Blog by ilma | Digital Diary
" To Present local Business identity in front of global market"
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एम्स के पूर्व कंसल्टेंट और साओल हार्ट सेंटर के फाउंडर एंड डायरेक्टर और प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट डॉ बिमल झाजर के मुताबिक कुछ योग दिल को हेल्दी रखते हैं और दिल के रोगों से बचाव करते हैं।
दिल के रोगों का खतरा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है और यह बीमारी अब कम उम्र में भी लोगों को अपनी चपेट में ले रही है। खराब खानपान और बिगड़ता हुआ लाइफस्टाइल इसके प्रमुख कारण हैं। दिल की बीमारी अचानक नहीं होती, बल्कि यह धीरे-धीरे कई सालों में विकसित होती है। डाइट में ज्यादा ऑयली और प्रोसेस्ड फूड का सेवन करने से दिल की सेहत प्रभावित होती है। ये फूड्स धमनियों में कोलेस्ट्रॉल जमा करते हैं,जिससे आर्टरी में रुकावट पैदा हो जाती है। नतीजा यह होता है कि दिल खून को आसानी से पंप नहीं कर पाता और दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
दिल के रोगों से बचाव करना है तो डाइट का ध्यान रखें। हेल्दी डाइट, ऑयल-फ्री और लो-फैट फूड फूड का सेवन करें। नियमित वॉक और एक्सरसाइज दिल के रोगों से बचाव के लिए जरूरी है। एम्स के पूर्व कंसल्टेंट और साओल हार्ट सेंटर के फाउंडर एंड डायरेक्टर और प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट डॉ बिमल झाजर के मुताबिक कुछ योग दिल को हेल्दी रखते हैं और दिल के रोगों से बचाव करते हैं। कई रिसर्च में ये बात साबित हो चुकी है कि योग से दिल की सेहत में सुधार होता है।
यह आसन पोस्चर को सुधारता है, स्पाइनल कॉर्ड को ठीक रखता है और सर्कुलेशन बढ़ाता है। इससे नर्वस सिस्टम बेहतर होता है और गुड कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है, जबकि LDL और कुल कोलेस्ट्रॉल कम होता है
यह आसन बैलेंसिंग में सुधारता है, नर्वस सिस्टम को शांत करता है और स्ट्रेस व एंग्जायटी को कम करता है। कुछ स्टडी में यह पाया गया है कि इससे कोर्टिसोल लेवल कम होता है और हार्ट रेट वरिएबिलिटी बेहतर होती है, जो दिल की सेहत के लिए बहुत जरूरी है।
यह आसन लंग्स और लीवर को बेहतर मूवमेंट देता है और कार्डियक एफिशिएंसी तथा रेस्पिरेटरी फंक्शन को सुधारता है। रिसर्च में पाया गया है कि इससे ब्लड प्रेशर कंट्रोल होता है और ऑक्सीजन स्तर बढ़ता है, जिससे हार्ट डिजीज से रिकवरी में मदद मिलती है।
यह आसन हार्ट मसल्स को मजबूत करता है और सर्कुलेशन बढ़ता है। कार्डियक रिहैबिलिटेशन ट्रायल्स में पाया गया है कि इससे कार्डियक आउटपुट और वैस्कुलर फंक्शन में सुधार होता है।
Read Full Blog...अनुलोम विलोम योग याददाश्त बढ़ाने, मानसिक शांति और बरसात में बीमारियों से बचाव के लिए बेहद लाभकारी है. रोजना 10 मिनट करने से इसका प्रभाव देखको मिलेगा.
आज के इस आधुनिक युग व भाग दौड़ भरी जिंदगी में अपनी सेहत को फिट बनाए रखना बहुत बड़ी चुनौती है. बढ़ती उम्र के साथ अपने आप को फिट और एक्टिव रहने के लिए योग सबसे सरल व सुगम उपाय हो सकता है. यदि याददाश्त ठीक नहीं रहे, आपका दिमाग तेज काम नहीं करें तो लोग आपसे आगे निकल जाएंगे. पढ़ने वाले बच्चों के लिए ये तो रामवाण है. अनुलोम विलोम योग करने से आपकी याददाश्त बढ़ने लगेगी और आपका दिमाग तेज होगा. यकीनन परीक्षा में आपके अच्छे मार्क्स भी आएंगे. बस ये योग करने से आपको कुछ ही महीनों में फर्क दिखने लगेगा
पतंजलि योग समिति भारत स्वाभिमान के गुमला जिला प्रभारी और मुख्य योग कि आज की युवा पीढ़ी और विशेष कर बच्चे जो कल का भविष्य कहलाते हैं, उनका आजकल पढ़ाई में मन नहीं लगता है या तो कम लगता है ,आजकल के बच्चे सोशल मीडिया, मोबाइल का ज्यादातर इस्तेमाल के कारण काफी डिस्टर्ब होने लगे हैं. यहां तक की स्कूल में शिक्षक जो पढ़ाते वो याद भी नहीं कर पाते हैं. जिनके कारण उनके नंबर अच्छे नहीं आ रहे हैं. रिजल्ट खराब हो रहा है. कैसे बच्चों का पढ़ाई पर मन ज्यादा लगे और जो पढ़े वो उन्हें याद रहे उसके लिए आवश्यकता है, केवल एक योग करने की. जिसका नाम है अनुलोम विलोम
सबसे पहले पद्मासन या वज्रासन में बैठ जाएंगे. दाहिने हाथ की अंगूठे से दाहिनी नासिका(नाक) बंद करेंगे. बाईं नासिका से धीरे-धीरे श्वास लेंगे. फिर अनामिका से बाईं नासिका बंद करेंगे. दाहिने से सांस छोड़ेंगे. फिर उसी से सांस लेंगे फिर बाईं नासिका से सांस छोड़ेंगे. फिर सांस लेंगे यह एक आवृत्ति होगी. इसको बार-बार दोहराते हुए कम से कम 5 मिनट प्रतिदिन अभ्यास करना है. अभ्यास शुरू करने के 15 से 20 दिनों में याददाश्त की स्थिति पहले से बेहतर आपको महसूस होने लगेगी. जिसे हम अपने दिनचर्या में प्रतिदिन ब्रश, शौच जाते हैं उसी तरह इसे भी अपने जीवन में स्वीकार कर लेना है. सुबह शौच क्रिया से निवृत होने के बाद प्रतिदिन 5 मिनट का अनुलोम विलोम का अभ्यास करें. उसके कुछ देर बाद नाश्ता करने के बाद स्कूल वगैरह या काम वगैरह में जाएं.
शरीर के नस नाड़ियों की समस्याओं को भी समाप्त करने में कारगर है. पैर के अंगूठे से लेकर माथे तक किसी भी नस में यदि कोई समस्या है या कहीं कोई अवरोध आ गया है. या कोई नस सिकुड़ने लगा है. शरीर के किसी अंग में झुनझुनी हो रही है, पक्षाघात की समस्या हो रही है, किसी नस में अवरोध आने के कारण आपका कोई अंग सुन्न हो गया है, काम करना बंद कर दिया है, चक्कर, माथे में दर्द, छोटी बड़ी कोई भी समस्या हो यहां तक की कोई हड्डी बढ़ गया हो, नस को दबाने का कार्य कर रहा हो, जिससे आपका रक्त का संचरण अच्छे से नहीं हो पा रहा हो. इन सभी समस्याओं को समाप्त कर देगा यह एक छोटा सा अभ्यास अनुलोम विलोम.
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Read Full Blog...अनुलोम विलोम योग याददाश्त बढ़ाने, मानसिक शांति और बरसात में बीमारियों से बचाव के लिए बेहद लाभकारी है. रोजना 10 मिनट करने से इसका प्रभाव देखको मिलेगा.
आज के इस आधुनिक युग व भाग दौड़ भरी जिंदगी में अपनी सेहत को फिट बनाए रखना बहुत बड़ी चुनौती है. बढ़ती उम्र के साथ अपने आप को फिट और एक्टिव रहने के लिए योग सबसे सरल व सुगम उपाय हो सकता है. यदि याददाश्त ठीक नहीं रहे, आपका दिमाग तेज काम नहीं करें तो लोग आपसे आगे निकल जाएंगे. पढ़ने वाले बच्चों के लिए ये तो रामवाण है. अनुलोम विलोम योग करने से आपकी याददाश्त बढ़ने लगेगी और आपका दिमाग तेज होगा. यकीनन परीक्षा में आपके अच्छे मार्क्स भी आएंगे. बस ये योग करने से आपको कुछ ही महीनों में फर्क दिखने लगेगा
पतंजलि योग समिति भारत स्वाभिमान के गुमला जिला प्रभारी और मुख्य योग प्रशिक्षक रूपेश कुमार सोनी ने लोकल 18 को बताया कि आज की युवा पीढ़ी और विशेष कर बच्चे जो कल का भविष्य कहलाते हैं, उनका आजकल पढ़ाई में मन नहीं लगता है या तो कम लगता है ,आजकल के बच्चे सोशल मीडिया, मोबाइल का ज्यादातर इस्तेमाल के कारण काफी डिस्टर्ब होने लगे हैं. यहां तक की स्कूल में शिक्षक जो पढ़ाते वो याद भी नहीं कर पाते हैं. जिनके कारण उनके नंबर अच्छे नहीं आ रहे हैं. रिजल्ट खराब हो रहा है. कैसे बच्चों का पढ़ाई पर मन ज्यादा लगे और जो पढ़े वो उन्हें याद रहे उसके लिए आवश्यकता है, केवल एक योग करने की. जिसका नाम है अनुलोम विलोम
सबसे पहले पद्मासन या वज्रासन में बैठ जाएंगे. दाहिने हाथ की अंगूठे से दाहिनी नासिका(नाक) बंद करेंगे. बाईं नासिका से धीरे-धीरे श्वास लेंगे. फिर अनामिका से बाईं नासिका बंद करेंगे. दाहिने से सांस छोड़ेंगे. फिर उसी से सांस लेंगे फिर बाईं नासिका से सांस छोड़ेंगे. फिर सांस लेंगे यह एक आवृत्ति होगी. इसको बार-बार दोहराते हुए कम से कम 5 मिनट प्रतिदिन अभ्यास करना है. अभ्यास शुरू करने के 15 से 20 दिनों में याददाश्त की स्थिति पहले से बेहतर आपको महसूस होने लगेगी. जिसे हम अपने दिनचर्या में प्रतिदिन ब्रश, शौच जाते हैं उसी तरह इसे भी अपने जीवन में स्वीकार कर लेना है. सुबह शौच क्रिया से निवृत होने के बाद प्रतिदिन 5 मिनट का अनुलोम विलोम का अभ्यास करें. उसके कुछ देर बाद नाश्ता करने के बाद स्कूल वगैरह या काम वगैरह में जाएं.
शरीर के नस नाड़ियों की समस्याओं को भी समाप्त करने में कारगर है. पैर के अंगूठे से लेकर माथे तक किसी भी नस में यदि कोई समस्या है या कहीं कोई अवरोध आ गया है. या कोई नस सिकुड़ने लगा है. शरीर के किसी अंग में झुनझुनी हो रही है, पक्षाघात की समस्या हो रही है, किसी नस में अवरोध आने के कारण आपका कोई अंग सुन्न हो गया है, काम करना बंद कर दिया है, चक्कर, माथे में दर्द, छोटी बड़ी कोई भी समस्या हो यहां तक की कोई हड्डी बढ़ गया हो, नस को दबाने का कार्य कर रहा हो, जिससे आपका रक्त का संचरण अच्छे से नहीं हो पा रहा हो. इन सभी समस्याओं को समाप्त कर देगा यह एक छोटा सा अभ्यास अनुलोम विलोम.
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Read Full Blog...आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अक्सर थकान, तनाव और अनियमित दिनचर्या से परेशान रहते हैं. ऐसे में मॉर्निंग योगा न सिर्फ शरीर को फिट रखता है बल्कि मानसिक शांति भी देता है. सुबह के समय किया गया योग पूरे दिन के लिए पॉजिटिव एनर्जी का स्रोत बन जाता है.
सुबह की शुरुआत अगर पॉजिटिव तरीके से हो, तो पूरा दिन अच्छा गुजरता है. ऐसे में Morning Yoga आपके लिए बेस्ट ऑप्शन है. सुबह-सुबह किए गए योगासन न सिर्फ शरीर को फिट रखते हैं बल्कि मन को भी शांत बनाते हैं. अगर दिन की शुरुआत इन 4 आसान योगासनों से की जाए, तो आप पूरे दिन एनर्जी से भरे रहते हैं. थकान और तनाव दूर होता है और दिमाग भी ज्यादा फोकस्ड रहता है. आइए जानते हैं 4 ऐसे आसान योगासन, जो हर उम्र के व्यक्ति के लिए आसान और फायदेमंद है. अगर आप सुबह केवल 20 मिनट भी इन योगासनों को करें तो अपना पूरा दिन बेहतर बना रहेगा
खाली पेट योग करने से शरीर तेजी से एनर्जी सोखता है और मन भी पूरी तरह से एकाग्र रहता है.
सूर्य नमस्कार को "योग की संपूर्ण कड़ी" कहा जाता है. इसमें 12 आसनों का क्रम होता है जो पूरे शरीर की स्ट्रेचिंग करता है. सुबह इसे करने से शरीर में लचीलापन आता है, ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और पाचन शक्ति मजबूत होती है. नियमित अभ्यास से वजन नियंत्रित रहता है और शरीर डिटॉक्स होता है
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Read Full Blog...नोट: सभी तरह का नया व पुराना नजला 4 महीने से 1 साल तक के समय में आयुर्वेदिक दवा, खानपान में बदलाव, परहेज व जरुरत पड़ने पर पंचकर्म की क्रियाओं से पूरी तरह से ठीक हो सकता है।
काढ़ा – आयुर्वेदिक दवा के साथ ही नजला का घरेलु इलाज भी काफी फायदेमंद साबित होता है। जिसमें घर पर ही काढ़ा बनाकर पीने से रोगी को राहत मिलती है। ये काढ़ा इस प्रकार है:
अदरक और गुड़ का काढ़ा।
काली मिर्च व नींबू का काढ़ा।
अजवाइन व गुड़ का काढ़ा।
दालचीनी का काढ़ा।
लौंग-तुलसी और काला नमक का काढ़ा।
इलायची व शहद का काढ़ा।
इसके अलावा शहद और अदरक का रस एक-एक चम्मच मिलाकर सुबह-शाम पीने से नजले में फायदा आता है।
नागरबेल (पान) के 2 से 4 पत्ते चबा लेना भी फायदेमंद है।
हल्दी और दूध गरम कर उसमें गुड़ मिलाकर पीने से जुकाम, कफ़, व शरीर में होने वाले दर्द से राहत मिलती है|
सुबह-शाम अजवायन की फंकी लेने से भी आराम मिलता है|
रात में सोते समय अजवायन को गर्म कर सुंघने से भी राहत मिलती है।
देसी गाय के शुद्ध देसी घी से भी नजला में काफी आराम मिलता है। ऐसे में रोगी को उस गाय का घी लेना है जिसकी पीठ पर हम्प होता है यह घी आपको लगातर तीन महीने डालना है यह दस से ज्यादा साल पुराने नजले को भी खत्म कर देता है।
गर्म पानी में चुटकी भर नमक मिला कर गरारे करने से खांसी-जुकाम के दौरान काफी राहत मिलती है। इससे गले को राहत मिलती है और खांसी से भी आराम मिलता है। यह भी काफी पुराना नुस्खा है।
अकसर नजले में एलर्जी के कण नाक की नलियों की समस्या बन जाते है। जिसके कारण लगातार छींके आने लगती है, गला सुखा रहता है, नाक बहने लगती है.. ऐसी गंभीर स्थिति में अस्थमा भी हो सकता है। ऐसे में नजले के स्थायी इलाज के लिए (Najle ka permanent ilaj) देरी ना करते हुए डॉक्टर की सलाह लें।
Read Full Blog...खांसी एक आम समस्या है जो किसी भी मौसम में आपको हो सकती है. कई बार खांसी अपने आप ठीक हो जाती है तो कुछ मामलों में दवाओं का सहारा लेना पड़ता है. कभी-कभी खांसी की समस्या इतनी बढ़ जाती है कि इसकी वजह से सीने और पसलियों में दर्द होने लगता है. इस लेख में हम आपको खांसी के घरेलू इलाज, खांसी के लिए आयुर्वेदिक कफ सिरप (Ayurvedic Cough Syrup) और खानपान से जुड़ी जानकारियों के बारे में बता रहे हैं.
अगर खांसी आने पर साथ में बलगम भी निकल रहा है तो इसे बलगम वाली खांसी या गीली खांसी कहा जाता है. वहीं दूसरी तरफ अगर बलगम नहीं निकल रहा है तो इसे सूखी खांसी (Dry Cough) कहा जाता है.
सूखी खांसी की समस्या अक्सर रात के समय बहुत बढ़ जाती है और इससे लोगों की नींद डिस्टर्ब होने लगती है. यही वजह है कि खांसी की कई अंग्रेजी दवाओं (Khansi ki Medicine) में ऐसे घटक मिलाए जाते हैं जिससे नींद जल्दी आ जाए और खांसी से आराम मिले.
वैसे तो बाजार में खांसी के लिए कई कफ सिरप मौजूद हैं लेकिन अधिकांश लोग आयुर्वेदिक कफ सिरप लेना पसंद करते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि आयुर्वेदिक कफ सिरप (Ayurvedic Cough Syrup) पीने से नींद भी नहीं आती है और इससे पुरानी से पुरानी खांसी भी जल्दी ठीक हो जाती है.
कभी कुछ अधिक ठंडी चीजें जैसे कि आइसक्रीम खा लेने या कोल्ड ड्रिंक पी लेने के बाद खांसी होना आम बात है. इसके अलावा जुकाम होने पर या गले में संक्रमण होने से भी खांसी की समस्या हो सकती है.
खांसी होने पर अधिकांश लोग घरेलू उपाय अपनाने के बारे में सोचते हैं. आयुर्वेदिक एक्सपर्ट का भी मानना है कि खांसी के इलाज में अगर सही तरीके से घरेलू इलाज अपनाएं जाएं तो खांसी जल्दी ठीक हो जाती है. आइए जानते हैं कि खांसी होने पर किन चीजों का सेवन करें:
शहद (Honey for Cough): शहद सूखी और कफ वाली दोनों तरह की खांसी के इलाज में बहुत कारगर है. रात में सोने से पहले अगर आप एक चम्मच शहद का सेवन करें तो सोते समय खांसी कम आती है. आयुर्वेद के अनुसार शहद में कफ शामक गुण होते है जो की खांसी की समस्या को कम करने मदद करते है.
तुलसी (Tulsi for Cough): आयुर्वेद में प्राचीन काल से ही खांसी के इलाज के लिए तुलसी का प्रयोग किया जाता है. तुलसी में एंटीमाइक्रोबियल, एंटी-इनफ्लेमेटरी, एंटीटसिव और एंटी-एलर्जिक क्षमताएं होती हैं जो खांसी से जल्दी राहत दिलाती हैं. यही वजह है कि खांसी की अधिकांश आयुर्वेदिक सिरप में तुलसी का उपयोग किया जाता है.
मुलेठी(Mulethi for Cough): मुलेठी को आयुर्वेद में यष्टिमधु भी कहा गया है जिसका निर्देश कफ संबंधी रोगों लेने का दिया गया है. गले के स्वास्थ्य के लिए मुलेठी बेहद फायदेमंद है. खांसी हो या गले में खराश हो मुलेठी का सेवन करने से जल्दी आराम मिलता है. मुलेठी गले में ज्यादा बलगम बनने से रोकती है और इस तरह यह खांसी से राहत दिलाती है.
काली मिर्च (Kali Mirch for Cough): काली मिर्च गले की जलन से राहत दिलाती है साथ ही अगर इसका सेवन शहद के साथ किया जाए तो खांसी से जल्दी आराम दिलाती है.
पिप्पली (Pippali for Dry Cough): पिप्पली की तासीर गर्म होती है. आयुर्वेदिक विशेसज्ञों के अनुसार, गला बैठने की समस्या से राहत दिलाने में यह बहुत कारगर है. इसके अलावा यह गले में मौजूद कफ को हटाने में भी मदद करती है.
सोंठ (Sonth or Dry Ginger for Cough): खांसी और गले के संक्रमण के इलाज में उपयोग की जाने वाली की आयुर्वेदिक दवाओं में सोंठ का उपयोग प्रमुखता से किया जाता है.ठंड लगने या जुकाम की वजह से होने वाले खांसी को दूर करने में सोंठ बहुत उपयोगी है.
अगर आप खांसी से परेशान हैं और आयुर्वेदिक कफ सिरप खोज रहे हैं तो आपको वो कफ सिरप (Khansi ka Syrup) लेना चाहिए जिसमें ऊपर बताई गई अधिकांश जड़ी-बूटियाँ शामिल हों. जैसे कि टाटा 1mg तेजस्या कफ रिलीफ सिरप में शहद, तुलसी, मुलेठी, सोंठ और पिप्पली सभी जड़ी-बूटियाँ मौजूद हैं जो इसे बेहद खास और प्रभावी बनाती हैं. आप सूखी खांसी से परेशान हो या बलगम वाली खांसी से, तेजस्या कफ सिरप का उपयोग दोनों में किया जा सकता है.
तेजस्या कफ सिरप (Tejasya Ayurvedic Cough Syrup) में सिर्फ प्राकृतिक जड़ी बूटियों का अर्क मिलाया गया है और इसमें एल्कोहल का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं किया गया है. इसे पीने से नींद या सुस्ती नहीं आती है.
अगर आप सूखी खांसी या बलगम वाली खांसी से परेशान हैं तो 10 एमएल या 2 चम्मच टाटा 1mg तेजस्या कफ सिरप दिन में दो बार या आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार लें.
कफ सिरप के अलावा ऐसे कई चूर्ण भी हैं जो खांसी से बहुत जल्दी राहत दिलाते हैं. इन चूर्ण के सेवन से पुरानी खांसी या क्रोनिक कफ भी ठीक होने लगता है. आइए अब इनके बारे में जानते हैं:
सितोपलादि चूर्ण खांसी की एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक दवा है. अधिकांश आयुर्वेदिक चिकित्सक पुरानी खांसी या सूखी खांसी से पीड़ित लोगों को सितोपलादि चूर्ण लेने की सलाह देते हैं. इसमें मौजूद जड़ी-बूटियों में कफ को शमन करने का गुण होता है. सितोपलादि चूर्ण को शहद के साथ लें और इसे लेने के बाद कम से कम आधे घंटे पर कुछ भी खाएं पिएं नहीं. सूखी खांसी होने पर इसे रात में सोने से पहले लेना चाहिए.
काली मिर्च, पिप्पली और सोंठ इन तीनों के मिश्रण को त्रिकटु चूर्ण कहा जाता है. जिसका उपयोग कफ और पाचन संबंधी रोगों में किया जाता है. यह चूर्ण कफ को बनने से रोकता है जिससे खांसी से जल्दी राहत मिलने लगती है. त्रिकटु चूर्ण को भी शहद के साथ मिलाकर खाएं.
यहां बताए गए खांसी के घरेलू इलाज अपनाने या आयुर्वेदिक कफ सिरप (Ayurvedic Cough Syrup) लेने के 3-4 दिन बाद भी अगर खांसी से आराम नहीं मिल रहा है तो नजदीकी डॉक्टर या आयुर्वेदिक चिकित्सक के पास जाकर अपनी जांच कराएं.
Read Full Blog...पेट के आसपास जमी चर्बी कई लोगों के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है। गलत खान-पान, तनाव और घंटों बैठकर काम करने की आदत के कारण यह चर्बी आसानी से कम नहीं होती है। ऐसे में आप इन योगासनों को करके पेट की जिद्दी चर्बी को आसानी से कम कर सकते हैं।
अगर आप भी पेट की जिद्दी चर्बी घटाना चाहते हैं और लाख कोशिशों के बाद भी वजन कम नहीं हो रहा है, तो आप अपनी दिनचर्या में योगासन को शामिल कर सकते हैं। इससे आप पूरे दिन एक्टिव भी रहेंगे और आपका वजन भी तेजी से घटने लगेगा।
पेट की चर्बी को कम करने के लिए भुजंगासन एक बेहतर योगासन है। इसे करने से मांसपेशियों पर सीधा असर पड़ता है, जिससे पेट के आसपास जमी चर्बी तेजी से बर्न होने लगती है। आप रोजाना 5-6 बार यह आसन आसानी से कर सकते हैं।
नौकासन करने से भी पेट की चर्बी तेजी से कम होती है। इसे करने से पेट की मांसपेशियों पर जोर पड़ता है, जिससे फैट तेजी से बर्न होता है। इस आसन से पाचन भी बेहतर होता है। आप इसे रोजाना कर सकते हैं।
धनुरासन करने से पूरी बॉडी की स्ट्रेचिंग हो जाती है। इससे पेट के निचले हिस्से की चर्बी तेजी से कम होती है और मेटाबॉलिज्म भी बढ़ने लगता है।
वजन घटाने के लिए त्रिकोणासन काफी प्रभावी है। इसे करने के लिए Yoga Mat पर सीधा खड़े होकर दोनों पैरों को लगभग तीन फुट की दूरी पर फैलाएं। अब दायां हाथ ऊपर उठाकर कान के पास रखें और बायां हाथ नीचे झुकाकर टखने के पास ले जाएं। इस आसन से पूरे शरीर में स्ट्रेचिंग होती है, जिससे लचीलापन और फिटनेस दोनों बढ़ते हैं।
प्लैंक पोज को योग और फिटनेस दोनों में बेहद प्रभावी माना जाता है। यह पूरे शरीर की मांसपेशियों को मजबूत करता है, खासतौर पर कोर मसल्स पर काम करता है। रोजाना 1–2 मिनट तक प्लैंक होल्ड करने से चर्बी घटाने में तेजी आती है।
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Please jurur btana ye aap ke liye Kam Ka he ya nhe
Ye aap ke liye Kam Ka he ya nhi
Read Full Blog...मुँह के छाले मुँह में असहनीय दर्द पैदा करते हैं और अक्सर कई दिनों तक इसका पता नहीं चलता। यह होठों, जीभ, गालों के भीतरी भाग, मसूड़ों या मुँह की छत पर घाव के रूप में प्रकट हो सकता है। यद्यपि यह कोई बीमारी नहीं है, लेकिन इसका मूल कारण कई चिंताओं का संकेत हो सकता है।
मुँह के छालों के कारण प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हो सकते हैं। अप्रत्यक्ष कारण आपको किसी अंतर्निहित बीमारी के प्रति सचेत करते हैं।
मुँह के छालों का एक कारण शरीर के अंदर की गर्मी है, इसलिए शीतली प्राणायाम शरीर के तापमान को ठंडा कर बहुत मदद करता है और पाचन में भी सुधार करता है। शीतली प्राणायाम करने के चरण इस प्रकार हैं:
यह प्राणायाम मन और शरीर को शांत करता है, शरीर में अग्नि तत्व (पित्त) को संतुलित करता है और पूरे शरीर से विषाक्त पदार्थों को साफ करता है। शीतकारी प्राणायाम करने के लिए नीचे दिए गए चरणों का पालन करें:
सूर्य नमस्कार
सूर्य नमस्कार सबसे अधिक प्रचलित योगासन है जिसमें कई आसनों का संयोजन है। चूंकि मुँह के छाले विटामिन की कमी के कारण हो सकते हैं, इसलिए नियमित रूप से सूर्य नमस्कार करने से प्रतिरक्षा शक्ति बढ़ती है और मुँह के छालों से बचाव होता है। यह कई समस्याओं का एकमात्र समाधान है, जैसे पीठ दर्द, कम चयापचय, तनाव और चिंता, त्वचा संबंधी समस्याएँ, मासिक धर्म संबंधी समस्याएँ आदि।
सेतु बंधासन एक योगासन है जो वायरल संक्रमण से लड़ने में मदद करता है और मुँह के छालों को रोकता है। यह आसन छाती और फेफड़ों को खोलता है और मन को शांत करता है। यह रक्त परिसंचरण को बेहतर बनाने तथा तनाव, चिंता और अवसाद को दूर करने में मदद करता है।
आप इन परीक्षित घरेलू उपचारों से भी मुँह के छालों को प्राकृतिक रूप से शीघ्रता से ठीक कर सकते हैं:
इनके अलावा, हाइड्रेटेड और खुश रहना, मौखिक स्वच्छता सुनिश्चित करना और मसालेदार और जंक फूड से बचना याद रखें। ध्यान और सुदर्शन क्रिया से अपना भावनात्मक संतुलन और शांति बनाए रखें।
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Read Full Blog...यदि आपको क्लिक, जबड़े का फटना, जबड़े में या उसके आसपास दर्द, जबड़े का लॉक होना, दांतों के आसपास दर्द और जागने पर पीड़ा महसूस होती है, तो संभावना है कि आप टीएमजे दर्द से पीड़ित हैं ।
गर्दन, कंधों और छाती के आसपास की मांसपेशियों को स्ट्रेच करने से इस असुविधा से कुछ राहत मिल सकती है। स्ट्रेचिंग और सपोर्टेड योगासन से जकड़न को दूर करने से मायोफेशियल तनाव कुछ हद तक कम हो सकता है और जबड़े को बेहतर तरीके से संरेखित करने में मदद मिल सकती है।
अपने शरीर में दर्द और बेचैनी की जांच करना यह पता लगाने का एक अच्छा तरीका है कि आपको कहां तनाव और टीएमजे दर्द का अनुभव हो रहा है।
अक्सर, टीएमजे (TMJ) से पीड़ित लोगों के सिर, गर्दन और कंधों में बहुत ज़्यादा तनाव रहता है। एक साधारण बॉडी स्कैन आपके तनाव को समझने और उसे दूर करने पर ध्यान केंद्रित करने में आपकी मदद कर सकता है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसे ज़रूरत पड़ने पर बार-बार दोहराया जा सकता है।
गर्दन को खींचना भी टीएमजे की असुविधा और दर्द से राहत पाने का एक अच्छा तरीका है, क्योंकि तनावग्रस्त गर्दन की मांसपेशियां और प्रावरणी जबड़े में दर्द को काफी हद तक प्रभावित कर सकती हैं।
ऐसा पूरे दिन करें, विशेषकर जब भी आपको लगे कि आपके कंधे तनावग्रस्त होने या तनावग्रस्त होने के कारण ऊपर उठने लगे हैं, विशेषकर वाहन चलाते समय या कोई उपकरण पकड़ते समय।
सपोर्टेड बैकबेंड्स गर्दन , कंधों और छाती की मांसपेशियों में तनाव दूर करने का एक बेहतरीन तरीका है। जैसे-जैसे हमारी छाती की मांसपेशियां कसती हैं, हम अपने कंधों को आगे की ओर खींचते हैं, जिससे हमारी ठुड्डी भी आगे की ओर खिंचती है।
Jrrur btana ye aap ke liye kesa rha
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ऐसे में प्राणायाम का अभ्यास करना आपके लिए कई तरह से फायदेमंद होता है। आपको कई तरह के प्राणायाम जैसे ओम् चैटिंग, कपालभांति प्राणायाम, अनुलोम-विलोम प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम आदि का अभ्यास अवश्य करना चाहिए। यह आपके शरीर को भीतर से रिलैक्स करते हैं, जिससे आपको तनाव कम होता है और फिर सिरदर्द की शिकायत नहीं होती है।
तनाव से होने वाले सिरदर्द से राहत पाने के लिए प्रत्येक हाथ पर 30 सेकंड तक मालिश करें। माइग्रेन से तुरंत राहत पाने के लिए अपने माथे पर ठंडी सिकाई करें या तनाव से होने वाले सिरदर्द को शांत करने के लिए गर्दन पर गर्म सिकाई करें।
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