आसन कितनेप्रकार का होता है । मुख्य रूप से आसन दो तरह के होते हैं- गतिशील आसन और स्थिर आसन. गतिशील आसन- वे आसन जिनमे शरीर शक्ति के साथ गतिशील रहता है. स्थिर आसन- वे आसन जिनमे अभ्यास को शरीर में बहुत ही कम या बिना गति के किया जाता है. आसनों के नियमित अभ्यास से चित्त स्थिर होता है एवं शरीर और उसके अंगों को दृढ़ता मिलती है.
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आसन कितनेप्रकार का होता है ।
मुख्य रूप से आसन दो तरह के होते हैं- गतिशील आसन और स्थिर आसन. गतिशील आसन- वे आसन जिनमे शरीर शक्ति के साथ गतिशील रहता है. स्थिर आसन- वे आसन जिनमे अभ्यास को शरीर में बहुत ही कम या बिना गति के किया जाता है. आसनों के नियमित अभ्यास से चित्त स्थिर होता है एवं शरीर और उसके अंगों को दृढ़ता मिलती है.
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आसन कितनेप्रकार का होता है । मुख्य रूप से आसन दो तरह के होते हैं- गतिशील आसन और स्थिर आसन. गतिशील आसन- वे आसन जिनमे शरीर शक्ति के साथ गतिशील रहता है. स्थिर आसन- वे आसन जिनमे अभ्यास को शरीर में बहुत ही कम या बिना गति के किया जाता है. आसनों के नियमित अभ्यास से चित्त स्थिर होता है एवं शरीर और उसके अंगों को दृढ़ता मिलती है.
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आसन कितनेप्रकार का होता है ।
मुख्य रूप से आसन दो तरह के होते हैं- गतिशील आसन और स्थिर आसन. गतिशील आसन- वे आसन जिनमे शरीर शक्ति के साथ गतिशील रहता है. स्थिर आसन- वे आसन जिनमे अभ्यास को शरीर में बहुत ही कम या बिना गति के किया जाता है. आसनों के नियमित अभ्यास से चित्त स्थिर होता है एवं शरीर और उसके अंगों को दृढ़ता मिलती है.
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सूर्य नमस्कार के 12 घंटे का क्या मतलब है। सूर्य नमस्कार को 'परम आसन' माना जाता है क्योंकि इसमें 12 आसनों को एक ही व्यायाम में शामिल किया जाता है । ये आसन चक्रीय रूप से किए जाते हैं और पूरे शरीर का व्यायाम कर सकते हैं। सूर्य नमस्कार करते समय आप अपनी पीठ और पेट की मांसपेशियों को मजबूत करते हैं। यह पेट के अंगों को भी फैलाता है और फेफड़ों को हवादार बनाता है
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सूर्य नमस्कार के 12 घंटे का क्या मतलब है।
सूर्य नमस्कार को 'परम आसन' माना जाता है क्योंकि इसमें 12 आसनों को एक ही व्यायाम में शामिल किया जाता है । ये आसन चक्रीय रूप से किए जाते हैं और पूरे शरीर का व्यायाम कर सकते हैं। सूर्य नमस्कार करते समय आप अपनी पीठ और पेट की मांसपेशियों को मजबूत करते हैं। यह पेट के अंगों को भी फैलाता है और फेफड़ों को हवादार बनाता है
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सबसे पहले कौन सा योग करना चाहिए। शरीर की अलग-अलग बीमारियों के लिए या रोजाना स्वस्थ रहने के लिए योग शुरू करने से पहले कमलासन या पद्मासन को करना चाहिए। ध्यान के लिए किया जाने वाला ये योग आपको शरीर और मन को एकाग्र करता है और योग के लिए तैयार करता है। तो चलिए जानें पद्मासन या कमलासन ।
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सबसे पहले कौन सा योग करना चाहिए।
शरीर की अलग-अलग बीमारियों के लिए या रोजाना स्वस्थ रहने के लिए योग शुरू करने से पहले कमलासन या पद्मासन को करना चाहिए। ध्यान के लिए किया जाने वाला ये योग आपको शरीर और मन को एकाग्र करता है और योग के लिए तैयार करता है। तो चलिए जानें पद्मासन या कमलासन ।
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योग का सबसे पुराना रूप क्या है? योग का सबसे पुराना रूप वैदिक योग के नाम से जाना जाता है, जिसकी शुरुआत ऋग्वेद से हुई है, जो दुनिया का सबसे पुराना लिखित संस्कृत ग्रंथ है। इसे संभवतः लगभग 10,000 साल पहले स्वर्ण युग या सत्य युग के दौरान लिखा गया था।
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योग का सबसे पुराना रूप क्या है?
योग का सबसे पुराना रूप वैदिक योग के नाम से जाना जाता है, जिसकी शुरुआत ऋग्वेद से हुई है, जो दुनिया का सबसे पुराना लिखित संस्कृत ग्रंथ है। इसे संभवतः लगभग 10,000 साल पहले स्वर्ण युग या सत्य युग के दौरान लिखा गया था।
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वज्रासन कैसे करते हैं। ज्रासन को करने की विधि बहुत ही आसान है, इस योग को करने के लिए आपको सबसे पहले अपने दोनों घुटने के बल खड़ा होना पड़ता है और उसके बाद पीछे की तरफ जाए और कूल्हों पर एड़ी रख कर बैठ जाएं। बैठने के बाद आपको सीधे देखना होता है और अपने दोनों हाथ घुटनों पर रखने होते
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वज्रासन कैसे करते हैं।
ज्रासन को करने की विधि बहुत ही आसान है, इस योग को करने के लिए आपको सबसे पहले अपने दोनों घुटने के बल खड़ा होना पड़ता है और उसके बाद पीछे की तरफ जाए और कूल्हों पर एड़ी रख कर बैठ जाएं। बैठने के बाद आपको सीधे देखना होता है और अपने दोनों हाथ घुटनों पर रखने होते
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वज्रासन कैसे करते हैं। ज्रासन को करने की विधि बहुत ही आसान है, इस योग को करने के लिए आपको सबसे पहले अपने दोनों घुटने के बल खड़ा होना पड़ता है और उसके बाद पीछे की तरफ जाए और कूल्हों पर एड़ी रख कर बैठ जाएं। बैठने के बाद आपको सीधे देखना होता है और अपने दोनों हाथ घुटनों पर रखने होते
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वज्रासन कैसे करते हैं।
ज्रासन को करने की विधि बहुत ही आसान है, इस योग को करने के लिए आपको सबसे पहले अपने दोनों घुटने के बल खड़ा होना पड़ता है और उसके बाद पीछे की तरफ जाए और कूल्हों पर एड़ी रख कर बैठ जाएं। बैठने के बाद आपको सीधे देखना होता है और अपने दोनों हाथ घुटनों पर रखने होते
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योग हमारे जीवन में कैसे उपयोगी है। योग में शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक अभ्यास शामिल हैं और यह आत्म-चिकित्सा को बढ़ावा देता है। "योग" शब्द का अर्थ है एकजुट होना और यह मन, शरीर और आत्मा के साथ ऐसा ही करता है। ब्रह्मांड के साथ एकता प्राप्त की जा सकती है और साथ ही जिस दुनिया में हम रहते हैं, उसकी उचित समझ और प्रशंसा भी की जा सकती है।
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योग हमारे जीवन में कैसे उपयोगी है।
योग में शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक अभ्यास शामिल हैं और यह आत्म-चिकित्सा को बढ़ावा देता है। "योग" शब्द का अर्थ है एकजुट होना और यह मन, शरीर और आत्मा के साथ ऐसा ही करता है। ब्रह्मांड के साथ एकता प्राप्त की जा सकती है और साथ ही जिस दुनिया में हम रहते हैं, उसकी उचित समझ और प्रशंसा भी की जा सकती है।
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योग के फायदे। मांसपेशियों के लचीलेपन में सुधार शरीर के आसन और एलाइनमेंट को ठीक करता है बेहतर पाचन तंत्र प्रदान करता है आंतरिक अंग मजबूत करता है अस्थमा का इलाज करता है मधुमेह का इलाज करता है दिल संबंधी समस्याओं का इलाज करने में मदद करता है त्वचा के चमकने में मदद करता है
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योग के फायदे।
मांसपेशियों के लचीलेपन में सुधार
शरीर के आसन और एलाइनमेंट को ठीक करता है
बेहतर पाचन तंत्र प्रदान करता है
आंतरिक अंग मजबूत करता है
अस्थमा का इलाज करता है
मधुमेह का इलाज करता है
दिल संबंधी समस्याओं का इलाज करने में मदद करता है
त्वचा के चमकने में मदद करता है
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योग का राजा कोन था । राजयोग सभी योगों का राजा कहलाता है क्योंकि इसमें प्रत्येक प्रकार के योग की कुछ न कुछ सामग्री अवश्य मिल जाती है। राजयोग महर्षि पतंजलि द्वारा रचित अष्टांग योग का वर्णन आता है।
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योग का राजा कोन था ।
राजयोग सभी योगों का राजा कहलाता है क्योंकि इसमें प्रत्येक प्रकार के योग की कुछ न कुछ सामग्री अवश्य मिल जाती है। राजयोग महर्षि पतंजलि द्वारा रचित अष्टांग योग का वर्णन आता है।
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