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" To Present local Business identity in front of global market"
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खांसी एक आम समस्या है जो किसी भी मौसम में आपको हो सकती है. कई बार खांसी अपने आप ठीक हो जाती है तो कुछ मामलों में दवाओं का सहारा लेना पड़ता है. कभी-कभी खांसी की समस्या इतनी बढ़ जाती है कि इसकी वजह से सीने और पसलियों में दर्द होने लगता है. इस लेख में हम आपको खांसी के घरेलू इलाज, खांसी के लिए आयुर्वेदिक कफ सिरप (Ayurvedic Cough Syrup) और खानपान से जुड़ी जानकारियों के बारे में बता रहे हैं.
अगर खांसी आने पर साथ में बलगम भी निकल रहा है तो इसे बलगम वाली खांसी या गीली खांसी कहा जाता है. वहीं दूसरी तरफ अगर बलगम नहीं निकल रहा है तो इसे सूखी खांसी (Dry Cough) कहा जाता है.
सूखी खांसी की समस्या अक्सर रात के समय बहुत बढ़ जाती है और इससे लोगों की नींद डिस्टर्ब होने लगती है. यही वजह है कि खांसी की कई अंग्रेजी दवाओं (Khansi ki Medicine) में ऐसे घटक मिलाए जाते हैं जिससे नींद जल्दी आ जाए और खांसी से आराम मिले.
वैसे तो बाजार में खांसी के लिए कई कफ सिरप मौजूद हैं लेकिन अधिकांश लोग आयुर्वेदिक कफ सिरप लेना पसंद करते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि आयुर्वेदिक कफ सिरप (Ayurvedic Cough Syrup) पीने से नींद भी नहीं आती है और इससे पुरानी से पुरानी खांसी भी जल्दी ठीक हो जाती है.
कभी कुछ अधिक ठंडी चीजें जैसे कि आइसक्रीम खा लेने या कोल्ड ड्रिंक पी लेने के बाद खांसी होना आम बात है. इसके अलावा जुकाम होने पर या गले में संक्रमण होने से भी खांसी की समस्या हो सकती है.
खांसी होने पर अधिकांश लोग घरेलू उपाय अपनाने के बारे में सोचते हैं. आयुर्वेदिक एक्सपर्ट का भी मानना है कि खांसी के इलाज में अगर सही तरीके से घरेलू इलाज अपनाएं जाएं तो खांसी जल्दी ठीक हो जाती है. आइए जानते हैं कि खांसी होने पर किन चीजों का सेवन करें:
शहद (Honey for Cough): शहद सूखी और कफ वाली दोनों तरह की खांसी के इलाज में बहुत कारगर है. रात में सोने से पहले अगर आप एक चम्मच शहद का सेवन करें तो सोते समय खांसी कम आती है. आयुर्वेद के अनुसार शहद में कफ शामक गुण होते है जो की खांसी की समस्या को कम करने मदद करते है.
तुलसी (Tulsi for Cough): आयुर्वेद में प्राचीन काल से ही खांसी के इलाज के लिए तुलसी का प्रयोग किया जाता है. तुलसी में एंटीमाइक्रोबियल, एंटी-इनफ्लेमेटरी, एंटीटसिव और एंटी-एलर्जिक क्षमताएं होती हैं जो खांसी से जल्दी राहत दिलाती हैं. यही वजह है कि खांसी की अधिकांश आयुर्वेदिक सिरप में तुलसी का उपयोग किया जाता है.
मुलेठी(Mulethi for Cough): मुलेठी को आयुर्वेद में यष्टिमधु भी कहा गया है जिसका निर्देश कफ संबंधी रोगों लेने का दिया गया है. गले के स्वास्थ्य के लिए मुलेठी बेहद फायदेमंद है. खांसी हो या गले में खराश हो मुलेठी का सेवन करने से जल्दी आराम मिलता है. मुलेठी गले में ज्यादा बलगम बनने से रोकती है और इस तरह यह खांसी से राहत दिलाती है.
काली मिर्च (Kali Mirch for Cough): काली मिर्च गले की जलन से राहत दिलाती है साथ ही अगर इसका सेवन शहद के साथ किया जाए तो खांसी से जल्दी आराम दिलाती है.
पिप्पली (Pippali for Dry Cough): पिप्पली की तासीर गर्म होती है. आयुर्वेदिक विशेसज्ञों के अनुसार, गला बैठने की समस्या से राहत दिलाने में यह बहुत कारगर है. इसके अलावा यह गले में मौजूद कफ को हटाने में भी मदद करती है.
सोंठ (Sonth or Dry Ginger for Cough): खांसी और गले के संक्रमण के इलाज में उपयोग की जाने वाली की आयुर्वेदिक दवाओं में सोंठ का उपयोग प्रमुखता से किया जाता है.ठंड लगने या जुकाम की वजह से होने वाले खांसी को दूर करने में सोंठ बहुत उपयोगी है.
अगर आप खांसी से परेशान हैं और आयुर्वेदिक कफ सिरप खोज रहे हैं तो आपको वो कफ सिरप (Khansi ka Syrup) लेना चाहिए जिसमें ऊपर बताई गई अधिकांश जड़ी-बूटियाँ शामिल हों. जैसे कि टाटा 1mg तेजस्या कफ रिलीफ सिरप में शहद, तुलसी, मुलेठी, सोंठ और पिप्पली सभी जड़ी-बूटियाँ मौजूद हैं जो इसे बेहद खास और प्रभावी बनाती हैं. आप सूखी खांसी से परेशान हो या बलगम वाली खांसी से, तेजस्या कफ सिरप का उपयोग दोनों में किया जा सकता है.
तेजस्या कफ सिरप (Tejasya Ayurvedic Cough Syrup) में सिर्फ प्राकृतिक जड़ी बूटियों का अर्क मिलाया गया है और इसमें एल्कोहल का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं किया गया है. इसे पीने से नींद या सुस्ती नहीं आती है.
अगर आप सूखी खांसी या बलगम वाली खांसी से परेशान हैं तो 10 एमएल या 2 चम्मच टाटा 1mg तेजस्या कफ सिरप दिन में दो बार या आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार लें.
कफ सिरप के अलावा ऐसे कई चूर्ण भी हैं जो खांसी से बहुत जल्दी राहत दिलाते हैं. इन चूर्ण के सेवन से पुरानी खांसी या क्रोनिक कफ भी ठीक होने लगता है. आइए अब इनके बारे में जानते हैं:
सितोपलादि चूर्ण खांसी की एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक दवा है. अधिकांश आयुर्वेदिक चिकित्सक पुरानी खांसी या सूखी खांसी से पीड़ित लोगों को सितोपलादि चूर्ण लेने की सलाह देते हैं. इसमें मौजूद जड़ी-बूटियों में कफ को शमन करने का गुण होता है. सितोपलादि चूर्ण को शहद के साथ लें और इसे लेने के बाद कम से कम आधे घंटे पर कुछ भी खाएं पिएं नहीं. सूखी खांसी होने पर इसे रात में सोने से पहले लेना चाहिए.
काली मिर्च, पिप्पली और सोंठ इन तीनों के मिश्रण को त्रिकटु चूर्ण कहा जाता है. जिसका उपयोग कफ और पाचन संबंधी रोगों में किया जाता है. यह चूर्ण कफ को बनने से रोकता है जिससे खांसी से जल्दी राहत मिलने लगती है. त्रिकटु चूर्ण को भी शहद के साथ मिलाकर खाएं.
यहां बताए गए खांसी के घरेलू इलाज अपनाने या आयुर्वेदिक कफ सिरप (Ayurvedic Cough Syrup) लेने के 3-4 दिन बाद भी अगर खांसी से आराम नहीं मिल रहा है तो नजदीकी डॉक्टर या आयुर्वेदिक चिकित्सक के पास जाकर अपनी जांच कराएं.
Read Full Blog...पेट के आसपास जमी चर्बी कई लोगों के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है। गलत खान-पान, तनाव और घंटों बैठकर काम करने की आदत के कारण यह चर्बी आसानी से कम नहीं होती है। ऐसे में आप इन योगासनों को करके पेट की जिद्दी चर्बी को आसानी से कम कर सकते हैं।
अगर आप भी पेट की जिद्दी चर्बी घटाना चाहते हैं और लाख कोशिशों के बाद भी वजन कम नहीं हो रहा है, तो आप अपनी दिनचर्या में योगासन को शामिल कर सकते हैं। इससे आप पूरे दिन एक्टिव भी रहेंगे और आपका वजन भी तेजी से घटने लगेगा।
पेट की चर्बी को कम करने के लिए भुजंगासन एक बेहतर योगासन है। इसे करने से मांसपेशियों पर सीधा असर पड़ता है, जिससे पेट के आसपास जमी चर्बी तेजी से बर्न होने लगती है। आप रोजाना 5-6 बार यह आसन आसानी से कर सकते हैं।
नौकासन करने से भी पेट की चर्बी तेजी से कम होती है। इसे करने से पेट की मांसपेशियों पर जोर पड़ता है, जिससे फैट तेजी से बर्न होता है। इस आसन से पाचन भी बेहतर होता है। आप इसे रोजाना कर सकते हैं।
धनुरासन करने से पूरी बॉडी की स्ट्रेचिंग हो जाती है। इससे पेट के निचले हिस्से की चर्बी तेजी से कम होती है और मेटाबॉलिज्म भी बढ़ने लगता है।
वजन घटाने के लिए त्रिकोणासन काफी प्रभावी है। इसे करने के लिए Yoga Mat पर सीधा खड़े होकर दोनों पैरों को लगभग तीन फुट की दूरी पर फैलाएं। अब दायां हाथ ऊपर उठाकर कान के पास रखें और बायां हाथ नीचे झुकाकर टखने के पास ले जाएं। इस आसन से पूरे शरीर में स्ट्रेचिंग होती है, जिससे लचीलापन और फिटनेस दोनों बढ़ते हैं।
प्लैंक पोज को योग और फिटनेस दोनों में बेहद प्रभावी माना जाता है। यह पूरे शरीर की मांसपेशियों को मजबूत करता है, खासतौर पर कोर मसल्स पर काम करता है। रोजाना 1–2 मिनट तक प्लैंक होल्ड करने से चर्बी घटाने में तेजी आती है।
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Ye aap ke liye Kam Ka he ya nhi
Read Full Blog...मुँह के छाले मुँह में असहनीय दर्द पैदा करते हैं और अक्सर कई दिनों तक इसका पता नहीं चलता। यह होठों, जीभ, गालों के भीतरी भाग, मसूड़ों या मुँह की छत पर घाव के रूप में प्रकट हो सकता है। यद्यपि यह कोई बीमारी नहीं है, लेकिन इसका मूल कारण कई चिंताओं का संकेत हो सकता है।
मुँह के छालों के कारण प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हो सकते हैं। अप्रत्यक्ष कारण आपको किसी अंतर्निहित बीमारी के प्रति सचेत करते हैं।
मुँह के छालों का एक कारण शरीर के अंदर की गर्मी है, इसलिए शीतली प्राणायाम शरीर के तापमान को ठंडा कर बहुत मदद करता है और पाचन में भी सुधार करता है। शीतली प्राणायाम करने के चरण इस प्रकार हैं:
यह प्राणायाम मन और शरीर को शांत करता है, शरीर में अग्नि तत्व (पित्त) को संतुलित करता है और पूरे शरीर से विषाक्त पदार्थों को साफ करता है। शीतकारी प्राणायाम करने के लिए नीचे दिए गए चरणों का पालन करें:
सूर्य नमस्कार
सूर्य नमस्कार सबसे अधिक प्रचलित योगासन है जिसमें कई आसनों का संयोजन है। चूंकि मुँह के छाले विटामिन की कमी के कारण हो सकते हैं, इसलिए नियमित रूप से सूर्य नमस्कार करने से प्रतिरक्षा शक्ति बढ़ती है और मुँह के छालों से बचाव होता है। यह कई समस्याओं का एकमात्र समाधान है, जैसे पीठ दर्द, कम चयापचय, तनाव और चिंता, त्वचा संबंधी समस्याएँ, मासिक धर्म संबंधी समस्याएँ आदि।
सेतु बंधासन एक योगासन है जो वायरल संक्रमण से लड़ने में मदद करता है और मुँह के छालों को रोकता है। यह आसन छाती और फेफड़ों को खोलता है और मन को शांत करता है। यह रक्त परिसंचरण को बेहतर बनाने तथा तनाव, चिंता और अवसाद को दूर करने में मदद करता है।
आप इन परीक्षित घरेलू उपचारों से भी मुँह के छालों को प्राकृतिक रूप से शीघ्रता से ठीक कर सकते हैं:
इनके अलावा, हाइड्रेटेड और खुश रहना, मौखिक स्वच्छता सुनिश्चित करना और मसालेदार और जंक फूड से बचना याद रखें। ध्यान और सुदर्शन क्रिया से अपना भावनात्मक संतुलन और शांति बनाए रखें।
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Read Full Blog...यदि आपको क्लिक, जबड़े का फटना, जबड़े में या उसके आसपास दर्द, जबड़े का लॉक होना, दांतों के आसपास दर्द और जागने पर पीड़ा महसूस होती है, तो संभावना है कि आप टीएमजे दर्द से पीड़ित हैं ।
गर्दन, कंधों और छाती के आसपास की मांसपेशियों को स्ट्रेच करने से इस असुविधा से कुछ राहत मिल सकती है। स्ट्रेचिंग और सपोर्टेड योगासन से जकड़न को दूर करने से मायोफेशियल तनाव कुछ हद तक कम हो सकता है और जबड़े को बेहतर तरीके से संरेखित करने में मदद मिल सकती है।
अपने शरीर में दर्द और बेचैनी की जांच करना यह पता लगाने का एक अच्छा तरीका है कि आपको कहां तनाव और टीएमजे दर्द का अनुभव हो रहा है।
अक्सर, टीएमजे (TMJ) से पीड़ित लोगों के सिर, गर्दन और कंधों में बहुत ज़्यादा तनाव रहता है। एक साधारण बॉडी स्कैन आपके तनाव को समझने और उसे दूर करने पर ध्यान केंद्रित करने में आपकी मदद कर सकता है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसे ज़रूरत पड़ने पर बार-बार दोहराया जा सकता है।
गर्दन को खींचना भी टीएमजे की असुविधा और दर्द से राहत पाने का एक अच्छा तरीका है, क्योंकि तनावग्रस्त गर्दन की मांसपेशियां और प्रावरणी जबड़े में दर्द को काफी हद तक प्रभावित कर सकती हैं।
ऐसा पूरे दिन करें, विशेषकर जब भी आपको लगे कि आपके कंधे तनावग्रस्त होने या तनावग्रस्त होने के कारण ऊपर उठने लगे हैं, विशेषकर वाहन चलाते समय या कोई उपकरण पकड़ते समय।
सपोर्टेड बैकबेंड्स गर्दन , कंधों और छाती की मांसपेशियों में तनाव दूर करने का एक बेहतरीन तरीका है। जैसे-जैसे हमारी छाती की मांसपेशियां कसती हैं, हम अपने कंधों को आगे की ओर खींचते हैं, जिससे हमारी ठुड्डी भी आगे की ओर खिंचती है।
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ऐसे में प्राणायाम का अभ्यास करना आपके लिए कई तरह से फायदेमंद होता है। आपको कई तरह के प्राणायाम जैसे ओम् चैटिंग, कपालभांति प्राणायाम, अनुलोम-विलोम प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम आदि का अभ्यास अवश्य करना चाहिए। यह आपके शरीर को भीतर से रिलैक्स करते हैं, जिससे आपको तनाव कम होता है और फिर सिरदर्द की शिकायत नहीं होती है।
तनाव से होने वाले सिरदर्द से राहत पाने के लिए प्रत्येक हाथ पर 30 सेकंड तक मालिश करें। माइग्रेन से तुरंत राहत पाने के लिए अपने माथे पर ठंडी सिकाई करें या तनाव से होने वाले सिरदर्द को शांत करने के लिए गर्दन पर गर्म सिकाई करें।
Read Full Blog...गलत लाइफस्टाइल और खान पान में पोषण की कमी के कारण लोग कई तरह की शारीरिक समस्याओं से पीड़ित हो जाते हैं। आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में काम के चक्कर में लोगों को इधर-उधर भाग दौड़ करनी होती है। व्यस्त शेड्यूल की वजह से शरीर को आराम न मिल पाने पर व्यक्ति के पैरों पर दबाव पड़ता है और पैरों में दर्द की समस्या हो जाती है। गड़बड़ जीवनशैली और लगातार बैठे रहने की आदत के कारण हाथ और पैरों में दर्द बढ़ जाता है। लोग इस शारीरिक दर्द को दूर करने के लिए और हाथ पैर को आराम दिलाने के लिए मालिश करते हैं। मालिश से दर्द में त्वरित आराम तो मिल जाता है लेकिन दर्द लगातार लंबे समय तक बना रहता है। इसलिए शरीर दर्द से निजात के लिए स्थाई इलाज के तौर पर योग फायदेमंद है। योग विशेषज्ञ के मुताबिक, नियमित योगाभ्यास से हाथ पैर में दर्द की समस्या को कम किया जा सकता है। कुछ आसन ऐसे होते हैं, जो पैरों की मांसपेशियों को मजबूती देते हैं और हल्का महसूस कराने में मदद करते हैंI
इस आसन को ब्रिज पोज योग भी कहते हैं। सेतुबंधासन पैरों और कमर दर्द से छुटकारा दिलाने में लाभदायक माना जाता है। इस आसन को करने से पैरों की मांसपेशियों में रक्त का संचार बढ़ता है। जिससे पैरों में होने वाला दर्द ठीक होने लगता है। सेतुबंधासन करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं। अब पैरों को कंधे की चौड़ाई से अलग करते हुए घुटनों को मोड़ लें। हथेलियों को खोले और हाथ बिल्कुल सीधा जमीन पर सटा लें। सांस लेते हुए कमर के हिस्से को ऊपर की ओर उठाएं और कंधे व सिर को सपाट जमीन पर टिका कर रखें। बाद में सांस छोड़ते हुए पुरानी स्थिति में आ जाएं।
उत्तानासन योगाभ्यास से पैरों के दर्द और जकड़न की समस्या से निजात मिलता है। ये आसन कमर और रीढ़ के लिए भी फायदेमंद होता है। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले पैरों को कूल्हे की चौड़ाई से अलग करते हुए घुटनों को सीधा रखें और आगे की ओर झुक कर पैरों के पिछले हिस्से को छूने की कोशिश करें।
बालासन को चाइल्ड पोज कहा जाता है। इस आसन के नियमित योगाभ्यास से पैरों के दर्द की समस्या को कम किया जा सकता है। चाइल्ड पोज को करने के लिए जमीन पर वज्रासन अवस्था में बैठ जाएं। अब सांस अंदर लेते हुए अपने दोनों हाथों को सीधा सिर के ऊपर उठा लें। फिर सांस बाहर छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें। हथेलियों और सिर को जमीन पर टिकाते हुए लंबी सांस अंदर लें और बाहर छोड़ें। अब अपनो दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में जोड़ें और सिर को दोनों हथेलियों के बीच में धीरे से रख लें। थोड़ी देर इसी अवस्था में रहें और फिर पुरानी स्थिति में आ जाएं।
पैरों और शरीर दर्द से राहत दिलाने के लिए भुजंगासन लाभदायक है। इस आसन को करने के लिए जमीन पर पेट के बल लेट जाएं। दोनों पैरों के बीच कम दूरी रखें और गहरी सांस लेते हुए कमर के ऊपरी भाग को ऊपर की तरफ उठाएं। इस दौरान कोहनी सीधी रखें और पैरों को मोड़ते समय ज्यादा खिंचाव न लाएं।
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क्या आप बालों से जुड़ी समस्याओं से राहत पाना चाहते हैं। अगर हां तो इसमें कुछ योगासन आपकी मदद कर सकते हैं। आइए जानते हैं उन योगासनों के बारे में जो बाल बढ़ाने और झड़ने से बचाने में कारगर हो सकते हैं।
आज के समय में खुद को फिट और आकर्षक बनाए रखने का चलन सबसे ज्यादा है। यही कारण है कि लोग अपनी बढ़ती उम्र से लेकर अपने झड़ते बालों के निवारण हेतु कोई ना कोई उपाय खोजते रहते हैं। हो सकता है कि आप भी ऐसा करते हों। ऐसे में लोग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए योग का सहारा ले रहे हैं।
जिससे उन्हें लाभ भी होते हैं। लेकिन जब बात स्किन और बालों की आती है तो सभी सोच में पड़ जाते हैं। अगर आपके साथ ऐसा है तो बता दें योग केवल शरीर ही नहीं बल्कि स्किन और बालों की समस्याओं को भी निपटा सकता है।
ऐसे कई योगासन है जो आपके बालों की ग्रोथ को बेहतर करने का कार्य कर सकते हैं। इसके अलावा योग के जरिए आप झड़ते बालों की समस्या से भी छुटकारा पा सकते हैं। आइए जानते हैं इन योगासनों के बारे में।
यह आसन हैडस्टेंड पोजीशन के नाम से भी जाना जाता है। इस आसन को करने से सिर तक रक्त प्रवाह बेहतर होने लगता है जो बालों की झड़ने की और उनके पतला होने की समस्या को खत्म करता है। इसके अलावा सिर में बेहतर रक्त प्रवाह के चलते बालों की ग्रोथ भी बेहतर होने लगती है। यही नहीं अगर आपके बाल सफेद हो रहे हैं तो भी आप इस आसन को आजमा सकते हैं। साथ ही यह निष्क्रिय हो चुके हेयर फॉलिकल की क्षमता को बढ़ाने का कार्य भी करता है। बालों से जुड़ी समस्याओं से राहत पाने के लिए आप शीर्षासन को आजमा सकते हैं।
आसन की विधि
इस आसन को करने के लिए सबसे पहले अपने दोनों हाथों की उंगलियों को मिलाएं और इन्हें सिर के पीछे ले जाएं।
अब नीचे झुके और अपने सिर को जमीन पर रखें।
अब धीरे- धीरे बैलेंस बनाते हुए अपने पैरों को ऊपर की ओर लेकर जाएं।
ध्यान रहे इस दौरान आपको पूरी तरह उल्टा यानी सिर के बल खड़ा होना होगा।
अब कुछ समय होल्ड करने के बाद रेस्ट करें।
ध्यान रहे आसन करते समय संतुलन बनाए रखना जरूरी है।
शुरुआती समय में आप इस आसन को दीवार के सहारे भी कर सकते हैं।
यह आसन कैमेल मुद्रा के नाम से भी जानी जाती है। यह आसन शुरुआत में बहुत मुश्किल हो सकता है। लेकिन धीरे- धीरे इसे करना आसान हो जाता है। यह आसन आपकी सिर तर ऑक्सीजन के स्तर और रक्त प्रवाह की स्थिति को बेहतर करता है। इसके जरिए आपके हेयर फॉलिकल मजबूत होते हैं और बालों का विकास तेज होने लगता है। यह ना केवल बालों की ग्रोथ बढ़ाता है बल्कि इसके जरिए बाल घने होते हैं और इनकी गुणवत्ता भी अच्छी होने लगती है।
आसन की विधि
इस आसन को करने के लिए सबसे पहले दोनों पैरों को मिलाकर खड़े हो जाएं।
अब अपने हाथों को जितना हो सके उतना ऊपर की तरफ उठाएं।
इसके बाद सांस ले और छोड़ते हुए नीचे की तरफ आए हो सके तो जमीन को टच करें।
इसके बाद अगर आपको अधिक कष्ट ना हो रहा हो तो और नजदीक आए और अपने घुटनों को गले लगा लें।
इस पोजीशन में कुछ देर तक रहें इसके बाद रेस्ट करें।
ध्यान रहे अधिक जबरदस्ती खुद से बिल्कुल ना करें। जब आप आसन को करते रहेंगे तो प्रैक्टिस हो जाएगी और आप इसमें महारत हासिल कर लेंगे।
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Read Full Blog...खानपान पर विशेष ध्यान ना देने की वजह से आजकल लोग अक्सर पाचन से जुड़ी समस्याओं से जूझते रहते हैं. आयुर्वेदिक एक्सपर्ट के अनुसार, पाचन से जुड़ी कई बीमारियां लीवर में खराबी की वजह से होती हैं. हद से ज्यादा शराब पीना और अनियमित खानपान साथ में आजकल की भागदौड़ भरी जीवनशैली, लीवर के लिए बेहद नुकसानदायक है. आयुर्वेद में ऐसी कई जड़ी-बूटियों (Herbs for Liver Health) के बारे में बताया गया है जो लीवर को स्वस्थ रखने में मदद करती हैं. आइए उन जड़ी-बूटियों और औषधियों के बारे में विस्तार से जानते हैं:
भूम्यामलकी एक प्रमुख आयुर्वेदिक औषधि है जो कि आसानी से घर के आस-पास छोटे पौधे के रूप मिल जाती है. यह जड़ी-बूटी लीवर को कई तरह के संक्रमण से बचाती है और लीवर की सेहत को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करती है. लीवर से जुड़े रोगों से पीड़ित मरीजों को चिकित्सक की सलाह के अनुसार भुंई आंवला का सेवन करना चाहिए.
लीवर के लिए भूम्यामलकी का उपयोग आप चूर्ण, कैप्सूल या टेबलेट के रूप में कर सकते हैं. आजकल इसका जूस भी बाजार में मिलता है. खुराक संबंधित जानकारी के लिए चिकित्सक से परामर्श लें.
कुटकी एक जड़ी-बूटी है जिसका उपयोग लीवर के रोगों में प्रमुख रूप से किया जाता है. आयुर्वेदिक विशेसज्ञों के अनुसार कुटकी लीवर की सूजन को कम करती है साथ ही लीवर की कार्य क्षमता भी बढ़ाती है. जो लोग लीवर में सूजन की समस्या से पीड़ित हैं उन्हें चिकित्सक से सलाह लेकर कुटकी का सेवन करना चाहिए.
कुटकी के सेवन का तरीका कुछ इस प्रकार है (How to take Kutki)
आजकल कुटकी का कैप्सूल या चूर्ण बाज़ार में आसानी से उपलब्ध है. आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्श के अनुसार ही इसका सेवन करें.
आंवला आयुर्वेद में उपयोग की जाने वाली जानीमा नी औषधि है. यह लीवर को डिटॉक्स करने का काम करती है. आंवला में पाए जाने वाले फायटो नुट्रिएंट्स लीवर की कार्य क्षमता को बढ़ाते हैं. एक्सपर्ट के अनुसार, आंवले में हेप्टो प्रोटेक्टिव क्षमताएं होती हैं जो लीवर की कोशिकाओं को स्वस्थ बनाए रखती हैं.
आंवले का उपयोग आप कई तरह से कर सकते हैं. सबसे आसान और कारगर तरीका है कि आप कच्चे आंवले का सेवन करें. इसके अलावा आज कल बाजार में आंवले के जूस, टेबलेट, कैप्सूल्स और कैंडी आसानी से मिल जाते हैं. आप रोजाना सीमित मात्रा में इनमें से किसी का भी सेवन कर सकते हैं.
एलोवेरा में भरपूर मात्रा में फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जो लीवर को फ्री रेडिकल्स के कारण होने वाले कई तरह के नुकसान और संक्रमण से बचाते हैं. रोजाना सीमित मात्रा में एलोवेरा का सेवन करने से लीवर लंबे समय तक स्वस्थ रहता है.
एलोवेरा का उपयोग सबसे ज्यादा जूस के रूप में किया जाता है. रोजाना सुबह खाली पेट दो तीन छोटी चम्मच एलोवेरा जूस में इतनी ही मात्रा में पानी मिलाकर पिएं.
आज के समय में अधिकांश लोग लीवर में सूजन की समस्या से परेशान रहते हैं. अगर आप भी उनमें से एक हैं तो पुनर्नवा आपके लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकती है. पुनर्नवा एक जड़ी-बूटी है जिसका इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता है. यह लीवर की सूजन घटाती है साथ ही लीवर से जुड़े अन्य रोगों के खतरे को भी कम करती है.
पुनर्नवा चूर्ण, कैप्सूल, टेबलेट और सिरप के रूप में उपलब्ध है. आप किसी भी रूप में इसका सेवन कर सकते हैं. इसे कितनी मात्रा में लेना है इसके लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क करें.
अगर आप फैटी लीवर या लीवर में संक्रमण की समस्या से पीड़ित हैं या इनसे बचना चाहते हैं तो ऐसी आयुर्वेदिक औषधि चुनें जिसमें यहां बताई गई जड़ी-बूटियां मौजूद हों. टाटा 1mg तेजस्या लीवर केयर सिरप में भुंई आंवला, पुनर्नवा, आंवला के अलावा भृंगराज, हरीतकी और चित्रक जैसी जड़ी-बूटियां भी शामिल हैं, जो लीवर को हर तरह के संक्रमण से बचाती हैं. इस सिरप को पीने से लीवर स्वस्थ रहता है, मेटाबोलिज़्म मजबूत होता है और पाचन तंत्र में सुधार होता है.
अगर आप अपनी जीवनशैली में थोड़ा बदलाव लाएं तो लीवर को लंबे समय तक स्वस्थ और निरोग रख सकते हैं. इसलिए यहां बताए गए इन नियमों का गंभीरता से पालन करें:
हमें उम्मीद है कि यहां बताए गए घरेलू उपाय और आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां (Herbs for Liver Health) आपके लीवर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करेंगे.
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सूर्य नमस्कार के एक चक्र से औसत वजन वाले व्यक्ति की 13.90 कैलोरी तक जलती है। कोई व्यक्ति जब अपने लिए लक्ष्य निर्धारित करता हैं, धीरे-धीरे वह सूर्य नमस्कार के चक्रों की संख्या 108 तक बढ़ा सकता है।
इस संख्या तक पहुंचते पहुंचते व्यक्ति पाता है कि वह दुबला हो चुका है।
30 मिनट का वर्कआउट कैलोरी मीटर
व्यक्ति 30 मिनट के वर्कआउट में कितनी कैलोरी बर्न कर रहा है ?
भारोत्तोलन = 199 कैलोरी
टेनिस = 232 कैलोरी
बास्केटबॉल = 265 कैलोरी
बीच वॉलीबॉल = 265 कैलोरी
फ़ुटबॉल = 298 कैलोरी
साइकिल चलाना (14 – 15.9 मील प्रति घंटे) = 331 कैलोरी
रॉक क्लाइम्बिंग = 364 कैलोरी
दौड़ना (7.5 मील प्रति घंटे) = 414 कैलोरी
सूर्य नमस्कार = 417 कैलोरी
वीरभद्रासन पैरों, भुजाओं और पीठ के निचले हिस्से के मांसपेशियों को सशक्त करता है। यह सहनशक्ति को बढ़ाता है जो कठिन योग क्रिया करने में सहायता प्रदान करता है। मुद्रा को बनाए रखते हुए, उज्जयी सांसें लेने की सलाह दी जाती है (एक प्राणायाम जो शरीर में गर्मी पैदा करता है और दिमाग को आराम देता है) क्योंकि यह मुद्रा को बनाए रखने की शक्ति प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त, इस आसन में मांसपेशियों में रक्त प्रवाह और ऑक्सीजन का स्तर बढ जाता है जिससे चयापचय में सुधार होती है। जैसे ही व्यक्ति वीरभद्रासन के माध्यम से मांसपेशियों का निर्माण करता है, उस व्यक्ति को आराम करते समय भी अपने शरीर की कैलोरी और वसा जलाने की क्षमता में विस्तार होता हैं।
पेट की चर्बी कम करने के लिए धनुरासन (द बो पोज) सबसे अच्छे योग में से एक है। यह पेट के क्षेत्र में खिंचाव पैदा करता है, जिससे चर्बी कम होती है और हाथ और पैर के मांसपेशियों को सशक्त बनाता हैं। हालांकि यह प्रत्यक्ष रूप से वजन घटाने में सहायक नहीं होता है, लेकिन वजन घटाने के लिए अपने योग में धनुरासन को शामिल करने से मांसपेशियों के निर्माण और चयापचय में सुधार में सहायक होती है जो अप्रत्यक्ष रूप से वजन नियंत्रण प्रयासों को सफल बनाता है। महत्वपूर्ण परिणाम देखने के लिए इसे स्वच्छ और संतुलित आहार के साथ जोड़ा जाना चाहिए।
कोणासन कमर के आसपास की चर्बी के निस्तारण में मदद करता है, जो अंततः पेट की चर्बी कम करने के लिए किसी भी अन्य योग क्रिया जितना ही प्रभावी होता है। इसके अलावा, कोणासन को दैनिक योग के दिनचर्या में शामिल करने से लचीलापन आता है तथा संतुलन में सुधार होता है एवं यह पाचन तंत्र मजबूत करने में सहायक होता है, अप्रत्यक्ष रूप से यह वजन घटाने के प्रयासों में सहायक होता है।
मेटाबोलिक दर जितनी अधिक होगी, वसा उतनी ही अधिक जलेगी। उत्कटासन चयापचय के दर को बढ़ाता है यह वजन घटाने के लिए सबसे अच्छे योग अभ्यासों में से एक है। उत्कटासन करते समय, यह मांसपेशियों को यथास्थिति बनाए रखने के लिए काम कर रही होती हैं, जिसके लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। जैसे-जैसे व्यक्ति की मांसपेशियां काम करती जाती है, गतिविधि को बनाए रखने के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करने के लिए शरीर की चयापचय दर बढ़ती जाती है। इसके अलावा, यह जांघों, पैरों और घुटनों के मांसपेशियों को सशक्त करता है।
सेतु बंधासन में अपनी छाती को ठोड़ी की ओर ले जाना और थायरॉयड ग्रंथि की मालिश करना शामिल है, जो चयापचय को नियंत्रित करने वाले हार्मोन का उत्पादन करने में सुधार करता है। दूसरे शब्दों में, यह आसन चयापचय में मदद करता है और अधिक वसा जलाने में मदद करती है। इसके अलावा, यह आसन पाचन में सहायता के लिए पेट के अंगों को भी उद्दीप्त करता है।
भुजंगासन एक ऐसा योगासन है जिससे पीठ, बाँह और पेट की मांसपेशियों को सशक्त करने में मदद मिलता है। यह प्रत्यक्ष रूप से वजन घटाने का आसन नहीं है, लेकिन भुजंगासन को अपने योगाभ्यास में शामिल करने से मांसपेशियों के निर्माण और आसन में सुधार करके अप्रत्यक्ष रूप से वजन घटाने के प्रयासों का मदद मिलती है। इसके अलावा, यह पेट के इर्दगिर्द के वसा को कम करता है। भुजंगासन का लगातार अभ्यास करने से पेट को सपाट करने में काफी लाभ लिया जा सकता है।
नींद का संबंध वजन से होता है। व्यक्ति जितना कम आराम करेगा, उतनी अधिक चर्बी जमा होगी, जिससे वजन बढ़ने लगेगा। योग निद्रा नींद और ध्यान का एक संयोजन है। दूसरे शब्दों में, योग निद्रा 'होशपूर्वक सोना' है। योग निद्रा के माध्यम से जो आराम मिलता है वह नींद से कहीं अधिक शक्तिशाली होता है क्योंकि आराम सचेत रूप से होता है, जिससे यह वजन घटाने के लिए एकदम सही योग बन जाता है। इसके अलावा, योग निद्रा आपको बेहतर नींद दिलाने में भी मदद करती है। यह एक विश्राम तकनीक है जो तनाव कम करने में मदद करती है और वजन घटाने के प्रयासों को सफल बनाती है।
वजन घटाने के लिए नियमित रूप से योगासन करें। हो सकता है कि आप वजन घटाने के लिए सर्वोत्तम योगासनों का अभ्यास कर रहे हों, लेकिन यदि आप इसे नियमित रूप से नहीं करते हैं, तो आपको परिणाम नहीं दिखेंगे। यही कारण है कि आप जो भी योगासन करें उसमें निरंतरता बनाए रखना आवश्यक है।
परिणामों के लिए धैर्य रखें: योग धीरे-धीरे काम करता है, लेकिन यह काम करता है। यह उम्मीद न करें कि आपका वजन तुरंत कम हो जाएगा। धैर्य रखें।
जिम वर्कआउट को दिनचर्या में शामिल करें: यदि आपका वजन अधिक है, या आप तेजी से वसा जलाना चाहते हैं, तो पेट की चर्बी कम करने के लिए योग को जिम वर्कआउट के साथ भी जोड़ने की सलाह दी जाती है।
स्वस्थ खान-पान की आदतें विकसित करें: पेट की चर्बी कम करने के लिए योग का अभ्यास करते समय खान-पान की आदतें महत्वपूर्ण हैं। जबकि योग कैलोरी जलाने और मांसपेशियों के निर्माण में मदद करता है, वजन घटाने के परिणाम को देखने के लिए शरीर को स्वस्थ खाद्य पदार्थों से ऊर्जा देना और कैलोरी की कमी को बनाए रखना महत्वपूर्ण है। पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों का चयन करके, भोजन का उचित समय निर्धारित कर, योग अभ्यास के माध्यम से वसा जलाने और सशक्त मांसपेशियों के निर्माण से शरीर की क्षमता को अनुकूल बना सकते हैं। कुछ आदतों में जैसे जंक फूड और शीतल पेय नहीं लेना, न तो अधिक खाना और न ही भोजन छोड़ना और भोजन करते समय टीवी देखने या बातचीत करने से बचना शामिल है। वजन घटाने के लिए लगातार योगासन के साथ स्वस्थ खान-पान की आदतें अपनाने से वजन घटाने के लक्ष्यों को प्राप्त करने, योग अनुभव को समृद्ध करने और समग्र स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद मिलती है।
बाहर जाएं: बाहरी गतिविधियां वसा कम करने का एक शानदार उपाय है। बाहरी गतिविधियों को योग के साथ मिलाकर एक संपूर्ण व्यायाम दिनचर्या बनाई जा सकती है जो विभिन्न मांसपेशी समूहों को सशक्त बनाती है और समग्र स्वास्थ्य को विकसित करती है। बाहरी गतिविधियाँ ताजी हवा पाने और प्रकृति का आनंद लेने, मूड में सुधार और तनाव के स्तर को कम करने का अवसर भी प्रदान कर सकती हैं। सप्ताहांत के दौरान लंबी पैदल यात्रा और साइकिल चलाने जैसी सामूहिक गतिविधियों के लिए कुछ समय आवंटित अवश्य करें।
जब संतुलित आहार का पालन करते हैं और धार्मिक रूप से योग का अभ्यास करते हैं तो वजन घटाने के प्रयास सफल होते हैं। आर्ट ऑफ लिविंग का श्री श्री योग कार्यक्रम वजन घटाने के लिए योग में सर्वोत्तम मार्गदर्शन और संतुलित आहार के लिए निर्देश प्रदान करता है।
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अगर आपके चेहरे का निखार भी ऑफिस और घर के कामों में फीका पड़ गया है तो इसे योगा से वापस पाया जा सकता है। जी हां, योग से और आज हम आपको 3 ऐसे खास फेस एक्सरसाइज बताने वाले हैं, जो आपके चेहरे का निखार वापस लाने में मदद करेंगे।
ऑफिस में बैठे-बैठे कमर की तो लंका लग ही जाती है, लेकिन चेहरे का क्या जिसे आप लैपटॉप में गड़ाए रखते हैं? दिनभर स्क्रीन देखने के कारण हमारी त्वचा का रंग तो ऐसा उड़ सा जाता है कि जैसे कई दिनों से नींद पूरी न हुई हो। ऐसे में हमें पता है कि घर के कामों में तो आपको समय मिलेगा नहीं और न ही आप अपने चेहरे की देखभाल कर पाएंगे।
ऑफिस में हर किसी का दिन सिरदर्द भरा होता है, ऐसे में जिस तरह आप चाय के लिए समय निकालते हैं उसी तरह आपको बस 5 मिनट निकालने हैं, जिसमें आप योगा करके अपने मन-मस्तिष्क को शांत कर सकते हैं। इसके अवाला कुछ योगासन ऐसे भी हैं जिन्हें बैठे-बैठे करने से आप अपने चेहरे के खोए हुए निखार को वापस पा सकते हैं।
जाहिर सी बात है कि ऑफिस में काम कर करके हमारे चेहरे पर झुर्रियां और स्किन सैगिंग की समस्या होने लगती है, जो चेहरे के निखार में बाधा का काम करती है। ऐसे में आप चेहरे की स्माइल लाइंस मसाज कर सकते हैं।
इसे करना भी बहुत आसान है और अगर आप दिन में 2 बार इस योग को कर लेते हैं तो आपकी फेस मसल को रिलैक्स करने में मदद मिलेगी, स्किन का ढीलापन कम होगा और चेहरे निखरा-निखार नजर आएगा। आइए जानते हैं इसे करने का तरीका।
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