Blog by Ishika Dhiman | Digital Diary
" To Present local Business identity in front of global market"
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आधुनिक जीवनशैली और खानपान की वजह से आज के समय में लोग तमाम बीमारियों से जूझ रहे हैं। पेट और पाचन से जुड़ी समस्याएं असंतुलित खानपान और जीवनशैली की वजह से तमाम लोगों में हो रही हैं। खानपान में गड़बड़ी की वजह से पेट और पाचन पर बुरा असर पड़ता है जिसकी वजह से आपको कई अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं। भागदौड़ भरी जिंदगी और कामकाज के चक्कर में लोग सेहत पर ध्यान देना भूल जाते हैं। लेकिन आप इन समस्याओं को योग के अभ्यास से दूर कर सकते हैं। रोजाना योग का अभ्यास आपके शरीर को स्वस्थ और फिट रखने में बहुत फायदेमंद माना जाता है।
योगासनों का सही ढंग से रोजाना अभ्यास करने से आपके शरीर से कई बीमारियां भी दूर होती हैं। योग में तमाम ऐसे आसन हैं जो अलग-अलग शारीरिक समस्याओं के लिए फायदेमंद माने जाते हैं। ऐसा ही एक योगासन है नौकासन। नौकासन का अभ्यास शरीर के लिए कई मायनों में उपयोगी माना जाता है इसके अभ्यास से आपके पेट की चर्बी कम होती है और रीढ़ की हड्डी को भी मजबूती मिलती है। आइये विस्तार से जानते हैं नौकासन के बारे में।
नौकासन शब्द दो संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है। जिसमें नौका का मतलब है नाव और आसन का अर्थ है आसन या सीट। इस योगासन के अभ्यास में आपका शरीर नाव की मुद्रा में हो जाता है। यह आसन मध्यम श्रेणी का योगासन है जिसका अभ्यास प्राचीन काल से ही किया जा रहा है। पेट की चर्बी कम करने से लेकर रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाने तक इस योगासन के अनेकों स्वास्थ्य लाभ हैं। रोजाना सही ढंग से नौकासन का अभ्यास करने से आपके फेफड़े मजबूत होते हैं और पेट के अंदर मौजूद अंगों को भी फायदा मिलता है। नौकासन के अभ्यास में आपका शरीर अंग्रेजी के अक्षर V की आकृति में आ जाता है। इसके अभ्यास से आपके लोअर बैक, पेट, कोर और बाइसेप्स और ट्राइसेप्स और पैर व टखनों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। नौकासन को अंग्रेजी में बोट पोज (Boat Pose) कहा जाता है। शुरुआत में इसका अभ्यास करने में थोड़ी कठिनाई हो सकती है लेकिन रोजाना प्रैक्टिस करने से आप आसानी से इसका अभ्यास कर सकते हैं।
नौकासन मध्यम श्रेणी का योगासन है जिसका अभ्यास शुरुआत में कठिन लग सकता है। लेकिन लगातार इसका अभ्यास करने से आप इस योगासन में महारथ हासिल कर सकते हैं। इस योगासन के अभ्यास में आपका शरीर नाव अथवा V की मुद्रा में होता है। इस योगासन का अभ्यास धीरे-धीरे बढ़ाना चाहिए और अगर आपको इसका अभ्यास करते समय कोई कठिनाई हो रही है तो अभ्यास को रोक देना चाहिए। नौकासन का अभ्यास बिना वार्मअप किये नहीं करना चाहिए। आप इन स्टेप्स को फॉलो कर नौकासन का अभ्यास कर सकते हैं।
नौकासन का अभ्यास करने के लिए आप समतल जगह पर योगा मैट के सहारे बैठ जाएं।
अब अपनी टांगो को सामने की तरफ फैलाएं।
इसके बाद अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर हिप्स से थोड़ा पीछे जमीन पर रखें।
अब अपने शरीर को थोड़ा ऊपर की तरफ उठाने की कोशिश करें।
इस दौरान ध्यान रहे आपकी रीढ़ की हड्डी बिलकुल सीधी होनी चाहिए।
अब धीरे-धीरे सांस को बाहर की तरफ छोड़ते हुए पैरों को जमीन से 45 डिग्री तक उठाएं।
अब अपने शरीर को नाव की मुद्रा में लेने की कोशिश करते हुए हिप्स और नाभि को पास लेकर आएं।
अब अपने बट और टेलबोन पर बैठें।
इसके बाद अपने टखनों को उठाकर आंख के सीधाई में लेकर जाएं।
सामान्य गति से सान लेते हुए नाव या V के आकर में लगभग 10 से 20 सेकंड तक रहें।
इसके बाद धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए सामान्य मुद्रा में आएं।
नौकासन के अभ्यास के कई वेरिएशन भी हैं जिनके अभ्यास से आपके शरीर को अलग-अलग फायदे मिलते हैं। शुरुआत में इसका अभ्यास सिर्फ एक ही तरह से किया जाता है लेकिन उसके बाद धीरे-धीरे आप इसके अलग-अलग वेरिएशन को ट्राई कर सकते हैं। नौकासन एक इंटरमीडिएट लेवल का आसन है जिसका अभ्यास आप शुरुआत में भी कर सकते हैं। नौकासन का अभ्यास करने के प्रमुख फायदे इस प्रकार से हैं।
1. पेट और साइड की चर्बी कम करने में उपयोगी
नौकासन का रोजाना अभ्यास करने से आपके पेट और साइड की चर्बी कम होती है। आज के समस्या में असंतुलित आहार की वजह से तमाम लोग इस समस्या से ग्रसित हैं। नौकासन में आपके पेट और साइड की मांसपेशियां स्ट्रेच होती हैं जिससे आपको वजन कम करने में भी फायदा मिलता है। रोजाना नौकासन का अभ्यास करके आप आसानी से पेट और साइड की चर्बी को कम कर सकते हैं।
2. हैमस्ट्रिंग की मांसपेशियों के लिए फायदेमंद
नौकासन का रोजाना अभ्यास आपकी हैमस्ट्रिंग की मांसपेशियों के लिए बहुत उपयोगी होता है। इसके अभ्यास से आप हैमस्ट्रिंग क्रैम्प्स की समस्या में भी फायदा पा सकते हैं। नौकासन या बोट पोज का अभ्यास आपकी हैमस्ट्रिंग के साथ-साथ कूल्हों की मांसपेशियों के लिए भी फायदेमंद माना जाता है।
3. पेट की मांसपेशियों के लिए फायदेमंद
नौकासन का अभ्यास पेट की मांसपेशियों को टोन करने और मजबूत बनाने का काम करता है। इसका नियमित रूप से अभ्यास करने से आपके पेट की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। इसके अभ्यास के दौरान आपके पेट की अंदरूनी मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है जिससे उनमें ब्लड सर्कुलेशन बढ़ जाता है। इस आसन का अभ्यास एब्स बनाने में भी बहुत उपयोगी होता है।
4. रीढ़ की हड्डी के लिए फायदेमंद
नौकासन या बोट पोज का अभ्यास रीढ़ की हड्डी के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसका अभ्यास करने से आपकी रीढ़ की हड्डियां मजबूत होती हैं और रीढ़ की हड्डी से जुड़ी कई समस्याओं में बहुत फायदा मिलता है।
5. कमर और गर्दन दर्द में फायदेमंद
आज के समय में घंटों तक कुर्सी या सोफे पर बैठकर काम करने से लोगों का पोश्चर बिगड़ता जा रहा है। इसके अलावा घंटों मोबाइल में लगे रहने के कारण आपकी गर्दन का पोश्चर भी बिगड़ रहा है। इसकी वजह से आपको गर्दन दर्द और कमर में दर्द की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इन समस्याओं में नौकासन का अभ्यास बहुत फायदेमंद होता है।
6. डायबिटीज की समस्या में बहुत उपयोगी
नौकासन या बोट पोज का अभ्यास डायबिटीज की समस्या में बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसके नियमित रूप से अभ्यास से आपका ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल होता है। शुगर के स्तर को बनाए रखने के अलावा इस आसन का अभ्यास करने से आपके शरीर का ब्लड फ्लो भी संतुलित रहता है।
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अगर आपकी भी चर्बी बढ़ गई है तो आपकी इस चर्बी को घटाने के लिए आगे के कुछ लोग भी आप देख सकते है जो चर्बी को घटाने के लिए बहुत फायदेमंद है।
कुक्कुटासन योगासनों की खास मुद्राओं में से एक है, जो प्रमुख रूप से कंधों और पेट की मांसपेशियों को शक्ति प्रदान करता है। यह एक मध्यम श्रेणी का योगासन है, जिसका अभ्यास करने के लिए बल और संतुलन दोनों की आवश्यकता पड़ती है। कुक्कुटासन संस्कृत के दो शब्दों "कुक्कुट" व "आसन" से मिलकर बना है, जिसमें कुक्कुट का मतलब मुर्गा होता है। इस योग मुद्रा के दौरान शरीर की आकृति एक मुर्गे के समान ही प्रतीत होती है और इसलिए अंग्रेजी में भी इसे कॉकरेल पॉज और रोस्टर पॉज के नाम से जाना जाता है। कुक्कुटासन को सही तकनीक के साथ करना जरूरी है और ऐसा न करने पर चोट लगने का खतरा भी बढ़ सकता है।
यदि कुक्कुटासन योग मुद्रा को सही तकनीक के साथ और विशेष बातों का ध्यान रखते हुए किया जाए तो इससे कई स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं -
1. मांसपेशियों को मजबूत बनाए कुक्कुटासन
कुक्कुटासन से कंधों व बाहों की मांसपेशियों को शक्तिशाली बनाया जा सकता है, जिससे इन हिस्सों में दर्द होने का खतरा भी नहीं रहता है।
2. हृदय को स्वस्थ रखे कुक्कुटासन
नियमित रूप से कुक्कुटासन अभ्यास करने से रक्त संचार प्रक्रिया में सुधार होता है, जिससे हृदय को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।
3. कुक्कुटासन करे पाचन क्रिया में सुधार
कुक्कुटासन से पेट की मांसपेशियों में खिंचाव आता है, जिससे अंदरूनी अंग उत्तेजित होकर सक्रिय रूप से काम करते हैं।
4. चर्बी को कम करने में मदद करे कुक्कुटासन
नियमित रूप से कुक्कुटासन अभ्यास करने से पेट समेत शरीर के कई हिस्सों से चर्बी को दूर करने में मदद मिल सकती है।
हालांकि, कुक्कुटासन से प्राप्त होने वाले स्वास्थ्य लाभ प्रमुख रूप से योगासन के तरीके और अभ्यासकर्ता की स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करते हैं।
यदि आप पहली बार कुक्कुटासन अभ्यास करने जा रहे हैं, तो निम्न चरणों का पालन करके आपको यह योग मुद्रा बनाने में मदद मिल सकती है -
Step 1. सबसे पहले मैट बिछाकर पद्मासन मुद्रा में बैठ जाएं
Step 2. हाथों को पिंडली व जांघ के अंदर से निकालकर मैट पर दोनों हथेलियां रख लें
Step 3. इसके बाद एक-एक करके दोनों बाहों को अंदर करें और कोहनियों को जांघ व पिंडली के बीच में ले आएं
Step 4. दोनों हथेलियों में लगभग 4 इंच की दूरी रखें
Step 5. अब धीरे-धीरे आगे झुकते हुए शरीर का भार हथेलियों पर बढ़ाना शुरू करें
Step 6. संतुलन बनाते हुए कूल्हों को जमीन से उठा लें और शरीर का सारा वजन हाथों पर आने दें
इस योग मुद्रा को आप अपनी क्षमता के अनुसार जितनी देर तक चाहें कर सकते हैं और फिर इसके बाद धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में आ जाएं। यदि आपके मन में कोई भी प्रश्न है, जो योग प्रशिक्षक से संपर्क करें।
कुक्कुटासन अभ्यास आमतौर पर योग प्रशिक्षक के निगरानी में ही किया जाता है और इस दौरान निम्न सावधानियां बरतनी जरूरी होती हैं -
हाथ पर शरीर का संतुलन धीरे-धीरे बनाकर रखें
योगासन करने से पहले वार्मअप कर लें
सिर्फ क्षमता के अनुसार ही खिंचाव लाएं
शरीर में किसी भी प्रकार का झटका न लगने दें
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आजकल की दिनचर्या में लोग इतने व्यस्त हो गए हैं कि खानपान से लेकर जीवनशैली का तरीका बदल गया है। हम बाहर की चीजों का अधिक सेवन करने लगे हैं, जिसकी वजह से हमारे शरीर में कोलेस्ट्रोल और डायबिटीज जैसी बीमारियों को खतरा बढ़ने लगा है, जिसकी वजह से लोगों में तनाव और गुस्सा बढ़ रहा है। साथ ही हमारे अंदर कई बीमारियां भी घर करती जा रही है। नींद और बेचैनी की समस्या भी लोगों में देखने को मिल रही है। इससे बचने के लिए आप योग और ध्यान करने की सलाह दी जाती है। इससे आपका मन और दिमाग शांत रहता है।
साथ ही आप नई और अच्छी चीजों पर अपना ध्यान केंद्रित करते हैं और अच्छा खानपान भी रखने लगते हैं। आज हम आपको एक ऐसा ही योगासन के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी मदद से आप अपने क्रोध और तनाव को कम कर सकते हैं। इसके लिए आप गर्भासन योग की मदद ले सकते हैं। इससे आपको कई लाभ मिलते हैं। जैसा कि आपको नाम से ही पता चलता है कि इसमें अपने शरीर को गर्भ के आकार के रूप में बनाना होता है। साथ ही शरीर भी लचीला बना रहता है। आइए इसके फायदे और अभ्यास करने के तरीके के बारे में आपको विस्तार से बताते हैं।
1. स्त्रियों के लिए फायदेमंद
गर्भासन योग स्त्रियों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है। इससे पेट की मांसपेशियों में खिंचाव आता है, जिससे मासिक धर्म में होने वाले दर्द और परेशानी से राहत मिलती है। इसकी मदद से गर्भाश्य से संबंधित कई विकार दूर हो सकते हैं। हालांकि गर्भावस्था में इस योगासन को करने से पहले डॉक्टर या एक्सपर्ट की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
2. पाचन समस्याओं में दिलाए आराम
जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया कि इस योगासन में पेट की मांसपेशियों में खिंचाव आता है और गैस्टिक ग्रंथि भी सही ढंग से काम करती है। इस अभ्यास की मदद से आपको पेट में कब्ज और गैस की समस्या नहीं होती है। साथ ही पाचन तंत्र भी सही काम करता है और भूख भी लगती है।
3. क्रोध और तनाव को करे कम
अगर आपको अधिक क्रोध आता है या आआप अक्सर तनाव में रहते हैं, तो गर्भासन के अभ्यास से आपको बहुत फायदे मिलेंगे। इससे मन को शांत और एकाग्रता बढ़ाने में भी मदद मिलती है। इसके अलावा आपके शरीर का बैलेंस भी सही हो जाता है।
4. ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने में कारगर
इस योगासन में आपके शरीर के सभी अंग किसी न किसी तरह से भाग ले रहे होते हैं। इससे शरीर का ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति अच्छे से बने रहती है। इससे शरीर का वजन भी नहीं बढ़ता है।
5. त्वचा की चमक बढ़ाए
इस योगासन की मदद से आपके चेहरे पर चमक और निखार भी आता है। दरअसल इस अभ्यास की मदद ब्लड सर्कुलेशन सही रहता है, तो इससे आपकी स्किन में भी रक्त और ऑक्सीजन का संचार भरपूर मात्रा में होता है। जिसके फलस्वरूप आपकी स्किन चमकती हुई नजर आती है।
6. हाथों और रीढ़ की हड्डी को बनाएं मजबूत
इस योगासन में आपके हाथ और पैर दोनों मजबूत होते हैं। इससे आपके हाथ और पैर की मांसपेशियों में खिंचाव आता है, जिसकी वजह इनमें मजबूती आती है। साथ ही इससे रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है और उनमें लचीलापन भी आता है।
1. इस योगासन को करने के लिए एक मैट पर बैठ जाएं।
2. सबसे पहले दोनों पैरों को मोड़कर पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
3. इसके बाद अपने हाथों को जांघ और पिंडलियों के बीच से फंसाकर कोहनियों तक बाहर निकालें और दोनों कोहनियों को मोड़ते हुए दोनों घुटनों को ऊपर की ओर उठाएं।
4. इस दौरान शरीर को संतुलित रखते हुए दोनों हाथों से दोनों कान को पकड़ें।
5. शरीर का पूरा भार कमर के नीचे वाले हिस्से पर डालें।
6. इस स्थिति में दो मिनट तक रहने की कोशिश करें। फिर धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में लौट आएं।
7. इस योगासन का अभ्यास आप रोज पांच मिनट के लिए कर सकते हैं।
1. इस आसन के अभ्यास से पहले दो-तीन हफ्ते तक शरीर को संतुलित करने के लिए आप तुलासन या कुक्कटासन का अभ्यास कर सकते हैं।
2. इस योगासन को खाली पेट करना चाहिए और अभ्यास के दौरान ढीले कपड़े पहनने की कोशिश करें।
3. अगर गर्भासन करने के दौरान आपका हाथ कान तक न पहुंचे तो जबरदस्ती करने की बजाय नमस्कार मुद्रा में हाथ जोड़ लें।
4. इस अभ्यास को एक्सपर्ट की देखरेख में करने का प्रयास करें।
1. कमर के नीचे या कूल्हे पर कोई घाव या दर्द होने की स्थिति में इस योगासन को न करें।
2. घुटनों और पीठ में दर्द होने पर भी इस अभ्यास को न करें।
3. अगर हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से पीड़ित हैं, तो इसके प्रयोग से बचें।
4. गर्भवती महिलाओं को ये आसन बिना डॉक्टरी सलाह के नहीं करना चाहिए।
5. गर्भासन योग के दौरान अपनी क्षमता के अनुसार ही शक्ति लगाएं वरना नुकसान हो सकता है।
योग सिर्फ एक व्यायाम नहीं, बल्कि विज्ञान है। अब इस बात को वैज्ञानिक भी मानने लगे हैं। योग एक संपूर्ण जीवनशैली है, जो आपकी पूरी जिंदगी को बदलने में अहम भूमिका निभा सकता है।
योग प्रकृति से सीखने में ही यकीन करता है। ऐसे में हर वो चीज जो प्रकृति में है। असल में योग विज्ञान का ही हिस्सा है। योग, प्रकृति में मौजूद जीव-जन्तुओं, वस्तुओं, पदार्थों और मुद्राओं से ही सीखता है और उसी से खुद को बेहतर करने में यकीन करता है।
योग विज्ञान का ऐसा ही एक आसन वज्रासन भी है। वज्रासन शब्द असल में दो शब्दों वज्र और आसन से मिलकर बना है। इसमें वज्र शब्द का संस्कृत में अर्थ आकाशीय बिजली या हीरा होता है। जबकि आसन का अर्थ बैठना होता है। ये आसन शरीर में बिखरी हुई ऊर्जा को व्यवस्थित कर सकता है। इसके अलावा ये शरीर को हीरे के समान कठोर बनाने में भी मदद कर सकता है।
1. वज्रासन के नियमित अभ्यास से पाचन क्रिया सुधरती है और कब्ज़ को दूर करने में मदद मिलती है।
2. बेहतर पाचन तंत्र से अल्सर और एसिडिटी जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद मिलती है।
3. वज्रासन के अभ्यास से पीठ और रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है और कमर दर्द के साथ ही साइटिका के मरीजों को भी राहत मिलती है।
4. ये आसन शरीर में पेल्विक मांसपेशियों को भी मजबूत बनाता है।
5. ये आसन मेडिटेशन करने या ध्यान करने के लिए भी बेस्ट माना जाता है।
वैसे तो हर योग को खाली पेट करने की सलाह दी जाती है, लेकिन वज्रासन इसका अपवाद है। वज्रासन को हमेशा भोजन करने के बाद ही करने की सलाह दी जाती है। अगर भोजन करने के बाद वज्रासन का अभ्यास किया जाए तो ये पेट और पाचनतंत्र से जुड़ी हर बीमारी को धीरे-धीरे ठीक करने लगता है।
1. पैरों को मोड़कर घुटनों के बल बैठ जाएं। अपने पैरों के पंजों को पीछे की तरफ खींचें। उन्हें साथ बनाए रखें और पैर के अंगूठों को एक-दूसरे पर क्रॉस कर लें।
2. धीरे-धीरे अपने शरीर को इस प्रकार नीचे ले जाएं कि आपके हिप्स एड़ियों पर जाकर टिक जाएं। जबकि आपकी जांघें आपके काफ मसल्स पर टिकेंगी।
3. अपने दोनों हाथों को घुटनों पर रखें, सिर एकदम सीधा रखें और आपकी दृष्टि एकदम सामने की ओर रहेगी।
4. अपना ध्यान सांसों की गति पर केंद्रित रखें। इस बात का पूरा ध्यान रखें कि आप कैसे सांस ले रहे हैं। सांस आने और जाने पर बराबर ध्यान बनाए रखें।
5. अपनी आंखें बंद कर लें और सांस की गति पर ध्यान दें। धीरे-धीरे अपने दिमाग को अन्य सभी बातों से हटाकर सिर्फ सांस आने और जाने पर केंद्रित करने की कोशिश करें।
6. इस आसन का अभ्यास शुरुआत में कम से कम 5 मिनट और अधिकतम 10 मिनट तक कर सकते हैं। अभ्यस्त हो जाने पर इसे 30 मिनट तक बढ़ा सकते हैं।
वैसे तो वज्रासन को बेहद सुरक्षित आसन माना जाता है, लेकिन फिर भी इस आसन का अभ्यास शुरू करने से पहले आपको कुछ बेहद खास बातों को जान लेना चाहिए।
1. अगर आपको घुटनों में किसी प्रकार की समस्या है या फिर आपने घुटनों में कोई सर्जरी करवाई है तो इस आसन का अभ्यास बिल्कुल न करें।
2. अगर आप पसलियों की हड्डियों या फिर निचली पसलियों में किसी समस्या से जूझ रहे हों तो इस आसन का अभ्यास बिल्कुल भी न करें।
3. अगर आप आंतों में अल्सर, हार्निया और बड़ी या छोटी आंत से जुड़ी किसी भी समस्या से परेशान हैं तो इस आसन का अभ्यास किसी योग गुरु की देखरेख में ही करें।
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शरीर के सभी अंगों की सेहत और आंतरिक व बाहरी तौर पर शारीरिक स्वास्थ्य के लिए पौष्टिक खानपान, अच्छी जीवन शैली को अपनाना चाहिए। इसके साथ ही योगासनों का अभ्यास भी मानसिक और शारीरिक सेहत को बेहतर बनाता है। अलग-अलग तरह की योग क्रियाएं हैं जो शरीर के अलग अलग अंगों की सेहत के लिए लाभकारी है। इन्हीं योगासनों में से एक ताड़ासन है। ताड़ का अर्थ पर्वत से है। नाम से ही स्पष्ट है कि इस में पर्वत के समान आसन लेना होता है। चित्र से समझें तो यह आसन देखने में आसान लगता है लेकिन अगर ताड़ासन का अभ्यास पूरी तरह से सही तरीके से किया जाए तो काफी प्रभावी और लाभकारी हो सकता है। ताड़ासन से कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। इस लेख के माध्यम से जानिए ताड़ासन के अभ्यास का सही तरीका और ताड़ासन से होने वाले स्वास्थ्य लाभ के बारे में।
तेजी से हाइट बढ़ाने, शरीर का पोस्चर सही रखने, थकान को दूर करके एनर्जी बढ़ाने, मांसपेशियों को आराम देने, रक्त प्रवाह में सुधार के लिए ताड़ासन का अभ्यास कर सकते हैं।
० इस आसन के अभ्यास से शारीरिक और मानसिक संतुलन बनता है।
० शरीर के पोस्चर में सुधार होता है।
० जांघों, घुटनों और टखनों को मजबूत करता है।
० ताड़ासन के अभ्यास से पेट टोंड होता है।
० रीढ़ की हड्डी में खिंचाव लाकर उसके विकारों को दूर करता है।
० फ्लैट पैर की परेशानी को दूर करने में ताड़ासन का अभ्यास कर सकते हैं।
० इस योग से साइटिका से राहत मिलती है।
० ताड़ासन का अभ्यास लंबाई बढ़ाने में सहायक है।
स्टेप 1- इस आसन के अभ्यास के लिए दोनों पंजों को थोड़ा खोलकर सीधे खड़े हो जाएं।
स्टेप 2- अब हाथों को नमस्ते की मुद्रा में जोड़कर सिर के ऊपर ले जाएं। ध्यान रखें कि दोनों हाथ दोनों कानों के पास से गुजर रहे हों।
स्टेप 3- फिर हाथ की उंगलियों और धड़ को आसमान की तरफ खींचे, इस दौरान पैर को न उठाएं।
स्टेप 4- शरीर के खिंचाव के साथ ही सांस लेते रहें और थोड़ी देर खिंचाव बनाए रखने की कोशिश करें।
स्टेप 5- अंत में धीरे-धीरे हाथों को नीचे लाते हुए सामान्य स्थिति में आ जाएं।
स्टेप 6- इस आसन को दिन में 2 से 3 बार दोहरा सकते हैं। शरीर में पर्याप्त खिंचाव आना फायदेमंद हो सकता है।
० इस आसन के अभ्यास के दौरान कुछ गलतियों को करने से बचें। जैसे,
० ताड़ासन के अभ्यास के दौरान कूल्हों को आगे की तरफ न धकेलें।
० छाती को अंदर की तरफ न समेटें।
० कंधों को बराबर रखें, नीचे की ओर न गिरने देना चाहिए।
० ताड़ासन के अभ्यास के दौरान सांस रोकने की गलती न करें।
योग हमारे आसपास की जीव व सजीव चीजों से जुड़ी मुद्रा या आसन होता है, जिसे अपनाकर कई स्वास्थ्य समस्याओं से राहत पाई जा सकती है। नदी या तालाब पार करने वाले पुल रूपी सेतुबंधासन से लेकर नाव से प्रेरित नौकासन कई तरह के स्वास्थ्य लाभ देता है।
इस आसन के अभ्यास के दौरान शरीर नाव जैसी आकृति में आ जाता है। नौकासन के अभ्यास के दौरान शरीर में पैरों और हाथों की स्ट्रेचिंग एक साथ हो जाती है। इस आसन के अभ्यास से पाचन बेहतर रहता है। कोर, एब्स की मसल्स मजबूत बनती है। शरीर का निचला हिस्सा व हिप्स मजबूत होते हैं। इस लेख के माध्यम से जानिए नौकासन के अभ्यास का सही तरीका, इससे होने वाले लाभों के बारे में।
० इस आसन का अभ्यास पीठ और पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
० नौकासन के नियमित अभ्यास से पैर और बांह की मांसपेशियां टोन होती हैं।
० शरीर के निचले हिस्से को मजबूत बनाता है।
० हर्निया से पीड़ित लोगों के लिए यह आसन लाभकारी है।
० पाचन तंत्र में सुधार करता है।
० फेफड़े, लीवर और पेनक्रियाज को मजबूत बनाने में नौकासन का अभ्यास कर सकते हैं।
० पेट के चारों ओर ब्लड और ऑक्सीजन का संचार करता है।
० यह आसन ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाने और शुगर लेवल को बनाए रखने में मदद करता है।
० वजन घटाने और पेट की जिद्दी चर्बी को घटाने में नौकासन फायदेमंद है।
स्टेप 1- इस आसन के अभ्यास के लिए पीठ के बल लेटकर पैरों को साथ रखें।
स्टेप 2- हाथों को शरीर के बगल में रखते हुए गहरी सांस लें।
स्टेप 3- सांस छोड़ते हुए छाती और पैरों को जमीन से ऊपर उठाएं।
स्टेप 4- बाहों को पैरों की ओर खींचें।
स्टेप 5- ध्यान रहें कि इस दौरान आंखें, उंगलियों और पैर की उंगलियां एक लाइन में होनी चाहिए।
स्टेप 6-पेट की मांसपेशियों के सिकुड़न पर नाभि क्षेत्र में तनाव महसूस होगा।
स्टेप 7-इस मुद्रा में रहते हुए आराम से गहरी सांस लेते रहें।
स्टेप 8- कुछ देर इसी स्थिति में रहते हुए बाद में पहली वाली सामान्य अवस्था में आ जाएं।
योग विशेषज्ञों के मुताबिक, कुछ शारीरिक समस्याओं में नौकासन योग का अभ्यास नहीं करना चाहिए। यदि लो ब्लड प्रेशर, गंभीर सिरदर्द या माइग्रेन रहता है या फिर हाल के दिनों में रीढ़ की हड्डी की किसी भी समस्या से परेशान रहे हैं तो इस योग को न करें। अस्थमा और हृदय रोगियों को भी इस मुद्रा से बचने की सलाह दी जाती है। महिलाओं को गर्भावस्था और मासिक धर्म के दिनों में इस योग को न करने की सलाह दी जाती है। किसी भी योग से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें।
सूर्य नमस्कार सिर से लेकर पैर तक, कई अंगों के लिए फायदेमंद है। दरअसल, यह संपूर्ण शारीरिक प्रणाली के लिए एक व्यापक कसरत है जिसे बिना किसी उपकरण के किया जा सकता है। दरअसल, हमारे शरीर में सौर जाल होता है जो कि पेट के गड्ढे में स्थित विकिरण तंत्रिकाओं का एक नेटवर्क है और सूर्य से जुड़ा हुआ माना जाता है। नतीजतन, लगातार सूर्य नमस्कार अभ्यास सौर जाल के आकार को बढ़ाता है, जो रचनात्मकता, अंतर्ज्ञान, आत्मविश्वास, निर्णय लेने की क्षमता और नेतृत्व में सुधार करता है। लेकिन, बहुत से लोगों को सूर्यनमस्कार के 12 आसनों (12 steps of surya namaskar) के बारे में पता नहीं होता और ना ही वे जानते हैं कि इसे करना सेहत के कैसे फायदेमंद है। तो, जानते हैं सूर्य नमस्कार के लाभ
1. प्रार्थना मुद्रा (प्राणासन)-Pranamasana
एक योगा मैट लें और पहले इस पर सामने सीधे खड़े हो जाएं। फिर अपने पैरों को एक साथ लाएं, और अपनी बाहों को अपनी तरफ आराम से रखें।अपनी आंखें बंद करें और अपने हाथों की हथेलियों को अपनी छाती के बीच में एक साथ लाएं। सांसों पर ध्यान दें और अपने पूरे शरीर को आराम दें।
प्राणासन करने के फायदे
-प्राणासन करने से तनाव और चिंता को कम करने में मदद मिलती है।
–ये पहले तो तंत्रिका तंत्र को शांत करता है और शारीरिक संतुलन बनाने में मदद करता है।
-ये दिमाग को शांत करता है और कंसंट्रेशन बढ़ाने मेंमदद करता है।
2. हस्त उत्तानासन- Hasta Uttanasana
हस्त उत्तानासन शुरू करने के लिए गहरी सांस लें और छोड़ें। इसके बाद गहरी सांस लें और अपने हाथों को अपने सिर के ऊपर और आगे की ओर फैलाएं। ऊपर देखें और अपने शरीर को थोड़ा पीछे की ओर बढ़ाने के लिए अपने पैरों को आगे की ओर बढ़ाएं। जब आप पीछे की ओर झुकते हैं, तो सांस लेने पर ध्यान केंद्रित करें और जब आप आगे झुकें, तो सांस लेने पर ध्यान दें।
हस्त उत्तानासन के फायदे
-ये आसन शरीर की टोनिंग करने में मददगार है। ये पेट की मांसपेशियों को स्ट्रेच और टोन करता है।
-ये आसान पेल्विक हिस्से को मजबूती देता है।
-एड़ी से लेकर उंगलियों के सिरे तक इस योग से पूरे शरीर की एक्सरसाइज होती है।
3. हस्तपादासन-Hasta Padasana
हस्तपादासन करने के लिए अपने घुटनों को आगे और नीचे मोड़ना शुरू करें, ऐसा करते समय अपनी रीढ़ को स्ट्रेच करें। अपने हाथों को फर्श पर रखें, केवल आपकी उंगलियां सतह से संपर्क करें। बस अपने घुटनों को इतना मोड़ें कि आपकी छाती आपकी जांघों पर टिकी रहे और आपका सिर आपके घुटने पर टिका रहे। कुछ सेकंड के लिए इसी स्थिति में रहें।
हस्तपादासन के फायदे
-यह हैमस्ट्रिंग को स्ट्रेच करते हुए पैरों, कंधों और बाहों की मांसपेशियों को भी खोलता है।
-यह शरीर में लचीलापन लाता है और पीठ दर्द व कंधे का दर्दआदि से बचाव में मदद करता है।
4. अश्व संचालनासन-Ashwa Sanchalanasana or Equestrian Pose Benefits
अश्व संचालनासन करने के लिए अपने दाहिने पैर को पीछे ले जाएं, केवल घुटने को नीचे रखें। अपने पैर को फर्श पर सपाट रखते हुए अपने बाएं घुटने को मोड़ें। अपनी उंगलियों या हथेलियों को फर्श पर रखें, अपने कंधों को पीछे की ओर घुमाएं और धीरे से अपना सिर उठाएं।
अश्व संचालनासन के फायदे
-अश्व संचालनासन करने से पैर और रीढ़ की मांसपेशियां मजबूत होती हैं।
-ये पेट की समस्याओं को ठीक करने में मददगार है।
-इसे करने से अपच और कब्ज की समस्या दूर होती है।
5. पर्वतासन-Mountain pose or Parvatasana
पर्वतासन करने के लिए धीरे-धीरे सांस छोड़ें, अपनी हथेलियों को फर्श पर लाएं और अपने कूल्हों को ऊपर उठाएं। बाएं पैर को दाईं ओर पीछे ले जाएं। अपनी रीढ़ को चौड़ा करते हुए अपने कंधों को अपनी टखनों की ओर लाएं। एक-दो गहरी सांस अंदर और बाहर लें।
पर्वतासन के फायदे
-यह आसन मन को शांत करने में मदद करता है।
-ये फैट बर्म करता है और शरीर की चर्बी पचाता है।
–इस आसन को करने से मांसपेशियों का दर्द दूर होता है।
-ये शरीर का ब्लड सर्कुलेशन सही करता है और फेफड़ों कोमजबूती देता है।
6. अष्टांग नमस्कार-Ashtanga Namaskara
सास छोड़ते हुए अपने घुटनों को नीचे करें और अपने सिर को फर्श पर आगे की ओर दबाते हुए धीरे से नियंत्रित छाती के साथ नीचे आएं। जैसे कि हम भगवान को प्रणाम कर रहे हों। अधिक मजबूती के लिए अपनी कोहनियों को भी नीचे दबाते हुए ध्यान से रखें।
अष्टांग नमस्कार के फायदे
-अष्टांग नमस्कार इम्यूनिटी बूस्टर है और शरीर को मौसमी बीमारियों से बचाने में मदद करता है।
-यह पीठ और रीढ़ की हड्डी के लचीलेपन को बढ़ाता है।
-पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करता है।
-इस एक ही पोजीशन को करने से आपके शरीर के सभी आठ अंगों को फायदा मिलता है।
7. भुजंगासन -Cobra pose or Bhujangasana
भुजंगासन करने के लिए अपने हाथ और पैर एक ही जगह पर रखें। साथ ही श्वास लें। आगे की ओर सरकें और अपनी छाती को ऊपर उठाएं। अपने कंधों को पीछे की ओर घुमाते हुए अपनी कोहनियों को एक-दूसरे की ओर वापस दबाएं। धीरे से ऊपर देखें।
भुजंगासन के फायदे
-ये शरीर का लचीलापन बढ़ाता है और मूड को बेहतर बनाता है।
-यह एक साथ कंधों, छाती, पीठ और पैरों की मांसपेशियों को फैलाता है।
-तनाव और थकान को दूर करता है और हृदय स्वस्थ के लिए भी फायदेमंद है।
-साथ ही वेट लॉस में भी इसे करना फायदेमंद है
8. अधो मुख श्वानासन-Adho mukha svanasana
अधो मुख श्वानासन को कोबरा पोज भी कहते हैं। इस पोज में अपने हाथों और पैरों को फर्श पर रखते हुए अपनी कमर और कूल्हों को ऊपर उठाएं। आपके शरीर को एक 'उल्टे V आकार' बनाना चाहिए। अपने हाथों को उसी स्थिति में रखते हुए अब अपने पैरों को आगे की ओर ले जाएं और मुद्रा में गहरे उतरें।
अधो मुख श्वानासन के फायदे
-इसे करने से रीढ़ की हड्डी को मजबूती मिलता है।
-यह रीढ़ की हड्डी के क्षेत्र में ब्लड सर्कुलेशन को सही करता है।
-यह महिलाओं को मेनोपॉज के लक्षणों से निपटने में मदद करता है।
9. दंडासन-Dandasna
अपने दाहिने पैर को पीछे की ओर लाएं और अपने ऊपरी शरीर को अपनी दोनों हथेलियों पर संतुलित करें। आपका शरीर छड़ी की तरह सीधा होना चाहिए। आपके पैर की उंगलियां चटाई पर होनी चाहिए। सुनिश्चित करें कि आपकी बाहें फर्श की तरफ सीधी हो।
दंडासन के फायदे
-दंडासन कंधे और छाती को मजबूत बनाने में मददगार है।
-ये शरीर की मुद्रा में सुधार लाता है।
-ये पीठ की मांसपेशियों को आराम पहुंचाता है।
-शरीर की मुद्रा में सुधार लाता है।
-एकाग्रता बढ़ाने में मददगार है।
10. हस्तपादासन-Hasta Padasana
हस्तपादासन करने के लिएपहले सांस छोड़ें और पैरों को एक साथ खींचे, दाहिने पैर को सामने रखें। बस अपने घुटनों को इतना मोड़ें कि आपकी छाती आपकी जांघों पर टिकी रहे और आपका सिर आपके घुटने पर टिका रहे।
हस्तपदासन के फायदे
-इसे करने से अनिद्रा दूर होती है
-ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या में इसे करना अच्छा है
-सिरदर्द में ये फायदेमंद है।
-ये चिंता और एंग्जायटी की स्थिति में फायदेमंद है।
11. हस्त उत्तानासन- Hasta Uttanasana
हस्त उत्तानासन करने के लिए एक गहरी सांस लें और अपनी बाहों को अपने सिर के ऊपर और ऊपर की ओर फैलाएं। ऊपर देखें और अपने शरीर को थोड़ा पीछे की ओर बढ़ाने के लिए अपने पेल्विक हिस्से को आगे की ओर दबाएं। गहरी सांस छोड़ें।
हस्त उत्तानासन के लाभ
-इसे करने से शरीर की आलस दूर होती है।
-यह अस्थमा, पीठ के निचले हिस्से में दर्द और थकान जैसी बीमारियों में फायदेमंद है।
- यह पाचन में भी मदद करता है।
-छाती का विस्तार करता है, जिसके कि शरीर में ऑक्सीजन का सर्कुलेशन सही रहता है।
12. ताड़ासन-Tadasana
ताड़ासन करने के लिएसांस छोड़ें और प्रार्थना की मुद्रा में आ जाएं। अपनी बाहों को धीरे-धीरे और लगातार नीचे करें और इसी तरह कुछ ठहर जाएं।
ताड़ासन के फायदे
-जांघों, घुटनों और टखनों को मजबूत करता है।
-अपनी भावनाओं पर नियंत्रण विकसित करने में मदद करता है।
- कूल्हों, पेट और दूसरी मांसपेशियों को टोन करता है।
जब सभी 12 पद पूरे हो जाते हैं, तो सूर्य नमस्कार का एक चक्र पूरा हो जाता है। औसतन प्रतिदिन 12-15 चक्र करने से आपको वे सभी लाभ मिलेंगे जिनकी आपके शरीर को जरूर है, जिससे आप फिट और स्वस्थ रहेंगे।
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सूर्य नमस्कार' का शाब्दिक अर्थ सूर्य को अर्पण या नमस्कार करना है। यह योग आसन शरीर को सही आकार देने और मन को शांत व स्वस्थ रखने का उत्तम तरीका है।
सूर्य नमस्कार १२ शक्तिशाली योग आसनों का एक समन्वय है, जो एक उत्तम कार्डियो-वॅस्क्युलर व्यायाम भी है और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। सूर्य नमस्कार मन वह शरीर दोनों को तंदुरुस्त रखता है।
यदि आपके पास समय की कमी है, और आप चुस्त दुरुस्त रहने का कोई नुस्ख़ा ढूँढ रहे हैं, तो सूर्य नमस्कार उसका सबसे अच्छा विकल्प है।
सूर्य नमस्कार प्रातःकाल खाली पेट करना उचित होता है। आइए अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिए सूर्य नमस्कार के इन सरल और प्रभावी आसनों को आरंभ करें।
प्रत्येक सूर्य नमस्कार के चरण में १२ आसनों के दो क्रम होते हैं। १२ योग आसन सूर्य नमस्कार का एक क्रम पूर्ण करते हैं। सूर्य नमस्कार के एक चरण के दूसरे क्रम में योग आसनों का वो ही क्रम दोहराना होता है, अपितु केवल दाहिने पैर के स्थान पर बाएँ पैर का प्रयोग करना होगा (नीचे चौथे और नवें पद में इसका विवरण दिया गया है)। सूर्य नमस्कार के विभिन्न प्रारूप पाए जाते हैं, हालाँकि बेहतर यही है कि किसी एक ही प्रारूप का अनुसरण करें और उसी के नियमित अभ्यास से उत्तम परिणाम पाएँ।
अच्छे स्वास्थ्य के अतिरिक्त सूर्य नमस्कार धरती पर जीवन के संरक्षण के लिए हमें सूर्य के प्रति आभार प्रकट करने का अवसर भी देता है। अगले 10 दिनों के लिए अपना दिन, मन में सूर्य की ऊर्जा के प्रति आभार और कृपा का भाव रखकर प्रारंभ करें।
१२ सूर्य नमस्कार और दूसरे योग आसनों (Yoga asana) को करने पश्चात योग निद्रा में पूर्ण विश्राम अवश्य करें। आप पाएँगे कि यह आपके चुस्त दुरुस्त, प्रसन्न और शांत रहने का मंत्र बन गया है।
सूर्य नमस्कार योग के १२ आसनों के बारे मे जानने के लिए अगला ब्लॉक देखे।
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गोमुखासन का नाम दो शब्दों पर रखा गया है: गऊ और मुख। गऊ यानी गाए और मुख यानी चेहरा। गोमुखासन को यह नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि इस आसान में आपके जांघ और पिंडली गाय के चेहरे के समान मुद्रा में होते हैं: पीछे की ओर चौड़ा और सामने की तरफ पतला।
गोमुखासन के फायदे इस प्रकार हैं:
1.जांघों, कूल्हों, ऊपरी पीठ, ऊपरी बांह और कंधों के मांसपेशियों को मजबूत बनाता है गोमुखासन।
2.विश्राम करने के लिए गोमुखासन एक उत्कृष्ट आसन है।
3.यदि 10 मिनट या अधिक के लिए आप इसका अभ्यास करें, तो यह थकान, तनाव और चिंता को कम करेगा। ध्यान रहे की अभ्यास की अवधि धीरे-धीरे ही बढ़ायें। (और पढ़ें – थकान से बचने के उपाय)
4.यह गुर्दों को उत्तेजित करता है और दीर्घ आयु में मधुमेह की शुरुआत होने की संभावना कम करता है।
5.यह पीठ दर्द, कटिस्नायुशूल (साएटिका), गठिया और कंधे और गर्दन में सामान्य कठोरता से राहत देता है।
6.छाती को को खोलता है और आपके पोस्चर या सामान्य बैठने और खड़े होने की मुद्रा में सुधार लाता है।
7.यह पैर में ऐंठन को कम करता है और पैर की मांसपेशियों को मज़बूत बनाता है।
गोमुखासन करने के विधि ध्यान से पढ़ें:
1.सुखासन में बैठो, अपने पैरों को आगे बढ़ाएं।
2.बाएं टाँग को मोड़ें और शरीर के करीब खींच लें। अपने दाहिने घुटने को उठाएं और बाएं पैर को दाहिनी जांघ के नीचे टीका लें ताकि वह नितंब को छू सके।
3.अपने दाहिनी टाँग को शरीर की ओर खींचें और बाएं जांघ के उपर से इसे घुमा कर रख लें ताकि पैर ज़मीन पर टिका हो।
4.बाएं हाथ को पीठ पर टिकायं और दायें हाथ को उठा कर कंधे के उपर से ले जा कर पीठ पर टिकाएं।
5.बाएं हाथ का पिछला हिस्सा रीढ़ की हड्डी पर टीका होना चाहिए, जबकि दाहिने हाथ की हथेली रीढ़ की हड्डी पर टिकी होनी चाहिए।
6.अब पीठ के पीछे ही दोनों हाथों को एक दूसरे से पकड़ने की कोशिश करें।
7.दाहिने हाथ को सिर के पीछे ले आयें, ताकि सिर हाथ के अंदर के भाग को छू सके।
8.रीढ़ की हड्डी एकदम सीधी होनी चाहिए और सिर आगे की ओर बिल्कुल नहीं होना चाहिए।
9.आँखें बंद कर लें। इस मुद्रा में 2 मिनट तक रहें।
10.आसान से बाहर निकालने के लिए हाथों को खोलें, टाँगों को सीधा कर लें और दूसरी तरफ दोहराएं।
यदि आपको गंभीर गर्दन या कंधे की समस्या है, तो गोमुखासन ना करें।
नियमित योग के बहुत सारे फायदे हैं। योगासन से सकारात्मकता आती है, साथ ही यह बीमारियों को दूर कर आपको निरोग रखता है। योग का फायदा तभी मिलता है, जब आप इसे सही तरीके से करते हैं। वर्तमान में तनाव का नाता सबसे करीबी हो गया है, इसे दूर करने में सबसे अधिक प्रभावी आसन है मकरासन। इस आसन को आराम देने वाला और थकान दूर करने वाला आसान भी कहा जाता है।
मकरासन संस्कृत का शब्द है जो मकर और आसन इन दो शब्दों से मिलकर बना है। यहां मकर का अर्थ मगरमच्छ (Crocodile) और आसन का अर्थ मुद्रा (Pose) है। नदी में मगरमच्छ के शांत अवस्था में लेटने की मुद्रा ही मकरासन कहलाती है। इस आसन का अभ्यास करते समय मगरमच्छ की आकृति में ही एकदम शांत मुद्रा में जमीन पर लेटना पड़ता है।
यह एक ऐसा आसन है जिसमें आंखे बंद रखकर श्वास लेने की क्रिया की जाती है, जिसके कारण यह शरीर और दिमाग को बिल्कुल शांत रखता है और डिप्रेशन, बेचैनी, उलझन, माइग्रेन और मस्तिष्क से जुड़े विकारों को दूर करता है। सिर दर्द से परेशान लोगों के लिए यह आसन दवा का कार्य करता है। स्त्रियों में कमर दर्द की समस्या को दूर करने में भी यह आसन बहुत फायदेमंद होता है।
आइये जानते हैं मकरासन की विधि, फायदे और सावधानियों के बारे में।
मकरासन शांत मन और मस्तिष्क के साथ किया जाता है। इसलिए इसका सबसे बड़ा फायदा मस्तिष्क को ही होता है। दिमाग को एकाग्र रखने और तनाव की समस्या को दूर करने में यह बहुत फायदेमंद होता है। इसके अलावा भी मकरासन करने के कई फायदे होते हैं। आइये जानें उन फायदों के बारे में।
1. इस आसन का अभ्यास करने से कंधों एवं रीढ़ की की मांसपेशियों में तनाव कम होता है और मांसपेशियां मजबूत और लचीली बनती हैं। इसलिए लोग मांसपेशियों से जुड़ी समस्याओं से निजात पाने के लिए मकरासन का अभ्यास (Practice) करते हैं। कूल्हों की मांसपेशियों को बेहतर बनाने में भी यह आसन फायदेमंद है।
2. मकरासन का अभ्यास करते समय गहरी सांस लेने एवं छोड़ने की प्रक्रिया से अस्थमा की बीमारी ठीक हो जाती है। इसके अलावा घुटनों में दर्द (Knee Pain) एवं फेफड़े से जुड़ी समस्याएं भी खत्म हो जाती हैं।
3. प्रतिदिन सही तरीके से मकरासन का अभ्यास करने से स्पॉन्डिलाइटिस की बीमारी से निजात मिलता है। इस आसन को करने से साइटिका और स्लिप डिस्क की समस्या भी दूर हो जाती है। इसके अलावा यह आसन शरीर के छोटे-छोटे विकारों को भी दूर कर देता है। घुटनों के दर्द को दूर करने में भी यह आसन फायदेमंद होता है।
4. मकरासन का अभ्यास करने से हाइपरटेंशन, हृदय रोगों एवं मानसिक रोगों (Mental Disorders) से छुटकारा मिलता है। इसलिए इन रोगों से बचने के लिए प्रतिदिन मकरासन का अभ्यास करना चाहिए। पैर के दर्द को दूर करने में भी यह आसन बहुत सहायक होता है।
5. यह आसन शरीर की थकान और दर्द से राहत प्रदान करने, गर्दन की अकड़न को कम करने, पेट की मांसपेशियों को टोन करने और कब्ज की समस्या को दूर करने के साथ ही पेट से जुड़ी कई बीमारियों को दूर करने में मदद करता है।
1. पेट के बाल लेट जायें।
2. सिर और कंधों को ऊपर उठाएं और ठोड़ी को हथेलियों पर और कोहनियों को ज़मीन पर टिका लें।
3. रीढ़ की हड्डी में अधिक मोड़ लाने के लिए कोहनियों को एक साथ रखें (ध्यान रहे ऐसा करने में दर्द ना हो)।
4. गर्दन पर अतिरिक्त दबाव हो तो कोहनियों को थोड़ा अलग करें। अगर कोहनियां ज़्यादा आगे होंगी तो गर्दन पर अधिक दबाव पड़ेगा, शरीर के करीब होंगी तो पीठ पर अधिक दबाव पड़ेगा।
5. अपने शरीर के हिसाब से कोहनियों की सही जगह चुनें। उत्तम जगह वह है जहां आपको पीठ और गर्दन में पूरी तरह से आराम महसूस हो।
6. पूरे शरीर को शिथिल करें और आंखें बंद कर लें।
आमतौर पर हर तरह का आसन, योगा और प्राणायाम हमारे शरीर के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन जब शरीर में कोई विशेष तरह की परेशानी हो तो किसी भी आसन का अभ्यास करते समय हमें कुछ जरूरी सावधानियां भी बरतनी चाहिए। आइये जानते हैं कि मकरासन करते समय क्या सावधानियां बरतें।
1. अगर आप गंभीर कमर दर्द या पीठ दर्द और गर्दन के दर्द से परेशान हैं या इन अंगों में किसी तरह की चोट लगी हो तो मकरासन का अभ्यास करने से बचें अन्यथा यह आपकी समस्या को बढ़ा सकता है।
2. यदि स्वास्थ्य से जुड़ी किसी भी समस्या से आप परेशान हों तो मकरासन का अभ्यास करने से पहले एक बार विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें लें।
3. मकरासन का अभ्यास करते समय शरीर को सीधे रखें और किसी भी कोण पर घुमाएं नहीं अन्यथा शरीर में कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
4. इस आसन को करते समय शरीर मेंं अधिक तनाव पैदा न करें और शांत दिमाग से मकरासन का अभ्यास करें तभी यह फायदेमंद साबित होगा।
5. शोरगुल या कोलाहलपूर्ण जगहों पर मकरासन का अभ्यास करने से परहेज करें, अन्यथा दिमाग एकाग्र नहीं होगा और इस आसन को करने में सिर्फ समय ही व्यर्थ होगा।
6. अगर आपको अधिक मोटापे और उच्च रक्तचाप की समस्या हो, तो मकरासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
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