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श्री कुबेर चालीसा


卐 श्री कुबेर चालीसा 卐 ॥ दोहा॥ जैसे अटल हिमालय और जैसे अडिग सुमेर । ऐसे ही स्वर्ग द्वार पै, अविचल खड़े कुबेर ॥ विघ्न हरण मंगल करण, सुनो शरणागत की टेर । भक्त हेतु वितरण करो, धन माया के ढ़ेर ॥ ॥ चौपाई ॥ जै जै जै श्री कुबेर भण्डारी । धन माया के तुम अधिकारी ॥ तप तेज पुंज निर्भय भय हारी । पवन वेग सम सम तनु बलधारी ॥ स्वर्ग द्वार की करें पहरे दारी । सेवक इंद्र देव के आज्ञाकारी ॥ यक्ष यक्षणी की है सेना भ... Read More

卐 श्री कुबेर चालीसा 卐

॥ दोहा॥
जैसे अटल हिमालय और
जैसे अडिग सुमेर ।
ऐसे ही स्वर्ग द्वार पै,
अविचल खड़े कुबेर ॥
विघ्न हरण मंगल करण,
सुनो शरणागत की टेर ।
भक्त हेतु वितरण करो,
धन माया के ढ़ेर ॥

॥ चौपाई ॥
जै जै जै श्री कुबेर भण्डारी ।
धन माया के तुम अधिकारी ॥
तप तेज पुंज निर्भय भय हारी ।
पवन वेग सम सम तनु बलधारी ॥
स्वर्ग द्वार की करें पहरे दारी ।
सेवक इंद्र देव के आज्ञाकारी ॥
यक्ष यक्षणी की है सेना भारी ।
सेनापति बने युद्ध में धनुधारी ॥
महा योद्धा बन शस्त्र धारैं ।
युद्ध करैं शत्रु को मारैं ॥
सदा विजयी कभी ना हारैं ।
भगत जनों के संकट टारैं ॥
प्रपितामह हैं स्वयं विधाता ।
पुलिस्ता वंश के जन्म विख्याता ॥
विश्रवा पिता इडविडा जी माता ।
विभीषण भगत आपके भ्राता ॥
शिव चरणों में जब ध्यान लगाया ।
घोर तपस्या करी तन को सुखाया ॥
शिव वरदान मिले देवत्य पाया ।
अमृत पान करी अमर हुई काया ॥
धर्म ध्वजा सदा लिए हाथ में ।
देवी देवता सब फिरैं साथ में ।
पीताम्बर वस्त्र पहने गात में ॥
बल शक्ति पूरी यक्ष जात में ॥
स्वर्ण सिंहासन आप विराजैं ।
त्रिशूल गदा हाथ में साजैं ॥
शंख मृदंग नगारे बाजैं ।
गंधर्व राग मधुर स्वर गाजैं ॥
चौंसठ योगनी मंगल गावैं ।
ऋद्धि सिद्धि नित भोग लगावैं ॥
दास दासनी सिर छत्र फिरावैं ।
यक्ष यक्षणी मिल चंवर ढूलावैं ॥
ऋषियों में जैसे परशुराम बली हैं ।
देवन्ह में जैसे हनुमान बली हैं ॥
पुरुषोंमें जैसे भीम बली हैं ।
यक्षों में ऐसे ही कुबेर बली हैं ॥
भगतों में जैसे प्रहलाद बड़े हैं ।
पक्षियों में जैसे गरुड़ बड़े हैं ॥
नागों में जैसे शेष बड़े हैं ।
वैसे ही भगत कुबेर बड़े हैं ॥
कांधे धनुष हाथ में भाला ।
गले फूलों की पहनी माला ॥
स्वर्ण मुकुट अरु देह विशाला ।
दूर दूर तक होए उजाला ॥
कुबेर देव को जो मन में धारे ।
सदा विजय हो कभी न हारे ।
बिगड़े काम बन जाएं सारे ।
अन्न धन के रहें भरे भण्डारे ॥
कुबेर गरीब को आप उभारैं ।
कुबेर कर्ज को शीघ्र उतारैं ॥
कुबेर भगत के संकट टारैं ।
कुबेर शत्रु को क्षण में मारैं ॥
शीघ्र धनी जो होना चाहे ।
क्युं नहीं यक्ष कुबेर मनाएं ॥
यह पाठ जो पढ़े पढ़ाएं ।
दिन दुगना व्यापार बढ़ाएं ॥
भूत प्रेत को कुबेर भगावैं ।
अड़े काम को कुबेर बनावैं ॥
रोग शोक को कुबेर नशावैं ।
कलंक कोढ़ को कुबेर हटावैं ॥

कुबेर चढ़े को और चढ़ादे ।
कुबेर गिरे को पुन: उठा दे ॥
कुबेर भाग्य को तुरंत जगा दे ।
कुबेर भूले को राह बता दे ॥
प्यासे की प्यास कुबेर बुझा दे ।
भूखे की भूख कुबेर मिटा दे ॥
रोगी का रोग कुबेर घटा दे ।
दुखिया का दुख कुबेर छुटा दे ॥
बांझ की गोद कुबेर भरा दे ।
कारोबार को कुबेर बढ़ा दे ॥
कारागार से कुबेर छुड़ा दे ।
चोर ठगों से कुबेर बचा दे ॥
कोर्ट केस में कुबेर जितावै ।
जो कुबेर को मन में ध्यावै ॥
चुनाव में जीत कुबेर करावैं ।
मंत्री पद पर कुबेर बिठावैं ॥
पाठ करे जो नित मन लाई ।
उसकी कला हो सदा सवाई ॥
जिसपे प्रसन्न कुबेर की माई ।
उसका जीवन चले सुखदाई ॥
जो कुबेर का पाठ करावै ।
उसका बेड़ा पार लगावै ॥
उजड़े घर को पुन: बसावै ।
शत्रु को भी मित्र बनावै ॥
सहस्त्र पुस्तक जो दान कराई ।
सब सुख भोद पदार्थ पाई ।
प्राण त्याग कर स्वर्ग में जाई ।
मानस परिवार कुबेर कीर्ति गाई ॥

॥ दोहा ॥
शिव भक्तों में अग्रणी,
श्री यक्षराज कुबेर ।
हृदय में ज्ञान प्रकाश भर,
कर दो दूर अंधेर ॥
कर दो दूर अंधेर अब,
जरा करो ना देर ।
शरण पड़ा हूं आपकी,
दया की दृष्टि फेर ।
॥ इति श्री कुबेर चालीसा ॥

卐 Shree Kuber Chalisa 卐
॥ Doha॥
Jaise Atal Himaalay Aur Jaise Adig Sumer ।
Aise Hee Swarg Dwaar Pai,
Avichal Khade Kuber ॥
Vighn Haran Mangal Karan,
Suno Sharanaagat Ki Ter ।
Bhakt Hetu Vitaran Karo,
Dhan Maayaa Ki Dher ॥
॥ Chaupaai॥
Jai Jai Jai Shree Kuber Bhandaari ।
Dhan Maayaa Ke Tum Adhikaari ॥
Tap Tej Punj Nirbhay Bhay Haari ।
Pavan Veg Sam Sam Tanu Baladhaari ॥
Swarg Dwaar Ki Karein Pahare Daari ।
Sevak Indra Dev Ke Agyaakaari ॥
Yaksha Yakshani Ki Hai Senaa Bhaari ।
Senaapati Bane Yuddh Me Dhanudhaari ॥
Mahaa Yoddha Ban Shastr Dhaarain ।
Yuddh Karain Shatru Maarain ॥
Sadaa Vijayi Kabhi Naa Haarain ।
Bhagat Jano Ke Sankat Taarain ॥
Prapitaamah Hain Swayam Vidhaataa ।
Pulist Vansh Ke Janm Vikhyaataa ॥
Vishravaa Pitaa Idavida Ji Maataa ।
Vibhishan Bhagat Aapake Bhraataa ॥
Shiv Charano Me Jab Dhyaan Lagaayaa ।
Ghor Tapasya Kari Tan Sukhaayaa ॥
Shiv Varadaan Mile Devaty Paayaa ।
Amrit Paan Kari Amar Kaayaa ॥
Dharm Dhwajaa Sadaa Liye Haath Me ।
Devi Devataa Sab Phirain Saath Me ।
Pitaambar Vastra Pahane Gaath Me ॥
Bal Shakti Poori Yaksha Jaat Me ॥
Swarn SInhaasan Aap Viraajain ।
Trishul Gadaa Haath Me Saajain ॥
Shankh Mridang Nagaare Baajain।
Gandharv Raag Madhur Gaajain ॥

Chausath Yogani Mangal Gaavain ।
Riddhi Siddhi Nit Bhog Lagaavain ॥
Daas Daasini Sir Chhatra Phiraavain ।
Yaksha Yakshani Mil Chanvar Dhulaavain ॥
Rishiyom Me Jaise Parashuraam Bali Hain ।
Devanh Me Jaise Hanumaan Bali Hain ॥
Purusho Me Jaise Bheem Bali Hain ।
Yaksho Me Aise Hi Kuber Bali Hain ॥
Bhagato Me Jaise Prahlaad Bade hain ।
Pakshiyo Me Jaise Garud Bade hain ॥
Naagon Me Jaise Shesh Bade hain ।
Vaise Hi Bhagat Kuber Bade hain ॥
Kaandhe Dhanush Haath Me Bhaalaa ।
Gale Phoolon Ki Pahanee Maalaa ॥
Swarn Mukut Aru Deh Vishaalaa ।
Door Door Tak Hoye Ujaalaa ॥
Kuber Dec Ko Jo Man Dhaare ।
Sadaa Vijayi Ho Kabhi Na Haare ।
Bigade Kaam Bane Jaaye Saare ।
Anna Dhan Ke Eahe Bhare Bhandaare ॥
Kuber Garib Ko Aap Ubhaarain ।
Kuber Karj Ko sheeghra Utaarain ॥
Kuber Bhagat Ke Sankat Taarain ।
Kuber Shatru Ko Kshan Me Maarain ॥
Sheeghr Dhani Jo Honaa Chaahe ।
Kyun Nahi Yaksha Kuber Manaaye ॥
Yah Paath JO Padhe Padhaaye ।
Din Duganaa VYaapaar Badhaaye ॥
Bhoot Prete Ko Kuber Bhagaavain ।
Ade Kaam Ko Kuber Banaavain ॥
Rog Shok Ko Kuber Nashaavain ।
Kalank Koodh Ko Kuber Hataavain ॥
Kuber Chadhe Ko Aur Chadha De ।
Kuber Gire Ko Punah Uthaa De ॥
Kuber Bhagya Ko Turant Jagaa De ।
Kuber Bhule Ko Raah Bataa De ॥
Pyaase Ki Pyaas Kuber Bujhaa De ।
Bhukhe Ki Bhukh Kuber Mita De ॥
Rogi Ka Rog Kuber Ghata Deरो ।
Dukhiyaa Ka Dukh Kuber Chhuta De ॥
Baanjh Ki God Kuber Bharaa De ।
Karobar Ko Kuber Badha De ॥
Karagar Se Kuber Chhuda De ।
Chor Thago Se Kuber Bachaa De ॥
Kort Kes Me Kuber Jitaavai ।
Jo Kuber Ko Man Me Dhyaavai ॥
Chunaav Me Jeet Kuber Karaavain ।
Mantri Pad Par Kuber Bithaavain ॥
Paath Kare Jo Nit Man Laai ।
Uasaki Kala ho Sadaa Savaai ॥
Jisape Prasann Kuber Ki Maai ।
Usakaa Jeevan Chale Sukhadaai ॥
Jo Kuber Kaa Paath Karaavai ।
Usakaa Bedaa Paar Lagaavai ॥
Ujade Ghar Ko PUnah Basaavai।
Shatru Ko Mitra Banaavai ॥
Sahastr Pustak Jo Daan karaai ।
Sab Sukh Bhog Padaarth Paai ।
Praan Tyaag Kar Swarg Me Jaai ।
Maanas Parivaar Kuber Kirti Gaai ॥
॥ Dohaa॥ Shiv Bhakto Me Agrani,
Shree Yaksharaaj Kuber ।
Hriday Me Gyaan Prakash Bhar,
Kar Do Door Andher ॥
Kar Do Door Andher Ab,
Jaraa Karo Naa Der ।
Sharan Pada Hoon Aapaki,
Dayaa Ki Drishti Pher ।
॥ It's Shree Kuber Chaalisa ॥


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श्री कृष्ण चालीसा


卐 श्री कृष्ण चालीसा 卐 ॥ दोहा॥ वंशी शोभित कर मधुर, नील जलद तन श्याम। अरुण अधर जनु बिम्बफल, नयन कमल अभिराम॥ पूर्ण इन्द्र, अरविन्द मुख, पीताम्बर शुभ साज। जय मनमोहन मदन छवि, कृष्णचन्द्र महाराज॥ ॥ चौपाई ॥ जय यदुनंदन जय जगवंदन। जय वसुदेव देवकी नन्दन॥ जय यशुदा सुत नन्द दुलारे। जय प्रभु भक्तन के दृग तारे॥ जय नटनागर, नाग नथइया॥ कृष्ण कन्हइया धेनु चरइया॥ पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो। आओ दीनन कष्ट निवारो॥... Read More

卐 श्री कृष्ण चालीसा 卐

॥ दोहा॥
वंशी शोभित कर मधुर,
नील जलद तन श्याम।
अरुण अधर जनु बिम्बफल,
नयन कमल अभिराम॥
पूर्ण इन्द्र,
अरविन्द मुख,
पीताम्बर शुभ साज।
जय मनमोहन मदन छवि,
कृष्णचन्द्र महाराज॥

॥ चौपाई ॥
जय यदुनंदन जय जगवंदन।
जय वसुदेव देवकी नन्दन॥
जय यशुदा सुत नन्द दुलारे।
जय प्रभु भक्तन के दृग तारे॥
जय नटनागर,
नाग नथइया॥
कृष्ण कन्हइया धेनु चरइया॥
पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो।
आओ दीनन कष्ट निवारो॥
वंशी मधुर अधर धरि टेरौ।
होवे पूर्ण विनय यह मेरौ॥
आओ हरि पुनि माखन चाखो।
आज लाज भारत की राखो॥
गोल कपोल, चिबुक अरुणारे।
मृदु मुस्कान मोहिनी डारे॥
राजित राजिव नयन विशाला।
मोर मुकुट वैजन्तीमाला॥
कुंडल श्रवण, पीत पट आछे।
कटि किंकिणी काछनी काछे॥
नील जलज सुन्दर तनु सोहे।
छवि लखि, सुर नर मुनिमन मोहे॥
मस्तक तिलक, अलक घुँघराले।
आओ कृष्ण बांसुरी वाले॥
करि पय पान, पूतनहि तारयो।
अका बका कागासुर मार्यो॥
मधुवन जलत अगिन जब ज्वाला।
भै शीतल लखतहिं नंदलाला॥
सुरपति जब ब्रज चढ़्यो रिसाई।
मूसर धार वारि वर्षाई॥
लगत लगत व्रज चहन बहायो।
गोवर्धन नख धारि बचायो॥
लखि यसुदा मन भ्रम अधिकाई।
मुख मंह चौदह भुवन दिखाई॥
दुष्ट कंस अति उधम मचायो॥
कोटि कमल जब फूल मंगायो॥
नाथि कालियहिं तब तुम लीन्हें।
चरण चिह्न दै निर्भय कीन्हें॥
करि गोपिन संग रास विलासा।
सबकी पूरण करी अभिलाषा॥
केतिक महा असुर संहारियो ।
कंसहि केस पकड़ि दै मारयो॥
मातपिता की बन्दि छुड़ाई ।
उग्रसेन कहँ राज दिलाई॥
महि से मृतक छहों सुत लायो।
मातु देवकी शोक मिटायो॥
भौमासुर मुर दैत्य संहारी।
लाये षट दश सहसकुमारी॥
दै भीमहिं तृण चीर सहारा।
जरासिंधु राक्षस कहँ मारा॥
असुर बकासुर आदिक मारयो।
भक्तन के तब कष्ट निवारयो॥
दीन सुदामा के दुःख टारयो।
तंदुल तीन मूंठ मुख डारयो॥
प्रेम के साग विदुर घर माँगे।
दर्योधन के मेवा त्यागे॥
लखी प्रेम की महिमा भारी।
ऐसे श्याम दीन हितकारी॥
भारत के पारथ रथ हाँके।
लिये चक्र कर नहिं बल थाके॥
निज गीता के ज्ञान सुनाए।
भक्तन हृदय सुधा वर्षाए॥
मीरा थी ऐसी मतवाली।
विष पी गई बजाकर ताली॥
राणा भेजा साँप पिटारी।
शालीग्राम बने बनवारी॥
निज माया तुम विधिहिं दिखायो।
उर ते संशय सकल मिटायो॥
तब शत निन्दा करि तत्काला।
जीवन मुक्त भयो शिशुपाला॥
जबहिं द्रौपदी टेर लगाई।
दीनानाथ लाज अब जाई॥
तुरतहि वसन बने नंदलाला।
बढ़े चीर भै अरि मुँह काला॥
अस अनाथ के नाथ कन्हैया।
डूबत भंवर बचावइ नइया॥
सुन्दरदास आ उर धारी।
दया दृष्टि कीजै बनवारी॥
नाथ सकल मम कुमति निवारो।
क्षमहु बेगि अपराध हमारो॥
खोलो पट अब दर्शन दीजै।
बोलो कृष्ण कन्हैया की जय॥

॥ दोहा ॥
यह चालीसा कृष्ण का,
पाठ करै उर धारि।
अष्ट सिद्धि नवनिधि फल,
लहै पदारथ चारि॥

बोलिए कृष्ण भगवान की जय
॥ इति श्री कृष्ण चालीसा ॥

卐 Shree Krishna Chalisa 卐
॥ Doha॥
Banshi Shobhit Kar Madhur,
Nil Jalad Tan Shyam।
Arun Adhar Janu Bimba Phal,
Nayan Kamal Abhiram॥
Purn Indra Arvind Mukh,
Pitaambar Subh Saaj।
Jai Man Mohan Madan Chhavi,
Krishnachandra Mahaaraaj॥
॥ Chaupaai ॥ Jai Yadunandan Jai Jag Vandan।
Jai Vasudev Devaki Nandan॥
Jai Yashoda Sut Nanda Dulare।
Jai Prabhu Bhaktan Ke Drig Taare॥
Jai Natanaagar Naag Nathaiya।
Krishna Kanhaiya Dhenu Charaiya॥
Puni Nakh Par Prabhu Girivar Dhaaro।
Aao Dinan-Kasht Nivaaro॥
Vanshi Madhur Adhar-Dhari Tero।
Hove Purn Vinay Yah Mero॥
Ao Harli Puni Makhan Chaakho।
Aaj Laj Bharat Ki Raakho॥
Gol Kapol Chibuk Arunaare।
Mridu Muskan Mohini Daare॥
Rajit Rajiv Nayan Vishaala।
Mor Mukut Vaijantimala॥
Kundal Shravan Pit Pat Aachhe।
Kati Kinkini Kachhani Kachhe॥
Nil Jalaj Sundar Tan Sohai।
Chhavi Lakhi Sur Nar Muni Man Mohai॥
Mastak Tilak Alak Ghunghrale।
Aao Krishn Bansuri Vaale॥
Kari Pai Pan Putanahin Taaryo।
Aka-Baka Kagaasur Maryo॥
Madhuvan Jalat Agin Jab Jvala ।
Bhai Shital Lakhatahin Nandaiala॥
Surpati Jab Brij Chadhyo Risai ।
Musar Dhaar Vaari Barshaai॥
Lagat Lagat Vraj Chahan Bahaayo।
Govardhan Nakh Dhaari Bachaayo॥
Lakhi Yashuda Man Bhram Adhikai।
Mukh Mahan Chaudah Bhuvan Dikhaai॥
Dusht Kansa Ati Udham Machaayo।
Koti Kamal Jab Phul Mangaayo॥
Nathi Kaliyahin Tab Tum Linhyo।
Charan Chinh Dai Nirbhai Kinhyo॥
Kari Gopin Sang Ras Bilaasaa।
Sab Ki Puran Kari Abhilaasaa॥
Ketik Maha Asur Sanhariyo।
Kansahi Kesh Pakadi Dai Marayo॥
Matu Pita Ki Bandi Chhudaai।
Ugrasen Kahan Raj Dilaai॥
Mahi Se Mritak Chhahon Sut Laayo।
Matu Devakl Shok Mitaayo॥
Narakasur Mur Daity Sanhaari।
Laye Shatdash Sahas Kumari॥
Dai Bhimahin Trin Chir Sahaaraa।
Jarasindhu Rakshas Kahan Mara॥
Asur Bakasur Adik Maarayo।
Bhaktan Ke Tab Kasht Nivaarayo॥
Din Sudama Ke Dukh Taaryo।
Tandul Tin Mutthi Mukh Daaryo॥
Prem Ke Saag Vidur Ghar Maange ।
Duryodhan Ke Meva Tyaage॥
Lakhi Prem Ki Mahima Bhari।
Aise Shyam Din Hitkari॥
Bharat Ke Parath-Rath Hanke।
Liye Chakra Kar Nahin Bal Thaake॥
Nij Gita Ke Gyaan Sunaaye।
Bhaktan Hridai Sudha Varsaaye॥
Mira Thi Aisi Matvaali।
Vish Pi Gayi Bajaakar Tali॥
Rana Bheja Saap Pitaari।
Shaligraam Bane Banvaari॥
Nij Maya Tum Vidhihin Dikhaayo।
Urte Sanshay Sakal Mitaayo॥
Tav Shat Ninda Kari Tatkala।
Jivan Mukt Bhayo Shishupala॥
Jabahin Draupadi Ter Lagaai।
Dinaanaath Laaj Ab Jaai॥
Turatahih Basan Bane Nandalaalaa।
Badhe Chir Bhai Ari Munh Kaalaa॥
As Anath Ke Nath Kanhaiya।
Dubat Bhanvar Bachavai Naiya॥
"Sundardas" Aas Ur Dhaari।
Daya Drishti Keejai Banwaari॥
Nath Sakai Mam Kumati Nivaaro।
Kshamahu Begi Apraadh Hamaaro॥
Kholo Pat Ab Darshan Dijai।
Bolo Krishna Kanhaiya Ki Jai॥

॥ Doha॥
Yah Chalisa Krishna Ka,
Path Krai Ur Dhaari।
Asht Siddhi Nav Nidhi Phal,
Lahai Padaarath Chaari॥॥
॥It's Shree Krishna Chalisa ॥


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श्री खाटू श्याम चालीसा


卐 श्री खाटू श्याम चालीसा 卐 ॥ दोहा॥ श्री गुरु चरणन ध्यान धर, सुमीर सच्चिदानंद। श्याम चालीसा भजत हूं, रच चौपाई छंद। ॥ चौपाई ॥ श्याम-श्याम भजि बारंबारा। सहज ही हो भवसागर पारा। इन सम देव न दूजा कोई। दिन दयालु न दाता होई। भीम सुपुत्र अहिलावती जाया। कही भीम का पौत्र कहलाया। यह सब कथा कही कल्पांतर। तनिक न मानो इसमें अंतर। बर्बरीक विष्णु अवतारा। भक्तन हेतु मनुज तन धारा। वासुदेव देवकी प्यारे। यशुमति मैया... Read More

卐 श्री खाटू श्याम चालीसा 卐

॥ दोहा॥
श्री गुरु चरणन ध्यान धर,
सुमीर सच्चिदानंद।
श्याम चालीसा भजत हूं,
रच चौपाई छंद।

॥ चौपाई ॥
श्याम-श्याम भजि बारंबारा।
सहज ही हो भवसागर पारा।
इन सम देव न दूजा कोई।
दिन दयालु न दाता होई।
भीम सुपुत्र अहिलावती जाया।
कही भीम का पौत्र कहलाया।
यह सब कथा कही कल्पांतर।
तनिक न मानो इसमें अंतर।
बर्बरीक विष्णु अवतारा।
भक्तन हेतु मनुज तन धारा।
वासुदेव देवकी प्यारे।
यशुमति मैया नंद दुलारे।
मधुसूदन गोपाल मुरारी।
वृजकिशोर गोवर्धन धारी।
सियाराम श्री हरि गोबिंदा।
दीनपाल श्री बाल मुकुंदा।
दामोदर रण छोड़ बिहारी।
नाथ द्वारिकाधीश खरारी।
राधावल्लभ रुक्मिणि कंता।
गोपी बल्लभ कंस हनंता।
मनमोहन चित चोर कहाए।
माखन चोरि-चारि कर खाए।
मुरलीधर यदुपति घनश्यामा।
कृष्ण पतित पावन अभिरामा।
मायापति लक्ष्मीपति ईशा।
पुरुषोत्तम केशव जगदीशा।
विश्वपति त्रिभुवन उजियारा।
दीनबंधु भक्तन रखवारा।
प्रभु का भेद कोई न पाया।
शेष महेश थके मुनियारा।
नारद शारद ऋषि योगिंदर।
श्याम-श्याम सब रटत निरंतर।
कवि कोविद करी सके न गिनंता।
नाम अपार अथाह अनंता।
हर सृष्टी हर युग में भाई।
ले अवतार भक्त सुखदाई।
ह्रदय माहि करि देखु विचारा।
श्याम भजे तो हो निस्तारा।
कीर पड़ावत गणिका तारी।
भीलनी की भक्ति बलिहारी।
सती अहिल्या गौतम नारी।
भई श्रापवश शिला दुलारी।
श्याम चरण रज चित लाई।
पहुंची पति लोक में जाही।
अजामिल अरु सदन कसाई।
नाम प्रताप परम गति पाई।
जाके श्याम नाम अधारा।
सुख लहहि दुःख दूर हो सारा।
श्याम सुलोचन है अति सुंदर।
मोर मुकुट सिर तन पीतांबर।
गल वैजयंति माल सुहाई।
छवि अनूप भक्तन मन भाई।
श्याम-श्याम सुमिरहु दिन-राती।
श्याम दुपहरि अरू परभाती।
श्याम सारथी जिसके रथ के।
रोड़े दूर होए उस पथ के।
श्याम भक्त न कहीं पर हारा।
भीर परि तब श्याम पुकारा।
रसना श्याम नाम रस पी ले।
जी ले श्याम नाम के हाले।
संसारी सुख भोग मिलेगा।
अंत श्याम सुख योग मिलेगा।
श्याम प्रभु हैं तन के काले।
मन के गोरे भोले-भाले।
श्याम संत भक्तन हितकारी।
रोग-दोष अघ नाशै भारी।
प्रेम सहित जे नाम पुकारा।
भक्त लगत श्याम को प्यारा।
खाटू में हैं मथुरा वासी।
पारब्रह्म पूर्ण अविनाशी।
सुधा तान भरि मुरली बजाई।
चहुं दिशि जहां सुनि पाई।
वृद्ध-बाल जेते नारी नर।
मुग्ध भये सुनि वंशी के स्वर।
दौड़ दौड़ पहुंचे सब जाई।
खाटू में जहां श्याम कन्हाई।
जिसने श्याम स्वरूप निहारा।
भव भय से पाया छुटकारा।

॥ दोहा ॥
श्याम सलोने संवारे,
बर्बरीक तनुधार।
इच्छा पूर्ण भक्त की,
करो न लाओ बार
॥ इति श्री खाटू श्याम चालीसा ॥

卐 Shree Khatu Shyam Chalisa 卐
॥ Doha॥
Shree Guru Charan Dhyaan Dhar,
Sumir Sachchidaanand ।
Shyaam Chalisa Bhajat Hoon,
Rach Chaupaai Chhand।

॥ Chaupaai॥
Shyam-ShyamBhaji Baarambaaraa ।
Sahaj hi Ho Bhavasaagar Paaraa ।
In SamDev Na Doojaa Koi।
Din Dayaalu Na Daataa Hoi ।
Bheem Suputra Ahilaavati Jaayaa।
Kahi Bheem Ka Pautra Kahalaayaa।
Yah Sab Kathaa Kahi Kalpaantar।
TanikNa Maane Isame Antar।
Barbareek Vishnu Avataaraa ।
Bhaktan Hetu Manuj Tan Dhaaraa।
Vaasudev Devaki Pyaare ।
Yashumati Maiyaa Nand Dulaare ।
Madhusudan Gopaal Muraari ।
Vrijakishor Govardhan Dhaari ।
Siyaaram Shree Hari Govinda ।
Deenapaal Shree Baala Mukundaa।
Damodar Ran Chhoda Bihaari।
Naath Dwaarikaadheesh Kharaari।
Radha Vallabh Rukmini Kanta ।
Gopi Ballabh Kansa Hannataa ।
Man Mohan Chit Chor Kahaaye ।
Maakhan Chori-Chori Kar Khaaye ।
Muralidhar Yadupati Ghanashyaamaa ।
Krishn Patit Paavan Abhiraamaa ।
Mayaapati laxmipati Esshaa ।
Purushottam Keshav Jagadeeshaa ।
Vishwapati Tribhuvan Ujiyaaraa।
Deenabandhu Bhaktan Rakhawaaraa।
Prabhu Ka Bhed Koi Na Paayaa।
Shesh Mahesh Thake Muniyaaraa।
Naarada Shaarad Rishi Yoginder।
Shyaam-Shyaam Sab Ratat Nirantar।
Kavi KoVid Kari Sake Na GInantaa।
Naam Apaar Athaah Anantaa।
Har Srishti Har Yug Me Bhaai।
Le Avataar Bhakt Sukhadaai।
Hriday Maahi Kari Dekhu Vichaaraa ।
ShyaamBhaje To Ho Nistaaraa ।
Keer Padaavat Ganikaa Taari।
Bheelani Ki Bhakti Balihaari।
Sati Ahilyaa Gautam Naari।
Bhai Shraapavash Shilaa Dulaari।
Shyaam Charan Raj Chit Laai।
Pahuchi Pati LokMe Jaahi ।
Ajaamil Aru Sadan Kasaai ।
Naam Prataap Param Gati Paai ।
Jaaki Shyaan Naam Adhaaraa ।
Sukh Lahahi Dukh Door Ho Saaraa।
Shyaam Sulochan Hai Ati Sundar ।
Mor Mukut Sir Tan Pitaambar।
GalVaijayanti Maal Suhaai।
Chhavi Anoop Bhaktan Man Bhaai।
Shyaam-Shyaam Sumirahu Din Raati ।
Shyaam Dupahari Aru Parabhaati।
Shyaam Saarathi Jisake Rath Ke।
Rode Door Hoye Us Path Ke।
ShyaamBhakt Na Kahin Par Haaraa।
Bheer Pari Tab Shyaam Pukaaraa।
Rasanaa Shyaam Naam Ras Pee Le ।
Jee Le Shyaam Naam Ke Haale।
Sansaari Sukh Bhog Milegaa।
Ant Shyaam Sukh Yog Milegaa।
Shyaam Prabhu Hain Tan Ke Kaale।
Man Ke Gore Bhole-Bhaale।
ShyaamSant Bhaktan Hitakaari।
Rog-Dosh Agha Naashai Bhaari ।
Prem Sahit Je Naam Pukaaraa।
Bhakt Lagat ShyaamKo Pyaaraa।
Khaatu Me Hai Mathuraa Vaasi।
Paarabrahm Poorn Avinaashi।
Sudhaa Taan Bhari Murali Bajaai।
Chahun Dishi Jahaan Suni Paai।
Vriddh –Baal jete Naari Nar।
Mugdh Bhaye Suni Vanshi Ke Swar।
Daud Daud Pahuche Sab Jaai।
Kaahtu Me Jahaan Shyaam Kanhaai।
Jisane Shyaam Swaroop Nihaaraa।
Bhav Bhay Se Paayaa Chhutakaaraa।

॥ Doha ॥
Shyaam Salone Saanvaare,
Barbareek Tanudhaar ।
Ichchhaa Poorn Bhakt Ki,
Karo N Laao Baar॥
॥ It's Shree Khatu Shyam Chalisa ॥


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श्री गंगा चालीसा


卐 श्री गंगा चालीसा 卐 ॥ दोहा॥ जय जय जय जग पावनी, जयति देवसरि गंग। जय शिव जटा निवासिनी, अनुपम तुंग तरंग॥ ॥ चौपाई ॥ जय जय जननी हरण अघ खानी। आनंद करनि गंग महारानी॥ जय भगीरथी सुरसरि माता। कलिमल मूल दलनि विख्याता॥ जय जय जहानु सुता अघ हनानी। भीष्म की माता जगा जननी॥ धवल कमल दल मम तनु साजे। लखि शत शरद चंद्र छवि लाजे॥ वाहन मकर विमल शुचि सोहै। अमिय कलश कर लखि मन मोहै॥ जड़ित रत्न कंचन आभूषण। हिय मणि हर, हरण... Read More

卐 श्री गंगा चालीसा 卐

॥ दोहा॥
जय जय जय जग पावनी,
जयति देवसरि गंग।
जय शिव जटा निवासिनी,
अनुपम तुंग तरंग॥

॥ चौपाई ॥
जय जय जननी हरण अघ खानी।
आनंद करनि गंग महारानी॥
जय भगीरथी सुरसरि माता।
कलिमल मूल दलनि विख्याता॥
जय जय जहानु सुता अघ हनानी।
भीष्म की माता जगा जननी॥
धवल कमल दल मम तनु साजे।
लखि शत शरद चंद्र छवि लाजे॥
वाहन मकर विमल शुचि सोहै।
अमिय कलश कर लखि मन मोहै॥
जड़ित रत्न कंचन आभूषण।
हिय मणि हर, हरणितम दूषण॥
जग पावनि त्रय ताप नसावनि।
तरल तरंग तंग मन भावनि॥
जो गणपति अति पूज्य प्रधाना।
तिहूं ते प्रथम गंगा स्नाना॥
ब्रह्म कमंडल वासिनी देवी।
श्री प्रभु पद पंकज सुख सेवि॥
साठि सहस्त्र सागर सुत तारयो।
गंगा सागर तीरथ धरयो॥
अगम तरंग उठ्यो मन भावन।
लखि तीरथ हरिद्वार सुहावन॥
तीरथ राज प्रयाग अक्षैवट।
धरयौ मातु पुनि काशी करवट॥
धनि धनि सुरसरि स्वर्ग की सीढी।
तारणि अमित पितु पद पिढी॥
भागीरथ तप कियो अपारा।
दियो ब्रह्म तव सुरसरि धारा॥
जब जग जननी चल्यो हहराई।
शम्भु जाटा महं रह्यो समाई॥
वर्ष पर्यंत गंग महारानी।
रहीं शम्भू के जटा भुलानी॥
पुनि भागीरथी शंभुहिं ध्यायो।
तब इक बूंद जटा से पायो॥
ताते मातु भइ त्रय धारा।
मृत्यु लोक, नाभ, अरु पातारा॥
गईं पाताल प्रभावति नामा।
मन्दाकिनी गई गगन ललामा॥
मृत्यु लोक जाह्नवी सुहावनि।
कलिमल हरणि अगम जग पावनि॥
धनि मइया तब महिमा भारी।
धर्मं धुरी कलि कलुष कुठारी॥
मातु प्रभवति धनि मंदाकिनी।
धनि सुरसरित सकल भयनासिनी॥
पान करत निर्मल गंगा जल।
पावत मन इच्छित अनंत फल॥
पूर्व जन्म पुण्य जब जागत।
तबहीं ध्यान गंगा महं लागत॥
जई पगु सुरसरी हेतु उठावही।
तई जगि अश्वमेघ फल पावहि॥
महा पतित जिन काहू न तारे।
तिन तारे इक नाम तिहारे॥
शत योजनहू से जो ध्यावहिं।
निशचाई विष्णु लोक पद पावहिं॥
नाम भजत अगणित अघ नाशै।
विमल ज्ञान बल बुद्धि प्रकाशै॥
जिमी धन मूल धर्मं अरु दाना।
धर्मं मूल गंगाजल पाना॥
तब गुण गुणन करत दुख भाजत।
गृह गृह सम्पति सुमति विराजत॥
गंगाहि नेम सहित नित ध्यावत।
दुर्जनहुँ सज्जन पद पावत॥
बुद्दिहिन विद्या बल पावै।
रोगी रोग मुक्त ह्वै जावै॥
गंगा गंगा जो नर कहहीं।
भूखे नंगे कबहु न रहहि॥
निकसत ही मुख गंगा माई।
श्रवण दाबी यम चलहिं पराई॥
महाँ अधिन अधमन कहँ तारें।
भए नर्क के बंद किवारें॥
जो नर जपै गंग शत नामा।
सकल सिद्धि पूरण ह्वै कामा॥
सब सुख भोग परम पद पावहिं।
आवागमन रहित ह्वै जावहीं॥
धनि मइया सुरसरि सुख दैनी।
धनि धनि तीरथ राज त्रिवेणी॥
कंकरा ग्राम ऋषि दुर्वासा।
सुन्दरदास गंगा कर दासा॥
जो यह पढ़े गंगा चालीसा।
मिली भक्ति अविरल वागीसा॥

॥ दोहा ॥
नित नव सुख सम्पति लहैं।
धरें गंगा का ध्यान।
अंत समय सुरपुर बसै।
सादर बैठी विमान॥
संवत भुज नभ दिशि ।
राम जन्म दिन चैत्र।
पूरण चालीसा कियो।
हरी भक्तन हित नैत्र॥
॥ इति श्री गंगा चालीसा ॥

 

 

 

卐 Shree Ganga Chalisa 卐
॥ Doha॥
Jai Jai Jai Jag Paavani,
Jayati Devasar Gang।
Jai Shiv Jata Nivaasini,
Anupam Tung Tarang ॥

॥ Chaupaai ॥
Jai Jai Janani Haran Agha Khaani ।
Aanand Karani Gang Mahaarani ॥
Jai Bhagirathi Surasari Mata ।
Kalimal Mool Dalani Vikhyaata॥
JaiJai Jahaanu Sutaa Agh Hanaani ।
Bheeshm Ki Mata Jag Janani॥
Dhawal Kamal Dal Mam Tanu Saaje ।
Lakhi Shat Sharad Chandra Chhavi Laaje॥
Vaahan Makar Vimal Shuchi Sohai।
Amiya Kalash Kar Lakhi ManMohai॥
Jadit Ratn kanchan aabhooshan।
Hiy Mani Har,haranit Dooshan॥
Jag Paavani Tray Taap Nasaavani।
Taral Tarang Tang Man Bhaavani॥
Jo Ganapati Ati Poojay Pradhaanaa।
Tihoon Te Pratham Ganga Snaanaa॥
Brahm Kamandal Vaasini Devi।
Shree Prabhu Pad Pankaj Sukh Sevi॥
Saathi Sahastra Saagar Sut taarayo।
Gangaa Saagar Teerath Dhaarayo॥
Agam Tarang Uthyo Man Bhaavan।
Lakhi Teerath Haridwaar Suhaavan॥
Teerath Raj Prayaag Akshaivat।
Dharayau Maatu Puni Kashi Karavat॥
Dhani Dhani Surasari Swarg Ki Seedhi।
Taarani Amit Pitu Pad Pidhi॥
Bhaagirath Tap Kiyo Apaaraa।
Diyo Brahm Tav Surasari Dhaaraa॥
Jab Jag Janani Chalyo Haharaai।
Shambhu Jataa Mahan Rahyo Samaai॥
Varsh Paryant Gang Maharani।
Rahi Shambhu Ke Jata Bhulaani॥
Puni Bhaagirathi Shambhuhi Dhyaayo।
Tab Ek Boond Jata Se Paayo॥
Taate Maatu Bhai Tray Dhaaraa।
Mrityulok,Nabh,Aru Paataaraa॥
Gai Paataal Prabhaavati Naamaa।
Mandaakini Gai Gagan Lalaamaa॥
Mrityulok Jaahnavi Suhaavani।
Kalimal Harani Agam Jag Paavani॥
Dhani Maiyaa Tab Mahimaa Bhaari।
Dharm Dhuri Kalush Kuthaari॥
Maatu Prabhavati Dhani Mandaakini।
Dhani Surasarit Sakal Bhayanaasini॥
Paan Karat Nirmal Gangaa Jal।
Paavat Man Ichchhit Anant Phal॥
Poorv Janma Punya Jab Jaagat।
Tabahin Dhyaan Gangaa Mahan Laagat॥
Jai Pagu Surasari Hetu Uthaavahi।
Tai Jagi Ashvamegh Phal Paavahi॥
Mahaa Patit Jin Kaahu Na Taare।
Tin Taare Ek Naam Tihaare॥
Shat Yojanahu Se jo Dhyaavahi।
Nishachaai Vishnu Lok Pad Paavahi॥
Naam Bhajat Aganit Agh Naashai।
Vimal Gyaan Bal Buddhi Prakaashai॥
Jimi Dhan Mool Dharm Aru Daanaa।
Dharm Mool Gangaajal Paanaa॥
Dharm Mool Gangaajal Paanaa॥
Tab Gun Gunan Karat Dukh Bhaajat।
Grih Grih Sampati Sumati Viraajat॥
Gangaahi Nem Sahit Nit Dhyaavat।
Durjanahun Sajjan Pad Paavat।॥
Buddhihin Vidyaa Bal Paavai।
Rogi Rog Mukt Hvai Jaavai॥
Ganga Gangaa Jo Nar Kahahin।
Bhookhe Nange Kabahu Na Rahahi॥
Nikasat Hi Mukh Gangaa Maai।
Shravan Daabi Yam Chalahi Paraai॥
Mahaan Adhin Adhaman Kahan Taare।
Bhaye Nark Ke Band Kivaare॥
Jo Nar Japai Gang Shat Naamaa।
Sakal Siddh Pooran Hvai Kama॥
Sab Sukh Bhog Param Pad Paavahi।
Aavaagaman Rahit Hvai Jaavahi॥
Dhani Maiyaa Surasari Sukh Daini।
Dhani Dhani Teerath raaj Triveni॥
Kankaraa Gram Rishi Durvaasaa।
Sundar Daas Gangaa Kar Dasa॥
Jo Yah Padhe Ganga Chalisa।
Mili Bhakti Aviral Vaageesaa॥

॥ Doha ॥
Nit Nav Sukh Sampati Lahain,
Dharein Gangaa Ka Dhyaan।
Ant Samay Surapur Basai,
Saadar Baithi Vimaan॥
Samvat Bhuj Nabh Dishi,
Raam Janm Din Chaitra।
Pooran Chalisa Kiyo,
Hari Bhaktan Hit Naitra॥
॥ It's Shree Ganga Chalisa ॥


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श्री गणेश चालीसा


卐 श्री गणेश चालीसा 卐 ॥ दोहा॥ जय गणपति सदगुण सदन, कवि वर बदन कृपाल, विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल । ॥ चौपाई ॥ जय जय जय गणपति गणराजू, मंगल भरण करण शुभ काजू । जै गजबदन सदन सुखदाता, विश्व विनायक बुद्धि विधाता । वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन, तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन । राजत मणि मुक्तन उर माला, स्वर्ण मुकुट सिर नयन विशाला । पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं , मोदक भोग सुगन्धित फूलं । सुन्दर पीताम्बर त... Read More

卐 श्री गणेश चालीसा 卐

॥ दोहा॥
जय गणपति सदगुण सदन,
कवि वर बदन कृपाल,
विघ्न हरण मंगल करण,
जय जय गिरिजालाल ।

॥ चौपाई ॥
जय जय जय गणपति गणराजू,
मंगल भरण करण शुभ काजू ।
जै गजबदन सदन सुखदाता,
विश्व विनायक बुद्धि विधाता ।
वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन,
तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ।
राजत मणि मुक्तन उर माला,
स्वर्ण मुकुट सिर नयन विशाला ।
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं ,
मोदक भोग सुगन्धित फूलं ।
सुन्दर पीताम्बर तन साजित ,
चरण पादुका मुनि मन राजित ।
धनि शिव सुवन षडानन भ्राता ,
गौरी ललन विश्व विख्याता ।
रिद्धि सिद्धि तव चंवर सुधारे ,
मूषक वाहन सोहत द्वारे।
कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी ,
अति शुचि पावन मंगलकारी ।

एक समय गिरिराज कुमारी ,
पुत्र हेतु तप कीन्हो भारी ।
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा ,
तब पहुंच्यो तुम धरि द्विज रुपा ।
अतिथि जानि कै गौरि सुखारी ,
बहु विधि सेवा करी तुम्हारी ।
अति प्रसन्न है तुम वर दीन्हा ,
मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ।
मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला ,
बिना गर्भ धारण, यहि काला ।
गणनायक, गुण ज्ञान निधाना ,
पूजित प्रथम, रुप भगवाना ।
अस कहि अन्तर्धान रुप है ,
पलना पर बालक स्वरुप है ।
बनि शिशु, रुदन जबहिं तुम ठाना,
लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना|
सकल मगन, सुखमंगल गावहिं ,
नभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं ।
शम्भु, उमा, बहु दान लुटावहिं ,
सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं ।
लखि अति आनन्द मंगल साजा ,
देखन भी आये शनि राजा ।
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं ,
बालक, देखन चाहत नाहीं ।
गिरिजा कछु मन भेद बढ़ायो ,
उत्सव मोर, न शनि तुहि भायो ।
कहन लगे शनि, मन सकुचाई ,
का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई ।
नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ ,
शनि सों बालक देखन कहाऊ ।
पड़तहिं, शनि दृग कोण प्रकाशा ,
बालक सिर उड़ि गयो अकाशा ।
गिरिजा गिरीं विकल है धरणी ,
सो दुख दशा गयो नहीं वरणी ।
हाहाकार मच्यो कैलाशा ,
शनि कीन्हो लखि सुत को नाशा ।
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो ,
काटि चक्र सो गज शिर लाये ।
बालक के धड़ ऊपर धारयो ,
प्राण, मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो ।
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे ,
प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वन दीन्हे ।
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा ,
पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ।
चले षडानन, भरमि भुलाई,
रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई ।
चरण मातुपितु के धर लीन्हें ,
तिनके सात प्रदक्षिणा कीन्हें ।
धनि गणेश कहि शिव हिय हर्ष्यो,
नभ ते सुरन सुमन बहु वर्षयो।
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई ,
शेष सहसमुख सके न गाई ।
मैं मतिहीन मलीन दुखारी ,
करहुं कौन विधि विनय तुम्हारी ।
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा ,
जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा ।
अब प्रभु दया दीन पर कीजै ,
अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै ।

॥ दोहा ॥
श्री गणेश यह चालीसा,
पाठ करै कर ध्यान,
नित नव मंगल गृह बसै,
लहे जगत सनमान।
सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश,
ऋषि पंचमी दिनेश,
पूरण चालीसा भयो,
मंगल मूर्ति गणेश ।
॥ इति श्री गणेश चालीसा समाप्त्

 

 

卐 Shree ganesh Chalisa 卐
॥ Doha॥
Jai Ganapati Sadagun Sada,
Kavi Var Badan Kripaal,
Vighn Haran Mangal Karanव,
Jai Jai Girijaa Laal।

॥ Chaupaai ॥
Jai Jai Ganapati Gan Raaju,
Mangal Bharan Karan Shubh Kaaju ।
Jai Gajabadan Sadan Sukhadaataa,
Vishwa Vinaayak Buddhi VIdhaata।
Vakra Tunda Shuchi Shund Suhaavan,
Tilaka Tripunda Bhaala Mana Bhaavana।
Raajata Mani Muktana Ura Maala,
Svarna Mukuta Shira Nayana Vishaala।
Pustaka Paani Kuthaara Trishoolam,
Modaka Bhoga Sugandhita Phoolam।
Sundara Pitaambara Tana Saajita,
Charana Paaduka Muni Mana Raajita।
Dhani Shiva Suvana Shadaanana Bhraata,
Gauri Lalana Vishva-Vidhaata।
Riddhi Siddhi Tava Chanvara Sudhaare,
Mushaka Vaahana Sohata Dvaare।
Kahaun Janma Shubha Kathaa Tumhaari,
Ati Shuchi Paavana Mangala Kaari।
Eka Samaya Giriraaj Kumaari,
Putra Hetu Tapa Kinho Bhaari।
Bhayo Yagya Jaba Poorna Anoopa,
Tav Pahunchyo Tuma Dhari Dvija Roopa।
Atithi Jaani Kai Gauri Sukhaari,
Bahuvidhi Sevaa Kari Tumhaari।
Ati Prasanna Hvai Tuma Vara Dinha,
Maatu Putra Hita Jo Tapa Kinha ।
Milahi Putra Tuhi Buddhi Vishaala,
Binaa Garbha Dhaarana Yahi Kaala।
Gananaayaka, Guna Gyaana Nidhaana,
Poojit Prathama Roopa Bhagavana।
Asa Kahi Antardhyaana Roopa Hai,
Palana Para Baalaka Svaroopa Hai।
Bani Shishu Rudana Jabahi Tuma Thaana,
Lakhi Mukha Sukha Nahin Gauri Samaan|
Sakala Magana, Sukha Mangala Gaavahin,
Nabha Te Surana Sumana Varshaavahin।
Shambhu Uma, Bahu Dana Lutavahin,
Sura Munijana, Suta Dekhana Aavahin।
Lakhi Ati Aananda Mangala Saaja,
Dekhana Bhi Aaye Shani Raaja।
Nija Avaguna Guni Shani Mana Maahin,
Baalaka, Dekhan Chaahata Naahin।
Giraja Kachhu Mana Bheda Badhaayo,
Utsava Mora Na Shani Tuhi Bhaayo।
Kahana Lage Shani, Mana Sakuchaai,
Kaa Karihau, Shishu Mohi Dikhaai।
Nahin Vishvaasa, Uma Ur Bhayau,
Shani So Baalaka Dekhana Kahyau।
Padatahin, Shani Driga Kona Prakaasha,
Baalaka Shira Udi Gayo Aakaasha।
Giraja Girin Vikala Hai Dharani,
So Dukha Dasha Gayo Nahin Varani।
Haahaakaara Machyo Kailaasha,
Shani Kinhyon Lakhi Suta Ka Naasha।
Turata Garuda Chadhi Vishnu Sidhaaye,
Kaati Chakra So Gaja Shira Laaye।
Baalaka Ke Dhada Upara Dhaarayo,
Praana, Mantra Padha Shankara Darayo।
Naama 'Ganesha' Shambhu Taba Kinhe,
Prathama Poojya Buddhi Nidhi, Vara Dinhe।
Buddhi Pariksha Jaba Shiva Kinha,
Prithvi Kar Pradakshina Linha।
Chale Shadaanana, Bharami Bhulaii,
Rache Baitha Tuma Buddhi Upaai।
Charana Maatu-Pita Ke Dhara Linhen,
Tinake Saata Pradakshina Kinhen।
Dhani Ganesha, Kahi Shiva Hiya Harashe,
Nabha Te Surana Sumana Bahu Barase।
Tumhari Mahima Buddhi Badaye,
Shesha Sahasa Mukha Sakai Na Gaai।
Mein Mati Hina Malina Dukhaari,
Karahun Kauna Vidhi Vinaya Tumhaari।
Bhajata 'Raamasundara' Prabhudaasa,
Jag Prayaga, Kakara, Durvasa।
Aba Prabhu Daya Dina Para Kijai,
Apani Bhakti Shakti Kachhu Dijai।

॥ Doha ॥
Shri Ganesh Yah Chalisa,
Path Karai Dhari Dhyan,
Nit Nav Mangal Griha Bashe,
Lahe Jagat Sanmanbr> Sambandh Apne Sahstra Dash,
Rishi Panchami Dinesh,
Puran Chalisa Bhayo,
Mangal Murti Ganesha।
॥ It's Shree Ganesh Chalisa॥


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गायत्री चालीसा


卐 श्री गायत्री चालीसा 卐 ॥ दोहा॥ ह्रीं, श्रीं क्लीं मेधा, प्रभा, जीवन ज्योति प्रचण्ड। शान्ति कान्ति , जागृति, प्रगति , रचना शक्ति अखण्ड॥ जगत जननी , मंगल करनि, गायत्री सुखधाम। प्रणवों सावित्री, स्वधा स्वाहा पूरन काम॥ ॥ चौपाई ॥ भूर्भुवः स्वः ॐ युत जननी, गायत्री नित कलिमल दहनी। अक्षर चौबीस परम पुनीता, इनमें बसें शास्त्र, श्रुति गीता। शाश्वत सतोगुणी सत रूपा, सत्य सनातन सुधा अनूपा। हंसारूढ श्वेताम्बर... Read More

卐 श्री गायत्री चालीसा 卐

॥ दोहा॥
ह्रीं, श्रीं क्लीं मेधा, प्रभा,
जीवन ज्योति प्रचण्ड।
शान्ति कान्ति , जागृति, प्रगति ,
रचना शक्ति अखण्ड॥
जगत जननी , मंगल करनि,
गायत्री सुखधाम।
प्रणवों सावित्री, स्वधा
स्वाहा पूरन काम॥

॥ चौपाई ॥
भूर्भुवः स्वः ॐ युत जननी,
गायत्री नित कलिमल दहनी।
अक्षर चौबीस परम पुनीता,
इनमें बसें शास्त्र,
श्रुति गीता।
शाश्वत सतोगुणी सत रूपा,
सत्य सनातन सुधा अनूपा।
हंसारूढ श्वेताम्बर धारी,
स्वर्ण कान्ति शुचि गगन-बिहारी।
पुस्तक , पुष्प,कमण्डलु, माला,
शुभ्र वर्ण तनु नयन विशाला।
ध्यान धरत पुलकित हित होई,
सुख उपजत दुःख दुर्मति खोई।
कामधेनु तुम सुर तरु छाया,
निराकार की अद्भुत माया।
तुम्हरी शरण गहै जो कोई,
तरै सकल संकट सों सोई।
सरस्वती लक्ष्मी तुम काली,
दिपै तुम्हारी ज्योति निराली।
तुम्हरी महिमा पार न पावैं,
जो शारद शत मुख गुन गावैं॥
चार वेद की मात पुनीता,
तुम ब्रह्माणी गौरी सीता।
महामन्त्र जितने जग माहीं,
कोउ गायत्री सम नाहीं।
सुमिरत हिय में ज्ञान प्रकासै,
आलस पाप अविद्या नासै।
सृष्टि बीज जग जननि भवानी,
कालरात्रि वरदा कल्याणी।
ब्रह्मा विष्णु रुद्र सुर जेते,
तुम सों पावें सुरता तेते।
तुम भक्तन की भक्त तुम्हारे,
जननिहिं पुत्र प्राण ते प्यारे।
महिमा अपरम्पार तुम्हारी,
जय जय जय त्रिपदा भयहारी।
पूरित सकल ज्ञान विज्ञाना,
तुम सम अधिक न जगमे आना।
तुमहिं जानि कछु रहै न शेषा,
तुमहिं पाय कछु रहै न कलेशा।
जानत तुमहिं तुमहिं ह्वैजाई,
पारस परसि कुधातु सुहाई।
तुम्हरी शक्ति दिपै सब ठाई,
माता तुम सब ठौर समाई।
ग्रह नक्षत्र ब्रह्माण्ड घनेरे,
सब गतिवान तुम्हारे प्रेरे।
सकल सृष्टि की प्राण विधाता,
पालक पोषक नाशक त्राता ।
मातेश्वरी दया व्रत धारी,
तुम सन तरे पातकी भारी।
जापर कृपा तुम्हारी होई,
तापर कृपा करें सब कोई।
मन्द बुद्धि ते बुधि बल पावें,
रोगी रोग रहित हो जावें।
दरिद्र मिटै कटै सब पीरा,
नाशै दुःख हरै भव भीरा।
गृह क्लेश चित चिन्ता भारी,
नासै गायत्री भय हारी।
सन्तति हीन सुसन्तति पावें,
सुख संपति युत मोद मनावें।
भूत पिशाच सबै भय खावें,
यम के दूत निकट नहिं आवें।
जो सधवा सुमिरें चित लाई,
अछत सुहाग सदा सुखदाई।
घर वर सुख प्रद लहैं कुमारी,
विधवा रहें सत्य व्रत धारी।
जयति जयति जगदम्ब भवानी,
तुम सम ओर दयालु न दानी।
जो सतगुरु सो दीक्षा पावें,
सो साधन को सफल बनावें।
सुमिरन करे सुरूचि बड़भागी,
लहै मनोरथ गृही विरागी।
अष्ट सिद्धि नवनिधि की दाता,
सब समर्थ गायत्री माता।
ऋषि , मुनि , यती, तपस्वी, योगी,
आरत , अर्थी, चिन्तित , भोगी।
जो जो शरण तुम्हारी आवें,
सो सो मन वांछित फल पावें।
बल , बुद्धि, विद्या, शील स्वभाउ,
धन, वैभव, यश , तेज , उछाउ।
सकल बढें उपजें सुख नाना,
जे यह पाठ करै धरि ध्याना।

॥ दोहा ॥
यह चालीसा भक्ति युत,
पाठ करै जो कोई।
तापर कृपा, प्रसन्नता,
गायत्री की होय॥
॥ इति श्री गायत्री चालीसा ॥

卐 Shree Gayatri Chalisa 卐
॥ Doha॥
Hring, Shring, Kling, Medha, Prabha,
Jeevan, Jyoti, Prachand।
Shanti, Kranti, Jagruti, Pragati,
Rachana, Shakti Aakhand॥
Jagat Janani, Mangal Karni,
Gayatri Sukh Dham।
Pranavo Savitri, Swadha,
Swaha Puran Kaam॥

 

॥ Chaupaai ॥
Bhoorbhuvah Swah Om Yut Janani,
Gayatri Nit Kalimal Dahani.
Akshar Chaubis Param Puneeta,
Iname Base Shaastra Shuti Geeta.
Shashwat Satoguni Satrupa,
Satya Sanatan Sudha Anoopa.
Hansarudh Swetambhar Dhari,
Swarn Kranti Suchi Gagan Bihaari.
Pustak Pushpa Kamdalu Mala,
Shubhra Varna Tanu Nayan Vishaalaa.
Dhyan Dharat Pulakit Hit Hoi,
Sukh Upjat Dukh Duramati Khoy.
Kamdhenu Tum Sur Taru Chhaayaa,
Nirakar Ki Adhbut Maaya.
Tumhari Sharan Grahai Jo Koi,
Tarai Sakal Sankat So Soi.
Saraswati Lakshmi Tum Kali,
Deepai Tumhari Jyoti Nirali.
Tumhari Mahima Paar Na Paave,
Jo Shaarad Satmukh Gun Gaavain.
Char Ved Ki Matu Puneeta,
Tum Brahmani Gauri Seeta.
Mahamantra Jitne Jag Maahi,
Kou Gayatri Sam Naahi.
Sumirat Hiya Mein Gyan Prakashai,
Aalas Paap Avidhya Nasai,
Shristi Beej Jag Janani Bhavaani,
Kal Ratri Varda Kalyaani.
Brahma Vishnu Rudru Sur Jete,
Tum Son Paave Surtaa tete.
Tum Bhaktan Ki Bhakt Tumhaare,
Jananihin Putra Praan Te Pyaare.
Mahima Aprampaar Tumhari,
Jai Jai Jai Tripada Bhayhaari.
Poorit Sakal Gyan Vigyaanaa,
Tum Sam Adhika Na Jag Mein Aana.
Tumahin Janu Kachhu Rahe Na Shesha,
Tumahin Pae Kachu Rahne Na Klesha.
Janat Tumahin Tumahin Hvai Jai,
Paaras Parsi Kudhaatu Suhaai.
Tumhari Shakti deepaiSab Thai,
Mata Tum Sab Thaur Samai.
Graha Nakshtra Brahmand Ghanere,
Sab Gativaan Tunhare Prere.
Sakal Shriti Ki Praan Vidhaataa,
Paalak Poshak Naashak Traataa.
Mateshwari Daya Vrat Dhaari,
Tun San Tare Paataki Bhaari.
Japar Kripa Tumhaari Hoi,
Ta Par Kripaa Kare Sab Koi.
Mand Buddhi Te Buddhi Bal Paaven,
Rogi Rog Rahit Ho Jaaven.
Daridra Mitai Katai Sab Peera,
Nashe Dukh Hari Bhav Bheera.
Griha Kalesh Chit Chinta Bhaari,
Naasai Gayatri Bhay Haari.
Santati Hin Su Santati Paavein,
Sukh Sampati Yut Mod Manaavein.
Bhoot Pishaach Sabai Bhay Khaavein,
Yam Ke Doot Nikat Nahi Aavein.
Jo Sadhva Sumire Chit Laai,
Achhat Suhag Sada Sukhdaai.
Ghar Var Shukhprad Lahai Kumari,
Vidhavaa Rahein Satyavrat Dhaari.
Jayati Jayati Jagdamba Bhawaani,
Tum Sam Aur Dayalu Na Daani.
Jo Sadguru So Diksha Paavein,
So Saadhan Ko Saphal Banaavein,
Sumiran Kare Suruchi Badabhagi,
Lahein Manorath Grahi Viraagi.
Astha Siddhi Nav Nidhi Ki Data,
Sab Samarath Gayatri Mata.
Rishi Muni Yati, Tapasvi, Yogi,
Aarat Arthi Chintit Bhogi.
Jo Jo Sharan Tumhaari Aave,
So So Manvaanchhit Phal Paaven.
Bal Buddhi Vidya Shil Swabhavu,
Dhan Vaibhav Yash Tej Uchaau,
Sakal Badhe Upje Sukh Nana,
Jo Yah Path Kari Dhari Dhayaanaa.

॥Doha ॥
Yah Chalisa Bhakti Yut
Path Kare Jo Koi.
Taapar Kripa Prasannataa
Gayatri Ki Hoy.
॥ It's Shree gayatri Chalisa ॥


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तुलसी माता चालीसा


卐 श्री तुलसी चालीसा 卐 ॥ दोहा॥ जय जय तुलसी भगवती सत्यवती सुखदानी। नमो नमो हरि प्रेयसी श्री वृन्दा गुन खानी॥ श्री हरि शीश बिरजिनी, देहु अमर वर अम्ब। जनहित हे वृन्दावनी अब न करहु विलम्ब॥ ॥ चौपाई ॥ धन्य धन्य श्री तुलसी माता। महिमा अगम सदा श्रुति गाता॥ हरि के प्राणहु से तुम प्यारी। हरीहीँ हेतु कीन्हो तप भारी॥ जब प्रसन्न है दर्शन दीन्ह्यो। तब कर जोरी विनय उस कीन्ह्यो॥ हे भगवन्त कन्त मम होहू। दीन जानी... Read More

卐 श्री तुलसी चालीसा 卐

॥ दोहा॥
जय जय तुलसी भगवती
सत्यवती सुखदानी।
नमो नमो हरि प्रेयसी
श्री वृन्दा गुन खानी॥
श्री हरि शीश बिरजिनी,
देहु अमर वर अम्ब।
जनहित हे वृन्दावनी
अब न करहु विलम्ब॥

॥ चौपाई ॥
धन्य धन्य श्री तुलसी माता।
महिमा अगम सदा श्रुति गाता॥
हरि के प्राणहु से तुम प्यारी।
हरीहीँ हेतु कीन्हो तप भारी॥
जब प्रसन्न है दर्शन दीन्ह्यो।
तब कर जोरी विनय उस कीन्ह्यो॥
हे भगवन्त कन्त मम होहू।
दीन जानी जनि छाडाहू छोहु॥
सुनी लक्ष्मी तुलसी की बानी।
दीन्हो श्राप कध पर आनी॥
उस अयोग्य वर मांगन हारी।
होहू विटप तुम जड़ तनु धारी॥
सुनी तुलसी हीँ श्रप्यो तेहिं ठामा।
करहु वास तुहू नीचन धामा॥
दियो वचन हरि तब तत्काला।
सुनहु सुमुखी जनि होहू बिहाला॥
समय पाई व्हौ रौ पाती तोरा।
पुजिहौ आस वचन सत मोरा॥
तब गोकुल मह गोप सुदामा।
तासु भई तुलसी तू बामा॥
कृष्ण रास लीला के माही।
राधे शक्यो प्रेम लखी नाही॥
दियो श्राप तुलसिह तत्काला।
नर लोकही तुम जन्महु बाला॥
यो गोप वह दानव राजा।
शङ्ख चुड नामक शिर ताजा॥
तुलसी भई तासु की नारी।
परम सती गुण रूप अगारी॥
अस द्वै कल्प बीत जब गयऊ।
कल्प तृतीय जन्म तब भयऊ॥
वृन्दा नाम भयो तुलसी को।
असुर जलन्धर नाम पति को॥
करि अति द्वन्द अतुल बलधामा।
लीन्हा शंकर से संग्राम॥
जब निज सैन्य सहित शिव हारे।
मरही न तब हर हरिही पुकारे॥
पतिव्रता वृन्दा थी नारी।
कोऊ न सके पतिहि संहारी॥
तब जलन्धर ही भेष बनाई।
वृन्दा ढिग हरि पहुच्यो जाई॥
शिव हित लही करि कपट प्रसंगा।
कियो सतीत्व धर्म तोही भंगा॥
भयो जलन्धर कर संहारा।
सुनी उर शोक उपारा॥
तिही क्षण दियो कपट हरि टारी।
लखी वृन्दा दुःख गिरा उचारी॥
जलन्धर जस हत्यो अभीता।
सोई रावन तस हरिही सीता॥
अस प्रस्तर सम ह्रदय तुम्हारा।
धर्म खण्डी मम पतिहि संहारा॥
यही कारण लही श्राप हमारा।
होवे तनु पाषाण तुम्हारा॥
सुनी हरि तुरतहि वचन उचारे।
दियो श्राप बिना विचारे॥
लख्यो न निज करतूती पति को।
छलन चह्यो जब पारवती को॥
जड़मति तुहु अस हो जड़रूपा।
जग मह तुलसी विटप अनूपा॥
धग्व रूप हम शालिग्रामा।
नदी गण्डकी बीच ललामा॥
जो तुलसी दल हमही चढ़ इहैं।
सब सुख भोगी परम पद पईहै॥
बिनु तुलसी हरि जलत शरीरा।
अतिशय उठत शीश उर पीरा॥
जो तुलसी दल हरि शिर धारत।
सो सहस्त्र घट अमृत डारत॥
तुलसी हरि मन रञ्जनी हारी।
रोग दोष दुःख भंजनी हारी॥
प्रेम सहित हरि भजन निरन्तर।
तुलसी राधा मंज नाही अन्तर॥
व्यन्जन हो छप्पनहु प्रकारा।
बिनु तुलसी दल न हरीहि प्यारा॥
सकल तीर्थ तुलसी तरु छाही।
लहत मुक्ति जन संशय नाही॥
कवि सुन्दर इक हरि गुण गावत।
तुलसिहि निकट सहसगुण पावत॥
बसत निकट दुर्बासा धामा।
जो प्रयास ते पूर्व ललामा॥
पाठ करहि जो नित नर नारी।
होही सुख भाषहि त्रिपुरारी॥

॥ दोहा ॥
तुलसी चालीसा पढ़ही
तुलसी तरु ग्रह धारी।
दीपदान करि पुत्र फल
पावही बन्ध्यहु नारी॥
सकल दुःख दरिद्र हरि
हार ह्वै परम प्रसन्न।
आशिय धन जन लड़हि
ग्रह बसही पूर्णा अत्र॥
लाही अभिमत फल जगत मह
लाही पूर्ण सब काम।
जेई दल अर्पही तुलसी तंह
सहस बसही हरीराम॥
तुलसी महिमा नाम लख
तुलसी सूत सुखराम।
मानस चालीस रच्यो
जग महं तुलसीदास॥
॥ इति श्री तुलसी चालीसा ॥

 

 

 

卐 Shree Tulsi Chalisa 卐
॥ Doha॥
Jai Jai Tulsi Bhagavati
Satyavati Sukhdaani।
Namo Namo Hari Preyasi
Shri Vrinda Gun Khaani॥
Shri Hari Shish Biraajini,
Dehu Amar Var Amb।
Janahit He Vrindavani
Ab Na Karahu Vilamb॥

॥Chaupai॥
Dhanya Dhanya Shri Tulasi Mata।
Mahima Agam Sada Shruti Gata॥
Hari Ke Pranahu Se Tum Pyari।
Harihi Hetu Kinho Tap Bhaari॥
Jab Prasann Hai Darshan Dinhyo।
Tab Kar Jori Vinay Us Kinhyo॥
He Bhagvant Kant Mam Hohu।
Deen Jaani Jani Chhadahu Chhohu॥
Suni Lakshmi Tulasi Ki Baani।
Dinho Shrap Kadh Par Aani॥
Us Ayogya Var Maangan Haari।
Hohu Vitap Tum Jad Tanu Dhaari॥
Suni Tulasihi Shrapyo Tehim Thama।
Karahu Vaas Tuhu Neechan Dhama॥
Diyo Vachan Hari Tab Tatkaalaa।
Sunahu Sumukhi Jani Hohu Bihaalaa॥
Samay Paai Vhau Rau Paati Tora।
Pujihau Aas Vachan Sat Mora॥
Tab Gokul Mah Gop Sudama।
Taasu Bhai Tulasi Tu Bama॥
Krishna Raas Leela Ke Mahi।
Radhe Shakyo Prem Lakhi Naahi॥
Diyo Shrap Tulasih Tatkala।
Nar Lokahi Tum Janmahu Baala॥
Yo Gop Vah Danav Raja।
Shankh Chud Naamak Shir Taja॥
Tulasi Bhai Tasu Ki Naari।
Param Sati Gun Roop Agaari॥
As Dvai Kalp Bit Jab Gayaoo।
Kalp Tritiya Janm Tab Bhayaoo॥
Vrinda Naam Bhayo Tulasi Ko।
Asur Jalandhar Naam Pati Ko॥
Kari Ati Dvand Atul Baldhaamaa।
Linha Shankar Se Sangraamaa॥
Jab Nij Sainy Sahit Shiv Haare।
Marahi Na Tab Har Harihi Pukaare॥
Pativrata Vrinda Thi Naari।
Kou Na Sake Patihi Sanhari॥
Tab Jalandhar Hi Bhesh Banai।
Vrinda Dhig Hari Pahuchyo Jaai॥
Shiv Hit Lahi Kari Kapat Prasangaa।
Kiyo Satitva Dharm Tohi Bhangaa॥
Bhayo Jalandhar Kar Sanhara।
Suni Ur Shok Upara॥
Tihi Kshan Diyo Kapat Hari Taari।
Lakhi Vrinda Dukh Gira Uchaari॥
Jalandhar Jas Hatyo Abhita।
Soi Ravan Tas Harihi Sita॥
As Prastar Sam Hriday Tumhara।
Dharm Khandi Mam Patihi Sanhara॥
Yahi Kaaran Lahi Shrap Hamara।
Hove Tanu Pashan Tumhara॥
Suni Hari Turatahi Vachan Uchaare।
Diyo Shrap Bina Vichaare॥
Lakhyo Na Nij Kartuti Pati Ko।
Chhalan Chahyo Jab Parvati Ko॥
Jadmati Tuhu As Ho Jadroopaa।
Jag Mah Tulasi Vitap Anupaa॥
Dhagv Roop Ham Shaligrama।
Nadi Gandaki Bich Lalaama॥
Jo Tulasi Dal Hamhi Chadh Ihai।
Sab Sukh Bhogi Param Pad Paihai॥
Binu Tulasi Hari Jalat Sharira।
Atishay Uthat Shish Ur Peera॥
Jo Tulasi Dal Hari Shish Dhaarat।
So Sahastra Ghat Amrit Daarat॥
Tulasi Hari Man Ranjani Haari।
Rog Dosh Dukh Bhanjani Haari॥
Prem Sahit Hari Bhajan Nirantar।
Tulasi Radha Manj Naahi Antar॥
Vyanjan Ho Chhappanahu Prakara।
Binu Tulasi Dal Na Harihi Pyara॥
Sakal Tirth Tulasi Taru Chhahi।
Lahat Mukti Jan Sanshay Naahi॥
Kavi Sundar Ik Hari Gun Gaavat।
Tulasihi Nikat Sahasgun Paavat॥
Basat Nikat Durbasa Dhaamaa।
Jo Prayas Te Purv Lalaama॥
Paath Karahi Jo Nit Nar Naari।
Hohi Sukh Bhashahi Tripurari॥

॥Doha॥
Tulasi Chalisa Padhahi
Tulasi Taru Grah Dhari।
Deepdaan Kari Putra Phal
Pavahi Bandhyahu Naari॥
Sakal Dukh Daridra Hari
Har Hvai Param Prasann।
Aashiya Dhan Jan Ladahi
Grah Basahi Purna Atra॥
Laahi Abhimat Phal Jagat Mah
Laahi Purna Sab Kaam।
Jei Dal Arpahi Tulasi Tah
Sahas Basahi HariRam॥
Tulasi Mahima Naam Lakh
Tulasi Sut Sukhram।
Manas Chalis Rachyo
Jag Mah Tulasidas॥
॥It's Shree Tulasi Chalisa॥


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श्री दुर्गा चालीसा


卐 श्री दुर्गा चालीसा 卐 नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो अम्बे दुःख हरनी॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक फैली उजियारी॥ शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥ रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥ तुम संसार शक्ति लय कीना। पालन हेतु अन्न धन दीना॥ अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥ प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥ शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।... Read More

卐 श्री दुर्गा चालीसा 卐

नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो अम्बे दुःख हरनी॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूँ लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महाविशाला।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
रूप मातु को अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे॥
तुम संसार शक्ति लय कीना।
पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥
रूप सरस्वती को तुम धारा।
दे सुबुद्धि ऋषि-मुनिन उबारा॥
धरा रूप नरसिंह को अम्बा।
प्रगट भईं फाड़कर खम्बा॥
रक्षा कर प्रह्लाद बचायो।
हिरणाकुश को स्वर्ग पठायो॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।
श्री नारायण अंग समाहीं॥
क्षीरसिन्धु में करत विलासा।
दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।
महिमा अमित न जात बखानी॥
मातंगी अरु धूमावति माता।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥
केहरि वाहन सोह भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी॥
कर में खप्पर-खड्ग विराजै।
जाको देख काल डर भाजे॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला।
जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
नगर कोटि में तुम्हीं विराजत।
तिहुंलोक में डंका बाजत॥
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे।
रक्तबीज शंखन संहारे॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी।
जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
रूप कराल कालिका धारा।
सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
परी गाढ़ सन्तन पर जब-जब।
भई सहाय मातु तुम तब तब॥

अमरपुरी अरु बासव लोका।
तब महिमा सब रहें अशोका॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावै।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।
जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
शंकर आचारज तप कीनो।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
शक्ति रूप को मरम न पायो।
शक्ति गई तब मन पछितायो॥
शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
आशा तृष्णा निपट सतावे।
मोह मदादिक सब विनशावै॥
शत्रु नाश कीजै महारानी।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
करो कृपा हे मातु दयाला।
ऋद्धि-सिद्धि दे करहु निहाला॥
जब लगि जियउं दया फल पाऊं।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥
दुर्गा चालीसा जो नित गावै।
सब सुख भोग परमपद पावै॥
देवीदास शरण निज जानी।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी
॥ दोहा ॥
शरणागत रक्षा करे,
भक्त रहे नि:शंक।
मैं आया तेरी शरण में,
मातु लिजिये अंक॥
॥ इति श्री दुर्गा चालीसा ॥

 

 

 

卐 Shree Durga Chalisa 卐
Namo Namo Durge Sukh Karani,
Namo Namo Ambe Dukh Harani.
Nirankaar Hai Jyoti Tumhari,
Tihoun Lok Phaili Uujiyaari
Shashi Lalaat Mukh Maha Vishala,
Netra Lal Bhrikoutee Vikaraala
Roop Maatu Ko Adhik Suhaave,
Darshan Karata Jana Ati Sukh Paave
Tum Sansar Shakti Laya Keena,
Palana Hetu Anna Dhan Deena
Annapoorna Hui Tu Jag Pala,
Tumhi Aadi Sundari Bala
Pralayakala Sab Nashana Haari,
Tum Gouri Shiv Shankar Pyari
Shiv Yogi Tumhre Gun Gaavein,
Brahma Vishnu Tumhein Nit Dhyavein
Roop Saraswati Ka Tum Dhara,
Day Subuddhi Rishi Munina Ubara
Dharyo Roop Narsimha Ko Amba,
Pragat Bhayi Phaad Ke Khamba
Raksha Kari Prahlad Bachaayo,
Hiranyaykush Ko Swarga Pathayo
Lakshmi Roop Dharo Jag Maahin,
Shree Narayan Anga Samahin
Ksheer Sindhu Mein Karat Vilaasa,
Daya Sindhu Deejey Man Aasa
Hingalaja Mein Tumhi Bhavani,
Mahima Amit Na Jaat Bakhani
Matangi Aru Dhoomawati Mata,
Bhuvaneshwari Bagala Sukhdata
Shree Bhairav Tara Jag Tarani,
Chhinna Bhala Bhava Dukh Nivarini
Kehari Vahan Soha Bhavani,
Laangur Veer Chalata Agavani
Kar Mein Khappar Khadaga Virajay,
Jako Dekh Kaal Dar Bhajey
Sohe Astra Aur Trishula,
Jase Uthata Shatru Hiya Shoola
Nagarkot Mein Toumhi Virajat,
Tihoun Lok Mein Danka Baajat
ShumbhNishumbh Daanuv Tum Maare,
Rakta Beej Shankhana Sanghaare
Mahishasur Nrip Ati Abhimaani,
Jehi Agh Bhar Mahi Akulaani
Roop Karaal Kali ka Dhara,
Sen Sahita Tum Tihin Samhara
Pari Gaarh Santana Par Jab Jab,
Bhayi Sahay Matu Tum Tab Tab
Amarpuri Aru Baasab Lokaa,
Tab Mahima Sab Rahey Ashoka
Jwala Mein Hai Jyoti Tumhari,
Tumhein Sada Poojey Nar Nari
Prem Bhakti Se Jo Yash Gave,
Dukh Daridra Nikat Nahin Aave
Dhyaave Tumhein Jo Nar Man Layi,
Janma Maran Tako Chhouti Jaayi
Yogi Sur Muni Kahat Pukaari,
Yog Na Hoye Bina Shakti Tumhari
Shankara Acharaj Tap Ati Keenho,
Kaam Krodh Jeet Sab Leenho
Nishidin Dhyan Dharo Shankar Ko,
Kaahu Kaal Nahin Soumiro Tumko
Shakti Roop Ko Maram Na Payo,
Shakti Gayi Tab Man Pachitayo
Sharnagat Huyi Kirti Bakhaani,
Jai Jai Jai Jagadambe Bhavani
Bhayi Prasanna Aadi Jagadamba,
Dayi Shakti Nahin Keen Vilamba
Maukon Maatu Kashta Ati Ghero,
Tum Bin Kaun Harey Dukh Mero
Asha Trishna Nipat Satavein,
Moh Madaadik Sab VInashaavein
Shatru Nash Kijey Maharani,
Soumiron Ikchit Tumhein Bhavani
Karo Kripa Hey Maatu Dayala,
Riddhi Siddhi Dey Karahou Nihaala
Jab Lagi Jiyoun Daya Phal Paoun,
Tumhro Yash Mein Sada Sounaoun
Durga Chalisa Jo Nar Gaavey,
Sab Sukh Bhog Parampad Pavey
Devidas Sharan Nij Jaani,
Karahoun Kripa Jagadambe Bhavani

॥Doha॥
Sharanaagat Rakshaa Kare,
Bhakt Rahe Nishank ।
Main Aayaa Teri Sharan Me,
Maatu Lijiye Ank ॥
॥ It's Shree Durga Chalisa ॥


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श्री नर्मदा चालीसा


卐 श्री नर्मदा चालीसा 卐 ॥ दोहा॥ देवि पूजित, नर्मदा, महिमा बड़ी अपार। चालीसा वर्णन करत, कवि अरु भक्त उदार॥ इनकी सेवा से सदा, मिटते पाप महान। तट पर कर जप दान नर, पाते हैं नित ज्ञान ॥ ॥ चौपाई ॥ जय-जय-जय नर्मदा भवानी, तुम्हरी महिमा सब जग जानी। अमरकण्ठ से निकली माता, सर्व सिद्धि नव निधि की दाता। कन्या रूप सकल गुण खानी, जब प्रकटीं नर्मदा भवानी। सप्तमी सुर्य मकर रविवारा, अश्वनि माघ मास अवतारा। वाहन मकर... Read More

卐 श्री नर्मदा चालीसा 卐

॥ दोहा॥
देवि पूजित, नर्मदा,
महिमा बड़ी अपार।
चालीसा वर्णन करत,
कवि अरु भक्त उदार॥
इनकी सेवा से सदा,
मिटते पाप महान।
तट पर कर जप दान नर,
पाते हैं नित ज्ञान ॥

॥ चौपाई ॥
जय-जय-जय नर्मदा भवानी,
तुम्हरी महिमा सब जग जानी।
अमरकण्ठ से निकली माता,
सर्व सिद्धि नव निधि की दाता।
कन्या रूप सकल गुण खानी,
जब प्रकटीं नर्मदा भवानी।
सप्तमी सुर्य मकर रविवारा,
अश्वनि माघ मास अवतारा।
वाहन मकर आपको साजैं,
कमल पुष्प पर आप विराजैं।
ब्रह्मा हरि हर तुमको ध्यावैं,
तब ही मनवांछित फल पावैं।
दर्शन करत पाप कटि जाते,
कोटि भक्त गण नित्य नहाते।
जो नर तुमको नित ही ध्यावै,
वह नर रुद्र लोक को जावैं।
मगरमच्छा तुम में सुख पावैं,
अंतिम समय परमपद पावैं।
मस्तक मुकुट सदा ही साजैं,
पांव पैंजनी नित ही राजैं।
कल-कल ध्वनि करती हो माता,
पाप ताप हरती हो माता।
पूरब से पश्चिम की ओरा,
बहतीं माता नाचत मोरा।
शौनक ऋषि तुम्हरौ गुण गावैं,
सूत आदि तुम्हरौं यश गावैं।
शिव गणेश भी तेरे गुण गवैं,
सकल देव गण तुमको ध्यावैं।
कोटि तीर्थ नर्मदा किनारे,
ये सब कहलाते दु:ख हारे।
मनोकमना पूरण करती,
सर्व दु:ख माँ नित ही हरतीं।
कनखल में गंगा की महिमा,
कुरुक्षेत्र में सरस्वती महिमा।
पर नर्मदा ग्राम जंगल में,
नित रहती माता मंगल में।
एक बार कर के स्नाना ,
तरत पिढ़ी है नर नारा।
मेकल कन्या तुम ही रेवा,
तुम्हरी भजन करें नित देवा।
जटा शंकरी नाम तुम्हारा,
तुमने कोटि जनों को है तारा।
समोद्भवा नर्मदा तुम हो,
पाप मोचनी रेवा तुम हो।
तुम्हरी महिमा कहि नहीं जाई,
करत न बनती मातु बड़ाई।
जल प्रताप तुममें अति माता,
जो रमणीय तथा सुख दाता।
चाल सर्पिणी सम है तुम्हारी,
महिमा अति अपार है तुम्हारी।
तुम में पड़ी अस्थि भी भारी,
छुवत पाषाण होत वर वारि।
यमुना मे जो मनुज नहाता,
सात दिनों में वह फल पाता।
सरस्वती तीन दीनों में देती,
गंगा तुरत बाद हीं देती।
पर रेवा का दर्शन करके
मानव फल पाता मन भर के।
तुम्हरी महिमा है अति भारी,
जिसको गाते हैं नर-नारी।
जो नर तुम में नित्य नहाता,
रुद्र लोक मे पूजा जाता।
जड़ी बूटियां तट पर राजें,
मोहक दृश्य सदा हीं साजें|
वायु सुगंधित चलती तीरा,
जो हरती नर तन की पीरा।
घाट-घाट की महिमा भारी,
कवि भी गा नहिं सकते सारी।
नहिं जानूँ मैं तुम्हरी पूजा,
और सहारा नहीं मम दूजा।
हो प्रसन्न ऊपर मम माता,
तुम ही मातु मोक्ष की दाता।
जो मानव यह नित है पढ़ता,
उसका मान सदा ही बढ़ता।
जो शत बार इसे है गाता,
वह विद्या धन दौलत पाता।
अगणित बार पढ़ै जो कोई,
पूरण मनोकामना होई।
सबके उर में बसत नर्मदा,
यहां वहां सर्वत्र नर्मदा ।

॥ दोहा ॥
भक्ति भाव उर आनि के,
जो करता है जाप।
माता जी की कृपा से,
दूर होत संताप॥
॥ इति श्री नर्मदा चालीसा ॥

 

 

卐 Shree Narmada Chalisa 卐
॥ Doha॥
Devi Pujit ,Narmada,
Mahima Badi Apaar।
Chalisa Varnan Karat,
Kavi Aru Bhakt Udaar॥
Inaki Seva Se Sadaa,
Mitate Paap Mahaan।
Tat Par Kar jap Daan Nar,
Paate Hai Nit Gyaan॥

॥ Chaupaai ॥
Jai-Jai-Jai Narmadaa Bhavaani,
Tumahri Mahima Sab Jag Jaani.
Amarakanth Se Nikali Mata,
Sarv Siddhi Nav Nidhi Ki Data.
Kanyaa Roop Sakal Gun Khaani,
Jab Prakati Narmadaa Bhavaani.
Saptami Surya Makar Ravivaaraa,
Ashvin Maagh Maas Avataaraa.
Vaahan Makar Aapako Saajain,
Kamal Pushp Par Aap Viraajain.
Brahmaa Hari har Tumako Dhyaavain,
Tab Hi Manavaanchhit Phal Paavain.
Darshan Karat Paap Kati Jaate,
Koti Bhakt Gan Nitya Nahaate.
Jo Nar Tumako Nit Hi Dhyaavai,
Vah Nar Rudra Lok Ko Jaavain.
Magaramachchha Tum Me Sukh Paavain,
Antim Sa,ay Param PadPaavain.
Mastak Mukut Sadaa Hi Saajain,
Paanv Painjani Nit Hi Raajain.
Kal-Kal Dhwani Karati Ho Mata,
Paap Taap Harati Ho Mata.
Poorab Se Pashchim Ki Oraa,
Bahati Mata Naachat Mora.
Shaunak Rishi Tumharau Gun Gaavain,
Soot Aadi Tumharoun Yash Gaavain.
Shiv Ganesh Bhee Tere Gun Gaavain,
Sakal Dev Gan Tumako Dhyaavain.
Koti Teerth Narmadaa Kinaare,
Ye Sab Kahalaate Dukh Haare.
Manokaamanaa Pooran Karati,
Sarv Dukh Maa Nit Hi Harati.
Kanakhal Me Ganga Ki Mahimaa,
Kurukshetra Me Saraswati Mahimaa.
Par Narmadaa Graam Jangal Me,
Nit Rahati Mata Mangal Me.
Ek Baar Kar Ke Snaanaa,
Tarat Pidhi Hai Nar Naaraa.
Mekhal Kanyaa Tum Hi Revaa,
Tumhari Bhajan Karein Nit Devaa.
Jataa Shankari Naam Tumhaaraa,
Tumane Koti Jano Ko Taaraa.
Samodbhabaa Narmadaa Tum Ho,
Paap Mochani Revaa Tum Ho.
Tumhari Mahima Kahi Nahi Jaai,
Karat Na Banatu Maatu Badaai.
Jal Prataap Tumame Ati Mata,
Jo ramaneey Tathaa Sukh Data.
Chaal Sarpini Sam Hai Tumhaari,
Mahimaa Ati Apaar Hai Tumhaari.
Tum Me Padi Asthi Bhi Bhaari,
Chhuvat Paashaan Hot Var Vaari.
Yamunaa Me Jo Manuj Nahaataa,
Saat Dino Me Vah Phal Pata.
Saraswati Teen Dino Me Deti,
Gangaa Turat Baad Hi Deti.
Par Reva Ka Darshan Karake,
Maanav Phal Paataa Man Bhar Ke.
Tumhari Mahima Hai Ati Bhaari,
Jisako Gaate Hai Nar Naari.
Jo Nar Tum Me Nitya Nahaataa,
Rudra Lok Me Puja Jata.
Jadi Bootiyaan Tat Par Raaje,
Mohak Drishya Sadaa HI Saaje.
Vaayu Sugandhit Chalati Teeraa,
Jo Harati Nar Tan Ki Peeraa.
Ghaat-Ghaat Ki Mahimaa Bhaari,
Kavi Bhi Gaa Nahin Sakate Saari.
Nahin Jaanoon Main Tumhari Puja,
Aur Sahaaraa Nahin Mam Dooja.
Ho Prasann Oopar Mam Mata,
Tum Hi Maatu Moksh Ki Data.
Jo Maanav Yah Nit Hai Padhataa,
Usakaa Maan Sadaa Hi Badhataa.
Jo Shat Baar Ise Hai Gata,
Vah Vidya Dhan Daulat Pata.
Aganit Baar Padhai Jo Koi,
Pooran Manokaamanaa Hoi.
Sabake Ur Me Basat Narmada,
Yahaan Vahaan Sarvatra Narmada.

॥Doha॥
Bhakti Bhaav Ur Aani Ke,
Jo Karataa Hai Jaap.
Mata Ji Ki Kripa Se,
Door Hota Santaap.
॥ It's Shrtee Narmada Chalisa ॥


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नवग्रह चालीसा


卐 श्री नवग्रह चालीसा 卐   ॥ दोहा॥ श्री गणपति ग़ुरुपद कमल, प्रेम सहित सिरनाय , नवग्रह चालीसा कहत, शारद होत सहाय जय, जय रवि शशि सोम बुध, जय गुरु भृगु शनि राज, जयति राहू अरु केतु ग्रह, करहु अनुग्रह आज !! ॥ चौपाई ॥ श्री सूर्य स्तुति प्रथमही रवि कहं नावों माथा, करहु कृपा जन जानि अनाथा, हे आदित्य दिवाकर भानु, मै मति मन्द महा अज्ञानु, अब निज जन कहं हरहु क्लेशा, दिनकर द्वादश रूप दिनेशा, नमो भास्कर स... Read More

卐 श्री नवग्रह चालीसा 卐

 

॥ दोहा॥
श्री गणपति ग़ुरुपद कमल,
प्रेम सहित सिरनाय ,
नवग्रह चालीसा कहत,
शारद होत सहाय जय,
जय रवि शशि सोम बुध,
जय गुरु भृगु शनि राज,
जयति राहू अरु केतु ग्रह,
करहु अनुग्रह आज !!

॥ चौपाई ॥

श्री सूर्य स्तुति
प्रथमही रवि कहं नावों माथा,
करहु कृपा जन जानि अनाथा,
हे आदित्य दिवाकर भानु,
मै मति मन्द महा अज्ञानु,
अब निज जन कहं हरहु क्लेशा,
दिनकर द्वादश रूप दिनेशा,
नमो भास्कर सूर्य प्रभाकर,
अर्क मित्र अघ मोघ क्षमाकर !!

श्री चंद्र स्तुति
शशि मयंक रजनी पति स्वामी,
चंद्र कलानिधि नमो नमामि,
राकापति हिमांशु राकेशा,
प्रणवत जन तन हरहु कलेशा,
सोम इंदु विधु शान्ति सुधाकर,
शीत रश्मि औषधि निशाकर ,
तुम्ही शोभित सुंदर भाल महेशा,
शरण शरण जन हरहु कलेशा !!

श्री मंगल स्तुति
जय जय मंगल सुखा दाता,
लोहित भौमादिक विख्याता ,
अंगारक कुंज रुज ऋणहारि,
करहु दया यही विनय हमारी ,
हे महिसुत छितिसुत सुखराशी,
लोहितांगा जय जन अघनाशी ,
अगम अमंगल अब हर लीजै,
सकल मनोरथ पूरण कीजै !!

श्री बुध स्तुति
जय शशि नंदन बुध महाराजा,
करहु सकल जन कहॅ शुभ काजा,
दीजै बुद्धिबल सुमति सुजाना,
कठिन कष्ट हरी करी कल्याणा ,
हे तारासुत रोहिणी नंदन,
चंद्र सुवन दु:ख द्वंद निकन्दन,
पूजहु आस दास कहूँ स्वामी ,
प्रणत पाल प्रभु नमो नमामि !!

श्री बृहस्पति स्तुति
जयति जयति जय श्री गुरु देवा,
करहु सदा तुम्हरी प्रभु सेवा,
देवाचार्य तुम देव गुरु ज्ञानी,
इन्द्र पुरोहित विद्या दानी,
वाचस्पति बागीश उदारा,
जीव बृहस्पति नाम तुम्हारा,
विद्या सिन्धु अंगीरा नामा,
करहु सकल विधि पूरण कामा !

श्री शुक्र स्तुति
शुक्र देव पद तल जल जाता,
दास निरंतर ध्यान लगाता,
हे उशना भार्गव भृगु नंदन ,
दैत्य पुरोहित दुष्ट निकन्दन,
भृगुकुल भूषण दूषण हारी,
हरहु नैष्ट ग्रह करहु सुखारी,
तुही द्विजवर जोशी सिरताजा,
नर शरीर के तुम्हीं राजा !!

श्री शनि स्तुति
जय श्री शनि देव रवि नंदन ,
जय कृष्णो सौरी जगवन्दन,
पिंगल मन्द रौद्र यम नामा,
वप्र आदि कोणस्थ ललामा,
वक्र दृष्टी पिप्पल तन साजा,
क्षण महॅ करत रंक क्षण राजा ,
ललत स्वर्ण पद करत निहाला,
हरहु विपत्ति छाया के लाला !

श्री राहू स्तुति
जय जय राहू गगन प्रविसइया,
तुम्ही चंद्र आदित्य ग्रसईया,
रवि शशि अरि सर्वभानु धारा,
शिखी आदि बहु नाम तुम्हारा,
सैहिंकेय तुम निशाचर राजा,
अर्धकार्य जग राखहु लाजा,
यदि ग्रह समय पाय कहिं आवहु,
सदा शान्ति और सुखा उपजवाहू !!

श्री केतु स्तुति
जय श्री केतु कठिन दुखहारी,
करहु सृजन हित मंगलकारी,
ध्वजयुक्त रुण्द रूप विकराला,
घोर रौद्रतन अधमन काला ,
शिखी तारिका ग्रह बलवाना,
महा प्रताप न तेज ठिकाना,
वाहन मीन महा शुभकारी,
दीजै शान्ति दया उर धारी !!

नवग्रह शान्ति फल
तीरथराज प्रयाग सुपासा,
बसै राम के सुंदर दासा,
ककरा ग्राम्हीं पुरे-तिवारी,
दुर्वासाश्रम जन दुख हारी,
नव-ग्रह शान्ति लिख्यो सुख हेतु,
जन तन कष्ट उतारण सेतु,
जो नित पाठ करै चित लावे,
सब सुख भोगी परम पद पावे !!

॥ दोहा ॥
धन्य नवग्रह देव प्रभु,
महिमा अगम अपार,
चित्त नव मंगल मोद गृह,
जगत जनन सुखद्वारा ,
यह चालीसा नावोग्रह
विरचित सुन्दरदास,
पढ़त प्रेमयुक्त बढ़त सुख,
सर्वानन्द हुलास !!
॥ इति श्री नवग्रह चालीसा ॥

卐 Shree Navgrah Chalisa 卐
॥ Doha॥
Shri Ganapati Gurupada Kamala,
Prema Sahita Shiranaya I
Navagraha ChalIsa Kahata,
Sharada Hot Sahaya II
Jay Jaya Ravi Shashi Soma Budha,
Jaya Guru Bhragu Shani Raaja I
Jayati Rahu Aru Ketu Graha,
Karahu Anugraha Aaja II

 

॥ Chaupaai ॥

Shree Surya Stuti
Prathamahi Ravi Kahan Naavon Maathaa,
Karahu Kripaa Jan Jaani Anaathaa।
He Aaditya Divaakar Bhaanu,
Mai Mati Mand Mahaa Agyaanu।
Ab Nij Jan Kahan Harahu Kaleshaa,
Dinakar Dwaadash Roop Dineshaa।
Namo Bhaaskar Sury Prabhaakar
Ark Mitra Agh Moksh Kshamaakar !!

Shree Chandra Stuti
Shashi Mayank rajani Pati Swaami,
Chandra Kalaanidhi Namo Namaami,
Raakaapati HImaanshu Raakeshaa,
Pranavat Jan Tan Harahu Kaleshaa,
Som Indu Vidhu Shaanti Sudhaakar,
Sheet Rashmi Aushadhi Nishaakar,
Tumhi Shobhit Sundar Bhaal Maheshaa,
Sharan Sharan Jan Harahu kaleshaa !!

Shree Mangal Sturti
Jai Jai Mangal Sukh Daataa,
Lohit Bhaumaadik Vikhyaataa,
Angaarak Kunj Ruj Rinahaari,
Karahu Dayaa Yahi Vinay Hamaari,
He Mahisut Chhitisut Sukharaashi,
Lohitaangaa Jai Jan Aghanaashi,
Agam Amangal Ab Har Lijai,
Sakal Manorath Pooran Kijai!!

Shree Budh Stuti
Jai Shashi Nandan Budh Mahaaraajaa,
Karahu Sakal Jan Kahan Shubh Kaajaa,
Dijai Buddhibal Sumati Sujaanaa,
KathinKasht Hari Kari Kalyaanaa,
He Taaraasut Rohini Nandan,
Chandra Suvan Dukh Dwand Nikandan,
Pujahu Aas Daas Kahun Swaami,
Pranat Paal Prabhu NamoNamaami !!

Shree Brihaspati Stuti
Jayati Jayati Jai Shree Guru Devaa,
Karahu Sadaa Tumhari Prabhu Sevaa,
Devaachaarya Tum Dev guru Gyaani,
Indra Purohit Vidyaa Daani,
Vaachaspati Baageesh Udaaraa,
Jeev Brihaspati NaamTumhaaraa,
Vidya Sindhu Angeeraa Naamaa,
Karahu Sakal Vidhi Puran Kaamaa! !

Shree Shukra Stuti
Shukra Dev Pad Tal jal Jaataa,
Daas Nirantar Dhyaan Lagaataa,
He Ushanaa Bhaargav Bhrigu Nandan ,
Daitya Purohit Dusht Nikandan,
Bhrigukul Bhooshan Dooshan Haari,
Harahu Naisht Grah Karahu Sukhaari,
Tuhi Dwijavar Joshi Sirataajaa,
Nar Shareer Ke Tumhai Raja!!

Shree Shani Stuti
Jai Shree Shani Dev Ravinandan ,
Jai Krishna Sauri Jagavandan,
Pingal Mand Raudra Yam Naama,
Vapra Aadi Konasth Lalaamaa,
Vakra Drishti Pippal Tan Saajaa,
Kshan Mahan Karat Rank Kshan Raja ,
Lalat Swarn Pad Karat Nihaalaa,
Harahu Vipatti Chhayaa Ke Laalaa !

Shree Rahu Stuti
Jai Jai Rahu Gagan Pravisaiyaa,
Tumhi Chandra Aaditya Grasaiyaa,
Ravi Shashi Ari Sarvabhaanu Dhaaraa,
Shikhi Aadi Bahu Naam Tumhaaraa,
Saihikey Tum NIshaachar Raja,
Ardhakaay Jag Raakhahu Laja,
Yadi Grah Samay Paay Kahin Aavahu,
Sadaa Shaanti Aur Sukh Upajaavahu!!

Shree Ketu Stuti
Jai Shree Ketu Kathin Dukhahaari,
Karahu Srijan Hit Mangalakaari,
Dhwajayukt Rund Roop Vikaraalaa,
Ghor raudratan Adhaman Kala,
Shikhi Taarika Grah Balavaanaa,
Mahaa Prataap Na Tej Thikaana,
Vaahan Meen Mahaa Shubhakaari,
Dijai Shaanti Dayaa Ur Dhaari!!

Navagrah Shaanti Phal
Teerath Raaj Prayaag Supaasaa,
Basai Ram Ke SundarDasa,
Kakaraa Graamhi Pure-Tiwaari,
Durvaasaashram Jan Dukh Haari,
Nav-Grah Shaanti Likhyo Sukh Hetu,
Jan Tan Kasht Utaaran Setu,
Jo Nit Paath Karai Chit Laave,
Sab Sukh Bhogi Param Pad Paave!!

॥ Doha॥
Dhanya Navagrah Dev Prabhu,
Mahima Agam Apaar,
Chitt Nav Mangal Mod Grih,
Jagat Janan Sukhadwaar,
Yah Chalisa Navagrah,
Virachit Sundardaad,
Padhat Premayut Badhat Sukh,
Sarvaanand Hulaas!!
॥ It's Shree Navagrah Chalisa ॥


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