वक्रासन करने के फायदे विधि तरीका और सावधानियां ये है?

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वक्रासन करने के फायदे विधि तरीका और सावधानियां ये है?

वक्रासन एक योगासन है, जिसे करने से शरीर लचीला और मज़बूत होता है. वक्रासन को घुमावदार मुद्रा भी कहा जाता है. यह एक शुरुआती स्तर का आसन है. वक्रासन करने के कई फ़ायदे हैं, जैसे कि पाचन तंत्र मज़बूत होना, फेफड़ों की क्षमता बढ़ना, और मधुमेह को कंट्रोल करना

वक्रासन कैसे करते ?

सिर को बाईं ओर मोड़ लें और दाहिने हाथ को बाएं पैर के ऊपर ले आएं। अब दाहिने हाथ को बाएं पैर के अंगूठे के ऊपर रखना चाहिए। बाएं हाथ को शरीर को सहारा देने के लिए पीछे रखें। इस मुद्रा में सामान्य सांस लेते रहें और इस आसन में कम से कम 30 सेकंड तक ऐसा करें।

वक्रासन के फ़ायदे 

वक्रासन से रीढ़ की हड्डी लचीली होती है और कमर दर्द से राहत मिलती है

यह आसन तनाव कम करने में मदद करता है

वक्रासन से पाचन तंत्र मज़बूत होता है और कब्ज़ की समस्या दूर होती है

यह आसन फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों में फ़ायदेमंद होता है

वक्रासन से मोटापा कम होता है

वक्रासन से शरीर को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है

यह आसन मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद करता है

वक्रासन से गर्दन के दर्द में आराम मिलता है

वक्रासन से शरीर की थकान दूर होती है

शरीर को लचीला बनाने के लिए वक्रासन का अभ्यास काफी फायदेमंद होता है। इससे रीढ़ की हड्डियां लचीली होती हैं। गर्दन और कंधे भी मजबूत होते हैं।

वक्रासन से साइटिका की समस्या में आराम मिलता है

इससे पाचन तंत्र मजबूत होता है और कब्ज या शरीर में भारीपन की दिक्कत नहीं होती है। 

वक्रासन के अभ्यास से शरीर की थकान दूर होती है। साथ ही साइटिका की समस्या में आराम मिलता है। इसका अभ्यास आप रोज कर सकते हैं। 

तनाव को दूर करने के लिए आप इसका अभ्यास जरूर करें। 

वक्रासन करने से पहले इन बातों का ध्यान रखना चाहिए:

पेट दर्द होने पर वक्रासन नहीं करना चाहिए

घुटने में दर्द होने पर वक्रासन नहीं करना चाहिए

ज़्यादा कमर दर्द होने पर वक्रासन नहीं करना चाहिए

कोहनी में दर्द होने पर वक्रासन नहीं करना चाहिए

वक्रासन का अभ्यास सुबह के वक्त ही किया जाना चाहिए। लेकिन अगर आप शाम के वक्त ये आसन कर रहे हैं तो जरूरी है कि आपने भोजन कम से कम 4 से 6 घंटे पहले कर लिया हो।

वक्रासन क्या है और इसके फायदे 

वक्रासन क्या है? वक्रासन, जिसे ट्विस्टेड पोज़ के नाम से भी जाना जाता है, में रीढ़ की हड्डी को धीरे से मोड़ना शामिल है, जो लचीलेपन को बढ़ाता है और तनाव को कम करता है। यह आसन पाचन और शरीर में ऑक्सीजन के प्रवाह को बेहतर बनाने के लिए फायदेमंद है।

वक्रासन किसे नहीं करना चाहिए?

वक्रासन की सावधानियां

साइटिका या स्लिप डिस्क की स्थिति के दौरान अभ्यास से बचें। यदि घुटने के दर्द से पीड़ित हैं तो वक्रासन का अभ्यास करने का प्रयास न करें। यदि हार्ट या ब्रेन की अंतर्निहित स्थिति है तो वक्रासन का अभ्यास करने का प्रयास न करें। पेट की सर्जरी के मामले में वक्रासन का अभ्यास करने की कोशिश न करें।

वक्रासन करने का तरीका 

 सबसे पहले योग मैट पर दंडासन की अवस्था में बैठ जाएं। 

हल्का सा हाथों से जमीन को दबाएं और सांस अंदर लेते हुए रीढ़ की हड्डी को सीधा करें।

फिर बाएं पैर को मोड़ें और दाएं घुटने के ऊपर से बाएं पैर को जमीन पर रखें।

बाएं पैर के ऊपर से दाहिने हाथ को लाएं और फिर बाएं पैर के अंगूठे को पकड़ें।

श्वास छोड़ते हुए ऊपरी शरीर को जितना संभव हो उतना मोड़ें।

 अब गर्दन को घुमाएं, जिससे कि बाएं कंधे पर दृष्टि केंद्रित कर सकें।

 बाएं हाथ को जमीन पर टिका लें और सामान्य रूप से श्वास लें। 

इस मुद्रा में 30-60 सेकेंड के लिए रहें और फिर प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं। 

 यह सारे स्टेप्स फिर दूसरी तरफ भी दोहराएं। 

वक्रासन करने के लिए धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाएं।

असुविधा होने पर इस आसन का अभ्यास न करें।

कभी भी कंधे या घुटनों पर दबाव न डालें। 

ध्यान दें कि वॉर्मअप कर लिया हो और आपकी कोर मसल्स एक्टिव हो चुकी हों।

असुविधा या दर्द महसूस होता है तो खुद पर जरा भी दबाव न डालें। 

धीरे-धीरे आसन का अभ्यास बंद कर दें और आराम करें।

पहली बार किसी योग्य योग गुरु की देखरेख में आसन का अभ्यास करें।

 वक्रासन की सावधानी

रीढ़ की हड्डी या पैरों में दर्द होने पर आप ये आसन न करें। 

डायरिया या अस्थमा होने पर भी इसका अभ्यास न करें। 

गर्दन या कंधे में दर्द होने पर इसे न करें। 

 घुटने में दर्द या आर्थराइटिस होने पर दीवार के सहारे ही अभ्यास करें। 

दिल और हाई ब्लड प्रेशर के मरीज ये आसन न करें। 

 शुरुआत में वक्रासन को योग ट्रेनर की देखरेख में ही करें। 

 वक्रासन क्या है

वक्रासन संस्कृत भाषा का शब्द है। ये दो शब्दों वक्र और आसन से मिलकर बना है। जहां वक्र का अर्थ टेढ़ा होने या मोड़ने से है। वहीं दूसरे शब्द आसन का अर्थ आसन का अर्थ किसी विशेष परिस्थिति में बैठने, लेटने या खड़े होने की मुद्रा स्थिति या पोश्चर से है। 

वक्रासन का अभ्यास नाथ पंथ से भी जोड़ा जाता है। कहा जाता है कि, योगी मत्स्येन्द्रनाथ की परंपरा वाले योगी भी इस आसन का अभ्यास करते हैं। वक्रासन को अन्य आसनों की तरह आसान नहीं समझा जाता है। 

इसलिए ज्यादातर लोग शुरुआत में योग एक्सपर्ट की देखरेख में इस आसन का अभ्यास करते हैं। लेकिन कुछ दिनों के अभ्यास के बाद यह आसन करना काफी आसान हो जाता है। 

रीढ़ की हड्डी और पैरों सहित लगभग पूरा शरीर इस आसन में शामिल होता है। इसलिए स्वास्थ्य की दृष्टि से यह शरीर के विभिन्न अंगों के लिए फायदेमंद होता है।

वक्रासन को हठ योग की शैली का आसन माना जाता है। इस योगासन का अभ्यास 30 से 60 सेकंड तक करने की सलाह दी जाती है। इसे करने में एक बार दोहराव भी किया जा सकता है।

वक्रासन करने की विधि

योग मैट पर दंडासन में बैठ जाएं। 

हल्का सा हाथों से जमीन को दबाएं।

सांस अंदर लेते हुए रीढ़ की हड्डी को लंबा करें।

बाएं पैर को मोड़ें। 

दाएं घुटने के ऊपर से बाएं पैर को जमीन पर रखें।

अब दाहिने पैर को मोड़ें।

पैर को बाएं नितंब के निकट जमीन पर रखें।

बाएं पैर के ऊपर से दाहिने हाथ को लाएं।

बाएं पैर के अंगूठे को पकड़ें।

श्वास छोड़ते हुए धड़ को जितना संभव हो उतना मोड़ें।

अब गर्दन को मोड़ें जिससे कि बाएं कंधे पर दृष्टि केंद्रित कर सकें।

बाएं हाथ को जमीन पर टिका लें और सामान्य रूप से श्वास लें। 

30-60 सेकेंड के लिए मुद्रा में रहें।

आसन से बाहर निकलने के लिए सारे स्टेप्स को विपरीत क्रम में करें।

यह सारे स्टेप्स फिर दूसरी तरफ भी दोहराएं।

 




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