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गहरे ध्यान होना के लक्ष्मण


ध्यान गहरा होने के लक्षण  जब प्राकृतिक रूप से ध्यान की अवस्था प्राप्त होती हैं। तब डर लगना साधारण हैं ये मन का दर है क्योंकि अहम का अंत हो गया हैं। इस डर पर विजय पाकर ही समाधि में प्रवेश होता हैं।   भौतिक जगत से वैराग्य हो जाता हैं। मन को सत्य के मार्ग का बोध होना । त्यागने योग्य डर लगना । ध्यान में गहरा उतरने से डर लगना। सतर्क हो जाना। शरीर में झटके आना। निष्काम कर्म में आनंद आना। साकम... Read More

ध्यान गहरा होने के लक्षण 

जब प्राकृतिक रूप से ध्यान की अवस्था प्राप्त होती हैं। तब डर लगना साधारण हैं ये मन का दर है क्योंकि अहम का अंत हो गया हैं। इस डर पर विजय पाकर ही समाधि में प्रवेश होता हैं।

 

भौतिक जगत से वैराग्य हो जाता हैं।

मन को सत्य के मार्ग का बोध होना ।

त्यागने योग्य डर लगना ।

ध्यान में गहरा उतरने से डर लगना।

सतर्क हो जाना।

शरीर में झटके आना।

निष्काम कर्म में आनंद आना।

साकम कर्म भावना से मुक्ति।

विचार को नियंत्रित नहीं कर पाना।

अनावश्यक त्यागने योग्य विचार आना।

ये सभी लक्षण मन के है, ब्रह्म का कोई गुण नहीं वह निर्गुण है। समाधि प्राप्त होने पर यह लक्षण भी समाप्त हो जाते हैं।


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दिन मे कितनी बार ध्यान करना चाहिए


आपको दिन में कितनी बार ध्यान करना चाहिए    अगर आप ध्यान के लिए नए हैं, तो दिन में 5 मिनट से शुरू करें.  आप दिन में 20 से 30 मिनट ध्यान कर सकते हैं.  आप दिनभर में 3 बार 10-10 मिनट के अलग-अलग सेशन में भी ध्यान कर सकते हैं.  आप अपनी दिनचर्या में छोटे और लंबे सत्रों का मिश्रण आज़मा सकते हैं.  अगर आपको लगता है कि छोटे सेशन में आपको और ज़्यादा करने की इच्छा होती है, तो धीरे... Read More

आपको दिन में कितनी बार ध्यान करना चाहिए 

 

अगर आप ध्यान के लिए नए हैं, तो दिन में 5 मिनट से शुरू करें. 

आप दिन में 20 से 30 मिनट ध्यान कर सकते हैं. 

आप दिनभर में 3 बार 10-10 मिनट के अलग-अलग सेशन में भी ध्यान कर सकते हैं. 

आप अपनी दिनचर्या में छोटे और लंबे सत्रों का मिश्रण आज़मा सकते हैं. 

अगर आपको लगता है कि छोटे सेशन में आपको और ज़्यादा करने की इच्छा होती है, तो धीरे-धीरे समय बढ़ाने की कोशिश करें. 

अगर लंबे सेशन में आपको डर लगता है, तो तब तक समय कम करें जब तक आपको सही संतुलन न मिल जाए. 

ध्यान करने से जुड़ी कुछ और बातें: 

ध्यान करने से मस्तिष्क पर मापनीय प्रभाव पड़ सकता है.

ध्यान करने से बेहतर फ़ोकस, ज़्यादा उत्पादकता, और कम चिंता आ सकती है.

ध्यान करने से शांत होने में मदद मिलती है.

ध्यान करने से आपकी एकाग्रता बढ़ती है.

ध्यान करने से आपकी भावनाओं के प्रति अधिक संवेदनशीलता आ सकती है.

ध्यान और व्यायाम में संतुलन होना ज़रूरी है

 

 


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एक दिन मे कितनी बार मेडिटेशन कर सकते है


एक दिन में कितनी बार मैडिटेशन कर सकते हैं? 1 दिन में आप कितनी भी बार मेडिटेशन कर सकते हैं ।भगवान का नाम लेने पर कोई रोक-टोक नहीं है सिर्फ आपकी इच्छा शक्ति बहुत जरूरी है। जब भी बैठे 10 मिनट से शुरू करें इसको 40 मिनट एक घंटा अपने समय के हिसाब से आप प्रयोग मिल सकते हैं । जब आप अपने ऑफिस या बिजनेस में जाते हैं और करीब 1 घंटे की कर चलने का समय होता है तो उसमें भजन लगाकर आप साथ-साथ गुरु मंत्र जाप सकते ह... Read More

एक दिन में कितनी बार मैडिटेशन कर सकते हैं?

1 दिन में आप कितनी भी बार मेडिटेशन कर सकते हैं ।भगवान का नाम लेने पर कोई रोक-टोक नहीं है सिर्फ आपकी इच्छा शक्ति बहुत जरूरी है। जब भी बैठे 10 मिनट से शुरू करें इसको 40 मिनट एक घंटा अपने समय के हिसाब से आप प्रयोग मिल सकते हैं ।

जब आप अपने ऑफिस या बिजनेस में जाते हैं और करीब 1 घंटे की कर चलने का समय होता है तो उसमें भजन लगाकर आप साथ-साथ गुरु मंत्र जाप सकते हैं ।भजन साथ-साथ गा सकते हैं आपका रास्ता भी खबर हो जाएगा और आपका समय का सदुपयोग भी जबरदस्त तरीके से हो जाएगा।

अगर आप बस में सफर कर रहे हैं तो आप अपनी आंखों को बंद करके अपने अंतर मन में झांकना शुरू करें और भगवान का पूजा करना शुरू कर सकते हैं या खास तौर पर बहुत ही फायदेमंद होता है जब आदमी 10-10 घंटे की बस की यात्रा करके अपने गंतव्य स्थान पर जाता है।

मेडिटेशन करना एक अच्छी आदतों में होता है और आप इसका आनंद मात्र 3 महीने करके देखें तो आप कभी मेडिटेशन करना छोड़ेंगे भी नहीं।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हमारे मन में करीब 70000 विचार एक दिन में आते हैं इसमें नकारात्मक और सकारात्मक दोनों होते हैं जितना आप मेडिटेशन ज्यादा करोगे तो सकारात्मक विचारों की तरफ आपका मन मुड़ जाएगा फिर जिंदगी में खुशी ही खुशी होगी।


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ध्यान करना क्यो जरूरी है


ध्यान करना बहुत ज़रूरी है. ध्यान करने से कई फ़ायदे होते हैं, जैसे कि:  ध्यान करने से मानसिक शांति मिलती है और तनाव कम होता है.  इससे दिमाग में ऊर्जा और पॉज़िटिविटी आती है.  ध्यान करने से एकाग्रता और ध्यान क्षमता बढ़ती है.  इससे आत्म-जागरूकता और आत्म-स्वीकृति बढ़ती है.  ध्यान करने से चिंता, डिप्रेशन, और अन्य मानसिक समस्याओं से राहत मिलती है.  ध्यान करने से मूड बेहतर हो... Read More

ध्यान करना बहुत ज़रूरी है. ध्यान करने से कई फ़ायदे होते हैं, जैसे कि: 

ध्यान करने से मानसिक शांति मिलती है और तनाव कम होता है. 

इससे दिमाग में ऊर्जा और पॉज़िटिविटी आती है. 

ध्यान करने से एकाग्रता और ध्यान क्षमता बढ़ती है. 

इससे आत्म-जागरूकता और आत्म-स्वीकृति बढ़ती है. 

ध्यान करने से चिंता, डिप्रेशन, और अन्य मानसिक समस्याओं से राहत मिलती है. 

ध्यान करने से मूड बेहतर होता है और हमेशा पॉज़िटिव एनर्जी महसूस होती है. 

ध्यान करने से शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य बेहतर होता है. 

ध्यान करने से याददाश्त बढ़ती है. 

ध्यान करने के लिए, सबसे पहले एक कंफ़र्टेबल जगह चुनें. योगियों के मुताबिक, ध्यान करने का सही समय सूर्योदय से डेढ़ से दो घंटे पहले यानी 3.30-5.30 बजे का होता है. अगर सुबह उठने में परेशानी है, तो 6-7 बजे के बीच भी ध्यान किया जा सकता है.


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मेडिटेशन करने के कुछ नुकसान


ध्यान (मेडिटेशन) करने के कुछ नुकसान ये हो सकते हैं:  अगर ध्यान गलत तरीके से किया जाए, तो इससे मन में नकारात्मक विचार आ सकते हैं.  ध्यान करने से बुरी यादें ताज़ा हो सकती हैं, जिससे डर, डिप्रेशन, या एंग्ज़ायटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं.  ध्यान करने से चिंता की भावना बढ़ सकती है और एंग्ज़ायटी अटैक भी पड़ सकते हैं.  ज़्यादा ध्यान करने से नींद कम आने लगती है.  ध्यान करने से मोट... Read More

ध्यान (मेडिटेशन) करने के कुछ नुकसान ये हो सकते हैं: 

अगर ध्यान गलत तरीके से किया जाए, तो इससे मन में नकारात्मक विचार आ सकते हैं. 

ध्यान करने से बुरी यादें ताज़ा हो सकती हैं, जिससे डर, डिप्रेशन, या एंग्ज़ायटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं. 

ध्यान करने से चिंता की भावना बढ़ सकती है और एंग्ज़ायटी अटैक भी पड़ सकते हैं. 

ज़्यादा ध्यान करने से नींद कम आने लगती है. 

ध्यान करने से मोटिवेशन और प्रेरणा की कमी आ सकती है. 

ध्यान करने से सामाजिक कनेक्शन टूट सकता है. 

ध्यान करने से शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि थकान, कमज़ोरी, सिर दर्द, पेट से जुड़ी समस्याएं. 

ध्यान करने से घबराहट महसूस हो सकती है. 

ध्यान करने से होने वाले नुकसानों से बचने के लिए, सही तरीके से ध्यान करना चाहिए. ध्यान हमेशा किसी प्रशिक्षित गुरु या विशेषज्ञ की सलाह से करना चाहिए. साथ ही, अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए ध्यान करना चाहिए.


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ध्यान क्या है


ध्यान एकाग्र होना नहीं है; यह नींद भी नहीं है। ध्यान सजगतापूर्वक विश्राम करना और तनाव मुक्त होना है। ध्यान श्रम साध्य नहीं है। ध्यान हमारे अन्त:कर्ण के गहरे मौन, अत्यंतता और आत्मा को जानने में सहायक है। क्या ध्यान कोई भी कर सकता है आराम सबको चाहिए। किंतु वास्तव में हमें पता नहीं है कि पूर्ण रूप से विश्राम कैसे मिलता है। ध्यान हमारे लिए कोई नई अथवा बाह्य वस्तु नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि अपने जन्म स... Read More

ध्यान एकाग्र होना नहीं है; यह नींद भी नहीं है।

ध्यान सजगतापूर्वक विश्राम करना और तनाव मुक्त होना है।

ध्यान श्रम साध्य नहीं है।

ध्यान हमारे अन्त:कर्ण के गहरे मौन, अत्यंतता और आत्मा को जानने में सहायक है।

क्या ध्यान कोई भी कर सकता है

आराम सबको चाहिए। किंतु वास्तव में हमें पता नहीं है कि पूर्ण रूप से विश्राम कैसे मिलता है। ध्यान हमारे लिए कोई नई अथवा बाह्य वस्तु नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि अपने जन्म से कुछ माह पहले हम ध्यान ही कर रहे होते हैं। आप अपनी माँ के गर्भ में होते हो तो कुछ भी नहीं कर रहे होते हो। आप अपना भोजन तक नहीं चबा रहे होते हो। बस मस्त रहते हुए द्रव्य में तैरते रहते हो। यह ध्यान अथवा पूर्ण विश्राम ही है। तब आपको कुछ भी नहीं करना पड़ता था, आपके लिए सब कुछ किया जा रहा था। इसलिए, इस क्रियाशील संसार में आने से पहले प्रत्येक जीवात्मा की नैसर्गिक इच्छा उसी पूर्ण विश्रांति की अवस्था में लौट जाने की होती है। ऐसा इसलिए भी है कि इस ब्रह्मांड में सब कुछ एक चक्रानुसार चल रहा है। हर चीज अपने स्रोत में वापस जाना चाहती है।

जब आपको भूख लगती है तो स्वाभाविक रूप से आपका मन कुछ खाने को करता है। ऐसे ही यदि प्यास लगी हो तो पानी पीने की इच्छा होती है। उसी प्रकार आत्मा ध्यान के लिए तरसती है और यह तड़प प्रत्येक व्यक्ति में होती है।

आपको ध्यान से क्या लाभ होगा

पुराने समय में ऋषि मुनि केवल योग्य शिष्यों और साधकों को ही ध्यान करना सिखाते थे। आधुनिक युग में, आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक, गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी ने इस ज्ञान को प्रत्येक व्यक्ति के लिए उपलब्ध करा दिया है ताकि उनके जीवन में गुणात्मक सुधार आ सके। और जब उनको उच्चतम ज्ञान पाने की ललक होगी तो वे इस की गहराई में उतर जाएँगे। इस प्रकार यह प्रत्येक व्यक्ति के लिए किसी न किसी रूप में लाभदायक है ही।

कुछ लोग समुद्र तट पर सैर करने जाते हैं ताकि उनको ताजा हवा और अधिक ऑक्सीजन मिल सके और इसमें उनको प्रसन्नता मिलती है। कुछ लोग ऐसे होंगे जो पानी में अपने पाँव डाल देते हैं और सागर के विशाल स्पर्श को अनुभव करते हैं। कुछ और ऐसे भी होते हैं जो सागर की लहरों में उतर जाते हैं या स्कूबा गोताखोरी करते हैं और उनको मूँगे और अन्य मूल्यवान वस्तुएँ मिल जाती हैं। अतः यह आप पर निर्भर है कि आप तट पर चलना, सागर में तैरना या गहरे उतर कर गोतखोरी करना चाहते हैं। सागर तो आपके लिए पूर्ण रूप से उपलब्ध है। ध्यान भी कुछ ऐसा ही है।

ध्यान की आवश्यकता प्रत्येक व्यक्ति को है क्योंकि हर व्यक्ति कभी कम न होने वाले आनंद और उस प्यार को, जो पूर्णतः दोषरहित और शाश्वत् हो, को पाना चाहता है

1.ध्यान से गहरा विश्राम और स्पष्टता आती है:-

नदी जब शांत होती है तो उसमें सब कुछ स्पष्ट दिखाई देता है। उसी प्रकार जब मन शांत हो तो हमारी अभिव्यक्ति अधिक स्पष्ट होती है। ध्यान के निरंतर अभ्यास से गहरे विश्राम की स्थिति और शांति पाई जा सकती है। और यह शांति प्रायः ध्यान के वास्तविक समय से बहुत आगे तक बनी रहती है।

2.सकारात्मक तरंगें उत्पन्न होती हैं:-

हम सब किसी न किसी विशेष प्रकार की तरंगें बिखेरते रहते हैं और जब हम तनाव ग्रस्त, क्रोधित, परेशान या निराश होते हैं तो उसका प्रभाव इन तरंगों पर भी पड़ता है। ध्यान में इन तरंगों को परिवर्तित करके उन्हें सकारात्मक और सृजनात्मक बनाने का सामर्थ्य होता है जिससे हमारे विचारों तथा भावनाओं में स्पष्टता आती है। यह हमारे मन पर पड़ी हुई पुरानी छापों को मिटाता है और हमारे विचारों को सही दिशा में मोड़ कर उन्हें केंद्रित करता है, जिससे हमें मानसिक स्पष्टता और भावनात्मक स्थिरता की अवस्था पाने में सहायता मिलती है। हमारे अवलोकन बोध, धारणा तथा अभिव्यक्ति की समझ में भी सुधार होता है।

3.नींद से भी अधिक गहरा विश्राम:-

ध्यान और नींद, दोनों से ही हमें गहरा विश्राम मिलता है। तथापि, ध्यान द्वारा प्राप्त विश्राम की गुणवत्ता नींद द्वारा पाए जाने वाले विश्राम से श्रेष्ठतर होती है। नींद की अपेक्षा ध्यान हमें कहीं अधिक ऊर्जा प्रदान करता है। ध्यान से इतना विश्राम मिलता है जो गहरी से गहरी नींद से भी नहीं मिल पाता। ध्यान करने से आप अपने भीतर के ऊर्जा स्रोत को जागृत करके अपने शरीर को ऊर्जा का भंडार बना सकते हैं।

4.ऊर्जा स्तर में वृद्धि:-

चिंताएँ, परेशानियाँ और तनाव विकर्षण से भी अधिक हानिकारक हो सकते हैं। दैनिक जीवन में होने वाली समस्याएँ और भविष्य को लेकर भय हमारे मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। यह सर्वमान्य है कि ध्यान से हमारे शरीर की प्राण ऊर्जा में सुधार होता है। जैसे जैसे प्राणिक ऊर्जा में वृद्धि होती है, चिंता अपने आप कम होने लगती है। इस प्रकार ध्यान का नियमित अभ्यास करने से अवसाद, चिंताओं या आघात जनित तनाव जैसी समस्याओं में सुधारात्मक परिवर्तन होने लगते हैं।

5.सकारात्मक सोच से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार:-

विभिन्न अध्ययनों ने प्रमाणित किया है कि ध्यान न केवल मस्तिष्क की सकारात्मक भावनाओं के उत्प्रेरित करने वाले भाग को अधिक क्रियाशील बनाता है अपितु इसका हमारे समग्र मानसिक स्वास्थ्य पर भी घनात्मक प्रभाव पड़ता है।

इसके अतिरिक्त भी बहुत कुछ............

ध्यान से हमारी सजगता में सुधार होता है और हमारे क्रियाकलाप अधिक उद्देश्यपूर्ण होने लगते हैं। जीवन की विषम परिस्थितियों के प्रति हमारा व्यवहार प्रतिक्रियात्मक न हो कर प्रत्युत्तर देने की दिशा में परिवर्तित होने लगता है। ध्यान हमारी सोचने की क्षमता, एकाग्रता, समस्या समाधान कौशल तथा भावनात्मक परेशानियों का सामना करके उन के प्रति स्वयं को ढालने और उन से पार पाने की शक्ति में भी सुधारात्मक भूमिका निभाता है। अनुसंधान यह भी दर्शाते हैं कि ध्यान करने से आपका मूड ऊपर उठता है, नींद की गुणवत्ता और उसके पैटर्न में सुधार होता है तथा आपके संज्ञानात्मक कौशल का विकास होता है। ध्यान के अभ्यास से बहुत ज्यादा सोचने, क्षीण सतर्कता तथा मन के भटकाव जैसे मस्तिष्क के व्यवहार को भी मोड़ कर सही दिशा में लाया जा सकता है।


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ध्यान क़ा उचित आसान ओर ध्यान केसे सुरू करे


ध्यान का उचित आसन ध्यान के लिए उचित आसन में होना सबसे जरूरी है। ध्यान इस विधि से करना चाहिए कि आपका मेरुदंड सीधा हो। जब साधक अपने मन और प्राणशक्ति को मेरुदंड में चक्रों से होते हुए उधर्व चेतना की ओर भेजने के लिए प्रयास करता है, तो उसे अनुचित आसन के कारण मेरुदंड की नाड़ियों में होने वाली सिकुड़न व संकुचन से बचना चाहिए। इन बातों का रखें ध्यान जमीन पर आसन बिछाकर पालथी मारकर सुखासन या पद्मासन में बैठें... Read More

ध्यान का उचित आसन

ध्यान के लिए उचित आसन में होना सबसे जरूरी है। ध्यान इस विधि से करना चाहिए कि आपका मेरुदंड सीधा हो। जब साधक अपने मन और प्राणशक्ति को मेरुदंड में चक्रों से होते हुए उधर्व चेतना की ओर भेजने के लिए प्रयास करता है, तो उसे अनुचित आसन के कारण मेरुदंड की नाड़ियों में होने वाली सिकुड़न व संकुचन से बचना चाहिए।

इन बातों का रखें ध्यान

जमीन पर आसन बिछाकर पालथी मारकर सुखासन या पद्मासन में बैठें। ध्यान का अभ्यास करते समय शुरू में 5 मिनट भी काफी होते हैं। अभ्यास से 20-30 मिनट तक ध्यान लगा सकते हैं। ध्यान करने के लिए ऐसी जगह का चयन करें जो एकदम शांत हो।

इस तरह शुरू करें ध्यान

ध्यान की शुरुआत में प्राणायाम करना या थोड़ी देर तक लम्बी सांस धीरे-धीरे लेना और धीरे-धीरे छोड़ना चाहिए। इससे मष्तिष्क सक्रिय होता है और विचारों को नियंत्रित करना सम्भव होता है। गुस्से में, जोश में सांस बहुत तेज चलने लगती है और दुःख और निराशा में सांस धीमी हो जाती है।

सांस की गति का विचारों पर असर होता है और असामान्य सांस से मानसिक अस्थिरता पैदा होती है। इसलिए प्राणायाम या गहरी और लम्बी सांस मन और विचारों में शांति लाती है, जिससे मन को एकाग्र करने में मदद मिलती है।


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ध्यान का आध्यात्मिक महत्व


क्या है ध्यान का आध्यात्मिक महत्व ज्ञान को जितना सशक्त बनाया जाता है, वह उतना ही वह किसी भी क्षेत्र में उपयोगी सिद्ध हो सकता है। मनुष्य की इच्छा पूर्ति की सभी दिशाओं में ध्यान की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उपासना के क्षेत्र में भी ध्यान विशेष महत्व रखता है। भक्ति व अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए ध्यान को महत्वपूर्ण साधन माना गया है। आध्यात्मिकता में ध्यान का उद्देश्य है अपने स्वरूप और अपने लक्ष्य... Read More

क्या है ध्यान का आध्यात्मिक महत्व

ज्ञान को जितना सशक्त बनाया जाता है, वह उतना ही वह किसी भी क्षेत्र में उपयोगी सिद्ध हो सकता है। मनुष्य की इच्छा पूर्ति की सभी दिशाओं में ध्यान की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उपासना के क्षेत्र में भी ध्यान विशेष महत्व रखता है। भक्ति व अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए ध्यान को महत्वपूर्ण साधन माना गया है।

आध्यात्मिकता में ध्यान का उद्देश्य है अपने स्वरूप और अपने लक्ष्य की विस्मृति के कारण उत्पन्न हुई बाधाओं से छुटकारा पाना। ध्यान तन, मन और आत्मा के बीच लयात्मक सम्बन्ध बनाता है और उसे बल प्रदान करता है। ध्यान का नियमित अभ्यास करने से आत्मिक शक्ति बढ़ती और मानसिक शांति की अनुभूति होती है।


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ध्यान तनाव काम करने का एक सरल और तेज तारीका है


ध्यान दिन भर के तनाव को दूर कर सकता है, और अपने साथ आंतरिक शांति ला सकता है. देखें कि आप कैसे आसानी से ध्यान का अभ्यास करना सीख सकते हैं जब भी आपको इसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत हो. मायोक्लिनिक स्टाफ द्वार अगर तनाव की वजह से आप चिंतित, तनावग्रस्त और परेशान हैं, तो आप ध्यान लगाने की कोशिश कर सकते हैं. ध्यान में कुछ मिनट बिताने से भी आपकी शांति और आंतरिक शांति बहाल हो सकती है. कोई भी व्यक्ति ध्यान का अभ्... Read More

ध्यान दिन भर के तनाव को दूर कर सकता है, और अपने साथ आंतरिक शांति ला सकता है. देखें कि आप कैसे आसानी से ध्यान का अभ्यास करना सीख सकते हैं जब भी आपको इसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत हो.

मायोक्लिनिक स्टाफ द्वार

अगर तनाव की वजह से आप चिंतित, तनावग्रस्त और परेशान हैं, तो आप ध्यान लगाने की कोशिश कर सकते हैं. ध्यान में कुछ मिनट बिताने से भी आपकी शांति और आंतरिक शांति बहाल हो सकती है.

कोई भी व्यक्ति ध्यान का अभ्यास कर सकता है. यह सरल है और इसमें ज़्यादा खर्च भी नहीं आता.  और आपको किसी विशेष उपकरण की भी ज़रूरत नहीं है.

आप जहाँ भी हों, ध्यान का अभ्यास कर सकते हैं. आप टहलने जाते समय, बस में यात्रा करते समय, डॉक्टर के पास प्रतीक्षा करते समय या फिर किसी व्यावसायिक मीटिंग के बीच में भी ध्यान कर सकते हैं.

ध्यान को समझना 

ध्यान हजारों सालों से प्रचलित है. प्रारंभिक ध्यान का उद्देश्य जीवन की पवित्र और रहस्यमय शक्तियों की समझ को गहरा करना था. आजकल, ध्यान का उपयोग अक्सर आराम करने और तनाव कम करने के लिए किया जाता है.

ध्यान एक प्रकार की मन-शरीर पूरक चिकित्सा है.  ध्यान आपको गहराई से आराम करने और अपने मन को शांत करने में मदद कर सकता है.

ध्यान के दौरान आप एक चीज़ पर ध्यान केंद्रित करते हैं.  आप उन विचारों की धारा से छुटकारा पा लेते हैं जो आपके दिमाग में घूम रहे हैं और तनाव पैदा कर रहे हैं.  इस प्रक्रिया से बेहतर शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य प्राप्त हो सकता है.

ध्यान के लाभ

ध्यान आपको शांति, सुकून और संतुलन का एहसास दे सकता है जो आपके भावनात्मक स्वास्थ्य और आपके समग्र स्वास्थ्य को लाभ पहुंचा सकता है. आप इसका उपयोग आराम करने और तनाव से निपटने के लिए भी कर सकते हैं, इसके लिए आप किसी ऐसी चीज़ पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं जो आपको शांत करती है. ध्यान आपको केंद्रित रहने और आंतरिक शांति बनाए रखने में मदद कर सकता है.

ध्यान सत्र समाप्त होने के बाद भी ये लाभ समाप्त नहीं होते. ध्यान आपको दिन भर अधिक शांति से बिताने में मदद कर सकता है .और ध्यान आपको कुछ चिकित्सा स्थितियों के लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद कर सकता है.

ध्यान और भावनात्मक और शारीरिक कल्याण

जब आप ध्यान करते हैं, तो आप उस सूचना के अतिभार को दूर कर सकते हैं जो हर दिन बढ़ता है और आपके तनाव में योगदान देता है.

ध्यान के भावनात्मक और शारीरिक लाभों में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:

यह आपको तनाव पैदा करने वाली चीजों को देखने का एक नया नजरिया देता है.

अपने तनाव को प्रबंधित करने के लिए कौशल का निर्माण करना.

आपको अधिक आत्म-जागरूक बनाना.

वर्तमान पर ध्यान केन्द्रित करना.

नकारात्मक भावनाओं को कम करना.

आपको अधिक रचनात्मक बनने में सहायता करना.

आपको अधिक धैर्यवान बनने में सहायता करना.

विश्रामकालीन हृदय गति को कम करना.

विश्रामकालीन रक्तचाप को कम करनाआ.

आपको बेहतर नींद में मदद मिलेगी.

ध्यान और बीमारी

अगर आपको कोई बीमारी है तो भी ध्यान लगाना मददगार हो सकता है. यह अक्सर तब सच होता है जब आपकी स्थिति ऐसी हो जिसे तनाव और भी बदतर बना देता है.

बहुत सारे शोध बताते हैं कि ध्यान स्वास्थ्य के लिए अच्छा है. लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह साबित करने के लिए पर्याप्त शोध नहीं है कि ध्यान से मदद मिलती है.

इसे ध्यान में रखते हुए, कुछ शोध बताते हैं कि ध्यान लोगों को निम्नलिखित स्थितियों के लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद कर सकता है:

चिंता.

दमा.

कैंसर.

पुराने दर्द.

अवसाद.

दिल की बीमारी.

उच्च रक्तचाप.

संवेदनशील आंत की बीमारी.

नींद की समस्याएँ.

तनाव से होने वाला सिरदर्द.

अगर आपको इनमें से कोई या कोई अन्य स्वास्थ्य समस्या है, तो ध्यान लगाने के फ़ायदे और नुकसान के बारे में अपने स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से बात करना न भूलें. कभी-कभी, ध्यान लगाने से कुछ मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों से जुड़े लक्षण और भी खराब हो सकते हैं.

ध्यान चिकित्सा उपचार का विकल्प नहीं है. लेकिन इसे अन्य उपचारों के साथ जोड़ने से मदद मिल सकती है.

 


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मेडिटेशन कह काई नुक्सान भी सही तरीके से करने से मिलेंगे फायदे


आमतौर पर हम मेडिटेशन मन की शांति के लिए करते हैं. इससे तनाव कम होता है और व्यक्ति को सुकून का एहसास होता है, लेकिन क्या आपने कभी यह सुना है कि इसके साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं. कहते हैं रोजाना ध्यान करने से मानसिक स्थिति बेहतर होती है और व्यक्ति खुश रहने लगता है.मेडिटेशन से एकाग्रता की कमी भी दूर होती है, लेकिन मेडिटेशन पर ज्यादा निर्भर रहने वाले लोगों को इसके नुकसान भी झेलने पड़ सकते हैं. माइंडफ... Read More

आमतौर पर हम मेडिटेशन मन की शांति के लिए करते हैं. इससे तनाव कम होता है और व्यक्ति को सुकून का एहसास होता है, लेकिन क्या आपने कभी यह सुना है कि इसके साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं. कहते हैं रोजाना ध्यान करने से मानसिक स्थिति बेहतर होती है और व्यक्ति खुश रहने लगता है.मेडिटेशन से एकाग्रता की कमी भी दूर होती है, लेकिन मेडिटेशन पर ज्यादा निर्भर रहने वाले लोगों को इसके नुकसान भी झेलने पड़ सकते हैं. माइंडफुलनेस भी एक तरह का ध्यान है. यह एक बौद्ध आधारितथेरेपी है जिससे हम अपने अंदर और आस पास हो रही गतिविधियों या स्थितियों के प्रति जागरूकता पैदा करते हैं.

सुनने में यह स्ट्रेस और एंग्जायटी से बचने का बहुत ही सरल तरीका लग रहा होगा, लेकिन बौद्धों के एक समुदाय द्वारा लिखित धर्मत्रात ध्यान शास्त्र में ध्यान के बाद होने वाले अवसाद और चिंता के बारे में बताया गया है। यदि आप भी मेडिटेशन करते हैं और आपकोअपने अंदर कुछ बदलाव दिखने लगे तो आपको तुरंत सावधान हो जाना चाहिए.

डिटेशन करने वाले लोग एक समय के बाद ज्यादा अकेला रहना पसंद करते हैं. वे खुद में ही इतने संतुष्ट रहने लगते हैं कि उन्हें दूसरों की जरूरत ही नहीं पड़ती है. ऐसे मेंधीरे धीरे वे परिवार और समाज दोनों से कटने लगते हैं. कई बार ऐसा करना यह उन्हें डिप्रेशन की तरफ भी धकेल सकता है.

मेडिटेशन को हर कोई पॉजिटिव तरीके से ही लेता है लेकिन जब इसका सही परिणाम नहीं मिलता तो व्यक्ति निराश हो जाता है. उदाहरण के रूप में जब हम बिना मन के कोई काम करते हैं तो उसे हम सही तरीके से नहीं कर पाते हैं. ठीक इसी तरह जब हमचाहते हैं कि अपनी मानसिक शांति को बनाए रखने के लिए हम मेडिटेशन करें लेकिन चाहकर भी फोकस नहीं कर पाते और हमें मनचाहा परिणाम नहीं मिलता तो ऐसे में हमारा कॉन्फिडेंस गिरने लगता है. इससे मोटिवेशन की भी कमी होने लगती है. इसका गलत असर व्यक्ति की पर्सनल ही नहीं बल्कि प्रोफेशनललाइफ पर भी पड़ता है.

अगर आपका नेचर सेंसेटिव है और आप छोटी छोटी बातों को भी दिल पर लगा बैठते हैं तो ज्यादा मेडिटेशन करना आपके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है. मेडिटेट करते समय मन में बुरे विचारआ सकते हैं. आपको पुरानी बातें याद आने लगती है. ऐसे में जब आप ज्यादा समय के लिए बाकी लोगों से खुद को दूर रखते हैं तो इसका नतीजा गलत भी हो सकता है. आप ओवरथिंकिंग भी करने लग सकते हैं.

अधिक मेडिटेशन करने से आपके स्लीप पैटर्न में भी बदलाव आ सकता है. चूंकि मेडिटेशन से ध्यान लगाने और और जगे रहने की क्षमता बढ़ जाती है इसलिए आपको ठीक से नींद ना आने की भी समस्या हो सकती है.

जरूरी नहीं है कि ज्यादा मेडिटेशन करने से आपकी मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ेगा बल्कि इससे आपको शारीरिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है जिसमें थकान, कमजोरी, पेट से जुड़ी शिकायतें, सिर दर्द आदि शामिल है. कुछ लोगों को मेडिटेशन के बाद घबराहट महसूस होती है. ऐसा होने पर आपफौरन मेडिटेशन करना रोक दें और अपने डॉक्टर से संपर्क करें. मेडिटेशन करने का भी सही तरीका होता है. यदि आप गलत तरीके से भी इसेइसे कर रहे हैं तो भी आप पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.

 

 

 


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