Blog by Ishika Dhiman | Digital Diary
" To Present local Business identity in front of global market"
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सूर्य नमस्कार' का शाब्दिक अर्थ सूर्य को अर्पण या नमस्कार करना है। यह योग आसन शरीर को सही आकार देने और मन को शांत व स्वस्थ रखने का उत्तम तरीका है।
सूर्य नमस्कार १२ शक्तिशाली योग आसनों का एक समन्वय है, जो एक उत्तम कार्डियो-वॅस्क्युलर व्यायाम भी है और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। सूर्य नमस्कार मन वह शरीर दोनों को तंदुरुस्त रखता है।
यदि आपके पास समय की कमी है, और आप चुस्त दुरुस्त रहने का कोई नुस्ख़ा ढूँढ रहे हैं, तो सूर्य नमस्कार उसका सबसे अच्छा विकल्प है।
सूर्य नमस्कार प्रातःकाल खाली पेट करना उचित होता है। आइए अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिए सूर्य नमस्कार के इन सरल और प्रभावी आसनों को आरंभ करें।
प्रत्येक सूर्य नमस्कार के चरण में १२ आसनों के दो क्रम होते हैं। १२ योग आसन सूर्य नमस्कार का एक क्रम पूर्ण करते हैं। सूर्य नमस्कार के एक चरण के दूसरे क्रम में योग आसनों का वो ही क्रम दोहराना होता है, अपितु केवल दाहिने पैर के स्थान पर बाएँ पैर का प्रयोग करना होगा (नीचे चौथे और नवें पद में इसका विवरण दिया गया है)। सूर्य नमस्कार के विभिन्न प्रारूप पाए जाते हैं, हालाँकि बेहतर यही है कि किसी एक ही प्रारूप का अनुसरण करें और उसी के नियमित अभ्यास से उत्तम परिणाम पाएँ।
अच्छे स्वास्थ्य के अतिरिक्त सूर्य नमस्कार धरती पर जीवन के संरक्षण के लिए हमें सूर्य के प्रति आभार प्रकट करने का अवसर भी देता है। अगले 10 दिनों के लिए अपना दिन, मन में सूर्य की ऊर्जा के प्रति आभार और कृपा का भाव रखकर प्रारंभ करें।
१२ सूर्य नमस्कार और दूसरे योग आसनों (Yoga asana) को करने पश्चात योग निद्रा में पूर्ण विश्राम अवश्य करें। आप पाएँगे कि यह आपके चुस्त दुरुस्त, प्रसन्न और शांत रहने का मंत्र बन गया है।
सूर्य नमस्कार योग के १२ आसनों के बारे मे जानने के लिए अगला ब्लॉक देखे।
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गोमुखासन का नाम दो शब्दों पर रखा गया है: गऊ और मुख। गऊ यानी गाए और मुख यानी चेहरा। गोमुखासन को यह नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि इस आसान में आपके जांघ और पिंडली गाय के चेहरे के समान मुद्रा में होते हैं: पीछे की ओर चौड़ा और सामने की तरफ पतला।
गोमुखासन के फायदे इस प्रकार हैं:
1.जांघों, कूल्हों, ऊपरी पीठ, ऊपरी बांह और कंधों के मांसपेशियों को मजबूत बनाता है गोमुखासन।
2.विश्राम करने के लिए गोमुखासन एक उत्कृष्ट आसन है।
3.यदि 10 मिनट या अधिक के लिए आप इसका अभ्यास करें, तो यह थकान, तनाव और चिंता को कम करेगा। ध्यान रहे की अभ्यास की अवधि धीरे-धीरे ही बढ़ायें। (और पढ़ें – थकान से बचने के उपाय)
4.यह गुर्दों को उत्तेजित करता है और दीर्घ आयु में मधुमेह की शुरुआत होने की संभावना कम करता है।
5.यह पीठ दर्द, कटिस्नायुशूल (साएटिका), गठिया और कंधे और गर्दन में सामान्य कठोरता से राहत देता है।
6.छाती को को खोलता है और आपके पोस्चर या सामान्य बैठने और खड़े होने की मुद्रा में सुधार लाता है।
7.यह पैर में ऐंठन को कम करता है और पैर की मांसपेशियों को मज़बूत बनाता है।
गोमुखासन करने के विधि ध्यान से पढ़ें:
1.सुखासन में बैठो, अपने पैरों को आगे बढ़ाएं।
2.बाएं टाँग को मोड़ें और शरीर के करीब खींच लें। अपने दाहिने घुटने को उठाएं और बाएं पैर को दाहिनी जांघ के नीचे टीका लें ताकि वह नितंब को छू सके।
3.अपने दाहिनी टाँग को शरीर की ओर खींचें और बाएं जांघ के उपर से इसे घुमा कर रख लें ताकि पैर ज़मीन पर टिका हो।
4.बाएं हाथ को पीठ पर टिकायं और दायें हाथ को उठा कर कंधे के उपर से ले जा कर पीठ पर टिकाएं।
5.बाएं हाथ का पिछला हिस्सा रीढ़ की हड्डी पर टीका होना चाहिए, जबकि दाहिने हाथ की हथेली रीढ़ की हड्डी पर टिकी होनी चाहिए।
6.अब पीठ के पीछे ही दोनों हाथों को एक दूसरे से पकड़ने की कोशिश करें।
7.दाहिने हाथ को सिर के पीछे ले आयें, ताकि सिर हाथ के अंदर के भाग को छू सके।
8.रीढ़ की हड्डी एकदम सीधी होनी चाहिए और सिर आगे की ओर बिल्कुल नहीं होना चाहिए।
9.आँखें बंद कर लें। इस मुद्रा में 2 मिनट तक रहें।
10.आसान से बाहर निकालने के लिए हाथों को खोलें, टाँगों को सीधा कर लें और दूसरी तरफ दोहराएं।
यदि आपको गंभीर गर्दन या कंधे की समस्या है, तो गोमुखासन ना करें।
नियमित योग के बहुत सारे फायदे हैं। योगासन से सकारात्मकता आती है, साथ ही यह बीमारियों को दूर कर आपको निरोग रखता है। योग का फायदा तभी मिलता है, जब आप इसे सही तरीके से करते हैं। वर्तमान में तनाव का नाता सबसे करीबी हो गया है, इसे दूर करने में सबसे अधिक प्रभावी आसन है मकरासन। इस आसन को आराम देने वाला और थकान दूर करने वाला आसान भी कहा जाता है।
मकरासन संस्कृत का शब्द है जो मकर और आसन इन दो शब्दों से मिलकर बना है। यहां मकर का अर्थ मगरमच्छ (Crocodile) और आसन का अर्थ मुद्रा (Pose) है। नदी में मगरमच्छ के शांत अवस्था में लेटने की मुद्रा ही मकरासन कहलाती है। इस आसन का अभ्यास करते समय मगरमच्छ की आकृति में ही एकदम शांत मुद्रा में जमीन पर लेटना पड़ता है।
यह एक ऐसा आसन है जिसमें आंखे बंद रखकर श्वास लेने की क्रिया की जाती है, जिसके कारण यह शरीर और दिमाग को बिल्कुल शांत रखता है और डिप्रेशन, बेचैनी, उलझन, माइग्रेन और मस्तिष्क से जुड़े विकारों को दूर करता है। सिर दर्द से परेशान लोगों के लिए यह आसन दवा का कार्य करता है। स्त्रियों में कमर दर्द की समस्या को दूर करने में भी यह आसन बहुत फायदेमंद होता है।
आइये जानते हैं मकरासन की विधि, फायदे और सावधानियों के बारे में।
मकरासन शांत मन और मस्तिष्क के साथ किया जाता है। इसलिए इसका सबसे बड़ा फायदा मस्तिष्क को ही होता है। दिमाग को एकाग्र रखने और तनाव की समस्या को दूर करने में यह बहुत फायदेमंद होता है। इसके अलावा भी मकरासन करने के कई फायदे होते हैं। आइये जानें उन फायदों के बारे में।
1. इस आसन का अभ्यास करने से कंधों एवं रीढ़ की की मांसपेशियों में तनाव कम होता है और मांसपेशियां मजबूत और लचीली बनती हैं। इसलिए लोग मांसपेशियों से जुड़ी समस्याओं से निजात पाने के लिए मकरासन का अभ्यास (Practice) करते हैं। कूल्हों की मांसपेशियों को बेहतर बनाने में भी यह आसन फायदेमंद है।
2. मकरासन का अभ्यास करते समय गहरी सांस लेने एवं छोड़ने की प्रक्रिया से अस्थमा की बीमारी ठीक हो जाती है। इसके अलावा घुटनों में दर्द (Knee Pain) एवं फेफड़े से जुड़ी समस्याएं भी खत्म हो जाती हैं।
3. प्रतिदिन सही तरीके से मकरासन का अभ्यास करने से स्पॉन्डिलाइटिस की बीमारी से निजात मिलता है। इस आसन को करने से साइटिका और स्लिप डिस्क की समस्या भी दूर हो जाती है। इसके अलावा यह आसन शरीर के छोटे-छोटे विकारों को भी दूर कर देता है। घुटनों के दर्द को दूर करने में भी यह आसन फायदेमंद होता है।
4. मकरासन का अभ्यास करने से हाइपरटेंशन, हृदय रोगों एवं मानसिक रोगों (Mental Disorders) से छुटकारा मिलता है। इसलिए इन रोगों से बचने के लिए प्रतिदिन मकरासन का अभ्यास करना चाहिए। पैर के दर्द को दूर करने में भी यह आसन बहुत सहायक होता है।
5. यह आसन शरीर की थकान और दर्द से राहत प्रदान करने, गर्दन की अकड़न को कम करने, पेट की मांसपेशियों को टोन करने और कब्ज की समस्या को दूर करने के साथ ही पेट से जुड़ी कई बीमारियों को दूर करने में मदद करता है।
1. पेट के बाल लेट जायें।
2. सिर और कंधों को ऊपर उठाएं और ठोड़ी को हथेलियों पर और कोहनियों को ज़मीन पर टिका लें।
3. रीढ़ की हड्डी में अधिक मोड़ लाने के लिए कोहनियों को एक साथ रखें (ध्यान रहे ऐसा करने में दर्द ना हो)।
4. गर्दन पर अतिरिक्त दबाव हो तो कोहनियों को थोड़ा अलग करें। अगर कोहनियां ज़्यादा आगे होंगी तो गर्दन पर अधिक दबाव पड़ेगा, शरीर के करीब होंगी तो पीठ पर अधिक दबाव पड़ेगा।
5. अपने शरीर के हिसाब से कोहनियों की सही जगह चुनें। उत्तम जगह वह है जहां आपको पीठ और गर्दन में पूरी तरह से आराम महसूस हो।
6. पूरे शरीर को शिथिल करें और आंखें बंद कर लें।
आमतौर पर हर तरह का आसन, योगा और प्राणायाम हमारे शरीर के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन जब शरीर में कोई विशेष तरह की परेशानी हो तो किसी भी आसन का अभ्यास करते समय हमें कुछ जरूरी सावधानियां भी बरतनी चाहिए। आइये जानते हैं कि मकरासन करते समय क्या सावधानियां बरतें।
1. अगर आप गंभीर कमर दर्द या पीठ दर्द और गर्दन के दर्द से परेशान हैं या इन अंगों में किसी तरह की चोट लगी हो तो मकरासन का अभ्यास करने से बचें अन्यथा यह आपकी समस्या को बढ़ा सकता है।
2. यदि स्वास्थ्य से जुड़ी किसी भी समस्या से आप परेशान हों तो मकरासन का अभ्यास करने से पहले एक बार विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें लें।
3. मकरासन का अभ्यास करते समय शरीर को सीधे रखें और किसी भी कोण पर घुमाएं नहीं अन्यथा शरीर में कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
4. इस आसन को करते समय शरीर मेंं अधिक तनाव पैदा न करें और शांत दिमाग से मकरासन का अभ्यास करें तभी यह फायदेमंद साबित होगा।
5. शोरगुल या कोलाहलपूर्ण जगहों पर मकरासन का अभ्यास करने से परहेज करें, अन्यथा दिमाग एकाग्र नहीं होगा और इस आसन को करने में सिर्फ समय ही व्यर्थ होगा।
6. अगर आपको अधिक मोटापे और उच्च रक्तचाप की समस्या हो, तो मकरासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
क्या आप मुश्किल से मुश्किल योग मुद्रा करने के बावजूद शवासन नहीं करते है?अगर आप फिटनेस फ्रीक हैं और स्वस्थ रहने के लिए नियमित योगाभ्यास करती हैं ,तो बेहतर परिणामों के लिए आपको इसका सही रुटीन पता होना चाहिए।
योग में शवासन सबसे आसान मुद्रा मानी जाती है। लेकिन अगर आप व्यायाम करने के बाद इसे नहीं करते हैं, तो यह गलत है। इस आसन में एक मृत शरीर की भांति लेटे रहना पड़ता है। अक्सर समय की कमी के कारण अधिकांश लोग इस आसन को स्किप कर देते हैं। जबकि ऐसा करना सही नहीं है। योगासन करने के बाद अपने थके हुए शरीर को थोड़ी देर विश्राम देने के लिए शवासन करना जरूरी है। एक सही योगासन का चक्र मुद्राओं के साथ शुरू होकर विश्राम पर अंत होना।
यह योग विज्ञान का सबसे महत्वपूर्ण आसन है। आम धारणा है कि शवासन बेहद सरल आसन है। जबकि हकीकत यह है कि शवासन योग विज्ञान के सबसे कठिन आसनों में से एक है। ये आसन देखने में बेहद सरल लगता है, लेकिन इसमें सिर्फ लेटना ही नहीं होता। इसमें अपने मन की भावनाओं और शरीर की थकान दोनों पर एक साथ नियंत्रण पाना होता है।
शवासन योग सेशन के बाद किया जाता है। इसे करने से डीप हीलिंग (deep healing) के साथ ही शरीर को गहराई तक आराम भी मिलता है। इस आसन को तब भी किया जा सकता है जब आप बुरी तरह से थके हों और आपको थोड़ी ही देर में वापस काम पर लौटना हो। शवासन का अभ्यास आपको ताजगी और ऊर्जा भी देगा।
० सबसे पहले अपने योग मैट पर पीठ के बल लेट जाएं। ये सुनिश्चित करें कि आसन करने के दौरान कोई भी आपको डिस्टर्ब न करे। किसी तकिये या कुशन का इस्तेमाल न करें। सबसे अच्छा यही है कि आप जमीन पर लेटें।
० अपनी आंखें बंद कर लें।
० अब दोनों टांगों को एक दूसरे से अलग-अलग कर लें। इस बात का ध्यान रखें कि आप पूरी तरह से रिलैक्स हों और आपके पैरों के दोनों अंगूठे अपनी साइड की तरफ मुड़े हो।
०आपके हाथ आपके शरीर से थोड़ी दूरी पर हो। अपनी हथेलियों को खुला, लेकिन ऊपर की तरफ रखें।
० अब धीरे-धीरे शरीर के हर हिस्से की तरफ ध्यान देना शुरू करें, शुरुआत पैरों के अंगूठे से करें। जब आप ऐसा करने लगें, तो सांस लेने की गति एकदम धीमी कर दें। धीरे-धीरे आप गहरे मेडिटेशन में जाने लगेंगे।
० ध्यान रहे जैसे ही आपको आलस या उबासी आए सांस लेने की गति तेज कर दें। आपको शवासन करते हुए कभी भी सोना नहीं है।
० यह आपको धीरे-धीरे पूरी तरह रिलैक्स करने लगेगा। मन में सोचें कि जब आप सांस ले रहे हैं, तो वह पूरे शरीर में फैल रही है। लेकिन जब आप सांस छोड़ रहे हैं, तो शरीर शांत होता जा रहा है। आपका फोकस सिर्फ खुद और अपने शरीर पर ही रहेगा। ध्यान दें आपको सोना नहीं है।
० 10-12 मिनट के बाद, जब आपका शरीर पूरी तरह से रिलैक्स हो जाए और नई ताजगी को महसूस करने लगे तो, बाईं तरफ करवट ले लें। दोनों आंखों को बंद रखें। एक मिनट तक इसी स्थिति में लेटें रहें। इसके बाद धीरे-धीरे उठें और फिर पालथी मारकर या सुखासन में बैठ जाएं।
० कुछ गहरी सांसें लें और धीरे-धीरे आंखें खोल दें।
शवासन को करना बेहद सुरक्षित है और कोई भी इसका अभ्यास कर सकता है। लेकिन अगर डॉक्टर ने किसी मेडिकल कंडीशन की वजह से आपको पीठ के बल लेटने से मना किया है, तो इस आसन का अभ्यास बिल्कुल भी न करें।
अगर आप शवासन करने से पहले कंधे, सीने और पीठ में जकड़न महसूस कर रहे हैं, तो आपके कंधे फर्श को छू नहीं सकेंगे। अगर आप जबरन इसे करने की कोशिश करेंगे तो आपकी गर्दन दर्द करने लगेगी। इसलिए यह योगासन करते समय जबरदस्ती न करें।
रोज योग करने के बाद 8-10 मिनट तक शवासन का अभ्यास करना चाहिए। इससे अपनी खोई हुई ऊर्जा मिलने के साथ ही आपको डिप्रेशन और तनाव से मुक्ति मिलेगी। इसके कुछ अन्य फायदें है:
1. शरीर को ध्यान की स्थिति में लाना
शवासन आपको ध्यान की स्थिति में ले जाता है, जिससे आपके थके हुए सेल्स और टिशू दुबारा रिपेयर हो जाते हैं। यह स्ट्रेस से भी छुटकारा देता है।
2. रीलैक्स और शांत करना
ये आपका वर्कआउट खत्म करने के लिए एक बेहतरीन आसन है। इसे करते ही आप रीलैक्स और शांत हो जाएंगे। यह आपकी थकान को दूर करके आपके शरीर में ऊर्जा का संचार करता है। आपके रोजमर्रा के काम और एक्सरसाइज के बीच संतुलन बनाता है शवासन।
3. हाई ब्लड प्रेशर और एंग्जायटी से राहत
जब आपका शरीर आराम की स्थिति में आ जाता है, तो आपका ब्लड प्रेशर का स्तर गिरने लगता है। यह मुद्रा आपके दिल को आराम देने में मदद करता है जिसके कारण आप ऐंगज़ाइटी या घबराहट का अनुभव नहीं करते है।
4. ऊर्जा के स्तर को बढ़ाना
सिर्फ 10 मिनट तक शवासन करने से आपको ऐसी ऊर्जा का अनुभव होगा, जैसा बाकी किसी उपाय से पहले कभी नहीं हुआ था। ये आपकी प्रोडक्टिविटी को बढ़ाने में भी मदद करता है।
5. मेमोरी तेज करता है शवासन
मेडिटेशन का सीधा फायदा ये है कि ये फोकस और एकाग्रता को बढ़ाने में मदद करता है। जब आप शवासन कर रहे होते हैं तो अपने आप आपका ध्यान शरीर के हर हिस्से पर अपने आप ध्यान केंद्रित करने लगता है। आपका दिमाग अपने आप ही एकाग्रता और याददाश्त को मजबूत करने लगता है।
तो अगर आप जल्दबाजी में या शवासन को सरल आसान समझकर इसे स्किप करते है तो वक्त आ गया है कि यह आपके योग रूटीन में शामिल हो।
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किसी भी प्रकार के योगासन को आप जबरदस्ती न करें। अंग संचालन या सूक्ष्म व्ययाम में पारंगत होने के बाद पहले सरलतम योग आसन ही करें और उसके बाद ही कठिन योगासन करने के प्रयास करें। यदि आप बलपूर्वक कोई योगासन करते हैं तो इससे आपको शारीरिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। शरीर के किसी भीतरी अंग पर प्रेशर पड़ने से गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है। आसन करते समय अनावश्यक जोर न लगाएं। प्रारम्भ में आप अपनी मांसपेशियों को कड़ी पाएंगे, लेकिन कुछ ही सप्ताह के नियमित अभ्यास से शरीर लचीला हो जाता है। आसनों को आसानी से करें, कठिनाई से नहीं। उनके साथ ज्यादती न करें। आसन के प्रारंभ और अंत में विश्राम करें। आसन विधिपूर्वक ही करें। प्रत्येक आसन दोनों ओर से करें एवं उसका पूरक अभ्यास करें।
किसी भी प्रकार का कोई गंभीर रोग है तो किसी योग शिक्षक की सलाह से ही योगासन करें और यदि किसी भी प्रकार की कोई चोट है तो भी योगासन न करें। मासिक धर्म, गर्भावस्था, बुखार, गंभीर रोग आदि के दौरान आसन न करें। यदि आसन को करने के दौरान किसी अंग में अत्यधिक पीड़ा होती है तो किसी योग चिकित्सक से सलाह लेकर ही आसन करें।
कई लोग सुबह नाश्ता करने के बाद योग करते हैं या शाम को योगासन करते हैं जबकि योगासन करने के लिए खाली पेट होना जरूरी है। आप बस पानी पी सकते हैं। खाली पेट नहीं हैं तो उलटी भी आ सकती है, जी मिचला सकता है और सांस लेने में भी परेशानी का अनुभव हो सकता है। योगासन शौच क्रिया एवं स्नान से निवृत्त होने के बाद ही किया जाना चाहिए। वज्रासन को छोड़कर सभी आसन खाली पेट करें।
कई लोग योगासन के तुरंत बाद स्नान लेते हैं या ठंडा पानी पी लेते हैं। यह शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। क्योंकि योग आसन करने के बाद हमारा शरीर गरम रहता है ऐसे में तुरंत पानी पीना या स्नान करना नुकसान पहुंचा सकता है। इससे सर्द-गर्म की शिकायत हो सकती है और आपको जुकाम व कफ जैसी परेशानी भी हो सकती है। योगासन करने के एक घंटे पश्चात ही स्नान करें।
आजकल लोग योग के आसन करने के साथ ही जिम में कड़ी मेहनत भी करने लगे हैं जो कि घातक है, क्योंकि योग आपके शरीर को लचीला बनाता है जबकि जीम की कसरत सख्त बनाता है। यह दोनों काम एक साथ करना शरीर को भारी नुकसान पहुंचा सकता है।
योग विज्ञान में ऐसे कई योगासन मौजूद हैं, जो हमारे जीवन को सम्पूर्ण रूप से आरामदायक बनाने में सहायता प्रदान करते हैं. यदि किसी व्यक्ति को शारीरिक, आध्यात्मिक और मानसिक तीनों आवश्यकताओं को पूरा करना है, तो उसके लिए भी एक विशेष योग आसन मौजूद है जिसका नाम है पर्वतासन. शरीर को मजबूती प्रदान करने में यह योग आपके लिए लाभकारी हो सकता है. इस लेख में हम पर्वतासन योग का अर्थ, फायदे और प्रक्रिया के बारे में जानेंगे.
पर्वतासन को अष्टांग योग का आसन माना गया है. यह बैठने की सबसे महत्वपूर्ण मुद्राओं में से एक है. इसमें पैरों को पद्मासन या कमल मुद्रा में रखा जाता है, जबकि शरीर के ऊपरी हिस्से को ऊपर की ओर खींचा जाता है. इस प्रकार यह सुखासन का ही एक प्रकार है.
पर्वतासन का अंग्रेजी नाम माउंटेन पोज है. यह योगासन एक प्रकार की मुद्रा है, जो मानसिक, शारीरिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक रूप से फायदेमंद है.
पर्वतासन नाम संस्कृत के शब्दों से आया है, जहां पर्वत का अर्थ है "पर्वत" और "आसन" का अर्थ "योग मुद्रा" से है. इसे करते समय शरीर की मुद्रा किसी पर्वत के समान नजर आती है. ये योगासन खासकर उन लोगों के लिए, जो खड़े होकर योगासन नहीं कर सकते. अगर यही योगासन खड़े होकर किया जाए, तो इसे ताड़ासन कहा जाता है.
पर्वतासन योग में हमारे पैर पद्मासन या कमल मुद्रा में होते हैं. आइए, विस्तार से जानते हैं कि इसे कैसे करना चाहिए-
० सबसे पहले फर्श पर दंडासन स्थिति में पैरों को सामने की ओर फैलाकर बैठ जाएं और हाथों को शरीर के बगल में रखें.
० अब पद्मासन की मुद्रा में बैठें यानी आपका दाहिना पैर बाईं जांघ पर और बायां पैर दाहिनी जांघ पर होगा.
० इसके बाद लंबी गहरी सांस लेते हुए हथेलियों को नमस्कार मुद्रा में लाएं और हाथों को सीधा सिर के ऊपर ले जाएं.
० अब अपने शरीर और हाथों को ऊपर की ओर खींचें.
० 30-40 सेकंड तक ऐसे ही रहें और सामान्य गति सांस लेते रहें.
० फिर सांस छोड़ते हुए हाथों के नीचे लाएं.
० ध्यान रखें कि आपको पर्वतासन योग को नियमित रूप से पूरे अनुशासन के साथ करना है. ऐसा करने से निर्धारित समयावधि में आपको सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेगा.
पर्वतासन करने से होने वाले लाभ के बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है -
० पर्वतासन करने से शरीर का संतुलन बेहतर हो सकता है.
० यह रीढ़ की हड्डी को बेहतर करता है और पीठ की मांसपेशियों को सीधा करता है.
० इस योगासन का नियमित अभ्यास करने से शरीर मजबूत बनता है और शरीर का ढीलापन भी दूर होता है.
० पर्वतासन योग कंधों और पीठ में तनाव को भी दूर करता है.
० यह योगासन स्त्री और पुरुष दोनों को समान रूप से लाभ पहुंचाता है और शीघ्रपतन के रोग में पूर्ण लाभ प्राप्त किया जा सकता है.
० कंधों की मजबूती के लिए पर्वतासन कारगर है और इससे पैरों की ताकत भी बढ़ती है.
० पर्वतासन योग हृदय चक्र को भी सक्रिय करता है.
० फेफड़ों या सांस की बीमारियों से निजात पाने के लिए पर्वतासन से बेहतर कोई उपाय नहीं है.
० गर्भाशय के रोगों को दूर करने और गर्भावस्था के बाद त्वचा के लचीलेपन को खत्म करने के लिए यह योग करना चाहिए.
० जिस व्यक्ति को शीघ्रपतन की समस्या हो, उसे यह आसन अवश्य करना चाहिए. एक्सपर्ट के मुताबिक इस आसन से यह समस्या ठीक हो सकती है.
कई तरह के योगासनों में से एक भुजंगासन है, जिसके अनेक स्वास्थ्य लाभ हैं। भुजंगासन का अभ्यास हर उम्र और स्थिति के लोग कर सकते हैं। इस योग से शारीरिक और मानसिक दोनों सेहत पर असर पड़ता है। भुजंगासन पीठ की समस्या, रीढ़ की हड्डी की परेशानियों को ठीक करने में कारगर योग क्रिया है। इसके साथ ही किडनी, लिवर और फेफड़ों को भी स्वस्थ बनाता है। पाचन संबंधी समस्या हो या मांसपेशियों में खिंचाव लाना हो, भुजंगासन का अभ्यास कर सकते हैं। प्रजनन प्रणाली में सुधार, साइटिका, तनाव व थकान के साथ ही महिलाओं के अनियमित मासिक धर्म की समस्या को दूर कर सकता है।
एक योगासन और इतने सारे स्वास्थ्य समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। ऐसे में समय की कमी होने पर सिर्फ भुजंगासन के अभ्यास की आदत बनाकर खुद को सेहतमंद बना सकते हैं। हालांकि भुजंगासन के अभ्यास का सही तरीका अपनाना होगा। गलत तरीके से भुजंगासन का अभ्यास नुकसानदायक भी हो सकता है। आइए जानते हैं भुजंगासन के अभ्यास का सही तरीका और इससे होने वाले स्वास्थ्य लाभों के बारे में विस्तार से।
० योग विशेषज्ञों के मुताबिक भुजंगासन पीठ की मांसपेशियों को स्वस्थ रखने में असरदार योग है।
० भुजंगासन को पाचन, लिवर और किडनी के कार्यों में सुधार करने वाला योगासन माना जाता है।
० यह आसन रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है।
० छाती और फेफड़ों, कंधों और पेट की मांसपेशियों को फैलाता है।
० तनाव और थकान को दूर करने में मदद करता है।
० साइटिका की समस्या को कम करने में लाभदायक।
० भुजंगासन का नियमित अभ्यास अस्थमा के लक्षणों को कम करता है।
० प्रजनन प्रणाली में सुधार करने के लिए इस अभ्यास को फायदेमंद माना जाता है।
० अनियमित मासिक धर्म की समस्या भी दूर होती है।
० ब्लड सर्कुलेशन बढ़ने से आपके चेहरे पर निखार आता है।
स्टेप 1- भुजंगासन के अभ्यास के लिए पेट के बल सीधा लेटकर पैरों के बीच थोड़ी दूरी रखें।
स्टेप 2- अब हाथों को छाती के पास ले जाते हुए हथेलियों को नीचे टिका लें।
स्टेप 3- गहरी सांस लेते हुए नाभि को ऊपर उठाएं और आसमान की तरफ देखें।
स्टेप 4- उस मुद्रा में कुछ देर रहें।
स्टेप 5- इस दौरान सामान्य सांस लेते रहें।
स्टेप 6- फिर पुन: वाली अवस्था में आ जाएं।
स्टेप 7- यह प्रक्रिया तीन-चार बार दोहराएं।
हजारों वर्षों से, योग का अभ्यास आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक अनुशासन के रूप में किया जाता रहा है। अक्सर योग के लाभ केवल भौतिक स्तर पर ही देखे जाते हैं, हालांकि हममें से अधिकांश लोगों को यह नहीं पता होता है कि योग शरीर, मन और श्वास को जोड़ने के लिए कितना फायदेमंद है।
जब आपका शरीर और दिमाग एक साथ होते हैं, तो आपका मन शांत, खुश और अधिक संतुष्टिदायक होता है। यह व्यायाम का एक रूप है जो कैलोरी जलाने और मांसपेशियों को मजबूत करने के साथ-साथ शरीर और दिमाग दोनों को काम करता है।
बहरहाल, फिट, और एक्टिव रहने के रूप में योग तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। इसके कई लाभ हैं, जैसे बेहतर लचीलापन, ताकत और पॉस्चर। साथ ही तनाव में कमी और विश्राम शामिल हैं। शारीरिक गतिविधि के अलावा पोषण और भोजन, फिटनेस के आवश्यक घटक हैं।
योग करने के मुख्य फायदों में से एक है अच्छा लचीलापन। पैर की ऊंगालियों को छूना मुश्किल है मगर फिर भी आप चक्रासन करने के बारे में सोच सकती हैं। इसे नियमित करने से आपको महसूस होगा कि आपकी मांसपेशियों का लचीलापन अब बेहतर होने लगा है। इसकी वजह से आप असंभव लगने वाले आसनों को हासिल कर सकती हैं। योग शरीर के वजन को बनाए रखने वाली मांसपेशियों को मजबूत करके कार्यात्मक शक्ति बनाता है। यह आपके कोर को मजबूत करने के लिए भी बहुत अच्छा है, जो आपके एथलेटिक और रोजमर्रा की कार्यक्षमता दोनों में सुधार करता है
नियमित योग अभ्यास विभिन्न प्रकार की गठिया समस्याओं जैसे जोड़ों के दर्द को कम करने, जोड़ों के लचीलेपन और कार्य को बढ़ाने और तनाव को कम करने में मदद कर सकता है। योग उन लोगों में लोकप्रिय है जिन्हें पैरों में कोई समस्या है।
योग तंत्रिका तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। साथ ही, अच्छी नींद लेने में मदद करता है। यह आपको वर्तमान क्षण पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है।
बहुत से लोग अपने लचीलेपन को बढ़ाने के लिए योग शुरू करते हैं। मगर यह आपके फोकस को भी बढ़ाता है। यह आपको शारीरिक और मानसिक रूप से आराम करने में मदद करता है।
योग ध्यान और श्वास को जोड़ता है, जो दोनों के मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। योग अभ्यास शारीरिक जागरूकता में सुधार करता है, पुराने तनाव को कम करता है, मन को शांत करता है, ध्यान केंद्रित करता है और एकाग्रता में सुधार करता है।
योग परिसंचरण और रक्त प्रवाह को भी बढ़ाता है, जो हृदय के लिए अच्छा है। यह रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल, साथ ही हृदय गति को कम करने में भी मदद कर सकता है।
डेस्क पर लंबे समय तक बैठने से आपकी रीढ़ की हड्डी में चोट लग सकती है और आपको थकान हो सकती है। कुछ योग आसन करने से गर्दन और पीठ के निचले हिस्से की समस्याओं को रोकने के साथ-साथ आपके पॉस्चर को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है।
योग का अभ्यास लसीका प्रणाली को संक्रमण से लड़ने, घातक कोशिकाओं को नष्ट करने और सेलुलर गतिविधि से हानिकारक वेस्ट उत्पादों को हटाने में सहायता करता है।
यह न केवल रक्त शर्करा के स्तर को कम करता है, बल्कि यह अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाते हुए खराब कोलेस्ट्रॉल को भी कम करता है। योग आपको वजन कम करने में मदद करता है और आपकी इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करता है।
Read Full Blog...हर साल विश्व स्वास्थ्य संगठन के जन्मदिवस के रूप में 7 अप्रैल को "विश्व स्वास्थ्य दिवस" मनाया जाता है। इसके लिए हर साल एक नया विषय तय किया जाता है। इस बार विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम है "एक स्वस्थ दुनिया का निर्माण"। सच है, आज दुनिया गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रही है, ऐसे में संगठन तो अपना काम करेगा ही, लेकिन इससे पहले आपको अपनी जीवनशैली को स्वस्थ बनाने की जरूरत है।
दुनिया का हर व्यक्ति आज किसी न किसी स्वास्थ्य समस्या से ग्रसित है। वह जीवन की भागदौड़ में इतना व्यस्त हो गया है कि न तो उसके पास सोने का समय है और न ही वह स्वस्थ आहार ले पा रहा है। वहीं तनाव उसके आसपास ही मंडराता रहता है, जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में अपने आहार और जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव आपको एक अच्छा संपूर्ण स्वास्थ्य देने में मदद कर सकते हैं। आज वर्ल्ड हेल्थ डे (World Health Day) के मौके पर यहां हमने दिमाग और शरीर के लिए 5 सरल नियम सुझाए हैं, जो स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में कारगार साबित होंगे।
स्वस्थ जीवन के लिए संतुलित आहार बेहद जरूरी है। विशेषज्ञों की सलाह है कि एक दिन में कम से कम तीन सेहतमंद और पौष्टिक भोजन खाएं। रात के खाने को हल्का रखने की कोशिश करें। आपकी डाइट में खासतौर से फल, सब्जियां, साबुत अनाज, प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ शामिल होने चाहिए। बता दें कि एक अच्छी बैलेंस्ड डाइट आपको बढ़िया पोषण देगी।
खुद को स्वस्थ रखने के लिए अपनी नींद लेना जरूरी है। कई अध्ययनो मैं भी यह बात साबित हई है कि नींद की कमी मोटापे और हृदय रोग सहित कई बीमारियों का कारण है। इसलिए सभी उम्र के लोगों को मानसिक थकान को दूर करने के लिए अच्छी नींद लेनी चाहिए।
तनाव आपके कई स्वास्थ्य समस्याओं के लिए जिम्मेदार है। हर दिन तनाव में रहने से न केवल वजन बढ़ेगा, बल्कि बीमारियां भी हो सकती हैं। हालांकि, तनाव को काबू में लाना हर किसी के बस की बात नहीं है, लेकिन उन वजहों से खुद को कितना कम परेशान करना है , ये आप पर निर्भर करता है । इसलिए पहले आपको समझना होगा कि किस चीज को आप अपने जीवन में ज्यादा अहमियत देते हैं। अगर आप ये समझ लेंगे, तो तनाव को कंट्रोल करना आसान हो जाएगा। फिर भी आपको कुछ समझ न आए, तो कुछ तरीकों से तनाव को दूर कर सकते हैं। एक्सरसाइज करें, गहरी सांस लेने की तकनीक अपनाएं और ध्यान करें इससे आपको बहुत फायदा होगा।
जीवन की जरूरतों को पूरा करने के चक्कर में हम अपने मानसिक स्वास्थ्य को भूल ही जाते हैं। लेकिन संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए मानसिक स्वास्थ्य का अच्छा होना बहुत जरूरी है। ये नहीं भूलना चाहिए कि हमारा मानसिक स्वास्थ्य ही हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य की नींव है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए योगा और ध्यान अच्छा विकल्प है। इसके अलवा कुछ अच्छे कामों में खुद को शामिल करें और खुश रहें।
व्यायाम आपको स्वस्थ और सक्रिय रखने का एक शानदार तरीका है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन हर सप्ताह 150 मिनट व्यायाम या सप्ताह में कम से कम तीन बार एक घंटे तक व्यायाम करने का सुझाव देता है। याद रखें, कि वर्कआउट को जितना मजेदार बनाएंगे, उतना आपको फायदा होगा। एक्सर्साइज़ के दौरान डांस, एरोबिक्स जैसी कुछ एक्टिविटीज को शामिल कर सकते हैं।
यहां बताए गए इन जरूरी नियमों को अपनी दिनचर्या में आज ही शामिल करें। इससे आपको शरीर और दिमाग को स्वस्थ रखने में न केवल मदद मिलेगी बल्कि आप एक अलग खुशी का अनुभव भी करेंगे।
Read Full Blog...योग एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है। यह शारीरिक व्यायाम, आसान, ध्यान और सांस लेने की तकनीको का एक संयोजन है। योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के "युज" शब्द से हुई है जिसका अर्थ है जोड़ना या एकजुट होना योग के अभ्यास से मन और शरीर, मनुष्य और प्रकृति के बीच समाजस्य से स्थापित होता है।
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