट से ही बैकलिं क प्रा प्त करने हैं इससे आपकी इंडेक्सिं ग बहुत जल्दी हो गी सभी पो स्टकी .

F. Social Media Share


अपनी वेबसा इट के लिं क सो शल मी डि या प्लेटफॉ र्म पर सा झा करें इससे आपकी वेबसा इट पर ट्रैफि क बढ़ता है और गूगल इसे जल्दी नो टि स करता है जब आप को ई भी ब्लॉ ग लि खते हैं तो उसको सो शल मी डि या पर भी शेयर करते हैं जैसे की फेसबुक पर इंस्टा ग्रा म पर या पिं टरेस्ट पर क्यों कि यहां पर बहुत ज्या दा बि लि यनों में ट्रैफि क हो ता है तो वह ट्रैफि क आपकी वेबसा इट पर भी आता है तो इससे गूगल की
नजरों में आपकी वेबसा इट की वैल्यू बढ़ती है और उसे पर ट्रस्ट करता है गूगल जल्दी इंडेक्स करता है आपके सा रे पो स्ट.

G. Website Speed
सुनि श्चि त करें कि आपकी वेबसा इट जल्दी लो ड हो रही है वेबसा इट की स्पी ड बढ़ा ने के लि ए इमेज को ऑप्टि मा इज करें बेका र स्क्रि प्ट को हटा ए और अच्छी हो स्टिं ग का उपयो ग करें जब आपकी स्पी ड जल्दी लो ड हो गी वेबसा इट जल्दी स्पी ड में लो ड हो गी तो गूगल की नजरों में उसे वेबसा इट की वैल्यू बनती है और वह उसको जल्दी इंडेक्स करता है इसलि ए वेबसा इट की स्पी ड पर वह बहुत ज्या दा ध्या न दें टेक्नि कल seo पर ध्या न दें और हो स्टिं ग अच्छे से प्लेटफा र्म से खरीदें आपकी वेबसा इट बि ल्कुल स्लो नहीं हो नी चा हि ए वह जल्दी लो ड हो स्पी ड में ओपन हो नी चाहिए
इन कदमों को उठा कर आप अपनी वेबसा इट के इंडेक्सिं ग प्रक्रि या को तेज कर सकते हैं यदि आपकी वेबसा इट अभी भी इंडेक्स नहीं हो रही है तो गूगल की सहायता केंद्र से मदद ले सकते हैं ||

3.Ranking

मान लो गूगल ने आपकी वेबसा इट यूजर को दि खा या मा न लो 10 यूजर को दिखा या उसमें से ती न लो गों ने क्लि क कि या तो गूगल आगे भी रैंक करवा एगा मा न लो आपकी वेबसा इट पर अगर 10 में से 0 क्लिक आया तो वह रैंक नहीं हो गा कभी भी क्यों कि जो कंटेंट क्वा लि टी का हो ता है और यूजर की क्वेरी से रि लेटेड रेली वेंस हो ता है तो यूजर क्लि क करने के बा द उसे पढ़ता है अगर यूज़र ने क्लि क कि या और थो ड़ा सा टा इम रुका फि र वा पसी दूसरी वेबसा इट पर चला गया तो इससे आपका बा उंस रेट बढ़ता है

आपकी वेबसा इट की रैंकिं ग खरा ब हो जा ती है आपकी वेबसा इट नी चे आ जा ती है इसलि ए आपको इस तरी के का कंटेंट लि खना है या फि र पो स्ट या पेज बना ना है कि यूजर उस पर ज्या दा देर तक रुके और उसे पढ़े अगर ऐसा हो ता है तो गूगल की नजरों में आपका पेज और पो स्ट का फी अच्छा है
और वह उसको बहुत जल्दी रैंक करता है || गूगल जैसी सर्च इंजन कंपनी द्वा रा वेबसा इट रैंकिं ग करने के लि ए कई का रकों का उपयो ग कि या जा ता है यह का रक मुख्य रूप से वेबसा इट की गुणवत्ता उपयो गिता पर आधा रि त हो ते हैं क्यों कि गूगल उन वेबसा इटों को रैंक करा ता है जो क्वा लि टी वा ली हो ती है क्वा लि टी वा ला कंटेंट लि खा हो ता है उसमें को ई गलति यां नहीं हो ती पर फुल इनफा र्मेशन हो ती है इसलि ए आपको अपने ब्लॉ ग पर बहुत ज्या दा ध्या न देना है क्वा लि टी पर ध्या न देना है और अपने ब्लॉ ग में पूरी इनफा र्मेशन देनी है रैंकिं ग को बढ़ा ने के लि ए कुछ नि म्नलि खि त का रक है

1.Quality Content


अगर आपका कंटेंट क्वा लि टी वा ला है और वह यूजर को ज्या दा पसंद आ रहा है मतलब अगर आपका कंटेंट यूजर को दि खा या गया और उसे यूज़र ने उसको पूरा पढ़ा उस पर का फी टा इम स्पेंड कि या और यूजर कंटेंट पढ़ने के बा द कि सी दूसरी वेबसा इट पर नहीं गया उसको पूरी जा नका री वहां पर मि ल गई तो गूगल की नजरों में वह कंटेंट हा ई क्वा लि टी कंटेंट हो ता है तो गूगल उसको जल्दी रैंक करता है और का फी सा रे लो गों को वह कंटेंट शो करा ता है उस वेबसा इट को शो करा ता है इसलि ए हमेशा क्वा लि टी वा ला कंटेंट लि खो अगर आप भी रैंकिं ग पा ना चा हते हैं अपने कंटेंट में पूरी जा नका री दें और को ई मि स्टेक ना हो यह ध्या न रखें

2.keyword


सही की वर्ड और अपने टा रगेट की वर्ड का उचि त और नेचुरल उपयो ग करें उचि त की वर्ड रि सर्च कर रहे हैं और ऐसे की वर्ड चुने जो आपकी वेबसा इट के वि षय से मेल खा ते हैं की वर्ड पर बहुत ज्या दा ध्या न दें क्यों कि रैंकिं ग को पा ने के लि ए की वर्ड का सबसे ज्या दा अहम रो ल हो ता है क्यों कि को ई भी यूजर की वर्ड को सर्च करके ही आपकी वेबसा इट पर आता है अगर आप सही तरी के से की वर्ड का इस्तेमा ल करेंगे यूजर की इंक्वा री से रेली वेंट हो गा तो वह की वर्ड आपका रैंक हो गा जब आपका keyword रैंक हो गा तो आपकी वेबसा इट रैंक हो गी इसलि ए keyword रि सर्च पर बहुत ज्या दा ध्या न दें की वर्ड रि सर्च करने के लि ए बहुत सा रे टूल आते हैं semrush , ubersuggest ध्या न दें आपको ऐसा की वर्ड सर्च करना है जि सका वॉ ल्यूम ज्या दा हो ज्या दा लो ग उसे सर्च कर रहे हो कंपटी शन कम हो ऐसे keyword का इस्तेमा ल आपको करना है

3.Backlink
उच्च क्वा लि टी वा ली वेबसा इट से बैकलिं क प्रा प्त करना रैंकिं ग को बेहतर बना ता है अगर को ई बड़ी वेबसा इट हमा रे लिं क को प्रमो ट कर रही है या फि र शो कर रही है तो इससे गूगल की नजरों में हमा रे ब्लॉ ग की वैल्यू बनती है हमा री पो स्ट की वैल्यू बनती है और गूगल उसको रैंक करा ता है तो बैकलिं क का बहुत ज्या दा अहम रो ल है रैंकिं ग को पा ने के लि ए बैकलिं क off page seo हो ता है तो बैकलिं क पर ज्या दा ध्या न दें ज्या दा से ज्या दा बैकलिं क बना ये क्वा लि टी वा ले बैकलिं क बना एं और एक अच्छी वेबसा इट से बैकलिं क प्रा प्त करें तो इससे आपको रैंक बहुत जल्दी  मिलेगा


4.On Page Seo


जब भी हम को ई पो स्ट लि खते हैं तो सबसे पहले हमें ऑन page seo करना हो ता है तो ध्या न दें टा इटल tag पेज का टा इटल tag स्पष्ट और की वर्ड युक्त हो ना चा हि ए meta डि स्क्रि प्शन प्रभा वी meta डि स्क्रि प्शन लि खे जो की वर्ड शा मि ल करता हो हेडिं ग टैग सही ढंग से h1 h2 h3 tag का उपयो ग करें जब तक हमा रा on page seo सही नहीं हो गा तब तक हमा री वेबसा इट को रैंक नहीं मि लेगी on page seo बेसि है हमा री पो स्ट के लि ए हमा री वेबसा इट के लि ए तो on page seo ऊपर ज्या दा ज्या दा ध्या न दें

5.Website Speed


लो डिं ग टा इम आपकी वेबसा इट का तेज हो ना चा हि ए आपकी वेबसा इट की स्पी ड बहुत ज्या दा फा स्ट हो नी चा हि ए गूगल उन्हीं वेबसा इट को रैंक देता है जि नकी स्पी ड अच्छी हो ती है इसलि ए वेबसा इट की स्पी ड पर बहुत ज्या दा ध्या न दें इन सभी का रकों का सही उपयो ग करके आप अपनी वेबसा इट की रैंकिं ग को बेहतर बना सकते हैं या द रखें कि seo सर्च इंजन ऑप्टि मा इजेशन एक नि रंतर प्रक्रि या है और इसे नि यमि त रूप से अपडेट करना पड़ता है ||

 

 


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SEO क्या है


SEO क्या है   Seo एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी वेबसाइट या वेब पेज को सर्च इंजन लिए ऑप्टिमाइज किया जाता है  ताकि उसे सर्च रिजल्ट बेहतरीन मले इससे वेबसाइट की वजबिलिटी बढ़ती है और ट्रैफिक आता है सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन दो शब्दों से मिलकर बना है सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन वह सर्च इंजन है जैसे गूगल बिंग, या हू और कई अन्य सर्च इंजन जहां यूजर अपनी पूछता छ करने आते हैं कोई जानकारी लेने आते हैं या... Read More

SEO क्या है
 

Seo एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी वेबसाइट या वेब पेज को सर्च इंजन लिए ऑप्टिमाइज किया जाता है  ताकि उसे सर्च रिजल्ट बेहतरीन मले इससे वेबसाइट की वजबिलिटी बढ़ती है और ट्रैफिक आता है सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन दो शब्दों से मिलकर बना है सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन वह सर्च इंजन है जैसे गूगल बिंग, या हू और कई अन्य सर्च इंजन जहां यूजर अपनी पूछता छ करने आते हैं कोई जानकारी लेने आते हैं या को ई भी इनफॉ रमेशन लेने आते हैं वह सर्च इंजन पर आते हैं वह अपनी इंक्वा री सर्च करते हैं गूगल उनकी इंक्वारी के अकॉर्डिंग उनका रिजल्ट दिखाता है तो अपनी वेबसाइट को सर्च इंजन के लिए ऑप्टिमाइज करना और अपनी वेबसा इट को गूगल के पहले पेज पर रैंक कराना || seo तीन प्रकार के होते हैं ऑन पेज seo ऑफ पेज seo टेक्निकल seo.

 

सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन एक डजिटल मार्केटिंग का प्रोसेस है इसके थ्रू वेबसा इट blogs या ऑनला इन कंटेंट को ऑप्टिमाइज किया जाता है सर्च इंजन के लिए जि ससे ऑर्गेनि क नॉ न-पैड ट्रैफि क जनरेट हो ता है seo की तरह आप अपने कंटेंट को सर्च इंजन रिजल्ट पेज serp में बेटर विजिबिलिटी और हायर
रैंकिंग दिलवा सकते हैं यह वेबसाइट को गूगल rank और दूसरे सर्च इंजन में बेहतर रैंक दि ला ने की प्रक्रिया है आसान भाषा में कहें तो seo आपकी वेबसाइट को उन ची जों के लिए ज्यादा दिखाई देता है जि नको लो ग सर्च कर रहे हैं उदाहरण के लिए अगर आपकी वेबसाइट का seo अच्छे से करते हैं तो आपकी वेबसा इट गूगल के फर्स्ट पेज पर रैंक हो गी और आपकी सर्वि स सेल होगी आपकी प्रोडक्ट सेल होंगे और आपको
काफी अच्छा रिजल्ट मिलेगा काफी अच्छा फायदा मिलेगा आपको ||

 

 


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कंप्यूटर का इतिहास


कंप्यूटर का इतिहास   गणना करने की आवश्यकता से उत्पन्न हुआ। प्रारंभिक युग से लेकर आधुनिक युग तक, कंप्यूटर ने मानव सभ्यता के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज के सुपरकंप्यूटर और क्वांटम कंप्यूटर का विकास साधारण गणना उपकरणों से हुआ है। कंप्यूटर के विकास के इस सफर में कई वैज्ञानिकों और आविष्कारकों का योगदान रहा है।   प्रारंभिक गणना उपकरण: कंप्यूटर के इतिहास का आरंभ गणना करने... Read More

कंप्यूटर का इतिहास

 

गणना करने की आवश्यकता से उत्पन्न हुआ। प्रारंभिक युग से लेकर आधुनिक युग तक, कंप्यूटर ने मानव सभ्यता के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज के सुपरकंप्यूटर और क्वांटम कंप्यूटर का विकास साधारण गणना उपकरणों से हुआ है। कंप्यूटर के विकास के इस सफर में कई वैज्ञानिकों और आविष्कारकों का योगदान रहा है। 

 प्रारंभिक गणना उपकरण: कंप्यूटर के इतिहास का आरंभ गणना करने के प्रारंभिक उपकरणों से होता है, जो मानव सभ्यता के शुरुआती चरणों में विकसित हुए। 

1. अबेकस (Abacus):

   - अबेकस को कंप्यूटर का सबसे प्रारंभिक रूप माना जा सकता है। यह एक सरल गणना उपकरण था, जिसका उपयोग प्राचीन चीन, ग्रीस और रोम में किया जाता था।    - यह लकड़ी के ढांचे में मोती और धागों से बना होता था, और इसे जोड़ने, घटाने, गुणा और भाग करने के लिए उपयोग किया जाता था।

  
2. पास्कलाइन (Pascaline):

 

   - 1642 में ब्लेज़ पास्कल ने एक यांत्रिक कैलकुलेटर का निर्माण किया जिसे पास्कलाइन कहा जाता है। यह जोड़ने और घटाने की क्रियाओं को यांत्रिक रूप से करने में सक्षम था।

3. लिब्निज़ व्हील (Leibniz Wheel):

   - 1673 में, गॉटफ्राइड विल्हेम लिब्निज़ ने एक उपकरण विकसित किया जो गुणा और भाग करने में सक्षम था। यह कंप्यूटर के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम था।

 यांत्रिक कंप्यूटर (Mechanical Computers): 19वीं शताब्दी में यांत्रिक कंप्यूटरों का विकास हुआ, जो गणना करने में अधिक सक्षम थे।

1. चार्ल्स बैबेज का अंतर इंजन (Difference Engine):

   - चार्ल्स बैबेज को "कंप्यूटर का जनक" कहा जाता है। उन्होंने 1822 में अंतर इंजन का आविष्कार किया, जो एक यांत्रिक कंप्यूटर था।    - यह बड़ी गणनाओं को यांत्रिक रूप से करने में सक्षम था, लेकिन इसे पूरी तरह से विकसित नहीं किया जा सका।

2. विश्लेषणात्मक इंजन (Analytical Engine):

   - 1837 में, बैबेज ने विश्लेषणात्मक इंजन का डिजाइन तैयार किया, जो एक पूर्ण कंप्यूटर की तरह था। यह गणनाओं को करने और उन्हें संग्रहित करने में सक्षम था।    - यह इंजन आधुनिक कंप्यूटर का प्रारंभिक रूप माना जाता है, और इसमें पंच कार्ड का उपयोग किया जाता था।

 

3. एडा लवलेस का योगदान

   - एडा लवलेस, जो बैबेज के साथ काम कर रही थीं, को प्रथम कंप्यूटर प्रोग्रामर माना जाता है। उन्होंने विश्लेषणात्मक इंजन के लिए पहला एल्गोरिद्म लिखा।

 विद्युत यांत्रिक कंप्यूटर (Electromechanical Computers): 20वीं शताब्दी की शुरुआत में विद्युत यांत्रिक कंप्यूटरों का विकास हुआ। 

 

1. ज़्यूस 3 (Z3)

   - 1941 में, कोनराड ज़्यूस ने जर्मनी में Z3 कंप्यूटर का निर्माण किया। यह पहला प्रोग्रामेबल इलेक्ट्रोमेchanical कंप्यूटर था।    - यह बाइनरी नंबरों का उपयोग करता था और इसमें स्विच का उपयोग किया गया था, जिससे यह गणना करने में सक्षम था।

 

2. ENIAC (Electronic Numerical Integrator and Computer):

 

   - ENIAC को दुनिया का पहला इलेक्ट्रॉनिक जनरल-पर्पस कंप्यूटर माना जाता है। इसे 1945 में अमेरिका में विकसित किया गया था।    - यह पूर्ण रूप से डिजिटल था और इसमें बड़ी गणनाओं को करने की क्षमता थी। इसमें 18,000 वैक्यूम ट्यूब्स का उपयोग किया गया था।

 ट्रांजिस्टर और एकीकृत सर्किट (Transistor and Integrated Circuit): 1950 और 1960 के दशकों में कंप्यूटर तकनीक में बड़ा बदलाव आया, जब ट्रांजिस्टर और एकीकृत सर्किट का विकास हुआ

 

1. ट्रांजिस्टर का विकास:

   - 1947 में बेल लैब्स में विलियम शॉक्ली, जॉन बार्डीन और वाल्टर ब्रैटेन ने ट्रांजिस्टर का आविष्कार किया। ट्रांजिस्टर ने वैक्यूम ट्यूब की जगह ले ली, जिससे कंप्यूटर छोटे और अधिक कुशल हो गए।   
2. एकीकृत सर्किट (IC):

   - 1958 में, जैक किल्बी और रॉबर्ट नोयस ने एकीकृत सर्किट का आविष्कार किया। IC में एक ही चिप पर कई ट्रांजिस्टर होते थे, जिससे कंप्यूटर की प्रसंस्करण क्षमता और बढ़ गई।

 आधुनिक कंप्यूटर (Modern Computers): 1970 के दशक में माइक्रोप्रोसेसर के विकास के साथ कंप्यूटर का युग पूरी तरह बदल गया

 

1. माइक्रोप्रोसेसर का विकास

   - 1971 में, इंटेल ने पहला माइक्रोप्रोसेसर, इंटेल 4004, विकसित किया। यह कंप्यूटर के CPU को एक छोटी चिप में संयोजित करता था, जिससे व्यक्तिगत कंप्यूटर (PC) का विकास संभव हुआ।

2. व्यक्तिगत कंप्यूटर (PC):

   - 1970 के दशक के अंत और 1980 के दशक की शुरुआत में, एप्पल और IBM ने व्यक्तिगत कंप्यूटर का विकास किया। एप्पल I, एप्पल II और IBM PC इस युग के प्रमुख उदाहरण थे।    - इन कंप्यूटरों का उपयोग आम जनता के लिए संभव हो गया, और यह कंप्यूटर क्रांति का प्रारंभ था।

 

3. ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (GUI)

   - 1980 के दशक में, ज़ेरॉक्स, एप्पल और माइक्रोसॉफ्ट ने GUI का विकास किया। GUI ने कंप्यूटर को उपयोग करने में सरल बना दिया, और यह आम लोगों में लोकप्रिय हुआ।

 इंटरनेट और नेटवर्किंग (Internet and Networking): 1990 के दशक में इंटरनेट का विकास हुआ, जिसने पूरी दुनिया को बदल दिया।

 

1. वर्ल्ड वाइड वेब (WWW)

 

   - 1991 में टिम बर्नर्स-ली ने वर्ल्ड वाइड वेब का आविष्कार किया। यह इंटरनेट पर डेटा एक्सेस करने के लिए एक ग्राफिकल इंटरफेस प्रदान करता है, जिससे जानकारी को पूरी दुनिया में फैलाना आसान हो गया।

 

  

1. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)

   - AI के क्षेत्र में मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग जैसे नवाचार हो रहे हैं। AI आधारित सिस्टम डेटा प्रोसेसिंग और निर्णय लेने में क्रांतिकारी बदलाव ला रहे हैं।

  
2. क्वांटम कंप्यूटर

 

   - क्वांटम कंप्यूटर अभी भी विकास के प्रारंभिक चरण में हैं, लेकिन इनसे भविष्य में कंप्यूटिंग की दुनिया में भारी बदलाव की संभावना है। क्वांटम कंप्यूटर जटिल समस्याओं को तेज़ी से हल कर सकेंगे।

 


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निब्रे ऑफिस राइटर का उपयोग कर निनिटि िॉक्यूमेंटेशि (एिवाांस)


यूनिट 1. लिने नॉफिस राइटर का उपयोग कर डिजिटल डॉक्यूमेंटेशन (एडवांस) परिचय आपने नौवीं कक्षा में लिने ऑफिस राइटर का उपयोग करके मूल शब्द प्रसंस्करण की अवधारणा सीखी है। एक वर्ड प्रोसेसिंग के मूल कार्य जैसे डॉक्‌यूमेंट बनाना, संपादन करना, फॉर्मेटिंग को कवर किया जाता है। आपने डॉक्‌यूमेंट को सेव करना और प्रिंट करना भी सीख लिया है। आज के प्रोफेशनल सेट अप में, आपको एक डॉक्यूमेंट बनाने के लिए और अ... Read More

यूनिट 1. लिने नॉफिस राइटर का उपयोग कर डिजिटल डॉक्यूमेंटेशन (एडवांस)

परिचय

आपने नौवीं कक्षा में लिने ऑफिस राइटर का उपयोग करके मूल शब्द प्रसंस्करण की अवधारणा सीखी है। एक वर्ड प्रोसेसिंग के मूल कार्य जैसे डॉक्‌यूमेंट बनाना, संपादन करना, फॉर्मेटिंग को कवर किया जाता है। आपने डॉक्‌यूमेंट को सेव करना और प्रिंट करना भी सीख लिया है। आज के प्रोफेशनल सेट अप में, आपको एक डॉक्यूमेंट बनाने के लिए और अधिक विशेषताओं को जानना होगा जो एक प्रोफेशनल स्टाइल में प्रस्तुत किया जा सकता है और सभी के द्वारा जिसे पसंद किया जाता है। लिने ऑफिस राइटर में कई प्रकार की सुविधाएँ और कमांड प्रदान की जाती हैं जो आपको एक सुसंगत फॉर्मेट के साथ एक आकर्षक और प्रस्तुत करने योग्य डॉक्‌यूमेंट बनाने में सक्षम बनाता है। इसके अलावा, इस तरह के डॉक्‌यूमेंट को एक और सभी को पड़ना, समझना और संपादित करना आसान है।

इस इकाई में, आप स्टाइल का उपयोग करके एक डॉक्‌यूमेंट फॉर्मेट करना सीखेंगे। आप डॉट्‌यूमेंट का उपयोग करके स्टाइल बनाने में सक्षम होंगे स्टाइल फॉर्मेट, नई स्टाइल बनाएं, स्टाइल को एप्लाय करें, स्टाइल को एप्लाय करें और इस डॉक्‌यूमेंट को फॉर्मेट करने के लिए अन्य डॉक्‌यूमेंट के टेम्पलेट का उपयोग करें।

हमेशा केवल टेक्स्ट डॉक्यूमेंट की तुलना में चित्रों वाले डॉक्‌यूमेंट को समझना आसान होता है। चित्रों में विजुअल अपील होती है, क्योंकि हमारा मस्तिष्क किसी भी अन्य जानकारी की तुलना में रंगों के लिए जल्दी प्रतिक्रिया करता है। डिजिटल डॉक्यूमेंट में, एक चित्र एक ड्राइंग, चार्ट, फोटो, लोगो, ग्राफ या एकल वीडियो फ्रेम हो सकता है।

लिने ऑफिस राइटर इमेज के साथ काम करने के लिए विभिन्न उपकरण प्रदान करता है। दूसरे अध्याय में आप चित्रों के साथ एक डॉक्यूमेंट बनाना सीखेंगे। आप इसे और अधिक आकर्षक बनाने के लिए डॉक्‌यूमेंट में चित्र सम्मिनित insert और संशोधित modify कर सकते हैं।

तीसरे अध्याय में लिने ऑफिस राइटर की कुछ उन्नत विशेषताएं शामिल की गई हैं जिनका उपयोग प्रोफेशनल डॉक्‌यूमेंट बनाने के लिए किया जाता है। आग टेबल ऑफ फॉन्टेंट्स" फीचर का उपयोग कर पाएंगे, जो विभिन प्रकार के हेडिंग स्टाइल पर आधारित है। आप टेम्प्लेट का उपयोग करके प्रोफेशनल डॉक्यूमेंट बना पाएंगे। ट्रैक  परिवर्तन एक महत्वपूर्ण विशेषता है जिसका उपयोग प्रत्येक प्रयोक्ता द्वारा किए जा रहे संपादन का ट्रैक रखने के लिए भी किया जाता है।

 

इस पाठ्यपुस्तक में, हमने प्रक्रिया को प्रदर्शित करने के लिए उबंटू लिनक्स के तहत लिने ऑफिस संस्करण 6.4 के स्क्रीनशॉट का उपयोग किया है। विंडोज़ प्लेटफॉर्म के तहत लिने ऑफिस के अन्य संस्करणों में स्क्रीनशॉट की प्रस्तुति अलग दिखाई दे सकती है। लेकिन यह ध्यान दिया जा सकता है कि किसी भी प्लेटफॉर्म के तहत किसी भी संस्करण में कार्यक्षमता functionality, विशेषताएँ features और कमांड समान हैं।

अध्याय 1. Styles का परिचय

कक्षा IX में, आपने राइटर में डॉक्यूमेंट बनाना, फॉर्मेट करना और संपादित edit करना सीख लिया है। आज की दुनिया में, प्रोफेशनल स्टाइल में बनाया और प्रस्तुत किया गया एक डॉक्यूमेंट सभी द्वारा सराहना की जाती है। राइटर में एक आकर्षक डिजिटल डॉक्‌यूमेंट बनाने के दो तरीके हैं। एक तरीका मैन्युअल रूप से एक डॉक्‌यूमेंट को फॉर्मेट करना है और दूसरा तरीका स्टाइल को एप्लाय करना है।

आपने कक्षा IX में मैन्युअल फॉर्मेटिंग सीखी, जहाँ आपने डॉक्यूमेंट के एक भाग को चुना जैसे कि पेज, पैराग्राफ या शब्दों को फॉर्मेट किया जाना है और फिर फ़ॉर्मेटिंग टूल बार का उपयोग करके फॉर्मेट इफेक्ट को लागू किया है। डॉक्‌यूमेंट में अलग-अलग भाग (भागों) को फॉर्मेट करने के लिए, एक ही स्टाइल के साथ, डॉक्यूमेंट के सभी भाग के लिए चरणों को दोहराया गया। इसलिए, यदि फॉर्मेट के किसी भी पहलू में परिवर्तन वांछित है, तो डॉक्यूमेंट के लिए पूरी प्रक्रिया को दोहराया गया था। मैन्युअल फॉर्मेट करना लोकप्रिय है, क्योंकि इसका उपयोग करना आसान है और इसके लिए कम जान की आवश्यकता होती है। सुसंगत फॉर्मेट के साथ एक बड़ी रिपोर्ट बनाना मुश्किल हो जाता है जब मैनुअल फॉर्मेटिंग का उपयोग किया जाता है। फॉर्मेट में असंगति से बचने के लिए और किसी डॉक्‌यूमेंट को फॉर्मेट करने में समय और प्रयास को कम करने के लिए, हम राइटर में स्टाइल का उपयोग करते हैं। इस अध्याय में आप मीयेंगे कि किस तरह से किसी डॉक्यूमेंट को स्टाइल किया जाए स्टाइल फॉर्मेट्स, नई स्टाइल बनाएं, स्टाइल्स को एप्लाई करें, स्टाइल्सको एप्लाई करें और फरेंट डॉक्यूमेंट को फॉर्मेट करने के लिए दूसरे डॉक्यूमेंट के टेम्प्लेट का भी इस्तेमाल करें।

1.2 स्टाइल का परिचय

एक स्टाइल और कुछ नहीं बल्कि गभी फॉर्मेट संबंधी सूचनाओं का एक संग्रह है, जिसे आप मेव करना चाहते हैं और फिर डॉक्‌यूमेंट पर एप्‌लाई करते हैं। उदाहरण के लिए फॉन्ट के निम्नलिखित विवरण को शीर्षक title style द्वारा Style के रूप में store किया जा सकता है।

गाइज-12

नाम बुकमैन ओल्ड स्टाइल

अब हम डॉक्यूमेंट के सभी शीर्षकों titles के लिए title style का उपयोग कर सकते हैं और इसे ही लगातार उपयोग कर सकते हैं। डॉक्यूमेंट में शीर्षक की स्टाइल को बदलने के लिए, आपको बस टाइटल स्टाइल को अपडेट करने और डॉक्‌‌यूमेंट में लागू करने की आवश्यकता है। इसी तरह, पूरे डॉक्‌यूमेंट के फॉर्मेट को बदलने के लिए, बस उस पर लागू स्टाइल को बदलें। स्टाइल का उपयोग करने से आप डॉक्‌यूमेंट की अपीयरेंस से अपना ध्यान डॉक्‌‌यूमेंट की सामग्री पर ले जा सकते हैं। इस अध्याय में आप सीखेंगे कि लिने ऑफिस राइटर में स्टाइल को कैसे बनाया और लागू किया जाए। यहां हम लिने ऑफिस संस्करण 6.4 का उपयोग कर रहे हैं

1.3 Stylo की बेचियो categories

राइटर छह स्टाइल categories प्रदान की गई है, जो इस प्रकार हैं:

पेण- राइटर के सभी डॉक्यूमेंट पृष्ठों पर आधारित होते हैं, इसलिए उन्हें फॉर्मेट करने के लिए, पेज स्टाइल का

उपयोग किया जाता है। यह पृष्ठ आकार, इसके मार्जिन, header and footer, फुटनोट, बॉर्डर और बैंक ग्राउंड

जैसे मूल पृष्ठ लेआउट को परिभाषित करता है।

एक डॉक्यूमेंट में एक या कई पृष्ठ स्टाइल हो सकती हैं। यदि पृष्ठ स्टाइल निर्दिष्ट नहीं है, तो राइटर अपनी

अंतर्निहित डिफ्रॉल्ट पृष्ठ स्टाइल का उपयोग करता है।

पैराग्राफ - पृष्ठ फॉर्मेट पर निर्णय लेने के बाद, डॉक्यूमेंट में अगला काम इसमें दी गई सामग्री content पर किया जाता है, जो पैराग्राफ में व्यवस्थित की जाती है। जथ आप Enter कुजी दबाते हैं तो एक पैराग्राफ शुरू होता है और ममाम होता है। पैराग्राफ फॉर्मेटिंग में टैब स्टॉप, टेक्स्ट एलाइनमेंट, लाइन स्पेस और सीमाएँ शामिल हैं। आम तौर पर इसमें कैरेक्टर स्टाइलिंग विशेषताएँ भी शामिल होती हैं। कैरेक्टर - इस स्टाइल का उपयोग अक्षरों के ब्लॉक पर काम करने के लिए किया जाता है अर्थात्। पूरे पैराग्राफ के बजाय पैराग्राफ में शब्द। कैरेक्टर स्टाइल का उपयोग करके, आप दूसरे भाग को प्रभावित किए बिना पैराग्राफ के एक हिस्से की उपस्थिति को बदल सकते हैं। कैरेक्टर स्टाइल टेक्स्ट का रंग, टेक्स्ट का आकार बदलने, टेक्स्ट को हाइलाइट करने, उस पर जोर देने की सुविधा देती हैं।

क्लेम - फ्रेम का उपयोग करके, एक डॉक्यूमेंट को अनुभागों में व्यवस्थित किया जा सकता है, ताकि पृष्ठ के प्रत्येक अनुभाग में अलग-अलग उपस्थिति हो। फ्रेम कंटेनर की तरह होते हैं जो टेक्स्ट, ग्राफिक्स और लिस्ट वाले हो सकते हैं। इसलिए, फ्रेम स्टाइल लागू करने से इसके आकार, स्थिति, सीमा को निर्दिष्ट करके एक फ्रेम को फॉर्मेट करने की सुविधा मिलती है कि चित्र के चारों ओर टेक्स्ट कैसे रखा जाता है।

निक किती डॉक्यूमेंट में स्टाइल सूचियों के लिए, राइटर एक अलग श्रेणी प्रदान करता है। इसका उपयोग विभिन्न प्रकार की संख्याओं या गोलियों को निर्दिष्ट करके संख्यात्मक फॉर्मेट निर्दिष्ट करके सूचियों को स्टाइल करने के लिए किया जा सकता है।

हवस-टेबल का उपयोग करके, बड़ी मात्रा में जानकारी को व्यवस्थित और प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया जा सकता है। टेबल स्टाइल श्रेणी में अलग-अलग टेक्स्ट या बॉर्डर रंग (एस) का उपयोग करके, टेबल को जोड़कर, टेबल के अंदर टेक्स्ट एलाइन करने, विभिन्न पैटर्न या टेक्स्ट रंग होने से टेबल को फॉर्मेट करने की सुविधा मिलती है।

1.4 स्लाइस बीर फॉर्वेटिंग

राइटर एक डॉक्‌यूमेंट को स्टाइल / फ़ॉर्मेटिंग करने के लिए कई विकल्प और उपकरण प्रदान करता है। नौवीं कक्षा में सीखे गए सभी फ़ॉर्मेटिंग विकल्प, जिन्हें फ़ॉर्मेटिंग टूलबार का उपयोग करके लागू किया जा सकता है. इसे स्टाइल मेनू का उपयोग करके भी लागू किया जा सकता है। इस अनुभाग में, हम सीखेंगे कि स्टाइल फीचर का उपयोग करके किसी डॉक्यूमेंट को कैसे फॉर्मेट किया जाए।

राइटर में कई predefined स्टाइल हैं, जिन्हें निम्नलिखित विधियों का उपयोग करके पहुँचा जा सकता है:

(1) मेनू बार से स्टाइल विकल्प का उपयोग करना।

चित्र 1.1 मेन्यू बार से स्टाइल और टूलबार में ड्रॉप डाउन लिस्ट

(ii) स्टाइल ड्रॉप डाउन लिस्ट बॉक्स का उपयोग करना, जैसा टूल बार से चित्र 1.1 में दिखाया गया है। किसी भी समय, टेक्स्ट बॉक्स में वर्तमान पैराग्राफ स्टाइल प्रदर्शित की जाती है।

यदि टूलबार दिखाई नहीं देता है, तो View > Toolbars पर क्लिक करें और enable करें

फॉर्मेट / "फॉर्मेट (स्टाइन)। चित्र में दिखाया जाता है कि मौजूदा स्टाइल को अपडेट करने या नई स्टाइल बनाने
 () साइडचार मेनू का उपयोग करना। हाइपरलिक करने वाले साइडबार पर स्टाइल उप-मेनू प्रदर्शित करता है जैसा कि चित्र 1.2 में दिखाया गया है।

आइए साइडबार मेनू का उपयोग करके स्टाइल को लागू करना मीचे चित्र 1.3 स्टाइन् साइडबार के उप मेनू के शीर्ष पर विभिन्न विकल्प दिखाए गए हैं।

D styles

Deli Update Selected Style

Ad

Load Styles

A

पहले यह आइकन स्टाइल की श्रेणी का सिलेक्शन करने की सुविधा देते हैं, जैसे कि पैरा स्टाइल, कैरेक्टर मृटाइन, फ्रेम मृटाइन पृष्ठ स्टाइल लिस्ट टाइल और टेबल स्टाइल पर काम करने के लिए उस श्रेणी में मौजूदा स्टाइल की निष्ट प्रदर्शित करने के लिए इनमें से किसी एक बटन पर क्लिक करें। शो प्रीव्यू विकल्प को चुनने वाली विंडो के नीचे में लिस्ट में नाम के साथ इनकी टाइप्रति होती है।
पहले बटन पर क्लिक करने बानी पैराग्राफ स्टाइल से विभिन्न पैराग्राफ स्टाइल को दिखाया जाता है जैसा कि चित्र 1.4 में दिखाया गया है जब Show previews का सिलेक्शन नहीं किया जाता है और चित्र 1.5 का सिलेक्शन करें जब Show previews का सिलेन किया जाता है।

वित्र 1.4 Show previews

चित्र 1.5 Show previ

इस मेनू के निचले भाग में, ऊपर प्रदर्शित की जाने वाली स्टाइल लिस्ट के लिए फिल्टर का मिलेक्शन करने के लिए ड्रॉप डाउन लिस्ट है। डिफ़ॉल्ट रूप से यह फिल्टर Hierarchical में मेट है जैसा कि चित्र 1.5 में दिखाया गया है।

असाइनमेंट : प्रत्येक स्टाइल का सिलेक्शन करें कैरेक्टर स्टाइल फ्रेम स्टाइल पुन्टाइल, लिस्ट स्टाइल और टेबल स्टाइल और प्रत्येक श्रेणी के अंतर्गत स्टाइल को सूचीबद्ध करें।

आइए हम इन स्टाइनका उपयोग किसी डॉक्यूमेंट में करें। पैराग्राफरेष्टर फ्रेम, पृष्ठ लिन्ट, टेबल जैसी किसी भी न्टाइल को लागू करने के लिए, निम्नलिखित चरणों का पालन करें।

चरण 1. फॉर्मेट किए जाने वाले टेक्स्ट का सिलेक्शन करें। भयनित टेक्स्ट कैरेक्टर शब्दों, रेखाओ, पैराग्राफ, पृष्ठ, फ्रेम या टेबल का संग्रह हो सकता है।
 चरण 2. चयनित टेक्स्ट को फॉर्मेट करने के लिए स्टाइल्स बार के ऊपर से बटन पर क्लिक करके उपयुक्त स्टाइन

चरण 3. उस पेणी के लिए स्टाइल की एक लिस्ट दिखाई देती है। चयनित टेक्स्ट पर लागू करने के लिए इच्छित स्टाइल पर इवल क्लिक करें।

प्रायोषिक डिविधि 1 पैराग्राफ स्टाइल से एक मौजूदा हैटिंग स्टाइल एप्‌लाय करें।

चरण 1. निम्नलिखित टेक्स्ट के साथ noise, odt" नामक एक नया डॉक्यूमेंट बनाएं। ऊपर टाइटल "Noise Pollution जी, जैसा कि चित्र 1.6 में दिखाया गया है।

चित्र 1.6se, odt

चरण 3. श्रीर्यःका मिलेक्शन-Noise Poilution

चरम 4. गाइडवारका उपयोग करकेस्टामेयो और विकल्प पर जाएं।

चरण 5. एप्‌लाई करने के लिए 4 पर क्लिक करे। ध्यान दे कि चित्र 1.7 में पता चलता है कि हेडिंग 4 स्टाइल भीर्षक "Noise Pollution पर लागू होती है।
 पहले से तय Heading Style शीर्षक स्टाइल का उपयोग करते हुए, आप उन्हें डॉक्यूमेंट ब्राउज़ करने के लिए बुक मार्क के रूप में उपयोग करने की सुविधा देते हैं।

प्रायोपिक गतिविधि 2 एक मौजूदा पेज स्टाइल "noise" पर एप्‌लाय करें

चरण 1. गतिविधि 1 में बनाई गई फ़ाइल "noise.odt" बोलें।

স্বদে 2. Insert > Page Break का सिलेक्शन करके शुरुआत में एक खाली डालें, जैसा कि चित्र 1.8 में दिखाया गया है।

चित्र 1.8 Page Break कहा

चरण 3. ध्यान दें कि चित्र 1.9 में, पृष्ठ विराम मम्मिलित करने से matter दूसरे पृष्ठ पर चला जाएगा। अब पृछ 2 की शुरुआत में कर्सर रखें, जहां matter चित्र 1.9 में दिखाया गया है।

चरण 4. नाइट बार में स्टाइल मेनू खोले और पेज स्टाइल्स निकाय चुनें जैसा कि चित्र 1.9 में दिखाया गया है।

चरण 5. लैंडस्केप के लिए पेज ओरिडिशन बदलने के लिए वे पर डबल क्लिक करें। इस पृस्टाइल को लागू करने के बाद, आप देख सकते हैं कि डॉक्यूमेंटों का ओरिटेशन बैंडस्केप में पोटेंट में बदल गया है।

नोट- पृष्ठ पर पेज स्टारने पूर्णमेट प्रभावित हो सकता है।

असाइनमेंट

एक बड़ी फाइल के एक पृष्ठ पर स्वाकरने का प्रयास करें करें इसके पैराग्राफ पेणी में दिए गए किस स्थिति में कीटकाया जा सकता है?
 1.5 फिम फॉर्मेंट Fill Format

यदि डॉक्‌यूमेंट में विभिन्न स्थानों पर मौजूद शब्दों पर एक स्टाइल (मान लें कि कैरेक्टर) को लागू किया जाए तो क्या होगा? आपको प्रत्येक शब्द अलग देखना होगा और फिर प्रत्येक शब्द पर इसे लागू करने के लिए बांधित स्टाइल पर इव क्लिक करना होगा।

राइटर में इसे फॉर्मेट विकल्प के माध्यम से करने का एक सुविधाजनक तरीका प्रदान किया जाता है। यह स्टाइल मेनू पर दाईं ओर से दूसरा आइकन है. जैसा कि चित्र 1.3 में दिखाया गया है। यह तरीका बहुत उपयोगी है जब एक ही स्टाइल को डॉक्यूमेंट में बिखरे हुए कई स्थानों पर लागू किया जाना है। फिम फॉर्मेट को बिखरे हुए स्टाइल के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है पेज फ्रेम, टेबल, लिस्ट, पैराग्राफ या कैरेक्टर। इसका उपयोग करने के लिए, निस्र चरणों का पालन करें।

चरण 1. स्टाइन करने के लिए डॉक्यूमेंट बोर्ने

चरण 2. स्टाइल विंडो खोलें और बांधित स्टाइल श्रेणी और फिर ड्रॉप डाउन लिस्ट से बांधित स्टाइल चुनें।

चरण 3. फिल फॉर्मेट बटन को मेलेक्ट करें।

चरण 4. चयनित स्टाइल को लागू करने के लिए माउस पॉइंटर की बांधित स्थान पर जाएं और क्लिक करें।

उचित प्रकार की सामग्री पर स्टाइल लागू करने के लिए ध्यान रखें। चरण 5. चरण 4 तब तक दोहराएँ जब तक पूरे डॉक्यूमेंट में उग डाइन के लिए सभी परिवर्तन नहीं किए जाते

খংশ 6. Fill Format विकल्प बाहर आने के लिए, फिर में Fill Format बटन पर क्लिक करे या Esc कुंजी

प्रायोगिक गतिविधि इक्यूमेंट में अलग-अलग जगहों पर पैराग्राफ फॉर्मेटिंग का उपयोग करके पैराग्राफ की उपस्थिति बदलने के लिए पर्मिट फॉर्म का उपयोग करें। गतिविधि के लिए टेष्ट के कम से कम 5 पूतों के समाच

एक फाइन 'document.odt उपयोग किया जाता है।

चरण 1. एक फाइन बोलें "Document.odt जिसमें टेट के 5 हो। चित्र 1.10 में मरे पर दिए गए इंडेंटेड वाक्यानिरीक्षण करें।
चरण 2. साइडबार में स्टाइल मेनू पर जाएं और पैराग्राफ श्रेणी पर क्लिक करें, और ड्रॉप डाउन लिस्ट से लिम्ट पैराग्राफ का सिलेक्शन करें जैगा कि चित्र 1.11 में दिखाया गया है।

चरण 3. लिस्ट पैराग्राफ के उपयोग में स्टाइल की जाने वाली वाक्य की शुरुआत पर क्लिक करें।

चरण 4. अब फिल बटन पर क्लिक करें, बांधित फॉर्मेट का उपयोग करके सभी वाक्यों के लिए स्टाइल लागू करने के लिए ऐसा ही करते रहें। चित्र 1.12 में देखें कि इंटेन्टि आइटम Fill Format बटन को लागू करने के बाद कैसे दिखते हैं।

चरण 5. भरें बटन को डिसेबल करने के लिए "Esc" कुंजी दवाएं
1.6 एक नई स्टाइन बनाना बीर अपडेट करना

अब तक आपने किसी डॉक्‌यूमेंट को फॉर्मेट करने के लिए केवल predefined स्टाइल का उपयोग किया है। यदि राइटर द्वारा निर्चिए मौजूदा स्टाइल आपकी आवश्यकता ने मेल नहीं खाती है. तो कस्टम स्टाइल बनाना भी संभव है। कस्टम स्टाइल को कई तरीकों से बनाया जा सकता है, जिनमें ने दो गरल तरीके हैं गिलेवन मे और दूसरा ड्रैग और ड्रॉप का उपयोग करते हुए, जिने यहां बताया गया है।

1. सिलेण्यान से स्टाइल मेनू में अंतिम बटन, स्टाइम्स एक्शन बटन का उपयोग नई स्टाइल बनाने या मौजूदा स्टाइल को मंभोधित करने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग लिस्ट में डॉक्यूमेंट / टेम्पलेट में परिभाषित मृटाइल को लोड करने के लिए भी किया जा सकता है। आइए जानें कि नई स्टाइल कैसे बनाएं जो एक्शन बटन की ड्रॉप डाउन लिस्ट में पहला कार्य है।
चरण 1. डॉक्‌यूमेंट के भाग का सिलेक्शन करें, जैसे कि पृष्ठ, पैराग्राफ, कैरेक्टर, इसकी उपस्थिति को बदलने के लिए। आवश्यकता के अनुसार इमे फॉर्मेट करें।

चरण 2. स्टाइल मेनू के शीर्ष पर स्थित बटन में, चेणी (पैराग्राफ कैरेक्टर पृष्ठ चुनें, जिसके लिए नई स्टाइल बनाई जानी है।

चरण 3. सबसे पहले Style action बटन का सिलेक्शन करें। चित्र 1.13 में दिखाए गए विकल्पों की लिस्ट

प्रदर्शित की जाती है। सिलेक्शन ने New Style पर क्लिक करें। चरण 4. क्रिएट स्टाइल डायलॉग विंडो में नई स्टाइल का नाम टाइप करें, "MyStyle" जैगा कि चित्र 1.14 में दिखाया गया है। मौजूदा टाइल के नाम विंडो में प्रदर्शित किए गए हैं।

चरण 5. नई स्टाइल के नाम को मेव करने के लिए OK क्लिक करें। ध्यान दें कि स्टाइल की लिस्ट में नव निर्मित मृटाइार "MyStyle" का नाम दिखाई देता है।

মাযীধিক গরিবিधिएम पैराबाफ टाइम "my Style" बनाने के लिए प्रायोगिक गतिविधि में बनाई गई फाइल "noise.odt का उपयोग करें।

चरण 1. प्रायोगिक गतिविधि में बनाई गईचरण 2. फॉन्ट वेग के साथ गाफ की मामी को फार्मेट करें एरियल फॉन्ट आकार 12 पाइन पेश 1.5। चरण 3. माहवारकेस्टाइनमेन्टका मिलेक्शन करेगा कि चित्र 1.15 में दिखाया गया है।
1.16 नि

चरण 4 स्टाइल एक्शन बटन का सिलेक्शन करें। चरण 5. सिलेक्शन से नई स्टाइल पर क्लिक करें। एक Create Style dialog box दिखाई देगा।

निष

चरण 6. बॉक्स में स्टाइल नाम के रूप में "myStyle" टाइप करें और OK पर क्लिक करें। स्टाइल का नाम (myStyle) मेरा श्रेणी के तहत ड्रॉप डाउन लिम्ट में दिखाई देगा।

एक स्टाइल को अपडेट करना

predefined स्टाइल में एक छोटे बदलाव के लिए एक नई स्टाइल बनाने के बजाय एक मौजूदा टाइल को मनचाहे गरीक न गोधित किया जागर Updating Current Style भी अपडेट करते हुए विष्ट में दूसरा करने केलिए उपयोग किया जाता है।
[8:50 am, 24/08/2024] .......Alisha.......: पेज, फ्रेम या पैराग्राफ स्टाइल की मौजूदा user defined स्टाइल को संशोधित करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें।

चरण 1 संशोधित करने के लिए पृष्ठ / पैराग्राफ का सिलेक्शन करें।

चरण 2. आवश्यकता के अनुसार चयनित भाग को फॉर्मेट करें।

चरण 3. स्टाइल मेनू पर जाएं, और बटन पर क्लिक करें, जिसकी स्टाइल आप अपडेट करना चाहते हैं।

चरण स्टाइल एक्शन बटन का उपयोग करके अपडेटेड सेलेक्टेड स्टाइल पर क्लिक करें। नोट - सुनिधित करें कि संशोधित किया गया पहलू पूरे सिलेक्शन के दौरान समान रहता है। उदाहरण के लिए,

पैराग्राफ में, यदि आप फ़ॉन्ट फेस या माइज बदल रहे हैं, तो पूरे पैराग्राफ में यह एक समान रहना चाहिए।

2. ड्रैग एंड ड्रॉप का उपयोग करना

नई स्टाइल बनाने का एक और तरीका ड्रैग एंड ड्रॉप विधि का उपयोग करना है। यह बनाने का बहुत आसान तरीका है, क्योंकि टेक्स्ट का बांछित फॉर्मेट किया गया भाग सिर्फ स्टाइल मेनू में सही स्थान पर ट्रैग एंड ड्रॉप किया गया है।

ड्रैग एंड ड्रॉप विधि का उपयोग करके एक नई स्टाइल बनाने के लिए निम्नलिखित चरणों का उपयोग करें।

चरण 1. डॉक्यूमेंट से टेस्ट का सिलेक्शन करें और इसके फॉर्मेट को इच्चदानुसार बदलें।

चरण 2 स्टाइल मेनू के शीर्ष पर स्थित बटनों से, स्टाइल बनाने के लिए वांछित श्रेणी चुनें।

चरण 3. वांछित स्टाइल पर क्लिक करें जिसके तहत, नई स्टाइल बनाई जानी है।

चरण 4. डॉक्‌‌यूमेंट में टेक्स्ट के बननित हिन्गे की प्रेम करें और इने स्टाइल मेनू पर ट्रॉप करें।

नोट-टेक्ट को ट्रैग करते समय वर्गर आकार की जाँच करें, क्योंकि यह इंडिकेट करने के लिए बदलता है कि ऐसा करना संभव है या नहीं।

चरण 5. Create Style विंडो दिखाई देती है (चित्र 1.17), नई टाइल का नाम लिखें। मौजूदा मृटाइल के नाम विंडो में प्रदर्शित किए गए हैं।

चरण 6. नई स्टाइल के नाम को सेव करने के लिए OK चिलक करें।
 Create Style पिंडो कस्टम स्टाइल की लिस्ट प्रवर्जित करती है। मौजूदा स्टाइल को डेट करने के लिए, लिम्ट से स्टाइल का नाम चुनें। तो स्टाइल बनाने / अपडेट करने के लिए उसी विधि का उपयोग किया जा सकता है।

पेज स्टाइल बनाने के लिए ड्रैग एंड ड्रॉप का उपयोग नहीं किया जा सकता है।

মানীখিক গতিবিधি 5 myStyle में लाइन स्पेलिंग को 1 और फॉन्ट साइज को 10 में बदलकर गडकर

उपयोग करके एक नया स्टाइल "myStyle 1" बनाएं। चरण 1. प्रायोगिक गतिविधि। में बनाई गई फाइल ise, odf चोचें।

चरण 2. फॉण्ट की सामग्री को फॉण्ट आकार 13 और लाइन स्पेस 1 के साथ फॉर्मेट करें।

चरण 3. साइडबार के स्टाइल मेनू से पैराग्राफ बटन का सिलेक्शन करें जैसा कि चित्र 1.19 में दिखाया गया है।

विष 1. 19 मार

चरण 4. अब चयनित टेक्स्ट को राइल मेनू पर ट्रैग करें जैसा चित्र 1.20 में दिखाया गया है।

विन 120 श्रीरा

चरण 5. OK प्रेग भरेंटाइन नाम (myStyle) प्रॉप डाउन में दिखाई देगा जैसा कि चित्र 1.21 में विद्याया
स्टाइल मेनू के स्टाइल एक्शन बटन में अंतिम विकल्प लोड स्टाइल है। इसका उपयोग मौजूदा टेम्पलेट या डॉक्यूमेंट में स्टाइल की प्रतिलिपि बनाने के लिए किया जाता है। एक बार कॉपी करने के बाद स्टाइल की लिम्ट में, आप एक नया डॉक्यूमेंट बना सकते हैं जिसमें कोई अतिरिक्त प्रयास नहीं करना होता है।

Styles

New Style from Selection

Liat Contaras

Update Selected Style

Link Heading

Lise Paragraph

MyStyle

टेम्पलेट / डॉक्यूमेंट में स्टाइल की कॉपी बनाने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें

चरण 1 स्टाइल्स मेनू में सोडन्टाइन्स पर क्लिक करें जैमा चित्र 1.22 में दिखाया गया है।

चरण 2. यह लोट स्टाइल डायलॉग बॉक्स को खोलेगा जैगा कि चित्र 1.23 में दिखाया गया है। गोड स्टाइल डायलॉग बॉक्स में अपनेॉक्यूमेंट की श्रेणी चुनें।

चरण 3. मृटाइम को करने वांदिपने और ध्यानfr My Templates पेणी में कोई टेम्पलेट संग्रहीत नहीं है

चरम 4. एही dialog निविनिक जैसे कि
चरण 6 स्टाइल को एक फाइल से कॉपी किए जाने के मामले में फिर टेम्पलेट विकल्प के बजाय, From File बटन पर क्लिक करें। एक फ़ाइल सिलेक्शन डायलॉग बॉक्स प्रदर्शित होता है। अपने कंप्यूटर से बांधित डॉक्यूमेंट का सिलेक्शन करें।

1.8 स्टाइल को लागू करना

जब भी कोई नया डॉक्‌यूमेंट बनाया जाता है, तो राइटर उस पर एक डिफ़ॉल्ट स्टाइल लागू करता है. और उसी स्थिति में प्रदर्शित होता है जैसा कि चित्र 1.24 में दिखाया गया है।

चित्र. 1.21 status bar मान्दर्मित होती है

आप डिफॉल्ट स्टाइल को बनाए रखने या इसे बदलने के लिए चुन सकते हैं। अब आप जानते हैं कि साइडबार मेनू

का उपयोग कैसे करें।

अपने आप योजना: मेक्शन 1.4 में लिस्ट में दी गई स्टाइलवियों को एक्सेस करने के अन्य तरीके जाने।

अपनी प्रगति चचे

1. निजे ऑफिस राइटर में दिए गए डॉक्यूमेंट को बनाने के लिए निम्नलिखित में से कौन-गी विशेषताएं उपयोग की जाती 27

(a) Page borders

(b) Envelope

(c) Picture from File (d) Indexes and Tables.


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 कंप्यूटर की पीढ़ियाँ: एक विस्तृत अध्ययन


   कंप्यूटर की पीढ़ियाँ: एक विस्तृत अध्ययन  प्रस्तावना कंप्यूटर प्रौद्योगिकी के विकास का अध्ययन करते हुए, हमें इसकी विभिन्न पीढ़ियों के बारे में जानकारी मिलती है, जो 1940 के दशक से शुरू होती हैं। कंप्यूटर की हर पीढ़ी में उल्लेखनीय प्रगति हुई है, जिसने कंप्यूटिंग की दुनिया को पूरी तरह से बदल दिया है। इस लेख में हम कंप्यूटर की सभी पाँच पीढ़ियों को विस्तार से समझेंगे, साथ ही उनके प्रमु... Read More

 

 कंप्यूटर की पीढ़ियाँ: एक विस्तृत अध्ययन

 प्रस्तावना कंप्यूटर प्रौद्योगिकी के विकास का अध्ययन करते हुए, हमें इसकी विभिन्न पीढ़ियों के बारे में जानकारी मिलती है, जो 1940 के दशक से शुरू होती हैं। कंप्यूटर की हर पीढ़ी में उल्लेखनीय प्रगति हुई है, जिसने कंप्यूटिंग की दुनिया को पूरी तरह से बदल दिया है। इस लेख में हम कंप्यूटर की सभी पाँच पीढ़ियों को विस्तार से समझेंगे, साथ ही उनके प्रमुख उदाहरणों, तकनीकी विकासों, और प्रभावों की चर्चा करेंगे।

 1. प्रथम पीढ़ी (1940-1956): वैक्यूम ट्यूब्स का युग

 

तकनीकी अविष्कार: वैक्यूम ट्यूब्स   प्रमुख उदाहरण:     ENIAC (Electronic Numerical Integrator and Computer):       ENIAC को 1945 में अमेरिकी सेना के लिए विकसित किया गया था और यह पहला सामान्य-उद्देश्य वाला इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर था। इसे 18,000 से अधिक वैक्यूम ट्यूब्स से निर्मित किया गया था और यह लगभग 30 टन वजनी था।  

 UNIVAC (Universal Automatic Computer):  

 

 यह पहला व्यावसायिक रूप से उपलब्ध कंप्यूटर था, जिसे 1951 में विकसित किया गया था। UNIVAC ने संयुक्त राज्य अमेरिका की जनगणना के लिए डेटा को प्रोसेस करने में सहायता की थी

 

तकनीक:  

 

  - वैक्यूम ट्यूब्स को स्विचिंग डिवाइस के रूप में उपयोग किया गया था, जो इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल्स को प्रवर्धित और स्विच कर सकते थे।   - इन कंप्यूटरों का उपयोग मुख्य रूप से गणना और डेटा प्रोसेसिंग के लिए किया जाता था।  

 

विशेषताएँ:  

 

  - बड़े आकार के और भारी   - अत्यधिक बिजली की खपत   - केवल मशीन भाषा (0s और 1s) का उपयोग   - धीमी गति और सीमित स्मृति
  - बड़ी मात्रा में गर्मी उत्पन्न करने के कारण निरंतर शीतलन की आवश्यकता  

 
  - अत्यधिक गर्मी उत्पन्न होने के कारण बार-बार खराब हो जाते थे।  
  - बहुत अधिक रखरखाव की आवश्यकता होती थी।
  - केवल बुनियादी गणना और डेटा प्रोसेसिंग कार्य कर सकते थे।

 

चित्र: 

 

- ENIAC कंप्यूटर का चित्र जिसमें वैक्यूम ट्यूब्स का उपयोग दिखाया गया हो।   - UNIVAC कंप्यूटर का चित्र जिसमें उसके बड़े आकार को दिखाया गया हो।

 

 

 2. द्वितीय पीढ़ी (1956-1963): ट्रांजिस्टर का आगमन

 

 

तकनीकी अविष्कार: ट्रांजिस्टर प्रमुख उदाहरण:     IBM 7090:       यह कंप्यूटर IBM द्वारा विकसित किया गया था और यह ट्रांजिस्टर आधारित पहला कंप्यूटर था। इसका उपयोग वैज्ञानिक गणना और इंजीनियरिंग कार्यों के लिए किया जाता था।     UNIVAC II:  
    UNIVAC II को UNIVAC I का उन्नत संस्करण माना जाता है और यह ट्रांजिस्टर आधारित था।  

 

तकनीक:  

 

  - ट्रांजिस्टर, वैक्यूम ट्यूब्स की तुलना में अधिक विश्वसनीय थे, और उन्होंने कंप्यूटरों को और अधिक तेज़ और कम आकार का बना दिया।  
  - इन कंप्यूटरों में असेंबली भाषा और उच्च-स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषाओं जैसे कि FORTRAN और COBOL का उपयोग किया गया।  

 

विशेषताएँ:  

 

  - आकार में छोटे और अधिक विश्वसनीय     - बिजली की कम खपत     - तेज गति और बेहतर स्मृति     - उच्च स्तर की प्रोग्रामिंग भाषाओं का उपयोग  

 

सीमाएँ:  

 

  - प्रोग्रामिंग के लिए अभी भी विशेष कौशल की आवश्यकता थी।     - हार्डवेयर को फिर भी समय-समय पर रखरखाव की आवश्यकता थी।

 

चित्र: 

 

- IBM 7090 का चित्र जिसमें ट्रांजिस्टरों का उपयोग दिखाया गया हो।   - UNIVAC II का चित्र जिसमें इसका उन्नत डिज़ाइन दिखाया गया हो।

 

 3. तृतीय पीढ़ी (1964-1971): एकीकृत सर्किट्स (ICs)

 

तकनीकी अविष्कार: एकीकृत सर्किट्स (ICs) प्रमुख उदाहरण:     IBM 360:       IBM 360 एक बड़े पैमाने पर उपयोग किए जाने वाला कंप्यूटर था, जिसने व्यावसायिक और वैज्ञानिक उपयोग दोनों में क्रांति ला दी।     PDP-8:  
    PDP-8 को डिजिटल इक्विपमेंट कॉर्पोरेशन द्वारा विकसित किया गया था और यह पहला मिनीकंप्यूटर था जो ICs का उपयोग करता था।  

 

तकनीक:  

 

  - एकीकृत सर्किट्स (ICs) ने कंप्यूटर के आकार को और भी कम कर दिया और उनकी गति और क्षमता को कई गुना बढ़ा दिया।  

  - मल्टीप्रोग्रामिंग और मल्टीटास्किंग की सुविधा भी इस पीढ़ी के कंप्यूटरों में देखी गई।  

 

विशेषताएँ:  

 

- अधिक विश्वसनीय और तेज़     - छोटे आकार और कम लागत     - ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (GUI) का विकास     - नेटवर्किंग और दूरसंचार का उभरना  

 

सीमाएँ:  

 

  - प्रारंभिक ICs की जटिलता और उत्पादन कठिनाइयाँ     - अभी भी कुछ हद तक सीमित स्मृति और गति  

 

चित्र: 

 

- IBM 360 का चित्र जिसमें ICs का उपयोग दिखाया गया हो।   - PDP-8 का चित्र जिसमें इसके छोटे आकार और उपयोगिता को दर्शाया गया हो।

 

 4. चतुर्थ पीढ़ी (1971- वर्तमान): माइक्रोप्रोसेसर का युग

 

तकनीकी अविष्कार: माइक्रोप्रोसेसर प्रमुख उदाहरण:     Intel 4004:       Intel 4004 पहला माइक्रोप्रोसेसर था जो पूरे कंप्यूटर की CPU को एक ही चिप पर समाहित करता था।  
  IBM PC:  
    IBM PC पहला व्यापक रूप से अपनाया गया व्यक्तिगत कंप्यूटर था, जिसने व्यक्तिगत कंप्यूटरों के युग की शुरुआत की।  

 

तकनीक:  

 

  - माइक्रोप्रोसेसर ने कंप्यूटर के आकार को और भी छोटा कर दिया और उनकी प्रोसेसिंग शक्ति को कई गुना बढ़ा दिया।     - व्यक्तिगत कंप्यूटर (PC) का विकास हुआ और ये आम उपयोग में आने लगे।     - नेटवर्किंग और इंटरनेट का व्यापक प्रसार इस पीढ़ी का एक महत्वपूर्ण परिणाम था।  

 

विशेषताएँ:  

 

  - कंप्यूटर का छोटे आकार और उच्च गति     - बड़ी स्मृति और स्टोरेज क्षमता  
  - ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (GUI) और मल्टीमीडिया की सुविधा  
  - व्यापक रूप से नेटवर्किंग और इंटरनेट का उपयोग  

 

सीमाएँ:  

 

  - साइबर सुरक्षा के मुद्दे और वायरस का उदय     - तकनीकी अपडेट की निरंतर आवश्यकता  

 

चित्र: 

 

- Intel 4004 का चित्र जिसमें इसका छोटा आकार दिखाया गया हो।   - IBM PC का चित्र जिसमें इसका उपयोगिता और डिज़ाइन दर्शाया गया हो।

 

 5. पंचम पीढ़ी (वर्तमान और भविष्य): आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और उससे आगे

 

तकनीकी अविष्कार: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कंप्यूटिंग, नैनोटेक्नोलॉजी प्रमुख उदाहरण:     सुपरकंप्यूटर्स:       सुपरकंप्यूटर्स का उपयोग बड़े पैमाने पर वैज्ञानिक गणना, मौसम पूर्वानुमान, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए किया जा रहा है।     क्वांटम कंप्यूटर्स:  
    क्वांटम कंप्यूटर्स कंप्यूटिंग की अगली पीढ़ी माने जा रहे हैं, जो अतिसंवेदनशील गणना और डेटा प्रोसेसिंग के लिए प्रयोग किए जाते हैं।  

 

तकनीक:  

 

  - AI और मशीन लर्निंग ने कंप्यूटरों को और भी स्मार्ट और स्वचालित बना दिया है।     - क्वांटम कंप्यूटिंग और नैनोटेक्नोलॉजी ने कंप्यूटरों की प्रोसेस

िंग क्षमता को असीमित बना दिया है।  

 

विशेषताएँ:  

 

  - मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग की क्षमता     - उच्चस्तरीय स्वचालन और बुद्धिमान प्रणाली     - क्लाउड कंप्यूटिंग और बड़े डेटा का उपयोग     - प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण और उन्नत रोबोटिक्स  

 

सीमाएँ:  

 

  - नैतिकता और गोपनीयता से जुड़े मुद्दे     - अत्यधिक जटिलता और लागत  

 

चित्र: 

 

- सुपरकंप्यूटर का चित्र जिसमें इसकी विशालता और उपयोगिता दर्शाई गई हो।   - क्वांटम कंप्यूटर का चित्र जिसमें इसकी उन्नत तकनीक को दर्शाया गया हो।

 

 निष्कर्ष

 

कंप्यूटर की प्रत्येक पीढ़ी ने प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाए हैं। भविष्य में, कंप्यूटर की अगली पीढ़ियाँ न केवल हमारी समस्याओं को हल करने में सक्षम होंगी, बल्कि वे उन तरीकों को भी बदल देंगी जिनसे हम जीवन जीते हैं और काम करते हैं।

यह लेख एक व्यापक रूपरेखा प्रदान करता है जिसे आप 10,000 शब्दों में विस्तारित कर सकते हैं। प्रत्येक खंड को विस्तार से समझाते हुए, आप प्रौद्योगिकी, सामाजिक प्रभाव, और कंप्यूटर के विकास के विभिन्न चरणों को जोड़ सकते हैं। यदि आपको किसी विशेष क्षेत्र में अधिक विस्तार या विशिष्ट छवियों की आवश्यकता है, तो कृपया बताएं।


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कंप्यूटर की परिभाषा क्या है? भारत का पहला कंप्यूटर


कंप्यूटर की परिभाषा   कंप्यूटर एक इलैक्ट्रॉनिक मशीन है, जो निर्धारित आँकड़ों ( Input) पर दिए गए निर्देशों की शृंखला (Program) के अनुसार विशेषीकृत प्रक्रिया (Process) करके अपेक्षित सूचना या परिणाम (Output) प्रस्तुत करती है।   कंप्यूटर का फुल फॉर्म || Computer Full Form in Hindi   आपको जानकर हैरानी होगी कि कंप्यूटर का कोई फुल फॉर्म नहीं होता, यह एक शॉर्ट फॉर्म है | इस आर्टिकल में हम ज... Read More

कंप्यूटर की परिभाषा

 

कंप्यूटर एक इलैक्ट्रॉनिक मशीन है, जो निर्धारित आँकड़ों ( Input) पर दिए गए निर्देशों की शृंखला (Program) के अनुसार विशेषीकृत प्रक्रिया (Process) करके अपेक्षित सूचना या परिणाम (Output) प्रस्तुत करती है।

 

कंप्यूटर का फुल फॉर्म || Computer Full Form in Hindi

 

आपको जानकर हैरानी होगी कि कंप्यूटर का कोई फुल फॉर्म नहीं होता, यह एक शॉर्ट फॉर्म है | इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि कंप्यूटर का असली फुल फॉर्म क्या है और इसका मतलब क्या होता है इस आर्टिकल का मुख्य उद्देश्य कंप्यूटर का फुल फॉर्म स्पष्ट करना ताकि सभी को सही जानकारी मिल सके !

Common Operating Machine Purposely Used for Technological and Education Research

कंप्यूटर का अन्य फुल फॉर्म

 

जैसे की हमें रिसर्च करके ये पता चला की कंप्यूटर के कोई सही फुल फॉर्म नहीं होता है ये एक सिर्फ शब्द है, तो काफी सरे लोग कंप्यूटर के फुल फॉर्म लिस्ट बनाया है वही निचे बताया है। आप अगर इन सभी नाम को कंप्यूटर के फुल फॉर्म के कहते हो तो गलत नहीं होगा।

  • Common Operating Machine Particularly Used for Trade, Education, and Research
  • Common Operations Made Possible Under Technical Engineering Researches
  • Commonly Operating Machine Particularly Used for Technical and Education Research
  • Common Operating Machine Particularly Used for Technical, Education and Research
  • Common Oriented Machine Particularly Used for Trade Education and Research
  • Capable Of Making Perfectly Uncomplicated Tasks Extremely Rigorous
  • Complicated Office Machine Put Under Tremendous Effort to Reduce manpower
  • Common Operating Machine Particularly Used For Trade Education And Research
  • Common Operating Machine Particularly Used for Training, Education, and Reporting
  • Computing Oriented Manipulation Programming Used in Technology Education and Research
  • Commonly Oriented Machine Particularly Used for Trade Education and Research
  • Common Oriented Machine Purely Used for Technical and Educational Research
  • Commonly Operated Machine Particularly Used in Technical Education and Research
  • Common Operating Machine Particularly Used For Technical And Research

हम कंप्यूटर के क्रमिक विकास को इन पाँच भागों में विभाजित कर सकते हैं।

फर्स्ट जेनरेशन कंप्यूटर्स – बेस्ट ऑन वेक्यूम ट्यूब (1940-1956)

2nd जेनरेशन कंप्यूटर –  बेस्ड ऑन ट्रांजिस्टर (1956-1963)

थर्ड जेनरेशन कंप्यूटर्स –  बेस्ट ऑन इंटीग्रेटेड सर्किट (1964-1971)

फोर्थ जेनरेशन कंप्यूटर्स –  बेस्ट ऑन माइक्रोप्रोसेसर (1971- अभी तक)

5th जेनरेशन कंप्यूटर – अभी चल रहा है, और भविष्य में भी इसी का प्रयोग होगा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के साथ

 

कंप्यूटर की विशेषताएं

Computer की वो क्या विसेश्तायें हैं जो की इसे दूसरों से अलग करती है. चलिए इसके विषय में और अच्छे तरीके से जानते हैं।

1. Speed

जैसे की हम जानते हैं की computer बहुत ही तेजी से काम करता है. इसे केवल कुछ ही seconds लगते हैं कोई calculations करने के लिए, जो की हमें करीब कई घंटे ये उससे भी ज्यादा लग सकते हैं।

आपको ये जानकर बड़ा आश्चर्य होगा की computer एक second में करीब 1 millions (1,000,000) की instructions को process कर सकता है या इससे भी ज्यादा।

इसलिए Computer की speed को microsecond (एक second का 10^6 part ) या nanosecond (एक second का 10^9 part) में determine किया जाता है. इससे आप सोच सकते हैं की ये computers कितने fast होते हैं और कैसे ये काम करते हैं।

2. Accuracy

Computer की degree of accuracy बहुत ही ज्यादा high होती है और प्रत्येक calculation को उसी accuracy के साथ perform किया जाता है. Accuracy Level को determine किया जाता है computer के design के basis पर।

वहीँ computer में जो भी errors होते हैं वो हम इंसानों के लिए होते हैं या फिर inaccurate data के होने से।

3. Diligence

एक Computer पूरी तरह से आलस्य से दूर होता है, इसमें tiredness, lack of concentration, fatigue, जैसे humanly emotion नहीं होते हैं. क्यूंकि ये आखिर में एक machine ही होता है. बिना कोई error किये ही ये घंटों काम कर सकता है।

अगर इसमें millions की तादाद में calculations perform किया जाये, तब भी एक computer सभी calculation को समान accuracy के साथ ही perform करेगा।

इसकी यही capability के कारण ये हम इंसानों को मात देता है routine type की work करने में।

4. Versatility

इसका मतलब ये की ये अलग अलग प्रकार के काम करने में सक्षम होता है. जैसे की आप अपने computer से एक समय में payroll silps perpare करे रहे होते हैं, वहीँ दुसरे ही वक़्त में आप कोई electric bill बना रहे होते हैं. कोई भी काम आप इसमें कर सकते हैं जो की इसे versatile बनाता है।

5. याद रखने की काबिलियत

Computer में वो खासियत है की वो कितनी भी मात्रा की information या data store कर सकते हैं. कोई भी information को store और recall किया जा सकता है, जब भी आप चाहें तब. इसे कई वर्षो तक safely store किया जा सकता है।

ये user को ऊपर निर्भर करता है की वो कितनी data store करना चाहता है और उसे वो कब retrieve करना चाहता है।

6. IQ का अभाव

Computer पूरी तरह से एक dumb machine होती है और ये कोई भी कार्य खुद से नहीं कर सकता है, बल्कि इसे प्रत्येक कार्य करने के लिए instruction देना होता है।

और निर्देश देते मात्र ही ये बहुत ही speed और accuracy के साथ अपना कार्य perform करता है. ये आपके ऊपर निर्भर करता है की आप अपने computer से क्या करवाना चाहते हैं।

7. इसकी Feeling नहीं होती है

इसकी खुदकी कोई feelings या emotion, taste, knowledge या experience नहीं होती है. आप भले ही कुछ समय काम करने के बाद थक सकते हैं लेकिन computer कभी भी नहीं थकता है।

8. Storage

Computer की खुदकी in-built memory होती है जहाँ ये बहुत ही बड़ी मात्रा की data को store कर सकती है. इसके साथ आप चाहें तो अपने data को दुसरे secondary storage devices में भी store कर सकते हैं. इसे computer के बहार store किया जाता है और इसे कहीं पर भी store कर सकते हैं।

 

भारत का पहला कंप्यूटर

भारत का पहला कंप्यूटर TIFRAC था। जिसे मुंबई में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च में विकसित किया गया था। इसका पूरा नाम टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च आटोमेटिक कैलकुलेटर है। यह नाम इसे देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने दिया था। प्रारंभ में TIFR पायलट मशीन 1950 के दशक में विकसित की गई थी। आईएएस मशीन डिज़ाइन के आधार पर, अंतिम मशीन का विकास 1955 में शुरू किया गया था और औपचारिक रूप से 1960 में चालू किया गया था। और 1965 तक यह काम करता रहा।

21 जनवरी 1969 को भारत में निर्मित पहला इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर विक्रम साराभाई द्वारा भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) में चालू किया गया था।

साल 1966 में भारत का पहला कंप्यूटर ISIJU विकसित किया गया। ISIJU कंप्यूटर को भारतीय सांख्यिकी संस्थान (Indian Statistical Institute) और कोलकाता की जादवपुर यूनिवर्सिटी (Jadavpur University) ने मिलकर तैयार किया था। ISIJU एक ट्रांजिस्टर युक्त कंप्यूटर था। इस कंप्यूटर का विकास भारतीय कंप्यूटर तकनीक के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण कदम था।

  • भारत ने 1955 में HEC-2M के विमोचन के साथ कंप्यूटर युग में प्रवेश किया।
  • एचईसी-2एम कंप्यूटर का विकास इंग्लैंड में ए.डी. बूथ द्वारा किया गया था।
  • इस विशेषाधिकार से लाभान्वित होने वाला पहला संस्थान कलकत्ता (वर्तमान में कोलकाता) स्थित भारतीय सांख्यिकी संस्थान (आईएसआई) था।
  • परम भारत में वैज्ञानिकों द्वारा विकसित पहले सुपर कंप्यूटर का नाम है। पहला स्थानीय रूप से निर्मित सुपर कंप्यूटर, जिसे परम शिवाय के रूप में जाना जाता है, आईआईटी (बीएचयू) द्वारा स्थापित किया गया था।

भारत का पहला सुपरकंप्यूटर

यह "पैरेलल मशीन" का संक्षिप्त रूप है । परम का निर्माण विजय पांडुरंग भटकर ने किया था।

  • उन्होंने 1991 में भारत का पहला सुपर कंप्यूटर, PARAM 8000 बनाया।
  • उन्होंने PARAM श्रृंखला के आधार पर राष्ट्रीय परम सुपरकंप्यूटिंग सुविधा (NPSF) का निर्माण किया और 1998 में PARAM 10000 का निर्माण किया।

 

 

कंप्यूटर का हिन्दी नाम क्या है?

Ans. कंप्यूटर को हिंदी में 'संगणक' कहा जाता है

 कंप्यूटर का दूसरा नाम क्या है?

Ans. कंप्यूटर हिन्दी नाम – अभिकलित्र, संगणक, अभिकलक, परिकलक)

 


 


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 कम्प्यूटर वाइरस (Computer Virus)


 कम्प्यूटर वाइरस (Computer Virus)   वाइरस सॉफ्टवेअर (software) के टुकड़े होते हैं जिनको दो कार्य करने के लिए निर्माण किए गए हैं। 1. वे सामान्यतः जितने भी कम्प्यूटर में हो सके अपने प्रतिलिपियों को फैलाने के लिए निर्माण किए गए है। 2. एक बार फैलकर मशीन को इन्फेक्ट करने के बाद वे फिर अपने लेखक (वह व्यक्ति जिसने इस वाइरस प्रोग्राम को लिखा) के अभिप्रेत क्रिया करने में लग जाते हैं। ये मशीन को ब... Read More

 कम्प्यूटर वाइरस (Computer Virus)

 

वाइरस सॉफ्टवेअर (software) के टुकड़े होते हैं जिनको दो कार्य करने के लिए निर्माण किए गए हैं।

1. वे सामान्यतः जितने भी कम्प्यूटर में हो सके अपने प्रतिलिपियों को फैलाने के लिए निर्माण किए गए है।

2. एक बार फैलकर मशीन को इन्फेक्ट करने के बाद वे फिर अपने लेखक (वह व्यक्ति जिसने इस वाइरस

प्रोग्राम को लिखा) के अभिप्रेत क्रिया करने में लग जाते हैं। ये मशीन को बीप (beep) कराने वाली अहानिकर क्रिया से लेकर अन्य कम्प्यूटर पर हमला करना, आपके कम्प्यूटर को हेक्किंग (hacking) के लिए खुला छोडना, डाटा (data) का नाश करना, या इससे भी हानिकारक क्रिया जैसे सूचना की चोरी करना जिसमें यूजरनेम और पॉसवर्ड जैसे व्यक्तिगत विवरण या आपके बैंक के विवरण भी हो सकते हैं अगर वे उपलब्ध हों तो। कम्प्यूटर बाइक को वाइरस कहते हैं क्योंकि उनके कुछ लक्षण जैव वाइरस के लक्षण से मिलते जुलते हैं। एक कम्प्यूटर वाइरस एक कम्प्यूटर से दूसरे में स्थानांतरित होता है जैसे कि जैव बाइरल एक व्यक्ति से दूसरे में जाता है।

 

वाइरस के प्रकार (Types of Viruses)

 

बूट वाइरस (Boot Virus)

 

बूट वाइरस अपने कुछ कोड (code) को डिस्क सेक्टार (disk sector) में स्थापित करेगा जिसके कोड को मशीन बूट (hot) होते समय अपनेआप निष्पादित करेगा। इस प्रकार, जब एक इन्फेक्ट हुआ मशीन बूट होता है वाइरस लोड (load) होकर चालू हो जाता है। जब बूट बाइरस लोड हो जाते हैं वे सामान्यतः वास्तक्तिक बूट कोड को लोड करते हैं जिन्हें उन्होंने पहले दूसरे स्थान में स्थापित किया था या वे अन्य तरीके अपनाते हैं जिससे ऐसा प्रकट हो कि मशीन सहज रूप में बूट करते हो।

फाइल वाइरस (File Virus)

 

फाइल वाइरस (File viruses) प्रोग्राम फाइल (program files') (एक्सीक्यूट या इंटरप्रेट करने योग्य कोड वाले फाइल) को इस प्रकार हमला करेंगे कि जब आप इन्फेक्ट हुए फाइल को बलाएंगे तब वाइरस कोड एक्सीक्यूट हो जाता है। सामान्यतः वाइरस कोड इस प्रकार जुड़ा होता है कि वह पहले एक्सीक्यूट होता है फिर भी यह आवश्यक नहीं है। वाइरस कोड के लोड और एक्सीक्यूट हो जाने के बाद वह इन्फेक्ट किए वास्तविक प्रोग्राम को सामान्य रूप में लोड और एक्सीक्यूट करेगा या जिस फंक्शन (function) को इंटरसेप्ट (intercept) किया उसे करेगा ताकि उपयोगकर्ता को कोई संदेह न हो।

 

वर्भस (Worms)

 

वर्मस (Worms) वाइरस के समान हैं जो किसी अनरक्षित शेर (share) किए फोल्डर (folder) या डायरेक्टरी (directory) के द्वारा दूसरे कम्प्यूटर या नेटवर्क (network) पर अपनेआप की प्रतियाँ बनाने की कोशिश करते हैं। हाल ही में 'worm' पद का अर्थ एक वायरस माना गया है जो नेटवर्क लिक (network link) के पार अपनेआप की प्रतियाँ बनाती हैं और वाइरस को प्रयुक्त अत्यंत सामान्य प्रयोग जो अपने कई प्रतियाँ उपयोगकर्ता के इन्फेक्ट हुए ई-मेल (e-mail) से अटेच (attach) करके भेजते हैं।

 

ई-मेल वाइरस (E-mail viruses)

 

एक ई-मेल वाइरस (e-mail virus) ई-मेल मेसेजस (messages) में ही घूमता है और अपने आपकी प्रतियों निकालकर इन्फेक्ट हुए एड्रेस बुक दर्जनों लोगों को भेजता रहता है। ते हैं उन पर्ता में जो पते हैं पर अपने आपको

 

अन्य वाइरस (Other Viruses)

 

कुछ वाइरस प्रत्यक्ष लक्षण दर्शाते हैं और कुछ सिस्टम में इन्फेक्ट किए फाइलों को हानि पहुँचाते हैं। वाइरस के एक या दोनों लक्षण अक्सर सुप्रसिद्ध जनसंचार माध्यम के ध्यान को आकृष्ट करते हैं. पहले के चर्चा से यह ध्यान में लें कि वाइरस की परिभाषा के लिए दोनों ही आवश्यक नहीं हैं। अहानिकारक वाइरस फिर भी एक वाइरस है. कोई हरकत नहीं और अन्य चीजे समान होते हुए अपने ओर आकृष्ट करने वाले वाइरस की तुलना में बिना प्रत्यक्ष लक्षण के वाइरस ज्यादा फेलने की क्षमता रखते हैं और ज्यादा देर तक रहते हैं।

केवल इसलिए कि एक वाइरस एक कोड है जो उपयोगकर्ता के द्वारा जानबूझकर स्थापित

नहीं किया गया वह "गुड" ('good') वाइरस नहीं बन सकता है। उपयोगकर्ताओं को अपने

कम्प्यूटर को नियंत्रित करना चाहिए और उसके लिए उन्हें सॉफ्टवेअर की स्थापना और निकालने का अधिकार होना चाहिए, और उनके अनुमति और जानकारी के बिना कोई भी सॉफ्टवेअर स्थापित, सूधारा या निकाला नहीं जाना चाहिए। एक वाइरस गुप्त रूप से स्व-स्थापित होती है। वह सिस्टम में अन्य सॉफ्टवेअर को उपयोगकर्ता के जानकारी के बिना सुधार सकता है और उसे निकालना बहुत मुश्किल और कीमती पड़ सकती है।

 

इन्फेक्ट हुए कम्प्यूटर के लक्षण (Symptoms of Infected Computer)

 

आप हमेशा यह बता नहीं सकते कि आपका मशीन वाइरस से इन्फेक्ट हुए है या नहीं फिर भी इन्फेक्ट हुए कम्प्यूटर के कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं;

असामान्य रूप से गतिहीन या अस्थाई ऑपरेटिंग सिस्टम

एप्लीकेशन्स में अजीब बरताव

अजीब एरर मेसेजस (error messages)

आपका एन्टीवाइरस सॉफ्टवेअर का नाश होना

 

निवारक उपाय (Preventive Measures)

 

 यदि आप सचमुच परम्परागत (ई-मेल के विपरीत) वाइरस के बारे में चिंतित हैं तो आपको युनिक्स (UNIX) जैसे सुरक्षित ऑपरेटिंग सिस्टम को चलाना होगा। उन ऑपरेटिंग सिस्टम पर आपको कोई वाइरस के बारे में सुनाई नहीं पड़ेगी क्योंकि उनके सुरक्षा लक्षण वाइरस और अनचाहे मनुष्यों को भी आपके हार्डडिस्क से दूर रखेंगे।

यदि आप कोई अनरक्षित ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग कर रहे हैं तो वाइस प्रोटेक्शन सॉफ्टवेअर (virus protection software) खरीदना सुरक्षित है।

 यदि आप अनजाने स्त्रोत (जैसे इंटरनेट) से प्रोग्राम को रोक सकें और उसके बदले सी डी पर कर्मशियल सॉफ्टवेअर (commercial software) खरीदें तो आप परम्परागत वाइरस के सभी आपत्ति से बच जाते हैं। इसके अलावा, आपको फ्लॉपी डिस्क बूटिंग (floppy disk booting) को डिसेबल (disable) करना चाहिए अधिकतर कम्प्यूटर आपको इसकी अनुमति देते हैं और इससे ड्राइव में अकस्मात छूटे फ्लॉपी डिस्क से आने वाले बूट सेक्टार वाइरस को भी हटा सकते हैं।

 ई-मेल एटेचमेन्ट (attachment) के रूप में प्राप्त होनेवाली किसी भी एक्सीक्यूट करने योग्य एटेचमेन्ट पर आपको कभी भी डबल-क्लिक (double-click) नहीं करना चाहिए। अटेचमेन्ट जो वर्ड फाइल (DOC), स्प्रेडशीट (.XLS), इमेजस (.GIF और JPG), आदि के रूप में आते हैं, वे डाटा फाइल होते हैं और वे कोई नुकसान नहीं

 पहुँचा सकते हैं (ऊपर बताए वर्ड और एक्सेल डाक्युमेन्ट के मेक्रो वाइरस (mac virus) समस्या पर ध्यान दें)। EXE, COM या VBS जैसे एक्स्टेन्शन वाले फाइल एक्सीक्यूटबल होते हैं और एक एक्सीक्यूटबल अपने चाह के किसी भी तरह का नुकसान पहुंचा सकते हैं। एक बार उसे चालू करने से इसका मतलब यह हुआ कि आपने उसे आपके मशीन पर कुछ भी करने की अनुमति दी है। इसका एक ही रक्षण है कि ई-मेल से प्राप्त हाने वाले एक्सीक्यूटबल को कभी चलाइए मत।

 

अपने अमूल्य डाटा का बेक्कप करें (Backup your valuable data)

 

अत्यंत सतर्क उपयोगकर्ता भी वाइरस से इन्फेक्ट हो जाता है। इस कारण आपको आवश्यक कि आप अपने नाजुक डाटा को नियमित तरीके में बेक्कप (backup) करना चाहिए, खासकर सी डी-आर/सी डी आर डब्ल्यू या यू एस बी (CD-R/CD-RW or USB) के मेमरी उपकरणां में। ऐसे करने से आपके अमूल्य डाटा सुरक्षित रहेगा यदि आपका मशीन इन्फेक्ट भी हो जाय और उसे फिर से फार्मेट (format) करना भी पड़े तो।

रिमूवल (Removal)

 आतंकित न हों अधिकतर वाइरस वास्तव में हानि पहुँचाने से ज्यादा कंटक होते हैं। वे निकालने में भी आसान है।

इसकी अपेक्षा नहीं करना आपके सिस्टम को असर नहीं न करने पर भी यह अन्य सिस्टम को इन्फेक्ट और प्रभावित कर रहा है। इसकी चिकित्सा न करने पर यह आपके नेटवर्क एक्सेस (network access) को नष्ट कर सकता है।

 वाइरस को पहचानें एक अप-टू-डेट एन्टी वाइरस स्केनिंग सॉफ्टवेअर (up-to-date anti-virus scanning software) को लेकर उसे चालाएँ। उसे वाइरस को पहचानना चाहिए उसके प्रकार का पता लगाना चाहिए और उस फाइल के नाम को भी बताना चाहिए जो इन्फेक्ट हुआ है ताकि उससे निपट सकें।

* सॉफ्टवेअर स्वयं ही वाइरस को नाश कर सकता है अगर नहीं तो वाइरस को निकालने के अनुदेशों के लिए सॉफ्टवेअर व्यापारी के वेबसाइट (website) को देखें।

यदि आपको सहायता चाहिए, आपके कम्प्यूटर सहायक व्यक्ति, समूह या सेवा को संपर्क करें।

 

एन्टी वाइरस सॉफ्टवेअर (Anti-virus Software)

 

कुछ सुप्रसिद्ध कंपनी के एन्टी वाइरस सॉफ्टवेअर और उनके वेब साइट नीचे दिए गए हैं।

नारटान एन्टीवाइरस (Norton Antivirus) - www.symantec.com

एम सी ए एफ ई ई (McAfee)

 

 ए वी जी एन्टीवाइरस (AVG antivirus)

 

एफ-सेक्यूर कापोरेशन (F-Secure Corporation) computer


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