Blog by Vanshika | Digital Diary
" To Present local Business identity in front of global market"
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पिछले टाइम में हमने एक सरल रेखा में वस्तु की स्थिति विवेक तथा त्वरण के आधार पर वस्तु की गति का वर्णन किया हमने देखा कि ऐसी गति में कभी एक रूपबंता होती है तथा कभी नहीं लेकिन अभी हमने यह चर्चा नहीं की की गति का कारण क्या होता है समय के साथ वस्तु की चाल क्यों बदलता है क्या सभी प्रकार की गतियां का कोई कारण होता है यदि ऐसा है तो इस कारण का स्वभाव क्या है इस अध्याय में हम ऐसी ही सभी जिज्ञासाओं को बुझायेंगे
सर्दियों से गति और इसके कर्ण ने वैज्ञानिकों और दार्शनिकों को उलझा रखा था फर्श पर रखी एक गेंद को धीमी सेट होकर लगाने पर वह हमेशा के लिए गतिशील नहीं रहती ऐसी परिस्थितियों से यह पता चलता है कि किसी वस्तु की विराम की अवस्था की उसकी स्वाभाविक अवस्था है ऐसी मान्यता तब तक बनी रही जब तक की गलियों और विजाग न्यूटन ने वस्तुओं की गति के बारे में एक पुण्यतिथि संकल्पना वस्तु की
अपने प्रतिदिन के जीवन में हमने देखते हैं कि एक स्थिर वस्तु को गति देने के लिए या गतिशील वस्तु को रोकने के लिए हमें कुछ प्रयास करना पड़ता है सामान्य भाषा में इसके लिए हमें शारीरिक प्रयास करना पड़ता है तथा हम कहते हैं कि किसी वस्तु को गति की अवस्था में लाने के लिए हमें उसे खींचना तो खेलने या ठोकर लगाना पड़ता है खींचना तक अकेला ठोकर लगने की इसी प्रक्रिया पर बल की अवधारणा आधारित अब हम बोल के विषय में विचार करते हैं यह क्या है वास्तव में बाल को ना तो किसी ने देखा ना चखा और ना ही महसूस किया हालांकि बाल का प्रभाव हम पहले देखे या महसूस करते हैं किसी वस्तु पर बल लगाने पर क्या होता है यह जानकर हम बाल की व्याख्या कर सकते हैं वस्तु को कितना लगे नेटवर्क पर लगाना यह सभी क्रियाएं वस्तु को गति देने की व्याख्या है हमारे द्वारा किसी तरह का बाल लगाने पर ही उनसे गति होती है
पिछले कक्षा में अर्जित ज्ञान के आधार पर आप इस बात से परिचित है कि किसी वस्तु में वेज का परिमाण बदलने अर्थात वस्तु की गति को तेज या धीमी करने के लिए या उसकी गति की जानते हैं कि किसी बोल के प्रयोग द्वारा वस्तु का कार्य करती भी बदली जा सकती है
वस्तु की किसी अटल प्रगति को देखकर गैलीलियो ने यह निष्क निकला कि जब तक कोई ग्राहक बल कार्य नहीं करता वस्तु एक निश्चित गति से चलती है उन्होंने देखा कि कांच की गोली अनाथ तल पर लुढ़कती है तो उसका वेग बढ़ जाता है अगले अध्याय में आप पढ़ेंगे की गोली संतुलित गुरुत्वीय बल के कारण नीचे गिरती है
प्रत्येक वस्तु अपनी स्थिर अवस्था या सरल रेखा एक समान गति की अवस्था में बनी रहती है जब तक कि उसे पर कोई बाहरी बाल कार्यरत ना हो
गति का प्रथम नियम यह बताता है कि जब कोई असंतुलित प्रभाव बाल किसी वस्तु पर कार्य करता है तो उसके वेज में परिवर्तन होता है अर्थात वस्तु त्वरण प्राप्त करती है अब हम देखेंगे कि किसी वस्तु का त्वरण उसे पर लगाए गए बल पर कैसे निर्भर होता है तथा उसे बोल को हम कैसे मापते हैं लिए कुछ दैनिक अनुभव का अध्ययन करें टाइटल डालने से खेलने के दौरान यदि केंद्र किसी खिलाड़ी के शरीर से टकराती है तो वह घायल नहीं होता गति से आई हुई क्रिकेट की केंद्र किसी दर्शन को लगने के बाद उसे घायल कर सकती है सड़क के किनारे खड़े किसी ट्रक से कोई दुर्घटना नहीं होती परंतु 5 मीटर सेकंड -1 जैसे कम गति से चलते हुए ट्रक से प्राप्त करती है अब हम देखेंगे कि किसी वस्तु का त्वरण उसे पर लगाए गए बल पर कैसे निर्भर होता है तथा उसे बोल को हम कैसे मापते हैं लिए कुछ दैनिक अनुभव का अध्ययन करें टाइटल डालने से खेलने के दौरान यदि केंद्र किसी खिलाड़ी के शरीर से टकराती है तो वह घायल नहीं होता गति से आई हुई क्रिकेट की केंद्र किसी दर्शन को लगने के बाद उसे घायल कर सकती है सड़क के किनारे खड़े किसी ट्रक से कोई दुर्घटना नहीं होती परंतु 5 मीटर सेकंड -1 जैसे कम गति से चलते हुए ट्रक से कोई दुर्घटना नहीं होती परंतु 5 एस -1 जैसी कम गति से चलते हुए ट्रक से टक्कर रास्ते में खड़े किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण बन सकता है एक छोटे द्रव्यमान की वस्तु जैसे गोली को अगर बंदूक से तेल वेग से छोड़ जाए तो वह भी किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण बन सकती है इससे पता चलता है की वस्तु के द्वारा उत्पन्न प्रभाव वास्तु के द्रव्यमान एवं वेज पर निर्भर करता है इसी प्रकार यदि किसी वस्तु को टार्बेट किया जाता है तो अधिक वेज प्राप्त करने के लिए अधिक बल की आवश्यकता होती है दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं की वस्तु के द्रव्यमान एवं वेग से संबंधित एक महत्वपूर्ण राशि होती है स्वैग नामक इस राशि को न्यूटन नेट प्रस्तुत किया था किसी वस्तु का श्वेत भी उसके द्रव्यमान एवं और वेज भी के गुणनफल से परिभाषित किया जाता है
पहले दोनों सूक्ति के नियमों से हमें ज्ञात होता है कि कोई प्रयुक्त बाल वस्तु की गति की अवस्था में परिवर्तन लाता है तथा इसे हमें बाल को मापने की विधि भी प्राप्त होती है गति के तीसरे नियम के अनुसार जब एक वस्तु दूसरी वस्तु पर बाल लगती है तब दूसरी वस्तु द्वारा भी पहले वस्तु पर दांत सैनिक बल लगाया जाता है यह दोनों बाल परिणाम में सदैव सामान लेकिन दिशा में परिवर्तित होते हैं इसका तात्पर्य यह है कि बल सदैव युगल रूप मैं होते हैं यह बोल कभी एक वस्तु पर एक कार्य नहीं करते बल्कि दो अलग-अलग वस्तु पर कार्य करते हैं फुटबॉल के खेल में परी है हम गेंद को तेज गति से की करने के क्रम में विश्व की टीम के खिलाड़ी से टकरा जाते हैं इस क्रम में दोनों खिलाड़ी एक दूसरे पर बाल लगते हैं अतः दोनों ही खिलाड़ी चोटिल होते हैं दूसरे शब्दों में किसी अकाल बाल का अस्तित्व नहीं होता बल्कि यह सदैव युगल रूप में होते हैं इन दोनों विरोधी बलों का क्रिया तथा प्रतिक्रिया बल कहा जाता है
Read Full Blog...मुंबई की एक सभा में सिंह की तरह गुजरते हुए एक देशभक्त ने कहा था कि अंग्रेज भारत को जितनी जल्दी आजाद करते उतना ही अच्छा यदि तेरी की गई तो यह उन्हीं के लिए खराब बात होगी यह सिंह गर्जना करने वाले व्यक्ति थे लोह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल
वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के पेटलाद तालुके के कर्मचारी गांव में हुआ था उनके पिता का नाम जाबिर भाई पटेल और माता का नाम लदबाई था जबर भाई की शान थे
सरदार पटेल के बचपन की एक घटना है उनकी आंख के पास एक फोड़ा निकल आया बहुत दवा दी गई पर ठीक ना हुआ किसी व्यक्ति ने सलाह दी की लोहे की सलाह खूब गर्म करके फोड़ में दशा दी जाए तो फोड़ा फूट जाएगा साला एक सालख गम की गई किंतु किसी मैं यह साहस न होता था कि ग्राम सलाह को फोड में दर्शन है यह था कि कहीं आंख में ना लगे इस पर बालक बालम ने कहा देखे क्या हो चालक ठंडी हो रही है और फिर स्वयं ही उसे लेकर फोड़ में दशा लिया बालक के इस साहस को देखकर उपस्थित लोगों ने कहा कि है बालक आगे चलकर बहुत ही साहसी होगा 22 वर्ष की उम्र में नारीवाद स्कूल से मैट्रिक परीक्षा पास की फिर मुख्य थारी परीक्षा पास करके गोधरा में मुक्तरी करने लगे
कुछ समय बाद बल्लम भाई वकालत पढ़ने के लिए प्रदेश चले गए जहां वह रहते थे वहां से पुस्तकालय 11 मील दूर थी वह नृत्य प्रति सवेरे उठकर उसे पुस्तकालय में जाते और शाम को पुस्तकालय के बंद होने पर ही वहां से उठने अपने इसी अध्ययन के फल स्वरुप है उसे साल वकालत की परीक्षा में सर्वप्रथम रहे इस पर इन्हें 50 बोर्ड का पुरस्कार भी मिला
विदेश से लौटकर वह अहमदाबाद में वकालत करने लगे और थोड़ी ही समय में अत्यंत प्रसिद्ध हो गए इसी समय वह गांधीजी के संपर्क में आए उन्होंने वकालत छोड़ दी और पूरी तरह तन मन से धन से देश की सेवा में जुट गए
सर्वप्रथम वल्लभभाई पटेल ने गोधरा में हुई भारतीय राजनीति सम्मेलन में गुजरात की बेकार प्रथा को समाप्त करने के लिए एक प्रस्ताव पास कराया इस सम्मेलन में पहली बार भारतीय भाषाओं का सत्याग्रह का नृत्य विज्ञान इस सत्याग्रह के कारण अंग्रेज सरकार को समझौते के लिए झुकना पड़ा इस सत्याग्रह के बाद उनका नाम सारे भारत में फैल गया
सन 1927 में बारडोली का प्रसिद्ध सत्याग्रह शुरू किया किसानों पर सरकार ने लग्न की दर बढ़ा दी किसान वल्लभभाई पटेल के पास गए इस तरह उनके नित्य में आंदोलन प्रारंभ हो गया उन्होंने गांव वालों को इस तरह संगठित किया कि लगन मिलना तो दूर गांव में अंग्रेज अफसर को भोजन लिया है और सवारी तक मिलना मुश्किल हो गया
अंग्रेज सरकार ने इसके विरोध में बहुत अत्याचार किए गरीब किसानों के घरों के तले फौजी के जरिए तुड़वाकर सम्मान शब्द करके मालगुजारी वसूल करने की कोशिश की गई पर सरकारी खजाने में एक कोढ़ी भी जमाना हुई हजारों लोग जेल गए उसकी गाय भैंस तक जप्त कर ली गई पर इन्होंने सर न झुकाया यहां तक कि जब तक किए गए सामान को उठाने वाला कोई मजदूर नहीं मिलता था और ना जप्त की गई जायदाद की नीलामी में बोली लगाने वाला कोई आदमी महीना तक यही हाल रहा अंत मे सरकार को झुकना पड़ा
सन 1929 में लाहौर में पूर्ण स्वराज की मांग की गई अंग्रेज सरकार ने इसे नहीं माना गांधीजी ने फिर से सत्याग्रह का नारा दिया और 12 मार्च को प्रसिद्ध दाढ़ी यात्रा शुरू कर दी इसके बाद 6 अप्रैल को नमक कानून तोड़कर उन्होंने नमक सत्याग्रह आरंभ किया सरदार पटेल ने इस सत्याग्रह में भाग लिया वह गिरफ्तार कर लिए गए और उनको तीन माह की कैद और ₹500 जुर्माना की सजा दी गई सरदार पटेल ने जुर्माना स्वीकार न कर उसके स्थान पर तीन सप्ताह और जेल में ही काटे
सन 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध प्रारंभ हो गया अंग्रेज सरकार ने अपनी ओर से भारत के इस युद्ध में शामिल होने की घोषणा कर दी इसका स्वतंत्र विरोध हुआ सरदार पटेल 17 नवंबर 1940 को व्यक्तिगत सत्याग्रह के दौरान गिरफ्तार हुए पर स्वास्थ्य खराब होने के कारण 9 महीने बाद रिहा कर दिए गए भारत छोड़ो आंदोलन के सिलसिले में अगस्त 1942 में वह फिर गिरफ्तार किए गए अन्य सभी नेताओं के साथ 15 जून 1945 को वह भी छोड़े गए
15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ सरदार पटेल ने गृहमंत्री का कार्य भार संभाला स्वतंत्रता के बाद देश के सामने कई समस्या आई सरदार पटेल ने अपनी सूझबूझ से इन सभी पर काबू पा लिया
जिस कार्य के लिए सरदार पटेल को सदैव याद किया जाएगा वह था देसी रियासतों का एकीकरण जब अंग्रेज भारत छोड़कर जाने लगे तो देशी रियासतों को यह आजादी दे गई कि वह चाहे तो आजाद रह सकते हैं चाहे तो भारत या पाकिस्तान में मिल जाए सरदार पटेल ने इस वक्त समस्या को अपनी दानदाता और सूझबूझ से हल कर दिखाया और लगभग 600 रियासतों को भारतीय संघ का ऑटो टांग बनाकर भारत के मानचित्र को नवीन स्वरूप प्रदान किया संपूर्ण भारत में एकता स्थापित हो गई इसलिए उन्हें भारत का लोह पुरुष कहा जाता है
सरदार पटेल स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात केवल ढाई वर्ष जीवित रहे वह अंतिम समय तक कठिन परिश्रम करते रहे 15 दिसंबर 1950 को दिल के दौरे से मुंबई में उनका निधन हो गया भारत निर्माण में सरदार वल्लभ भाई के अभिशमीरानिए योगदान के कारण वर्ष 1991 में भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया
सरदार पटेल की सफलता का मूल मंत्र था कर्तव्य पालन और कठोर अनुसार अपने 75वें जन्मदिवस पर उन्होंने राष्ट्र को संदेश दिया था उत्पादन बढ़ाओ खर्च घटाओ और अपने बिल्कुल ना करो
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केचुआ और खरगोश में गहरी मित्रता थी दोनों साथ-साथ रहते और खेलते थे एक खरगोश ने कछुए से कहा मित्र क्यों ना एक दिन हमारी तुम्हारी दौड़ हो जाए मैं तैयार हूं कछुआ बोला दोनों ने अपने साथियों को बुलाकर दौड़ का रास्ता और गंतव्य स्थल तय किया फिर एक निश्चित दिन पर दौड़ की घोषणा हुई
दौड़ के दिन की घोषणा होने पर खरगोश एकदम निश्चित था उसे पूरा विश्वास था कि कछुआ उसे तोड़ जीत ही नहीं पाएगा उधर केछुए ने अपनी तैयारियां तेज कर दी वह दौड़ जीतने को लेकर योजना बनाने में जुड़ गया
तोड़ के लिए निश्चित दिन पर कछुआ और खरगोश निर्धारित स्थान पर दौड़ के लिए उपस्थित हुए गिलहरी ने सीटी बजाकर दौड़ प्रारंभ की कछुआ धीरे-धीरे चला जबकि खरगोश तेजी से तोड़ता हुआ बहुत आगे निकल गया एक पेड़ के पास पहुंचकर खरगोश ने सोचा कि कछुआ तो अभी बहुत पीछे होगा क्यों ना में थोड़ी देर पेड़ की छाया में आराम कर लो उसे विश्वास था कि कुछ देर बाद वह तेज रफ्तार में तोड़कर अपने गंतव्य स्थान तक कछुए से पहले ही पहुंच जाएगा खरगोश पेड़ की छाया में बैठ गया मंद मंद पवन बह रही थी पेड़ पर चिड़िया कहचहा रही थी ऐसे सुहाने वातावरण में खरगोश को नींद आ गई उधर कछुआ अपनी मंद गति से लगातार गणतर की ओर चला रहा
गंदा स्थान पर पहुंचकर कछु नहीं इधर-उधर देखा उसे खरगोश कहानी दिखाई ना दिया उधर खरगोश की नींद खुली तो उसने गार्डन घूमर दूर तक देखा उसे कछुआ कहीं नहीं अरे अभी कछुआ यहां तक पहुंचा ही नहीं खरगोश ने सोचा और जनता की और तेजी से दौड़ चला गंडक स्थल पर पहुंच कर देखता है कि कछुआ वहां पहले से ही मौजूद है और उसे तमाम जानवर मलाई पहन रहे हैं
इस पाठ से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी किसी को कमजोर नहीं समझना चाहिए
Read Full Blog...महान संत स्वामी रामतीर्थ एक बार जापान गए में रेल में यात्रा कर रहे थे एक दिन ऐसा हुआ कि उन्हें खाने को फल ना मिले उन दिनों फल ही उनका भोजन था गाड़ी एक स्टेशन पर तेरी उन्होंने स्टेशन पर फलों की खोज की किंतु का ना सके उनके मुंह से अचानक निकल जापान में शायद फल नहीं मिलते
एक जापानी युक्त प्लेटफार्म पर खड़ा था उसने यह शब्द सुन लिया सुनते ही वह भाग और कहीं से एक फल की टोकरी उन्हें लाकर दी उसने में फल स्वामी रामदेव को भेंट किया और कहा लीजिए आपको फलों की जरूरत थी
स्वामी जी ने समझाया है कोई फल बेचने वाला है उन्होंने उसे फूलों के दाम पूछे पर उसने दम लेने से इनकार कर दिया बहुत एग्री करने पर उसने कहा आप इनका मूल्य देने ही चाहते हैं तो अपने देश में जाकर किसी से यह ना रहेगा कि जापान में फल नहीं मिलते स्वामी जी युवक का यह उत्तर सुनकर मुकंद हो गई उसे युवक ने अपने इस कार्य से अपने देश का गौरव ना जाने कितना बढ़ा दिया
इस गौरव की ऊंचाई का अनुमान दूसरी घटना सुनकर ही पूरी तरह लगाया जा सकता है किसी देश का एक युवक जापान में शिक्षा लेने आया एक दिन वह सरकारी पुस्तकालय से कोई पुस्तक पढ़ने के लिए लाया इस पुस्तक में कुछ दुर्बल चित्र थे इन चित्रों को अन युवक ने पुस्तक में से निकाल लिया और पुस्तक का वापस कर दी किसी जापानी विद्यार्थी ने उसे देख लिया और पुस्तकालय परपरी को इसकी सूचना दे दी पुलिस ने तलासिक लेकर चित्र उसे विद्यार्थी के कमरे से बरामद किए और उसे विद्यार्थी को जापान से निकाल दिया अपराधी को दंड मिलना ही चाहिए पर मामला यहीं नहीं रुका और उसे पुस्तकालय के बाहर बोर्ड पर लिख दिया गया की पुस्तकालय में इस विद्यार्थी का प्रवेश तो वर्जित है ही उसके देश के निवासियों का भी प्रवेश वर्जित है
जहां एक युवक ने अपने काम से अपने देश का सिर ऊंचा किया था वही दूसरे युवक ने अपने काम से अपने देश के मस्तक पर कलंक का ऐसा टीका लगाया जो न जाने कितने वर्षों तक संसार की आंखों में उसे लांछित करता है
जब हम कोई हैं या बुरा काम करते हैं तो हमारे माथे पर ही कलाम का टीका नहीं लगता बल्कि देश काफी सिग्नेचर होता है और उनकी प्रतिष्ठा गिरती है जब हम कोई श्रेष्ठ कार्य करते हैं तो उसे हमारा ही सर नहीं ऊंचा होता बल्कि देश का भी सिर ऊंचा होता है और उसका गौरव बढ़ता है इसलिए हमें कोई ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जिससे देश की प्रतिष्ठा पर आच आए
क्या आप जल्दी रेलवे में मुसाफिरखाना में कल वह में चप्पलों पर और मोटर वर्षों में कभी ऐसी चर्चा करते हैं कि हमारे देश में यह नहीं हो रहा है वह नहीं हो रहा है और यह गड़बड़ है यह परेशानी है साथ ही क्या आप अपने देश की तुलना किसी अन्य देश के साथ करते हैं कि कौन सा देश श्रेष्ठ है और कौन सा देश ही है यदि हां तब आपको चिंता होगी कि देश की प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए हमें क्या करना चाहिए
क्या आप कभी केला खाकर छिलका रास्ते में फेंकते हैं?अपने घर का कूड़ा बाहर फेंकते हैं?अब शब्दों का प्रयोग करते हैं? इधर की उधर उधर की इधर लगते हैं? अपने घर दफ्तर गली को गंदा रखते हैं?होटल धर्मशाला में या दूसरे ऐसे ही स्थान में जिलों में कानून में पिक होते हैं? उत्सव मेला रेलवे और खेलों में फिल्म खेल करते हैं? नियंत्रित होने पर विलंब से पूछते हैं? या वचन देकर भी घर आने वाले को समय पर नहीं मिलते और इसी तरह सिस्ट व्यवहार के विपरीत आचरण करते हैं?
यदि आपका उत्तर हां है तो आपके द्वारा देश के सम्मान को भयंकर आघात लगा रहा है और राष्ट्रीय संस्कृत को गहरी चोट पहुंच रही है यदि आपका उत्तर नहीं है तो आपके द्वारा देश का सम्मान बढ़ेगा और संस्कृति भी सुरक्षित रहेगी
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कुछ लोग उसे सनकी कहते हैं और कुछ जुनून नहीं तो कुछ और मगर रम्य को इससे फर्क नहीं पड़ता वह अपनी साइकिल पर डेरो पौधे लिए रोज सुबह घर से निकल पड़ता है गीत गाता है और सबसे पेड़ लगाने को कहता है रम्य अपने सपने की धुन में मगन है उसका सपना है हरी भरी धरती का जंगल बचाने का पेड़ लगाने का रम्य जानता है कि इस सपने को कैसे पूरा करना है किसी की शादी हो तो उपहार में पौधा देता है जन्मदिन हो तो पौधा भेंट करता है जहां जो भी मिल जाए तो उसे एक पौधा थमा देता है
कई लोगों को उसे पर शक हुआ कि कौन है यह आदमी? कुछ दिन पहले तक तो गुजरे के लिए दूध बेचता था और उसे दूध के साथ-साथ पौधे भी लिए घूमता है कुछ लोगों की शिकायत पर वन विभाग के अधिकारियों ने उसे बुलवाया अधिकारी कुछ पूछ पाते उससे पहले ही रम्य ने एक पौधा उनकी और बढ़ाया और बोला जी पहले यह नीम का पौधा दीजिए दांतों के लिए इसकी दातुन बहुत ही लाभदायक होती है इसके पत्ते जलाने से मच्छर दूर भाग जाते हैं यह है पौधा अपने घर के पास में लगाइएगा अधिकारी ने और कुछ पूछने की जरूरत नहीं समझी
रम्य का यह जुनून कैसे शुरू हुआ इसके पीछे भी एक कहानी है वैसे तो उसे बचपन से पेड़ पौधे पसंद थे मगर अपने मास्टर जी की एक बात उसे हमेशा याद रही मास्टर जी कहते थे पेड़ हमें ताजी हवा फल फूल छाया और बहुत कुछ देते हैं जबकि बदले में बहुत थोड़ी सी देखभाल मांगते हैं इंसान होता तो इतना सब देने की बड़ी कीमत मांगता लांबिया ने कागज का नोट बनाकर उसे पर पेड़ों की तस्वीर लगाई और उसके नीचे लिखा पेड़ की कीमत पैसों से बढ़कर है
एक बार राम्या की बेटी को तेज सिर दर्द हुआ दवा लेने पर कुछ दिन तो ठीक रही लेकिन फिर यह दर्द रोग होने लगा रम्य ने कारण खोज तो पता चला की बेटी के स्कूल में बाहर बैठकर पढ़ाई होती है वहां पेड़ नहीं है ज जिसके कारण उसकी बेटी ही नहीं बल्कि कई बच्चों के साथ ऐसा हो रहा था रम्य ने सोचा कि क्यों ना वहां पर इतने पौधे लगा दिए जाए कि बच्चे छांव में बैठकर पड़े यही विचार रम्य के जुनून का कारण बन गया रम्य अपने हाथों से अब तक सैकड़ो पौधे लगा चुका है स्कूल दफ्तर मस्जिद मंदिर जहां भी जाता है पेड़ के गुण बताता है नए-नए तरीके से लोगों को पेड़ लगाने के लिए मानता है उसने बेटी बेटा की शादी के कार्ड पर पेड़ों के महत्व का संदेश लिखा नारा लगाया-" धरती का अब करो श्रृंगार पेड़ लगाओ सब दो चार
रम्य के इस जुनून में धीरे-धीरे बहुत लोग शामिल हो रहे हैं वह कहते हैं मैं कहते हैं ₹10 मिल जाए तो धरती पर चाहे जंगल भर जाए खुशहाली आ जाए
एक बार एक जंगल में आग लग गई सभी जानवर आग बुझाने में जुट गए जिसके हाथ में जो भी पत्र आया वह उसमें पानी भरकर आग में डालने लगा सभी को आग बुझाने में झूठा देख एक नई गोरिया भी अपनी च** में पानी भर भर कर आग में डालने लगी
एक कौवा दूर सुरक्षित दल पर बैठा तमाशा देख रहा था वह गोरिया के पास आकर बोला नन्ही गुड़िया क्यों बेकार में मेहनत कर रही हो? तुम्हारी नानी चूचू का बूंद भर पानी इस भयंकर आग को बुझाने में क्या सहायता कर?
गोरिया बोली यह तो मैं भी जानती हूं परंतु यदि कभी इस आज के बारे में बातें होगी तो मेरा नाम आग लगाने वालों अथवा तमाशा देखने वालों में नहीं बल्कि आग बुझाने वालों में लिया जाएगा
इस पाठ से हमें यह सीख मिलती है कि जब कोई भी परिस्थिति हो तो हमें मिलकर काम करना चाहिए ना कि तमाशा देखना चाहिए
Read Full Blog...संस्कृत भाषा के आदि कवि और रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में प्रमाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है उपनिषद के विवरण के अनुसार महर्षि कश्यप और अदिति के नवम पुत्र वरुण से इनका जन्म हुआ था एक बार ध्यान में बैठे इनके शरीर को दीमकों ने भाभी बनाकर ढक लिया तपस्या पूरी करके जब में दीमक की भाभी से बाहर निकले तो लोग इन्हें वाल्मीकि कहने लगे दीमक की भाभी को भी बोल में रहते हैं इनके शरीर को दीमकों ने भाभी बनाकर ढक लिया तपस्या पूरी करके जब में दीमक की भाभी से बाहर निकले तो लोग इन्हें वाल्मीकि कहने लगे दीमक की भाभी को भी बोल में रहते हैं तमसा नदी
तमसा नदी के तट पर महर्षि वाल्मीकि का आश्रम था एक दिन इसी नदी के तट पर उनके सामने रियाद ने क्रोध पक्षी के जोड़े में से एक को मार डाला जब दयाल महर्षि वाल्मीकि के मुख से इस कोरोना दृश्य को देखकर एक चांद निकला यह संस्कृत भाषा में प्रथम अनुष्टुप छंद का शोक था भगवान श्री राम की कथा के आधार पर महर्षि वाल्मीकि ने रामायण महाकाव्य की रचना की थी सीता जी ने अपने वनवास का अंतिम समय महर्षि के आश्रम में व्यतीत किया था महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में ही लव और कुश का जन्म हुआ था लव कुश की शिक्षा दीक्षा महर्षि वाल्मीकि की देखरेख में ही हुई थी अष्विन मास की शरद पूर्णिमा को महर्षि वाल्मीकि का जन्म दिवस मनाया जाता है एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार वाल्मीकि के महर्षि बनने से पहले उनका नाम रत्नाकर था नाराज मनी से पेट होने के बाद उनके जीवन की दशा बदल गई
महर्षि वाल्मीकि ने प्रथम महाकाव्य रामायण की रचना करके प्राणियों को सद्भावना के पथ पर चलने को प्रेरित किया
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हम किसी वस्तु की स्थिति को एक निर्देश बिंदु निर्धारित कर व्यक्त करते हैं लिए हम इसे एक उदाहरण के द्वारा समझ मन किसी गांव में एक स्कूल रेलवे स्टेशन से 2 किलो मीटर उत्तर दिशा में है हमने स्कूल की स्थिति को रेलवे स्टेशन के सापेक्ष निर्धारित किया इस उदाहरण में रेलवे स्टेशन निर्देश बिंदु है हम दूसरे निर्देश बिंदुओं का भी अपने सुविधा अनुसार चयन कर सकते हैं इसलिए किसी वस्तु की स्थिति को बताने के लिए हमें एक निर्देश बिंदु की आवश्यकता होती है जिसे मूल बिंदु कहा जाता है
गति का सबसे साधारण प्रकार सरल रेखा गाती है हमें सबसे पहले एक उदाहरण के द्वारा इस व्यक्त करना सीखना होगा मन कोई वस्तु सरल रेखीय पत्र पर गतिमान वस्तु अपने गति बिंदुओं से प्रारंभ करती है जिसे निर्देश बिंदु माना जा सकता है मन की विभिन्न चरणों में ए बी और सी वस्तु की स्थितियों को प्रदर्शित करते हैं पहले यह सी और पी से गुजरती है तथा ए पर पहुंचती है इसके पश्चात यह इस पद पर लौटी है और भी से गुजरते हुए सी तक पहुंचती है वास्तु के द्वारा तय की गई कुल दूरी ए प्लस एक है अर्थात 60 किलोमीटर प्लस 35 किलोमीटर बराबर 95 किलोमीटर यह वस्तु के द्वारा तय की गई दूरी है किसी वस्तु की दूरी को निर्धारित करने के लिए हमें केवल उनके मन की आवश्यकता होती है
मन की एक वस्तु एक सीधी रेखा पर चल रही है मन पहले एक सेकंड में यह 50 मी दूसरी सेकंड में 50 मीटर 30 सेकंड में 50 मीटर तथा छोटी सेकंड में 50 मीटर दूरी तय करती है इसकी स्थिति में वास्तु पड़ती है तो सेकंड में 50 मिनट की दूरी तय करती है क्योंकि वस्तु सामान संभाल लेता दाल में समान दूरी तय तो उसकी गति को एक समान गति कहते हैं इस तरह की गति में समय यात्रा छोटा होना चाहिए हम दैनिक जीवन में कई बार देखते हैं की वस्तु के द्वारा समांतर में आसमान दूरी तय की जाती है उदाहरण के लिए भीड़ वाली सड़क पर जा रही कार्य पार्क में दौड़ रहा एक व्यक्ति यह आसमान करती है कुछ उदाहरण है
किसी वस्तु की गति की दर और भी अधिक व्यापक हो सकती है अगर हम उसकी चाल के साथ दिशा को भी व्यक्त करें वह राशि जो इन दोनों पक्षों को व्यक्त करती है उसे वह कहा जाता है
समय के साथ किसी वस्तु की स्थिति परिवर्तन को एक सुविधाजनक पैमाना अपना कर दूरी तय ग्राफ द्वारा व्यक्त किया जा सकता है इस ग्राफ में समय को एक और दूरी को उपाय पर प्रदर्शित किया जाता है दूरी समय ग्राफ को विभिन्न अवस्था में प्रदर्शित किया जा सकता है जैसे वस्तु एक समान चाहिए असमंचल से चल रही है फिर हम व्यवस्था में है हत्या आदि
एक सरल रेखा में चल रही वास्तु के वेग में समय के साथ परिवर्तन को वेग समय ग्राफ द्वारा दर्शाया जा सकता है
कोई वस्तु सीधी रेखा में एक समान त्वरण से चलती है तो एक निश्चित समय ताल में समीकरणों के द्वारा उसके वह गति के दौरान तोरण में उसके द्वारा तय की गई दूरी में संबंध स्थापित करना संभव है जिन्हें गति के समीकरण के नाम से जाना जाता है सुविधा के लिए इस प्रकार के तीन समीकरण का एक
जब वास्तु के वेग में परिवर्तन होता है तब हम कहते हैं कि वह वस्तु त्वरित हो रही है वेज में यह परिवर्तन देखकर परिणाम या गति की दशा या दोनों के कारण हो सकता है क्या आप एक उदाहरण के बारे में सोच सकते हैं जिसमें एक वस्तु अपने वेज के परिणाम को नहीं बदलती परंतु अपनी गति की दिशा में
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विभाज्यतक
पौधों में वृद्धि कुछ निश्चित क्षेत्र में ही होती है ऐसा विभाजित उत्तक के उन भागों में पाए जाने के कारण होता है ऐसे उत्तक को विभाज्य तक भी कहा जाता है
विभुजों तक द्वारा बनी कोशिका का क्या होता है यह एक विविष्ट कार्य करती है और विभाजित होने की शक्ति को खो देती है जिसके फल स्वरुप में स्थाई ऊतक का निर्माण करती है
एडिट मिर्च के नीचे कोशिकाओं की कुछ पढ़ने होती है जिसे सरल स्थाई ऊतक कहते हैं पेरेंचायमा सबसे अधिक पाए जाने वाला सरल स्थाई ऊतक है यह है पतली कोशिका भित्ति वाले सरल कोशिका का बना होता है यह जीवन कोशिका है यह कार्य बंधन मुक्त होती है तथा इस प्रकार के ऊतक की कोशिका के माध्यम काफी रिक्त स्थान पाया जाता है
कुछ पेरेंचायमा ऊतकों में क्लोरोफिल पाया जाता है जिसके कारण प्रकाश संश्लेषण की क्रिया संपन्न होती है
यह कितने प्रकार का उत्तक स्क्रीन करना होता है यह ऊतक पौधों को कठोर एवं मजबूत बनाता है हमने नारियल के रेशों युक्त छिलके को देखा है यह है स्क्रीन कम उत्तक से बना होता है इस ऊतक की कोशिका व्रत होती है यह लंबी और पतली होती है क्योंकि इस ऊतक की भित्ति लेने के कारण मोटी होती है यह भित्ती पर यह इतनी मोटी होती है की कोशिका के भीतर कोई आंतरिक स्थान नहीं होता
पौधों में ललिता पान का गुण एक अन्य स्थाई ऊतक कॉलेनकाइम के कारण होता है यह पौधे के विभिन्न भागों पट्टी तनाव में बिना टूटे हुए लचीलापन लाता है यह पौधों को यांत्रिक सहायता भी प्रदान करता है
जब तक हम एक ही प्रकार की कोशिका से बने हुए भिन्न-भिन्न प्रकार के ऊतकों पर विचार कर चुके हैं जो की एक ही तरह के दिखाई देते हैं ऐसे उत्तकों को साधारण स्थाई उत्तर कहते हैं
जब हम सांस लेते हैं तब हम अपनी छाती की गति को महसूस कर सकते हैं शरीर के लिए अंग कैसे गति करते हैं इसके लिए हमारे पास कुछ विशेष कोशिका होती है जिन्हें हम पैसे कोशिका कहते हैं
जंतु के शरीर को ढकने आरा रक्षा प्रदान करने वाले ऊतक अटरिया मुक्तक है आपके लिए शरीर के अंदर स्थित बहुत से अंगों और ग्रह का को ढूंढते हैं यह विभिन्न प्रकार के शारीरिक टैटो को एक दूसरे से अलग करने के लिए अवरोध का निर्माण करते हैंको ढकने आरा रक्षा प्रदान करने वाले ऊतक अटरिया मुक्तक है आपके लिए शरीर के अंदर स्थित बहुत से अंगों और ग्रह का को ढूंढते हैं यह विभिन्न प्रकार के शारीरिक टैटो को एक दूसरे से अलग करने के लिए अवरोध का निर्माण करते हैं त्वचा मुंह आहार नली रक्त वाहिनी नाली का अस्तर फेफड़ों की कोशिका व्रत की नली आई सभ्यता से बने होते हैं
रक्त एक प्रकार का संयोजक है इसे संयोजी ऊतक क्यों कहते हैं इस अध्याय की भूमिका में इस संबंध में एक संकेत दिया रहता है लिए अब हम इस तरह के ऊतक के बारे में विस्तृत जान ले संयोजी ऊतक की कोशिकाओं आपस में काम जुड़ी होती है और अंतर कोशिकाएं आधारित में दशी होती है यह आंतरिक जाली की तरल तरल संघा लिया कठोर हो सकती है रात्रि की प्रकृति विशिष्ट संयोजकता के कार्य के अनुसार बदलती रहती है
पेशीय तक लंबी कोशिका का बना होता है जिसे पेशी जैसा भी कहा जाता है यह हमारे शरीर में गति के लिए उत्तरदाई है पेशियां के एक विशेष प्रकार की प्रोटीन होती है जिसे करने वाले प्रोटीन कहते हैं जिसके संकुचन है प्रकाश के कारण गति होती है
सभी कोशिकाओं में उत्सर्जन के अनुकूलन प्रतिक्रिया करने की क्षमता होती है या तापी तांत्रिक उत्तक की कोशिका बहुत सिल्क उत्तेजित होती है और इस उत्तेजना को बहुत ही सिर्फ पूरे शरीर में एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचती है मस्जिद तक मौजूद तथा तांत्रिकाएं और तांत्रिक का उत्तकों की बनी होती है
Read Full Blog...कारक की पतली कार्ड में अवलोकन पर रोबोट होने पाया कि इनमें उनके छोटे-छोटे पर कोर्ट है जिनकी संरचना मधुमक्खी के चट्टे जैसी प्रतीत होती है कर्क एक पदार्थ है जो वृक्ष की छाल से प्राप्त होता है सब 1665 में हुक ने इसे स्वर्णिमृत सूक्ष्मदर्शी से देखा था रोबोट हो कि नहीं इन प्रकोष्ठों को कोशिका कहा सेल कोशिका लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है छोटा कैमरा उपरोक्त घटना छोटी तथा अर्थ ही लगती हो लेकिन विज्ञान के इतिहास में यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटना है इसी प्रकार सबसे पिछले हक ने देखा कि सजीवों में अलग-अलग एक होते हैं इन एक को का वर्णन करने के लिए जीव विज्ञान में कोशिका शब्द का उपयोग आज तक किया जाता है
हमने देखा की कोशिका में जीने को से कम कहते हैं कोशिका कैसे संगठित होती है यदि हम कोशिका का अध्ययन सूक्ष्मदर्शी से करें तो हमें लगभग प्रत्येक कोशिकाओं में तीन गुण दिखाई देते हैं प्लाज्मा झिल्ली केंद्र तथा कोशिका द्रव्य कोशिका के अंदर होने वाले सांसद क्रियाकलाप तथा उनके गृह पर पर्यावरण से पारस्परिक क्रियाएं इन्हीं गुना के कारण आओ देखें कैसे?
यह कोशिका की सबसे भारी परत है जो कोशिका के घटकों को बाहरी पर्यावरण से अलग करती है प्लाज्मा झिल्ली कुछ पदार्थ को अंदर अथवा बाहर आने जाने देती है यह अन्य पदार्थों की गति को भी रुकते हैं कोशिका झिल्ली को इसलिए वर्णनात्मक पार्क में जल्दी कहते हैं कोशिका में पदार्थ की गति कैसे होती है पदार्थ कोशिका से बाहर कैसे
पादप कोशिकाओं में प्लाज्मा झिल्ली के अतिरिक्त कोशिका भित्ति भी होती है पादप कोशिका भित्ति मुख्यतः सैलूलोज की बनी होती है सैलरी रोज एक बहुत जटिल पदार्थ है और यह पौधों को संरचनात्मक दंडता प्रदान करता है जब किसी पादप कोशिका में प्रसारण द्वारा पानी की हानि होती है तो कोशिका झिल्ली रहित आंतरिक पदार्थ संकुचित हो जाते हैं इस घटना को जीव धर्म क्वेश्चन कहते हैं
आपको याद होगा कि हमने प्याज की जल्दी की स्थाई स्लाइड बनाई थी हमने इस जिले पर आयोडीन की बूंद डाली थी क्यों यदि हम बिना आयोडीन के स्लाइड रूप में विद्वान रहते हैं क्रोमेटं पदार्थ धागे की तरह की संरचना के एक लाल का पिंड होता है जब कभी भी कोशिका विभाजित होने वाली होती है तब यह हैदेखा तो हम क्या देखेंगे पर्यटन करो और देखो की क्या अंतर है जब हमने आयोडीन का गोल डाला तो क्या प्रत्येक कोशिका समान रूप से रंगीन हो गई कोशिका के विभिन्न भाग रासायनिक संगठन के आधार पर विभिन्न रंगों से रंगे जाते हैं कुछ क्षेत्र अधिक गहरे रंग से प्रतीत होते हैं तथा कुछ काम रूप में विद्वान रहते हैं क्रोमेटं पदार्थ धागे की तरह की संरचना के एक लाल का पिंड होता है जब कभी भी कोशिका विभाजित होने वाली होती है तब यह है
प्रत्येक कोशिका के चारों ओर अपनी चिल्ली होती है जिससे कि उसमें स्थित पदार्थ ब्रह्म पर्यावरण से लग रहे बड़ी तथा जटिल कोशिकाओं जिसमें बहु कोशिका और जीवन की कोशिकाएं भी शामिल है को भी ऊपर चली क्रियो की बहुत आवश्यकता होती है जिससे कि मैं जटिल संरचना तथा कार्य को सहारा दे सके इन विभिन्न प्रकार की उपाय चाहिए क्रियो को अलग-अलग रखने के लिए कोशिकाएं झिल्ली युक्तऊपर चली क्रियो की बहुत आवश्यकता होती है जिससे कि मैं जटिल संरचना तथा कार्य को सहारा दे सके इन विभिन्न प्रकार की उपाय चाहिए क्रियो को अलग-अलग रखने के लिए कोशिकाएं झिल्ली युक्त छोटी-छोटी संरचना अंग का प्रयोग करती है यह यूकैरियोटिक कोशिकाओं का एक ऐसा गुण है जो उन्हें प्रोकैरियोटिक कोशिका से अलग करता है इसमें से कुछ अंगद केवल इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी से ही देखा जा सकता है हमने पिछले अनुभव में केंद्र के विषय में पढ़ा है अंतर्देवीय झाले का गला जी उपकरण लाइसोसोम माइटोकांड्रिया तथा प्लेलिस्ट कोशिका अंगों से महत्वपूर्ण उदाहरण है जिन पर हम विचार करेंगे यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कोशिका के बहुत निर्णायक कार्य करते हैं
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अध्याय 3 में हम पढ़ चुके हैं कि पदार्थ परमाणु और नो से मिलकर बने हैं विभिन्न प्रकार के पदार्थ का स्थित है उन परमाणुओं के कारण होता है जिसे वह बने हैं अब प्रश्न उठता है कि किसी एक तत्व का परमाणु दूसरे तत्व के परमाणु से भिन्न क्यों नहीं है और क्या परमाणु वास्तव में अभी पहुंचे होते हैं जैसे कि डाल्टन के प्रतिपादित किया था या परमाणु के भीतर छोटे-छोटे अन्य घटक विविधवान होते हैं इस अध्याय में हम इस प्रश्न का उत्तर मिलेगा हम अब परमाणु को और परमाणु के विभिन्न प्रकार के मॉडलों के बारे में पड़ेंगे जिसे यह पता चलता है कि यह कारण परमाणु के भीतर किस प्रकार व्यवस्थित होते हैं
19वीं शताब्दी के अंत में वैज्ञानिक को के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती थी वैज्ञानिक की संरचना और उनके गानों के बारे में पता लगाना परमाणु की संरचना को अनेक प्रयोगों के आधार पर समझाया गया है
परमाणु के भी अभी पहुंचे ना होने के संकेत में से एक संकेत स्थिर विद्युत तथा विभिन्न पदार्थों द्वारा विद्युत चलाने की परिस्थितियों के अध्ययन से मिला
पदार्थ में आवश्यक कानों की प्रकृति को जानने के लिए लिए हम निम्न प्रकार क्रियाकलाप करें
1. सूखे बालों पर कंगी कीजिए क्या कंगी कागज के छोटे-छोटे टुकड़ों को आकर्षित करती है
2. कांच की एक झाड़ को सिल्क के कपड़े पर रगडि़ए और इस छड़ को हवा से भरे गुब्बारे के पास लाइए क्या होता है ध्यान
इन क्रियाकलापों से क्या हम यह निर्देश निकाल सकते हैं कि दो वस्तुओं को आपस में रगड़ने से उनमें विद्युत आवेश आ जाता है यह आवेश कहां से आता है इसका उत्तर तब मिला जब यह पता चला कि परमाणु विभाज्य है और आवश्यक कानों से बना है परमाणु में उपस्थित अवशेषित कानों का पता लगाने में कई वैज्ञानिकों ने योगदान
19वीं शताब्दी तक यह जान लिया गया कि परमाणु साधारण और अभी पहुंचे कल नहीं है बल्कि इसमें कम से कम एक परमाणु कारण इलेक्ट्रॉन विद्वान होते हैं जिसका पता जे थॉमसन ने लगाया था इलेक्शन के संबंध में जानकारी प्राप्त होने के पहले ही गोल्डस्टीन ने 1886 में एक नए वितरण की खोज की जिसे उन्होंने कैनल का नाम दिया यह किरणें धनावेशित विकिरण थी जिसके द्वारा आता है तो दूसरे और परमाणु के कानों की खोज हुई इन कणों का आवेश इलेक्ट्रॉन के आवेश के बराबर किंतु विपरीत था इनका द्रव्यमान इलेक्ट्रॉनों की अपेक्षा लगभग 2000 गुना अधिक होता है उनको प्रोटॉन नाम दिया गया सामान्यतः इलेक्ट्रॉन को आई के द्वारा और प्रोटीन को पी प्लस के द्वारा दर्शाया गया है प्रोटोन का द्रव्यमान एक इकाई और इसका आवेश 1 प्लस लिया जाता है इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान नगरी और आवेश 1 - माना जाता है ऐसा माना गया है कि परमाणु प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन से बने हैं जो प्रश्न आवेश को संतुलित करते हैं यह भी प्रतीत हुआ कि प्रोटॉन परमाणु के सबसे भीतरी भाग में होते हैं इलेक्ट्रॉन को आसानी से निकाला जा सकता है लेकिन प्रोटॉन को नहीं अब सबसे बड़ा परसों यह है था कि यह कारण परमाणु की संरचना किस प्रकार करते हैं हमें इस प्रश्न का उत्तर नीचे मिलेगा
हमने अध्याय 3 में डाल्टन के परमाणु सिद्धांत के बारे में पढ़ा इसके अनुसार परमाणु अभी पहुंचे और अविनाशी था लेकिन परमाणु के भीतर दो मूल कणों इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन की खोज में डाल्टन के परमाणु सिद्धांत की इस धारणा को गलत साबित कर दिया अब यह जानना आवश्यक था कि इलेक्ट्रॉन और प्रोटोन परमाणु के भीतर किस तरह व्यवस्थित है इसको समझने के लिए बहुत से वैज्ञानिकों ने भिन्न प्रकार के मॉडलों को प्रस्तुत किया अजय जी थॉमसन पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने की खोज में डाल्टन के परमाणु सिद्धांत की इस धारणा को गलत साबित कर दिया अब यह जानना आवश्यक था कि इलेक्ट्रॉन और प्रोटोन परमाणु के भीतर किस तरह व्यवस्थित है इसको समझने के लिए बहुत से वैज्ञानिकों ने भिन्न प्रकार के मॉडलों को प्रस्तुत किया अजय जी थॉमसन पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने परमाणु की संरचना से संबंधित पहला मॉडल प्रस्तुत किया
डांसर ने परमाणु की संरचना से संबंधित एक मॉडल प्रस्तुत किया जो क्रिसमस के की तरह था इसके अनुसार परमाणु एक धन आवेशित गोल था जिससे इलेक्ट्रॉन क्रिसमस डांसर ने परमाणु की संरचना से संबंधित एक मॉडल प्रस्तुत किया जो क्रिसमस के की तरह था इसके अनुसार परमाणु एक धन आवेशित गोल था जिससे इलेक्ट्रॉन क्रिसमस केक में लगे सुख में हो की तरह थे तरबूज का उदाहरण भी ले सकते हैं जिसके अनुसार परमाणु में धन आवेश मैं तरबूज के खाने वाले लाल बाग की तरह दिख रहा है जबकि इलेक्ट्रॉन धन आवेशित गले में तरबूज के बीच की भांति दूसरे है
अर्नेस्ट रदरफोर्ड यह जानने के इच्छुक थे की इलेक्ट्रॉन परमाणु के भीतर कैसे व्यवस्थित है इन्होंने एक प्रयोग किया इस प्रयोग में तेज गति से चल रहे अल्फा कणों को सोने की पाली पर टकराया गया
इन्होंने सोने की बनी इसलिए चुन्नी क्योंकि मैं बहुत पतली परत चाहते थे सोने की यह पानी हजार परमाणु के बराबर मोटी थी अल्फा कण दुआ में सिद्ध हीलियम कान होते हैं अतः यह धन आवेशित होते हैं क्योंकि इनका द्रव्यमान का यू होता है इसलिए तीव्र गति से चल रहे इन अल्फा कणों में पर्याप्त ऊर्जा होती है यह अनुमान था कि अल्फा कंस होने के परमाणु में भी भगवान और परमाणु के कानों के द्वारा विक्षेपित होंगे जो की अल्फा कण प्रोटीन से बहुत भारी थे इसलिए उन्होंने उनके अधिक विक्षेपण
वर्तुलाकर मार्ग में चक्रण करते हुए इलेक्ट्रॉन का स्थाई हो पाना संभावित नहीं है कोई भी आवश्यक कारण गोलाकार कक्षा में त्वरित होगा त्वरण के दौरान आवेशित कणों से ऊर्जा का वितरण होगा इस प्रकार स्थाई कक्षा में घूमता हुआ इलेक्ट्रॉन अपनी उर्जा विकसित करेगा और नाभिक से टकरा जाएगा अगर ऐसा होता तो परमाणु स्थिर होता जबकि हम जानते हैं कि परमाणु स्थाई है
रदरफोर्ड के मॉडल पर उठी आपत्तियों को दूर करने के लिए नील बारे में परमाणु की संरचना के बारे में निम्नलिखित अवधारणाएं प्रस्तुत की
इलेक्ट्रॉन केवल कुछ निश्चित कक्षाओं में ही चक्कर लगा सकते हैं जिन्हें इलेक्ट्रॉन की विवेक कक्षा कहते हैं जब इलेक्ट्रॉन इस विवेक कक्षा में चक्कर लगाते हैं तो उनकी ऊर्जा का वितरण नहीं होता
1932 में जय चैडविक ने एक और अब परमाणु 1932 में जय चैडविक ने एक और अब परमाणु कल को खोज निकाला जो अन्वेषित और धर्म मन में प्रोटीन के बराबर था आता है इसका नाम न्यूट्रॉन पड़ा हाइड्रोजन को छोड़कर यह सभी परमाणुओं के नाभिक में होते हैं सामान्यत न्यूट्रॉन को न से दर्शाया जाता है परमाणु का द्रव्यमान नाभिक में उपस्थित प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के द्रव्यमान के योग के द्वारा प्रकट किया जाता है
परमाणु की विभिन्न कक्षाओं में इलेक्ट्रॉनों के विवरण के लिए बड़े बोर और भारी में कुछ नियम प्रस्तुत किया जिसे भर परी स्क्रीन के नाम से जाना जाता है
हम पढ़ चुके हैं कि परमाणुओं की विभिन्न कक्षाओं या क्वेश्चन में इलेक्ट्रॉन किस प्रकार व्यवस्थित होते हैं किसी परमाणु की सबसे बाहरी कक्ष में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संयोजकता इलेक्ट्रॉन कहा जाता है
परमाणु संख्या
हम जानते हैं कि परमाणु के नाभिक में प्रोटीन विद्वान होते हैं एक परमाणु में उपस्थित प्रोटॉन की संख्या उनकी परमाणु संख्या को बताती है इसे जड़ के द्वारा दर्शाया जाता है किसी तत्व के सभी अंगों की परमाणु संख्या जड़ समान होती है वास्तव में तत्वों को उनके परमाणु में विद्वान प्रोटेनों की संख्या से परिभाषित किया जाता है हाइड्रोजन के लिए स बराबर 1 क्योंकि हाइड्रोजन परमाणु के नाभिक में केवल एक प्रोटोन होता है इसी प्रकार कार्बन के लिए स बराबर 6 इस प्रकार एक परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉन की कुल संख्या को परमाणु संख्या कहते हैं
द्रव्यमान संख्या
एक परमाणु के और परमाणु के कानों के अध्ययन के बाद हम इस निर्देश पर पहुंच सकते हैं कि व्यावहारिक रूप में परमाणु का द्रव्यमान उसमें विद्वान प्रोटॉन और न्यूटन के विद्वानों के कारण होता है यह परमाणु के नाभिक में विद्वान होते हैं इसलिए न्यू कल्याण भी कहते हैं परमाणु का लगभग संपूर्ण द्रव्यमान उसके नाभिक में होता है उदाहरण के लिए कार्बन का द्रव्यमान 12 यू है क्योंकि उसमें 6 प्रोटॉन और 6 न्यूट्रॉन होते हैं 6 यू + 6u 12 इस प्रकार अल्युमिनियम का द्रव्यमान 27 यू है 13 प्रोटॉन प्लस 14 न्यूट्रॉन एक परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉन और न्यूट्रॉन की कुल संख्या के योग को द्रव्यमान संख्या कहा जाता है
प्रकृति में कुछ तत्वों के परमाणुओं की पहचान की गई है जिसकी परमाणु संख्या समान लेकिन द्रव्यमान संख्या अलग होती है उदाहरण के लिए हाइड्रोजन परमाणु को ले इनके तीन परमाण्विक स्पीशीज होते हैंइनके तीन परमाण्विक स्पीशीज होते हैं इसके तीन प्रमाणिक एक्सप्रेस होते हैं सोडियम डॉयटरियम टाइटेनियम प्रत्येक की परमाणु संख्या समान है लेकिन द्रव्यमान संख्या क्रमश एक दो और तीन है इस तरह के अन्य उदाहरण है कार्बन और क्लोरीन
दो तत्वों कैल्शियम परमाणु संख्या 20 और अंग परमाणु संख्या 18 के बारे में विचार कीजिए परमाणु में प्रोटॉन की संख्या भिन्न में दोनों तत्वों की रोमन संख्या 40 है यानी तत्वों के इस जोड़े के अंगों के रोमन संख्या 40 है यानी तत्वों के इस जोड़े के अंगों के समान है अलग-अलग परमाणु संख्या वाले तत्वों को जिनकी द्रव्यमान संख्या समान होती है संभारिक कहा जाता है
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