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पेट से लेकर कमर तक की समस्याओं में फायदेमंद है मार्जरी आसन का अभ्यास जानिए इसका तरीका और लाभ


कैट-काऊ पोज या मार्जरी आसन का नियमित अभ्यास कई प्रकार से शरीर के लिए लाभदायक हो सकता है। यह मुद्रा आपकी रीढ़ की बेहतर स्ट्रेचिंग करने के साथ पेट के अंगों के लिए विशेष लाभप्रद मानी जाती है। योग विशेषज्ञों के अनुसार नियमित रूप से दिनचर्या में योगासनों को शामिल करना आपकी सेहत को गजब का बूस्ट दे सकता है। शारीरिक सक्रियता को बढ़ावा देने के साथ मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और शरीर की एकाग्रता में सुध... Read More

कैट-काऊ पोज या मार्जरी आसन का नियमित अभ्यास कई प्रकार से शरीर के लिए लाभदायक हो सकता है। यह मुद्रा आपकी रीढ़ की बेहतर स्ट्रेचिंग करने के साथ पेट के अंगों के लिए विशेष लाभप्रद मानी जाती है। योग विशेषज्ञों के अनुसार नियमित रूप से दिनचर्या में योगासनों को शामिल करना आपकी सेहत को गजब का बूस्ट दे सकता है। शारीरिक सक्रियता को बढ़ावा देने के साथ मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और शरीर की एकाग्रता में सुधार करने में मार्जरी आसन का नियमित अभ्यास आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है। यह आसन पेट से लेकर पीठ तक और पैर से लेकर सिर तक की कई बड़ी मांसपेशियों को सक्रिय करके रक्त के संचार को सुधारने में सहायक है।

योग विशेषज्ञों के मुताबिक यह योग मुद्रा आपके मस्तिष्क को शक्ति प्रदान करती है। इसके अलावा फोकस, शारीरिक समन्वय और मानसिक स्थिरता में सुधार करने में इस योग के अभ्यास को विशेष लाभकारी माना जाता है। रीढ़ की हड्डी के बीच रक्त परिसंचरण में सुधार करने से यह पीठ दर्द और अतिरिक्त तनाव से राहत दिलाने में मदद करती है। रोजाना 5-10 मिनट तक इस आसन का अभ्यास करना आपके लिए विशेष लाभप्रद हो सकता है।

कैट-काऊ पोज का अभ्यास

कैट-काऊ पोज का अभ्यास करना आसान है। किसी विशेषज्ञ से शुरुआत में इसके सही तरीके के बारे में जानकारी ले लें। सबसे पहले फर्श पर दोनों घुटनों और दोनों हाथों को टेक कर बिल्ली जैसी मुद्रा बनाएं। जांघों को ऊपर की ओर सीधा करके पैर के घुटनों पर 90 डिग्री का कोण बनाएं। अब लंबी सांस लें और सिर को पीछे की ओर झुकाते हुए टेलबोन को ऊपर उठाएं। फिर सांस छोड़ते हुए सिर को नीचे की ओर झुकाएं और ठुड्डी को छाती से लगाने का प्रयास करें। इस प्रक्रिया को दोहराएं।

मार्जरी आसन के क्या लाभ हैं?

मार्जरी आसन का नियमित अभ्यास शरीर के कई अंगों की बेहतर स्ट्रेचिंग के साथ शरीर में रक्त के संचार को बढ़ावा देने में विशेष लाभकारी हो सकता है। शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की सेहत में इस योग के अभ्यास के लाभ देखे गए हैं। 

शारीरिक मुद्रा और संतुलन में सुधार करता है।

रीढ़ और गर्दन को मजबूत बनाने और स्ट्रेचिंग में सहायक है।

कूल्हों, पेट और पीठ को स्ट्रेच करता है।

शारीरिक-मानसिक समन्वय बढ़ाता है।

पेट के अंगों जैसे गुर्दे और अधिवृक्क ग्रंथियां को उत्तेजित करता है।

भावनात्मक संतुलन बनाता है।

तनाव से राहत देकर मन को शांत करता है।

ये सावधानियां जरूरी

कुछ स्थितियों में कैट-काऊ पोज का अभ्यास न करने की सलाह दी जाती है। पीठ या घुटनों में दर्द से पीड़ित लोग, गर्भवस्था के दौरान, गर्दन में चोट या दर्द, सिर की चोट जैसी स्थितियों में इसका अभ्यास न करें। योग से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए किसी विशेषज्ञ से सही आसन की जानकारी जरूर ले लें।

Thank you.


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अर्ध मत्स्येंद्रासन करने से दूर होगा शरीर का दर्द और तनाव जानें इस आसन को करने का सही तरीका


    शरीर को स्वस्थ और सेहतमंद बनाने के लिए समय निकालना बेहद आवश्यक होता है। जैसे आप जॉब करने, पढ़ाई और अन्य कार्यों के लिए समय निकालते हैं, ठीक ऐसे ही शरीर के लिए भी समय निकालना जरूरी होता है। लेकिन वर्तमान समय में लोगों जॉब और घर के काम में इतना व्यस्त हो गए हैं कि वह अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता नहीं दे पाते हैं। लंबे समय तक तनाव व थकान की वजह से शरीर में कई तरह के रोग होने की संभावना... Read More

   

शरीर को स्वस्थ और सेहतमंद बनाने के लिए समय निकालना बेहद आवश्यक होता है। जैसे आप जॉब करने, पढ़ाई और अन्य कार्यों के लिए समय निकालते हैं, ठीक ऐसे ही शरीर के लिए भी समय निकालना जरूरी होता है। लेकिन वर्तमान समय में लोगों जॉब और घर के काम में इतना व्यस्त हो गए हैं कि वह अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता नहीं दे पाते हैं। लंबे समय तक तनाव व थकान की वजह से शरीर में कई तरह के रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। इससे बचने के लिए आप सुबह करीब एक घंटे योग व एक्सरसाइज रोजाना करें। इससे आपके शरीर की मांसपेशियों में खिंचाव आता है और दर्द में आराम मिलता है। योग व एक्सराइज से आपको मानसिक शांति मिलती है, जिसकी वजह से आप हर कार्य को बेहतर ढ़ंग से कर पाते हैं।इस लेख में आपको अर्ध मत्स्येन्द्रासन के फायदों के बारे में बताया गया है। इस आसान से आप रीढ़ की हड्डी से जुड़े दर्द और तनाव को आसानी से दूर कर सकते हैं। आगे जानते हैं अर्ध मत्स्येन्द्रासन से मिलने वाले फायदे और इसे करने का सही तरीका।

अर्ध मत्स्येन्द्रासन से मिलने वाले फायदे -

मांसपेशियों को स्ट्रेच करें

दिनभर एक ही पोस्चर में बैठे रहने से आपकी पीठ में दर्द होने लगता है। इससे बचने के लिए आप अर्ध मत्स्येन्द्रासन कर सकते हैं। सुबह करीब 10 से 15 मिनट इस आसन को करने से पीठ का दर्द दूर होता है। साथ ही अन्य पैरों, हाथों और ऊपरी हिस्से की मांसपेशियों में खिंचाव आता है।

ब्लड सर्कुलेशन के बनाए बेहतर

अर्धमत्स्येन्द्रासन करने आपके शरीर की मांसपेशियां में लचीलापन आता है और आपका ब्लड सर्कुलेशन ठीक होता है। अर्ध मत्स्येन्द्रासन को नियमित करने आपके शरीर के विषैल तत्व बाहर होते हैं और शरीर डिटॉक्स होता है।  

पाचन को करें दुरुस्त

इस आसन के नियमित अभ्यास से आप अपनी पाचन क्रिया को बेहतर बना सकते हैं। इससे पेट के मांसपेशियों में खिंचाव आता है, जिससे पेट की मांसपेशियां मजबूत होती है और आपकी पाचन क्रिया बेहतर होती है। 

तनाव को करें दूर

काम के प्रेशर की वजह से आज के समय में लोगों को तनाव और स्ट्रेस रहने लगा है। अर्ध मत्स्येन्द्रासन को नियमित करने से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और आपके दिमाग तक ऑक्सीजन आसानी से पहुंचती है। इससे आपका तनाव कम होता है और चिंता दूर होने लगती है। 

रीढ़ की हड्डी को बनाएं लचीला

ऑफिस में घंटों कुर्सी में बैठकर काम करने से रीढ़ की हड्डी पर प्रेशर पड़ता है। साथ ही उसके पोस्चर में भी बदलाव आने लगता है। लेकिन अर्ध मत्स्येन्द्रासन से रीढ़ की हड्डी में लचीलापन आता है और इसकी वजह से होने वाला पीठ का दर्द दूर होता है।

अर्ध मत्स्येन्द्रासन करने का सही तरीका -

इस आसन को करने के लिए आप जमीन बैठ जाएं और पैरों को सीधा कर लें। 

इस समय आप रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। 

इसके बाद बाएं पैर को मोड़े और इससे कुल्हे के नीचे दबाएं। 

अब दाएं पैर को ऊपर की मोड़े, इसका घुटना ऊपर की ओर रखें।

इसके बाद जो पैर ऊपर की ओर है, उस ओर शरीर के ऊपरी हिस्से को घुमाएं। 

ऐसा करते समय आप ऊपर वाले पैर को नीचे वाले पैर से क्रॉस करें और तलवे को घुटने के पास ले आएं।

बाएं हाथ को जमीन पर रखें और गहरी सांस को अंदर भरें। 

इस पोजिशन में करीब 20 से 30 सेकेंड तक शरीर को होल्ड करें। 

इसके बाद ठीक विपरीत दिशा में आसन को दोहराएं। 

शुरुआत में आसन को ज्यादा देर तक न करें। इसके बाद धीरे-धीरे समय को बढ़ाएं। 

योग करने से आप अपने शरीर को रोग मुक्त बना सकते हैं। यदि आपको इस आसन को करते समय शरीर के किसी हिस्से में दर्द महसूस हो रहा है, तो ऐसे में कुछ समय के लिए इसे न करें। 

Thank you.


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अधोमुख श्वानासन को करने से सेहत को होते हैं ये 7 फायदे जानें इस आसन को करने की विधि


अगर शरीर को तंदुरुस्त रखना है तो दिनचर्या में एक्सरसाइज के साथ योग और आसनों को जोड़ना भी जरूरी है। आज हम फिर एक ऐसे आसन के बारे में बता रहे हैं, जिसे करने से न केवल टांगों को मजबूती मिलती है बल्कि बाजुओं और कंधे भी मजबूत बनते हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं अधोमुख श्वानासन  की। यह आसन 3 शब्दों से मिलकर बना है- अधो, मुख और श्र्वान। अगर इन तीनों के अर्थ की बात की जाए तो अधु का अर्थ है नीचे की ओर... Read More

अगर शरीर को तंदुरुस्त रखना है तो दिनचर्या में एक्सरसाइज के साथ योग और आसनों को जोड़ना भी जरूरी है। आज हम फिर एक ऐसे आसन के बारे में बता रहे हैं, जिसे करने से न केवल टांगों को मजबूती मिलती है बल्कि बाजुओं और कंधे भी मजबूत बनते हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं अधोमुख श्वानासन  की। यह आसन 3 शब्दों से मिलकर बना है- अधो, मुख और श्र्वान। अगर इन तीनों के अर्थ की बात की जाए तो अधु का अर्थ है नीचे की ओर जाना, जबकि मुख का अर्थ मुंह और श्र्वान का अर्थ कुत्ता होता है। आज का हमारा लेख इसी आसन पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि अधोमुख श्वानासन करने से सेहत को क्या लाभ मिलते हैं।साथ ही अधोमुख श्वानासन को करने की विधि और इस आसन के दौरान बरतने वाली सावधानी को भी जानेंगे।

   

अधोमुख श्वानासन करने की विधि

सबसे पहले जमीन पर योग मैट बिछाएं और उस पर सीधे खड़े हो जाएं। अब अपने दोनों हाथों को ऊपर की ओर ले जाएं और जमीन की तरफ झुकें। जब आप जमीन की तरफ झुकेंगे तो आपके घुटने और हाथ एकदम सीधे होनी चाहिए। अब ऊपर दिए चित्र के अनुसार अपनी आकार धनुष की भांति बना लें। याद रहे कि आपके हाथ और टांग एकदम सीधे होने चाहिए। अब गहरी लंबी सांस लें और कूल्हों पर जोर डालें। अपने हाथों को पूरी तरह से जमीन पर टिकाएं और अपने कूल्हों को जितना हो सके उतना ऊपर उठाने की कोशिश करें। आपका सिर भी जमीन की तरह होना चाहिए। आपकी दृष्टि आपके पैरों की तरफ होनी चाहिए। अब इस स्थिति में लगभग तब तक रहें जब तक आप संतुलन बना सकते हैं। ध्यान रहे कि अपनी क्षमता पर ज्यादा जोर ना डालें।

इस आसन को करने से पहले अगर आप ताड़ासन, उत्तानासन और बालासन करते हैं तो इस आसन को करने में आसानी मिलती है। इन आसनों को करने से शरीर पर काफी प्रभाव पड़ता है और मांसपेशियां मजबूत होती है। ध्यान रहे कि आप अपनी क्षमता पर ज्यादा जोर ना डालें। जितने समय तक झुका जा रहा है केवल उतने समय तक की झुकें। इस आसन को करने के दौरान ज्यादा भार शरीर का हाथों पर ना डालें बल्कि कूल्हों की ओर ले जाने का प्रयास करें।

इस योग को करते वक्त बरते सावधानी

1 - अगर आप की कलाई में दर्द हो रहा है या चोट लगी है तो आप इस आसन को ना करें।

2 - अगर दस्त हो रहे हैं या आंखों की समस्या है तो इस आसन को ना करें।

3 - जिन लोगों को हाई बीपी की समस्या है या जिन लोगों के कान में संक्रमण या आंखों में संक्रमण है तो इस आसन को ना करें।

4 - अगर आपकी कमर पैरों की अंगुलियां या भुजाओं में चोट लगी है तो आसन को ना करें।

अधोमुख श्वानासन को करने के फायदे

1 - शरीर में इंसटेंट ऊर्जा लाने के लिए यह आसन बेहद सहायक है।

2 - यहां से मस्तिष्क को शांत रखता है और शरीर को चिंता, तनाव और डिप्रेशन की समस्या से दूर करता है।

3 - अस्थमा से लड़ने में अधोमुख श्वानासन बेहद मददगार है।

4 - साइनस या साइटिका को दूर करने में यह आसन बेहद मददगार है।

5 - कंधो को मजबूती देने के साथ-साथ है टांगों और बाजू को भी मजबूती देता है।

6 - पिंडली और बाजू में खिंचाव लाने के लिए अधोमुख श्वानासन का प्रयोग कर सकते हैं।

7 - अगर आपको नींद नहीं आती या आपको थकान रहती है, पीठ में दर्द रहता है, सर में दर्द रहता है तो इस आसन को करने से समस्या दूर हो जाती है।

नोट - बता दें कि इस आसन को करते वक्त अगर आपकी एड़ियां जमीन पर नहीं टिक रही हैं तो जबरदस्ती उन्हें टिकाने की कोशिश ना करें। वरना इससे असामान्य दर्द महसूस हो सकता है। अपनी क्षमता पर केवल उतना ही जोड़ डालें, जितना आप कर सकते हैं। अगर आपको गहरी लंबी सांस लेने में दिक्कत हो रही है तो आप अपनी सुविधानुसार भी सांस ले सकते हैं।

Thank you.


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पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास करने से ये 6 बीमारियां होती हैं दूर जानें करने का तरीका और सावधानियां


शरीर और मन को शांत, हेल्दी और निरोगी बनाए रखने के लिए रोजाना योग का अभ्यास बहुत फायदेमंद है। योग विज्ञान में शरीर की अलग-अलग परेशानियों के लिए अलग-अलग योगासनों का अभ्यास करने के बारे में बताया गया है। हर एक योगासन शरीर के अलग-अलग अंगों पर केंद्रित होता है। योग के फायदे और बीमारियों को दूर करने के लिए इसकी उपयोगिता को देखते हुए पूरी दुनिया में इंटरनेशनल योगा डे या अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (Internati... Read More

शरीर और मन को शांत, हेल्दी और निरोगी बनाए रखने के लिए रोजाना योग का अभ्यास बहुत फायदेमंद है। योग विज्ञान में शरीर की अलग-अलग परेशानियों के लिए अलग-अलग योगासनों का अभ्यास करने के बारे में बताया गया है। हर एक योगासन शरीर के अलग-अलग अंगों पर केंद्रित होता है। योग के फायदे और बीमारियों को दूर करने के लिए इसकी उपयोगिता को देखते हुए पूरी दुनिया में इंटरनेशनल योगा डे या अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day 2022) मनाया जाता है।

पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास करने के फायदे

शरीर और मन की शक्ति बढ़ाने और मानसिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास बहुत फायदेमंद होता है। आप आसानी से इसका अभ्यास कर सकते हैं। पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास करते समय आपके शरीर का पिछला हिस्सा खिंचा हुआ होता है और इसके अभ्यास से पीठ और रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्या में बहुत फायदा मिलता है। पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास करने से आपको इन बीमारियों में फायदा मिलता है।

1. नींद से जुड़ी परेशानियों में फायदेमंद पश्चिमोत्तानासन

पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास करने से नींद से जुड़ी कई परेशानियों में बहुत फायदा मिलता है। इस योगासन का अभ्यास करने से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या में भी फायदा मिलता है और इसकी वजह से आपकी नींद बेहतर होती है। रोजाना सही ढंग से इसका अभ्यास करने से आपको अनिद्रा की समस्या में भी फायदा मिलता है। 

2. हाई ब्लड प्रेशर की समस्या में फायदेमंद

हाई ब्लड प्रेशर की समस्या में पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास बहुत फायदेमंद होता है। इसका अभ्यास करने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन भी ठीक होता है और हार्ट से जुड़ी समस्याओं में फायदा मिलता है। शरीर में रक्त प्रवाह अनियंत्रित होने से आपकी परेशानियां बढ़ जाती हैं। रोजाना पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास करने से आपका रक्त प्रवाह संतुलित रहता है। 

3. साइनस की समस्या में फायदेमंद पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास

पश्चिमोत्तानासन का नियमित अभ्यास करने से आपको साइनस की समस्या में बहुत फायदा मिलता है। साइनस दरअसल सांस से जुड़ी एक गंभीर समस्या है, इस समस्या में मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है। इस योगासन का अभ्यास करते समय सांस की प्रक्रिया पर ध्यान दिया जाता है।

4. मानसिक बीमारियों को दूर करने के लिए फायदेमंद

मानसिक बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए रोजाना पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास करना फायदेमंद होता है। डिप्रेशन, चिंता और तनाव की समस्या को दूर करने के लिए पश्चिमोत्तानासन का नियमित अभ्यास करना बहुत फायदेमंद होता है। आप रोजाना कुछ समय के लिए इसका अभ्यास कर मानसिक समस्याओं को दूर कर सकते हैं।

5. मोटापे की समस्या में फायदेमंद पश्चिमोत्तानासन

असंतुलित खानपान और खराब जीवनशैली के कारण आज के समय में मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ रही है। मोटापे को दूर करने के लिए पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास बहुत फायदेमंद होता है। पेट पर बढ़ी हुई चर्बी को दूर करने के लिए रोजाना पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास बहुत फायदेमंद होता है।

6. पेट से जुड़ी बीमारियों में फायदेमंद

पश्चिमोत्तानासन का नियमित रूप से अभ्यास पेट से जुड़ी गंभीर बीमारियों में बहुत फायदेमंद है। आप इस योगासन का नियमित अभ्यास कर पेट में गैस की समस्या, कब्ज की समस्या और अपच जैसी परेशानियों को आसानी से दूर कर सकते हैं।

पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास करने का तरीका

पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास करने के लिए आप इन स्टेप्स को फॉलो करें-

 

सबसे पहले आप सुखासन में बैठ जाएं और गहरी सांसें लें और छोड़ें, इससे मन शांत होता है। 

अब अपने दोनों पैरों को सामने की ओर सीध में खोलकर बैठ जाएं, दोनों एड़ी और पंजे मिले रहेंगे। 

अब सांस छोड़ते हुए और आगे की ओर झुकते हुए दोनों हाथों से दोनों पैरों के अंगूठे पकड़ लें। 

माथे को घुटनों से लगाएं और दोनों कोहनियां जमीन पर लगी रहेंगी, जैसा कि आप तस्‍वीरों में देख सकते हैं।

इस पोजिशन में आप खुद को 30 से 60 सेकेंड तक रखें, धीमी सांसें लेते रहें।

अब अपने पूर्व की मुद्रा में वापस आ जाएं और आराम करें।

पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास करते समय सावधानियां

पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास करते समय आपको कुछ सावधानियों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। अगर आपको हैमस्ट्रिंग में चोट लगी है और पीठ के निचले हिस्से में दर्द या चोट लगी है तो पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए। अस्थमा, अल्सर और स्लिप डिस्क की समस्या में इस योगासन का अभ्यास न करने की सलाह दी जाती है। गर्भवती महिलाओं के लिए भी इस योगासन का अभ्यास करना नुकसानदायक हो सकता है।

Thank you.


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अस्थमा समेत इन 5 बीमारियों में फायदेमंद है धनुरासन का अभ्यास जानें तरीका और सावधानियां


शरीर, दिमाग और मन के बीच संतुलन बनाए रखने और शारीरिक व मानसिक रूप से फिट रहने के लिए रोजाना योग का अभ्यास बहुत उपयोगी है। योग विज्ञान में शरीर की अलग-अलग परेशानियों को लेकर अलग-अलग प्रकार के योगासनों के अभ्यास के बारे में बताया गया है। धनुरासन का अभ्यास करने से आपको मानसिक शांति मिलती है और शरीर फिट व हेल्दी रहता है। धनुरासन के अभ्यास से अस्थमा और किडनी से जुड़ी बीमारियों में भी फायदा मिलता है। इसक... Read More

शरीर, दिमाग और मन के बीच संतुलन बनाए रखने और शारीरिक व मानसिक रूप से फिट रहने के लिए रोजाना योग का अभ्यास बहुत उपयोगी है। योग विज्ञान में शरीर की अलग-अलग परेशानियों को लेकर अलग-अलग प्रकार के योगासनों के अभ्यास के बारे में बताया गया है। धनुरासन का अभ्यास करने से आपको मानसिक शांति मिलती है और शरीर फिट व हेल्दी रहता है। धनुरासन के अभ्यास से अस्थमा और किडनी से जुड़ी बीमारियों में भी फायदा मिलता है। इसका अभ्यास पेट के बल लेटकर किया जाता है और अभ्यास के दौरान धनुष जैसी आकृति बनती है जिसकी वजह से इसे धनुरासन और अंग्रेजी में बो पोज (Bow Pose Benefits in Hindi) के नाम से भी जाना जाता है। धनुरासन हठयोग के 12 योगासनों में से एक है जिसका अभ्यास थोड़ा कठिन होता है। शुरुआत में धनुरासन का अभ्यास करते समय एक्सपर्ट या योग गुरु की मदद लेनी चाहिए।

धनुरासन का अभ्यास करने के फायदे

धनुरासन का सही ढंग से रोजाना अभ्यास करने से आपको अस्थमा और किडनी से जुड़ी गंभीर बीमारियों में फायदा मिलता है। इसका अभ्यास शरीर की मांसपेशियों को मजबूत बनाने और लचीलापन बढ़ाने के लिए भी बहुत फायदेमंद माना जाता है। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर ऑफ बायो टेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक चिंता और अवसाद जैसी मानसिक समस्याओं में भी धनुरासन का अभ्यास बहुत फायदेमंद होता है। धनुरासन का रोजाना अभ्यास करने से आपको ये फायदे मिलते हैं।

1. किडनी से जुड़ी परेशानियों में फायदेमंद धनुरासन

किडनी से जुड़ी बीमारियों में धनुरासन का अभ्यास करना बहुत उपयोगी माना जाता है। धनुरासन का अभ्यास किडनी से जुड़ी बीमारियों का जोखिम कम करने के लिए फायदेमंद माना जाता है। एक अध्ययन में इस बात की पुष्टि हुई है जिसमें कहा गया है की किडनी से जुड़ी बीमारियों और किडनी की कार्यक्षमता सुधारने के लिए धनुरासन का अभ्यास फायदेमंद होता है। इसका अभ्यास शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को दूर करने के लिए उपयोगी है।

2. चिंता और अवसाद जैसी समस्याओं में फायदेमंद

चिंता और अवसाद जैसी मानसिक परेशानियों को दूर करने के लिए धनुरासन का नियमित अभ्यास बहुत फायदेमंद है। कई शोध और अध्ययन इस बात की पुष्टि हुई है की धनुरासन या बो पोज का अभ्यास करने से शरीर में मौजूद स्ट्रेस हॉर्मोन कम होता है और मानसिक समस्याओं में फायदा मिलता है।

3. अस्थमा की समस्या में फायदेमंद

धनुरासन का अभ्यास करने से अस्थमा की समस्या में भी फायदा मिलता है। अस्थमा की समस्या में होने वाली परेशानियों और सांस लेने की दिक्कत को दूर करने में धनुरासन का नियमित अभ्यास करना चाहिए।

4. पीरियड्स के दौरान समस्याओं में उपयोगी

पीरियड्स के दौरान होने वाली समस्याओं को दूर करने के लिए धनुरासन का रोजाना अभ्यास बहुत फायदेमंद होता है। इस योगासन का नियमित अभ्यास करने से पेट के भीतर मौजूद अंगों की कार्यक्षमता में सुधार होता है। मासिक धर्म के दौरान होने वाली पीठ दर्द की समस्या में बहुत फायदा मिलता है।

5. गर्दन दर्द को दूर करने में उपयोगी

गर्दन दर्द की समस्या को दूर करने में धनुरासन का अभ्यास बहुत फायदेमंद होता है। इसका नियमित अभ्यास कर आप गर्दन में दर्द और अकड़न की समस्या से निजात पा सकते हैं।

धनुरासन का अभ्यास करने का तरीका

धनुरासन का अभ्यास करने के लिए आप इन स्टेप्स को फॉलो करें-

 

धनुरासन करने के लिए सबसे पहले एस साफ स्थान पर योगा मैट बिछाएं। 

अब इस मैट पर पेट के बल लेट जाएं। अपने हिप्स के नीचें थोड़ा गैप रखें और हाथों को सीधा रखें।

अब अपने घुटनों को मोड़ते हुए सांस छोड़ें।

अपनी एड़ी को अपने नितंबों के पास लाएं।

अब धनुसाकार होते हुए, अपने पैरों की उंगलियों को हाथों से पकड़ें। 

अब गहरी सांस लेते हुए अपनी छाती को जमीन से ऊपर उठाएं। 

पैरों को खींचते हुए अपने पेट के वजन को संतुलित बनाए रखें और अपने सिर को बिल्कुल सीधा रखें। 

शरीर के लचीलेपन के आधार पर अपने शरीर को खींचने की कोशिश करें। 

इस स्थिति में 30 सेकंड के लिए रुकें और पुन: अपनी मुद्रा में वापस लौट आएं।

धनुरासन के अभ्यास से जुड़ी सावधानियां

धनुरासन का अभ्यास करते समय कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। इस दौरान आपका पेट खाली होना चाहिए और भोजन करने के 6 घंटे के बाद तक इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए। धनुरासन का अभ्यास करते समय शरीर पर अधिक जोर नहीं डालना चाहिए। शुरुआत में इसका अभ्यास करते समय योग एक्सपर्ट की मदद लें।

Thank you.


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जानुशीर्षासन करने का तरीका और फायदे


जानुशीर्षासन का नाम दो शब्दों के मेल से बना है: जानु, और शीर्ष। जानु मतलब घुटना, और शीर्ष मतलब सिर। इस आसन से आपका स्वास्थ्य अच्छा रहता है और तनाव से भी मुक्त रहते हैं।  आगे इस लेख में जानिए कि जानुशीर्षासन कैसे करें, लाभ और इस आसन को करते समय क्या सावधानियां बरतनी चाहिए। जानुशीर्षासन के फायदे - हर आसन की तरह जानुशीर्षासन के भी कई लाभ होते हैं। उनमें से कुछ हैं यह: 1.दिमाग़ को शांत करता है और... Read More

जानुशीर्षासन का नाम दो शब्दों के मेल से बना है: जानु, और शीर्ष। जानु मतलब घुटना, और शीर्ष मतलब सिर। इस आसन से आपका स्वास्थ्य अच्छा रहता है और तनाव से भी मुक्त रहते हैं। 

आगे इस लेख में जानिए कि जानुशीर्षासन कैसे करें, लाभ और इस आसन को करते समय क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।

जानुशीर्षासन के फायदे -

हर आसन की तरह जानुशीर्षासन के भी कई लाभ होते हैं। उनमें से कुछ हैं यह:

1.दिमाग़ को शांत करता है और हल्के अवसाद से छुटकारा पाने में मदद करता है।

2.रीढ़ की हड्डी, हैमस्ट्रिंग, कूल्हों और घुटनों के लचीलेपन को बढ़ाता है।

3.जिगर और गुर्दे को उत्तेजित करता है।

4.पाचन में सुधार लाता है।

5.चिंता, थकान, सिरदर्द, और मासिक धर्म की परेशानी से छुटकारा दिलाता है।

6.हाई बीपी, अनिद्रा, और साइनस के लिए चिकित्सीय है।

जानुशीर्षासन करने का तरीका -

जानुशीर्षासन करने का तरीका हम यहाँ विस्तार से दे रहे हैं, इसे ध्यानपूर्वक पढ़ें।

 

1.दंडासन में बैठ जायें। हल्का सा हाथों से ज़मीन को दबाते हुए और साँस अंदर लेते हुए रीढ़ की हड्डी को लंबा करने की कोशिश करें।

2.श्वास अंदर लें और अपनी दाईं टाँग को उठा कर दायें पैर को बाईं जाँघ के अंद्रूणी हिस्से पर टिका लें।

3.इस मुद्रा में आपके दायें कूल्हे और घुटने पर खिचाव आएगा। और आपका दाया घुटना ज़मीन पर टिका होना चाहिए।

4.साँस छोड़ते हुए कूल्हे के जोड़ों से झुकें - ध्यान रहे कि कमर के जोड़ों से नहीं झुकना है। नीचे झुकते समय साँस छोड़ें।

5.दोनो हाथों से बायें पैर को पकड़ लें। ऊपर दिए गये चित्र को देखें इस आसन की मुद्रा समझने के लिए।

6.कुल मिला कर पाँच बार साँस अंदर लें और बाहर छोड़ें ताकि आप आसन में 30 से 60 सेकेंड तक रह सकें। धीरे धीरे जैसे आपके शरीर में ताक़त और लचीलापन बढ़ने लगे, आप समय बढ़ा सकते हैं - 90 सेकेंड से ज़्यादा ना करें।

7.पाँच बार साँस लेने के बाद आप इस मुद्रा से बाहर आ सकते हैं। आसन से बाहर निकलने के लिए साँस अंदर लेते हुए धड़ को ऊपर उठायें। ध्यान रहे कि आप अपनी पीठ को सीधा ही रखें और अपने कूल्हे के जोड़ों से ही वापिस उपर आयें।

8.जब पूरी तरह सीधे बैठ जायें। दाईं टाँग को आगे कर लें, और दंडासन में समाप्त करें।

9.दाहिनी ओर करने के बाद यह सारे स्टेप बाईं ओर भी करें।

जानुशीर्षासन करने में क्या सावधानी बरती जाए -

1.जिन्हे पीठ के निचले हिस्से में दर्द की परेशानी हो, वह जानुशीर्षासन ना करें।

2.जिनके घुटनों में दर्द हो, उन्हे भी जानुशीर्षासन नहीं करना चाहिए।

3.अगर आपकी हॅम्स्ट्रिंग में चोट हो, तो जानुशीर्षासन ना करें।

4.यदि आपको दस्त या दमे की परेशानी हो तो जानुशीर्षासन ना करें।

5.अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक जोर न लगायें।

Thank you.


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हठ योग क्या है जानें शरीर को इससे होने वाले 7 फायदे और करने का सही तरीका


शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए योग करना बहुत जरूरी है। प्राचीनकाल से ही योग को शरीर के विकास के लिए बेहद कारगर प्रक्रिया मानी जाती है। योग करने से न केवल मन शांत रहता है बल्कि इसके जरिए स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं से भी बचा जा सकता है। योग हमारे मन को भौतिकता से परे लेकर जाता है। जिससे हमारा मन शांत होता है और हमारा मानसिक विकास भी होता है। आपने हॉट योग, न्यूड, योग और नाद योग समेत अन... Read More

शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए योग करना बहुत जरूरी है। प्राचीनकाल से ही योग को शरीर के विकास के लिए बेहद कारगर प्रक्रिया मानी जाती है। योग करने से न केवल मन शांत रहता है बल्कि इसके जरिए स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं से भी बचा जा सकता है। योग हमारे मन को भौतिकता से परे लेकर जाता है। जिससे हमारा मन शांत होता है और हमारा मानसिक विकास भी होता है। आपने हॉट योग, न्यूड, योग और नाद योग समेत अन्य भी कई योगों के बारे में सुना होगा, लेकिन क्या कभी हठ योग के बारे में सुना है। अगर नहीं तो हमारा आज का लेख इसी विषय पर आधारित है। हठ योग एक ऐ प्रक्रिया है, जो योगियों द्वारा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। हठ योग दो शब्दों से मिलकर बना है। ह का अर्थ है सूरज (Sun) और ठ का अर्थ है चंद्रमा (Moon)। सूरज और चंद्रमा से मिलकर बना हठ योग एक नहीं बल्कि कई मुद्राओं में किया जाता है। सूरज और चांद को मानव शरीर का स्तंभ माना जाता है। शरीर में उर्जा का स्त्रोत माने जाने वाले सूर्य और चंद्रमा का संतुलन हमें कई बीमारियों से बचाने में मददगार माना जाता है। तनाव कम करने के लिए भी हठ योग काफी कारगर माना जाता है। यही नहीं यह आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता  में सुधार करने के साथ ही हड्डियों की मजबूती, हृदय स्वास्थ, त्वचा की सुंदरता और कमर दर्द समेत कई समस्याओं में फायदेमंद माना जाता है। आइये जानते हैं हठ योग के फायदे और करने के सही तरीके के बारे में। 

हठ योग क्य़ा है?

हठ योग सूरज और चंद्रमा से मिलकर बना है। प्राचीन काल से ही योगियों की पसंद रहे हठ योग को आसान भाषा में समझें तो अपनी शरीर में सूरज और चंद्रमा को संतुलन में लाना होता है। इस योग के जरिए आपकी शरीर में इन दोनों का ही संतुलन बना रहता है और आप कई बीमारियों से मुक्त रहते हैं। माना जाता है कि रक्त के संचार के साथ ही हृदय की गति को सुचारू रूप से काबू करता है। हठ योग कई मुद्राओं में किया जाता है जैसे वृक्षासन, बालासन, ताड़ासन, उत्तानासन और सेतु बंधासन समेत और भी कई आसन हैं। प्रत्य़ेक आसन आपकी श्वासन प्रणाली को ठीक करने और कई विकारों को दूर करने में बेहद कारगर माने जाते हैं। 

हठ योग करने के फायदे

1. तनाव कम करे

तनाव होना आज के समय में आम समस्या है, ऐसे में हठ योग का अभ्यास आपको तनाव से दूर रखता है। साल 2017 में हुए एक शोध की मानें तो हठ योग का अभ्यास करने वालों में कार्टिसोल हार्मोन का स्तर कम हो जाता है। इसका नियमित अभ्यास आपका ब्लड प्रेशर भी कम करता है। साथ ही कार्टिसोल का स्तर कम होने से आपका तनाव खुद ब खुद निचले स्तर पर आने लगता है। जिससे आपका मेटाबॉलिज्म भी नियंत्रित रहता है। इसका नियमित रूप से अभ्यास करने से आपका तनाव धीरे धीरे कम होने लगता है। 

2. नींद के लिए फायदेमंद

श्वासन प्रणाली वाली मुद्रा में बैठकर हठ योग करने का अभ्यास आपको निद्रा की अवस्था में लाने के ले काफी कारगर माना जाता है। हठ योग की मुद्रा में आने वाले कई आसनों का अभ्यास आपको तनाव से बाहर निकालकर सुकून की अवस्था में लाने में मदद करता है। आपकी शरीर में कार्टिसोल का स्तर नियंत्रित रहने के साथ ही ब्लड प्रेशर जैसी अन्य समस्याएं भी नियंत्रित रहती हैं, जो धीरे धीरे आपको नींद की स्थिति में लाने का काम करते हैं। 

3. बैक पेन से दिले छुटकारा

बैक पेन होना आज के समय में बेहद आम है, लेकिन इसे नजरअंदाज करना उतना ही घातक है। हठ योग के अंतर्गत आने वाली कुछ मुद्राओं मुख्य रूप से आपकी कमर और पीठ के आसपास के हिस्सों में फायदेमंद मानी जाती हैं। जिसके अभ्यास से आपकी रीढ़ की हड्डी समेत पीठ और कमर का दर्द और जकड़न भी कम हो जाती हैं। विश्वविद्यालय में हुए एक शोध के अनुसार हठ योग दर्द के लिए एक थैरेपी की तरह काम करता है। इसके अभ्यास से आपकी कमर में हो रहा तेज दर्द भी ठीक हो जाता है। साथ ही यह शरीर में लचीलापन लाने और पोश्चर में सुधार करने के लिए बहुत कारगर माना जाता है।

4. हड्डियों को करे मजबूत

हड्डियों के विकार से जूझ रहे लोगों के लिए भी यह योग काफी फायदेमंद माना जाता है। हठ योग आपकी बोन डेंसिटी को बढ़ाने में भी काफी मददगार माना जाता है। इससे ओस्टियोपोरोसिस और स्पॉंडिलाइटिस तक की भी समस्याएं होने की संभावना कम हो जाती है। शरीर में बोन डेंसिटी यानि हड्डियों का घनत्व खत्म या कम हो जाने पर हड्डियों की मजबूती खत्म होने लगती है और कई समस्याएं होने लगती हैं। हठ योग का नियमित अभ्यास आपकी बोन डेंसिटी बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है। जिससे आपकी हड्डियां न सिर्फ मजबूत होंगी बल्कि उनमें लचीलापन भी बढ़ेगा।  

5. त्वचा के लिए फायदेमंद

त्वचा के निखार के लिए भी हठ योग काफी फायदेमंद माना जाता है। त्वचा में बहुत तरह की परेशानियां होती रहती हैं। इसलिए त्वचा की शुद्धी भी समय समय पर बेहद जरूरी है। हठ योग आपकी त्वचा का निखार तो बरकरार रखता ही है, साथ साथ त्वचा की शुद्धी के लिए भी काफी बेहतर माना जाता है। हठ योग आपकी त्वचा की नसों में खून का प्रवाह सुचारू करता है, जिससे त्वचा को भरपूर मात्रा में खून मिलता है और त्वचा बिलकुल खिली रहती है। 

6. हृदय के लिए फायदेमंद

हठ योग का रोजान अभ्यास करने पर आपकी शरीर में कोलेस्ट्रोल की मात्रा कम होती है, ब्लड प्रेशर के साथ साथ ग्लूकोज का भी स्तर नियंत्रित रहता है, जिस कारण आपको दिल की बीमारियां होने का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। वजन कम करने के साथ ही यह हृदय की धड़कन को भी सुनिश्चित और संतुलित करने में मदद करता है। इसके नियमित अभ्यास से हृदय की बीमारियां जैसे हाइपरटेंशन, स्ट्रोक आदि जैसी बीमारियों की संभावना कम हो जाती है।

7. शरीर में लचीलापन बनाए

शरीर को लचीली बनाने के लिए हठ योग बेहद कारगर आसन माना जाता है। साल 2015 में हुए एक शोध के अनुसार शरीर में फ्लैक्सिबिलिटी यानि लचीलापन बनाने के लिए रोजाना आधे घंटे से 90 मिनट तक हठ योग का अभ्यास करें। इससे आपकी रीढ़ की हड्डी और कमर के आस पास के हिस्सों का लचीलापन बना रहेगा। इसलिए शरीर में लचीलापन बरकरार रखना चाहते हैं तो इस योग का अभ्यास शुरू कर दें।

हठ योग करने की विधि

हठ योग में वैसे तो कई मुद्राएं हैं, जिनका बारी बारी आपको प्रयास करना होता है। इसलिए सभी मुद्राओं का प्रयास आपको अलग अलग तरीकों से करना होता है। यदि आपको इन अभ्यासों को करने में कोई समस्या है तो आप योगा क्लासिस ज्वॉइन कर सकते हैं। 

 

हठ योग करने के लिए ध्यान लगाकर बैठें या फिर सूर्य नमस्कार से इसकी शुरूआत करें। 

कुछ समय तक आंखें बंद कर मेडिटेशन करें। 

हठ योग के अंतर्गत आने वाली सभी मुद्राओं का अभ्यास करें। 

श्वासन प्रणाली को दुरुस्त रखने के लिए कुछ सेकेंड तक सांस रोककर रखें। 

शरीर की कुछ शक्तियां जगाने के लिए कुंडिलिनी जागरण योग भी किया जाता है। 

यदि आप किसी समस्या से ग्रस्त हैं तो अपने योगो ट्रेनर की सलाह के बाद ही इसे करें। 

अपने शरीर के विभिन्न हिस्सों को उर्जावान व मजबूत बनाने के लिए आपको विभिन्न अभ्यासों को करना है।  

आपकी हठ योग करने की प्रक्रिया पूरी हुई। 

Thank you.

 

 


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सांस लेने में होती है परेशानी? नियमित करें ये योगासन


शरीर को अपनी अधिकतर जरूरी प्रक्रियाएं पूरी करने के लिए भरपूर ऑक्सीजन की जरूरत होती है. शरीर फेफड़ों के द्वारा ऑक्सीजन को शरीर के भीतर ग्रहण करता है और कार्बनडाइऑक्साइड को बाहर छोड़ता है. फेफड़ों की सही प्रकार काम ना करने या किसी बीमारी से ग्रस्त होने के कारण शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने का खतरा बढ़ जाता है और व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. सांस लेने में परेशानी का सामना... Read More

शरीर को अपनी अधिकतर जरूरी प्रक्रियाएं पूरी करने के लिए भरपूर ऑक्सीजन की जरूरत होती है. शरीर फेफड़ों के द्वारा ऑक्सीजन को शरीर के भीतर ग्रहण करता है और कार्बनडाइऑक्साइड को बाहर छोड़ता है. फेफड़ों की सही प्रकार काम ना करने या किसी बीमारी से ग्रस्त होने के कारण शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने का खतरा बढ़ जाता है और व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. सांस लेने में परेशानी का सामना करने के कई कारण हो सकते हैं जैसे अस्थमा की गंभीर बीमारी, सांस की नली में सूजन और खांसी जैसी कई सामान्य बीमारियां भी हो सकती हैं.

अगर आप सांस लेने में परेशानी का सामना करते हैं तो आपको अपने फेफड़ों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, नेचुरली फेफड़ों को मजबूत करने के लिए नियमित योग और एक्सरसाइज कर सकते हैं . आइए जानते हैं, कुछ आसान आसान योगासन जिनसे सांस की तकलीफ से छुटकारा पाया जा सकता है.

सांस की परेशानी से छुटकारा पाने के लिए नियमित करें ये योगासन 

भुजंगासन 

       

भुजंगासन को कोबरा पोज के नाम से भी जाना जाता है, जिसके नियमित अभ्यास से रेस्पिरेटरी सिस्टम मजबूत होता है और सांस की तकलीफ में राहत मिलती है. भुजंगासन से डाइजेस्टिव सिस्टम और लीवर दोनों सही प्रकार से काम करते हैं

वीरभद्रासन

           

वीरभद्रासन एक आसान योग मुद्रा है जो फेफड़ों को पूरी तरह साफ कर खोलता है. ये स्वस्थ फेफड़ों के लिए सबसे अच्छा योगासन माना जाता है, जो फेफड़ों में श्वास के रास्ते को साफ करके सांस की समस्या से छुटकारा दिलाने में कारगर है.

चाइल्ड पोज 

चाइल्ड पोज यानी बालासन, फेफड़ों को स्वस्थ कर सांस की समस्या से बचाने में सहायक है. अपनी हर दिन की शुरुआत बालासन से करनी चाहिए जो ना केवल रेस्पिरेटरी सिस्टम को स्ट्रांग करता है बल्कि मानसिक तनाव से मुक्ति पाने में भी सहायता करता है.प्राणायाम 

 

लगभग सभी योगासनों में प्राणायाम सबसे आसान योग क्रिया मानी जाती है, जिससे आप आसानी से कहीं भी कर सकते हैं. रोज प्राणायाम करने से रेस्पिरेट्री सिस्टम स्ट्रांग होता है और सांस से संबंधित सभी परेशानियों से छुटकारा मिलता है.

 

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वजन बढ़ाने के लिए राेज सुबह खाली पेट करें ये 7 याेगासन


वजन बढ़ाने के लिए कौन-से याेगासन करने चाहिए? वैसे ताे अधिकतर लाेग अपने बढ़े हुए वजन से परेशान रहते हैं। लेकिन कुछ लाेग ऐसे भी हैं, जाे अपने दुबले-पतले शरीर से परेशान हैं। कई लाेगाें काे लगता है कि वजन बढ़ाना आसान है, लेकिन वजन घटाना सबसे मुश्किल काम हाेता है। अगर आप भी ऐसा साेचते हैं, ताे बिल्कुल गलत है। क्याेंकि वजन घटाने की तरह ही वजन बढ़ाना भी किसी टास्क से कम नहीं हाेता है। ये आप उन लाेगाें से... Read More

वजन बढ़ाने के लिए कौन-से याेगासन करने चाहिए? वैसे ताे अधिकतर लाेग अपने बढ़े हुए वजन से परेशान रहते हैं। लेकिन कुछ लाेग ऐसे भी हैं, जाे अपने दुबले-पतले शरीर से परेशान हैं। कई लाेगाें काे लगता है कि वजन बढ़ाना आसान है, लेकिन वजन घटाना सबसे मुश्किल काम हाेता है। अगर आप भी ऐसा साेचते हैं, ताे बिल्कुल गलत है। क्याेंकि वजन घटाने की तरह ही वजन बढ़ाना भी किसी टास्क से कम नहीं हाेता है। ये आप उन लाेगाें से पूछ सकते हैं, जाे वजन बढ़ाने के लिए कई उपाय अपनाते हैं, लेकिन कामयाब नहीं हाे पातें। अकसर वजन बढ़ाने के लिए लाेग अपनी डाइट में फैट युक्त खाद्य पदार्थाें शामिल करना शुरू कर देते हैं, लेकिन इससे भी कुछ खास फर्क नहीं पड़ता है।

दरअसल, पाचन तंत्र के सही से काम न करने की वजह से लाेगाें का खाना अच्छी तरह से डायजेस्ट नहीं हाे पाता है, जिससे भाेजन में मौजूद पाेषक तत्व शरीर काे नहीं मिल पाते हैं। ऐसे में वजन काे बढ़ाना बहुत मुश्किल हाे जाता है। इस स्थिति में आपकाे राेज सुबह कुछ खास याेगासन जरूर करने चाहिए। इससे आपका पाचन तंत्र बेहतर हाेगा और आपका वजन भी बढ़ने लगेगा। याेग गुरु रमेश कुमार से जानते हैं, वजन बढ़ाने के लिए कौन-से याेगासन कारगर हैं

1. भुजंगासन

       

वजन बढ़ाने के लिए आप राेज सुबह खाली पेट भुजंगासन कर सकते हैं। इसमें शरीर का ऊपरी हिस्सा काेबरा के फन की तरह उठा हाेता है, इसलिए इसे काेबरा पाेज भी कहते हैं। अपने पेट, हाथाें और पीठ की मांसपेशियाें काे मजबूत बनाने के लिए आप राेजाना इस याेगासन काे कर सकते हैं। साथ ही यह पाचन तंत्र काे भी मजबूत बनाता है। इससे रीढ़ की हड्डी भी मजबूत बनती है।

इस याेगासन काे करने के लिए सबसे पहले याेगा मैट पर पेट के बल लेट जाएं।

अपनी दाेनाें हथेलियाें काे कंधाें के बराबर में जमीन पर रखें।

इस दौरान अपने टखनाें काे आपस में मिलाकर रखें।

लंबी गहरी सांस लें और अपने ऊपरी शरीर का वजन हथेलियाें पर डालते हुए कमर तक के हिस्से काे ऊपर उठाएं।

अपने पीठ पर खिंचाव महसूस करें।

सिर काे पीछे की तरफ खींचे और छाती काे बाहर की तरफ निकालें।

अपनी काेहनियाें काे एकदम सीधा रखें। 

इसे करते हुए आपके पैर जमीन पर ही रहने चाहिए। 

10-30 सेकेंड इसी अवस्था में रहने के बाद सांस छाेड़ते हुए सामान्य स्थिति में आ जाएं।

आप इस याेग काे 3-5 बार दाेहरा सकते हैं।

अगर आपकाे हर्निया, पीठ में दर्द है ताे इस याेगासन काे करने से बचें। पेट की सर्जरी हाेने पर भी इसे न करें।

2. धनुरासन

            

वजन बढ़ाने के लिए धनुरासन काे काफी फायदेमंद माना जाता है। यह हाथाें, पैराें, पेट और पीठ की मांसपेशियाें काे भी मजबूत बनाता है। इससे पाचन शक्ति भी बेहतर हाेती है। यह बॉडी काे स्ट्रेच करता है, जिससे तनाव कम हाेता है और आप रिलैक्स फील करते हैं।

 

इस आसन काे करने के लिए सबसे पहले पेट के बल किसी मैट पर लेट जाएं। 

अपने दाेनाें घुटनाें काे माेड़ें और जांघ की तरफ लाएं।

इसके बाद अपने दाेनाें हाथाें से पैराें के पंजे पकड़ लें।

इस दौरान आपकी छाती और पैर दाेनाें हवा में रहते हैं। लेकिन पेट जमीन पर ही रहना चाहिए।

अब लंबी गहरी सांस लें और छाेड़ें। कुछ सेकेंड तक इस अवस्था में रहने के बाद सामान्य स्थिति में आ जाएं। 

आप इस प्रक्रिया काे 4-5 बार आसानी से दाेहरा सकते हैं।

3. शीर्षासन

             

शीर्षासन शरीर में ब्लड सर्कुलेशन काे बेहतर बनाने में मदद करता है। साथ ही अगर आप दुबले-पतले हैं, ताे इसे राेजाना करके अपना वजन भी बढ़ा सकते हैंयह याेगासन संपूर्ण शरीर काे लाभ पहुंचाता है। इससे हृदय स्वास्थ्य बेहतर हाेता है।

 

इस याेगासन काे करने के लिए आप जमीन पर अपना सिर रख लें

अपने दाेनाें हाथाें काे काेहनियाें से माेड़ते हुए सिर के बीच में रख लें।

अब धीरे-धीरे अपने शरीर काे ऊपर उठाने की काेशिश करें।

अगर आप इसे पहली बार कर रहे हैं, ताे दीवार के सहारे खड़े हाेकर कर सकते हैं।

धीरे-धीरे आदत बनने पर इस आसन काे आसानी से किया जा सकता है।

4.सर्वांगासन

               

सर्वांगासन संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद हाेता है। यह पाचन तंत्र काे बेहतर बनाने और वजन बढ़ाने में लाभकारी हाेता है। अगर आप शीर्षासन नहीं कर पा रहे हैं, ताे इस आसन का अभ्यास कर सकते हैं। यह हाइपरटेंशन और काेलेस्ट्रॉल काे भी कंट्राेल में रखता है। यह रक्त के प्रवाह काे भी बेहतर बनाता है। 

इस आसन काे करने के लिए सबसे मैट पर पीठ के बल लेट जाएं। 

अब अपने पैराें काे ऊपर उठाने की काेशिश करें।

अपने दाेनाें हाथाें से कमर काे सहारा दें।

इस दौरान अपने पैराें काे एकदम सीधा रखें।

इस पाेजीशन में 30-50 सेकेंड रुकने के बाद सामान्य अवस्था में आ जाएं।

आप इसे 2-3 बार दाेहरा सकते हैं।

5. मत्स्यासन

        

मत्स्यासन आपके शरीर के लिए एक काफी अच्छा याेगासन है। यह छाती, पेट, लोअर बैक की मांसपेशियाें काे स्ट्रेच करता है। साथ ही मसल्स स्ट्रेस काे भी कम करता है। अगर इसका अभ्यास राेज सुबह किया जाए, ताे पाचन क्रिया दुरुस्त हाेती है। साथ ही वजन बढ़ाने के लिए भी इस याेगासन काे किया जा सकता है।

इस आसन काे करने के लिए सबसे पहले याेगा मैट पर पीठ के बल लेट जाएं।

अपने दाेनाें हाथाें काे शरीर के साथ एकदम सीधा रखें।

इसके बाद कमर काे धीरे-धीरे उठाएं और कर्व कर लें।

अपनी हथेलियाें काे पेट पर रख सकते हैं। लेकिन काेहनी और सिर जमीन पर ही टिका हाेना चाहिए।

लंबी गहरी सांस लें और छाेड़ें। कुछ देर के बाद कमर काे नीचे लाते हुए अपनी प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं।

आप इस आसन काे 3-5 बार दाेहरा सकते हैं।

6.वज्रासन

                 वजन बढ़ाने के लिए वज्रासन काे भी एक बेहतरीन याेगासन माना जाता है। यह जांघ, कूल्हाें काे भी मजबूत बनाता है। तन, मन काे शांति प्रदान करता है। इतना ही नहीं वज्रासन पाचन क्रिया, मेटाबॉलिज्म काे दुरुस्त करता है, जिससे आपका वजन तेजी से बढ़ता है।

 

इस याेगासन काे करने के लिए सबसे पहले याेगा मैट पर घुटनाें के बल बैठ जाएं।

अपनी गर्दन, कमर और कंधाें काे एकदम सीधा रखें।

अपनी दाेनाें हथेलियाें काे घुटनाें पर रखें। 

इस अवस्था में रहकर धीरे-धीरे सांस लें और छाेड़ें।

इस अवस्था में आप 5-10 मिनट बैठे रहें।

7. शवासन

शवासन आपकी मसल्स और दिमाग काे शांत करता है। यह तन, मन दाेनाें काे शांत रखता है। इन याेगासनाें काे करने के बाद आप अपने शरीर के तनाव काे कम करने के लिए 5-10 मिनट तक शवासन में जरूर बने रहें। इससे आपका बॉडी स्ट्रेस कम हाेगा, पाचन क्रिया दुरुस्त हाेगी और वजन बढ़ने लगेगा। 

 

इस आसन काे करने के लिए याेगा मैट पर पीठ के बल एकदम सीधे लेट जाएं।

अब अपने हाथाें काे शरीर के साथ पूरी तरह से सीधे रखें।

इस अवस्था में लंबी गहरी सांस लें और छाेड़ें।

इस आसन काे करके आपकाे शांति मिलेगी।

अगर आप भी अपना वजन बढ़ाना चाहते हैं, ताे ऊपर बताए गए याेगासन राेजाना कर सकते हैं। इससे आपका वजन तेजी से बढ़ने लगेगा। अगर काेई गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, ताे एक्सपर्ट की सलाह याेग करें।

Thank you 


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डाइट और जिम जाकर भी वजन कम नहीं हो रहा है तो बस ये 3 योगासन आज से शुरू कर दें 30 दिन में पतले होने लगेंगे आप


मोटापा आजकल लगभग हर किसी के लिए सिर का दर्द बन चुका है. असंतुलित लाइफस्टाइल और गलत डाइट बहुत जल्दी शरीर पर चर्बी की परत चढ़ा देती है. इसका सबसे ज्यादा असर पेट पर दिखता है और पेट तोंद में बदल जाता है. जी हां, बैली फैट यानी तोंद को कम करने की कोशिश सभी करते हैं लेकिन अधिकतर लोग कामयाब नहीं हो पाते हैं. देखा जाए तो नियमित एक्सरसाइज और सटीक डाइट से आप वजन कम कर सकते हैं. इसके साथ साथ योग और ध्यान के ज... Read More

मोटापा आजकल लगभग हर किसी के लिए सिर का दर्द बन चुका है. असंतुलित लाइफस्टाइल और गलत डाइट बहुत जल्दी शरीर पर चर्बी की परत चढ़ा देती है. इसका सबसे ज्यादा असर पेट पर दिखता है और पेट तोंद में बदल जाता है. जी हां, बैली फैट यानी तोंद को कम करने की कोशिश सभी करते हैं लेकिन अधिकतर लोग कामयाब नहीं हो पाते हैं. देखा जाए तो नियमित एक्सरसाइज और सटीक डाइट से आप वजन कम कर सकते हैं. इसके साथ साथ योग और ध्यान के जरिए भी आप अपने बैली फैट को महीने भर के अंदर कम कर सकते हैं. हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि संतुलित डाइट लेने के साथ साथ अगर नियमित व्यायाम और योगाभ्यास किया जाए तो पेट की जिद्दी चर्बी जल्द कम होने लगती है. लेकिन इसके साथ साथ आपको भरपूर नींद, तनाव में कमी, भरपूर पानी पीने, शारीरिक गतिविधियों को जारी रखने और अल्कोहल को दूर रखने जैसे कदम भी उठाने होंगे।

योगासन की मदद से कम होगी पेट की चर्बी

अगर आप योग और ध्यान के जरिए अपने बैली फैट को घटाना चाह रहे हैं तो आपको कुछ खास योगासनों का नियमित अभ्यास करना होगा. इससे आपके बैली फैट ही नहीं शरीर को दूसरे हिस्सों पर जमा चर्बी भी घटने लगेगी. आपको बता दें कि योगासन केवल शरीर का बढ़ा वजन कम नहीं करते, इससे शरीर टोंड होता है, इंटरनल एनर्जी बूस्ट होती है और मेंटल हेल्थ को भी फायदा मिलता है. चलिए जानते हैं कि किन योगासनों के जरिए आप बैली फैट घटा सकते हैं।

भुजंगासन

पेट की चर्बी को कम करने के लिए भुजंगासन सबसे कारगर आसन कहा जाता है. इसके नियमित अभ्यास से आपकी कई सारी शारीरिक परेशानियां दूर हो सकती हैं. इससे केवल पेट की चर्बी ही खत्म नहीं होती, बल्कि मांसपेशियों को ताकत मिलती है और खासतौर पर रीढ़ की को मजबूत करने में मदद मिलती है. इसे करना बेहद आसान है. भुजंगासन करने के लिए सबसे पहले किसी समतल जमीन पर पेट के बल लेट जाएं. इसके बाद अपनी दोनों हथेलियों को कंधों के पास रखिए. अब धीरे धीरे छाती को ऊपर की तरफ उठाते हुए सिर को पीछे की तरफ झुकाएं. करीब 30 सेकंड तक इसी पोजीशन में बने रहें और फिर शरीर को रिलैक्स करें. कुछ सेकंड बाद फिर से यही योग करें. इसके नियमित अभ्यास से आपके पेट पर जमा चर्बी कम होने लगेगी।

नौकासन

        

देखने पर नौका यानी बोट जैसा प्रतीत होने पर इस आसन को नौकासन कहा जाता है. इसे बोट पोज भी कहा जाता है. ये आसन शरीर पर जमा जिद्दी चर्बी को दूर करने में मददगार साबित होता है. इसके साथ साथ इसके अभ्यास से पेट की मांसपेशियों को भी मजबूती मिलती है. इस आसन को करने के लिए सबसे पहले आपको जमीन पर पीठ के बल लेटना होगा। पीठ के बल लेटे लेटे ही पैरों और सिर को हवा में ऊपर की तरफ उठाएं. अब हाथों को सामने की तरफ सीधा करें। इससे आपके शरीर की पोजिशन नाव की तरह बन जाएगा। इसी पोजीशन में करीब 30 सेकंड तक रहें और फिर शरीर को रिलैक्स करें। कुछ देर बाद फिर से यही अभ्यास करें।

कपालभाति प्राणायाम

       

योगासन के साथ साथ प्राणायाम भी वजन घटाने में मददगार साबित होते हैं. इनकी खास बात ये है कि ये मेंटल हेल्थ को भी बूस्ट करते हैं. आप पेट की चर्बी घटाने के लिए कपालभाति प्राणायाम पर भरोसा कर सकते है. ये प्राणायाम पेट की चर्बी कम करने के साथ साथ मेटाबॉलिज्म को भी बूस्ट करता और पाचन क्रिया को सुधारता है. कपालभाति प्राणायाम करने के लिए सबसे पहले सुखासन या पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं. एक बार भरपूर सांस लें, इसे रोकें और फिर नाक के जरिए इस सांस को बाहर छोड़ें और पेट को अंदर की तरफ खींचें. इसे करीब 1 मिनट तक करना है. इससे आपके पेट की चर्बी कम होगी और आपके पेट की मांसपेशियों को भी मजबूती मिलेगी।

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