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" To Present local Business identity in front of global market"
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नेफ्रॉन मानव गुर्दे की सबसे छोटी लेकिन सबसे महत्वपूर्ण संरचनात्मक और क्रियात्मक इकाई है। मानव शरीर में रक्त के शोधन, अपशिष्ट पदार्थों को हटाने और जल-लवण संतुलन बनाए रखने का कार्य नेफ्रॉन द्वारा ही किया जाता है। एक स्वस्थ गुर्दे में लगभग 10–12 लाख नेफ्रॉन पाए जाते हैं।
नेफ्रॉन गुर्दे की वह सूक्ष्म इकाई है जो मूत्र निर्माण की पूरी प्रक्रिया को सम्पन्न करती है। प्रत्येक नेफ्रॉन रक्त को छानकर उपयोगी पदार्थों को वापस अवशोषित करता है और अपशिष्ट पदार्थों को मूत्र के रूप में बाहर निकालता है।
नेफ्रॉन गुर्दे के कॉर्टेक्स और मेडुला भागों में फैला होता है। इसका कुछ भाग कॉर्टेक्स में और कुछ भाग मेडुला में पाया जाता है।
नेफ्रॉन को मुख्यतः दो भागों में बाँटा जाता है:
यह प्याले के आकार की संरचना होती है जो ग्लोमेरुलस को चारों ओर से घेरे रहती है। इसमें रक्त का निस्यंदन (Filtration) होता है।
यह केशिकाओं का जाल होता है, जिसमें उच्च दाब के कारण रक्त का छनन होता है। यहीं से मूत्र निर्माण की प्रक्रिया शुरू होती है।
अधिकतर जल, ग्लूकोज और अमीनो अम्ल का पुनःअवशोषण यहीं होता है
यह सबसे लंबा और महत्वपूर्ण भाग है
मूत्र को सघन बनाने में सहायक
जल संतुलन बनाए रखता है
आयन संतुलन (Na⁺, K⁺) नियंत्रित करती है
हार्मोन के प्रभाव में कार्य करती है
अंतिम मूत्र को गुर्दे की पेल्विस तक पहुँचाती है
ADH हार्मोन के प्रभाव में जल अवशोषण करती है
ये तीनों प्रक्रियाएँ मिलकर मूत्र का निर्माण करती हैं।
रक्त को शुद्ध करता है
यूरिया, यूरिक एसिड जैसे अपशिष्ट हटाता है
जल और लवण संतुलन बनाए रखता है
शरीर का pH नियंत्रित करता है
नेफ्रॉन मानव शरीर की एक अत्यंत महत्वपूर्ण संरचना है। इसके बिना शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को निकालना संभव नहीं है। Structure of Nephron को समझना मानव उत्सर्जन तंत्र को समझने की कुंजी है।
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