Blog by Suveta Notiyal | Digital Diary
" To Present local Business identity in front of global market"
" To Present local Business identity in front of global market"
पानी का महत्व अत्यधिक है। यह हमारे जीवन के लिए अनिवार्य है क्योंकि हमारे शरीर के लिए अत्यंत आवश्यक है। हमारे शरीर के सार्वभौमिक कार्यों के लिए पानी की आवश्यकता होती है, जैसे कि पाचन, ऊर्जा उत्पादन, और तापमान का संतुलन।
स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। सही मात्रा में पानी पीना हमें रोगों से बचाता है, मुख्य अंतःस्थलों को साफ रखता है और त्वचा और बालों के लिए भी अच्छा है।
पानी एक मूल्यवान और व्यक्तिगत संसाधन है जो जल्दी से खत्म हो सकता है। हमें जल संरक्षण का ध्यान रखना चाहिए ताकि भविष्य में इसकी कमी न हो।
पानी का उपयोग हमारे पर्यावरण के लिए भी महत्वपूर्ण है। जल के सही उपयोग से हम प्राकृतिक संतुलन को बनाए रख सकते हैं और जलवायु परिवर्तन से निपट सकते हैं।
कुल मिला कर पानी हमारे जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है इसलिए हमें इसका सावधानी से उपयोग करना चाहिए और इसकी संरक्षण करना चाहिए।
प्रकृति का दोहन रोके बगैर पृथ्वी की सुरक्षा नहीं की जा सकती है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण कई तरह के खतरे मंडरा रहे है।
वैज्ञानिकों के द्वारा इसको लेकर सचेत भी किया जा रहा है। उनके संदेशों का सार यही है कि प्रकृति का बेतरतीब दोहन रोकी जाए, पर इसका असर कितना पड़ रहा है इसका अंदाजा आप अगल-बगल झांक कर भी लगा सकते हैं।
किन-किन स्तर पर होता है प्रकृति का दोहन
प्रकृति का दोहन का मतलब लोग आमतौर पर पेड़ की कटाई से ही ले लेते हैं। जबकि इसके दायरे बड़े हैं। रासायनिक खाद के उपयोग, कीट नाशक दवा के अंधाधुंध छिड़काव, कारखानों के उत्सर्जित कचरों के प्रबंधन में लापरवाही भी प्रकृति के दोहन के रूप में मानी जाती है। जलाशय की सुरक्षा भी इसमें शामिल किये गये हैं। हालात ऐसे बनते जा रहे हैं कि जलाशय या तो सूख रहे या जलकुंभी से भर जा रहे हैं। ऐसे में सैलानी पक्षियों का आना भी बंद हुआ जा रहा हैं। जिले के उधवा झील जहां विदेशी पक्षी बड़ी तादाद में आया करते थे।
आज पहले के अपेक्षा विदेशी पक्षियों के आगमन में काफी कमी आई है। कीटनाशक के अंधाधुंध प्रयोग से गिद्ध ऐसे पक्षी का अब दर्शन दुर्लभ हो गया है। जबकि गिद्ध पर्यावरण सुरक्षा में सबसे बड़ा मददगार रहा है। लगातार हो रहे राजमहल की पहाड़ियों के पत्थर उत्खनन, अंधाधुध पेड़ों की कटाई के कारण इस क्षेत्र में वर्षा में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। वहीं गर्मी में लगातार बढ़ोतरी, जल स्तर में गिरावट पहले के अपेक्षा झरने का सूखना, जंगलों में पशु, पक्षी, जानवरों के लगातार शिकार के कारण पृथ्वी का असंतुलन बिगड़ता जा रहा है। लगातार भूकंप के झटके मानव जाति के लिए खतरे की ओर इशारा करती है। आज सिर्फ भारत ही नहीं पूरा विश्व इससे अछूता नहीं। कई देश आज पर्यावरण आपदा से संघर्ष करता दिख रहा है।
प्रदूषण को रोकने को लेकर वैसे तो बड़े-बड़े संयंत्र लगाये जा रहे हैं। पर पेड़ लगाने से बेहतर कुछ नहीं। सच पूछिए तो इस मामले में हमारे पूर्वज हमसे आगे चल रहे थे। तुलसी व पीपल पेंड़ की रक्षा को लेकर ही इसे धार्मिक रूप दिया गया। क्योंकि पेंड़ पौधे सबसे अधिक आक्सीजन छोड़ने वाले हैं। इसी प्रकार अन्य पौधे सबसे अधिक आक्सीजन देते हैं। हम हरे पेंड़ काट देते हैं। सरकार ने हरे पेड़ की कटाई पर रोक लगाई है। वृक्षारोपण चला कर जन सहयोग से ही प्रर्यावरण दोहन से रोका जा सकता है।
परिभाषा : भौतिक दुनिया और इसकी घटनाओं को संदर्भित करता है, जिसमें सभी जीवित जीव (पौधे, जानवर, कवक) और गैर-जीवित तत्व (चट्टानें, पानी, हवा) शामिल हैं।
क्षेत्र : इसमें पारिस्थितिकी तंत्र, जैव विविधता और प्राकृतिक प्रक्रियाएं जैसे विकास, मौसम और भूवैज्ञानिक परिवर्तन शामिल हैं।
फोकस : अक्सर प्राकृतिक दुनिया के आंतरिक गुणों पर जोर दिया जाता है, जिसमें इसकी सुंदरता, जटिलता और प्रजातियों के बीच अंतर्संबंध शामिल हैं।
परिभाषा : उन आस-पास की स्थितियों को संदर्भित करता है जिसमें एक जीव रहता है, जिसमें प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों तत्व शामिल हैं।
क्षेत्र : इसमें भौतिक तत्व (जैसे वायु, जल और भूमि), सामाजिक कारक (जैसे संस्कृति और समुदाय) और आर्थिक स्थितियाँ (जैसे उद्योग और शहरी विकास) शामिल हैं।
फोकस : अक्सर मानव और प्राकृतिक दुनिया के बीच अंतःक्रियाओं पर जोर दिया जाता है, जिसमें प्रदूषण, संरक्षण और स्थिरता जैसे मुद्दे शामिल होते हैं।
संक्षेप में, प्रकृति एक व्यापक अवधारणा है जो प्राकृतिक दुनिया और उसकी प्रक्रियाओं पर ध्यान केंद्रित करती है, जबकि पर्यावरण में प्राकृतिक और मानवजनित (मानव निर्मित) दोनों तत्व शामिल हैं जो जीवित जीवों को प्रभावित करते हैं। पारिस्थितिकी, संरक्षण और स्थिरता से संबंधित चर्चाओं के लिए अंतर को समझना महत्वपूर्ण है।
प्राकृतिक पर्यावरण या प्राकृतिक दुनिया में प्राकृतिक रूप से होने वाली सभी जीवित और निर्जीव चीजें शामिल हैं, जिसका अर्थ है कि इस मामले में कृत्रिम नहीं। यह शब्द अक्सर पृथ्वी या पृथ्वी के कुछ हिस्सों पर लागू होता है। इस वातावरण में सभी जीवित प्रजातियों, जलवायु, मौसम और प्राकृतिक संसाधनों की परस्पर क्रिया शामिल है जो मानव अस्तित्व और आर्थिक गतिविधि को प्रभावित करते हैं।[1] प्राकृतिक पर्यावरण की अवधारणा को घटकों के रूप में प्रतिष्ठित किया जा सकता है:
० पूर्ण पारिस्थितिक इकाइयाँ जो बड़े पैमाने पर सभ्य मानव हस्तक्षेप के बिना प्राकृतिक प्रणालियों के रूप में कार्य करती हैं, जिसमें सभी वनस्पति, सूक्ष्मजीव, मिट्टी, चट्टानें, वातावरण और प्राकृतिक घटनाएं शामिल हैं जो उनकी सीमाओं और उनकी प्रकृति के भीतर होती हैं।
० सार्वभौमिक प्राकृतिक संसाधन और भौतिक घटनाएं जिनमें स्पष्ट सीमाओं का अभाव है, जैसे कि हवा, पानी और जलवायु, साथ ही ऊर्जा, विकिरण, विद्युत आवेश और चुंबकत्व, जो सभ्य मानव क्रियाओं से उत्पन्न नहीं होते हैं।
प्राकृतिक पर्यावरण के विपरीत निर्मित वातावरण है। निर्मित वातावरण वे हैं जहां मानव ने शहरी सेटिंग्स और कृषि भूमि रूपांतरण जैसे मूल रूप से परिदृश्यों को बदल दिया है, प्राकृतिक पर्यावरण बहुत सरल मानव पर्यावरण में बदल गया है। यहां तक कि ऐसे कार्य भी जो कम चरम लगते हैं, जैसे रेगिस्तान में मिट्टी की झोपड़ी या फोटोवोल्टिक प्रणाली का निर्माण, संशोधित वातावरण एक कृत्रिम वातावरण बन जाता है। हालांकि कई जानवर अपने लिए बेहतर वातावरण प्रदान करने के लिए चीजों का निर्माण करते हैं, वे मानव नहीं हैं, इसलिए बीवर बांध, और टीले बनाने वाले दीमक के कार्यों को प्राकृतिक माना जाता है।
मानवता के बड़े पैमाने पर पर्यावरणीय परिवर्तनों ने सभी प्राकृतिक वातावरणों को मौलिक रूप से प्रभावित किया है: जिसमें जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता हानि और हवा और पानी में प्लास्टिक और अन्य रसायनों से प्रदूषण शामिल है।
तनाव से राहत और आराम: एक अच्छी फिल्म, मज़ेदार किताब या मनोरंजक वीडियो गेम हमारे दिमाग को चिंताओं और बेचैनी से दूर कर सकता है। हँसी, विशेष रूप से, एक बेहतरीन तनाव निवारक है और हमारे मूड को बेहतर बना सकती है।
रचनात्मकता और कल्पनाशीलता को बढ़ावा देता है: मनोरंजन हमें नए विचारों, दुनिया और सोचने के तरीकों से परिचित करा सकता है। यह रचनात्मकता को जगा सकता है और हमारी अपनी कल्पना को बढ़ावा दे सकता है।
सामाजिक जुड़ाव और बंधन: दोस्तों और परिवार के साथ मनोरंजन के अनुभव साझा करने से साझा आधार बनता है और मजबूत संबंध बनते हैं। किसी फिल्म पर चर्चा करना, साथ में कोई संगीत कार्यक्रम देखना या गेम खेलना, ये सभी जुड़ने के तरीके हैं।
सीखना और विकास: मनोरंजन सिर्फ़ मौज-मस्ती और खेल नहीं है। वृत्तचित्र, ऐतिहासिक नाटक या यहाँ तक कि काल्पनिक कहानियाँ भी हमें नई संस्कृतियों, ऐतिहासिक घटनाओं या वैज्ञानिक अवधारणाओं के बारे में सिखा सकती हैं।
भावनात्मक मुक्ति और अन्वेषण: मनोरंजन हमें एक सुरक्षित स्थान पर भावनाओं की एक विस्तृत श्रृंखला का पता लगाने की अनुमति देता है। हम एक दुखद फिल्म के माध्यम से रेचन का अनुभव कर सकते हैं, एक मजबूत नायिका से सशक्त महसूस कर सकते हैं, या एक साहसी कार्य से प्रेरित हो सकते हैं।
मानसिक उत्तेजना: पहेलियाँ, दिमागी पहेलियाँ और यहां तक कि चुनौतीपूर्ण वीडियो गेम हमारे दिमाग को तेज रख सकते हैं और संज्ञानात्मक कार्य में सुधार कर सकते हैं
मनुष्य का जीवन रंगों के बिना अधूरा है, क्योंकि विभिन्न रंग हमारी जिंदगी की विभिन्न परिस्थितियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। दरअसल, जिंदगी को खुशनुमा बनाने के लिए हमें अपने जीवन में कई तरह के रंगों की जरूरत होती है और प्रकृति में हमें ये रंग अपने चारों ओर किसी न किसी रूप में दिखाई दे जाते हैं। रंग हमारी इंद्रियों को आकर्षित करने के साथ-साथ हमारे विचारों और भावनाओं को भी तरह-तरह से प्रभावित करते हैं। रंगों का त्योहार होली तो अपने साथ कई ऐसे रंगों को लेकर आता है, जिनमें से हर रंग कुछ न कुछ कहता प्रतीत होता है। लाल, हरा, पीला, गुलाबी इत्यादि होली पर इस्तेमाल किए जाने वाले इन सभी पारंपरिक रंगों का वैज्ञानिक आधार है।
खुशियों की प्रतीक होली का प्रत्येक रंग केवल प्यार एवं सम्मान की ही भाषा बोलता है।
रंगों के इस त्योहार पर स्वयं को रंगों से सराबोर कर हर कोई खुद को प्रकृति के करीब महसूस करता है। वास्तव में यह खुशियों से भरा ऐसा त्योहार है, जिसमें छोटे हों या बड़े, महिलाएं हों या पुरुष, हर कोई आयु, धर्म और सामाजिक स्तर के भेद को छोड़कर किसी न किसी रंग में रंगा नजर आता है। रंगों के माध्यम से मन के भीतर की कुंठाएं बाहर आती हैं, जिससे लोग उनसे मुक्त हो जाते हैं। इसीलिए होली में रंगों का प्रयोग किया जाता है। वैसे तो होली पर खेला जाने वाला हर रंग अपने आप में बहुत खास होता है, क्योंकि प्रत्येक रंग की अपनी भाषा होती है और हर रंग के अपने अलग ही मायने तथा विशेष महत्व है।
हिंदू धर्म में लाल रंग का प्रयोग प्रत्येक शुभ अवसर पर किया जाता है। इसका प्रयोग पूजा तथा अन्य सभी शुभ कार्यों में होता है। दुर्गा को लाल रंग बेहद प्रिय माना गया है। सम्मान का भाव दर्शाने वाला यह रंग शक्ति और स्फूर्ति प्रदान करने वाला और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। अग्नि के द्योतक लाल रंग को ऊर्जा, गर्मी, उग्रता, जोश, जुनून, उत्साह, महत्वाकांक्षा और पराक्रम का प्रतीक माना जाता है। रोज प्रात: उगते सूरज का रंग लाल होने के अलावा मानव शरीर को जीवन देने वाले रक्त का रंग भी लाल ही होता है। हृदय में शक्ति का संचार करने और लोगों में उत्साह व साहस पैदा करने वाला लाल रंग उल्लास और शुद्धता का प्रतीक है, जिसे प्यार और काम का प्रतीक भी माना जाता है। होली के अवसर पर लाल रंग का प्रयोग प्रेम एवं सौहार्द की भावना को बढ़ाने के साथ-साथ मानसिक बल को सुदृढ़ता प्रदान करने के लिए भी किया जाता है।'
हमें अपने जीवन में कई तरह के रंगों की जरूरत होती है और प्रकृति में हमें ये रंग अपने चारों ओर किसी न किसी रूप में दिखाई दे जाते हैं। रंग हमारी इंद्रियों को आकर्षित करने के साथ-साथ हमारे विचारों और भावनाओं को भी तरह-तरह से प्रभावित करते हैं। रंगों का त्योहार होली तो अपने साथ कई ऐसे रंगों को लेकर आता है, जिनमें से हर रंग कुछ न कुछ कहता प्रतीत होता है। लाल, हरा, पीला, गुलाबी इत्यादि होली पर इस्तेमाल किए जाने वाले इन सभी पारंपरिक रंगों का वैज्ञानिक आधार है।
ज्योति के पर्याय पीले रंग से पवित्रता का अहसास होता है और इसे देवी-देवताओं का प्रिय रंग माना जाता है। हिंदू धर्म में धार्मिक कार्यों में पीले रंग का उपयोग बहुत अच्छा माना गया है। इसीलिए दैवीय कार्यों में इस रंग का बहुत ज्यादा प्रयोग किया जाता है और देवी-देवताओं को अधिकांशत: पीले वस्त्र ही पहनाए जाते हैं। मान्यता है कि इस रंग का प्रभाव मानव मस्तिष्क पर पड़ता है और इससे मन अध्यात्म की ओर अग्रसर हो जाता है। मिलन और आत्मीयता के प्रतीक पीले रंग को आरोग्य, शांति एवं ऐश्वर्य का प्रतीक माना जाता है। यौवन और बुद्धिमता के प्रतीक के रूप में यह रंग स्पष्टवादिता को भी दर्शाता है। खुशी, तत्परता, आशा और ऊर्जा को प्रदर्शित करते पीले रंग से शरीर में स्फूर्ति आती है और इसे रोग दूर करने वाला तथा बेचैनी को खत्म करके मन को शांत करने वाला रंग भी माना गया है। समृद्धि और यश को इंगित करने वाले पीले रंग को देखने से मन में प्रकाश और ज्ञान का आभास होता है। सुनहरा पीला रंग तो आदर्शवादिता और कल्पनाशीलता का सूचक माना गया है।
माना जाता है कि हरे रंग में सराबोर होने के बाद लोग नई ताकत का अहसास करते हैं और उनकी सोच सकारात्मक होती है। यह रंग आशावाद, नई शुरुआत, स्वास्थ्य तथा ताजगी का अहसास कराता है और प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में नए जीवन के संचार की प्रेरणा देता है। मन को सुकून पहुंचाने वाले हरे रंग से मन की चंचलता दूर होती है और आत्मविश्वास और प्रसन्नता मिलती है। प्रकृति में चहुं ओर फैले हरे रंग को एक ओर जहां पर्यावरण की सुरक्षा का प्रतीक माना गया है, वहीं यह व्याकुल मन को शांति भी प्रदान करता है। इसी आत्मिक शांति के लिए लोग प्राय: पर्वतीय क्षेत्रों में प्रकृति की गोद में जाते हैं। मन की चंचलता को हरने वाला और शांति का प्रतीक हरा रंग जीवन का द्योतक है, जिसे प्रकृति का सबसे प्यारा रंग माना जाता है।
अध्यात्म, शांत, सुरक्षित और विश्वास जैसी भावनाओं को इंगित करने वाला प्राण और प्रकृति से संबंधित नीला रंग जीवन में गति और जीवन देने वाली शक्ति का प्रतीक है। कोमलता और स्नेह के साथ इसे वीरता और पौरुष का प्रतीक भी माना गया है। एक ओर जहां धार्मिक दृष्टिकोण से नीले रंग का बहुत महत्व है, वहीं ज्योतिष में यह रंग जल तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। प्रकृति ने विशाल आसमान से लेकर गहरे समुद्र तक नीले रंग की अनुपम छटा बिखेरी हुई है। जीवन में उत्साह, उल्लास और पानी के समान शुद्धता के प्रतीक नीले रंग के प्रयोग से मानसिक शांति मिलती है, रक्तचाप नियंत्रित होता है और यह आपसी संबंधों में प्रेम, विश्वास एवं कोमलता को भी दर्शाता है।
सफेद रंग को सदा से ही शांति का प्रतीक माना गया है और इसका प्रयोग जीवन तथा समाज में शांति के प्रतीक के रूप में ही किया जाता है। आध्यात्मिक शांति और जीवन में सकारात्मक लाने के लिए भी इस रंग का प्रयोग किया जाता है। सफेद रंग में सभी रंगों के गुण मौजूद हैं और इसे सभी रंगों का जनक माना जाता है। प्रकृति के सभी रंगों को बराबर-बराबर मिलाने से सफेद रंग बनता है। माना जाता है कि होली के दिन इस रंग का प्रयोग किसी भी क्रोधी मन को तुरंत शांत करने में पूरी तरह सफल रहता है।
बैंगनी रंग को वैभव और रचनात्कता से जोड़कर देखा जाता है तथा इसका प्रयोग प्राय: कृतज्ञता प्रकट करने में भी किया जाता है। खुशमिजाजी और सामाजिक सरोकार के प्रतीक नारंगी रंग के प्रयोग से व्यक्ति ज्ञानवान और विचारवान बनता है। खुशियों और मैत्री का संदेश देने वाले इस रंग से मानसिक शक्ति और सामाजिक संबंध मजबूत होते हैं। अंतरिक्ष का प्रतीक काला रंग प्रभुत्व का भी प्रतीक है, क्योंकि समस्त रंग अपना अस्तित्व खोकर इसमें समाहित हो जाते हैं। गुलाबी रंग कोमलता, चंचलता और प्रेम का अहसास कराता है।
इसलिए होली के इस अवसर पर इन रंगों के महत्व और प्रभाव पर अवश्य विचार करें।
Read Full Blog...
पहाड़ आपको लुभाते हों या नहीं लेकिन यह सभी को पता होना चाहिए कि पहाड़ों में जीवन देने की कितनी क्षमता होती है। साथ ही पहाड़ों की शानदार जैव विविधता की महत्ता को समझकर उसके संरक्षण का हर संभव प्रयास करना चाहिए। हमें जो ताजा, पीने योग्य पानी मिलता है, उसका 60 से 80 प्रतिशत पहाड़ों से हासिल होता है। पहाड़ असंख्य जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों को अपनी गोद में आसरा देते हैं। पहाड़ संपूर्ण भूमंडल का 24 प्रतिशत हिस्सा कवर करते हैं और 13 प्रतिशत ग्लोबल जनसंख्या को शरण देते हैं। इन महत्ताओं को जानने के अलावा पहाड़ी सौंदर्य मुझे हमेशा आकृष्ट करता रहा है। पहाड़ खामोश प्रहरी हैं, जो अनेक तरह से हमारी रक्षा करते हैं। पहाड़ों की यात्रा करने का अर्थ है प्रकृति से ऐसे जुड़ना कि अपने ही मन की गहराइयों में उतरने का अवसर मिल जाए।
मैंने भारत के लगभग सभी हिस्सों यानी उत्तरी और दक्षिणी इलाकों में स्थित पहाड़ों की यात्रा की है। हर पर्वत श्रंखला का अपना एक अलग ही आकर्षण होता है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि पहाड़ों की ऊंचाई और भूखंड कैसा है, क्योंकि इन्हीं से वहां का क्लाइमेट, वेजिटेशन और लोगों की जीवनशैली तय होती है। पिछले साल नवंबर में मैं जब उत्तराखंड के पहाड़ों से रूबरू होने गया था तो मैंने विंटरलाइन की मंत्रमुग्ध करने वाली सुंदरता का आनंद लिया, जहां जाड़ों के महीनों में शाम के समय नारंगी-सुनहरा कृत्रिम क्षितिज बन जाता है।
यह दुनिया में सिर्फ दो ही जगह दिखाई देता है-अपने देश के मसूरी में और स्विट्जरलैंड में। इसी तरह जब मैं इस साल जनवरी में हिमाचल प्रदेश में था तो मैंने एल्पेन ग्लो इफेक्ट देखा, जब सूर्य की किरणों के बिखरने से बर्फ से ढंकी चोटियां जलती आग की तरह लाल हो जाती हैं। इन दोनों ही कंडीशंस को समझने के लिए वैज्ञानिक दृष्टि और सिद्धांत तो है ही, लेकिन मुझ जैसे आम घुमक्कड़ के लिए यह प्रकृति का चमत्कार है, शानदार जादू है, जिसे केवल पहाड़ों में ही देखा जा सकता है।
अगर टिहरी में मुझे देवदार के पेड़ों की सोनी-सोनी गंध ने मंत्रमुग्ध किया तो नड्डी के घने जंगलों ने मुझे अचरज से भर दिया। दक्षिण भारत में पहाड़ आमतौर से चाय बागानों का घर होते हैं, जैसे कि ऊटी, कुनोर और मुन्नार में। लेकिन बीच-बीच में ऊंचे सिल्वर ओक और यूकेलिप्टस के पेड़ भी हैं, जिन्हें देखकर ऐसा लगता है जैसे वह नीले आसमान से कुछ राज की बातें सरगोशियों में कर रहे हों।
पहाड़ों की यात्रा करते समय मुझे आमतौर से सीधे, सच्चे, धार्मिक और मिलनसार स्थानीय लोग मिलते हैं, जो पर्यटकों का खुले दिल, खुली बाहों और मुस्कान के साथ स्वागत करते हैं। वे अपनी प्राकृतिक धरोहर पर गर्व करते हैं और पर्यटकों को अपनी भूमि, अपने देवताओं, अपने पशुओं और पहाड़ों के साथ अपने गहरे रिश्तों की दिल को स्पर्श करने वाली कहानियां सुनाते हुए कभी थकते नहीं हैं। मैं अकसर अकेला ही यात्रा करता हूं, इसलिए मैंने स्थानीय लोगों के साथ सुनसान जंगलों, खामोश पहाड़ों में घंटों बिताए हैं, लेकिन कभी भी मैंने परेशानी या असुरक्षा का एहसास तक नहीं किया।
पहाड़ केवल शानदार नजारों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स योग्य तस्वीरों के लिए नहीं होते हैं। पहाड़ों में जीवन जीना कठिन भी होता है। चलना और बुनियादी काम जैसे कुकिंग और खेती के लिए भी जबरदस्त शारीरिक श्रम और स्टैमिना की आवश्यकता होती है। उनका इकोसिस्टम बहुत नाजुक होता है, जिसे संभालने और संरक्षित करने की जरूरत होती है। पहाड़ों पर जब बारिश पड़ती है या बर्फ गिरती है तो एक जगह से दूसरी जगह जाना और चीजों की उपलब्धता चिंता का विषय बन जाते हैं।
प्राकृतिक आपदाएं जैसे फ्लैश फ्लड्स, भू-स्खलन, हिम-स्खलन आदि जीवन को पूरी तरह से रोक देते हैं, जिससे सुरक्षा और जीविकोपार्जन के लिए संकट उत्पन्न हो जाते हैं। अकसर ये आपदाएं मानव-निर्मित भी होती हैं। गैर-जिम्मेदाराना पर्यटन, स्वार्थी कमर्शियल लक्ष्य, बिना सोचे-समझे पेड़ों को काटना, अनियोजित शहरीकरण आदि कारण हैं, जिनसे पहाड़ों और पहाड़ी जीवन को बहुत नुकसान पहुंच रहा है। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और कश्मीर जैसे हिमालय पहाड़ के राज्यों में हाल के वर्षों में जो प्राकृतिक आपदाएं देखने को मिली हैं, वे हमसे सख्ती से कह रही हैं कि प्रकृति में असंतुलन उत्पन्न मत करो वर्ना प्रकृति का गुस्सा बर्दाश्त नहीं कर पाओगे
Read Full Blog...Nature
Read Full Blog...