Blog by Taniya | Digital Diary
" To Present local Business identity in front of global market"
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मत्स्यासन या मछली मुद्रा करने से कई तरह के फ़ायदे होते हैं. यह आसन शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से फ़ायदेमंद होता है.
मत्स्यासन के कुछ फ़ायदे ये रहे:
मत्स्यासन करने से पीठ, छाती, और गर्दन की मांसपेशियां मज़बूत होती हैं.
यह आसन रीढ़ की हड्डी के संरेखण को बेहतर करता है.
यह आसन लंबे समय तक बैठने से होने वाले तनाव से राहत देता है.
यह आसन फेफड़ों की स्ट्रेचिंग के लिए बहुत फ़ायदेमंद है.
यह आसन बैली फैट कम करने
मेंमत्स्यासन करने से रीढ़ की हड्डी मज़बूत होती है.
यह आसन गर्दन, कंधों, और पीठ की मांसपेशियों को मज़बूत करता है.
यह आसन श्वसन क्रिया को बेहतर बनाता है.
यह आसन पेट की चर्बी कम करने में मदद करता है.
मत्स्यासन करने से तनाव और चिंता कम होती है.
यह आसन गले के रोगों में फ़ायदेमंद होता है.
यह आसन महिलाओं के मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं में फ़ायदेमंद होता है.
यह आसन कब्ज़ से राहत दिलाता है.
यह आसन पेट के अंगों को उत्तेजित करता है.
यह आसन रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है.
मत्स्यासन से क्या लाभ होता है?
नियमित रूप से मत्स्यासन का अभ्यास करने से पीठ और श्रोणि की मांसपेशियों की ताकत में सुधार होता है। मत्स्यासन योग मुद्रा गहरी साँस लेने के द्वारा श्वसन संबंधी समस्याओं से राहत प्रदान करती है। समय के साथ, आपको फेफड़ों के आकार में उल्लेखनीय वृद्धि से लाभ होगा।
मत्स्यासन क्या है और इसके फायदे?
मत्स्यासन आपकी पीठ, छाती और गर्दन की मांसपेशियों को खींचकर और उन्हें मजबूत करके झुके हुए या गोल कंधों को ठीक करने में मदद करता है। इस मुद्रा का नियमित अभ्यास रीढ़ की हड्डी के संरेखण को बढ़ावा देता है, आपकी मुद्रा को बेहतर बनाता है और लंबे समय तक बैठने के कारण होने वाले तनाव से राहत देता है।
मत्स्यासन कितनी देर करना चाहिए?
मत्स्यासन आसन से आप के गले की ग्रंथियां जैसे थायराइड और पैरा थायराइड की पेशियों के लिए अच्छा व्यायाम होता है। नियमित रूप से इस योग आसन के करने से अन्य भी कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। योग के लिए प्रतिदिन 40 मिनट का समय सभी को निकालना चाहिए।
मत्स्यासन या मछली मुद्रा, योग का एक आसन है. इस आसन को करने से शरीर की मांसपेशियां मज़बूत होती हैं और रीढ़ की हड्डी का संरेखण बेहतर होता है. यह आसन करने से बैली फैट कम होता है और श्वसन क्रिया में सुधार होता है.
मत्स्यासन करने का तरीकाः
सबसे पहले पद्मासन लगाएं.
फिर पीछे की ओर चित होकर लेट जाएं.
दोनों हाथों की मदद से शिखास्थान को ज़मीन पर टिकाएं.
सांस अंदर लेते हुए, छाती और सर को ऊपर उठाएं.
सर को ज़मीन पर आराम से छूते हुए, अपनी कोहनियों को ज़ोर से ज़मीन पर दबाएं.
जब तक हो सके, आसन में रहें.
फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए पूर्ववत स्थिति में आ जाएं.
मत्स्यासन के क्या लाभ हैं?
मत्स्यासन योग अत्यधिक प्रभावी है और मन और शरीर को लाभ पहुँचाता है। यह आसन रीढ़ और श्रोणि की मांसपेशियों को फैलाने में मदद करता है, शरीर में वसा की मात्रा को कम करता है, पुराने दर्द को कम करता है और शरीर के विभिन्न अंगों को उत्तेजित करता है।
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पर्वतासन करने से नुकसान हो सकते हैं, अगर आप किसी खास स्थिति में हों. पर्वतासन को माउंटेन पोज़ भी कहते हैं.
इन स्थितियों में पर्वतासन न करें:
अगर आपको पीठ या रीढ़ की हड्डी में चोट लगी है
अगर आपको गर्दन में दर्द या अकड़न है
अगर आपको कंधे या हाथ में दर्द है
अगर आपको घुटने में दर्द या आर्थराइटिस है
अगर आपको कार्पल टनल सिंड्रोम है
अगर आपको हृदय संबंधी समस्याएं हैं
अगर आपको उच्च रक्तचाप है
अगर आपको सर्दी, वायरल या बुखार है
अगर आप थके हुए हैं या पर्याप्त नींद नहीं ली है
पर्वतासन करने से पहले किसी योग विशेषज्ञ से सलाह लें.
ज़्यादा योग करने से भी नुकसान हो सकते हैं,
जैसे:
मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द
हृदय संबंधी समस्याएं
चेहरा लाल होना
जी मचलाना
थकान
सांस फूलना
शरीर में सूजन
अगर आप गंभीर तनाव या चिंता से पीड़ित हैं, तो आपको पर्वतासन को करने से बचना चाहिए. ऐसा इसलिए है क्योंकि पर्वतासन के चरणों से आपके शरीर का तापमान बढ़ सकता है. अगर आपको बुखार, सर्दी या फ्लू है, तो पर्वतासन करने से बचें. जो लोग रीढ़ की हड्डी में समस्या या चोट से पीड़ित हैं, उन्हें माउंटेन पोज़ योग नहीं करना चाहिए.
पर्वतासन, यानी माउंटेन पोज़, ज़्यादातर लोगों के लिए सुरक्षित है. हालांकि, कुछ लोगों को यह आसन नहीं करना चाहिए.
पर्वतासन न करने की वजहें:
हाई ब्लड प्रेशर होने पर
गठिया होने पर
रीढ़ की हड्डी में दर्द होने पर
गर्दन में दर्द या अकड़न होने पर
कंधे या हाथ में दर्द होने पर
डायरिया या अस्थमा होने पर
कार्पल टनल सिंड्रोम होने पर
पर्वतासन करते समय इन बातों का ध्यान रखें:
संतुलन बनाए रखें
वज़न दोनों पैरों के बीच समान रूप से बांटें
पैरों को ज़मीन पर सही तरीके से रखें
योग विशेषज्ञ की देख रेख में करें
Read Full Blog...पर्वतासन योग, शरीर को पर्वत के आकार में लाने का आसन है. इसे पर्वत मुद्रा भी कहा जाता है. यह सूर्य नमस्कार का एक हिस्सा है. पर्वतासन करने से शारीरिक और मानसिक रूप से कई फ़ायदे होते हैं.
पर्वतासन करने का तरीका:
योग मैट पर दंडासन की मुद्रा में बैठ जाएं.
पैरों को सामने फैलाकर हाथों को शरीर के बगल में रखें.
दाहिना पैर बाईं पैर पर और बायां पैर दाईं पैर पर रखें.
गहरी सांस लें.
नमस्कार मुद्रा में हथेलियों को मिलाएं.
हाथों को सिर के ऊपर की ओर खींचें.
हिप्स को जमीन पर रखते हुए हाथों को ऊपर की ओर खींचें.
30-40 सेकंड के लिए इस मुद्रा को करें.
सामान्य रूप से सांसों को छोड़ते हुए हाथों को नीचे कर लें.
यह संतुलन और स्थिरता बढ़ाता है.पर्वतासन करने से कई फ़ायदे होते हैं. यह आसन करने से शरीर को कायाकल्प मिलता है और शक्ति बढ़ती है. पर्वतासन को माउंटेन पोज़ भी कहते हैं. यह आसन करने से शरीर को पर्वत की चोटी जैसी मुद्रा में रखना होता है.
पर्वतासन के फ़ायदे:
यह आसन करने से शरीर का ब्लड सर्कुलेशन सही रहता है.
यह रीढ़ की हड्डी को मज़बूत करता है.
यह पैरों और बाहों की मांसपेशियों को मज़बूत करता है.
यह संतुलन और स्थिरता बढ़ाता है.इससे शरीर में ऊर्जा का प्रवाह होता है.
यह आसन करने से रीढ़ की हड्डियां लचीली होती हैं.
इससे शरीर को संतुलन बनाने में मदद मिलती है.
यह आसन करने से हाथ, कंधे और हैमस्ट्रिंग मज़बूत होती हैं.
इससे पाचन तंत्र मज़बूत होता है.
इससे दिमाग शांत रहता है और ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है.
इससे स्ट्रेस, एंग्ज़ायटी और माइल्ड डिप्रेशन कम होता है.
यह आसन करने से पीठ दर्द में आराम मिलता है.
यह आसन करने से कमर की चर्बी कम होती है.
यह आसन करने से सिरदर्द, थकान और अनिद्रा दूर होती है
पर्वतासन योग से होने वाले स्वास्थ्य लाभ
यह आसन त्रिक चक्र को सक्रिय करने में मदद करता है।
रीढ़ को लचीला बनाने और शरीर को फिट रखने में मदद करता है।
तंत्रिका तंत्र को आराम देने और मन शांत रखने में इस योग के लाभ हैं।
यह रक्त के प्रवाह को शरीर के ऊपरी और निचले दोनों हिस्सों में बढ़ाने में सहायक है।
पर्वतासन के क्या लाभ हैं?
पर्वतासन के लाभों में बेहतर मुद्रा, पैरों और रीढ़ की मांसपेशियों को मजबूत करना, और बेहतर संतुलन और स्थिरता शामिल हैं। यह शांति और ध्यान को भी बढ़ावा देता है।
क्या पर्वतासन कमर दर्द के लिए अच्छा है?
पर्वतासन - पीठ दर्द और अपच से छुटकारा पाने के लिए एक आसन
पर्वतासन विशेष रूप से इस तथ्य के लिए जाना जाता है कि यह पेट फूलना, एसिडिटी और अपच जैसी पाचन समस्याओं और पीठ और गर्दन में तकलीफ जैसे सामान्य दर्द से प्रभावी राहत प्रदान करता है
पर्वतासन का दूसरा नाम क्या है?
पर्वतासन का सामान्य अंग्रेजी नाम माउंटेन पोज़ है। पर्वतासन संस्कृत शब्द पर्वत, जिसका अर्थ है "पहाड़", और आसन, जिसका अर्थ है "मुद्रा" से आया है। पर्वतासन में, शरीर को एक पर्वत के आकार जैसा माना जाता है। पर्वतासन के कई शारीरिक और मानसिक लाभ हैं, जिनमें बेहतर एकाग्रता भी शामिल है।
पर्वतासन की स्थिति क्या है?
पर्वतासन, जिसे माउंटेन पोज़ के नाम से भी जाना जाता है, एक पर्वत के गुणों को दर्शाता है - स्थिरता, स्थिरता और शक्ति। यह आसन, जो योग में सांस्कृतिक आसनों का हिस्सा है, रीढ़ की हड्डी को ऊपर की ओर खींचने पर ध्यान केंद्रित करता है, जो अन्य उन्नत योग अभ्यासों के लिए एक ठोस आधार प्रदान करता है।
पर्वतासन का शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है और कौन सा चक्र प्रभावित होता है?
पर्वतासन के कई शारीरिक और मानसिक लाभ हैं, जिनमें बेहतर एकाग्रता भी शामिल है। ऐसा माना जाता है कि यह हृदय चक्र को उत्तेजित करता है , जिससे व्यक्ति को शांति की अनुभूति होती है।
पर्वतासन कब करना चाहिए?
पर्वतासन करने का सबसे अच्छा समय (सुबह होता है।
पर्वतासन कितनी देर करना चाहिए?
पर्वतासन योग करने का तरीका ऐसा करते हुए अपने हिप्स को जमीन पर रखते हुए हाथों को ऊपर की ओर खींचे। ऐसा करते हुए आपको अपने शरीर में खिंचाव का अनुभव होगा। करीब 30-40 सेकेंड के लिए इस मुद्रा को करने के बाद सामान्य रूप से सांसों को छोड़ते हुए हाथों को नीचे करते हुए धीरे-धीरे अपनी पहली वाली मुद्रा में वापस आ जाएं।
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चक्रासन को करने से पहले ज़रूरी सावधानियां बरतनी चाहिए. चक्रासन को ज़्यादा करने से मांसपेशियों में खिंचाव, पीठ दर्द, और कंधे या कलाई में चोट लग सकती है. चक्रासन करने से जुड़ी कुछ सावधानियांः
चक्रासन करने से पहले वार्मअप करना चाहिए.
ज़रूरत से ज़्यादा खिंचाव न करें.
चक्रासन करने से पहले अपने शरीर की सीमाओं को समझ लें.
अगर आपको पीठ या रीढ़ की हड्डी में चोट है, तो चक्रासन न करें.
अगर आपको हृदय संबंधी समस्या है, तो चक्रासन न करें.
अगर आपको हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर है, तो चक्रासन न करें.
अगर आपको कार्पल टनल सिंड्रोम, टेंडोनाइटिस या गठिया जैसी कोई बीमारी है, तो चक्रासन न करें.
अगर आपको गर्भावस्था है, तो चक्रासन न करें.
अगर आपको चक्कर, सिरदर्द है, तो चक्रासन न करें.
अगर आपने खाना खाया है, तो कम से कम 3-4 घंटे बाद ही चक्रासन करें.
चक्रासन करने से पहले विशेषज्ञों की सलाह लें.
चक्रासन एक ऐसा आसन है, जो अपेक्षाकृत थोड़ा अधिक कठिन है और इसमें शरीर बैक बैंड होता है, इसलिए इस आसन से पहले वार्मअप करना जरूरी है। हालांकि, अधिकतर लोग वार्मअप नहीं करते हैं। इससे मांसपेशियों में खिंचाव या चोट लगने का खतरा बढ़ जाता है। इतना ही नहीं, यह आपके ज्वॉइंट को भी नुकसान पहुंचा सकता है।
चक्रासन कब नहीं करना चाहिए?
हृदय संबंधी समस्याओं, उच्च या निम्न रक्तचाप या ग्लूकोमा से पीड़ित लोगों को भी चक्रासन से बचना चाहिए, क्योंकि इससे शरीर की उल्टी स्थिति के कारण हृदय और आंखों पर दबाव बढ़ सकता है। घायल या कमज़ोर कलाई, कोहनी या कंधे के साथ इस योग को करने से बचें।
ऐसा इसलिए क्योंकि इससे रीढ़ की हड्डी को और नुकसान या दर्द हो सकता है। हृदय संबंधी समस्याओं, उच्च या निम्न रक्तचाप या ग्लूकोमा से पीड़ित लोगों को भी चक्रासन से बचना चाहिए, क्योंकि इससे शरीर की उल्टी स्थिति के कारण हृदय और आंखों पर दबाव बढ़ सकता है। घायल या कमज़ोर कलाई, कोहनी या कंधे के साथ इस योग को करने से बचें।
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चक्रासन या व्हील पोज़ करने से कई फ़ायदे होते हैं. यह शरीर और मन दोनों को फ़ायदा पहुंचाता है. चक्रासन के फ़ायदे ये रहे:
यह रीढ़ की हड्डी को मज़बूत करता है और लचीला बनाता है.
यह हृदय को मज़बूत करता है और रक्त प्रवाह को बेहतर बनाता है.
इससे शरीर में ऊर्जा बढ़ती है.
यह तनाव और अवसाद को दूर करता है.
यह मानसिक स्पष्टता बढ़ाता है.
यह शरीर के इम्यून सिस्टम को मज़बूत करता है.
यह कटिपीड़ा, श्वास रोग, सिरदर्द, नेत्र विकारों, सर्वाइकल व स्पोंडोलाईटिस में फ़ायदेमंद है.
यह टाइप 2 मधुमेह वाले लोगों में ब्लड शुगर के स्तर में सुधार करता है.
यह आंतों को सक्रिय करता है और कब्ज़ दूर करता है.
चक्रासन शरीर और मन दोनों को बहुत लाभ पहुंचाता है। शारीरिक रूप से, यह रीढ़ को मजबूत करता है, मांसपेशियों को टोन करता है, और लचीलापन बढ़ाता है, जिससे यह मुद्रा में सुधार के लिए आदर्श है। मानसिक रूप से, यह ऊर्जा के स्तर को बढ़ाता है, तनाव से राहत देता है, और मानसिक स्पष्टता को बढ़ावा देता है।चक्रासन करने से क्या फायदा होता है?
चक्रासन करने से क्या फायदा होता है?
इस आसन से कमर-रीढ़ की समस्या दूर होती है, आँख की रोशनी बढ़ती है, कब्ज की समस्या के साथ तनाव और चिंता भी दूर होती है।
चक्रासन कितनी देर करना चाहिए?
रोजाना 2 मिनट इस आसन को करने से आंतें एक्टिव हो जाती हैं और कब्ज दूर होती है।
चक्रासन कितनी बार करना चाहिए?
उचित मुद्रा और सांस के साथ 12 बार सूर्यनमस्कार करना चाहिए। अगर कोई दिन के अंत में शरीर के साथ काम करना चाहता है तो सूर्यनमस्कार का अभ्यास करना ज़रूरी है, लेकिन इसे घटाकर 6 बार किया जा सकता है।
चक्रासन से हाइट बढ़ती है क्या?
चक्रासन चक्रासन करने से बच्चों की रीढ़ की हड्डी लचीली और मजबूत होती है। यह उनके पैरों को फैलाता है, ग्रोथ प्लेट्स को उत्तेजित करता है। इस आसन से हाथ, पैर, रीढ़ की हड्डी और पेट की मांसपेशियां मजबूत होती है, मुद्रा में सुधार होता है, जो हाइट बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।
चक्रासन से कौन सा रोग ठीक होता है?
चक्रासन से कौन सी बीमारी ठीक होती है? चक्रासन लचीलापन बढ़ाकर, मांसपेशियों को मजबूत करके और फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाकर खराब पाचन, पीठ दर्द और श्वसन संबंधी समस्याओं जैसी स्थितियों को सुधारने में मदद करता है। हालांकि यह बीमारियों का इलाज नहीं कर सकता है , लेकिन यह समग्र स्वास्थ्य का समर्थन करता है और कुछ शारीरिक स्थितियों में सुधार करता है।
चक्रासन की मुद्रा कौन सी है
चक्रासन मुद्रा, जिसे बैकबेंड्स के नाम से भी जाना जाता है, सहनशक्ति बढ़ाती है, रीढ़ की गतिशीलता बढ़ाती है, छाती और कंधों को ऊपर उठाती है, श्वास पैटर्न में सुधार करती है, और यहां तक कि रक्त शर्करा के स्तर और एड्रेनल कार्यक्षमता पर भी सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
क्या हम रात में चक्रासन कर सकते हैं?
चक्रासन के दौरान ऊर्जा प्रवाह को संतुलित करने और मन को शांत करने के लिए, अपनी सांस और शरीर में होने वाली संवेदनाओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी भी तरह के विकर्षण या नकारात्मक विचारों से बचें। इसके अलावा, इस मुद्रा का अभ्यास सुबह या शाम को करने की कोशिश करें जब आपका शरीर और मन अधिक आराम और ग्रहणशील होता है ।
चक्रासन कमर दर्द के लिए अच्छा है?
चक्रासन या उर्ध्व धनुरासन छाती और कंधे की मांसपेशियों के साथ-साथ कूल्हे के फ्लेक्सर्स के लिए भी गहरा खिंचाव प्रदान करता है। यह हैमस्ट्रिंग और स्पाइनल एक्सटेंसर को भी मजबूत करता है। इसके अलावा, व्हील पोज़ के अन्य विज्ञान-समर्थित लाभ भी हैं। रीढ़ की हड्डी के लचीलेपन में सुधार करता है
चक्रासन को अंग्रेज़ी में 'व्हील पोज़' कहते हैं. यह एक योगासन है. इसे करने से कई फ़ायदे होते हैं.
चक्रासन करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए:
अगर आपको हाई ब्लड प्रेशर या दिल से जुड़ी कोई समस्या है, तो आपको चक्रासन नहीं करना चाहिए.
हर्निया या साइटिका की समस्या होने पर भी आपको चक्रासन नहीं करना चाहिए.
गर्भवती महिलाओं को भी चक्रासन नहीं करना चाहिए.
चक्रासन करने से पहले स्ट्रेचिंग ज़रूर कर लें.
चक्रासन का अभ्यास खाली पेट ही करें.
चक्रासन के बारे में कुछ और बातें:
चक्रासन करने से पेट की चर्बी कम होती है.
इससे कमर मज़बूत और लचीली बनती है.
चक्रासन करने से फेफड़े स्वस्थ और मज़बूत रहते हैं.
चक्रासन करने से पेट की समस्याओं जैसे कि कब्ज़, गैस, और एसिडिटी से भी राहत मिलती है.
चक्रासन करने से तनाव और अवसाद दूर करने में भी बहुत फ़ायदेमंद है.
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सुखासन करने से कुछ नुकसान भी हो सकते हैं. इन बातों का ध्यान रखकर सुखासन करें:
अगर आपको कमर या पीठ में दर्द है, तो सुखासन न करें.
अगर आपको घुटने की चोट है, तो सुखासन न करें.
अगर आपको रीढ़ की हड्डी की समस्या है, तो सुखासन न करें.
अगर आपको स्लिप डिस्क की समस्या है, तो सुखासन न करें.
अगर आपको साइटिका की समस्या है, तो सुखासन न करें.
अगर आपको माइग्रेन की समस्या है, तो सुखासन न करें.
अगर आपको अर्थराइटिस है, तो सुखासन न करें.
अगर आप लंबे समय से थके हुए हैं, तो सुखासन न करें.
अगर आपको चिंता या डर महसूस हो रहा है, तो सुखासन न करें.
अगर आपको बैठने में परेशानी हो रही है, तो सुखासन न करें.
सुखासन करने से पहले किसी योग विशेषज्ञ से सलाह लें.
सुखासन के नुकसान क्या हैं?
शारीरिक शक्ति और कमज़ोर शरीर : घुटनों, कूल्हों और पैरों में गठिया से पीड़ित छात्रों, विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों को फर्श पर बैठने से बचना चाहिए। स्लिप्ड डिस्क, रीढ़ की हड्डी की समस्या, कमज़ोर पाचन, मामूली पीठ दर्द या घुटने के दर्द वाले लोग तकिये का सहारा ले सकते हैं, लेकिन इस मुद्रा में 5 मिनट से ज़्यादा नहीं रहना चाहिए।
Read Full Blog...सुखासन, योग की एक मूलभूत मुद्रा है. इसे आसान मुद्रा भी कहा जाता है. सुखासन करने से शरीर और मन को आराम मिलता है. यह ध्यान करने के लिए भी एक अच्छी मुद्रा है.
सुखासन करने का तरीका:
योगा मैट या ज़मीन पर बैठ जाएं.
अपने पैरों को फैलाएं.
अपने दोनों पैरों को क्रॉस करें.
अपने बाएं पैर को दाहिनी पैर के नीचे रखें.
अपने दाहिने पैर को बाईं पैर के नीचे रखें.
अपनी पीठ को सीधा रखें.
अपने हाथों को घुटनों पर रखें.
अपनी आंखें बंद करें.
गहरी सांस लें और कुछ मिनट इसी मुद्रा में रहें.
इस मुद्रा से बाहर आने के लिए, धीरे-धीरे अपने पैरों को खोलें.
सुखासन करने के बारे में ज़रूरी बातें:
शुरुआत में, कंबल, तौलिये, या योग ब्लॉक का इस्तेमाल करके इस मुद्रा में आरामदायक स्थिति बनाई जा सकती है.
कमर में दर्द या एल 4, एल 5 में दिक्कत होने पर इस आसन को कम समय के लिए या किसी के निर्देशन में करें.
सुखासन कौन सी मुद्रा कहलाती है?
सुखासन क्या है? सुखासन एक आधारभूत योग मुद्रा है जो विश्राम और आंतरिक शांति को बढ़ावा देती है। संस्कृत में, 'सुख' का अर्थ है सहजता या आनंद, जबकि 'आसन' का अर्थ है योग मुद्रा। सुखासन की विशेषता है कि आप रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए और हाथों को घुटनों या गोद में रखकर क्रॉस-लेग करके बैठते हैं।
सुखासन का दूसरा नाम क्या है?
सुखासन सबसे सरल योगासनों में से एक है। इसको सरल आसन भी कहा जाता है। नाम से ही स्पष्ट है कि सुखासन से अर्थ सुख से बैठना है। सुखासन किसी भी उम्र या स्तर पर किया जा सकता है।
सुखासन का पर्यायवाची शब्द क्या है
सुखासन, जिसे आसान मुद्रा भी कहा जाता है, एक योग आसन है जिसे बैठकर किया जाता है। आसान मुद्रा कूल्हों को खोलने और रीढ़ को संरेखित करने में सहायता करती है, और इसकी सरलता इसे शुरुआती लोगों सहित सभी कौशल स्तरों के योगियों के लिए उपयुक्त बनाती है
सुखासन कौन सा चक्र है?
मूलाधार चक्र - आसान मुद्रा (सुखासन) आसान मुद्रा सरल है, लेकिन मूलाधार चक्र को संतुलित करने के लिए सबसे अच्छे आसनों में से एक है। चूँकि आपका श्रोणि तल से जुड़ा हुआ है, इसलिए यह स्थिरता, ग्राउंडिंग और पृथ्वी से जुड़ाव की भावना पैदा करता है।
सुखासन योग क्यों जरूरी है?
शरीर और मन के लिए लाभ के साथ-साथ सुखासन पेट के निचले हिस्से की ओर रक्त के प्रवाह को बढ़ाता है । इससे पाचन क्रिया बेहतर होती है। योग मुद्रा गैस से संबंधित समस्याओं और अन्य अपच संबंधी समस्याओं को भी कम करती है। सुखासन योग मुद्रा करने से टखनों और घुटनों को स्ट्रेच करने में मदद मिलती है।
सुखासन के आध्यात्मिक लाभ क्या हैं?
सुखासन ध्यान, ध्यान और आंतरिक शांति को प्रोत्साहित करता है । यह तनाव को कम करने, एकाग्रता में सुधार करने और भावनात्मक संतुलन को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है। सुखासन ध्यान, ध्यान और आंतरिक शांति को प्रोत्साहित करता है। यह तनाव को कम करने, एकाग्रता में सुधार करने और भावनात्मक संतुलन को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।
सुखासन योग के कई फ़ायदे हैं:
सुखासन करने से चेहरे पर ग्लो आता है और दाग-धब्बे दूर होते हैं.
सुखासन करने से दिमाग शांत होता है और चिंता, तनाव, और मानसिक थकान दूर होती है.
यह शरीर की मुद्रा में सुधार करता है और हिप्स को खोलता है.
सुखासन करने से थकान कम होती है और पीठ मज़बूत होती है.
सुखासन करने से टखनों और घुटनों को फैलाव मिलता है.
सुखासन करने से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और डाइजेशन भी अच्छा रहता है.
सुखासन करने से मोटापा कम होता है और बॉडी फैट से छुटकारा मिलता है.
सुखासन करने से बच्चों की हाइट बढ़ती है और बॉडी फ़्लेक्सिबल रहती है.
सुखासन करने से श्रोणि और कोर की मांसपेशियां मज़बूत होती हैं.
सुखासन करने से ऑक्सीजनेशन और रक्त परिसंचरण बेहतर होता है.
सुखासन कितनी देर तक करना चाहिए
सुखासन की मुद्रा में रोज 10 से 20 मिनट बैठने से रीढ़ की हड्डी सीधी रहती है और शरीर का पोस्चर नहीं बिगड़ पाता। साथ ही पीठ की हड्डियों को मजबूती मिलती है।
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पश्चिमोत्तानासन को करने से पहले कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए क्योंकि इससे कुछ लोगों को नुकसान हो सकता है. पश्चिमोत्तानासन करने से बचने की स्थिति ये हैं:
अगर आपको पीठ दर्द, गर्दन दर्द, स्लिप डिस्क, हर्निया, या तीव्र पेट दर्द जैसी समस्याएं हैं, तो इस आसन से बचना चाहिए.
अगर आपको हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है, तो इस आसन को न करें.
अगर आपको अस्थमा, डायरिया, या पेट के अल्सर की समस्या है, तो इस आसन से बचें.
अगर आप गर्भवती हैं, तो इस आसन को न करें.
अगर आपने हाल ही में पेट की कोई सर्जरी करवाई है, तो इस आसन को न करें.
अगर आपको हैमस्ट्रिंग में चोट लगी है, तो इस आसन को न करें.
पश्चिमोत्तानासन करने से पहले ये बातें भी ध्यान में रखें:
अगर आप पहली बार यह आसन कर रहे हैं, तो पहले कुछ हल्के व्यायाम या स्ट्रेचिंग करें.
अपने शरीर को धीरे-धीरे आगे की ओर झुकाएं.
पश्चिमोत्तानासन करते समय ज़ोर-ज़बरदस्ती न करें.
अपने घुटनों को सीधा रखें.
अपनी पीठ को सीधा रखें.
आगे झुकने से पहले पेट को अंदर खींचें.
अपने सिर को घुटने से छूने में जल्दबाज़ी न करें.
अगर आपको लगता है कि आपकी पीठ मुड़ रही है, तो रुक जाएं.
अंतिम स्थिति में आपका पूरा शरीर आराम की स्थिति में होना चाहिए.
अगर आपको हैमस्ट्रिंग में चोट लगी है और पीठ के निचले हिस्से में दर्द या चोट लगी है तो पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए। अस्थमा, अल्सर और स्लिप डिस्क की समस्या में इस योगासन का अभ्यास न करने की सलाह दी जाती है। गर्भवती महिलाओं के लिए भी इस योगासन का अभ्यास करना नुकसानदायक हो सकता है।
पश्चिमोत्तानासन कब नहीं करना चाहिए?
अगर आपको स्लिप डिस्क की समस्या है या फिर बैक में किसी तरह की इंजरी हुई है तो ऐसे में आपको पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए। दरअसल, पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास करते समय हम आगे की ओर झुकते हैं। लेकिन अगर आपको स्लिप डिस्क की समस्या है तो ऐसे में आगे झुकने से आपकी समस्या बढ़ सकती है।
पश्चिमोत्तानासन किसे नहीं करना चाहिए?
स्लिप डिस्क, पीठ दर्द, हैमस्ट्रिंग इंजरी या साइटिका से पीड़ित लोगों को इस आसन से बचना चाहिए। अस्थमा, डायरिया और पेट के अल्सर से पीड़ित लोगों को भी इस आसन से बचना चाहिए क्योंकि इससे पेट पर दबाव पड़ता है। गर्भावस्था के दौरान पश्चिमोत्तानासन से बचना चाहिए।
इन समस्याओं से पीड़ित लोगों को पश्चिमोत्तानासन नहीं करना चाहिए:
पीठ दर्द
गर्दन दर्द
स्लिप्ड डिस्क
हर्निया
तीव्र पेट दर्द
पेट के अल्सर या दस्त
हृदय, अस्थमा या सांस संबंधी समस्याएं
एक्यूट माइग्रेन
सर्वाइकल
पश्चिमोत्तानासन करते समय सावधानी (Precautions during Seated forward bend) पश्चिमोत्तानासन करते समय अपने दोनों घुटनों को समान रेखा में रखें। यदि झुकते समय आपके दोनों घुटने बाहर की तरफ मुड़ रहे हैं, तो आप झुकाव कम कर सकते हैं। जितना हो सके अपनी पीठ को सीधा रखें, ऐसा करने से आपको गहरी सांस लेने में मदद मिलती है।
जिन लोगों को हमेशा ही हाई बीपी की समस्या रहती है, उन्हें भी ऐसे किसी आसन को ना करने की सलाह दी जाती है, जिसमें एक्यूट बेंडिंग करनी हो। चूंकि पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास करते समय शरीर का ऊपरी हिस्सा पूरी तरह से झुक जाता है, इसलिए हो सकता है कि इस आसन का अभ्यास करते हुए आपके ब्लड प्रेशर का दबाव बढ़ जाए
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पश्चिमोत्तानासन, बैठकर आगे की ओर झुकने वाला योगासन है. इसे 'सेटेड फ़ॉरवर्ड बेंड' भी कहते हैं. यह हठ योग और आधुनिक योग दोनों में अहम आसनों में से एक है. पश्चिमोत्तानासन करने से कई फ़ायदे होते हैं, जैसे कि
यह तंत्रिका तंत्र पर असर डालता है और मन को शांत करता है
इससे तनाव और हल्के अवसाद में आराम मिलता है
यह शरीर के ऊर्जा संतुलन को मज़बूत करता है
यह मधुमेह में असामान्य शर्करा के स्तर से लड़ने में मदद करता है
यह पेट के अंगों की मालिश करता है
यह रीढ़ को लचीला और गतिशील बनाता है
पश्चिमोत्तानासन करने का तरीका:
1. योग मैट या चट्टान पर बैठें
2. पैरों को सीधा फैलाएं और पैरों के समानांतर हाथ रखें
3. सिर को सीधा रखें
4. गहरी सांस लें और हाथों को ऊपर करें
5. कमर सीधी रखें
6. धीरे-धीरे आगे की ओर झुकें और रीढ़ की हड्डी को मुड़ने न दें
7. जब आगे झुकना बंद हो जाए, तो धीरे-धीरे रीढ़ की हड्डी में मोड़ लाएं और सांस छोड़ें
पश्चिमोत्तानासन से क्या लाभ होता है?
पश्चिमोत्तानासन लचीलापन बढ़ाता है, रीढ़, हैमस्ट्रिंग और कंधों को फैलाता है, पाचन में सुधार करता है, तनाव कम करता है और मन को शांत करता है।
पश्चिमोत्तानासन का दूसरा नाम क्या है?
पश्चिमोत्तानासन में पश्चिम शरीर के पिछले हिस्से (पीठ आदि) को संदर्भित करता है और उत्तान का मतलब है खिंचाव। अंग्रेजी में इसी "सीटेड फॉर्वरड बेंड" के नाम से जाना जाता है।
पश्चिमोत्तानासन से हाइट बढ़ती है क्या?
रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है। -पेट की चर्बी भी खत्म होती है। -बच्चे की हाइट बढ़ाने के लिए यह कारगर योग है
पश्चिमोत्तानासन में कौन सी मांसपेशियां शामिल होती हैं?
यह आसन आपके पूरे पीठ के शरीर को खींचता है, जिसमें पिंडली की मांसपेशियाँ, हैमस्ट्रिंग, आपकी आंतरिक जांघों के जोड़ और रीढ़ की हड्डी के साथ की मांसपेशियाँ शामिल हैं। अधिकांश आगे की ओर झुकने के साथ, यह आपके शरीर और मन में शांति की भावना ला सकता है।
पश्चिमोत्तानासन कितनी बार करना चाहिए?
5 बार साँस लेने के बाद आप इस मुद्रा से बाहर आ सकते हैं। आसन से बाहर निकलने के लिए साँस छोड़ते हुए हाथों और सिर को ऊपर कर लें, और फिर टाँगों को भी आराम दें।
क्या पश्चिमोत्तानासन हाइट बढ़ाता है?
पश्चिमोत्तानासन या बैठे हुए आगे की ओर झुकने से आपके पूरे शरीर को लाभ होगा। इस आसन में आपकी रीढ़ और हैमस्ट्रिंग में खिंचाव होता है। नतीजतन, अगर आप इस योग का रोजाना अभ्यास करते हैं तो आपकी लंबाई बढ़ सकती है।
पश्चिमोत्तानासन के चरण
अपनी एड़ियों को अपने से दूर रखें और अपने पैरों को मोड़ें। साँस अंदर लें और अपनी भुजाओं को सीधा ऊपर छत की ओर फैलाएँ। अपनी रीढ़ की हड्डी को जितना हो सके ऊपर की ओर खींचें। अगर ऐसा करते समय आपको अपने घुटनों के पिछले हिस्से पर बहुत ज़्यादा खिंचाव महसूस हो, तो अपनी छाती को थोड़ा ऊपर उठाएँ।
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भुजंगासन (कोबरा पोज़) के कुछ नुकसान ये हो सकते हैं:
अगर आपको पीठ में चोट है, डिस्क हर्निया है, या हर्निया है, तो आपको भुजंगासन नहीं करना चाहिए.
गर्भवती महिलाओं को भुजंगासन नहीं करना चाहिए.
अगर आपको पेट में कोई रोग है, तो आपको भुजंगासन नहीं करना चाहिए.
अगर आपको अंडकोष वृद्धि है, मेरूदंड से जुड़ी कोई समस्या है, या आपको अल्सर है, तो आपको भुजंगासन नहीं करना चाहिए.
अगर आप सर्जरी से उबर रहे हैं, तो आपको भुजंगासन नहीं करना चाहिए.
अगर आप योग में नए हैं और आपका कोर कमज़ोर है, तो आपको भुजंगासन नहीं करना चाहिए.
अगर आपकी उम्र ज़्यादा है, तो आपको भुजंगासन नहीं करना चाहिए.
अगर आपको गर्दन या कमर में दर्द है, तो आपको भुजंगासन नहीं करना चाहिए.
भुजंगासन करते समय इन बातों का ध्यान रखें:
इस आसन को करते समय सामान्य बल लगाएं.
गर्दन को रीढ़ की हड्डी की रेखा में रखें.
अपना पूरा ध्यान योग मुद्रा पर केंद्रित रखें.
इस आसन को करते समय अकस्मात् पीछे की तरफ बहुत अधिक न झुकें। इससे आपकी छाती या पीठ की माँस-पेशियों में खिंचाव आ सकता है तथा बाँहों और कंधों की पेशियों में भी बल पड़ सकता है जिससे दर्द पैदा होने की संभावना बढ़ती है। हर्निया के रोगी को यह आसन नहीं करना चाहिए। गर्भवती स्त्रियों को यह आसन नहीं करना चाहिए।
आसन करने से जुड़ी कुछ सावधानियां:
योगासन करने से पहले शौच-क्रिया और स्नान कर लेना चाहिए.
योगासन करने के बाद एक घंटे बाद स्नान करना चाहिए.
योगासन समतल ज़मीन पर आसन बिछाकर करना चाहिए.
मौसम के हिसाब से ढीले वस्त्र पहनने चाहिए.
योगासन खुले और हवादार कमरे में करना चाहिए.
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