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श्री पार्वती चालीसा


卐 श्री पार्वती चालीसा 卐 ॥ दोहा॥ जय गिरी तनये दक्षजे शम्भू प्रिये गुणखानि। गणपति जननी पार्वती अम्बे ! शक्ति ! भवानि॥ ॥ चौपाई ॥ ब्रह्मा भेद न तुम्हरे पावे , पंच बदन नित तुमको ध्यावे । षड्मुख कहि न सकत यश तेरो , सहसबदन श्रम करत घनेरो ।। तेरो पार न पावत माता, स्थित रक्षा लय हित सजाता। अधर प्रवाल सदृश अरुणारे , अति कमनीय नयन कजरारे ।। ललित लालट विलेपित केशर कुंकुंम अक्षत शोभा मनोहर। कनक बसन कञ्चुकि स... Read More

卐 श्री पार्वती चालीसा 卐

॥ दोहा॥
जय गिरी तनये दक्षजे
शम्भू प्रिये गुणखानि।
गणपति जननी पार्वती अम्बे !
शक्ति ! भवानि॥

॥ चौपाई ॥
ब्रह्मा भेद न तुम्हरे पावे ,
पंच बदन नित तुमको ध्यावे ।
षड्मुख कहि न सकत यश तेरो ,
सहसबदन श्रम करत घनेरो ।।
तेरो पार न पावत माता,
स्थित रक्षा लय हित सजाता।
अधर प्रवाल सदृश अरुणारे ,
अति कमनीय नयन कजरारे ।।
ललित लालट विलेपित केशर
कुंकुंम अक्षत शोभा मनोहर।
कनक बसन कञ्चुकि सजाये,
कटी मेखला दिव्य लहराए ।।
कंठ मदार हार की शोभा ,
जाहि देखि सहजहि मन लोभ।
बालारुण अनंत छवि धारी ,
आभूषण की शोभा प्यारी ।।
नाना रत्न जड़ित सिंहासन ,
तापर राजित हरी चतुरानन।
इन्द्रादिक परिवार पूजित ,
जग मृग नाग यक्ष रव कूजित ।।
गिर कैलाश निवासिनी जय जय ,
कोटिकप्रभा विकासिनी जय जय ।
त्रिभुवन सकल , कुटुंब तिहारी ,
अणु -अणु महं तुम्हारी उजियारी।।
हैं महेश प्राणेश ! तुम्हारे,
त्रिभुवन के जो नित रखवारे ।
उनसो पति तुम प्राप्त कीन्ह जब,
सुकृत पुरातन उदित भए तब।।
बुढा बैल सवारी जिनकी,
महिमा का गावे कोउ तिनकी।
सदा श्मशान विहरी शंकर,

आभूषण हैं भुजंग भयंकर।।
कंठ हलाहल को छवि छायी ,
नीलकंठ की पदवी पायी ।
देव मगन के हित अस किन्हों ,
विष लै आपु तिनहि अमि दिन्हो।।
ताकी ,
तुम पत्नी छवि धारिणी ,
दुरित विदारिणी मंगल कारिणी ।
देखि परम सौंदर्य तिहारो ,
त्रिभुवन चकित बनावन हारो।।
भय भीता सो माता गंगा ,
लज्जा मय है सलिल तरंगा ।
सौत सामान शम्भू पहआयी ,
विष्णु पदाब्ज छोड़ि सो धायी ।।
तेहिकों कमल बदन मुर्झायो ,
लखी सत्वर शिव शीश चढायो ।
नित्यानंद करी वरदायिनी ,
अभय भक्त कर नित अनपायिनी।।
अखिल पाप त्रय्ताप निकन्दनी ,
माहेश्वरी ,हिमालय नन्दिनी।
काशी पूरी सदा मन भायी,
सिद्ध पीठ तेहि आपु बनायीं।।
भगवती प्रतिदिन भिक्षा दात्री ,
कृपा प्रमोद सनेह विधात्री ।
रिपुक्षय कारिणी जय जय अम्बे ,
वाचा सिद्ध करी अवलम्बे।।
गौरी उमा शंकरी काली ,
अन्नपूर्णा जग प्रतिपाली ।
सब जन की ईश्वरी भगवती ,
पतप्राणा परमेश्वरी सती।।
तुमने कठिन तपस्या किणी ,
नारद सो जब शिक्षा लीनी।
अन्न न नीर न वायु अहारा ,
अस्थि मात्रतन भयउ तुम्हारा।।
पत्र घास को खाद्या न भायउ ,
उमा नाम तब तुमने पायउ ।
तप बिलोकी ऋषि सात पधारे,
लगे डिगावन डिगी न हारे।।
तव तव जय जय जयउच्चारेउ ,
सप्तऋषि , निज गेह सिद्धारेउ ।
सुर विधि विष्णु पास तब आए ,
वर देने के वचन सुनाए।।
मांगे उमा वर पति तुम तिनसो,
चाहत जग त्रिभुवन निधि, जिनसों ।
एवमस्तु कही ते दोऊ गए ,
सुफल मनोरथ तुमने लए।।
करि विवाह शिव सों हे भामा ,
पुनः कहाई हर की बामा।
जो पढ़िहै जन यह चालीसा ,
धन जनसुख देइहै तेहि ईसा।।

॥ दोहा ॥
कूट चन्द्रिका सुभग शिर
जयति सुख खानी
पार्वती निज भक्त हित
रहहु सदा वरदानी।
॥ इति श्री पार्वती चालीसा ॥

 

 

 

卐 Shree Parvati Chalisa 卐
॥ Doha॥
Jai Giri Tanaye Dakshaje
Shambhu Priye Gunkhani
Ganpati Janani Paarvati
Ambey! Shakti! Bhawaani.

॥Chaupaai॥
Brahma Bhed Na Tumhare Paave,
Panch Badan Nit Tumko Dhyaavey,
Shadmukha Kahi Na Sakat Yash Tero,
Sahasbadan Shram Karat Ghanero.
Tero Paar Na Paavat Mata,
Sthith Rakshaa Lay Heet Sajaaata,
Adhar Pravaal Sadrish Arunaarey,
Ati Kamaniy Nayan Kajaraare.
Lalit Laalat Vilepit Keshar
Kumkum Akshat Shobhaa Manohar
Kanak Basan Kanchuiki Sajaaye,
Kati Mekhalaa Divya Laharaaye.
Kanth Madaar Haar Ki Shobha,
Jaahi Dekhi Sahjahi Man Lobha.
Baalaarun Anant Chhavi Dhaari,
Aabhushan Ki Shobha Pyaari.
Nana Ratna Jadit Sinhaasan,
Taapar Raajit Hari Chaturaanan.
Indraadik Parivaar Pujit,
Jag Mrig Naag Yaksha Rav Kujit
Giri Kailaash, Nivaasini Jai Jai,
Kotik Prabhaa Vikaasini Jjai Jai
Tribhuwan Sakal,Kutumb Tihaari,
Anu-Anu Maham Tumhaari Ujiyaari
Hai Mahesh Praanesh! Tumhaarey,
Tribjuwan Ke Jo Nit Rakhvaarey
Unso,Pati Tum,Praapt,Kinh Jab,
Sukrit Puratan Udit Bhaye Tab
Budhaa Bail Savaari Jinki,
Mahimaa Ka Gaavey Kou Teenki
Sada Shmashaan Bihari Shankar,
Aabhushan Hai Bhujang Bhayankar
Kanth Halaahal Ko Chhavi Chhaayi,
Nilakanth Ki Padvi Paayi.
Dev Magan Ke Hit Asa Kinho,
Visha Lai Aapu Tinhi Ami Dinho.
Taaki,Tum Patni Chhavi Dhaarini,
Durit Vidaarini Mangal Karini.

Dekhi Param Saundarya Ttihaaro,
Tribhuwan Chakit Banaavan Haaro.
Bhay Bhita So Mata Ganga,
Lajja May Hai Salil Taranga.
Sout Samaan Shambhu Pahaayi,
Vishnu Padabja Chhodi So Dhaayi.
Tehiko Kamal Badan Murjhaayo,
Lakhi Satvar Shiv Shish Chadyoo.
Nityaa Nand Kari Vardaayini,
Abhay Bhakt Kar Nit Anapaayini.
Akhil Prataap Trya Taap Nikandani,
Maaheshwari, Himaalay Nandini.
Kaashi Puri Sadaa Man Bhaayi
Siddh Peeth Tehi Aapu Banaayi.
Bhagwati Pratidin Bhiksha Daatri,
Kripa Pramod Saneh Vidhaatri.
Ripu Kshay Kaarini Jai Jai Ambey,
Vaacha Siddh Kari Avalambey.
Gauri Uma Shankari Kali,
Annapurna Jag Prati Paali.
Sab Jan,Ki Ishwari Bhagwati,
Pati Praana Parmeshwari Sati.
Tumney Kathin Tapasyaa Kini,
Naarad So Jab Shiksha Lini.
Anna Na Nir Na Vaayu Ahaaraa,
Asthi Maatra Tan Bhayu Tumhara.
Patra Ghaas Ko Khaadya Na Bhaayau,
Umaa Naam Tab Tumane Paayau.
Tap Biloki Rishi Saat Padhaarey
Lage Diggavan Digi Na Haarey.
Tav Tav Jai,Jai,Jai,Ucchareu,
Saptarishi,Nij Geh Sidhaareu.
Sur Vidhi Vishnu Paas Tab Aaye,
Var Dene,Ke Vachan Sunnaye.
Maangey Uma, Var Pati,Tum,Tinso,
Chaahat Jag,Tribhuwan,Nidhi,Jjinso.
Eivmastu Kahi Tey Dou Gaye,
Sufal Manorath Tumne Laye.
Kari Vivah Shiv So Hey Bhaamaa,
Punah Kahaai Har Ki Baamaa.
Jo padhiyey Jan Yah Chaalisa,
Dhan Jansukh Deeihe Tehi Isaa.

॥ Doha॥
Kut Chandrika Subhag Shir
Jayati Sukh Khaani
Paarvati Nij Bhakt Hit
Rahau Sada Vardaani
॥ It's Shree Parvati Chalisa ॥


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श्री महाकाली चालीसा


卐 श्री महाकाली चालीसा 卐 ॥ दोहा॥ मात श्री महाकालिका ध्याऊँ शीश नवाय । जान मोहि निजदास सब दीजै काज बनाय ॥ ॥ चौपाई ॥ नमो महा कालिका भवानी। महिमा अमित न जाय बखानी॥ तुम्हारो यश तिहुँ लोकन छायो। सुर नर मुनिन सबन गुण गायो॥ परी गाढ़ देवन पर जब जब। कियो सहाय मात तुम तब तब॥ महाकालिका घोर स्वरूपा। सोहत श्यामल बदन अनूपा॥ जिभ्या लाल दन्त विकराला। तीन नेत्र गल मुण्डन माला॥ चार भुज शिव शोभित आसन। खड्ग खप्पर की... Read More

卐 श्री महाकाली चालीसा 卐

॥ दोहा॥
मात श्री महाकालिका
ध्याऊँ शीश नवाय ।
जान मोहि निजदास सब
दीजै काज बनाय ॥

॥ चौपाई ॥
नमो महा कालिका भवानी।
महिमा अमित न जाय बखानी॥
तुम्हारो यश तिहुँ लोकन छायो।
सुर नर मुनिन सबन गुण गायो॥
परी गाढ़ देवन पर जब जब।
कियो सहाय मात तुम तब तब॥
महाकालिका घोर स्वरूपा।
सोहत श्यामल बदन अनूपा॥
जिभ्या लाल दन्त विकराला।
तीन नेत्र गल मुण्डन माला॥
चार भुज शिव शोभित आसन।
खड्ग खप्पर कीन्हें सब धारण॥
रहें योगिनी चौसठ संगा।
दैत्यन के मद कीन्हा भंगा॥
चण्ड मुण्ड को पटक पछारा।
पल में रक्तबीज को मारा॥
दियो सहजन दैत्यन को मारी।
मच्यो मध्य रण हाहाकारी॥
कीन्हो है फिर क्रोध अपारा।
बढ़ी अगारी करत संहारा॥
देख दशा सब सुर घबड़ाये।
पास शम्भू के हैं फिर धाये॥
विनय करी शंकर की जा के।
हाल युद्ध का दियो बता के॥
तब शिव दियो देह विस्तारी।
गयो लेट आगे त्रिपुरारी॥
ज्यों ही काली बढ़ी अंगारी।
खड़ा पैर उर दियो निहारी॥
देखा महादेव को जबही।
जीभ काढ़ि लज्जित भई तबही॥
भई शान्ति चहुँ आनन्द छायो।
नभ से सुरन सुमन बरसायो॥
जय जय जय ध्वनि भई आकाशा।
सुर नर मुनि सब हुए हुलाशा॥
दुष्टन के तुम मारन कारण।
कीन्हा चार रूप निज धारण॥
चण्डी दुर्गा काली माई।
और महा काली कहलाई॥
पूजत तुमहि सकल संसारा।
करत सदा डर ध्यान तुम्हारा॥
मैं शरणागत मात तिहारी।
करौं आय अब मोहि सुखारी॥
सुमिरौ महा कालिका माई।
होउ सहाय मात तुम आई॥
धरूँ ध्यान निश दिन तब माता।
सकल दुःख मातु करहु निपाता॥
आओ मात न देर लगाओ।
मम शत्रुघ्न को पकड़ नशाओ॥
सुनहु मात यह विनय हमारी।
पूरण हो अभिलाषा सारी॥
मात करहु तुम रक्षा आके।
मम शत्रुघ्न को देव मिटा को॥
निश वासर मैं तुम्हें मनाऊं।
सदा तुम्हारे ही गुण गाउं॥
दया दृष्टि अब मोपर कीजै।
रहूँ सुखी ये ही वर दीजै॥
नमो नमो निज काज सैवारनि।
नमो नमो हे खलन विदारनि॥
नमो नमो जन बाधा हरनी।
नमो नमो दुष्टन मद छरनी॥
नमो नमो जय काली महारानी।
त्रिभुवन में नहिं तुम्हरी सानी॥
भक्तन पे हो मात दयाला।
काटहु आय सकल भव जाला॥
मैं हूँ शरण तुम्हारी अम्बा।
आवहू बेगि न करहु विलम्बा॥
मुझ पर होके मात दयाला।
सब विधि कीजै मोहि निहाला॥
करे नित्य जो तुम्हरो पूजन।
ताके काज होय सब पूरन॥
निर्धन हो जो बहु धन पावै।
दुश्मन हो सो मित्र हो जावै॥
जिन घर हो भूत बैताला।
भागि जाय घर से तत्काला॥
रहे नही फिर दुःख लवलेशा।
मिट जाय जो होय कलेशा॥
जो कुछ इच्छा होवें मन में।
सशय नहिं पूरन हो क्षण में॥
औरहु फल संसारिक जेते।
तेरी कृपा मिलैं सब तेते॥

॥ दोहा ॥
दोहा महाकलिका कीपढ़ै
नित चालीसा जोय।
मनवांछित फल पावहि
गोविन्द जानौ सोय॥
॥ इति श्री महाकाली चालीसा ॥

卐 Shree Mahakali Chalisa 卐
॥ Doha॥
Maat Shree Mahakalika
Dhyaaoon Sheesh Navaay ।
Jaan Mohi Nijadaas Sab
Dijai Kaaj Banaay॥

। Chaupaai।
Namo Maha Kalika Bhavaani।
Mahimaa Amit Na Jaay Bakhaani॥
Tumharo Yash Tihun Lokan Chhaayo।
Sur Nar Munin Saban Gun Gaayo॥
Pari Gaadh Devan Par Jab Jab।
Kiyo Sahaay Maatu TumTab Tab॥
Mahakaalika Ghor Swaroopa।
Sohat Shyaamal Badan Anoopa॥
Jibhyaa Laal Dant Vikaraalaa ।
Teen Netra Gal Mundan Maala ॥
Chaar bhuj Shiv Shobhat Aasan।
Khadga Khappar Kinhe Sab Dhaaran॥
Rahe Yogini Chausath Sangaa।
Daityan Ke Mad Kinhaa Bhangaa ॥
Chand Mund Ko Patak Pachhaaraa ।
Pal Me raktabeej Ko Maaraa ॥
Diyo Sahajan Daityan Ko Maari ।
Machyo Madhy Ran Haahaakaari ॥
Kinho Hai Phir Krodh Apaaraa ।
Badhi Agaari Karat Sanhaaraa ॥
Dekh Dashaa Sab Sur Ghabadaaye।
Paas Shambhu Ke Hain Phir Dhaaye॥
Vinay Kari Shankar Ki Jaa Ke ।
Haal Yuddh Ka Diyo Bataa Ke॥
Tab Shiv Diyo Deh Vistaar ।
Gayo Let Aahe Tripuraari ॥
Jyon Hi Kaali Badhi Agaari ।
Khadaa Pair Ur Diyo Nihaari ॥
Dekhaa Mahadev Ko Jabahi ।
Jeebh Kaadhi Lajjit Bhai Tabahi ॥
Bhai Shaanti Chahun Aanad Chhaayo ।
Nabh SeSuran Suman Barasaayo ॥
Jai Jai Jai Dhwani Bhai Aakaashaa ।
Sur Nar Muni Sab Huye Hulaashaa ॥
Dushtan Ke Tum Maaran Kaara ।
Kinhaa Chaar Roop Nij Dhaaran ॥
Chandi Duraa Kali Maai ।
Aur Mahaa Kali Kahalaai ॥
Poojat Tumahi Sakal Sansaaraa ।
Karat Sada Dar Dhyaan Tumhaaraa ॥
Main Sharanaagat Maat Tihaari ।
Karaun Aay Ab Mohi Sukhaari ॥
Sumirau Mahaa Kaalikaa Maai ।
Hou Sahaay Maat Tum Aai ॥
Dharoon Dhyaan Nish Din Tab Maataa ।
Sakal Dukh Maatu Karahu Nipaataa॥
Aao Maat Na Der Lagaao ।
Mam Shatrughn Ko Pakad Nashaao ॥
Sunahu Maat Yah Vinay Hamaari।
Pooran Ho Abhilaashaa Saari ॥
Maat karahu Tum Rakshaa Aake।
Mam Shatrun Ko Dev Mitaa Ke ॥
Nish Vaasar Main Tumhe Manaaoon ।
Sadaa Tumhaare Hi Gun Gaaunbr> Dayaa drishti Ab Mopar Kijai ।
Rahun Sukhi Ye Hi Var Dijai ॥
Namo Namo Nij Kaaj Saivaarani ।
Namo Namo He Kahalan Vidaarani ॥
Namo Namo Jan Baadhaa Harani ।
Namo Namo Dushtan mad Chharani ॥
Namo Namo Jai Kali Mahaarani ।
Tribhuvan Me Nahin Tumhari Saani ॥
Bhaktan Pe Ho Maar Dayaalaa ।
Kaatahu Aay Sakal Bhav Jaalaa ॥
Main Hoon Sharan Tumhaari Ambaa ।
Aavahu Begi Na Karahu Vilambaa ॥
Mujh Par Hoke Maat Dayaalaa ।
Sab Vidhi Kijai Mohi Nihaalaa ॥
Kare Nity Jo Tumhare Poojan ।
Taake Kaaj Hoy Sab Pooran ॥
Nirdhan Ho Jo Bahu Dhan Paavai ।
Dushman Ho So Motra Ho Jaavai ॥
Jin Ghar Ho Bhoot Baitaalaa ।
Bhaagi Jaay Ghar Se Tatkaalaa ॥
Rahe Nahi Phir Dukh Lava Leshaa।
Mit Jaay Jo Hoy Kaleshaa ॥
Jo Kuchh Ichchhaa Hove Man Me ।
nshay Nahin Pooran Ho Kshan Me॥
Aaurahu Phal Sansaarik Jete ।
Teri Kripaa Milain Sab Tete ॥

॥Doha॥
Doha Mahakalika Ki Padhai
Nit Chalisa Joy ।
Manavaanchhit Phal Paavahi
Govind Jaanau Soy ॥
॥ It's Shree Mahakalika Chalisa ॥


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श्री महालक्ष्मी चालीसा


卐 श्री महालक्ष्मी चालीसा 卐 ॥ दोहा॥ जय जय श्री महालक्ष्मी करूँ माता तव ध्यान सिद्ध काज मम किजिये निज शिशु सेवक जान ॥ चौपाई ॥ नमो महा लक्ष्मी जय माता , तेरो नाम जगत विख्याता आदि शक्ति हो माता भवानी, पूजत सब नर मुनि ज्ञानी जगत पालिनी सब सुख करनी, निज जनहित भण्डारण भरनी श्वेत कमल दल पर तव आसन , मात सुशोभित है पद्मासन श्वेताम्बर अरू श्वेता भूषणश्वेतही श्वेत सुसज्जित पुष्पन शीश छत्र अति रूप विशाला, गल... Read More

卐 श्री महालक्ष्मी चालीसा 卐

॥ दोहा॥
जय जय श्री महालक्ष्मी
करूँ माता तव ध्यान
सिद्ध काज मम किजिये
निज शिशु सेवक जान

॥ चौपाई ॥
नमो महा लक्ष्मी जय माता ,
तेरो नाम जगत विख्याता
आदि शक्ति हो माता भवानी,
पूजत सब नर मुनि ज्ञानी
जगत पालिनी सब सुख करनी,
निज जनहित भण्डारण भरनी
श्वेत कमल दल पर तव आसन ,
मात सुशोभित है पद्मासन
श्वेताम्बर अरू श्वेता भूषणश्वेतही श्वेत सुसज्जित पुष्पन
शीश छत्र अति रूप विशाला,
गल सोहे मुक्तन की माला
सुंदर सोहे कुंचित केशा,
विमल नयन अरु अनुपम भेषा
कमल नयन समभुज तव चारि ,
सुरनर मुनिजनहित सुखकारी
अद्भूत छटा मात तव बानी,
सकल विश्व की हो सुखखानी
शांतिस्वभाव मृदुलतव भवानी ,
सकल विश्व की हो सुखखानी
महालक्ष्मी धन्य हो माई,
पंच तत्व में सृष्टि रचाई
जीव चराचर तुम उपजाये ,
पशु पक्षी नर नारी बनाये
क्षितितल अगणित वृक्ष जमाए ,
अमित रंग फल फूल सुहाए
छवि विलोक सुरमुनि नर नारी,
करे सदा तव जय जय कारी
सुरपति और नरपति सब ध्यावें,
तेरे सम्मुख शीश नवायें
चारहु वेदन तब यश गाये,
महिमा अगम पार नहीं पाये
जापर करहु मात तुम दाया ,
सोइ जग में धन्य कहाया
पल में राजाहि रंक बनाओ,
रंक राव कर बिमल न लाओ
जिन घर करहुं मात तुम बासा,
उनका यश हो विश्व प्रकाशा
जो ध्यावै से बहु सुख पावै,
विमुख रहे जो दुख उठावै
महालक्ष्मी जन सुख दाई,
ध्याऊं तुमको शीश नवाई
निज जन जानी मोहीं अपनाओ,
सुख संपत्ति दे दुख नशाओ
ॐ श्री श्री जयसुखकी खानी,
रिद्धि सिद्धि देउ मात जनजानी
ॐ ह्रीं- ॐ ह्रीं सब व्याधिहटाओ,
जनउर विमल दृष्टिदर्शाओ
ॐ क्लीं- ॐ क्लीं शत्रु क्षय कीजै,
जनहीत मात अभय वर दीजै
ॐ जयजयति जय जयजननी,
सकल काज भक्तन के करनी
ॐ नमो-नमो भवनिधि तारणी,
तरणि भंवर से पार उतारिनी
सुनहु मात यह विनय हमारी,
पुरवहु आस करहु अबारी
ऋणी दुखी जो तुमको ध्यावै,
सो प्राणी सुख संपत्ति पावै
रोग ग्रसित जो ध्यावै कोई,
ताकि निर्मल काया होई
विष्णु प्रिया जय जय महारानी,
महिमा अमित ना जाय बखानी
पुत्रहीन जो ध्यान लगावै,
पाये सुत अतिहि हुलसावै
त्राहि त्राहि शरणागत तेरी,
करहु मात अब नेक न देरी
आवहु मात विलंब ना कीजै,
हृदय निवास भक्त वर दीजै
जानूं जप तप का नहीं भेवा,
पार करो अब भवनिधि वन खेवा
विनवों बार बार कर जोरी,
पुरण आशा करहु अब मोरी
जानी दास मम संकट टारौ ,
सकल व्याधि से मोहिं उबारो
जो तव सुरति रहै लव लाई ,
सो जग पावै सुयश बढ़ाई
छायो यश तेरा संसारा ,
पावत शेष शम्भु नहिं पारा
कमल निशदिन शरण तिहारि,
करहु पूरण अभिलाष हमारी

॥ दोहा ॥
महालक्ष्मी चालीसा
पढ़ै सुने चित्त लाय
ताहि पदारथ मिलै अब
कहै वेद यश गाय
॥ इति श्री महालक्ष्मी चालीसा ॥

 

 

 

卐 Shree Mahalaxhmi Chalisa 卐
॥ Doha॥
Jai Jai Shree Mahaalaxhmi
KarunMata Tav Dhyaan
Siddh Kaaj Mam Kijiye
Nij Shishu Sevak Jaan
॥ Chaupaai॥
Namo Maha Laxhmi Jai Mata,
Tero Nam Jagat Vikhyaataa.
Aadi Shakti Ho Maataa Bhavaani,
Pujat Sab Nar Muni Gyaani.
Jagat Paalini Sab Sukh Karani,
Nij Janahit Bhandaaran Bharani.
Shwet Kamal Dal Par Tav Aasan,
Maataa Sushobhit Hai Padmaasan.
Shwetaambar Aru Shwetaa Bhooshan,
Shwet Hi Shwet Susajjit Pushpan.
Sheesh Chhatr Ati Roop VIshaalaa,
Gal Sohe Muktan Ki Maalaa.
Sundar Sohe Kunchit Kehshaa,
Vimal Nayan Aru Anupam Bheshaa.
Kamal Nayan Sambhuj Tav Chaari,
Suranar Munijanahit Sukhakaari.
Adbhoot Chhataa Maat tav Baani,
Sakal Vishwa Ki Ho Sukhakhaani.
Shaanti Swabhaav Mridulatav Bhavaani,
Sakal Vishwa Ki Ho Sukhakhaani.
Mahaalaxhmi Dhany HoMaai,
Panch Tatv Me Srishti Rachaai.
Jeev Charaachar Tum Upajaaye,
Pashu Pakshi Nar Naari Banaaye.
Kshitital Aganit Vriksh Jamaaye,
Amit Rang Phal Phool Suhaaye.
Chhavi Vilok Sur Muni Nar Naari,
Kare Sadaa Tav Jai jai Kaari.
Surapati Aur Narapati Sab Dhyaave,
Tere Sammukh Sheesh Navaaye.
Chaarahu Vedan Tab yash Gaaye,
Mahimaa Agam Paar Nahin Paaye.
Jaapar Karahu Maat Tum Daayaa,
Soi Jag Me Dhany Kahaayaa.
Pal Me Raajaahi Rank Banaao,
Rank raav Kar Bimal N Laao.
Jin Ghar Karahu Maat TumBaasaa,
Unakaa Yash Ho VIshwa Prakaashaa.
Jo Dhyaabvai Se Bahu Sukh Paavai,
Vimukh Rahe Jo Dukh Uthaavai.
Mahaalaxhmi Jan Sukh Daai,
Dhyaaoon Tumako Sheesh Navaai.
Nij Jan Jaani Mohin Apanaao,
Sukh Samapatti De Dukh Nashaao.
Om Shree Shree Jai Sukh Ki Khaani,
Riddhi Siddhi Deu Maat Jan Jaani.
Om Hrin Om Hrin Vyaadhi Hataao,
Jan Ur Vimal Drishti Darshaao.
Om Klin Pm Klin Shatru Kshay Kijai,
Jan Hit Maat Abhay Var Dijai.
Om Jai Jayati Jai Jai Janani,
Sakal Kaaj Bhaktan Ke Karani.
Om Namo-Namo Bhavanidhi Taarini,
Tarani Bhavan Se Paar Utaarini.
Sunahu Maat yah Vinay Hamaari,
Puravahu Aas Karahu Abaari.
Rini Dukhi Jo Tumako Dhyaavai,
So Praani Sukh Samapatti Paavai.
Rog Grasit Jo Dhyaavai Koi,
Taaki Nirmal Kaayaa Hoi.
Vishnu Priyaa Jai Jai Mahaarani,
Mahimaa Amit Naa Jaay Bakhaani.
Putrahin Jo Dhyaan Lagaavai,
Paaye Sut Stihi Hulasaavai.
Traahi Traahi Sharanaagat Teri,
Karahu Maat Ab Nek Na Deri.
Aavahu Maat Vilamb Na Kijai,
Hriday NIvaas Bhakt Var Dijai.
Jaanu Jap Tap Kaa Nahi Bhevaa,
Paar Karo Ab Bhavanidhi Van Khevaa.
Vinavon Baar Baar Kar Jodi,
Puran Aashaa Karahu Mori.
Jaani Daas Mam Sankat Taarau,
Sakal Vyaadhi Se Mohi Ubaaro.
Jo Tav Surati Rahai Lav Laai,
, So Jag Paavai Suyash Badhaai.
Chhaayo Yash Teraa Sansaaraa,
Paavat Shesh Shambhu Nahin Paaraa.
Kamal Nishadin Sharan Tihaari,
Karahu Pooran Abhilaash Hamaari.

॥ Doha॥
Mahalaxhmi Chalisa
Padhai Sune Chitta Laay
Taahi padaarath MIlai Ab
Kahai Ved Yash Gaay
॥ It's Shree Mahalaxhmi Chalisa ॥


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माँ अन्नपूर्णा चालीसा


卐 श्री माँ अन्नपूर्णा चालीसा 卐 ॥ दोहा॥ विश्वेश्वर पदपदम की रज निज शीश लगाय । अन्नपूर्णे, तव सुयश बरनौं कवि मतिलाय । ॥ चौपाई ॥ नित्य आनंद करिणी माता, वर अरु अभय भाव प्रख्याता । जय ! सौंदर्य सिंधु जग जननी, अखिल पाप हर भव-भय-हरनी । श्वेत बदन पर श्वेत बसन पुनि, संतन तुव पद सेवत ऋषिमुनि । काशी पुराधीश्वरी माता, माहेश्वरी सकल जग त्राता । वृषभारुढ़ नाम रुद्राणी, विश्व विहारिणि जय ! कल्याणी । पतिदेवता स... Read More

卐 श्री माँ अन्नपूर्णा चालीसा 卐

॥ दोहा॥
विश्वेश्वर पदपदम की रज निज शीश लगाय ।
अन्नपूर्णे, तव सुयश बरनौं कवि मतिलाय ।

॥ चौपाई ॥
नित्य आनंद करिणी माता, वर अरु अभय भाव प्रख्याता ।
जय ! सौंदर्य सिंधु जग जननी, अखिल पाप हर भव-भय-हरनी ।
श्वेत बदन पर श्वेत बसन पुनि, संतन तुव पद सेवत ऋषिमुनि ।
काशी पुराधीश्वरी माता, माहेश्वरी सकल जग त्राता ।
वृषभारुढ़ नाम रुद्राणी, विश्व विहारिणि जय ! कल्याणी ।
पतिदेवता सुतीत शिरोमणि, पदवी प्राप्त कीन्ह गिरी नंदिनि ।
पति विछोह दुःख सहि नहिं पावा, योग अग्नि तब बदन जरावा ।
देह तजत शिव चरण सनेहू, राखेहु जात हिमगिरि गेहू ।
प्रकटी गिरिजा नाम धरायो, अति आनंद भवन मँह छायो ।
नारद ने तब तोहिं भरमायहु, ब्याह करन हित पाठ पढ़ायहु ।
ब्रहमा वरुण कुबेर गनाये, देवराज आदिक कहि गाये ।
सब देवन को सुजस बखानी, मति पलटन की मन मँह ठानी ।
अचल रहीं तुम प्रण पर धन्या, कीन्ही सिद्ध हिमाचल कन्या ।
निज कौ तब नारद घबराये, तब प्रण पूरण मंत्र पढ़ाये ।
करन हेतु तप तोहिं उपदेशेउ, संत बचन तुम सत्य परेखेहु ।
गगनगिरा सुनि टरी न टारे, ब्रह्मां तब तुव पास पधारे ।
कहेउ पुत्रि वर माँगु अनूपा, देहुँ आज तुव मति अनुरुपा ।
तुम तप कीन्ह अलौकिक भारी, कष्ट उठायहु अति सुकुमारी ।
अब संदेह छाँड़ि कछु मोसों, है सौगंध नहीं छल तोसों ।
करत वेद विद ब्रहमा जानहु, वचन मोर यह सांचा मानहु ।
तजि संकोच कहहु निज इच्छा, देहौं मैं मनमानी भिक्षा ।
सुनि ब्रहमा की मधुरी बानी, मुख सों कछु मुसुकाय भवानी ।
बोली तुम का कहहु विधाता, तुम तो जगके स्रष्टाधाता ।
मम कामना गुप्त नहिं तोंसों, कहवावा चाहहु का मोंसों ।
दक्ष यज्ञ महँ मरती बारा, शंभुनाथ पुनि होहिं हमारा ।

सो अब मिलहिं मोहिं मनभाये, कहि तथास्तु विधि धाम सिधाये ।
तब गिरिजा शंकर तव भयऊ, फल कामना संशयो गयऊ ।
चन्द्रकोटि रवि कोटि प्रकाशा, तब आनन महँ करत निवासा ।
माला पुस्तक अंकुश सोहै, कर मँह अपर पाश मन मोहै ।
अन्न्पूर्णे ! सदापूर्णे, अज अनवघ अनंत पूर्णे ।
कृपा सागरी क्षेमंकरि माँ, भव विभूति आनंद भरी माँ ।
कमल विलोचन विलसित भाले, देवि कालिके चण्डि कराले ।
तुम कैलास मांहि है गिरिजा, विलसी आनंद साथ सिंधुजा ।
स्वर्ग महालक्ष्मी कहलायी, मर्त्य लोक लक्ष्मी पदपायी ।
विलसी सब मँह सर्व सरुपा, सेवत तोहिं अमर पुर भूपा ।
जो पढ़िहहिं यह तव चालीसा फल पाइंहहि शुभ साखी ईसा ।
प्रात समय जो जन मन लायो, पढ़िहहिं भक्ति सुरुचि अघिकायो ।
स्त्री कलत्र पति मित्र पुत्र युत, परमैश्रवर्य लाभ लहि अद्भुत ।
राज विमुख को राज दिवावै, जस तेरो जन सुजस बढ़ावै ।
पाठ महा मुद मंगल दाता, भक्त मनोवांछित निधि पाता ।
॥ दोहा ॥
जो यह चालीसा सुभग, पढ़ि नावैंगे माथ ।
तिनके कारज सिद्ध सब साखी काशी नाथ ॥
॥ इति श्री माँ अन्नपूर्णा चालीसा ॥

 

 

卐 Shree Maa Annapurna Chalisa 卐 Shree Annapurna Chalisa in English
॥ Doha॥
Vishveshvar Padpadam Ki Raj Nij Shish Lagaay.
Annapurne Tav Suyash Baranau Kavi Matilaay.
॥Chaupaai॥
Nitya Aanand Karini Mata, Var Aru Abhay Bhaav Prakhyaata.
Jay! Soundary Sindhu Jag Janani, Akhil Paap Har Bhav-Bhay Harani.
Shvet Badan Par Shvet Basan Puni, Santan Tuv Pad Sevat Rishimuni.

Kashi Puradhishvari Mata, Maheshvari Sakal Jag Traataa.

Vrishbhaarudh Nam Rudrani, Vishva Vihaarini Jay! Kalyaani.
Patidevataa Sutit Shiromani, Padavi Praapt Kinh Giri Nandini.
Pati Vichhoh Dukh Sahi Nahi Paavaa, Yog Agni Tab Badan Jaraavaa.
Deh Tajat Shiv Charan Sanehu, Raakhehu Jaat Himgiri Gehu.
Prakati Girija Nam Dharaayo, Ati Anand Bhavan Manh Chhaayo.
Narad Ne Tab Tohin Bharamaayahu, Byaah Karan Hit Paath Padhaayahu.
Brahma Varun Kuber Ganaaye, Devaraaj Aadik Kahi Gaaye.
Sab Devan Ko Sujas Bakhaani, Mati Palatan Ki Man Manh Thani.
Achal Rahi Tum Pran Par Dhanyaa, Kihani Siddh HImaachal Kanyaa.
Nij Kau Tab Narad Ghabaraaye, Tab Pran Puran Mantra Padhaaye.
Karan Hetu Tap Tohi Upadesheu, Sant Bachan Tum Satya Parekhehu.
Gagangira Suni Tari Naa Taare, Brahma Tav Tuv Paas Padhaare.
Kaheu Putri Var Maangu Anupaa, Dehun Aaj Tuv Mati Anurupaa.
Tum Tap Kinh Alaukik Bhaari, Kasht Uthayahu Ati Sukumari.
Aab Sandeh Chhaadi Kacchu Moson, Hai Saugandh Nahi Chhal Toson.
Karat Ved Vid Brahma Janahu, Vachan Mor Yah Saanchaa Manahu.

Taji Sankoch Kahahu Nij Ichchhaa, Dehon Mai Manmaani Bhiksha.
Suni Brahma Ki Madhuri Baani, Mukh Son Kachhu Musukaaye Bhavaani.
Boli Tum Ka Kahahu Vidhata, Tum To Jag Ke Srashtaadhaataa.
Mam Kamanaa Gupt Nahin Toson, Kahvaavaa Chaahahu Ka Moson.
Daksh Yagya Mahn Marati Baaraa, Shambunaath Puni Hohin Hamaaraa.
So Aab Milahin Mohin Manbhaaye, Kahi Tathaastu Vidhi Dhaam Sidhaaye.
Tab Girija Shanker Tav Bhayau, Phal Kaamana Sanshayo Gayau.
Chanderkoti Ravi Koti Prakaashaa, Tab Aanan Mahn Karat Nivaasaa.
Mala Pustak Ankush Sohe, Kar Mahn Apar Paash Man Mohen.
Annapurne! Sadaapurne, Aaj Aanvagh Anant Purne.
Kripa Saagari Kshemkaari Maan, Bhav Vibhuti Aanand Bhari Maan.
Kamal Vilochan Vilasit Bhaale, Devi Kaalike Chandi Karaale.
Tum Kailaash Maahin Hai Girija, Vilasi Aanand Saath Sindhujaa.
Svarag Mahaalakshmi Kahalaayi, Martya Lok Lakshmi Padapaayi.
Vilasi Sab Mahn Sarv Sarupaa, Sevat Tohin Amar Pur Bhupaa.
Jo Padhihhi Yah Tav Chalisa, Phal Pahin Shubh Saakhi Eeshaa.
Praat Samay Jo Jan Man Laayo, Padhihahin Bhakti Suruchi Adhikaayo.
Stri Kalatr Pati Mitr Putr Yut, Paramaishravarya Laabh Lahi Adhabhut.
Raj Vimukh Ko Raj Divaave, Jas Tero Jan Sujas Badhaavei.
Paath Maha Mud Mangal Daataa, Bhakt Manovaanchhit Nidhi Paataa.

॥Doha ॥
Jo Yeh Chalisa Subhag, Padhi Naaveinge Maath.
Tinake Kaaraj Siddh Sab, Saakhi Kaashinath.
॥ It's Shree Anaapurna Chalisa ॥


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श्री राधा चालीसा


卐 श्री राधा चालीसा 卐 ॥ दोहा॥ श्री राधे वुषभानुजा भक्तनि प्राणाधार । वृन्दावन विपिन विहारिणी प्रणवों बारम्बार । जैसो तैसो रावरौ कृष्ण प्रिया सुखधाम । चरण शरण निज दीजिये सुन्दर सुखद ललाम । ॥ चौपाई ॥ जय वृषभानु कुँवरी श्री श्यामा। कीरति नंदिनी शोभा धामा । नित्य विहारिनी श्याम अधारा। अमित मोद मंगल दातारा । राम विलासिनी रस विस्तारिणी। सहचरी सुभग यूथ मन भावनि । करुणा सागर हिय उमंगिनी। ललितादिक सखियन क... Read More

卐 श्री राधा चालीसा 卐

॥ दोहा॥
श्री राधे वुषभानुजा
भक्तनि प्राणाधार ।
वृन्दावन विपिन विहारिणी
प्रणवों बारम्बार ।
जैसो तैसो रावरौ
कृष्ण प्रिया सुखधाम ।
चरण शरण निज दीजिये
सुन्दर सुखद ललाम ।

॥ चौपाई ॥
जय वृषभानु कुँवरी श्री श्यामा।
कीरति नंदिनी शोभा धामा ।
नित्य विहारिनी श्याम अधारा।
अमित मोद मंगल दातारा ।
राम विलासिनी रस विस्तारिणी।
सहचरी सुभग यूथ मन भावनि ।
करुणा सागर हिय उमंगिनी।
ललितादिक सखियन की संगिनी ।
दिनकर कन्या कुल विहारिनी।
कृष्ण प्राण प्रिय हिय हुलसावनी ।
नित्य श्याम तुमरौ गुण गावै।
राधा राधा कही हरषावैं ।
मुरली में नित नाम उचारें।
तुम कारण लीला वपु धारें ।
प्रेम स्वरूपिणी अति सुकुमारी।
श्याम प्रिया वृषभानु दुलारी ।
नवल किशोरी अति छवि धामा।
द्दुति लधु लगै कोटि रति कामा ।
गोरांगी शशि निंदक वंदना।
सुभग चपल अनियारे नयना ।
जावक युत युग पंकज चरना।
नुपुर धुनी प्रीतम मन हरना ।
संतत सहचरी सेवा करहिं।
महा मोद मंगल मन भरहीं ।
रसिकन जीवन प्राण अधारा।
राधा नाम सकल सुख सारा ।
अगम अगोचर नित्य स्वरूपा।
ध्यान धरत निशिदिन ब्रज भूपा ।
उपजेउ जासु अंश गुण खानी।
कोटिन उमा राम ब्रह्मिनी ।
नित्य धाम गोलोक विहारिन ।
जन रक्षक दुःख दोष नसावनि ।
शिव अज मुनि सनकादिक नारद।
पार न पायें शेष अरु शारद ।
राधा शुभ गुण रूप उजारी।
निरखि प्रसन्न होत बनवारी ।
ब्रज जीवन धन राधा रानी।
महिमा अमित न जाय बखानी ।
प्रीतम संग दे ई गलबाँही ।
बिहरत नित वृन्दावन माँहि ।
राधा कृष्ण कृष्ण कहैं राधा।
एक रूप दोउ प्रीति अगाधा ।
श्री राधा मोहन मन हरनी।
जन सुख दायक प्रफुलित बदनी ।
कोटिक रूप धरे नंद नंदा।
दर्श करन हित गोकुल चंदा ।
रास केलि करी तुम्हें रिझावें।
मन करो जब अति दुःख पावें ।
प्रफुलित होत दर्श जब पावें।
विविध भांति नित विनय सुनावे ।
वृन्दारण्य विहारिनी श्यामा।
नाम लेत पूरण सब कामा ।
कोटिन यज्ञ तपस्या करहु।
विविध नेम व्रतहिय में धरहु ।
तऊ न श्याम भक्तहिं अपनावें।
जब लगी राधा नाम न गावें ।
वृन्दाविपिन स्वामिनी राधा।
लीला वपु तब अमित अगाधा ।
स्वयं कृष्ण पावै नहीं पारा।
और तुम्हैं को जानन हारा ।
श्री राधा रस प्रीति अभेदा।
सादर गान करत नित वेदा ।
राधा त्यागी कृष्ण को भजिहैं।
ते सपनेहूं जग जलधि न तरिहैं ।
कीरति कुँवरि लाड़िली राधा।
सुमिरत सकल मिटहिं भव बाधा ।
नाम अमंगल मूल नसावन।
त्रिविध ताप हर हरी मनभावना ।
राधा नाम लेइ जो कोई।
सहजहि दामोदर बस होई॥
राधा नाम परम सुखदाई।
भजतहीं कृपा करहिं यदुराई ।
यशुमति नंदन पीछे फिरेहै।
जी कोऊ राधा नाम सुमिरिहै ।
रास विहारिनी श्यामा प्यारी।
करहु कृपा बरसाने वारी ।
वृन्दावन है शरण तिहारी।
जय जय जय वृषभानु दुलारी ।

॥ दोहा ॥
श्री राधा सर्वेश्वरी ।
रसिकेश्वर धनश्याम ।
करहूँ निरंतर बास मै।
श्री वृन्दावन धाम ।
॥ इति श्री राधा चालीसा ॥

 

 

 

卐 Shree Radha Chalisa 卐
॥ Doha॥
Shri Radhe vrishabhanujaa,
Bhaktani Praanaadhaar.
Vrindavan Vipin Vihaarini,
Pranavo Baarambaar.
Jaiso Taiso Raavarou,
Krishna Priya Sukhdham.
Charan Sharan Nij Dijiye,
Sundar Sukhad Lalaam.

॥ Chaupaai ॥
Jai Vrishabhan Kunvari Shri Shyama,
Kirati Nandini Shobha Dhama.
Nitya Viharini Shyam Adhara,
Amit Bodh Mangal Datara.
Raas Viharini Ras Vistarini,
Sahachari Subhag Yuth Man Bhaavani.
Karuna Sagar Hiya Umangini,
Lalitadik Sakhiyan Ki Sangani.
Dinkar Kanya Kuul Viharini,
Krishna Praana Priya Hiy Hulsavani.
Nitya Shyam Tumharo Gun Gave.
Radha Radha Kahi Harshavahin.
Murali Mein Nit Naam Uchaarein,
Tum Kaaran Lilaa Vapu Dharein.
Prema Swaroopini Ati Sukumaari,
Shyam Priya Vrishabhaanu Dulaari.
Navala Kishori Ati Chhavi Dhaamaa,
Dhyuti Laghu Lagai Koti Rati Kaamaa.
Gourangi Shashi Nindak Vandana,
Subhag Chapal Aniyaare Naina.
Javak Yuth Yug Pankaj Charanaa,
Nupur Dhwani Pritam Man Harnaa.
Santata Sahachari Seva Karahi,
Maha Mod Mangal Man Bharahi.
Rasikan Jeevan Praana Adhaaraa,
Radha Naam Sakal Sukh Saara.
Agam Agochar Nitya Swaroopa,
Dhyan Dharat Nishidin Brajabhoopa.
Upjeoo Jaasu Ansh Gun Khaani,
Kotin Uma Ramaa Brahmaani.
Nitya Dhaam Golok Vihaarini,
Jan Rakshak Dukh Dosh Nasaavani.
Shiv Aaj Muni Sankaadik Naarad,
Paar Na Paaye Sesh Aru Shaarad.
Radha Shubh Gun Roopa Ujaari,
Nirakhi Prasanna Hot Banvaari.
Braj Jeevan Dhan Radha Rani,
Mahima Amit Na Jaay Bakhaani.
Preetam Sang Diye Gal Baahin,
Biharata Nit Vrindavan Maahi.
Radha Krishna Krisha Hai Radha,
Ek Roop Dou Preeti Agaadha.
Shri Radha Mohan Man Harani,
Jan Sukh Daayak Prafulit Badani.
Kotik Roop Dhare Nand Nanda,
Darash Karan Hith Gokul Chanda.
Raas Keli Kar Tumhein Rijhaaven,
Man Karo Jab Ati Dukh Paave.
Prafullit Hoth Darash Jab Paave,
Vividh Bhaanti Nit Vinay Sunaave.
Vrinda Rannya Viharini Shyama,
Naam Leth Puran Sab Kaamaa.
Kotin Yagya Tapasya Karahu,
Vividh Nem Vrat Hiy Mein Dharahu.
Tau Na Shyam Bhaktahi Apanaave,
Jab Lagi Radha Naam Na Gaave.
Vrinda Vipin Swamini Radha,
Leela Vapu Tub Amit Agaadhaa.
Swayam Krishna Paavain Nahi Paara,
Aur Tumhe Ko Jaanan Haara.
Shri Radha Ras Preeti Abheda,
Saadar Gaan Karat Nit Veda.
Radha Tyagi Krishna Jo bhajihai,
Te Sapnehu Jag Jaladhi Na Tarihai.
Kirati Kuvari Laadali Radha,
Sumirat Sakal Mitahi Bhav Baadha.
Naam Amangal Mool Nasaavan,
Trividh Taap Har Hari Man Bhaavan.
Radha Naam Lei Jo Koi,
Sahajahi Damodar Bash Hoi.
Radha Naam Param Sukhadaayi,
Bhajatahin Kripa Karahin Yadurai
Yashumati Nandan Peeche Phirihain,
Jo Kouu Radha Naam Sumirihain.
Raas Vihaarini Shyama Pyaari,
Karshu Kripa Barsaane Vaari.
Vrindavan Hai Sharan Tihaari,
Jai Jai Jai Vrsihabhaanu Dulari.

॥Doha ॥
Shri Radha Sarveshwari
Rasikeshwar Ghanshyam,
Karahu Nirantar Baas Mai
Shri Vrindavan Dham
॥ It's Shree Radha Chalisa ॥


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श्री राम चालीसा


॥ चौपाई ॥ श्री रघुवीर भक्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥ निशि दिन ध्यान धरै जो कोई। ता सम भक्त और नहिं होई॥ ध्यान धरे शिवजी मन माहीं। ब्रह्म इन्द्र पार नहिं पाहीं॥ दूत तुम्हार वीर हनुमाना। जासु प्रभाव तिहूं पुर जाना॥ तब भुज दण्ड प्रचण्ड कृपाला। रावण मारि सुरन प्रतिपाला॥ तुम अनाथ के नाथ गुंसाई। दीनन के हो सदा सहाई॥ ब्रह्मादिक तव पार न पावैं। सदा ईश तुम्हरो यश गावैं॥ चारिउ वेद भरत हैं साखी। तुम... Read More

॥ चौपाई ॥
श्री रघुवीर भक्त हितकारी।
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
निशि दिन ध्यान धरै जो कोई।
ता सम भक्त और नहिं होई॥
ध्यान धरे शिवजी मन माहीं।
ब्रह्म इन्द्र पार नहिं पाहीं॥
दूत तुम्हार वीर हनुमाना।
जासु प्रभाव तिहूं पुर जाना॥
तब भुज दण्ड प्रचण्ड कृपाला।
रावण मारि सुरन प्रतिपाला॥
तुम अनाथ के नाथ गुंसाई।
दीनन के हो सदा सहाई॥
ब्रह्मादिक तव पार न पावैं।
सदा ईश तुम्हरो यश गावैं॥
चारिउ वेद भरत हैं साखी।
तुम भक्तन की लज्जा राखीं॥
गुण गावत शारद मन माहीं।
सुरपति ताको पार न पाहीं॥
नाम तुम्हार लेत जो कोई।
ता सम धन्य और नहिं होई॥
राम नाम है अपरम्पारा।
चारिहु वेदन जाहि पुकारा॥
गणपति नाम तुम्हारो लीन्हो।
तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हो॥
शेष रटत नित नाम तुम्हारा।
महि को भार शीश पर धारा॥
फूल समान रहत सो भारा।
पाव न कोऊ तुम्हरो पारा॥
भरत नाम तुम्हरो उर धारो।
तासों कबहुं न रण में हारो॥
नाम शत्रुघ्न हृदय प्रकाशा।
सुमिरत होत शत्रु कर नाशा॥
लखन तुम्हारे आज्ञाकारी।
सदा करत सन्तन रखवारी॥
ताते रण जीते नहिं कोई।
युद्ध जुरे यमहूं किन होई॥
महालक्ष्मी धर अवतारा।
सब विधि करत पाप को छारा॥
सीता राम पुनीता गायो।
भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो॥
घट सों प्रकट भई सो आई।
जाको देखत चन्द्र लजाई॥
सो तुमरे नित पांव पलोटत।
नवो निद्धि चरणन में लोटत॥
सिद्धि अठारह मंगलकारी।
सो तुम पर जावै बलिहारी॥
औरहु जो अनेक प्रभुताई।
सो सीतापति तुमहिं बनाई॥
इच्छा ते कोटिन संसारा।
रचत न लागत पल की बारा॥
जो तुम्हरे चरणन चित लावै।
ताकी मुक्ति अवसि हो जावै॥
जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरूपा।
निर्गुण ब्रह्म अखण्ड अनूपा॥
सत्य सत्य जय सत्यव्रत स्वामी।
सत्य सनातन अन्तर्यामी॥
सत्य भजन तुम्हरो जो गावै।
सो निश्चय चारों फल पावै॥
सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं।
तुमने भक्तिहिं सब विधि दीन्हीं॥
सुनहु राम तुम तात हमारे।
तुमहिं भरत कुल पूज्य प्रचारे॥
तुमहिं देव कुल देव हमारे।
तुम गुरु देव प्राण के प्यारे॥
जो कुछ हो सो तुम ही राजा।
जय जय जय प्रभु राखो लाजा॥
राम आत्मा पोषण हारे।
जय जय दशरथ राज दुलारे॥
ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरूपा।
नमो नमो जय जगपति भूपा॥
धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा।
नाम तुम्हार हरत संतापा॥
सत्य शुद्ध देवन मुख गाया।
बजी दुन्दुभी शंख बजाया॥
सत्य सत्य तुम सत्य सनातन।
तुम ही हो हमरे तन मन धन॥
याको पाठ करे जो कोई।
ज्ञान प्रकट ताके उर होई॥
आवागमन मिटै तिहि केरा।
सत्य वचन माने शिव मेरा॥
और आस मन में जो होई।
मनवांछित फल पावे सोई॥
तीनहुं काल ध्यान जो लावै।
तुलसी दल अरु फूल चढ़ावै॥
साग पत्र सो भोग लगावै।
सो नर सकल सिद्धता पावै॥
अन्त समय रघुवरपुर जाई।
जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥
श्री हरिदास कहै अरु गावै।
सो बैकुण्ठ धाम को पावै॥
॥ दोहा ॥
सात दिवस जो नेम कर,
पाठ करे चित लाय।
हरिदास हरि कृपा से,
अवसि भक्ति को पाय॥
॥ इति श्रीराम चालीसा ॥

卐 Shree Ram Chalisa 卐

॥ Chaupaai ॥
Shri Raghuvir Bhakt Hitakaari।
Suni Lijai Prabhu Araj Hamaari॥
Nishidin Dhyaan Dhari Jo Koi।
Ta Sam Bhakt Aur Nahi Hoi॥
Dhyan Dhare Shivaji Man Mahi।
Brahma Indra Paar Nahi Pahi॥
Doot Tumhaar Veer Hanumana।
Jasu Prabhaav Tihu Pur Jaana॥
Tav Bhujdand Prachand Kripaala।
Raavan Maari Suaran Pratipaala॥
Tum Anaath Ke Naath Gosaai।
Deenan Ke Ho Sadaa Sahaai॥
Brhmaadik Tav Paar Na Pavain।
Sadaa Eesh Tumharo Yash Gaavain॥
Chaariu Ved Bharat Hain Saakhi।
Tum Bhaktan Ki Lajjaa Raakhi॥
Gun Gaavat Shaarad Man Maahi।
Surpati Taako Paar Na Paahi॥
Naam Tumhaar Let Jo Koi।
Taa Sam Dhanya Aur Nahi Hoi॥
Ram Naam Hai Aparampaaraa।
Charihu Vedan Jaahi Pukaaraa॥
Ganapati Naam Tumhaaro Linho।
Tinako Pratham Pujya Tum Kinho॥
Shesh Ratat Nit Naam Tumhaaraa।
Mahi Ko Bhaar Shish Par Dhaara॥
Phool Samaan Rahat So Bhaaraa।
Paava Na Kou Tumharo Paaraa॥
Bharat Naam Tumharo Ur Dhaaro।
Taason Kabahu Na Ran Mein Haaro॥
Naam Shatrughna Hridaya Prakaashaa।
Sumirat Hot Shatru Kar Naashaa॥
Lakhan Tumhaare Agyaakaari।
Sadaa Karat Santan Rakhawaari॥
Taate Ran Jeete Nahi Koi।
Yuddh Jure Yamahu Kin Hoi॥
Mahaalakshmi Dhar Avataaraa।
Sab Vidhi Karat Paap Ko Chhaara॥
Seeta Raam Puneetaa Gaayo।
Bhuvaneshwari Prabhaav Dikhaayo॥
Ghat So Prakat Bhai So Aai।
Jaako Dekhat Chandra Lajaai॥
So Tumhare Nit Paon Palotat।
Navo Nidahi Charanan Mein Lotat॥
Sidahi Athaarah Mangalkaari।
So Tum Par Javai Balhaari॥
Aurahu Jo Anek Prabhutaai।
So Seetapati Tumahi Banaai॥
Ichchhaa Te Kotin Sansaaraa।
Rachat Na Laagat Pal Ki Baaraa॥
Jo Tumhare Charanan Chit Laave।
Taaki Mukti Avasi Ho Jaave॥
Jai Jai Jai Prabhu Jyoti Swarupaa।
Nirgun Brahma Akhand Anoopaa॥
Satya Satya Jai Satyavrat Swaami।
Satya Sanaatan Antaryaami॥
Satya Bhajan Tumharo Jo Gaave।
So Nischay Chaaron Phal Paave॥
Satya Shapath Gauripati Kinhi।
Tumane Bhaktahi Sab Vidhi Dinhi॥
Sunahu Ram Tum Taat Hamaare।
Tumahi Bharat Kul Poojya Prachaare॥
Tumahi Dev Kul Dev Hamaare।
Tum Gurudev Praan Ke Pyaare॥
Jo Kuchch Ho So Tumahi Raja।
Jai Jai Jai Prabhu Raakho Laajaa॥
Ram Aatmaa Poshan Haare।
Jai Jai Dasharath Raaj Dulaare॥
Gyaan Hriday Do Gyaanswarupaa।
Namo Namo Jai Jagpati Bhoopaa॥
Dhanya Dhanya Tum Dhanya Prataapaa।
Naam Tumhaar Harat Santaapaa॥
Satya Shuddh Devan Mukh Gaayaa।
Baji Dundubhi Shankh Bajaayaa॥
Satya Satya Tum Satya Sanaatan।
Tumahi Ho Hamare Tan Man Dhan॥
Yaako Paath Kare Jo Koi।
Gyaan Prakat Taake Ur Hoi॥
Aavaagaman Mitai Tihi Kera।
Satya Vachana Maane Shiv Mera॥
Aur Aas Man Mein Jo Hoi।
Manvaanchhit Phal Paave Soi॥
Teenahu Kaal Dhyan Jo Lave।
Tulsidal Aru Phool Chadhaave॥
Saag Patra So Bhog Lagaave।
So Nar Sakal Siddhataa Paave॥
Aant Samay Raghubarapur Jai।
Jaha Janma Haribhakta Kahaai॥
Shri Haridaas Kahai Aru Gaave।
So Vaikunth Dhaam Ko Paave॥

॥ Doha ॥
Saat Diavas Jo Nem Kar,
Paath Kare Chit Laaye।
Haridas Harikripa Se,
Avasi Bhakti Ko Paay॥
॥ It's Shree Ram Chalisa ॥


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लक्ष्मी चालीसा


卐 श्री लक्ष्मी चालीसा 卐 ॥ दोहा॥ मातु लक्ष्मी करि कृपा, करो हृदय में वास। मनोकामना सिद्ध करि, परुवहु मेरी आस॥ ॥सोरठा॥ यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करुं। सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदम्बिका॥ ॥ चौपाई ॥ सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही। ज्ञान, बुद्धि, विद्या दो मोही॥ तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरवहु आस हमारी॥ जय जय जय जननि जगदम्बा। सबकी तुम ही हो अवलम्बा॥ तुम ही हो सब घट घट वासी। विनती यही हमार... Read More

卐 श्री लक्ष्मी चालीसा 卐

॥ दोहा॥
मातु लक्ष्मी करि कृपा,
करो हृदय में वास।
मनोकामना सिद्ध करि,
परुवहु मेरी आस॥
॥सोरठा॥
यही मोर अरदास,
हाथ जोड़ विनती करुं।
सब विधि करौ सुवास,
जय जननि जगदम्बिका॥

॥ चौपाई ॥
सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही।
ज्ञान, बुद्धि, विद्या दो मोही॥
तुम समान नहिं कोई उपकारी।
सब विधि पुरवहु आस हमारी॥
जय जय जय जननि जगदम्बा।
सबकी तुम ही हो अवलम्बा॥
तुम ही हो सब घट घट वासी।
विनती यही हमारी खासी॥
जगजननी जय सिन्धु कुमारी।
दीनन की तुम हो हितकारी॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी।
कृपा करौ जग जननि भवानी॥
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी।
सुधि लीजै अपराध बिसारी॥
कृपा दृष्टि चितवो मम ओरी।
जगजननी विनती सुन मोरी॥
ज्ञान बुद्धि सब सुख की दाता।
संकट हरो हमारी माता॥
क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो।
चौदह रत्न सिन्धु में पायो॥
चौदह रत्न में तुम सुखरासी।
सेवा कियो प्रभु बन दासी॥
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा।
रुप बदल तहं सेवा कीन्हा॥
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा।
लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥
तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं।
सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥
अपनाया तोहि अन्तर्यामी।
विश्व विदित त्रिभुवन के स्वामी॥
तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी।
कहं लौ महिमा कहौं बखानी॥
मन क्रम वचन करै सेवकाई।
मन इच्छित वाञ्छित फल पाई॥
तजि छल कपट और चतुराई।
पूजहिं विविध भांति मनलाई॥
और हाल मैं कहौं बुझाई।
जो यह पाठ करै मन लाई॥
ताको कोई कष्ट होई।
मन इच्छित पावै फल सोई॥
त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि।
त्रिविध ताप भव बन्धन हारिणी॥
जो यह चालीसा पढ़ै पढ़ावै।
ध्यान लगाकर सुनै सुनावै॥
ताकौ कोई न रोग सतावै।
पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै॥
पुत्रहीन अरु सम्पति हीना।
अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना॥
विप्र बोलाय कै पाठ करावै।
शंका दिल में कभी न लावै॥
पाठ करावै दिन चालीसा।
ता पर कृपा करैं गौरीसा॥
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै।
कमी नहीं काहू की आवै॥
बारह मास करै जो पूजा।
तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥
प्रतिदिन पाठ करै मन माही।
उन सम कोइ जग में कहुं नाहीं॥

बहुविधि क्या मैं करौं बड़ाई।
लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥
करि विश्वास करै व्रत नेमा।
होय सिद्ध उपजै उर प्रेमा॥
जय जय जय लक्ष्मी भवानी।
सब में व्यापित हो गुण खानी॥
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं।
तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै।
संकट काटि भक्ति मोहि दीजै॥
भूल चूक करि क्षमा हमारी।
दर्शन दीजै दशा निहारी॥
केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई,
ज्ञान बुद्धि मोहि नहिं अधिकाई
बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी।
तुमहि अछत दुःख सहते भारी॥
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्धि है तन में।
सब जानत हो अपने मन में॥
रुप चतुर्भुज करके धारण।
कष्ट मोर अब करहु निवारण॥
केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई।
ज्ञान बुद्धि मोहि नहिं अधिकाई॥
॥दोहा॥
त्राहि त्राहि दुःख हारिणी,
हरो बेगि सब त्रास।
जयति जयति जय लक्ष्मी,
करो शत्रु को नाश॥
रामदास धरि ध्यान नित,
विनय करत कर जोर।
मातु लक्ष्मी दास पर,
करहु दया की कोर
॥ इति श्री लक्ष्मी चालीसा ॥

卐 Shree Laxmi Chalisa 卐
॥ Doha॥
Maatu Lakshmi Kari Kripa,
Karo Hridaya Mein Vaas।
Manokamna Siddha Kari,
Puravahu Meri Aas॥

॥Sorathaa॥
Yahi Mor Ardas,
Hath Jod Vinati karun।
Sab Vidhi Karau Suvas,
Jai Janani Jagadambika॥

॥Chaupaai॥
Sindu Suta Main Sumirau Tohi। Gyan,
Buddhi, Vidya Do Mohi॥
Tum Samaan Nahi Koi Upkari।
Sab Vidhi Puravahu Aas Hamari॥
Jai Jai Jagat Janani Jagadamba।
Sabaki Tum Hi Ho Avalamba॥
Tum Hi Ho Sab Ghat Ghat Vaasi।
Vinati Yahi Hamari Khaasi॥
Jagajanani Jai Sindhu Kumari।
Dinan ki Tum Ho Hitakari॥
Vinavaun Nitya Tumahin Maharani।
Kripa Karau Jaga Janani Bhavani॥
Kehi Vidhi Stuti Karaun Tihari।
Sudhi Lijai Aparadh Bisari॥
Kripa Drishti Chitavavo Mam Ori।
Jaga Janani Vinati Sun Mori॥
Gyan Buddhi Sab Sukh Ki Data।
Sankat Haro Hamari Mata॥
Kshirasindhu Jab Vishnu Mathayo।
Chaudah Ratna Sindhu Mein Payo॥
Chaudah Ratna Mein Tum Sukharasi।
Seva Kiyo Prabu Bani Dasi॥
Jab Jab Janma Jahan Prabhu Linha।
Roop Badal Tahan Seva Kinha॥
Svayan Vishnu Jab Nar Tanu Dhara।
Linheu Avadhapuri Avatara॥
Tab Tum Pragat Janakapur Mahin।
Seva Kiyo Hridaya Pulakahin॥
Apanaya Tohi Antaryami।
Vishva Vidit Tribhuvan Ki Swami॥
Tum Sam Prabal Shakti Nahin Aani।
Kahan Lau Mahima Kahaun Bakhani॥

Man Kram Vachan Karai Sevakai।
Man Ichchhita Vanchhit Phal Pai॥
Taji Chhal Kapat Aur Chaturai।
Pujahin Vividh Bhanti Man Lai॥
Aur Haal Main Kahaun Bujhai।
Jo Yah Paath Karai Man Lai॥
Tako Koi Kashta Noi।
Man Ichchhita Pavai Phal Soi॥
Trahi Trahi Jai Dukh Nivarini।
Trividh Taap Bhav Bandhan Harini॥
Jo Chalisa Pade Padave
Dhyana Lagakar Sunai Sunavai॥
Takau Koi Na Rog Satavai।
Putra Aadi Dhan Sampatti Pavai॥
Putrahin Aru Sampatti Hina।
Andh Badhir Kodhi Ati Dina॥
Vipra Bolaya Kai Paath Karavai।
Shanka Dil Mein Kabhi Na Lavai॥
Paath Karavai Din Chalisa।
Ta Par Kripa Karain Gaurisa॥
Sukh Sampatti Bahut Si Pavai।
Kami Nahin Kaahu Ki Avai॥
Barah Maas Karai Jo Puja।
Tehi Sam Dhanya Aur Nahin Duja॥
Pratidin Paath Karai Man Mahin।
Un Sam Koi Jag Mein Kahun Naahin॥
Bahuvidhi Kya Mai Karaun Badai।
Leya Pariksha Dhyana Lagai॥
Kari Vishvas Karai Vrat Nema।
Hoy Siddha Upajai Ur Prema॥
Jai Jai Jai Lakshmi Bhavani।
Sab Mein Vyapita Ho Gun Khaani॥
Tumharo Tej Prabal Jag Mahin।
Tum Sam Kou Dayalu Kahun Naahin॥
Mohi Anath Ki Sudhi Ab Lijai।
Sankat Kaati Bhakti Mohi Dijai॥
Bhul Chuk Kari Kshama Hamari।
Darshan Dajai Dasha Nihari॥
Bin Darshan Vyakul Adhikari।
Tumahi Achhat Dukh Sahate Bhaari॥
Nahin Mohin Gyan Buddhi Hai Tan Mein।
Sab Janat Ho Apane Man Mein॥
Roop Chaturbhuja Karake Dharan।
Kashta Mor Ab Karahu Nivaran॥
Kehi Prakar Main Karaun Badai।
Gyan Buddhi Mohin Nahin Adhikai॥

॥Doha॥
Trahi Trahi Dukh Harini,
Haro Vegi Sab Tras।
Jayati Jayati Jai Lakshmi,
Karo Shatru Ko Naash॥
Ramdas Dhari Dhyan Nit,
Vinay Karat Kar Jor।
Maatu Lakshmi Daas Par,
Karahu Daya Ki Kor॥
॥It's Shree Laxmi Chalisa ॥


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विन्ध्येश्वरी चालीसा


卐 श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा 卐   ॥ दोहा॥ नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदम्ब। सन्तजनों के काज में करती नहीं विलम्ब। ॥ चौपाई ॥ जय जय विन्ध्याचल रानी, आदि शक्ति जग विदित भवानी। सिंहवाहिनी जय जग माता, जय जय त्रिभुवन सुखदाता। कष्ट निवारिणी जय जग देवी, जय जय असुरासुर सेवी। महिमा अमित अपार तुम्हारी, शेष सहस्र मुख वर्णत हारी। दीनन के दुख हरत भवानी, नहिं देख्यो तुम सम कोई दानी। सब कर मनसा पुरवत मा... Read More

卐 श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा 卐

 

॥ दोहा॥
नमो नमो विन्ध्येश्वरी,
नमो नमो जगदम्ब।
सन्तजनों के काज में
करती नहीं विलम्ब।

॥ चौपाई ॥
जय जय विन्ध्याचल रानी,
आदि शक्ति जग विदित भवानी।
सिंहवाहिनी जय जग माता,
जय जय त्रिभुवन सुखदाता।
कष्ट निवारिणी जय जग देवी,
जय जय असुरासुर सेवी।
महिमा अमित अपार तुम्हारी,
शेष सहस्र मुख वर्णत हारी।
दीनन के दुख हरत भवानी,
नहिं देख्यो तुम सम कोई दानी।
सब कर मनसा पुरवत माता,
महिमा अमित जगत विख्याता।
जो जन ध्यान तुम्हारो लावै,
सो तुरतहिं वांछित फल पावै।
तू ही वैष्णवी तू ही रुद्राणी,
तू ही शारदा अरु ब्रह्माणी।
रमा राधिका श्यामा काली,
तू ही मातु सन्तन प्रतिपाली।
उमा माधवी चण्डी ज्वाला,
बेगि मोहि पर होहु दयाला।
तू ही हिंगलाज महारानी,
तू ही शीतला अरु विज्ञानी।
दुर्गा दुर्ग विनाशिनी माता,
तू ही लक्ष्मी जग सुख दाता।
तू ही जाह्नवी अरु उत्राणी,
हेमावती अम्बे निर्वाणी।
अष्टभुजी वाराहिनी देवी,
करत विष्णु शिव जाकर सेवी।
चौसट्ठी देवी कल्यानी,
गौरी मंगला सब गुण खानी।
पाटन मुम्बा दन्त कुमारी,
भद्रकाली सुन विनय हमारी।
वज्र धारिणी शोक नाशिनी,
आयु रक्षिणी विन्ध्यवासिनी।
जया और विजया वैताली,
मातु संकटी अरु विकराली।
नाम अनन्त तुम्हार भवानी,
बरनै किमि मानुष अज्ञानी।
जापर कृपा मातु तव होई,
तो वह करै चहै मन जोई।
कृपा करहुं मो पर महारानी,
सिद्ध करहु अम्बे मम बानी।
जो नर धरै मातु कर ध्याना,
ताकर सदा होय कल्याना।
विपति ताहि सपनेहु नहिं आवै,
जो देवी का जाप करावै।
जो नर कहं ऋण होय अपारा,
सो नर पाठ करै शतबारा।
निश्चय ऋण मोचन होइ जाई,
जो नर पाठ करै मन लाई।
अस्तुति जो नर पढ़ै पढ़ावै,
या जग में सो अति सुख पावै।
जाको व्याधि सतावे भाई,
जाप करत सब दूर पराई।
जो नर अति बन्दी महँ होई,
बार हजार पाठ कर सोई।
निश्चय बन्दी ते छुटि जाई,
सत्य वचन मम मानहुं भाई।
जा पर जो कछु संकट होई,
निश्चय देविहिं सुमिरै सोई।
जो नर पुत्र होय नहिं भाई,
सो नर या विधि करे उपाई।
पांच वर्ष सो पाठ करावै,
नौरातन में विप्र जिमावै।
निश्चय होहिं प्रसन्न भवानी,
पुत्र देहिं ता कहं गुण खानी।
ध्वजा नारियल आनि चढ़ावै,
विधि समेत पूजन करवावै।
नित्य प्रति पाठ करै मन लाई,
प्रेम सहित नहिं आन उपाई।
यह श्री विन्ध्याचल चालीसा,
रंक पढ़त होवे अवनीसा।
यह जनि अचरज मानहुं भाई,
कृपा दृष्टि तापर होइ जाई।
जय जय जय जग मातु भवानी,
कृपा करहुं मोहिं पर जन जानी।
॥ इति श्री विन्ध्येश्वरीचालीसा ॥

 

 

卐 Shree Vindhyeshwari Chalisa 卐
॥ Doha॥
Namo Namo Vindhyeshwari
Namo Namo Jagdamba
Sant Janon Ke Kaj Men
Karati Nahin Vilamb

॥Chaupaai ॥
Jai Jai Jai Vindhyachal Rani
Aadi Shakti Jag Vidita Bhavani
Sinha Vahini Jai Jag Mata
Jai Jai Jai Tribhuvan Sukhdata
Kasht Nivarani Jai Jag Devi
Jai Jai Jai Asurasur Sevi
Mahima Amita Apar Tumhari
Shesh Sahas Mukh Varnat Hari
Deenan Ke Dukh Harat Bhavani
Nahin Dekhyo Tum Sam Kou Dani
Sab Kar Mansa Purvat Mata
Mahima Amita Jagat Vikhyata
Jo Jan Dhyan Tumharo Lave
So Turatahi Vanchhita Phal Pave
Tu Hi Vaishnavi Tu Hi Rudrani
Tu Hi Sharada Aru Brahmani
Rama Radhika Shyama Kali
Tu Hi Matu Santan Pratipali
Uma Madhavi Chandi Jwala
Begi Mohi Par Hou Dayala
Tum Hi Hingalaj Maharani
Tum Hi Sheetala Aru Vigyani
Durga Durg Vinashani Mata
Tum Hi Lakshmi Jag Sukhdata
Tum Hi Janhavi Aru Utraani
Hemavati Ambe Nirvani
Ashthabhuji Varahini Devi
Karat Vishnu Shiv Ja Kar Sevi
Chausatti Devi Kalyani
Gauri Mangala Sab Gun Khani
Patan Mumba Dant Kumari
Bhadrakali Sun vinay Hamari
Vajra Dharani Shoka Nashini
Ayurakshani Vindhyavasini
Jaya Aur Vijaya Vaitali
Matu Sankati Aru Vikaraali
Naam Ananta Tumhar Bhavani
Baranai Kimi Manush Agyaani
Ja Par Kripa Matu Tav Hoi
To Waha Kare Chahe Man Joi
Kripa Karahu Mo Par Mahaaraani
Siddh Karahu Ambe Mam Baani
Jo Nar Dhare Matu Kar Dhyaanaa
Ta Kar Sada Hoya Kalyaanaa
Vipati Tahi Sapnehu Nahi Aave
Jo Devi Ka Jaap Karavai
Jo Nar Kahan Rina Hoya Apara
So Nar Path Karey Shatvara
Nishchaya Rina Mochan Hui Jayi
Jo Nar Path Kare Man Layi
Astuti Jo Nar Padhe Padhave
Ya Jag Men So ati Sukh Pave
Jako Vyadhi Satave Bhai
Jap Karati Sab Door Parai
Jo Nar Ati Bandhan Men Hoi
Bar Hazar Path Kar Soi
Nishchaya Bandhan Se Chhuti Jai
Satya Vachan Mam Manahu Bhai
Ja Par Jo Kachhu Sankat Hoi
Nishchaya Devihi Sumire Soi
Jo Nar Putra Hoya Nahin Bhayi
So Nar Ya Vidhi Kare Upaayi
Pancha Varsh So Paath Karaave
Nauratan Me Vipra Jimave
Nishchaya Hohin Prasanna Bhavani
Putra Dehin Ta Kanha Gun Khani
Dhwaja Nariyal Aani Chadhave
Vidhi Sameta Poojan Karvave
Nitya Prati Path Karai Man Laayi
Prem Sahita Nahin Aani Upayi
Yaha Shree Vindhyachal Chalisa
Rank Padhat Hove Avaneesa
Yaha Jani Acharaj Maanahu Bhai
Kripa Drishtihi Ta Par Hoi Jai
Jai Jai Jai Jag Matu Bhavaani
Karahu Kripa Mohin Par Jan Jaani
॥It's Shree Vindhyeshwari Chalisa ॥


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वैष्णो देवी चालीसा


卐 श्री वैष्णो देवी चालीसा 卐 ॥ दोहा॥ गरुड़ वाहिनी वैष्णवी त्रिकुटा पर्वत धाम काली, लक्ष्मी, सरस्वती, शक्ति तुम्हें प्रणाम ॥ चौपाई ॥ नमो: नमो: वैष्णो वरदानी, कलि काल मे शुभ कल्याणी। मणि पर्वत पर ज्योति तुम्हारी, पिंडी रूप में हो अवतारी॥ देवी देवता अंश दियो है, रत्नाकर घर जन्म लियो है। करी तपस्या राम को पाऊँ, त्रेता की शक्ति कहलाऊँ॥ कहा राम मणि पर्वत जाओ, कलियुग की देवी कहलाओ। विष्णु रूप से कल्कि ब... Read More

卐 श्री वैष्णो देवी चालीसा 卐

॥ दोहा॥
गरुड़ वाहिनी वैष्णवी
त्रिकुटा पर्वत धाम
काली, लक्ष्मी, सरस्वती,
शक्ति तुम्हें प्रणाम

॥ चौपाई ॥
नमो: नमो: वैष्णो वरदानी,
कलि काल मे शुभ कल्याणी।
मणि पर्वत पर ज्योति तुम्हारी,
पिंडी रूप में हो अवतारी॥
देवी देवता अंश दियो है,
रत्नाकर घर जन्म लियो है।
करी तपस्या राम को पाऊँ,
त्रेता की शक्ति कहलाऊँ॥
कहा राम मणि पर्वत जाओ,
कलियुग की देवी कहलाओ।
विष्णु रूप से कल्कि बनकर,
लूंगा शक्ति रूप बदलकर॥
तब तक त्रिकुटा घाटी जाओ,
गुफा अंधेरी जाकर पाओ।
काली-लक्ष्मी-सरस्वती माँ,
करेंगी पोषण पार्वती माँ॥
ब्रह्मा, विष्णु, शंकर द्वारे,
हनुमत, भैरों प्रहरी प्यारे।
रिद्धि, सिद्धि चंवर डुलावें,
कलियुग-वासी पूजत आवें॥
पान सुपारी ध्वजा नारीयल,
चरणामृत चरणों का निर्मल।
दिया फलित वर मॉ मुस्काई,
करन तपस्या पर्वत आई॥
कलि कालकी भड़की ज्वाला,
इक दिन अपना रूप निकाला।
कन्या बन नगरोटा आई,
योगी भैरों दिया दिखाई॥
रूप देख सुंदर ललचाया,
पीछे-पीछे भागा आया।
कन्याओं के साथ मिली मॉ,
कौल-कंदौली तभी चली मॉ॥
देवा माई दर्शन दीना,
पवन रूप हो गई प्रवीणा।
नवरात्रों में लीला रचाई,
भक्त श्रीधर के घर आई॥
योगिन को भण्डारा दीनी,
सबने रूचिकर भोजन कीना।
मांस, मदिरा भैरों मांगी,
रूप पवन कर इच्छा त्यागी॥
बाण मारकर गंगा निकली,
पर्वत भागी हो मतवाली।
चरण रखे आ एक शीला जब,
चरण-पादुका नाम पड़ा तब॥
पीछे भैरों था बलकारी,
चोटी गुफा में जाय पधारी।
नौ मह तक किया निवासा,
चली फोड़कर किया प्रकाशा॥
आद्या शक्ति-ब्रह्म कुमारी,
कहलाई माँ आद कुंवारी।
गुफा द्वार पहुँची मुस्काई,
लांगुर वीर ने आज्ञा पाई॥
भागा-भागा भैंरो आया,
रक्षा हित निज शस्त्र चलाया।
पड़ा शीश जा पर्वत ऊपर,
किया क्षमा जा दिया उसे वर॥
अपने संग में पुजवाऊंगी,
भैंरो घाटी बनवाऊंगी।
पहले मेरा दर्शन होगा,
पीछे तेरा सुमिरन होगा॥
बैठ गई माँ पिण्डी होकर,
चरणों में बहता जल झर झर।
चौंसठ योगिनी-भैंरो बर्वत,
सप्तऋषि आ करते सुमरन॥
घंटा ध्वनि पर्वत पर बाजे,
गुफा निराली सुंदर लागे।
भक्त श्रीधर पूजन कीन,
भक्ति सेवा का वर लीन॥
सेवक ध्यानूं तुमको ध्याना,
ध्वजा व चोला आन चढ़ाया।
सिंह सदा दर पहरा देता,
पंजा शेर का दु:ख हर लेता॥
जम्बू द्वीप महाराज मनाया,
सर सोने का छत्र चढ़ाया ।
हीरे की मूरत संग प्यारी,
जगे अखण्ड इक जोत तुम्हारी॥
आश्विन चैत्र नवरात्रे आऊँ,
पिण्डी रानी दर्शन पाऊँ।
सेवक' कमल' शरण तिहारी,
हरो वैष्णो विपत हमारी॥

॥ दोहा ॥
कलियुग में महिमा तेरी,
है माँ अपरंपार
धर्म की हानि हो रही,
प्रगट हो अवतार
॥ इति श्री वैष्णो देवी चालीसा ॥

 

 

卐 Shree Vaishno Devi Chalisa 卐
॥ Doha॥
Garud Vaahini Vaishnavi
Trikuta Parvat Dhaam
Kali.Lakshami,Saraswati,
Shakti Tumhe Pranaam

॥ Chaupaai॥
Namoh Namoh Baishno Vardaani
Kali Kaal Me Shubh Kalyaani.
Mani Parvat Par Jyoti Tumhaari
Pindi Roop Me Ho Avataari.
Devi Devataa Ansh Diyo Hai,
Ratnaakar Ghar Janm Liyo Hai.
Kari Tapasya Raam Ko Paaon,
Tretaa Ki Shakti Kahalaaun.
Kaha Ram Mani Parvat Jaao,
Kaliyug Ki Devi Kahalaao.
Vishnu Roop Se Kalki Banakar,
Loongaa Shakti Roop Badalakar.
Tab Tak Trikuta Ghaati ,
Gufa Andheri Jaakar Paao.
Kali-Lakshmi-Saraswati Maa,
Karegi Poshan Paarvati Maa.
Brahma ,Vishnu Shankar Dwaare,
Hanumat,Bhairon Prahari Pyaare.
Riddhi,Siddhi Chanvar Dulaave,
Kaliyug-Vaasi Pujat Aavein.
Paan Supaari Dhwajaa Naariyal,
Charanaamrit Charano Kaa Nirmal.
Diya Phalit Var Maa Muskaai,
Karan Tapsyaa Parvat Aai.
Kali Kaalaki Bhadaki Jwaalaa,
Ek Din Apanaa RoopNIkaalaa.
Kanya Ban Nagarotaa Aai,
Yogi Bhairon Diyaa Dikhaai.
Roop Dekh Lalachaayaa,
Peechhe-Peechhe Bhaagaa Aayaa.
Kanyaao Ke Saath Mili Maa,
Kaul-Kandauli Tabhi Chali Maa.
Devaa Maai darshan Dinaa,
Pavan Roop Ho Gai Praveenaa.
Navaraatron Me Leelaa Rachaai,
Bhakt Shree Dhar Ke Ghar Aai.
Yogin Ko Bhandaaraa Dini,
Sabane Ruchikar Bhojan Kinaa.
Maans,Madiraa Bhairon Maangi,
Roop Pavan Kar Ichchhaa Tyaagi.
Baan Maarakar Gangaa NIkaali,
Parvat Bhaagi Ho Matavaali.
Charan rakhe Aa Ek Sheelaa Jab,
Charan-Paadukaa Naam padaa Tab.
Peechhe Bhairo Thaa Balakaari,
Choti Gufaa Me Jaay Padhaari.
Nau Maah Tak Kiyaa Nivaasaa,
Chali Phodakar Kiyaa Prakaashaa.
Aadyaa Shakti-Brahm Kumaari,
Kahalaai Maa Aad Kunvaari.
Gufaa Dwaar pahuchi Muskaai,
Laangur Veer Ne Aagyaa Paai.
Bhaagaa-Bhaagaa Bhairo Aayaa,
Rakshaa Hit Nij Shastra Chalaayaa.
Padaa Sheesh Jaa Parvat Upar,
Kiyaa Kshamaa Jaa Diyaa Use Var.
Apane Sang Me Pujavaaoongi,
Bhairo Ghaati Banavaaoongi.
Pahale Meraa darshan Hogaa,
Peechhe Teraa Sumiran Hogaa.
Baith Gai maa Pindi Hokar,
Charano Me Bahataa Jal Jhar Jhar.
Chausath Yogin-Bhairon Barvat,
Saptarishi Aa Karate Sumiran.
Ghantaa Dhwani Parvat par Baaje,
Gufaa NIraali Sundar Laage.
Bhakt Shree Dhar poojan Kin,
Bhakti Sevaa Ka Var Leen.
Sevak Dhyaanoon Tumako Dhhyaanaa,
Dhwajaa Va Cholaa Aan Chadhaayaa.
Sinh Sadaa Dar paharaa Detaa,
Panjaa Sher Kaa Dukh har Letaa.
Jambu Dweep Mahaaraaj Manaayaa,
Sar Sone Kaa Chhatra Chadhaayaa.
Heere Ki Murat Sang Pyaari,
Jage Akhand Ek Jot Tumhaari.
Aashvin Chaitra Navaraatre Aaoon
Pindi Raani darshan Paaoon.
Sevak Kamal Sharan Tihaari,
Haro Vaishno Vipatti Hamaari.

॥ Doha ॥
Kaliyug Me Mahimaa Teri,
Hai Maa Aparampaar.
DharmKi Haani Ho Rahi
Pragat HO Avataar.
॥ It's Shree Vaishno Devi Chalisa ॥


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शारदा चालीसा


卐 श्री शारदा चालीसा 卐 ॥ दोहा॥ मूर्ति स्वयंभू शारदा, मैहर आन विराज । माला, पुस्तक, धारिणी, वीणा कर में साज ॥ ॥ चौपाई ॥ जय जय जय शारदा महारानी, आदि शक्ति तुम जग कल्याणी। रूप चतुर्भुज तुम्हरो माता, तीन लोक महं तुम विख्याता॥ दो सहस्त्र वर्षहि अनुमाना, प्रगट भई शारदा जग जाना । मैहर नगर विश्व विख्याता, जहाँ बैठी शारदा जग माता॥ त्रिकूट पर्वत शारदा वासा, मैहर नगरी परम प्रकाशा । सर्द इन्दु सम बदन तुम्हार... Read More

卐 श्री शारदा चालीसा 卐

॥ दोहा॥
मूर्ति स्वयंभू शारदा,
मैहर आन विराज ।
माला, पुस्तक, धारिणी,
वीणा कर में साज ॥

॥ चौपाई ॥
जय जय जय शारदा महारानी,
आदि शक्ति तुम जग कल्याणी।
रूप चतुर्भुज तुम्हरो माता,
तीन लोक महं तुम विख्याता॥
दो सहस्त्र वर्षहि अनुमाना,
प्रगट भई शारदा जग जाना ।
मैहर नगर विश्व विख्याता,
जहाँ बैठी शारदा जग माता॥
त्रिकूट पर्वत शारदा वासा,
मैहर नगरी परम प्रकाशा ।
सर्द इन्दु सम बदन तुम्हारो,
रूप चतुर्भुज अतिशय प्यारो॥
कोटि सुर्य सम तन द्युति पावन,
राज हंस तुम्हरो शचि वाहन।
कानन कुण्डल लोल सुहवहि,
उर्मणी भाल अनूप दिखावहिं ॥
वीणा पुस्तक अभय धारिणी,
जगत्मातु तुम जग विहारिणी।
ब्रह्म सुता अखंड अनूपा,
शारदा गुण गावत सुरभूपा॥
हरिहर करहिं शारदा वन्दन,
वरुण कुबेर करहिं अभिनन्दन ।
शारदा रूप कहण्डी अवतारा,
चण्ड-मुण्ड असुरन संहारा ॥
महिषा सुर वध कीन्हि भवानी,
दुर्गा बन शारदा कल्याणी।
धरा रूप शारदा भई चण्डी,
रक्त बीज काटा रण मुण्डी॥
तुलसी सुर्य आदि विद्वाना,
शारदा सुयश सदैव बखाना।
कालिदास भए अति विख्याता,
तुम्हरी दया शारदा माता॥
वाल्मीकी नारद मुनि देवा,
पुनि-पुनि करहिं शारदा सेवा।
चरण-शरण देवहु जग माया,
सब जग व्यापहिं शारदा माया॥
अणु-परमाणु शारदा वासा,
परम शक्तिमय परम प्रकाशा।
हे शारद तुम ब्रह्म स्वरूपा,
शिव विरंचि पूजहिं नर भूपा॥
ब्रह्म शक्ति नहि एकउ भेदा,
शारदा के गुण गावहिं वेदा।
जय जग वन्दनि विश्व स्वरूपा,
निर्गुण-सगुण शारदहिं रूपा॥
सुमिरहु शारदा नाम अखंडा,
व्यापइ नहिं कलिकाल प्रचण्डा।
सुर्य चन्द्र नभ मण्डल तारे,
शारदा कृपा चमकते सारे॥
उद्भव स्थिति प्रलय कारिणी,
बन्दउ शारदा जगत तारिणी।
दु:ख दरिद्र सब जाहिंन साई,
तुम्हारीकृपा शारदा माई॥
परम पुनीत जगत अधारा,मातु,
शारदा ज्ञान तुम्हारा।
विद्या बुद्धि मिलहिं सुखदानी,
जय जय जय शारदा भवानी॥
शारदे पूजन जो जन करहिं,
निश्चय ते भव सागर तरहीं।
शारद कृपा मिलहिं शुचि ज्ञाना,
होई सकल्विधि अति कल्याणा॥
जग के विषय महा दु:ख दाई,
भजहुँ शारदा अति सुख पाई।
परम प्रकाश शारदा तोरा,
दिव्य किरण देवहुँ मम ओरा॥
परमानन्द मगन मन होई,
मातु शारदा सुमिरई जोई।
चित्त शान्त होवहिं जप ध्याना,
भजहुँ शारदा होवहिं ज्ञाना॥
रचना रचित शारदा केरी,
पाठ करहिं भव छटई फेरी।
सत् – सत् नमन पढ़ीहे धरिध्याना,
शारदा मातु करहिं कल्याणा॥
शारदा महिमा को जग जाना,
नेति-नेति कह वेद बखाना।
सत् – सत् नमन शारदा तोरा,
कृपा द्र्ष्टि कीजै मम ओरा॥
जो जन सेवा करहिं तुम्हारी,
तिन कहँ कतहुँ नाहि दु:खभारी ।
जोयह पाठ करै चालीस,
मातु शारदा देहुँ आशीषा॥

॥ दोहा ॥
बन्दऊँ शारद चरण रज,
भक्ति ज्ञान मोहि देहुँ।
सकल अविद्या दूर कर,
सदा बसहु उर्गेहुँ।
जय-जय माई शारदा,
मैहर तेरौ धाम ।
शरण मातु मोहिं लिजिए,
तोहि भजहुँ निष्काम ॥
॥ इति श्री शारदा चालीसा ॥

 

 

 

卐 Shree Sharda Chalisa 卐
॥ Doha॥
Moorti Swayambhu Shaarada,
Maihar Aan Viraaj.
Mala,Pustak,Dhaarini,
Veena Kar Me Saaj.

॥ Chaupaai ॥
Jai Jai Jai Sharada Maharani,
Aadi Shakti Tum Jag Kalyaani ।
Roop Chaturbhuj Tumharo Mata,
Teen Lok Mahan Tum Vikhyaata ॥
Do Sahastra Varshahi Anumaanaa,
Pagat Bhai Sharada Jag Jaanaa।
Maihar Nagar Vishwa Vikhyaataa,
Jahaan Baithi Sharadaa Jag Mata॥
Trikut Parvat Sharadaa Vaasaa,
Maihar Nagari Param Prakaashaa।
Sard Indu Sam Badan Tumhaaro,
Roop Chaturbhuj Atishay Pyaaro॥
Koti Sury Sam Tan Dyuti Paavan,
Raaj Hans Tumharo Shachi Vaahan।
Kaanan Kundal Lol Suhavahi,
Urmani Bhaal Anoop Dikhaavahi॥
Veenaa Pustak Abhay Dhaarini,
Jagatmaatu Tum Jag Vihaarini।
Brahma Sutaa Akhand Anoopaa,
Sharada gun Gaavat Surabhoopaa॥
Harihar Karahi Sharada Vandan,
Varun Kuber Karahi Abhinandan।
Sharada Roop Kahandi Avataaraa,
Chand-Mund Asuran Sanhaaraa॥
Mahishaa Sur Vadh Kinhi Bhavaani,
Durgaa Ban Sharadaa Kalyaani।
Dhara Roop Sharadaa Bhai Chandi,
Rakt Beej Kaataa Ran Mundi॥
Tulasi Surya Aadi Vidvaanaa,
Shaaradaa Suyash Sadaiv Bakhaanaa।
Kalidaas Bhaye Ati Vikhyaataa,
Tumhari Daya Sharadaa Mata॥
Vaalmiki Naarad Muni Deva,
Puni-Puni Karahi Shaaradaa Seva।
Charan-Sharan Devahu Jag Maayaa,
Sab Jag VYaapahin Sharada Maayaa॥
Anu-Paramanu Sharadaa Vaasaa,
Param Shaktimay Param Prakaashaa।
He Sharada Tum Brahm Swaroopaa,
Shiv VIranchi Pujahin Nar Bhoopaa॥
Brahm Shakti Nahi Ekau Bhedaa,
Shardaa Ke Gun Gaavahin Veda।
Jai Jag Vandani Vishwa Swaroopaa,
Nirgun Sagun Shaaradahin Roopaa॥
Sumirahu Sharadaa Naam Akhandaa,
Vyaapai Nahi Kalikaal Prachandaa।
Surya Chandra Nabh Mandal Taare,
Sharadaa Kripaa Chamakate Saare॥
Udbhav Sthiti Pralay Kaarini,
Banadau Sharada jagat Taarini।
Dukh Daridra Sab Jaahin Saai,
Tumhari Kripaa Sharadaa Maai॥
Param Punit Jagat Adhaaraa,
Maatu SHaardaa Gyaan Tumhaaraa।
VidyaaBuddhi Milahi Sukhadaani,
Jai Jai Jai Sharadaa Bhavaani॥
Shaarade Pujan Jo Jan Karahi,
Nishchay Te Bhav Saagar Tarahin।
Sharadaa Kripaa Milahin Shuchi Gyaanaa,
Hoi Sakal Vidhi Ati Kalyaanaa॥
Jag Ke Vishay Mahaa Dukh Daai,
Bhajahum Sharada Ati Sukh Paai।
Param Prakaash Sharadaa Toraa,
Divya Kiran Devahun Mam Oraa॥
Paramaanand Magan Man Hoi,
Maatu Shaarada Sumirai Joi।
Chitta Shaant Hovahin Jap Dhyaanaa,
Bhajahun Sharda Hovahin Gyaanaa॥
Rachana Rachit Sharada Keri,
Paath Karahi Bhava Chhatai Pheri।
Sat-Sat Naman Padhihe Dhari Dhyaanaa,
Sharadaa Maatu Karahi Kalyaanaa॥
Sharadaa Mahima Ko Jag Jana,
Neti-Neti Kah Ved Bakhaanaa।
Sat-Sat Naman SharadaToraa,
Kripaa Drishti Kijai Mam Oraa॥
Jo Jan Seva Karahi Tumhaari,
Tin Kahan Katahun Naahi Dukh Bhaari।
Jo Yah Paath Karai Chalisa,
Maatu Sharada Dehun Aasheesha॥

॥ Doha ॥
Bandaum Shaarad Charan Raj,
Bhakti Gyaan Mohi Dehoon ।
Sakal Avidyaa Door Kar,
Sada Basahu Urgehoon॥
Jai-Jai Maai Shaaradaa,
Maihar Terau Dhaam ।
Sharan Maatu Mohin Lijiye,
Tohi Bhajahun Nishkaam॥
॥ It's Shree Sharadaa Chalisa


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