तनाव दूर करने से लेकर थायराइड से छुटकारा पाना है तो करें यह प्राणायाम बहुत फायदेमंद है

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तनाव दूर करने से लेकर थायराइड से छुटकारा पाना है तो करें यह प्राणायाम  बहुत फायदेमंद है

उज्जायी प्राणायाम, सांसों पर नियंत्रण पाने का एक योग अभ्यास है. इसे ओसियन ब्रीथ के नाम से भी जाना जाता है. इस प्राणायाम को करने से शरीर में गर्म हवा प्रवेश करती है और दूषित हवा बाहर निकलती है. यह प्राणायाम करने से सांसों पर नियंत्रण मिलता है और मन शांत रहता है

संस्कृत शब्द उज्जायी का मतलब है "विजयी"। यह नाम दो शब्दों पर रखा गया है: "जी" और "उद्"। जी का मतलब है 'जीतना' या 'लड़ कर प्राप्त करना' और उद् का अर्थ है 'बंधन'। तो इसका मतलब उज्जायी प्राणायाम का मतलब वह प्राणायाम जो बंधन से स्वतंत्रता दिलाता है।

इस लेख में उज्जायी प्राणायाम के फायदों और उसे करने के तरीको के बारे में बताया है। साथ ही इस लेख में उज्जायी प्राणायाम के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में भी जानकारी दी गई है। 

उज्जयी प्राणायाम की गहरी और धीमी सांस लेने से पूरे शरीर में रक्त प्रवाह को बढ़ाने में मदद मिलती है, जिससे परिसंचरण में सुधार और थकान को कम करने में मदद मिल सकती है। बेहतर परिसंचरण कोशिकाओं, अंगों और मांसपेशियों में अधिक ऑक्सीजन ला सकता है जो विषाक्त पदार्थों को हटाने और समग्र कार्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।

उज्जायी प्राणायाम करने का तरीका

किसी भी आरामदायक आसान में बैठ जायें। पूरे शरीर को शिथिल कर लें।

समान रूप से श्वास लें।

थोड़ी देर बाद अपना ध्यान गले पर ले आयें।

ऐसा अनुभव करें या कल्पना करें की श्वास गले से आ-जा रहा है।

एक शांत जगह पर बैठ जाएं

सुखासन या पद्मासन की मुद्रा में बैठें

आंखें बंद करें

नाक से धीरे-धीरे लंबी और गहरी सांस लें

मुंह से सांस छोड़ते समय 'हा' ध्वनि निकालें

सांसों को छोड़ते समय गले के पिछले हिस्से में सांसों को महसूस करें

सांसों से आने वाली ध्वनि को समुद्र की लहरों की आवाज़ जैसा महसूस करें

गले को सिकोड़कर सांस लें, ताकि आपकी सांस तेज़ आवाज़ करे

सांसों पर ध्यान केंद्रित रखें

सांस लेने और छोड़ने की अवधि बराबर रखें

मन को शांत रखें और सांसों की प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित करें

शुरुआत में 5-8 मिनट तक अभ्यास करें और धीरे-धीरे समय 

उज्जायी प्राणायाम के कई फ़ायदे हैं. यह प्राणायाम शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है. उज्जायी प्राणायाम करने से ये फ़ायदे होते हैं

उज्जायी प्राणायाम के फ़ायदे

यह प्राणायाम मन को शांत करता है और ध्यान लगाने में मदद करता है

इससे तंत्रिका तंत्र शांत होता है

यह प्राणायाम हृदय गति को नियंत्रित करता है और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों से बचाता है

यह प्राणायाम पाचन तंत्र को मज़बूत बनाता है और अपच, गैस जैसी समस्याओं को कम करता है

यह प्राणायाम अनिद्रा जैसी नींद से जुड़ी समस्याओं को दूर करता है

यह प्राणायाम थायरॉइड ग्रंथि को उत्तेजित करता है और हार्मोनल संतुलन बनाए रखता है

यह प्राणायाम गले और नाक के मार्ग को साफ़ रखता है

यह प्राणायाम फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है और श्वसन प्रणाली को मज़बूत करता है

यह प्राणायाम अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी सांस की समस्याओं में फ़ायदेमंद होता है

यह प्राणायाम याददाश्त में सुधार करता है और मानसिक स्पष्टता और फ़ोकस बढ़ाता है

यह प्राणायाम सांसों पर नियंत्रण पाने में मदद करता है

यह प्राणायाम मन को शांत करता है

यह प्राणायाम गले और फेफड़ों को साफ़ करता है

तनाव कम होता है

मानसिक ध्यान में सुधार होता है

आप सोने से पहले शवासन में भी इसका अभ्यास कर सकती हैं। इससे नींद आसानी से आएगी।

इससे मन शांत होता है और शरीर में ताजगी महसूस होती है।

इसे करने से थायराइड भी मैनेज होता है।

उज्जाई प्राणायाम को 'ओशन ब्रीथ' भी कहा जाता है. यह प्राणायाम सांस और मन को स्थिर करता है. इसे तनाव कम करने और मानसिक ध्यान में सुधार के लिए किया जाता है

उज्जायी प्राणायाम क्या है?

उज्जायी प्राणायाम एक श्वास अभ्यास है जिसमें गले को हल्का सा सिकोड़कर लम्बी सांस ली जाती है, जिसमें एक विशिष्ट तेज़ या समुद्री ध्वनि होती है। हालाँकि यह ध्वनि गले में उत्पन्न होती है, लेकिन उज्जायी का अभ्यास केवल नाक से सांस अंदर और बाहर लेकर किया जाता है, मुँह बंद रखते हुए।

उज्जैन को किस प्रकार के प्राणायाम के नाम से जाना जाता है?

उज्जायी प्राणायाम ( सांस को नियंत्रित करने की तकनीक ) एक नरम, फुसफुसाती हुई सांस है जिसे आप विजयी सांस या शायद समुद्र की सांस भी कहते हैं। इसकी तुलना पेड़ों के बीच से हवा की आवाज़ या किनारे पर आने वाली लहरों से की जाती है। नीचे उज्जायी प्राणायाम के लिए संस्कृत शब्द दिए गए हैं: उज्जायी: विजय।

उज्जयी प्राणायाम कितनी बार करें?

उज्जायी प्राणायाम का अभ्यास किसी भी समयावधि के लिए किया जा सकता है। नियमित रूप से केवल बारह चक्रों का अभ्यास करने से बहुत लाभ मिलता है, लेकिन प्रतिदिन दस से बीस मिनट तक अभ्यास करने से वास्तव में बहुत लाभ हो सकता है।

उज्जायी प्राणायाम कितनी देर करना चाहिए?

ऐसा 10-20 मिनिट तक करें। अगर आपको ज़्यादा देर बैठने में परेशानी हो तो उज्जायी प्राणायाम लेटकर या कड़े हो कर भी कर सकते हैं।

उज्जयी प्राणायाम का अभ्यास करने का संभावित लाभ निम्न में से कौन सा है?

उज्जायी प्राणायाम मन को शांति प्रदान करता है तथा शरीर में वाइब्रेशन उत्पन्न करता है। जिससे हमें एक नई ऊर्जा का अनुभव होता है। इस प्राणायाम का उपयोग चिकित्सा में तंत्रिका तंत्र को ठीक करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है।

उज्जायी प्राणायाम  के लाभ

ध्यान लगाने की क्षमता बढ़ती है।

इससे शरीर स्वस्थ और मजबूत होता है।

आंतरिक ऊर्जा को बढ़ाता है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करता है।

इस प्राणायाम का नियमित प्रयोग बंद धमनियों को खोलने और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने का कार्य करता है।

इसके अभ्यास से साइनस और माइग्रेन की समस्या को दूर किया जा सकता है।

हृदय रोगों और हार्टअटैक जैसी समस्या की संभावनाओं को कम करता है।

आवाज को सुरीला बनाने के साथ-साथ यह प्राणायाम थाइरॉइड जैसी बीमारी से भी दूर रखता है ।

खांसी, अपच, लीवर की समस्याओं, पेचिश, बुखार जैसी बीमारियों के होने की सम्भावनाओं को कम करने का काम करता है।

उज्जाई प्राणायाम कौन सा है?

उज्जायी प्राणायाम करने की विधि

इस अभ्यास के लिए शांत जगह सुखासन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब गहरी सांस लेते हुए फेफड़ों में जा रही हवा को महसूस करें। प्राणायाम के दौरान सारा ध्यान सांसों की प्रक्रिया पर रहना चाहिए। अपनी सांसों से आने वाली ध्वनि को महसूस करने की कोशिश करें और अपने मन को शांत रखें।

उज्जायी प्राणायाम के बारे में कुछ और बातें

उज्जायी प्राणायाम को विजयी श्वास भी कहा जाता है

यह तनाव और दिमाग को संतुलित करने में मदद करता है

यह योग और ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है

अगर आपको सांस लेने में दिक्कत है या अस्थमा जैसी कोई बीमारी है, तो यह सांस लेने का तरीका मुश्किल हो सकता है

उज्जायी प्राणायाम करने का सबसे अच्छा समय सुबह या शाम का होता है

उज्जायी प्राणायाम का अर्थ

उज्जायी प्राणायाम का मतलब है, 'विजयी श्वास'. यह एक श्वास अभ्यास है, जिसमें गले को हल्का सा सिकोड़कर लंबी सांस ली जाती है. इस प्राणायाम को करने पर समुद्र की तरह ध्वनि आती है, इसलिए इसे महासागरीय श्वास भी कहा जाता है

उज्जायी प्राणायाम के प्रकार

उज्जायी प्राणायाम एक सांस लेने की तकनीक है. इसमें सांस लेना और छोड़ना दोनों ही नाक से किया जाता है. उज्जायी प्राणायाम के कुछ प्रकार ये रहे: उज्जायी श्वास, भास्त्रिका प्राणायाम, समुद्र जैसी ध्वनि पैदा करना

उज्जायी प्राणायाम के कुछ नुकसान ये हैं: 

हृदय रोग या हार्ट अटैक की समस्या वाले लोगों को यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए

जिन लोगों का रक्तचाप कम है या जो बहुत अंतर्मुखी हैं, उन्हें किसी योग गुरु या योग चिकित्सक के मार्गदर्शन में ही थोड़े समय के लिए यह प्राणायाम करना चाहिए

अगर सावधानी न बरती जाए, तो शरीर की कोई नस खिंच सकती है और दर्द हो सकता है

हृदय रोग के मरीज़ श्वास रोके बिना यह प्राणायाम कर सकते हैं

प्राणायाम करने से पहले ये सावधानियां बरतनी चाहिए

साफ़ और शांत जगह पर बैठें

अपने मन को शांत और व्यवस्थित रखें

सही मुद्रा में बैठें

विभिन्न प्रकार के प्राणायाम के साथ प्रयोग करके देखें कि कौन सा आपके लिए सबसे अच्छा काम करता है

 




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