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यूरोप में राष्ट्रवादी और लोकतांत्रिक क्रांतियां के कॉल में किसी शासक को एक चित्र या प्रतिमा के रूप में अभिव्यक्त करना सरल था लेकिन एक राष्ट्रीय को चेहरा कैसे दिया जा सकता है लेकिन 18वीं और 19वीं साड़ी के यूरोपीय कलाकारों ने अपने-अपने राष्ट्रीय का माननीय कारण करके इस प्रश्न का हल निकाल दिया उन्होंने अपने देश को कुछ इस प्रकार चित्रित किया जैसे वह कोई व्यक्ति हो उसे समय यूरोपीय राष्ट्रीय को नई स्वरूप...
सनातन धर्म हिंदू धर्म का ही वैकल्पिक नाम है जिसका उपयोग संस्कृत और अन्य भारतीय भाषाओं में भी किया जाता है।वैदिक काल में भारतीय उपमहाद्वीप के धर्म के लिए 'सनातन धर्म' नाम मिलता है। 'सनातन' का अर्थ है - शाश्वत या 'सदा बना रहने वाला', अर्थात् जिसका न आदि है न अन्त सनातन धर्म मूलतः भारतीय धर्म है, जो किसी समय पूरे बृहत्तर भारत (भारतीय उपमहाद्वीप) तक व्याप्त रहा है और यह एक समय पर विश्व व्याप्त था परंत...
Samagri चार-पांच pyaj
राम मंदिर अयोध्या में बनाया जा रहा श्री राम जन्मभूमि का हिंदू मंदिर है जहां मान्यताओं के अनुसार हिंदू धर्म के भगवान श्री विष्णु का अवतार भगवान श्री राम का जन्म स्थान है। मंदिर निर्माण की पर्यवेक्षण श्री राम जन्म तीर्थ कर रहा है अयोध्या राम मंदिर 22 जनवरी को ऐतिहासिक पर्व के रूप में मनाया जाएगा इसे लेकर रामनगरी के साथ पूरे देश में उत्साह का माहौल रहेगा। राम लाल की प्राण प्रतिष्ठा में प्रधानमंत्री श...
किसी लक्ष्य को पाने के लिए इस हद तक मेहनत कीजिए कि किस्मत भी आपको यह कहे कि ले बेटा इस पर तुम्हारा ही हक है
रिटेलिंग को व्यापक रूप से स्टोर और नॉनस्टॉप रिटेलिंग में बांटा जा सकता है A स्टोर रिटेलिंग:_ स्टोर पर आधारित रिटेलिंग को स्वामित्व और प्रस्तावित वस्तुओं के आधार पर बनता जा सकता है a स्वामित्व के आधार पर। 1 स्वतंत्र रिटेलर:_ यह व्यक्ति कुछ स्थानीय या परिवार के सदस्यों को सहायक के रूप में लेकर कार्य करता है उसका ग्राहकों के साथ सीधा संबंध होता है इसके उदाहरण है स्थानीय बनिया किराना स्टोर और पान वाला...
卐 श्री लक्ष्मी आरती 卐 ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता। तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥ उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता। सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥ दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता। जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥ तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता। कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्र...
卐 श्री विन्ध्येश्वरी आरती 卐 सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी, कोई तेरा पार ना पाया । पान सुपारी ध्वजा नारियल, ले तेरी भेट .चढ़ाया ॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी .. ॥ सुवा चोली तेरी अंग विराजे, केसर तिलक लगाया ॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी .. ॥ नंगे पग माँ अकबर आया, सोने का छत्र चढ़ाया ॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी .. ॥ उँचे पर्वत बन्यो देवालय, नीचे शहर बसाया ॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी .. ॥ सतयुग, द्वापर, त्र...
卐 श्री विष्णु आरती 卐 ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे || || ॐ जय जगदीश हरे || जो ध्यावे फल पावे, दुख विनसे मन का स्वामी दुख विनसे मन का सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का || || ॐ जय जगदीश हरे || मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी स्वामी शरण गहूं मैं किसकी तुम बिन और न दूजा, आस करूं मैं जिसकी || || ॐ जय जगदीश हरे || तुम पूरण परमात...
卐 श्री वैष्णो आरती 卐 जय वैष्णवी माता, मैया जय वैष्णवी माता। हाथ जोड़ तेरे आगे, आरती मैं गाता॥ ॥जय वैष्णवी माता ॥ शीश पे छत्र विराजे, मूरतिया प्यारी। गंगा बहती चरनन, ज्योति जगे न्यारी॥ ॥ जय वैष्णवी माता ॥ ब्रह्मा वेद पढ़े नित द्वारे, शंकर ध्यान धरे। सेवक चंवर डुलावत, नारद नृत्य करे॥ ॥जय वैष्णवी माता ॥ सुन्दर गुफा तुम्हारी, मन को अति भावे। बार-बार देखन को, ऐ माँ मन चावे॥ ॥जय वैष्णवी माता ॥ भवन पे...
卐 श्री शनि आरती 卐 जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी। सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी॥ ॥जय जय श्री शनिदेव.. ॥ श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी। नीलाम्बर धर नाथ गज की असवारी॥ ॥जय जय श्री शनिदेव.. ॥ क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी। मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥ ॥जय जय श्री शनिदेव.. ॥ मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी। लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥ ॥जय जय श्री शनिदेव.. ॥ देव दनुज ऋषि...
卐 श्री शिव आरती 卐 ॐ जय शिव ओंकारा , प्रभु हर ॐ शिव ओंकारा | ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥ || ॐ जय शिव ओंकारा……|| एकानन चतुरानन पंचांनन राजै | हंसासंन , गरुड़ासन , वृषवाहन साजै॥ || ॐ जय शिव ओंकारा……|| दो भुज चार चतुर्भज दस भुज अति सोहें | तीनों रुप निरखता त्रिभुवन जन मोहें॥ || ॐ जय शिव ओंकारा……|| अक्षमाला , वनमाला , मुण्डमालाधारी | चंदन , मृगमद...
असंगठित रिटेलिंग भारतीय रिटेल उद्योग जिस पर छोटे परिवारों द्वारा चलाई जाने वाले कीराना स्टरों का पारंपरिक आधिपत्य था उनकी मूल संरचना में दुर्बलता आगे विकास की अपर्याप्त प्रक्रिया आधुनिक तकनीक की कमी है पर्याप्त धनराशि और कुशल जनशक्ति की कमी के कारण इसे असंगठित रिटेलिंग कहा जा सकता है संगठित रिटेलिंग संगठित रिटेलिंग का अर्थ है एक संगठित और वैज्ञानिक तरीके से व्यापार चलाना संगठित रिटेलिं...
इस बिंदु पर थोक विक्री को समझना अनिवार्य है क्योंकि वितरण चैनल में थोक विक्रेता और रिटेलर एक दूसरे के पूरक हैं थोक विक्री में व्यक्तियों या संगठनों को उनके व्यापार में उपयोग या दोबारा बिक्री के प्रयोजन के लिए बिक्री शामिल है दूसरे शब्दों में थोक विक्रेता रिटैलरो तथा अन्य व्यापारियों को बिक्री और दोबारा बिक्री करता है उपभोक्ताओं को नहीं सामान्य रूप से थोक विक्रेता बड़ी मात्रा की बिक्री करता है वे व...
Input device ke madhyam se ham computer ko instruction data provide karvate Hain
श्रीमद्भगवद्गीता वर्तमान में धर्म से ज्यादा जीवन के प्रति अपने दार्शनिक दृष्टिकोण को लेकर भारत में ही नहीं विदेशों में भी लोगों का ध्यान अपनी और आकर्षित कर रही है। निष्काम कर्म का गीता का संदेश प्रबंधन गुरुओं को भी लुभा रहा है। विश्व के सभी धर्मों की सबसे प्रसिद्ध पुस्तकों में शामिल है। श्रीमद्भगवद्‌गीता की पृष्ठभूमि महाभारत का युद्ध है। जिस प्रकार एक सामान्य मनुष्य अपने जीवन की समस्याओं में...
अध्याय – 4 ऋषि भरद्वाजो बृहस्पत्यः– हे द्यावाधरा! महान कर्म वाले मनुष्यों को तुम जल प्रदान करती हो द्यावाघरा जल द्वारा अच्छादित है और जल का ही शरण करती है। वे विस्तीर्ण जल से ओत-प्रोत और जल वृष्टि का विधान करने वाली हो। अनुष्ठान करने वाले यजमान उनसे सुख माँगते हैं। जल का दोहन करने वाला अनुष्ठान, धन, कीर्ति,अन्न, शक्ति प्रदात्री द्यावाधरा हमें शहद से अभिषिक्त करे । हे पिता रुप स्...
अध्याय – 3 ऋषि- विश्वामित्र: – यह छंन्द अग्नि को सर्मर्पित है। सदैवगतिमान अग्नि के लिए जिस उषाकाल में हवि प्रदान करते हुए अनुष्ठान किया जाता है वह उषाकाल सुसज्जित है। वह उषाकाल धन ऐश्वर्य से परिपूर्ण होकर प्रकाशयुक्त होता है। गुफा मे वास करने वाले रिपु और उनकी सेनाओं को पराजित करने वाली अग्नि को द्वेष शुन्य व...
अध्याय – 2 कक्षीवान्‌ देवता विश्वेदेवा: – मैं उशिक पुत्र कक्षीवान क्षितिज के वीरों से युक्त उनकी वंदना करता हूँ। वे क्षितिज औ...
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