शवासन करने से जुड़े कुछ नुकसान व कुछ सावधानियां?

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शवासन करने से जुड़े कुछ नुकसान व कुछ सावधानियां?

शवासन एक योगासन है जिसे करने से शारीरिक और मानसिक रूप से फ़ायदा होता है. हालांकि, अगर इसे गलत तरीके से किया जाए, तो इससे कुछ नुकसान भी हो सकते हैं. 

शवासन करने से जुड़े कुछ नुकसान:

शवासन करते समय नींद आ सकती है.

शवासन करते समय झपकी आने से इसका फ़ायदा नहीं मिल पाता.

अगर कमर की मांसपेशियां या हैमस्ट्रिंग्स टाइट हैं, तो शवासन करने से कमर दर्द हो सकता है. 

शवासन करते समय अगर झपकी लग जाए, तो इससे फ़ायदा नहीं मिल पाता. 

माइग्रेन के दौरान शवासन नहीं करना चाहिए. 

पीठ के बल लेटने से दर्द हो, तो शवासन नहीं करना चाहिए. 

अगर मन विचलित हो या ध्यान केंद्रित करने में असमर्थ हो, तो शवासन नहीं करना चाहिए. 

शवासन या शव मुद्रा, योग का एक विश्राम आसन है. शवासन करने से पहले इन बातों का ध्यान रखना चाहिए: 

अगर आपको श्वसन संबंधी समस्या है, तो शवासन करने में दिक्कत हो सकती है. 

गर्दन में चोट या खिंचाव होने पर शवासन करने से दर्द हो सकता है. 

आंखों की कुछ बीमारियों में शवासन करने से समस्या हो सकती है. 

पाचन संबंधी समस्याओं वाले लोगों को खाने के तुरंत बाद शवासन नहीं करना चाहिए. 

कमर की मांसपेशियां या हैमस्ट्रिंग्स टाइट होने पर शवासन करने से कमर दर्द हो सकता है. 

पीठ के बल लेटने से दर्द हो, तो शवासन न करें. 

शवासन करने से जुड़ी कुछ सावधानियां:

शवासन करते समय पैरों को हल्का सा उठा लें. 

शवासन करते समय अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करें. 

अगर आपको रीढ़ की हड्डी, कमर या कोई अन्य स्वास्थ्य समस्या है, तो शवासन करने से पहले डॉक्टर की सलाह लें. 

योग कब हानिकारक हो सकता है?

योग का सबसे बड़ा जोखिम है चोट का लगना, लापरवाही या योग मुद्राओं की समझ की कमी के कारण किसी भी व्यक्ति को आजीवन न खत्म होने वाली शारीरिक पीड़ा पैदा हो सकती है। जब संयम के साथ अभ्यास किया जाता है तो कोई योगासन नुकसान नहीं करता, और ध्यान और श्वास नियंत्रण (प्राणायाम) किसी तरह का नुकसान नहीं पैदा करते हैं।

शवासन को छोड़ना शारीरिक और मानसिक रूप से नुकसानदायक हो सकता है. यह आसन करने से तनाव कम होता है, ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है और शरीर को आराम मिलता है. हालांकि, कुछ स्थितियों में शवासन नहीं करना चाहिए. 

शवासन करने से बचने की स्थिति:

अगर आपको माइग्रेन है, तो शवासन न करें. 

अगर पीठ के बल लेटने से दर्द हो, तो शवासन न करें. 

अगर आपको कमर का ऑपरेशन हुआ है, तो शवासन न करें. 

गर्भावस्था के आखिरी तीन महीनों में शवासन न करें. 

शवासन करते समय इन बातों का ध्यान रखें

शवासन के लिए योगा मैट का इस्तेमाल करें.

मैट स्लिप न हो, जिससे सही सपोर्ट मिल सके.

शवासन के दौरान नींद न आने दें.

सांस और पूरे शरीर पर ध्यान केंद्रित रखें.

शवासन के फ़ायदे

यह मन को शांत करता है.

यह तनाव और चिंता को कम करता है.

यह मानसिक स्पष्टता और ध्यान को बढ़ाता है.

शवासन एक रिलैक्सेशन योगा पोज है और यही कारण है कि जब लोग इसका अभ्यास करते हैं तो उन्हें अक्सर नींद आ जाती है। हालांकि, शवासन करते समय अगर आपकी झपकी लग जाती है तो आपको उसका पर्याप्त लाभ नहीं मिल पाता है। इसलिए, जब भी आप शवासन का अभ्यास करते हैं तो अपनी ब्रीदिंग पर फोकस करें। इससे आपको नींद नहीं आएगी।

शवासन कब नहीं करना चाहिए?

 माइग्रेन के दौरान इसका सेवन न करें। यदि पीठ के बल लेटने से दर्द हो तो ऐसा करने से बचें। यदि मन विचलित हो या ध्यान केन्द्रित करने में असमर्थ हो तो इसे करने से बचें।

शवासन करने में क्या सावधानी बरती जाए?

अगर आपकी कमर से नीचे की मसल्स या हैमस्ट्रिंग्स सख्त हैं, तो शवासन के अभ्यास से आपको कुछ ही समय में कमर दर्द की समस्या हो सकती है। इस स्थिति से बचने के लिए शवासन करते ​समय टांगों को हल्का सा उठा लें। 

शवासन उस स्थिति में भी बेहतरीन काम करता है जब आपकी कमर या हिप्स में दर्द हो। अगर आप इस स्थिति से बचना चाहें तो घुटनों से नीचे एक तकिया रख सकते हैं।

 




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