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Suveta Notiyal

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Blog by Suveta Notiyal | Digital Diary

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ये रहे गोखरू के फायदे


ये रहे गोखरू के फायदे गोखरू के फायदे – विभिन्न रोगों के उपचार के लिए गोक्षुरा का उपयोग किया जाता है। गोक्षुरा के स्वास्थ्य लाभ आगे बताये गए है। 1) हाजमा बढ़ाये गोखरू का काढ़ा हजम शक्ति को मजबूत बनाता है। कमजोर हजम शक्ति वाले लोगों को गोखरू का सेवन करना चाहिए। इससे खाना पचने में आसानी होती है। ३० से ४० मिली गोखरू काढ़ा में ५ ग्राम पीपल का चूर्ण पियें। इससे पाचन-शक्ति बेहतर होती है।   2) म... Read More

ये रहे गोखरू के फायदे

गोखरू के फायदे –

विभिन्न रोगों के उपचार के लिए गोक्षुरा का उपयोग किया जाता है। गोक्षुरा के स्वास्थ्य लाभ आगे बताये गए है।

1) हाजमा बढ़ाये

गोखरू का काढ़ा हजम शक्ति को मजबूत बनाता है। कमजोर हजम शक्ति वाले लोगों को गोखरू का सेवन करना चाहिए। इससे खाना पचने में आसानी होती है। ३० से ४० मिली गोखरू काढ़ा में ५ ग्राम पीपल का चूर्ण पियें। इससे पाचन-शक्ति बेहतर होती है।

 

2) मूत्र विकारों में लाभ

पेशाब करने के दौरान दर्द, पेशाब में जलन व विभिन्न प्रकार के मूत्र रोगों में गोखरू एक शक्तिशाली उपाय है। इसे गाय के दूध में मिलाकर पियें इससे दर्द और जलन दोनों में आराम मिलेगा और उचित पेशाब को भी उत्तेजित करने में मदद करेगा यह हल्का मूत्रवर्धक है जिससे डिसुरिया का भी इलाज होता है इसमें एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते है जो मूत्र संक्रमण को रोकते है।

 

3) पथरी या अश्मरी में

पथरी की समस्या से बहुत से लोग परेशान है गोखरू का सेवन पथरी को प्राकृतिक रूप से बाहर कर देता है ५ ग्राम गोखरू चूर्ण लें इसमें १ चम्मच शहद मिला लें और दिन में ३ बार इसका सेवन करें इसके ऊपर बकरी का दूध पी लें इससे अश्मरी टूटकर निकल जाती है।

 

4) यौन स्वास्थ्य और सहनशक्ति में बढ़ावा

यह पुरुषों के स्वास्थ्य में भी सुधार करने में सहायक है। यह एक तरह का प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट है जो टेस्टोस्टेरोन और ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन का उत्पादन बढ़ाता और उसमें सुधार करता है। स्तंभन दोष और शीघ्रपतन का भी इलाज करता है।

 

इस चूर्ण में शक्तिशाली शुक्राणुजन्य गुण पाए जाते है। यह गुण शुक्राणु उत्पादन को बढ़ाने में सहायक होते है। जो एस्थेनोज़ोस्पर्मिया (यानी शुक्राणु की गतिशीलता), हाइपोस्पर्मिया (वीर्य की कम मात्रा), टेराटोस्पर्मिया (यानी असामान्य शुक्राणु आकार) ओलिगोस्पर्मिया (यानी कम शुक्राणुओं की संख्या) का इलाज करने के लिए बहुत लाभकारी है।

 

5) चर्मरोग में

यह एक तरह का प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट और क्लींजर है। जो उम्र बढ़ने के विभिन्न लक्षणों जैसे : झुर्रियों, काले घेरे, धब्बों, महीन रेखाओं आदि का इलाज करता है। मुंहासों, फुंसियों को भी कम करता है। कई लोगों को त्वचा से संबंधित रोग हो जाते है जिसका कारण है अत्यधिक प्रदूषण।

 

इससे बचने के लिए गोखरू का फल बहुत मदद करता है इसके फल को पानी में मिलाकर पीस लें और चेहरे पर लगाएं या जहाँ भी खुजली और दाद हो रहे हो उस पर लगाएं आपको आराम मिलेगा। इसका दूसरा तरीका है २ चम्मच गोक्षुरा पाउडर, १ चम्मच शहद, २-३ चम्मच गुलाब जल मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें। इसे चेहरे पर लगाएं और १५ मिनट बाद ठंडे पानी से चेहरा धो लें।

6) सिरदर्द में

आज के समय में तनाव इतना बढ़ गया है जिसकी वजह से सिरदर्द होना सामान्य है। कई लोग सिरदर्द से परेशान है। इसके लिए १० से २० मिली गोखरू काढ़ा सुबह-शाम पियें। पित्त के बढ़ जाने से सिरदर्द होने पर इसमें आराम मिलेगा।

 

7) दस्त रोकने में

यदि आपको दस्त लग गए है और ठीक नहीं हो रहे तो गोखरू का सेवन करें। ५०० मिग्रा गोक्षुरफल चूर्ण को मट्ठे के साथ खाना है। इसे दिन में २ बार खाएं इससे अतिसार और आमातिसार ठीक हो जाता है।

 

8) पीसीओएस का इलाज

पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम) एक आम समस्या हो गई है। इस समस्या के पीछे हार्मोंस का असंतुलन है। जिसके कारण वजन का बढ़ना, पीरियड्स, बालों का झड़ना, मुंहासे आदि हो जाते हैं। पीसीओएस की वजह से गर्भधारण में बहुत कठिनाई आती है।

 

गोखरू एक सक्रिय मूत्रवर्धक है। जिसका सेवन करने से सिस्ट से अतिरिक्त पानी बाहर हो जाता है। इससे उसका आकार भी कम हो जाता है। गोखरू महिला प्रजनन अंगों को बढ़ावा देता है, रक्त में हार्मोनल स्तर बनाए रखता है और अंडों की परिपक्वता को रोम में बढ़ाता है इतना फायदेमंद है गोखरू।

 

9) दमा में राहत

बहुत से लोगों में दमा की बिमारी हो रही है इसमें गोखरू का सेवन करना फायदेमंद होता है। गोखुर के फल चूर्ण को २ ग्राम की मात्रा में लें। इसे २-३ सूखे अंजीर के साथ इसका दिन में ३ बार सेवन करें। नियमित रूप से सेवन करने पर दमा में राहत मिलेगी। गोक्षुर तथा अश्वगंधा बराबर मात्रा में लें। इसमें २ चम्मच शहद मिला लें। इसे २५० मिली दूध के साथ दिन में २ बार आपको सेवन करना है। इससे कमजोरी और सांस से जुड़ी समस्या में आराम होगा।

 

10) कार्डियक फंक्शनिंग को बढ़ावा

यह एंटीऑक्सीडेंट की प्रकृति से भरपूर होता है जिससे की हृदय रोगों का इलाज करने में फॉर्मूलेशन बहुत प्रभावी है। गोक्षुरा हृदय की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। रक्त वाहिकाओं में लिपिड के गठन को रोकता है। गोक्षुरा में बायोएक्टिव घटक मौजूद होते है।

 

जो गैर-एस्ट्रिफ़ाइड फैटी एसिड (एनईएफए) का स्तर भी कम करता है। जिसके कारण कई तरह की बीमारी स्ट्रोक, दिल के दौरे, रक्त के थक्के इस तरह के जोखिम कम हो जाते है। रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी बनाकर रखता है।

11) दर्द से दे मुक्ति

गोक्षुरा में एंटी इंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक गुण होते है। जिससे की यह दर्द और सूजन से राहत देने का कार्य करता है। इस कारण रूमेटोइड गठिया और ऑस्टियोआर्थराइटिस के दर्द को कम करने के लिए इसका व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है।

 

12) चिंता और अवसाद के लिए

गोक्षुरा में मौजूद सैपोनिन के कारण सीरम कोर्टिसोल का स्तर कम हो जाता है। जिससे की यह चिंता और अवसाद के इलाज में काम आने वाली औषधि है। गोखरू एक प्रभावी चिंताजनक और अवसादरोधी दवा के रूप में उपयोग की जाती है। यह सभी आयु वर्ग पर अपना प्रभाव दिखाती है। चिंता और अवसाद से ग्रसित लोगों को इसका सेवन करना चाहिए।

13) मस्तिष्क के कामकाज को बढ़ावा

गोक्षुरा चूर्ण मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को बढ़ाने का एक प्राकृतिक उपाय है। इसमें शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट होते है जो किसी व्यक्ति मानसिक विकास जैसे : सतर्कता में सुधार, ध्यान, स्मृति क्षमता, शांति, एकाग्रता को बढ़ाने में सहायक है। गोक्षुरा चूर्ण का नियमित सेवन समस्या-समाधान, तर्क, याददाश्त और अन्य संज्ञानात्मक क्षमताओं में सुधार करता है। मानसिक स्थितियों के उपचार में यह बहुत फायदेमंद है। अपने मस्तिष्क की क्षमता को बढ़ाने के लिए गोक्षुरा का जरूर सेवन करें।

 

14) लो स्पर्म काउन्ट में

जिन पुरुषों को लो स्पर्म काउन्ट की समस्या है उन्हें गोखरू किसी ना किसी रूप में लेना चाहिए। तो जो पुरुष पिता बनने का सुख नहीं ले पा रहे है उनके लिए गोखरू बहुत लाभदायक होता है। २० ग्राम गोखरू के फलों को २५० मिली दूध में उबाल लें। इसे सुबह-शाम पियें इससे स्पर्म या वीर्य से संबंधी समस्याएं कम होती है और उसमें आराम भी मिलता है। स्पर्म का काउन्ट और क्वालिटी बढ़ाने के लिए १० ग्राम गोखरू और १० ग्राम शतावर को २५० मिली दूध में मिलाकर पिएं। आपकी शारीरिक शक्ति भी बढ़ जाएगी और कमजोरी खत्म हो जाएगी।

 

15) गर्भाशय शूल या यूटेरस के दर्द में

जिन महिलाओं को गर्भाशय में दर्द होता है या किसी वजह से दर्द हो रहा है तो गोखरू का नियमित रूप से सेवन बहुत लाभदायक होता है। इसके लिए ५ ग्राम काली किशमिश, ५ ग्राम गोखरू फल, २ ग्राम मुलेठी इन सभी को मिलाकर पीस लें और सुबह-शाम इसका सेवन करें। इससे गर्भाशय के दर्द से मुक्ति मिलेगी।

 

16) आमवात या रूमाटाइड के दर्द में आराम

उम्र का असर तो शरीर पर होता ही है जिसका सबसे ज्यादा असर जोड़ो में होता है। जोड़ो के दर्द से मुक्ति पाने के लिए गोखरू फल में बराबर की मात्रा में सोंठ चतुर्थांश का काढ़ा बनाकर सेवन करने से जोड़ो के दर्द, कमर दर्द में आराम होता है रोज सुबह- शाम इसका सेवन करें।

 

17) कामेच्छा को बढ़ाने में

गोक्षुरा कामोद्दीपक प्रकृति का होता है। जो मानसिक तनाव और चिंता कम करता है। जिससे की मन शांत रहता है। यह कामेच्छा बढ़ाने वाले हार्मोन को उत्तेजित करता है। यह महिला और पुरुष दोनों में ही कामेच्छा को बढ़ाता है और महिला व पुरुष दोनों की ही प्रजनन क्षमता में सुधार करता है। पुरुषों के लिए भी यह बहुत फायदेमंद है यह पौरूषशक्ति और सहनशक्ति को बढ़ाता है।

 

18) शरीर सौष्ठव के लिए

गोक्षुरा मांसपेशियों की ताकत को बढ़ाता है और शरीर की संरचना में सुधार करता है। अगर आप बॉडी बिल्डर है तो यह शरीर की ताकत को बढ़ाने और वजन बढ़ाने में मदद करता है। जो लोग अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाना चाहते है उन्हें इसका सेवन करना शुरू कर देना चाहिए क्योंकि कुछ लोग स्टेरॉयड का विकल्प चुनते हैं। जिसका लम्बे समय तक सेवन करने से यह नुकसानदायक हो सकता है। गोक्षुरा एक प्राकृतिक जड़ी बूटी है जो बिना नुकसान लाभ पहुँचाती है।

 

19) कान-नाक से खून बहना

यदि कान-नाक से खून बह रहा हो तो गोखरू का इस तरह से सेवन करना चाहिए। १० ग्राम गोखुर लें उसे २५० मिली दूध में उबाल लें। इसे पिएं रक्तपित्त में लाभ होगा।

 

20) बुखार में

मौसम बदलने की वजह से बुखार आना सामान्य है। ऐसे में गोखरू का सेवन फायदेमंद होता है। १५ ग्राम गोखरू पञ्चाङ्ग लें। इसे २५० मिली पानी में उबाल लें और इसका काढ़ा तैयार कर लें। इस काढ़े का दिन में ४ बार सेवन करें इससे बुखार उतर जाएगा।

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बड़ा गोखरू क्या है?


बड़ा गोखरू क्या है? गोखरू या 'गोक्षुर'भूमि पर फ़ैलने वाला छोटा प्रसरणशील क्षुप है जो कि आषाढ़ और श्रावण मास मे प्राय हर प्रकार की जमीन या खाली जमीन पर उग जाता है। पत्र खंडित और फूल पीले रंग के आते हैं, फल कंटक युक्त होते हैं, बाजार मे गोखरु के नाम से इसके बीज मिलते हैं। उत्तर भारत मे, हरियाणा, राजस्थान मे यह बहुत मिलता है। इसमें चने के आकार के कड़े और कँटीले फल लगते हैं। ये फल ओषिधि के काम... Read More

बड़ा गोखरू क्या है?

गोखरू या 'गोक्षुर'भूमि पर फ़ैलने वाला छोटा प्रसरणशील क्षुप है जो कि आषाढ़ और श्रावण मास मे प्राय हर प्रकार की जमीन या खाली जमीन पर उग जाता है। पत्र खंडित और फूल पीले रंग के आते हैं, फल कंटक युक्त होते हैं, बाजार मे गोखरु के नाम से इसके बीज मिलते हैं। उत्तर भारत मे, हरियाणा, राजस्थान मे यह बहुत मिलता है।

इसमें चने के आकार के कड़े और कँटीले फल लगते हैं। ये फल ओषिधि के काम में आते हैं और वैद्यक में इन्हें शीतल, मधुर, पुष्ट, रसायन, दीपन और काश, वायु, अर्श और ब्रणनाशक कहा है। यह फल बड़ा और छोटा दो प्रकार का होता है। कहीं कहीं गरीब लोग इसके बीजों का आटा बनाकर खाते हैं।

 

यह शीतवीर्य, मुत्रविरेचक, बस्तिशोधक, अग्निदीपक, वृष्य, तथा पुष्टिकारक होता है। विभिन्न विकारो मे वैद्यवर्ग द्वारा इसको प्रयोग किया जाता है। मुत्रकृच्छ, सोजाक, अश्मरी, बस्तिशोथ, वृक्कविकार, प्रमेह, नपुंसकता, ओवेरियन रोग, वीर्य क्षीणता मे इसका प्रयोग किया जाता है।

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ताकतवर और सेहतमंद बनने के लिए वरदान है ये 5 जड़ी बूटिया


ताकतवर और सेहतमंद बनने के लिए वरदान है ये 5 जड़ी बूटिया भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद शरीर में हर प्रकार के रोगों का इलाज जड़ी-बूटी और प्राकृतिक उपचार के माध्यम से करने के लिए जानी जाती है. आज हम आपको 5 ऐसी आयुर्वेदिक ताकतवर जड़ी-बूटियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके सेवन से आपकी जीवन शक्ति में सुधार आएगा। जंगलों में मिलने वाली इन जड़ी-बूटियों में शारीरिक क्षमता बढ़ाने व किसी भी प... Read More

ताकतवर और सेहतमंद बनने के लिए वरदान है ये 5 जड़ी बूटिया

भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद शरीर में हर प्रकार के रोगों का इलाज जड़ी-बूटी और प्राकृतिक उपचार के माध्यम से करने के लिए जानी जाती है. आज हम आपको 5 ऐसी आयुर्वेदिक ताकतवर जड़ी-बूटियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके सेवन से आपकी जीवन शक्ति में सुधार आएगा।

जंगलों में मिलने वाली इन जड़ी-बूटियों में शारीरिक क्षमता बढ़ाने व किसी भी प्रकार के रोग को दूर करने की ताकत होती है. अश्वगंधा, पहाड़ी इमली, विदारीकंद, बड़े गोखरू और कौंच का बीज, ये वो 5 जड़ी-बूटी हैं, जो आपके शरीर में बेहद ताकत, थकान जैसी समस्या को दूर करती हैं. इनमें हर जड़ी-बूटी अपने विशेष गुणों के लिए जानी जाती है।

इन पांच जड़ी बूटियां के बारे मे जानना है तो देखें आगे के ब्लॉग 

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ये है कुछ प्राकृतिक आपदाओं के 10 प्रकार इन्हें जानना बहुत जरूरी है


ये है कुछ प्राकृतिक आपदाओं के 10 प्रकार इन्हें भी जान लो  प्राकृतिक आपदाएँ क्या हैं? प्राकृतिक आपदा प्रकृति के कारण होने वाली अचानक और चरम घटना है जो लोगों को क्षति पहुंचा सकती है।   उदाहरणों में भूकंप, तूफान, बवंडर, बाढ़, जंगल की आग, ज्वालामुखी विस्फोट और सुनामी शामिल हैं।   इन घटनाओं के समुदायों और पर्यावरण पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं।   आज हम सभी 10 प्रकार की प्राकृतिक आपदाओ... Read More

ये है कुछ प्राकृतिक आपदाओं के 10 प्रकार इन्हें भी जान लो 

प्राकृतिक आपदाएँ क्या हैं?

प्राकृतिक आपदा प्रकृति के कारण होने वाली अचानक और चरम घटना है जो लोगों को क्षति पहुंचा सकती है।   उदाहरणों में भूकंप, तूफान, बवंडर, बाढ़, जंगल की आग, ज्वालामुखी विस्फोट और सुनामी शामिल हैं।   इन घटनाओं के समुदायों और पर्यावरण पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं।   आज हम सभी 10 प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं पर चर्चा करेंगे।

​​​​​​1. तूफान

तूफ़ान एक प्रकार का उष्णकटिबंधीय तूफ़ान है, लेकिन यह बहुत ज़्यादा शक्तिशाली होता है। यह एक विशाल, घूमता हुआ तूफ़ान है जो गर्म समुद्री पानी के ऊपर बनता है।

 

तूफानों में शक्तिशाली हवाएं होती हैं जो चीजों को उड़ा देती हैं, भारी बारिश बाढ़ का कारण बनती है, तथा तूफानी लहरें तटीय क्षेत्रों में बाढ़ ला देती हैं। 

 

मौसम विज्ञानी उन्हें उनकी वायु गति के आधार पर श्रेणियों में वर्गीकृत करते हैं, जिसमें श्रेणी 5 सबसे शक्तिशाली है।

2. बवंडर

जब बड़े तूफ़ान के दौरान गर्म और ठंडी हवा आपस में टकराती है तो बवंडर बनते हैं। यह टक्कर हवा को एक चक्र में घूमने के लिए मजबूर कर सकती है।

 

जब बवंडर आता है, तो वह अत्यंत विनाशकारी हो सकता है, एक शक्तिशाली विशाल वैक्यूम क्लीनर की तरह जो अपने रास्ते में आने वाली हर चीज को सोख लेता है।

 

बवंडर की कल्पना हवा और बादलों की एक लंबी, घुमावदार नली के रूप में करें जो आसमान से ज़मीन तक पहुँचती है। इस घूमती हुई नली के अंदर, हवा इतनी तेज़ हो सकती है कि वह घरों, कारों और पेड़ों को उठाकर खिलौनों की तरह इधर-उधर फेंक सकती है।

बवंडर प्राकृतिक आपदाएँ हैं क्योंकि वे बहुत नुकसान पहुँचा सकते हैं और लोगों के लिए बहुत खतरनाक होते हैं। वे ऐसी चीज़ नहीं हैं जिन्हें हम नियंत्रित या रोक सकते हैं, लेकिन हम मौसम की चेतावनियों को सुनकर और आश्रय लेकर सुरक्षित रहने की कोशिश कर सकते हैं।

3. ज्वालामुखी

ज्वालामुखी पृथ्वी की गहराई से गर्म पिघली हुई चट्टान, राख और गैसों का निर्माण करते हैं। वे किसी छिद्र से बाहर निकल सकते हैं, जिससे अक्सर विस्फोट होता है।

 

वे आम तौर पर वहाँ होते हैं जहाँ दो प्लेट टेक्टोनिक सीमाएँ मिलती हैं जैसे कि रिंग ऑफ़ फायर । लेकिन वे सबडक्शन ज़ोन, हॉट स्पॉट और मध्य-महासागरीय कटकों पर भी हो सकते हैं।

 

ज्वालामुखी से पृथ्वी की आंतरिक गर्मी और गतिविधि के कारण लावा और राख निकल सकती है। ज्वालामुखी के सभी भाग जैसे लावा बम और लाहर आसपास के क्षेत्रों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। 

4. भूकंप

भूकंप तब आता है जब पृथ्वी की सतह में अचानक ऊर्जा निकलती है। इससे भूकंपीय तरंगें पैदा होती हैं , जिससे ज़मीन हिलने लगती है।

 

ऊर्जा का यह उत्सर्जन पृथ्वी की सतह के नीचे टेक्टोनिक प्लेटों की गति के कारण होता है ।

 

भूकंप का आकार और तीव्रता अलग-अलग हो सकती है, छोटे भूकंप जिन्हें नोटिस करना मुश्किल होता है से लेकर बड़े भूकंप जो इमारतों और परिदृश्यों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

 

इनसे आफ्टरशॉक भी आ सकते हैं , जो मुख्य भूकंप के बाद आने वाले छोटे झटके होते हैं।

5. सुनामी

सुनामी एक बहुत बड़ी समुद्री लहर है जो बहुत विनाशकारी हो सकती है। यह तब होता है जब कोई बड़ी चीज़, जैसे कि समुद्र के अंदर भूकंप, समुद्र तल को हिला देती है।

 

इस गड़बड़ी से भारी मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है, जिससे समुद्र में शक्तिशाली लहरें फैलती हैं।

 

जैसे-जैसे ये लहरें उथले तटीय क्षेत्रों के पास पहुंचती हैं, उनकी ऊंचाई और गति बढ़ जाती है, जिससे तट पर पहुंचने पर भारी बाढ़ आ जाती है।

 

सुनामी बहुत खतरनाक हो सकती है और तटीय क्षेत्रों में भारी क्षति और जान-माल की हानि का कारण बन सकती है।

 

6. सूखा

 

सूखा किसी विशेष क्षेत्र में असामान्य रूप से कम वर्षा की एक लंबी अवधि है। इससे पानी की कमी हो सकती है और पर्यावरण और कृषि पर असर पड़ सकता है।

 

सूखे की स्थिति में लोगों, पौधों और जानवरों के लिए पर्याप्त पानी नहीं होता। इससे मिट्टी सूख जाती है, फसल कम उगती है और समुदायों के लिए पानी की कमी हो जाती है।

 

सूखे से पारिस्थितिकी तंत्र पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ सकता है तथा पानी पर निर्भर लोगों का जीवन कठिन हो सकता है। 

7. भूस्खलन

भूस्खलन मिट्टी, चट्टानों या यहां तक कि भूमि के पूरे टुकड़े का अचानक नीचे की ओर खिसकना है ।

 

ऐसा भारी वर्षा, भूकंप या अन्य कारकों के कारण हो सकता है जो जमीन को अस्थिर बनाते हैं।

 

भूस्खलन धीमा और क्रमिक हो सकता है, या यह बहुत तेज़ और विनाशकारी भी हो सकता है ।

 

वे अक्सर प्रभावित क्षेत्र में घरों, सड़कों और प्राकृतिक परिदृश्य को नुकसान पहुंचाते हैं।

8. जंगल की आग

वन अग्नि, जिसे वन्य अग्नि भी कहा जाता है, वह घटना है जब किसी जंगल में अचानक आग लग जाती है और वह तेजी से आसपास के क्षेत्र में फैल जाती है।

 

यह तेजी से फैलने वाली, अनियंत्रित आग है जो जंगलों, घास के मैदानों या जंगली इलाकों में लगती है। आग बिजली, मानवीय गतिविधियों या यहाँ तक कि ज्वालामुखी विस्फोट से भी लग सकती है ।

 

जंगल की आग से बहुत नुकसान हो सकता है। वे पेड़, पौधे और वन्यजीवों को जला देते हैं। लेकिन वे आस-पास के समुदायों और पर्यावरण को भी खतरे में डाल सकते हैं। अग्निशामक दल इन आग को नियंत्रित करने और बुझाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं ताकि इनका प्रभाव कम से कम हो।

9. बाढ़

सूखी ज़मीन पर पानी के बहने को बाढ़ कहते हैं । बाढ़ भारी बारिश, पिघलती बर्फ़ या नदियों, झीलों या समुद्रों के बढ़ने के कारण आ सकती है। 

 

बाढ़ धीमी और क्रमिक हो सकती है, या वे कारण के आधार पर तेज़ी से आ सकती हैं। वे घरों, सड़कों और कृषि भूमि को नुकसान पहुंचा सकती हैं और बहुत खतरनाक हो सकती हैं।

 

एक उपश्रेणी है फ्लैश फ्लड, जो पानी का अचानक और अप्रत्याशित प्रवाह है । फ्लैश फ्लड बहुत खतरनाक होते हैं क्योंकि वे अचानक आते हैं और तेज़ गति से बहने वाला पानी मलबे को अपने साथ ले जा सकता है, जिससे लोगों और संपत्ति को खतरा हो सकता है।

10. टाइफून

 

टाइफून मूलतः हरिकेन जैसा ही है, लेकिन पश्चिमी प्रशांत महासागर और दक्षिण चीन सागर में इसे टाइफून कहा जाता है।

 

विश्व के अन्य भागों में, जैसे अटलांटिक महासागर और उत्तर-पूर्वी प्रशांत महासागर में, हम इन शक्तिशाली तूफानों को हरिकेन कहते हैं। 

 

टाइफून और हरिकेन बड़े उष्णकटिबंधीय तूफान हैं जिनमें तेज़ हवाएँ और भारी बारिश होती है जो बहुत नुकसान पहुँचा सकती है। ये आम तौर पर तटीय इलाकों में आते हैं।

प्राकृतिक आपदाओं के 10 प्रकार

प्राकृतिक आपदाएँ शक्तिशाली और प्रायः विनाशकारी घटनाएँ होती हैं जो प्रकृति की शक्तियों के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती हैं। 

 

इनमें तूफान, टाइफून, चक्रवात, ज्वालामुखी, भूकंप, सुनामी, सूखा, भूस्खलन, जंगल की आग और बाढ़ सहित कई प्रकार की घटनाएं शामिल हैं।

 

इन घटनाओं से समुदायों और पर्यावरण को भारी क्षति पहुंचने की संभावना है।

हम प्रकृति को समझकर और उचित उपाय करके विनाश और नुकसान को कम कर सकते हैं।

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आप जान सकते हैं प्राकृतिक आपदा और जोखिम के बारे में


प्राकृतिक आपदा जोखिम क्या है? प्राकृतिक आपदा तब जोखिम पैदा करती है जब यह उन चीजों को प्रभावित करती है जिनका हम मूल्य समझते हैं, जैसे हमारा स्वास्थ्य, संपत्ति और बुनियादी ढांचा, संस्कृति और विरासत, अर्थव्यवस्था और प्राकृतिक पर्यावरण। जोखिम की मात्रा और हम उसका प्रबंधन कैसे करते हैं, यह इस पर निर्भर करता है: प्राकृतिक खतरे का आकार, स्थान और संभावना हमारा एक्सपोजर हमारी भेद्यता. हमारा जोखिम उन चीज़ों... Read More

प्राकृतिक आपदा जोखिम क्या है?

प्राकृतिक आपदा तब जोखिम पैदा करती है जब यह उन चीजों को प्रभावित करती है जिनका हम मूल्य समझते हैं, जैसे हमारा स्वास्थ्य, संपत्ति और बुनियादी ढांचा, संस्कृति और विरासत, अर्थव्यवस्था और प्राकृतिक पर्यावरण।

जोखिम की मात्रा और हम उसका प्रबंधन कैसे करते हैं, यह इस पर निर्भर करता है:

प्राकृतिक खतरे का आकार, स्थान और संभावना

हमारा एक्सपोजर

हमारी भेद्यता.

हमारा जोखिम उन चीज़ों के प्रकार और स्थान से निर्धारित होता है जिन्हें हम महत्व देते हैं। उदाहरण के लिए, किसी क्षेत्र में कितने लोग रहते हैं या काम करते हैं, या उस क्षेत्र में कौन सा महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा स्थित है।

 

हमारी कमज़ोरी यह संभावना है कि प्राकृतिक आपदा के संपर्क में आने पर हमारी मूल्यवान चीज़ें क्षतिग्रस्त हो जाएँगी या प्रभावित होंगी। कुछ चीज़ों के क्षतिग्रस्त होने की संभावना दूसरों की तुलना में ज़्यादा होती है। उदाहरण के लिए, कई मंज़िल वाली इमारत एक मंज़िल वाली इमारत की तुलना में भूकंप से हिलने के प्रति ज़्यादा संवेदनशील हो सकती है।

 

प्राकृतिक आपदा जोखिम का परिचय

 

न्यूजीलैंड में हम व्यक्तिगत, सामुदायिक, स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक सभी स्तरों पर प्राकृतिक आपदा जोखिम का प्रबंधन करते हैं। हमारा लक्ष्य नए जोखिम के निर्माण को रोकना, मौजूदा जोखिम को कम करना और किसी भी अवशिष्ट (शेष) जोखिम का प्रबंधन करना है।

जोखिम प्रबंधन विकल्पों पर निर्णय लेने के लिए व्यक्ति, समुदाय और स्थानीय सरकार सबसे बेहतर स्थिति में हैं। ये समूह अपने क्षेत्र को समझते हैं और भूमि-उपयोग नियोजन और भवन विनियमन के माध्यम से लचीले विकास और विकास को प्रभावित कर सकते हैं।

राष्ट्रीय जोखिम न्यूनीकरण नीतियों, कार्यक्रमों और सरकारी सेवाओं का उद्देश्य स्थानीय सरकार, व्यवसायों और व्यक्तियों को व्यक्तिगत और सामुदायिक स्तर पर जोखिम कम करने में सहायता करना है।

प्रशांत महासागर में एओटेरोआ का स्थान हमें कई प्रकार के प्राकृतिक खतरों के प्रति उजागर करता है, जिनमें भूकंप, सुनामी, भूस्खलन, ज्वालामुखी गतिविधि, जलतापीय गतिविधि, तूफान और बाढ़ शामिल हैं।

जिन शक्तियों ने हमारे सुंदर परिदृश्यों का निर्माण किया है, वे ही इन खतरों को सामान्य बना सकती हैं।

हालांकि ये खतरे डरावने हो सकते हैं, लेकिन हम इनके साथ रह सकते हैं और काम कर सकते हैं, और सैकड़ों सालों से ऐसा करते आ रहे हैं। इनके संभावित प्रभावों को समझकर और जोखिम को कम करने तथा लचीलापन बनाने के लिए मिलकर काम करके, हम प्राकृतिक आपदा की घटना के लिए तैयार रह सकते हैं।

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पानी का महत्व क्या है जाने इस ब्लॉग में


पानी का महत्व– पानी का महत्व अत्यधिक है। यह हमारे जीवन के लिए अनिवार्य है क्योंकि हमारे शरीर के लिए अत्यंत आवश्यक है। हमारे शरीर के सार्वभौमिक कार्यों के लिए पानी की आवश्यकता होती है, जैसे कि पाचन, ऊर्जा उत्पादन, और तापमान का संतुलन।   स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। सही मात्रा में पानी पीना हमें रोगों से बचाता है, मुख्य अंतःस्थलों को साफ रखता है और त्वचा और बालों के लिए भी अच्छा... Read More

पानी का महत्व–

पानी का महत्व अत्यधिक है। यह हमारे जीवन के लिए अनिवार्य है क्योंकि हमारे शरीर के लिए अत्यंत आवश्यक है। हमारे शरीर के सार्वभौमिक कार्यों के लिए पानी की आवश्यकता होती है, जैसे कि पाचन, ऊर्जा उत्पादन, और तापमान का संतुलन।

 

स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। सही मात्रा में पानी पीना हमें रोगों से बचाता है, मुख्य अंतःस्थलों को साफ रखता है और त्वचा और बालों के लिए भी अच्छा है।

 

पानी एक मूल्यवान और व्यक्तिगत संसाधन है जो जल्दी से खत्म हो सकता है। हमें जल संरक्षण का ध्यान रखना चाहिए ताकि भविष्य में इसकी कमी न हो।

 

पानी का उपयोग हमारे पर्यावरण के लिए भी महत्वपूर्ण है। जल के सही उपयोग से हम प्राकृतिक संतुलन को बनाए रख सकते हैं और जलवायु परिवर्तन से निपट सकते हैं।

 

कुल मिला कर पानी हमारे जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है इसलिए हमें इसका सावधानी से उपयोग करना चाहिए और इसकी संरक्षण करना चाहिए।

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प्रकृति का दोहन रोके बिना नहीं हो सकती पृथ्वी की सुरक्षा


प्रकृति का दोहन रोके बिना नहीं हो सकती पृथ्वी की सुरक्षा प्रकृति का दोहन रोके बगैर पृथ्वी की सुरक्षा नहीं की जा सकती है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण कई तरह के खतरे मंडरा रहे है। वैज्ञानिकों के द्वारा इसको लेकर सचेत भी किया जा रहा है। उनके संदेशों का सार यही है कि प्रकृति का बेतरतीब दोहन रोकी जाए, पर इसका असर कितना पड़ रहा है इसका अंदाजा आप अगल-बगल झांक कर भी लगा सकते हैं। किन-किन स्तर पर होता है प्रकृत... Read More

प्रकृति का दोहन रोके बिना नहीं हो सकती पृथ्वी की सुरक्षा

प्रकृति का दोहन रोके बगैर पृथ्वी की सुरक्षा नहीं की जा सकती है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण कई तरह के खतरे मंडरा रहे है।

वैज्ञानिकों के द्वारा इसको लेकर सचेत भी किया जा रहा है। उनके संदेशों का सार यही है कि प्रकृति का बेतरतीब दोहन रोकी जाए, पर इसका असर कितना पड़ रहा है इसका अंदाजा आप अगल-बगल झांक कर भी लगा सकते हैं।

किन-किन स्तर पर होता है प्रकृति का दोहन

प्रकृति का दोहन का मतलब लोग आमतौर पर पेड़ की कटाई से ही ले लेते हैं। जबकि इसके दायरे बड़े हैं। रासायनिक खाद के उपयोग, कीट नाशक दवा के अंधाधुंध छिड़काव, कारखानों के उत्सर्जित कचरों के प्रबंधन में लापरवाही भी प्रकृति के दोहन के रूप में मानी जाती है। जलाशय की सुरक्षा भी इसमें शामिल किये गये हैं। हालात ऐसे बनते जा रहे हैं कि जलाशय या तो सूख रहे या जलकुंभी से भर जा रहे हैं। ऐसे में सैलानी पक्षियों का आना भी बंद हुआ जा रहा हैं। जिले के उधवा झील जहां विदेशी पक्षी बड़ी तादाद में आया करते थे।

आज पहले के अपेक्षा विदेशी पक्षियों के आगमन में काफी कमी आई है। कीटनाशक के अंधाधुंध प्रयोग से गिद्ध ऐसे पक्षी का अब दर्शन दुर्लभ हो गया है। जबकि गिद्ध पर्यावरण सुरक्षा में सबसे बड़ा मददगार रहा है। लगातार हो रहे राजमहल की पहाड़ियों के पत्थर उत्खनन, अंधाधुध पेड़ों की कटाई के कारण इस क्षेत्र में वर्षा में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। वहीं गर्मी में लगातार बढ़ोतरी, जल स्तर में गिरावट पहले के अपेक्षा झरने का सूखना, जंगलों में पशु, पक्षी, जानवरों के लगातार शिकार के कारण पृथ्वी का असंतुलन बिगड़ता जा रहा है। लगातार भूकंप के झटके मानव जाति के लिए खतरे की ओर इशारा करती है। आज सिर्फ भारत ही नहीं पूरा विश्व इससे अछूता नहीं। कई देश आज पर्यावरण आपदा से संघर्ष करता दिख रहा है।

प्रदूषण को रोकने को लेकर वैसे तो बड़े-बड़े संयंत्र लगाये जा रहे हैं। पर पेड़ लगाने से बेहतर कुछ नहीं। सच पूछिए तो इस मामले में हमारे पूर्वज हमसे आगे चल रहे थे। तुलसी व पीपल पेंड़ की रक्षा को लेकर ही इसे धार्मिक रूप दिया गया। क्योंकि पेंड़ पौधे सबसे अधिक आक्सीजन छोड़ने वाले हैं। इसी प्रकार अन्य पौधे सबसे अधिक आक्सीजन देते हैं। हम हरे पेंड़ काट देते हैं। सरकार ने हरे पेड़ की कटाई पर रोक लगाई है। वृक्षारोपण चला कर जन सहयोग से ही प्रर्यावरण दोहन से रोका जा सकता है।

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प्रकृति और पर्यावरण में क्या अंतर हो सकता है?


प्रकृति" और "पर्यावरण" शब्दों का प्रयोग अक्सर एक दूसरे के स्थान पर किया जाता है, लेकिन उनके अर्थ अलग-अलग हैं:   प्रकृति परिभाषा : भौतिक दुनिया और इसकी घटनाओं को संदर्भित करता है, जिसमें सभी जीवित जीव (पौधे, जानवर, कवक) और गैर-जीवित तत्व (चट्टानें, पानी, हवा) शामिल हैं। क्षेत्र : इसमें पारिस्थितिकी तंत्र, जैव विविधता और प्राकृतिक प्रक्रियाएं जैसे विकास, मौसम और भूवैज्ञानिक परिवर... Read More

प्रकृति" और "पर्यावरण" शब्दों का प्रयोग अक्सर एक दूसरे के स्थान पर किया जाता है, लेकिन उनके अर्थ अलग-अलग हैं:

 

प्रकृति

परिभाषा : भौतिक दुनिया और इसकी घटनाओं को संदर्भित करता है, जिसमें सभी जीवित जीव (पौधे, जानवर, कवक) और गैर-जीवित तत्व (चट्टानें, पानी, हवा) शामिल हैं।

क्षेत्र : इसमें पारिस्थितिकी तंत्र, जैव विविधता और प्राकृतिक प्रक्रियाएं जैसे विकास, मौसम और भूवैज्ञानिक परिवर्तन शामिल हैं।

फोकस : अक्सर प्राकृतिक दुनिया के आंतरिक गुणों पर जोर दिया जाता है, जिसमें इसकी सुंदरता, जटिलता और प्रजातियों के बीच अंतर्संबंध शामिल हैं।

 

पर्यावरण

परिभाषा : उन आस-पास की स्थितियों को संदर्भित करता है जिसमें एक जीव रहता है, जिसमें प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों तत्व शामिल हैं।

क्षेत्र : इसमें भौतिक तत्व (जैसे वायु, जल और भूमि), सामाजिक कारक (जैसे संस्कृति और समुदाय) और आर्थिक स्थितियाँ (जैसे उद्योग और शहरी विकास) शामिल हैं।

फोकस : अक्सर मानव और प्राकृतिक दुनिया के बीच अंतःक्रियाओं पर जोर दिया जाता है, जिसमें प्रदूषण, संरक्षण और स्थिरता जैसे मुद्दे शामिल होते हैं।

 

सारांश

संक्षेप में, प्रकृति एक व्यापक अवधारणा है जो प्राकृतिक दुनिया और उसकी प्रक्रियाओं पर ध्यान केंद्रित करती है, जबकि पर्यावरण में प्राकृतिक और मानवजनित (मानव निर्मित) दोनों तत्व शामिल हैं जो जीवित जीवों को प्रभावित करते हैं। पारिस्थितिकी, संरक्षण और स्थिरता से संबंधित चर्चाओं के लिए अंतर को समझना महत्वपूर्ण है।

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ये है प्राकृतिक पर्यावरण


प्राकृतिक पर्यावरण या प्राकृतिक दुनिया प्राकृतिक पर्यावरण या प्राकृतिक दुनिया में प्राकृतिक रूप से होने वाली सभी जीवित और निर्जीव चीजें शामिल हैं, जिसका अर्थ है कि इस मामले में कृत्रिम नहीं। यह शब्द अक्सर पृथ्वी या पृथ्वी के कुछ हिस्सों पर लागू होता है। इस वातावरण में सभी जीवित प्रजातियों, जलवायु, मौसम और प्राकृतिक संसाधनों की परस्पर क्रिया शामिल है जो मानव अस्तित्व और आर्थिक गतिविधि को प्रभावित क... Read More

प्राकृतिक पर्यावरण या प्राकृतिक दुनिया

प्राकृतिक पर्यावरण या प्राकृतिक दुनिया में प्राकृतिक रूप से होने वाली सभी जीवित और निर्जीव चीजें शामिल हैं, जिसका अर्थ है कि इस मामले में कृत्रिम नहीं। यह शब्द अक्सर पृथ्वी या पृथ्वी के कुछ हिस्सों पर लागू होता है। इस वातावरण में सभी जीवित प्रजातियों, जलवायु, मौसम और प्राकृतिक संसाधनों की परस्पर क्रिया शामिल है जो मानव अस्तित्व और आर्थिक गतिविधि को प्रभावित करते हैं।[1] प्राकृतिक पर्यावरण की अवधारणा को घटकों के रूप में प्रतिष्ठित किया जा सकता है:

 

० पूर्ण पारिस्थितिक इकाइयाँ जो बड़े पैमाने पर सभ्य मानव हस्तक्षेप के बिना प्राकृतिक प्रणालियों के रूप में कार्य करती हैं, जिसमें सभी वनस्पति, सूक्ष्मजीव, मिट्टी, चट्टानें, वातावरण और प्राकृतिक घटनाएं शामिल हैं जो उनकी सीमाओं और उनकी प्रकृति के भीतर होती हैं।

० सार्वभौमिक प्राकृतिक संसाधन और भौतिक घटनाएं जिनमें स्पष्ट सीमाओं का अभाव है, जैसे कि हवा, पानी और जलवायु, साथ ही ऊर्जा, विकिरण, विद्युत आवेश और चुंबकत्व, जो सभ्य मानव क्रियाओं से उत्पन्न नहीं होते हैं।

प्राकृतिक पर्यावरण के विपरीत निर्मित वातावरण है। निर्मित वातावरण वे हैं जहां मानव ने शहरी सेटिंग्स और कृषि भूमि रूपांतरण जैसे मूल रूप से परिदृश्यों को बदल दिया है, प्राकृतिक पर्यावरण बहुत सरल मानव पर्यावरण में बदल गया है। यहां तक कि ऐसे कार्य भी जो कम चरम लगते हैं, जैसे रेगिस्तान में मिट्टी की झोपड़ी या फोटोवोल्टिक प्रणाली का निर्माण, संशोधित वातावरण एक कृत्रिम वातावरण बन जाता है। हालांकि कई जानवर अपने लिए बेहतर वातावरण प्रदान करने के लिए चीजों का निर्माण करते हैं, वे मानव नहीं हैं, इसलिए बीवर बांध, और टीले बनाने वाले दीमक के कार्यों को प्राकृतिक माना जाता है।

मानवता के बड़े पैमाने पर पर्यावरणीय परिवर्तनों ने सभी प्राकृतिक वातावरणों को मौलिक रूप से प्रभावित किया है: जिसमें जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता हानि और हवा और पानी में प्लास्टिक और अन्य रसायनों से प्रदूषण शामिल है।

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ये है मनोरंजन के महत्व


मनोरंजन के महत्व   मनोरंजन सिर्फ़ समय बिताने से कहीं ज़्यादा काम आता है। मनोरंजन हमारे जीवन में क्यों महत्वपूर्ण है, इसका विवरण इस प्रकार है:   तनाव से राहत और आराम: एक अच्छी फिल्म, मज़ेदार किताब या मनोरंजक वीडियो गेम हमारे दिमाग को चिंताओं और बेचैनी से दूर कर सकता है। हँसी, विशेष रूप से, एक बेहतरीन तनाव निवारक है और हमारे मूड को बेहतर बना सकती है। रचनात्मकता और कल्पनाशीलता को... Read More

मनोरंजन के महत्व 

 मनोरंजन सिर्फ़ समय बिताने से कहीं ज़्यादा काम आता है। मनोरंजन हमारे जीवन में क्यों महत्वपूर्ण है, इसका विवरण इस प्रकार है:

 

तनाव से राहत और आराम: एक अच्छी फिल्म, मज़ेदार किताब या मनोरंजक वीडियो गेम हमारे दिमाग को चिंताओं और बेचैनी से दूर कर सकता है। हँसी, विशेष रूप से, एक बेहतरीन तनाव निवारक है और हमारे मूड को बेहतर बना सकती है।

रचनात्मकता और कल्पनाशीलता को बढ़ावा देता है: मनोरंजन हमें नए विचारों, दुनिया और सोचने के तरीकों से परिचित करा सकता है। यह रचनात्मकता को जगा सकता है और हमारी अपनी कल्पना को बढ़ावा दे सकता है।

सामाजिक जुड़ाव और बंधन: दोस्तों और परिवार के साथ मनोरंजन के अनुभव साझा करने से साझा आधार बनता है और मजबूत संबंध बनते हैं। किसी फिल्म पर चर्चा करना, साथ में कोई संगीत कार्यक्रम देखना या गेम खेलना, ये सभी जुड़ने के तरीके हैं।

सीखना और विकास: मनोरंजन सिर्फ़ मौज-मस्ती और खेल नहीं है। वृत्तचित्र, ऐतिहासिक नाटक या यहाँ तक कि काल्पनिक कहानियाँ भी हमें नई संस्कृतियों, ऐतिहासिक घटनाओं या वैज्ञानिक अवधारणाओं के बारे में सिखा सकती हैं।

भावनात्मक मुक्ति और अन्वेषण: मनोरंजन हमें एक सुरक्षित स्थान पर भावनाओं की एक विस्तृत श्रृंखला का पता लगाने की अनुमति देता है। हम एक दुखद फिल्म के माध्यम से रेचन का अनुभव कर सकते हैं, एक मजबूत नायिका से सशक्त महसूस कर सकते हैं, या एक साहसी कार्य से प्रेरित हो सकते हैं।

मानसिक उत्तेजना: पहेलियाँ, दिमागी पहेलियाँ और यहां तक कि चुनौतीपूर्ण वीडियो गेम हमारे दिमाग को तेज रख सकते हैं और संज्ञानात्मक कार्य में सुधार कर सकते हैं

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