इस एक योग से मिलते हैं पांच गजब के फायदे कमर दर्द भी होगा दूर?
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शलभासन एक योगासन है. इसे लोकस्ट पोज़ भी कहते हैं. यह संस्कृत के शब्द 'शलभ' और 'आसन' से मिलकर बना है. शलभ का मतलब कीट होता है. इस योगासन को करने के दौरान शरीर की मुद्रा कीट की तरह होती है
शलभासन योग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक क्रिया है। कई तरह के रोगों से बचाव और इलाज के लिए योग का नियमित अभ्यास असरदार हो सकता है। अलग अलग योग, अलग अलग स्वास्थ्य समस्याओं में कारगर साबित हो सकते हैं। कोई एक योग भी कई बीमारियों को ठीक करने में सहायक हैं।
हालांकि योगाभ्यास के दौरान अक्सर ही लोग सोचते हैं कि ऐसा कौन सा आसन करें, जो उनकी कई स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज करने में मदद करें और कई रोगों से बचाव भी करे। खराब खान-पान और बिगड़ी लाइफस्टाइल के कारण कई तरह की शारीरिक और मानसिक शिकायत हो सकती हैं। इस सभी का इलाज दवाइयों से करने के बजाए महज एक योग से किया जा सकता है।
लाइफस्टाइल से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए शलभासन का अभ्यास करना चाहिए। शलभासन योग के अभ्यास से स्वास्थ्य को कई फायदे मिलते हैं।
योग का नियमित रूप से अभ्यास करने से शरीर स्वस्थ रहता है और इससे बड़ी बड़ी बीमारियों से बचा जा सकता हैं। योग की अनेक मुद्रा हैं, जिसमें 'शलभासन' एक प्रमुख आसन है। इस आसन से हमारे शरीर की मांसपेशिया मजबूत होती हैं और पीठ दर्द जैसी समस्या को दूर किया जा सकता हैं।
शलभासन एक संस्कृत भाषा का शब्द है, जो दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसमें पहले शब्द "शलभ" का अर्थ "टिड्डे या कीट" और दूसरा शब्द आसन का अर्थ होता है "मुद्रा", अर्थात शलभासन का अर्थ है टिड्डे के समान मुद्रा होना।
इस आसन को अंग्रेजी में "ग्रासहोपर पोज़" बोलते हैं। इससे आपकी रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है। यह हठ योग की श्रेणी में आता है। यह मुद्रा देखने में सरल हो सकती है, पर करने में आपको थोड़ी कठिनाई आ सकती है।
शलभासन, योग का एक आसन है जिसे टिड्डी मुद्रा भी कहते हैं. यह एक पीठ के बल झुकने वाला आसन है. शलभासन करने से पीठ मज़बूत होती है, रीढ़ की हड्डी लचीली होती है और पाचन तंत्र भी मज़बूत होता है. यह आसन करने से तनाव और चिंता कम होती है और भावनात्मक स्वास्थ्य बेहतर होता है
शलभासन, जिसे Locust Pose भी कहा जाता है, एक योग आसन है जिसमें आपको अपने पेट के बल लेटकर पैरों को ऊपर उठाना होता है, जिससे आपका शरीर जमीन से उठकर खड़ा होता है, Locust की तरह।
शलभासन करने के फ़ायदे
इससे पीठ की मांसपेशियां मज़बूत होती हैं
इससे गर्दन और कंधों की नसें मज़बूत होती हैं
इससे पाचन क्रिया सुधरती है
इससे पेट की चर्बी कम होती है
इससे कमर दर्द में आराम मिलता है
इससे घुटनों के दर्द से छुटकारा मिलता है
इससे मासिक धर्म से जुड़ी परेशानियां दूर होती हैं
शलभासन वजन को कम करने के लिए एक अच्छी योग मुद्रा मानी जाती है। यह हमारे शरीर में चर्बी को खत्म करने में मदद करती है।
हमारे शरीर की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए शलभासन एक अच्छी मुद्रा है। यह हमारे शरीर के हाथों, पैरों को मजबूत करता है, इसके साथ यह पेट की चर्बी को कम करके उसे सुंदर बनाता है। रीढ़ की हड्डी को मजबूत करने के लिए शलभासन एक अच्छा योग हैं।
शलभासन से अनेक प्रकार की बीमारियों को ठीक किया जा सकता है। यह हमारे पेट के पाचन तंत्र को ठीक करता है, जिससे पेट संबंधी बीमारियां नहीं होती हैं, इसके साथ यह कब्ज को ठीक करता है
शलभासन से हमारा पूरा शरीर स्वस्थ रहता है। यह मुद्रा पूरे शरीर को सक्रिय करती है। हमारे शरीर में रक्त के संचालन को बढ़ाती है। शलभासन योग करने से बीमारियां आपसे दूर रहती हैं।
शलभासन करने का तरीका
शलभासन करने लिए सबसे पहले आप किसी साफ स्थान पर चटाई बिछा कर उलटे पेट के बल लेट जायें। यानि आपकी पीठ ऊपर की ओर रहे और पेट नीचे जमीन पर रहे।
अपने दोनों पैरो को सीधा रखें और अपने पैर के पंजे को सीधे तथा ऊपर की ओर रखें।
गहरी सांस लें और सिर को ऊपर उठाएं
हाथों और पैरों को जमीन से उठाएं
अपने सिर और मुंह को सीधा रखें।
फिर अपने को सामान्य रखें और एक गहरी सांस अंदर की ओर लें।
अपने दोनों पैरों को ऊपर की ओर उठाने की कोशिश करें, जितना हो सकता हैं उतना अपनी अधिकतम ऊंचाई तक पैरों को ऊपर करें।
अगर आप योग अभ्यास में नये हैं, तो आप पैरों को ऊपर करने के लिए अपने हाथों का सहारा ले सकते हैं, इसके लिए आप अपने दोनों हाथों को जमीन पर टिका के अपने पैरों को ऊपर कर सकते हैं।
आप इस मुद्रा में कम से कम 20 सेकंड तक रहने की कोशिश करें, इसे आप अपने क्षमता के अनुसार कम ज्यादा कर सकते हैं।
इस पोज़िशन में कुछ देर रहें
इसके बाद आप धीरे धीरे अपनी सांस को बाहर छोड़ते हुए पैरों को नीचे करते जाएं।
फिर वापस पुरानी पोज़िशन में आ जाएं इस अभ्यास को 3-4 बार दोहराएं।
शलभासन के क्या लाभ हैं?
डायबिटीज और प्रोस्टेट ग्लैंड की समस्याओं का सबसे अच्छा इलाज शलभासन का नियमित अभ्यास है।
रीढ़, गर्दन, छाती और कंधों को मजबूत बनाता है और फेफड़ों के स्वास्थ्य को दुरुस्त रखता है।
शलभासन पेट की समस्याओं के लिए रामबाण इलाज है।
पैरों के दर्द को ठीक करता है।
शलभासन कब नहीं करना चाहिए?
पेप्टिक अल्सर, हर्निया, आंतों में तपेदिक और अन्य ऐसी स्थिति से पीड़ित लोगों को भी इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
शलभासन क्या है और इसके फायदे?
शलभासन या लोकस्ट पोज़ कई लाभ प्रदान करता है। यह पीठ और रीढ़ को मजबूत करता है, मुद्रा में सुधार करता है और लचीलापन बढ़ाता है । यह मुद्रा पाचन को भी उत्तेजित करती है, चयापचय को बढ़ाती है और तनाव और चिंता से राहत देती है। शलभासन से कौन सी बीमारी ठीक होती है? शलभासन से कोई खास बीमारी ठीक नहीं होती।
शलभासन में शलभ का क्या मतलब है?
शलभासन संस्कृत के दो शब्दों 'शलभ' से बना है, जिसका अर्थ है टिड्डा और 'आसन' जिसका अर्थ है मुद्रा। साथ में, ये दोनों मिलकर टिड्डा मुद्रा बनाते हैं जिसमें मुद्रा टिड्डे जैसी दिखती है।
शलभासन करने से पहले ध्यान रखने वाली बातें
इस आसन के करने के लिए हमें ढीले कपड़े पहनना चाहिए।
इसे धीरे धीरे करना करना चाहिए, एक दम से इसका अभ्यास ना करें।
हमें ऐसे स्थान पर योग करना चाहिये जहां पर अच्छी और ताजी हवा हो।
शलभासन करने में क्या सावधानी बरती जाए
आसन करने के पहले हमें खाना नहीं खाना चाहिए।
अगर आप सिरदर्द, गर्दन दर्द, और रीढ़ के दर्द से परेशान हैं तो आप इस योग को ना करें।
गर्भवती महिलाओं को यह मुद्रा नहीं करनी चाहिए।
अगर आप कमर दर्द, पीठ दर्द और घुटने के दर्द से परेशान हैं तो डॉक्टर की सलाह से इस मुद्रा को करें।
आसन करते समय हमें मुंह से सांस नहीं लेनी चाहिये, केवल नाक से सांस लेनी चाहिये।
शलभासन करने से पहले यह आसन करें
1. भुजंगासन
2. गोमुखासन
3. ऊर्ध्व मुख श्वानासन
4. वीरभद्रासन
शलभासन करने के बाद आसन
1. ऊर्ध्व धनुरासन या चक्रासन
2. सेतुबंधासन
3. सर्वांगासन
4. शीर्षासन
शलभासन या टिड्डी मुद्रा योग करते समय इन सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए
शलभासन को धीरे-धीरे करना चाहिए
ज़्यादा जोर न लगाएं और शरीर पर दबाव न डालें
गर्दन को सीधा रखें और ठोड़ी को अंदर की ओर रखें
कंधों को ज़मीन से सटाकर रखें
घुटनों को मोड़े बिना पैरों को ऊपर उठाएं
शरीर के किसी हिस्से को बलपूर्वक न उठाएं
तेज़ी या झटके के साथ शरीर न हिलाएं
गर्दन पर ज़्यादा ज़ोर न डालें
इन स्थितियों में शलभासन नहीं करना चाहिए:
पीठ में गंभीर दर्द या स्लिप डिस्क की समस्या हो
गंभीर साइटिका हो
मासिक धर्म या गर्भावस्था हो
ब्लड प्रेशर की समस्या हो
हर्निया, पेट निकला हुआ होना, या पिछले कुछ महीनों में सर्जरी कराई हो
शलभासन करने से पहले किसी डॉक्टर या योग प्रशिक्षक से सलाह लें
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