Blog by Vanshika | Digital Diary
" To Present local Business identity in front of global market"
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देख कर बांध विविध, बहुत विघ्न घबराते नहीं
वह भरोसे भाग्य के दुख भोग पछताते नहीं
काम कितना ही कठिन हो किंतु उकता ते नहीं
भीड़ में चंचल बने जो वीर दिखलाते नहीं
हो गए एक आज में उनके बुरे दिन भी भले
सब जगह सब कल में वही मिले फूले फूले
आज करना है जिसे करते उसे है आज ही
सोचते रहते हैं जो कुछ,कर दिखाते हैं वही
मानते जो भी है 'सुनते हैं' सदा सब की कही
जो मदद करते हैं अपनी इस जगत में आप ही
भूल कर वे दूसरों का मुंह कभी ताकते नहीं
कौन ऐसा काम है वे कर जिसे सकते नहीं
जो कभी अपने समय को तो बिताते हैं नहीं
काम करने की जगह बातें बनाते हैं नहीं
हां आजकल करते हुए जो दिन गवाते हैं नहीं
यत्न करने से कभी जो जी चुराते हैं नहीं
बात है वह कौन जो होती नहीं उसके लिए
वे नमूना बन जाते हैं औरों के लिए
व्योम को छूते हुए दुर्गम पहाड़ों के शिखर
वे घने जंगल जहां रहता है तुम ऑटो पहाड़
गरजते जल राशि की उड़ती हुई ऊंची लहर
आज की भय दाहिनी फैली दिशा में लवर
यह कपास शक्ति कभी जिसके कलेजे को नहीं
भूल कर भी वह नहीं नाकाम रहता है कहीं
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विद्वानों का यह कथन बहुत ठीक है कि नर्मदा की स्वतंत्रता की थोड़ी बहुत मानसिक स्वतंत्रता परम आवश्यक है उसे स्वतंत्रता में अभिमान हो नर्मदा दोनों का मेल हो चाहे वह नर्मदा ही से उत्पन्न हो यह बात तो निश्चित है कि जो मनुष्य मर्यादा पूर्वक जीवन व्यतीत करना चाहता है उसके लिए वह अच्छा अनिवार्य है जिससे आत्मनिर्भरता आती है और जिस अपने पैरों के बल खड़ा होना आता है युवा कोई है सदा इस मां रखना चाहिए कि उसकी आकांक्षाएं उसकी योग्यता से कई बड़ी हुई है उसे इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह अपने बड़ों का सम्मान करें छोटू और बराबर वालों से कोमलता का व्यवहार करें यह बातें आत्मा मर्यादा के लिए आवश्यक है यह सारा संसार हमारे घर की ओर बाहर की दशा हमारे बहुत से अवगुण और थोड़े गुण इसी बात की आवश्यकता प्रकट करते हैं कि हमें अपनी आत्मा को नर्म रखना चाहिए नर्मदा से मेरा अभिप्राय है दुकान से नहीं है जिसके कारण मनुष्य दूसरों का मुंह ताकता है जिससे उसका संकल्प चीन हा और उसकी प्रज्ञा मंद हो जाती है जिसके कारण आगे बढ़ाने के समय भी वह पीछे रहता है और अवसर पढ़ने पर चटपट किसी बात करने में नहीं कर सकता मनुष्य का बेड़ा अपने ही हाथ में है उसे वह चाहे जिधर लगे सच्ची आत्मा वही है जो प्रत्येक दशा में प्रत्येक स्थिति के बीच अपनी रहा आप निकलती है
अब तुम्हें क्या करना चाहिए इसका ठीक-ठाक उत्तर तुम ही को देना होगा दूसरा कोई नहीं दे सकता कैसे भी विश्वास पात्र मित्र हो तुम्हारे इस काम को वह अपने ऊपर नहीं ले सकता हम अनुभवी लोगों की बातों को आधार के साथ सुन बुद्धिमानों की सलाह को व्रत कथा पूर्वक मन पर इस बात को निश्चित समझकर कि हमारे कामों से ही हमारी रक्षा वह हमारा पतन होगा हमें अपने विचार और निर्णय की स्वतंत्रता को दंडीठ पूर्वक बनाए रखना चाहिए जिस पुरुष की दृष्टि सदा नीति रहती है उसका सर कभी ऊपर नहीं होगा नीचे दृष्टि रहने से यद्यपि रास्ते पर रहेंगे पर इस बात को न देखेंगे कि यह रास्ता कहां ले जाता है चिंता की स्वतंत्रता ता का मतलब चेष्टा की कठोरता या प्रकृति की उग्रता नहीं है अपने व्यवहार में कोमल रहो और अपने देश को इस प्रकार नम और ऊंचा से दोनों बानो अपने मन को कभी मरा हुआ ना रखो जितना ही हो जो मनुष्य अपना लक्ष्य ऊपर रखता है उतना ही उसका तीर ऊपर जाता है
संसार मैं ऐसे ऐसे डैंडचित मनुष्य हो गए हैं जिन्होंने मरते दम तक सत्य की टेक नहीं छोड़ी अपनी आत्मा के विरुद्ध कोई काम नहीं किया राजा हरिश्चंद्र के ऊपर इतनी इतनी विपत्तियां आई पर उन्होंने अपना सत्य नहीं छोड़ा उसकी प्रतिज्ञा यही यही रही
महाराणा प्रताप जंगल जंगल मारे मारे फिरते थे अपनी स्त्री और बच्चों को भूख से तड़पते देखते थे परंतु उन्होंने उन लोगों की बात ना माने जिन्होंने उन्हें अधीन पूर्वक जीते रहने की संपत्ति दी क्योंकि वह जानते थे कि जानते थे कि अपनी मर्यादा की चिंता जितनी अपने को हो सकती है उतनी दूसरे को नहीं एक बार एक रोमन राजनीतिक के साथ में पड़ गया बाल भाइयों ने उसे व्यय पूर्वक पूछा अब तेरा किला कहां है उसने हृदय पर हाथ रखकर उत्तर दिया यह ज्ञान के जिज्ञासुओं के लिए यही बड़ा भारी गढ़ है मैं निश्चय पूर्वक कहता हूं कि जो युवा पुरुष सब बातों में दूसरों का सहारा चाहते हैं जो सदा एक न एक नया आगा ढूंढा करते हैं और उनके अनुयाई बन करते हैं वह आत्म संस्कार के कार्य में उन्नति नहीं कर सकते उन्हें स्वयं विचार करना अपनी समिति आप स्टार करना दूसरों की उचित बातों का मूल्य समझते हुए भी उनके अंधभक्त ना होना सीखना चाहिए एक इतिहासकार कहता है प्रत्येक मनुष्य का भाग्य उसके हाथ में है प्रत्येक मनुष्य अपना जीवन निर्वाह श्रेष्ठ रीति से कर सकता है यही मैंने किया है और यदि अवसर मिले तो यही करो इसे चाहे स्वतंत्रता कहो चाहे आत्मनिर्भरता कहो चाहे स्वाबल्लंबन कहो जो कुछ कहे यह है वही भाव है जिससे मनुष्य और दास में भेद जाना पड़ता है यही वही भाव है जिसकी प्रेरणा से राम लक्ष्मण ने घर से निकाल बड़े-बड़े पराक्रमी वीरों पर विजय प्राप्त की यह वही भाव है जिसकी प्रेरणा से हनुमान ने अकेले सीता की खोज की यह वही भाव है जिसकी प्रेरणा से कोलंबस ने अमेरिका सामान बड़ा महाद्वीप ढूंढ निकाला
किसी चित्र वृत्ति की दानदाता के सहारे नरेंद्र लोग दरिद्रता और अनपढ़ लोग अज्ञात से निकलकर उन्नत हुए हैं तथा उद्योगी और अंधविश्वासी लोगों ने अपनी समृद्धि का मार्ग निकला है इसी चिंतित वृत्ति से आलंबन से पुरुष सिंह को यह कहने की क्षमता हुई है मैं रहा ढूंढ लूंगा या रहा निकलेगा यही चिन्ह वृत्ति थी जिसकी उत्तेजना से शिवाजी ने थोड़े वीर मराठी सिपाहियों को लेकर औरंगजेब की बड़ी भारी सी पर छाप मारा और उसे तीतर भीतर कर दिया यही चित्र वृत्ति थी जिसके सहारे एकलव्य बिना किसी गुरु या संगीत साथी के जंगल के बीच निशाने पर तीर पर तीर चलता रहा और अंत में एक बड़ा ढूंढ धार हुआ यही चित्र वृति है जो मनुष्य को सामान्य जनों से उच्च बनती है जिसके जीवन को सार्थक और उद्देश्य पूर्ण करती है तथा उसे उत्तम संस्कारों को ग्रहण करने योग्य बनाती है जिस मनुष्य की बुद्धि और चतुराई उसके हृदय के आश्रम पर स्थित रहती है वह जीवन और कर्म क्षेत्र में स्वयं भी श्रेष्ठ और उत्तम रहता है और दूसरों को भी श्रेष्ठ और उत्तम बनता है प्रसिद्ध उपन्यासकार स्टॉक एक भाषण के बोझ से बिल्कुल दब गए मित्रों ने उनकी सहायता करनी चाहिए पर उन्होंने यह बात स्वीकार नहीं की और स्वयं अपनी प्रतिभा का सहारा लेकर अनेक उपन्यास थोड़े समय के बीच लिखकर लाखों रुपए का कर अपने सिर पर से उतार दिया
Read Full Blog...(इस कविता के माध्यम से कवि ने पर्यावरण संरक्षण की प्रेरणा दी गई है)
बहुत दिनों से सोच रहा था,थोड़ी सी धरती पाव
उसे धरती में बाग बगीचा,जो हो सके लगाओ
खिले फूल फल,चिड़िया बोले प्यारी खुशबू डॉल
ताजी हवा जलाशय में अपना हर अंग भिगोले
हो सकता है पास तुम्हारे, अपने कुछ धरती हो
फूल फल लगे अपने अपवाहन हो, अपनी पारती हो
हो सकता है छोटी सी प्यारी हो,महक रही हो
छोटी सी खेती हो,जो फसलों से दहक रही हो
हो सकता है कई शांत जो पे घूम रहे हो
हो सकता है कहीं शहर में पक्षी झूम रहे हो
तो विनती है यही,कभी मत उसे दुनिया को खोना
पेड़ों को मत कटने देना मत चिड़ियों को रोने देना
एक एक पत ती पर हम हम सब के सपने सोते हैं
सके काटने पर वह भोले शिशु सर होते हैं
पेड़ों के संग बढ़ना सीखो,पेड़ों के संग हिलाना
पेड़ों के संग संग इतराना, पेड़ों के संग हिला ना
बच्चे और पेड़ दुनिया को हरा भरा रखते हैं
नहीं समझते जो,मैं दुष्कर्मों का फल चक दे है
आज सभ्यता वैसीबन,पेड़ों को काट रही है
जहर फेफड़ों में भर, जहर फेफड़ों में भर इंसानों को बांट रही है
( इस कविता से हमें ऐसी मिलती है कि हमें पेड़ को नहीं काटना चाहिए और ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाना चाहिए पेड़ों से ही हमें फल फूल सब्जियां और सांस लेने में सहायता मिलते हैं )
Read Full Blog...Reproduction is an important character of organisms it is a natural process each organisms products young ones to maintain its Axis tance this process is called reproduction
There are two methods of reproduction in animals
1.Asexual reproduction :-
In previous class you have studied about asexual reproduction in plant now we will study asexual reproduction in animals in animals reproduction without reproductive organs is called Asexual reproduction
male and female reproductive organs are necessary of sexual reproduction mail and female reproative organs and found separately in most of the animals like fish roka goat womens etc this animal are know as unisexual orrganisms.
On the other hand the organisms in which both the male and female reproduction organs are present in the same in individual are called
bisexual orrganisms
The male reproductive organ products male games and female reproative organ products fail gametes fertilization is a process by which male and female gametes are first together to from zagote which develops into a new individual by growth and development
Read Full Blog...OmoYou might have ever seen how house are made it is built up of bricks the wall is built by adding a lot of bricks and rooms is made of walk and house is made up of rooms just like that are body is made
Iffect the body is composed of various organ system such as the district system respiratory system skeleton system etc these organ system consist of organs like stomach small intestine lungs heart etc organs again consist of small structures which are called tissues tissues are made up of the smallest structures cells
There are different types of organisms in the world which appear different from each other but one thing is common in all organisms that the body is made up of many Microsopic unit which are called cell we can better understand by comparing the bricks with cell group of bricks with tissues wall with organs rooms with organ system and house is compared with wool body
Cell is the structural and functional unitof the body dear number difference in organisms such as amoeba Paramecium euglena etc are made up of only one cell they are called unicellular organisms.
Earthworm, elephant human monkey banyan etc consist Maine Sel called multicellular organisms whatever the number of cell activities like nutrition excretion growth respiration and reproduction occursin all organisms.
cell is the fundamental structural and functional unit of living organisms.
a Microsoft is required to study the structure of the cell the cell was first studied buy a scientist rubber hook in 1665. He say the cell by Microsoft which he made himself
generally a cell have three part sell membrane nucleus and cytoplaam many smell structure are also seen in the cytoplame they are called cellular organelles the cell of plant and animal are different in structure the cell of plant and animal have some similar organelles handsome dissimilar organ lens a plant and Animal cell
you know that all plants and animals are made up of cell unicellular organisms example Amoeba paramesium all biological function respiration decision expression etc occur in the single cell Multicellar organisms have in numberable cell in these organs special function is per formed by a group of cell for example in a group of muscular cell constant and expand never cell convey the message and conduction of water takes place in plant thought xylem what will you call such group of cell cell which are able to perform same function within the body are in a group A group of cells which are of similar organ and structure which perform a space fick function called tissues
you know that increase in height of animal is up to a curtain age but in plant growth is life long and new benches aregrowth is life long and new benches are are formed thus it is clear that some plant tissues divided lifelong these tissues are limited to some part of plants on the basis of division compart City plant tissues and divided into meristematic tissue and permanent tissue.
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हम प्रतिदिन विभिन्न स्रोतों जैसे मानव पक्षियों घाटियों मशीनों बहनों टेलीविजन रेडियो आदि की ध्वनि सुनते हैं ध्वनि ऊर्जा का एक रूप है जो हमारे कानों में स्वर्ण का संवेदन उत्पन्न करती है ऊर्जा के अन्य रूप ही है जैसे आंतरिक ऊर्जा प्रकाश ऊर्जा आई पिछले अध्याय में आप यांत्रिक ऊर्जा का अध्ययन कर चुके हैं आपको ऊर्जा संरक्षण के बारे में ज्ञात है इसके अनुसार आप ऊर्जा को ना तो उत्पन्न कर सकते हैं और ना ही उसका विनाश कर सकते हैं आप इसे केवल एक से दूसरे रूप में रूपांतरित कर सकते हैं जब आप ताली बजाते हैं तो ध्वनि उत्पन्न होती है क्या आप अपनी ऊर्जा का उपयोग किए बिना ध्वनि उत्पन्न कर सकते हैं ध्वनि उत्पन्न करने के लिए अपने ऊर्जा के किस रूप का उपयोग किया इस अध्याय में हम सीखेंगे की ध्वनि कैसे उत्पन्न होती है और किसी माध्यम में यह किस प्रकार संचालित होकर हमारे कानों द्वारा ग्रहण की जाती है
हम जानते हैं कि ध्वनि कंपन करते हुए वस्तुओं द्वारा उत्पन्न होती है धर्म या पदार्थ जिससे होकर ध्वनि संचालित होती है मध्य कहलाती है मध्य के कारण स्वयं आगे नहीं बढ़ते लेकिन विश्व आगे बढ़ जाता है
कंपन का अर्थ होता है किसी वस्तु का तेजी से बार-बार इधर-उधर गति करना
किसी ध्वनि तरंग के निम्नलिखित अभिलक्षण होते हैं
आवृत्ति, आयाम, वेग
ध्वनि तरंग को ग्राफ रूप में दिखाया गया है जो प्रदर्शित करता है कि जब ध्वनि तरंग किसी माध्यम में गति करती है तो घंटा तथा दाब में कैसे परिवर्तन होता है किसी निश्चित समय पर माध्यम का गणतंत्र तथा दोनों ही उनके स्रोत मन से ऊपर और नीचे दूरी के साथ परिवर्तन होते हैं प्रदर्शित करते हैं कि जब ध्वनि तरंग माध्यम में संचालित होती है तो घनत्व तथा दाब में क्या उतार-चढाव होते हैं
किसी ठोसिया तरफ से टकराकर धन्य इस प्रकार वापस लौटी है जैसे कोई रबड़ की गेंद किसी दीवार से टकराकर वापस आती है प्रकाश की भांति ध्वनि भी किसी ठोस या धर्म की सतह से परिवर्तित होती है तथा परावर्तन के उन्हें नियमों का पालन करती है जिनका अध्ययन आप अपनी पिछली कक्षाओं में कर चुके हैं परावर्तक सतह पर खींचे गए फिल्म तथा ध्वनि के अवतल होने की दशा तथा परिवर्तन होने की दिशा के बीच बने कौन आपस में बराबर होते हैं और यह तीनों दर्शन एक ही ताल में होते हैं ध्वनि तरंगों के परिवर्तनों के लिए बड़े आकर के अवरोधों की आवश्यकता होती है जो चाहे पॉलिश किए हुए हो या खुरदरे
किसी बड़े हॉल में उत्पन्न होने वाले ध्वनि दीवारों से बराबर परिवर्तन के कारण काफी समय तक बने रहती है जब तक की यह इतनी कम ना हो जाए कि यह सुनाई ना पड़े यहां बराबर परिवर्तन जिसके कारण ध्वनि निर्भर होता है अनुरण कहलाता है
प्राधनीय उच्च आकृति की तरंगे है प्राधनीय उच्च आकृति की तरंगे है प्रावधानिया अवरोधों की उपस्थिति में भी एक निश्चित पद पर गण कर सकती है आंखों को तथा चिकित्सा के क्षेत्र में प्रावधानियां का विस्तृत रूप में प्रयोग किया जाता है
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पिछले कुछ अध्याय में हम वस्तुओं की गति के वर्णन करने के तरीके गति का कारण तथा गुरुत्वाकर्षण के बारे में चर्चा कर चुके हैं कार्य एक अन्य अवधारणा है जो हमें अनेक प्राकृतिक घटनाओं को समझने तथा उनकी व्याख्या करने में सहायता करती ऊर्जा तथा शक्ति का कार्य से निकट संबंध है इस अध्याय में हम इन अवधारणाओं के बारे में अध्ययन करेंगे
कार्य क्या है हम अपने दैनिक जीवन में जिस रूप में कार्य शब्द का प्रयोग करते हैं और जिस रूप में हम इसे विज्ञान में उपयोग करते हैं उनमें अंतर है इस बात को स्पष्ट करने के लिए लिए कुछ उदाहरण पर विचार करें
कमलीहम कार्य को वैज्ञानिक परिभाषा के अनुसार देखे तो इस कठोर काम में बहुत थोड़ा कार्य सम्मिलित है परीक्षा की तैयारी कर रही है वह अध्ययन में बहुत सा समय व्यतीत करती है वह पुस्तक पढ़ती है चित्र बनाती है अपने विचारों को सुबह व्यवस्थित करती है प्रश्न पत्रों के एकत्रित करती है कक्षाओं में व्यवस्थित रहती है अपने मित्रों के साथ समस्याओं पर विचार विमर्श करती है तथा प्रयोग करती है इन क्रियाकलापों पर वह बहुत सी ऊर्जा व्यय करती है सामान्य बोलचाल में वह कठोर कम कर रही है यदि हम कार्य को वैज्ञानिक परिभाषा के अनुसार देखे तो इस कठोर काम में बहुत थोड़ा कार्य सम्मिलित है
कार्य की वैज्ञानिक संकलन
विज्ञान की विज्ञान की दृष्टिकोण से हम कार्य को किस प्रकार देखे और परिभाषित करते हैं यह समझने के लिए यह कुछ परिस्थितियों पर विचार करें किसी सतह पर रख एक गुटके को धकेल गुटखा कुछ दूरी तय करता है आपने गुटके पर कुछ बोल लगाया जिससे गुटका विस्थापित हो गया उसे स्थिति में कार्य हुआ एक लकड़ी किसी टोली को खींचती है और ट्राली कुछ देर तक चलती है लकड़ी इतनी ट्रॉली यह विस्थापित हुई इसलिए कार्य किया गया
विज्ञान में कार्य को कैसे परिभाषित किया जाता है इसे समझने के लिए पहले हम उसे स्थिति पर विचार करते हैं जब बाल विस्थापन की दशा में लग रहा हो मान लीजिए किसी वस्तु पर एक नियत बल एफ कार्य करता है मान लीजिए की वस्तु बाल की दिशा में एस दूरी विस्थापित हुई मान लीजिए व किया गया कार्य है कार्य की परिभाषा के अनुसार किया गया कार्य बल तथा विस्थापन के गुणनफल के बराबर है
किया गया कार्य = बाल × विस्थापन
सौभाग्य से जी संसार में हम रहते हैं उसमें ऊर्जा अनेक रूपों में विद्वान है विभिन्न रूपों में स्थित ऊर्जा गतिज ऊर्जा उसमें ऊर्जा रासायनिक ऊर्जा विद्युत ऊर्जा तथा प्रकाश ऊर्जा सम्मिलित है
क्या हम सब एक ही दूर से कार्य करते हैं क्या मशीन ऊर्जा का उपयोग तथा रूपांतरण समांतर से करती है अभिकर्ता अर्जेंट जो ऊर्जा रूपांतरण समांतर से करती है अभिकर्ता अर्जेंट जो ऊर्जा रूपांतरण करते हैं विभिन्न दरों से कार्य करते हैं
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पिछले कुछ अध्याय में हम वस्तुओं की गति के वर्णन करने के तरीके गति का कारण तथा गुरुत्वाकर्षण के बारे में चर्चा कर चुके हैं कार्य एक अन्य अवधारणा है जो हमें अनेक प्राकृतिक घटनाओं को समझने तथा उनकी व्याख्या करने में सहायता करती ऊर्जा तथा शक्ति का कार्य से निकट संबंध है इस अध्याय में हम इन अवधारणाओं के बारे में अध्ययन करेंगे
कार्य क्या है हम अपने दैनिक जीवन में जिस रूप में कार्य शब्द का प्रयोग करते हैं और जिस रूप में हम इसे विज्ञान में उपयोग करते हैं उनमें अंतर है इस बात को स्पष्ट करने के लिए लिए कुछ उदाहरण पर विचार करें
कमलीहम कार्य को वैज्ञानिक परिभाषा के अनुसार देखे तो इस कठोर काम में बहुत थोड़ा कार्य सम्मिलित है परीक्षा की तैयारी कर रही है वह अध्ययन में बहुत सा समय व्यतीत करती है वह पुस्तक पढ़ती है चित्र बनाती है अपने विचारों को सुबह व्यवस्थित करती है प्रश्न पत्रों के एकत्रित करती है कक्षाओं में व्यवस्थित रहती है अपने मित्रों के साथ समस्याओं पर विचार विमर्श करती है तथा प्रयोग करती है इन क्रियाकलापों पर वह बहुत सी ऊर्जा व्यय करती है सामान्य बोलचाल में वह कठोर कम कर रही है यदि हम कार्य को वैज्ञानिक परिभाषा के अनुसार देखे तो इस कठोर काम में बहुत थोड़ा कार्य सम्मिलित है
कार्य की वैज्ञानिक संकलन
विज्ञान की विज्ञान की दृष्टिकोण से हम कार्य को किस प्रकार देखे और परिभाषित करते हैं यह समझने के लिए यह कुछ परिस्थितियों पर विचार करें किसी सतह पर रख एक गुटके को धकेल गुटखा कुछ दूरी तय करता है आपने गुटके पर कुछ बोल लगाया जिससे गुटका विस्थापित हो गया उसे स्थिति में कार्य हुआ एक लकड़ी किसी टोली को खींचती है और ट्राली कुछ देर तक चलती है लकड़ी इतनी ट्रॉली यह विस्थापित हुई इसलिए कार्य किया गया
विज्ञान में कार्य को कैसे परिभाषित किया जाता है इसे समझने के लिए पहले हम उसे स्थिति पर विचार करते हैं जब बाल विस्थापन की दशा में लग रहा हो मान लीजिए किसी वस्तु पर एक नियत बल एफ कार्य करता है मान लीजिए की वस्तु बाल की दिशा में एस दूरी विस्थापित हुई मान लीजिए व किया गया कार्य है कार्य की परिभाषा के अनुसार किया गया कार्य बल तथा विस्थापन के गुणनफल के बराबर है
किया गया कार्य = बाल × विस्थापन
सौभाग्य से जी संसार में हम रहते हैं उसमें ऊर्जा अनेक रूपों में विद्वान है विभिन्न रूपों में स्थित ऊर्जा गतिज ऊर्जा उसमें ऊर्जा रासायनिक ऊर्जा विद्युत ऊर्जा तथा प्रकाश ऊर्जा सम्मिलित है
क्या हम सब एक ही दूर से कार्य करते हैं क्या मशीन ऊर्जा का उपयोग तथा रूपांतरण समांतर से करती है अभिकर्ता अर्जेंट जो ऊर्जा रूपांतरण समांतर से करती है अभिकर्ता अर्जेंट जो ऊर्जा रूपांतरण करते हैं विभिन्न दरों से कार्य करते हैं
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अध्याय 7 तथा 8 में हमने वस्तु की गति के बारे में तथा बाल को गति के कारक के रूप में अध्ययन किया है हमने सीखा है कि किसी वस्तु की चाल या गति की दिशा बदलने के लिए बाल की आवश्यकता होती है हम सदैव देखते हैं कि जब किसी वस्तु को ऊंचाई से गिराया जाता है तो वह पृथ्वी की ओर ही गिरती है हम जानते हैं कि सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है इन सभी अवस्थाओं में वस्तुओं पर ग्रहों पर तथा चंद्रमा पर लगने वाला कोई पालम आवश्यक होना चाहिए आइजक न्यूटन इस तथ्य को समझ गए थे कि इन सभी के लिए एक ही बोल उत्तरदाई है इस बाल को गुरुत्वाकर्षण बल कहते हैं
हम जानते हैं कि चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाता है किसी वस्तु को जब ऊपर की ओर फेंकते हैं तो वह कुछ ऊंचाई तक ऊपर पहुंचती है और फिर नीचे की और गिरने लगती है कहते हैं कि जब न्यूटन एक पेड़ के नीचे बैठे थे तो एक सब उन पर गिरा सब के गिरने की क्रिया में न्यूटन को सोने के लिए प्रेरित किया उन्होंने सोचा कि यदि पृथ्वी सब को अपनी ओर आकर्षित कर सकती है तो क्या यह चंद्रमा को आकर्षित नहीं कर सकती क्या दोनों स्थितियों में वही बोल लग रहा है उन्होंने अनुमान लगाया कि दोनों अवस्था में एक ही प्रकार का उत्तरदाई है उन्होंने तर्क दिया कि अपनी कक्षा के प्रत्येक बिंदु पर चंद्रमा किसी सरल रेखीय पथ पर गति नहीं करता वरुण पृथ्वी की ओर गति रहता है अतः वह आवश्यक ही पृथ्वी द्वारा आकर्षित होता है लेकिन हम वास्तव में चंद्रमा को पृथ्वी की ओर गिरते हुए नहीं देखते
विश्व का प्रत्येक बिन प्रत्येक करने पिंड को एक बाल से आकर्षित करता है जो दोनों पिंडों के द्रव्यमनों के गुणनफल के समानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्यक्त कर्मानुपाती होता है यह बल्ब दोनों विंडो को मिलने वाली रेखा की दिशा में लगता है
गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम अनेक ऐसी परिघटनाओं की सफलतापूर्वक व्याख्या करता है जो ए संबंध मानी जाती है
1.हमें पृथ्वी से बांधे रखने वाला बाल
2. पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की गति
3. सूर्य के चारों ओर ग्रह की गति तथा
4.चंद्रमा तथा सूर्य के कारण ज्वार भाटा
मुक्त पतन का अर्थ जानने के लिए लिए क्रियाकलाप करें
1. एक पत्थर लीजिए इस ऊपर की ओर फेक है यह एक मैसेज ऊंचाई तक पहुंचता है और तब नीचे गिरने लगता है
हम जानते हैं कि पृथ्वी वस्तु को अपनी ओर आकर्षित करती है पृथ्वी के आकर्षण बल को गुरुत्वीय बल कहते हैं
यह समझने के लिए की क्या सभी वास्तविक खोकली यह ठोस पड़ी या छोटी किसी ऊंचाई से समान दर से गिरेगी
हमने पिछले अध्याय में पढ़ा है कि किसी वस्तु का द्रव्यमान उसके जड़त्व की माप होता है अनुभाग हमने यह भी सीखा है कि जितना अधिक वस्तु का द्रव्यमान होगा उतना ही अधिक उसका जड़त्व भी होगा किसी वस्तु का द्रव्यमान उतना ही रहता है चाहे वस्तु पृथ्वी पर हो चंद्रमा पर हो या फिर बाद अंतरिक्ष में हो इस प्रकार वस्तु का द्रव्यमान स्थिर रहता है तथा एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं बदलता
हम जानते हैं कि पृथ्वी प्रत्येक वस्तु को एक निश्चित बाल से आकर्षित करती है और यह बोल वास्तु के द्रव्यमान एम तथा पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के कारण त्वरण जी पर निर्भर है किसी वस्तु का भार वह बोल है जिसमें यह पृथ्वी की ओर आकर्षित होती है
हमने सीखा है कि पृथ्वी पर किसी वस्तु का भरवा है बाल है जिससे पृथ्वी उसे वस्तु को अपनी ओर आकर्षित करती है इसी प्रकार चंद्रमा पर किसी वस्तु का भार बाल वह है जिसे चंद्रमा उसे वस्तु को आकर्षित करता है चंद्रमा का द्रव्यमान पृथ्वी की अपेक्षा कम है इस कारण चंद्रमा वस्तु पर काम आकर्षण बल लगता है मान लीजिए किसी वस्तु का द्रव्यमान एम है तथा चंद्रमा पर बाहर व है मान लीजिए चंद्रमा का द्रव्यमान एम ए तथा इसकी त्रिज्या आर एम एम गुरुत्वीय प्रश्न का सर्वाधिक नियम लगाने पर चंद्रमा पर वस्तु का भरा होगा
क्या कभी आपने सोचा है कि ऊंट रेगिस्तान में आसानी से क्यों दौड़ पाते हैं सेवा का टैंक जिसका पर 1000 तन से भी अधिक होता है एक स्वस्थ चैन पर क्या टिका होता है किसी ट्रक या बस के टायर अधिक जोड़े क्यों होते हैं काटने वाले औजारों की दाल तेज क्यों होती है इन प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए तथा इनमें शामिल परी घटनाओं को समझने के लिए दी गई वस्तु पर एक विशेष दिशा में लगने वाले नेट पर परी घटनाओं को समझने के लिए दी गई वस्तु पर एक विशेष दिशा में लगने वाले बंदर की धारणा से परिचय कराना सहायक होगा प्रणोद तथा दाब का अर्थ समझने के
सभी दरिया गैस तरल है तो सपने भर के कारण किसी सतह पर दाग लगता है इसी प्रकार तारों में भी भरा होता है तथा में जिस बर्तन में रखे जाते हैं उसके आधार तथा दीवारों पर दाग लगते हैं किसी परिरोध द्रव्यमान के तरल पर लगाने वाला दाब सभी दिशाओं में बिना घंटे संचालित हो जाता है
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