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भुजंगासन योग?


भुजंगासन को कोबरा पोज़ भी कहा जाता है. यह एक प्राचीन योग मुद्रा है. यह सूर्य नमस्कार का हिस्सा है. भुजंगासन करने से कई फ़ायदे होते हैं, जैसे कि तनाव कम होना, पीठ दर्द में आराम मिलना, और रीढ़ की हड्डी मज़बूत होना.  भुजंगासन करने का तरीका:  ज़मीन पर पेट के बल लेट जाएं. दोनों पैरों के बीच थोड़ी दूरी रखें. हाथों को छाती के पास ले जाएं और हथेलियों को ज़मीन पर टिका लें. गहरी सांस लें और नाभि क... Read More

भुजंगासन को कोबरा पोज़ भी कहा जाता है. यह एक प्राचीन योग मुद्रा है. यह सूर्य नमस्कार का हिस्सा है. भुजंगासन करने से कई फ़ायदे होते हैं, जैसे कि तनाव कम होना, पीठ दर्द में आराम मिलना, और रीढ़ की हड्डी मज़बूत होना. 

भुजंगासन करने का तरीका

ज़मीन पर पेट के बल लेट जाएं.

दोनों पैरों के बीच थोड़ी दूरी रखें.

हाथों को छाती के पास ले जाएं और हथेलियों को ज़मीन पर टिका लें.

गहरी सांस लें और नाभि को ऊपर उठाएं.

गर्दन को सीधा रखें और आसमान की तरफ़ देखें.

श्वास छोड़ते हुए कोहनियों को मोड़ें और फिर से शुरुआती मुद्रा में आ जाएं.

भुजंगासन के फ़ायदे

पीठ की मांसपेशियां मज़बूत होती हैं.

रीढ़ की हड्डी सीधी होती है.

मानसिक स्थिति में सुधार होता है.

पीठ दर्द कम होता है.

डिप्रेशन, चिंता, और तनाव जैसे लक्षण कम होते हैं.

आत्म-सम्मान बढ़ता है.

इस आसन में शरीर की आकृति फन उठाए हुए भुजंग अर्थात सर्प जैसी बनती है इसीलिए इसको भुजंगासन या सर्पासन (संस्कृत: भुजंगसन) कहा जाता है। भुजंगासन सुर्य नमस्कार के 12 आसनों में 7 वे नंबर आनेवाला एक आसन हैं, भुजंगासन में ' भुजंग ' का अर्थ होता हैं, साप और' आसन ' का अर्थ होता हैं, योग मुद्रा।

भुजंगासन करने से क्या लाभ होता है?

भुजंगासन रीढ़ की हड्डी को फैलाता है, जिससे लचीलापन बढ़ता है और पीठ की अकड़न कम होती है। इससे रीढ़ की हड्डी स्वस्थ और अधिक गतिशील बनती है और लंबे समय तक बैठने या खराब मुद्रा से होने वाली परेशानी कम होती है।

भुजंगासन कितने मिनट करना चाहिए?

शरीर को इस स्थिति में करीब 15 से 30 सेकेंड तक रखें और सांस की गति सामान्य बनाए रखें। ऐसा महसूस करें कि आपका पेट फर्श की तरफ दब रहा है। लगातार अभ्यास के बाद आप इस आसन को 2 मिनट तक भी कर सकते हैं।

भुजंगासन कब नहीं करना चाहिए?

पीठ में चोट या फेंकचर हो तो यह आसन नहीं करना चाहिए।

सूर्य नमस्कार की कौन सी स्थिति में भुजंगासन आता है?

सूर्य नमस्कार के 12 आसनों में से एक भुजंगासन है। इस आसन को सर्पासन या कोबरा आसन के नाम से भी जाना जाता है। यह आसन कमर दर्द को दूर करने में सहायक होता है, जो कई लोगों की आम समस्या भी होती है। साथ ही, यह आसन तनाव को कम करने भी मदद करता है

क्या भुजंगासन से हाइट बढ़ती है?

भुजंगासन रीढ़ की हड्डी को खींचता है और पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करता है। यह आसन रीढ़ को लंबा करके, ऊपरी शरीर में ग्रोथ प्लेट्स को बढ़ाने के साथ शरीर के लचीलेपन और मुद्रा में सुधार करता है, जो बच्चों के हाइट बढ़ाने के लिए बहुत जरूरी है।

क्या भुजंगासन पेट की चर्बी कम करता है

भुजंगासन के अभ्यास से पेट की मांसपेशियों में खिंचाव पैदा होता है। इससे बढ़े हुए पेट को कम करने में सहायता मिल सकती है। वहीं, संपूर्ण शारीरिक वजन को नियंत्रित करने से संबंधित इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ योगा के एक शोध में भी इसे शारीरिक वजन को सुधारने वाले योगासनों की लिस्ट में शामिल किया गया है।

भुजंगासन करने में कितना समय लगता है?

भुजंगासन के चरणों का अभ्यास हर दिन सुबह या शाम के समय किया जा सकता है। 10-15 मिनट का भुजंगासन आपके संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बना सकता है। चूँकि योग में स्ट्रेचिंग शामिल है, इसलिए बेहतर परिणामों के लिए इसे खाली पेट करना सबसे अच्छा है।

 


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सूर्य नमस्कार के 12 आसन के फायदे ?


सूर्य नमस्कार 12 योगासनों का एक समूह है. इसे रोज़ाना करने से कई फ़ायदे होते हैं:  सूर्य नमस्कार करने से शरीर की मांसपेशियां मज़बूत होती हैं और टोन होती हैं. इससे रीढ़ की हड्डी और जोड़ों का स्वास्थ्य बेहतर होता है. यह शरीर को लचीला बनाता है और पॉश्चर सुधारता है. सूर्य नमस्कार से शरीर में खून का संचार बेहतर होता है. यह हार्ट की कार्यप्रणाली में सुधार करता है. इससे मेटाबॉलिज़्म बेहतर होता है और... Read More

सूर्य नमस्कार 12 योगासनों का एक समूह है. इसे रोज़ाना करने से कई फ़ायदे होते हैं: 

सूर्य नमस्कार करने से शरीर की मांसपेशियां मज़बूत होती हैं और टोन होती हैं.

इससे रीढ़ की हड्डी और जोड़ों का स्वास्थ्य बेहतर होता है.

यह शरीर को लचीला बनाता है और पॉश्चर सुधारता है.

सूर्य नमस्कार से शरीर में खून का संचार बेहतर होता है.

यह हार्ट की कार्यप्रणाली में सुधार करता है.

इससे मेटाबॉलिज़्म बेहतर होता है और वज़न कम होता है.

यह तनाव कम करता है और मन को शांति मिलती है.

सूर्य नमस्कार से पाचन क्रिया बेहतर होती है.

यह अनिद्रा से लड़ने में मदद करता है.

इससे ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहता है.

सूर्य नमस्कार से त्वचा का रंग सुधरता है.

यह कंधों की गतिशीलता बढ़ाता है.

यह शरीर को डिटॉक्स करता है और इम्यूनिटी बढ़ाता है.सूर्य नमस्कार के फायदे

तनाव दूर करता है रोजमर्रा की चिंता के कारण हमारी सेहत पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ...

श्वांस प्रणाली के लिए फायदेमंद ...

बॉडी डिटॉक्स करता है ...

पाचन के लिए फायदेमंद ...

ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है ...

दिल के लिए फायदेमंद

सूर्य नमस्कार के बारह आसन पूरे शरीर की मांसपेशियों और जोड़ों पर काम करते हैं। यह अभ्यास मांसपेशियों को खींचता है, मजबूत करता है और उन्हें टोन करता है, लचीलापन और रीढ़ की हड्डी के स्वास्थ्य को बढ़ाता है

1 दिन में कितनी बार सूर्य नमस्कार करना चाहिए

1 दिन में आपको लगभग 2 बार सूर्य नमस्कार करना चाहिए। क्योंकि इसमें 12 योगा के सेट हैं जिसे 2 बारी पूरा-पूरा करने का मतलब है 24 बार एक्सरसाइज करना।

सूर्य नमस्कार के तुरंत बाद क्या करें?

सूर्य नमस्कार पूरा हो जाने के बाद रिलैक्स करे  जब आपका सूर्य नमस्कार का आखरी राउंड भी पूरा हो जाए तो आप को लेट जाना है और अपने शरीर को रिलैक्स कर लेना है। योग निद्रा में लेटें ताकि की गई स्ट्रेच का आपके शरीर को अधिक लाभ मिल सके। अपने शरीर और मस्तिष्क को पूर्ण विश्राम देने के लिए आप शवासन में भी लेट सकते हैं।

सूर्य नमस्कार सुबह कितने बजे करना चाहिए?

सूर्य नमस्कार करने का सबसे अच्छा समय है सूर्योदय का वक्त यानी कि सुबह 4:45 से लेकर 6 बजे तक। क्योंकि सूर्य के संपर्क में आने से हमारे शरीर के सारे चक्र एक्टिव हो जाते हैं और तभी पूरे शरीर को सूर्य नमस्कार करने का फायदा मिल पाता है। तो, अगर आपको भी सूर्यनमस्कार करना है तो आपको सुबह इस समय पर उठना होगा।

सबसे श्रेष्ठ आसन किसका है?

सूर्य नमस्कार योगासनों में सर्वश्रेष्ठ प्रक्रिया है।

क्या हमें खाली पेट सूर्य नमस्कार करना चाहिए?

सूर्य नमस्कार खाली पेट करना सबसे अच्छा होता है । रात की नींद के बाद, शरीर उपवास की स्थिति में होता है, इसलिए सुबह का समय आसन करने के लिए सबसे सही समय होता है। भोजन को पचाने में ऊर्जा लगती है, और खाने के तुरंत बाद योग का अभ्यास करने से आप सुस्त महसूस कर सकते हैं

सूर्य नमस्कार का पहला मंत्र क्या है?

श्रीसवितृसूर्यनारायणाय नमः। आदित्यस्य नमस्कारान् ये कुर्वन्ति दिने दिने। आयुः प्रज्ञा बलं वीर्यं तेजस्तेषां च जायते ॥

ओम सूर्याय नमः बोलने से क्या होता है?

सूर्याय नमः का अर्थ है क्रियाओं के प्रेरक को हमारा प्रणाम. इस मंत्र का अर्थ ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस प्रकार है- आप इस मंत्र का जाप कभी भी कर सकते हैं. छोटा सा दिखने वाला ये सूर्य देव की प्रार्थना करने जितना ही शक्तिशाली माना गया है, इसे सूर्य नाम मंत्र कहते हैं.

सूर्य नमस्कार के जनक कौन थे?

सूर्य नमस्कार की उत्पत्ति अस्पष्ट है; भारतीय परंपरा 17वीं शताब्दी के संत समर्थ रामदास को सूर्य नमस्कार अभ्यास से जोड़ती है, बिना यह परिभाषित किए कि इसमें क्या-क्या गतिविधियां शामिल थीं

 


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सूर्य नमस्कार की विधि और लाभ?


सूर्य नमस्कार करने की विधि और इसके फ़ायदे ये रहे: सूर्य नमस्कार करने के लिए, उगते सूरज की तरफ़ पीठ करके प्रार्थना करें.  सूर्य नमस्कार में 12 आसन होते हैं.  सूर्य नमस्कार के दौरान गहरी सांसें लें.  सूर्य नमस्कार के दौरान श्वास लेने और छोड़ने से फेफड़ों तक हवा पहुंचती है और खून में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है.  सूर्य नमस्कार करने से शरीर डिटॉक्स होता है और इम्यूनिटी बढ़ती है. ... Read More

सूर्य नमस्कार करने की विधि और इसके फ़ायदे ये रहे:

सूर्य नमस्कार करने के लिए, उगते सूरज की तरफ़ पीठ करके प्रार्थना करें. 

सूर्य नमस्कार में 12 आसन होते हैं. 

सूर्य नमस्कार के दौरान गहरी सांसें लें. 

सूर्य नमस्कार के दौरान श्वास लेने और छोड़ने से फेफड़ों तक हवा पहुंचती है और खून में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है. 

सूर्य नमस्कार करने से शरीर डिटॉक्स होता है और इम्यूनिटी बढ़ती है. 

सूर्य नमस्कार करने के फ़ायदे:

त्वचा में सुधार होता है. 

पाचन तंत्र ठीक रहता है. 

अनिद्रा से लड़ने में मदद मिलती है. 

रीढ़ की हड्डी और पेट की मांसपेशियां मज़बूत होती हैं. 

ह्रदय स्वास्थ्य अच्छा रहता है. 

तंत्रिका तंत्र मज़बूत होता है. 

वज़न घटाने में मदद मिलती है. 

स्मरण शक्ति बढ़ती है. 

चिंता दूर होती है

सूर्य नमस्‍कार अगर सूर्योदय के समय किया जाए तो सबसे उत्तम है। यह आसन सूर्य की ओर देखते हुए सुबह-सुबह खाली पेट करना चाहिए। इसकी वजह ये है कि सुबह के सूर्य के तेज से सकारात्‍मक ऊर्जा के साथ ही सेहत को अनेक फायदे मिलते हैं। सुबह का माहौल भी शांत और सौम्‍य होता है और इस वक्त इसे करने से तन और मन को ताज़गी महसूस होती है।

गर्दन, फेफड़े तथा पसलियों की मांसपेशियां सशक्त हो जाती हैं, शरीर की फालतू चर्बी कम होकर शरीर हल्का-फुल्का हो जाता है। सूर्य नमस्कार के द्वारा त्वचा रोग समाप्त हो जाते हैं अथवा इनके होने की संभावना समाप्त हो जाती है। इस अभ्यास से कब्ज आदि उदर रोग समाप्त हो जाते हैं और पाचनतंत्र की क्रियाशीलता में वृद्धि हो जाती है।


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सूर्य नमस्कार के नुकसान?


सूर्य नमस्कार करने से जुड़ी कुछ बातें जिन पर ध्यान देना चाहिए: योग में सूर्य नमस्कार एक ऐसी क्रिया है, जिसमें पूरे 12 आसन शामिल होते हैं. इसलिए सूर्य नमस्कार के नियमित अभ्यास से पूरे शरीर को फायदा मिलता है, लेकिन कुछ गलतियों की वजह से फायदे की बजाय नुकसान भी हो सकता है. ज़्यादा सूर्य नमस्कार करने से नुकसान हो सकता है: योगा एक्सपर्ट के मुताबिक, एक बार में 108 सूर्य नमस्कार करना सही नहीं है. इससे शर... Read More

सूर्य नमस्कार करने से जुड़ी कुछ बातें जिन पर ध्यान देना चाहिए: योग में सूर्य नमस्कार एक ऐसी क्रिया है, जिसमें पूरे 12 आसन शामिल होते हैं. इसलिए सूर्य नमस्कार के नियमित अभ्यास से पूरे शरीर को फायदा मिलता है, लेकिन कुछ गलतियों की वजह से फायदे की बजाय नुकसान भी हो सकता है.

ज़्यादा सूर्य नमस्कार करने से नुकसान हो सकता है:

योगा एक्सपर्ट के मुताबिक, एक बार में 108 सूर्य नमस्कार करना सही नहीं है. इससे शरीर को चोट लग सकती है और कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं. 

सही तरीके से न करने पर नुकसान हो सकता है:

सूर्य नमस्कार करते समय गर्दन को ध्यान रखना चाहिए. गर्दन को भुजाओं के पीछे नहीं जाने देना चाहिए. तीसरे आसन में बिना खिंचाव के झुकना नहीं चाहिए. चौथे आसन में वज़न उंगलियों पर नहीं बल्कि हथेलियों पर डालना चाहिए. 

इन लोगों को सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिए:

उच्च ब्लड प्रेशर से पीड़ित लोग, गठिया या घुटने की दर्द से पीड़ित लोग, और हर्निया से पीड़ित लोग सूर्य नमस्कार नहीं करने चाहिए. सांस लेने का ध्यान रखना चाहिए. 

सूर्य नमस्कार के दौरान सांसों का संतुलन बनाए रखना बहुत ज़रूरी है. श्वास लेते समय दोनों हाथ बगल से ऊपर उठाना चाहिए और श्वास छोड़ते समय हथेलियों को जोड़कर छाती के सामने प्रणाम मुद्रा में आना चाहिए. 


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सूर्य नमस्कार योग ?


सूर्य नमस्कार, योग के प्राथमिक अभ्यासों में से एक है. यह 12 शक्तिशाली योग आसनों का एक क्रम है.सूर्य नमस्कार के अभ्यास से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और शरीर निरोग और स्वस्थ बनता है. यह आज भी योग साधकों के बीच बेहद लोकप्रिय है। सूर्य नमस्कार का अभ्यास ब्रह्मांड की ऊर्जा - विशेष रूप से सूर्य - को योगी के शरीर में प्रवाहित करने के लिए किया जाता है। इसके अनुरूप, सूर्य नमस्कार का अभ्यास सुबह-सुबह क... Read More

सूर्य नमस्कार, योग के प्राथमिक अभ्यासों में से एक है. यह 12 शक्तिशाली योग आसनों का एक क्रम है.सूर्य नमस्कार के अभ्यास से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और शरीर निरोग और स्वस्थ बनता है. यह आज भी योग साधकों के बीच बेहद लोकप्रिय है। सूर्य नमस्कार का अभ्यास ब्रह्मांड की ऊर्जा - विशेष रूप से सूर्य - को योगी के शरीर में प्रवाहित करने के लिए किया जाता है। इसके अनुरूप, सूर्य नमस्कार का अभ्यास सुबह-सुबह करना आदर्श है।सूर्य नमस्कार" नाम प्राचीन भारतीय संस्कृत भाषा से लिया गया है, जिसमें इस योग क्रम को "सूर्य नमस्कार" नाम दिया गया है, जिसका शाब्दिक अर्थ है "सूर्य को नमस्कार" या "सूर्य का स्वागत करना"।

सूर्य नमस्कार करने के कई फ़ायदे हैं: 

1. यह शरीर को सही आकार देने और मन को शांत रखने में मदद करता है.

2. यह एक बेहतरीन कार्डियोवैस्कुलर व्यायाम है.

3. यह शरीर और मन पर सकारात्मक प्रभाव डालता है.

4. यह शारीरिक और मानसिक मज़बूती बढ़ाता है.

5. यह मस्तिष्क की सक्रियता और एकाग्रता बढ़ाता है.

6. यह रीढ़ में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है.शरीर की फ़ालतू चर्बी कम होती है.

7. हाथ-पैरों का दर्द दूर होता है और उनमें मज़बूती आती है.

8. गर्दन, फेफड़े, और पसलियों की मांसपेशियां मज़बूत होती हैं.

9.त्वचा रोग दूर होते हैं या उनकी संभावना कम हो जाती है.

10. शरीर में खून का संचार बेहतर होता है.

सूर्य नमस्कार करने का तरीका 

सूर्य नमस्कार का अभ्यास सुबह खाली पेट करना चाहिए. 

सूर्य नमस्कार के प्रत्येक चरण में दो सेट होते हैं. 

सूर्य नमस्कार करने से मानसिक और आध्यात्मिक बल भी मिलता है

सूर्य नमस्कार के एक चरण के दूसरे क्रम में योग आसनों का वह ही क्रम दोहराना होता है, लेकिन दाहिने पैर के स्थान पर बाएँ पैर का प्रयोग करना होता है. 

सूर्य नमस्कार के आसनों में प्रणाम आसन, हस्तउत्तानासन, हस्तपाद आसन, अश्व संचालन आसन, दंडासन, अष्टांग नमस्कार, भुजंग आसन, पर्वत आसन वगैरह शामिल हैं. 

सूर्य नमस्कार का अभ्यास सुबह-सुबह करना चाहिए.

पूर्व की ओर मुंह करके खड़े हो जाएं.

पैर एक-दूसरे के करीब रखें और घुटने सीधे रखें.

धीरे-धीरे सांस लें और छोड़ें.

भुजाओं को मोड़कर हथेलियों को छाती के स्तर पर लाएं.

सूर्य नमस्कार का शाब्दिक अर्थ है, सूर्य को नमस्कार करना या अर्पण करना. 

सूर्य नमस्कार में 12 चरण होते हैं, जिन्हें 10 अलग-अलग आसनों के रूप में पहचाना जा सकता है. 

सूर्य नमस्कार में बारह मंत्र बोले जाते हैं, जिनमें सूर्य के अलग-अलग नाम लिए जाते हैं. 

सूर्य नमस्कार स्त्री, पुरुष, बाल, युवा, और वृद्धों के लिए भी उपयोगी बताया गया है. 

सूर्य नमस्कार वेट लॉस करने का भी एक प्रभावी तरीका है. 

अगर आपको रक्तचाप की समस्या है या हाल ही में चोट लगी है, तो सूर्य नमस्कार करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें. गर्भवती महिलाओं को कुछ आसनों में बदलाव की ज़रूरत हो सकती है. 

सूर्य नमस्कार 12 चरणों में किया जाने वाला आसन है जिसमें प्रणामासन, हस्त उत्तानासन, हस्तपादासन, अश्व संचलानासन, अधो मुख श्वानासन, पर्वतासन, अष्टांग नमस्कार , भुजंगासन, अधो मुख श्वानासन/ पर्वतासन, अश्व संचलानासन, हस्तपादासन शामिल हैं


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सूर्य नमस्कार में कितने आसन हैं?


सूर्य नमस्कार में आठ आसन होते हैं, जो 12 चरणों में किए जाते हैं. सूर्य नमस्कार, प्राथमिक योग अभ्यासों में से एक है. यह अभ्यास, ब्रह्मांड की ऊर्जा को शरीर में प्रवाहित करने के लिए किया जाता है. सूर्य नमस्कार करने के कई फ़ायदे हैं, जैसे कि:  1.  यह शरीर और मन को एक-दूसरे से जोड़ता है.  2.  इससे जीवनशक्ति बढ़ती है और प्रतिरोधक क्षमता भी बेहतर होती है.  3. यह वज़न कम करने में... Read More

सूर्य नमस्कार में आठ आसन होते हैं, जो 12 चरणों में किए जाते हैं. सूर्य नमस्कार, प्राथमिक योग अभ्यासों में से एक है. यह अभ्यास, ब्रह्मांड की ऊर्जा को शरीर में प्रवाहित करने के लिए किया जाता है.

सूर्य नमस्कार करने के कई फ़ायदे हैं, जैसे कि: 

1.  यह शरीर और मन को एक-दूसरे से जोड़ता है. 

2.  इससे जीवनशक्ति बढ़ती है और प्रतिरोधक क्षमता भी बेहतर होती है. 

3. यह वज़न कम करने में भी मदद करता है. 

4.  यह पूरे शरीर की मांसपेशियों और जोड़ों को मज़बूत करता है. 

5.  इससे लचीलापन बढ़ता है और रीढ़ की हड्डी स्वस्थ रहती है. 

 सूर्य नमस्कार करने का तरीका

सूर्य नमस्कार सुबह-सुबह करना चाहिए.

पूर्व की ओर मुंह करके खड़े हो जाएं.

 पैर एक-दूसरे के करीब रखें और घुटने सीधे रखें.समान रूप से सांस लें और धीरे-धीरे छोड़ें.

 अपनी भुजाओं को मोड़कर हथेलियों को छाती के स्तर पर लाएं

सूर्य नमस्कार में सात अलग-अलग आसन 12 चरणों में चक्रीय रूप से किया जाता है. यह एक असरदार कार्डियोवस्कुलर वर्कआउट (Cardiovascular workout) माना जाता है, जो शरीर और दिमाग के लिए काफी लाभकारी माना जाता है


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योग का सबसे पहला आसान कौन सा है ?


योग शुरू करने से पहले कमलासन या पद्मासन करना चाहिए. यह ध्यान के लिए किया जाने वाला आसन है जो शरीर और मन को एकाग्र करता है.  योग करने से पहले इन बातों का भी ध्यान रखें: 1. योग करने से पहले पेट बिल्कुल खाली होना चाहिए.  2. सुबह रोज़ाना की क्रिया से निवृत्त होकर और शाम को योग करना है तो खाना या नाश्ता करने के करीब दो घंटे बाद किया जा सकता है.  3. योग खाली ज़मीन पर नहीं किया जाना चाहिए.... Read More

योग शुरू करने से पहले कमलासन या पद्मासन करना चाहिए. यह ध्यान के लिए किया जाने वाला आसन है जो शरीर और मन को एकाग्र करता है. 

योग करने से पहले इन बातों का भी ध्यान रखें:

1. योग करने से पहले पेट बिल्कुल खाली होना चाहिए. 

2. सुबह रोज़ाना की क्रिया से निवृत्त होकर और शाम को योग करना है तो खाना या नाश्ता करने के करीब दो घंटे बाद किया जा सकता है. 

3. योग खाली ज़मीन पर नहीं किया जाना चाहिए. 

4. इसके लिए योगा मैट या चटाई बिछा लेनी चाहिए. 

5. योग करने से पहले वॉर्मअप करना भी ज़रूरी है. 

6. योग से पहले वॉकिंग करना थोड़ा ज़्यादा सुविधाजनक और फ़ायदेमंद होता है.

योग करने के कुछ और आसन

बालासन, वृक्षासन, ताड़ासन, सूर्य नमस्कार, मंडूकासन, शशंकासन, गोमुखासन, सिंहासन, शवासन.

योग की शुरुआत करने के लिए, सूर्य नमस्कार भी किया जा सकता है. सूर्य नमस्कार 12 आसनों का समूह है, जो शरीर को सही आकार देने और मन को शांत रखने में मदद करता है. 


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योग सूत्र में कितने सूत्र है ?


   पतंजलि के योग सूत्र में 195 या 196 सूत्र हैं। व्यास और कृष्णमाचार्य के अनुसार इसमें 195 सूत्र हैं, जबकि बीकेएस अयंगर सहित कुछ अन्य लोगों के अनुसार इसमें 196 सूत्र हैं। योग सूत्र योग के सिद्धांतों और अभ्यास पर संस्कृत में लिखे गए सूत्रों का एक संग्रह है। इन सूत्रों को चार अध्यायों में विभाजित किया गया है: समाधि, साधना, विभूति, कैवल्य। योग सूत्रों का उद्देश्य योगियों और योगिनियों को योग... Read More

 

 पतंजलि के योग सूत्र में 195 या 196 सूत्र हैं।

व्यास और कृष्णमाचार्य के अनुसार इसमें 195 सूत्र हैं, जबकि बीकेएस अयंगर सहित कुछ अन्य लोगों के अनुसार इसमें 196 सूत्र हैं। योग सूत्र योग के सिद्धांतों और अभ्यास पर संस्कृत में लिखे गए सूत्रों का एक संग्रह है। इन सूत्रों को चार अध्यायों में विभाजित किया गया है: समाधि, साधना, विभूति, कैवल्य। योग सूत्रों का उद्देश्य योगियों और योगिनियों को योग के मूल अर्थ को समझने में मदद करना है। इन सूत्रों में योग के सिद्धांतों को आठ अंगों वाली प्रणाली में समझाया गया है, जिसे योग के आठ अंग के रूप में जाना जाता है।

योग सूत्रों के बारे में कुछ और बातें:

1. अनुमान है कि योग सूत्र 400 ईसा पूर्व के आसपास लिखा गया था।

2.  संस्कृत में लिखे गए सूत्रों में 'सूत्र' शब्द का अर्थ 'धागा' होता है।

3. योग सूत्र योग अभ्यास पर सबसे पुराने या एकमात्र प्रामाणिक ग्रंथ नहीं हैं।

4. योग सूत्रों के बारे में कुछ योगी कहते हैं कि शरीर और मन के सच्चे रहस्य को समझने के लिए इन सूत्रों को मूल संस्कृत में पढ़ा जाना चाहिए। 


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योग की खोज किसने की ?


योग की खोज महान ऋषि महर्षि पतंजलि ने की थी। उन्होंने योग सूत्रों के माध्यम से योग की प्रथाओं, इसके अर्थ और इससे जुड़े ज्ञान को व्यवस्थित किया। महर्षि पतंजलि को आधुनिक योग का जनक कहा जाता है। उन्होंने योग को आम लोगों तक आसानी से पहुँचाने का काम किया। योग से जुड़ी कुछ और बातें: योग की परंपरा भारत में हज़ारों सालों से है। हड़प्पा और मोहनजोदड़ो में मिले योग आसनों के साक्ष्य बताते हैं कि योग का अभ्यास... Read More

योग की खोज महान ऋषि महर्षि पतंजलि ने की थी।

उन्होंने योग सूत्रों के माध्यम से योग की प्रथाओं, इसके अर्थ और इससे जुड़े ज्ञान को व्यवस्थित किया। महर्षि पतंजलि को आधुनिक योग का जनक कहा जाता है। उन्होंने योग को आम लोगों तक आसानी से पहुँचाने का काम किया। योग से जुड़ी कुछ और बातें: योग की परंपरा भारत में हज़ारों सालों से है। हड़प्पा और मोहनजोदड़ो में मिले योग आसनों के साक्ष्य बताते हैं कि योग का अभ्यास 5,000 साल पहले किया जाता था। माना जाता है कि योग की उत्पत्ति भारत में लगभग 26,000 साल पहले हुई थी। योग का अर्थ है अपने कार्यों को कुशलता से करना। योग का अर्थ है अपने कर्तव्यों को शुद्ध अंतःकरण से करना। योग का अर्थ है, "जुड़ना"। योग सुख-दुख, हानि-लाभ, सफलता-असफलता, जय-पराजय आदि में समभाव बनाए रखने में सहायक है।योग अतीत पर पछतावा किए बिना जीवन जीने और भविष्य की चिंताओं से मुक्त होकर वर्तमान को खुशी-खुशी स्वीकार करने का एक तरीका है। 


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योगा के कितने अंग होते हैं


   योग के आठ (8)अंग हैं: 1. यम (संयम) 2. नियम (पालन) 3. आसन (योग मुद्राएँ) 4. प्राणायाम (सांस पर नियंत्रण) 5. प्रत्याहार (इंद्रियों को वापस खींचना) 6. धारणा (एकाग्रता) 7. ध्यान (ध्यान) 8. समाधि (अवशोषण) योग प्राप्ति के लिए इन आठ अंगों का अभ्यास आवश्यक और अनिवार्य माना जाता है। पतंजलि के आठ गुना योग मार्ग में नैतिक रूप से अनुशासित और उद्देश्यपूर्ण जीवन के लिए नुस्खे शामिल हैं। योग हिंदू द... Read More

 

 योग के आठ (8)अंग हैं:

1. यम (संयम)

2. नियम (पालन)

3. आसन (योग मुद्राएँ)

4. प्राणायाम (सांस पर नियंत्रण)

5. प्रत्याहार (इंद्रियों को वापस खींचना)

6. धारणा (एकाग्रता)

7. ध्यान (ध्यान)

8. समाधि (अवशोषण)

योग प्राप्ति के लिए इन आठ अंगों का अभ्यास आवश्यक और अनिवार्य माना जाता है। पतंजलि के आठ गुना योग मार्ग में नैतिक रूप से अनुशासित और उद्देश्यपूर्ण जीवन के लिए नुस्खे शामिल हैं। योग हिंदू दर्शन के छह स्कूलों में से एक है। इन छह स्कूलों को सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, मीमांसा और वेदांत के नाम से जाना जाता है। 


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