पेट से लेकर कमर तक की समस्याओं में फायदेमंद है मार्जरी आसन का अभ्यास जानिए इसका तरीका और लाभ
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कैट-काऊ पोज या मार्जरी आसन का नियमित अभ्यास कई प्रकार से शरीर के लिए लाभदायक हो सकता है। यह मुद्रा आपकी रीढ़ की बेहतर स्ट्रेचिंग करने के साथ पेट के अंगों के लिए विशेष लाभप्रद मानी जाती है। योग विशेषज्ञों के अनुसार नियमित रूप से दिनचर्या में योगासनों को शामिल करना आपकी सेहत को गजब का बूस्ट दे सकता है। शारीरिक सक्रियता को बढ़ावा देने के साथ मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और शरीर की एकाग्रता में सुधार करने में मार्जरी आसन का नियमित अभ्यास आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है। यह आसन पेट से लेकर पीठ तक और पैर से लेकर सिर तक की कई बड़ी मांसपेशियों को सक्रिय करके रक्त के संचार को सुधारने में सहायक है।
योग विशेषज्ञों के मुताबिक यह योग मुद्रा आपके मस्तिष्क को शक्ति प्रदान करती है। इसके अलावा फोकस, शारीरिक समन्वय और मानसिक स्थिरता में सुधार करने में इस योग के अभ्यास को विशेष लाभकारी माना जाता है। रीढ़ की हड्डी के बीच रक्त परिसंचरण में सुधार करने से यह पीठ दर्द और अतिरिक्त तनाव से राहत दिलाने में मदद करती है। रोजाना 5-10 मिनट तक इस आसन का अभ्यास करना आपके लिए विशेष लाभप्रद हो सकता है।
कैट-काऊ पोज का अभ्यास करना आसान है। किसी विशेषज्ञ से शुरुआत में इसके सही तरीके के बारे में जानकारी ले लें। सबसे पहले फर्श पर दोनों घुटनों और दोनों हाथों को टेक कर बिल्ली जैसी मुद्रा बनाएं। जांघों को ऊपर की ओर सीधा करके पैर के घुटनों पर 90 डिग्री का कोण बनाएं। अब लंबी सांस लें और सिर को पीछे की ओर झुकाते हुए टेलबोन को ऊपर उठाएं। फिर सांस छोड़ते हुए सिर को नीचे की ओर झुकाएं और ठुड्डी को छाती से लगाने का प्रयास करें। इस प्रक्रिया को दोहराएं।
मार्जरी आसन का नियमित अभ्यास शरीर के कई अंगों की बेहतर स्ट्रेचिंग के साथ शरीर में रक्त के संचार को बढ़ावा देने में विशेष लाभकारी हो सकता है। शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की सेहत में इस योग के अभ्यास के लाभ देखे गए हैं।
शारीरिक मुद्रा और संतुलन में सुधार करता है।
रीढ़ और गर्दन को मजबूत बनाने और स्ट्रेचिंग में सहायक है।
कूल्हों, पेट और पीठ को स्ट्रेच करता है।
शारीरिक-मानसिक समन्वय बढ़ाता है।
पेट के अंगों जैसे गुर्दे और अधिवृक्क ग्रंथियां को उत्तेजित करता है।
भावनात्मक संतुलन बनाता है।
तनाव से राहत देकर मन को शांत करता है।
कुछ स्थितियों में कैट-काऊ पोज का अभ्यास न करने की सलाह दी जाती है। पीठ या घुटनों में दर्द से पीड़ित लोग, गर्भवस्था के दौरान, गर्दन में चोट या दर्द, सिर की चोट जैसी स्थितियों में इसका अभ्यास न करें। योग से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए किसी विशेषज्ञ से सही आसन की जानकारी जरूर ले लें।
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Ishika Dhiman
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