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Garima kumari

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Blog by Garima kumari | Digital Diary

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आओ जानू मानव नेत्र किसे कहते हैं


आओ जानू मानव नेत्र किसे कहते हैं मानव नेत्र एक अत्यंत जटिल और महत्वपूर्ण ज्ञानेन्द्रिय है, जो प्रकाश को महसूस करती है और दृष्टि प्रदान करती है, जिससे हम अपने आसपास की दुनिया को देख सकते हैं और उसमें रंग व गहराई महसूस कर सकते हैं। यह कॉर्निया, आइरिस, पुतली, लेंस और रेटिना जैसे कई भागों से बनी होती है, जो मिलकर प्रकाश को ग्रहण करती हैं और उसे विद्युत संकेतों में बदलकर मस्तिष्क तक भेजती हैं, जिससे हम... Read More

आओ जानू मानव नेत्र किसे कहते हैं

मानव नेत्र एक अत्यंत जटिल और महत्वपूर्ण ज्ञानेन्द्रिय है, जो प्रकाश को महसूस करती है और दृष्टि प्रदान करती है, जिससे हम अपने आसपास की दुनिया को देख सकते हैं और उसमें रंग व गहराई महसूस कर सकते हैं। यह कॉर्निया, आइरिस, पुतली, लेंस और रेटिना जैसे कई भागों से बनी होती है, जो मिलकर प्रकाश को ग्रहण करती हैं और उसे विद्युत संकेतों में बदलकर मस्तिष्क तक भेजती हैं, जिससे हम वस्तुओं को पहचान पाते हैं। 

मानव नेत्र के प्रमुख कार्य:

प्रकाश ग्रहण करना:

नेत्र में प्रकाश कॉर्निया से प्रवेश करता है, और फिर आइरिस (परितारिका) पुतली के आकार को नियंत्रित करके नियंत्रित मात्रा में प्रकाश को अंदर जाने देती है। 

छवि बनाना:

प्रकाश नेत्र लेंस से होकर गुजरता है, जो उसे रेटिना पर केंद्रित करता है। 

संकेतों को मस्तिष्क तक भेजना:

रेटिना में मौजूद प्रकाश-संवेदी कोशिकाएं प्रकाश को विद्युत संकेतों में बदल देती हैं, जो ऑप्टिक तंत्रिका के माध्यम से मस्तिष्क तक पहुंचते हैं। 

देखने और समझने में मदद करना:

मस्तिष्क इन संकेतों को समझता है और हमें वस्तुओं, रंगों और उनकी स्थिति के बारे में जानकारी प्रदान करता है। 

मानव नेत्र के मुख्य भाग:

कॉर्निया (स्वच्छ मंडल):

आँख की सबसे बाहरी, पारदर्शी परत जो प्रकाश को प्रवेश करने देती है। 

आइरिस (परितारिका):

आँख का रंगीन भाग जो पुतली के आकार को नियंत्रित करके प्रकाश की मात्रा को समायोजित करता है। 

पुतली (तारा):

आइरिस के बीच का छिद्र, जो प्रकाश को नेत्र लेंस में प्रवेश करने देता है। 

लेंस:

एक उभयोत्तल लेंस जो प्रकाश किरणों को रेटिना पर केंद्रित करता है। 

रेटिना:

आँख के अंदर की प्रकाश-संवेदी परत, जो प्रकाश को विद्युत संकेतों में बदलती है। 

ऑप्टिक तंत्रिका:

रेटिना से विद्युत संकेतों को मस्तिष्क तक ले

जाने वाली तंत्रिका। 


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  • Date:- 2025:08:26
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आए जाने मानव श्वसन तंत्र क्या होता है


आए जाने मानव श्वसन तंत्र क्या होता है मानव श्वसन तंत्र एक ऐसा शारीरिक तंत्र है जो शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाता है और कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालता है, जिसके लिए फेफड़े, वायुमार्ग, नाक, मुंह और श्वसन मांसपेशियां जिम्मेदार होती हैं. यह शरीर के अन्य अंगों और ऊतकों के साथ मिलकर काम करता है ताकि कोशिकीय श्वसन के लिए आवश्यक ऑक्सीजन मिल सके और चयापचय अपशिष्ट कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकाला जा सके.&nbsp... Read More

आए जाने मानव श्वसन तंत्र क्या होता है

मानव श्वसन तंत्र एक ऐसा शारीरिक तंत्र है जो शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाता है और कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालता है, जिसके लिए फेफड़े, वायुमार्ग, नाक, मुंह और श्वसन मांसपेशियां जिम्मेदार होती हैं. यह शरीर के अन्य अंगों और ऊतकों के साथ मिलकर काम करता है ताकि कोशिकीय श्वसन के लिए आवश्यक ऑक्सीजन मिल सके और चयापचय अपशिष्ट कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकाला जा सके. 

श्वसन तंत्र में शामिल प्रमुख अंग और भाग:

नाक और मुँह:

हवा का प्रवेश द्वार, जहाँ हवा शरीर में प्रवेश करती है. 

वायुमार्ग:

नाक और मुंह से जुड़े नलीनुमा मार्ग. 

ग्रसनी (Pharynx):

हवा और भोजन के गुजरने का एक हिस्सा जो श्वसन और पाचन तंत्र दोनों का हिस्सा है. 

स्वरयंत्र (Larynx):

इसे वॉयस बॉक्स (आवाज का डिब्बा) भी कहते हैं, जो हवा को श्वासनली में जाने देता है. 

श्वासनली (Trachea):

श्वास की मुख्य नली जो फेफड़ों तक हवा ले जाती है. 

श्वसनी (Bronchi):

श्वासनली से निकलकर दोनों फेफड़ों में बँटने वाली छोटी नलिकाएं. 

फेफड़े (Lungs):

श्वसन तंत्र के मुख्य अंग जो शरीर में ऑक्सीजन लेते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालते हैं. 

श्वसन मांसपेशियां (Respiratory Muscles):

डायाफ्राम और पसलियों के बीच की मांसपेशियां, जो सांस लेने और छोड़ने में मदद करती हैं. 

कार्य: 

शरीर में ऑक्सीजन लेना.

कोशिकाओं से कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालना.

शरीर में ऊर्जा के उत्पादन के लिए ऑक्सीजन का उपयोग करना.

शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करना.

एआई से मिले जवाबों में गलतियां हो सकती हैं.


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  • Date:- 2025:08:26
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आओ पढ़ो जंतु तंत्रिका तंत्र के बारे मे


आओ पढ़ो जंतु तंत्रिका तंत्र के बारे मे जंतु तंत्रिका तंत्र शरीर का नियंत्रण केंद्र होता है, जो मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और तंत्रिकाओं से मिलकर बनता है. यह शरीर की सभी गतिविधियों, जैसे सोचना, महसूस करना, और हिलना-डुलना को नियंत्रित करता है, तथा विभिन्न इंद्रियों के माध्यम से जानकारी प्राप्त करके उस पर प्रतिक्रिया करता है. तंत्रिका तंत्र विद्युत और रासायनिक संकेतों के रूप में संदेश भेजकर शरीर के विभि... Read More

आओ पढ़ो जंतु तंत्रिका तंत्र के बारे मे

जंतु तंत्रिका तंत्र शरीर का नियंत्रण केंद्र होता है, जो मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और तंत्रिकाओं से मिलकर बनता है. यह शरीर की सभी गतिविधियों, जैसे सोचना, महसूस करना, और हिलना-डुलना को नियंत्रित करता है, तथा विभिन्न इंद्रियों के माध्यम से जानकारी प्राप्त करके उस पर प्रतिक्रिया करता है. तंत्रिका तंत्र विद्युत और रासायनिक संकेतों के रूप में संदेश भेजकर शरीर के विभिन्न अंगों के बीच संचार स्थापित करता है. 

तंत्रिका तंत्र के मुख्य कार्य:

नियंत्रण और समन्वय:

यह शरीर की सभी ऐच्छिक और अनैच्छिक (जैसे हृदय गति, पाचन) गतिविधियों को नियंत्रित करता है और उनका समन्वय करता है. 

सूचना प्रसंस्करण:

इंद्रियों से प्राप्त जानकारी (जैसे देखना, सुनना, छूना) को संसाधित करके सोच, भावनाएं और व्यवहार उत्पन्न करता है. 

संचार:

मस्तिष्क और शरीर के अन्य भागों के बीच संदेशों को विद्युत और रासायनिक संकेतों के रूप में भेजकर संचार करता है. 

प्रतिक्रिया:

बाहरी या आंतरिक उत्तेजनाओं पर उचित प्रतिक्रिया देने के लिए शरीर के अंगों को निर्देश देता है. 

तंत्रिका तंत्र की मूल इकाई - न्यूरॉन: 

न्यूरॉन (तंत्रिका कोशिका):

यह तंत्रिका तंत्र की मूल इकाई है जो विद्युत और रासायनिक संकेतों के रूप में जानकारी ले जाती है.

संदेशों का आदान-प्रदान:

एक न्यूरॉन अपने विद्युत संकेत को अक्षतंतु (axon) के माध्यम से भेजता है, और यह संकेत एक रासायनिक संकेत में बदल जाता है.

सिनैप्स:

यह वह स्थान है जहाँ एक न्यूरॉन का अक्षतंतु दूसरे न्यूरॉन के डेंड्राइट (dendrite) से मिलता है.

न्यूरोट्रांसमीटर:

ये रासायनिक संदेशवाहक होते हैं जो सिनैप्स के पार संदेश को पड़ोसी न्यूरॉन तक पहुँचाते हैं.

तंत्रिका तंत्र के मुख्य भाग:

केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (CNS):

इसमें मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी शामिल होती है. यह शरीर का कमांड सेंटर है, जो जानकारी को संसाधित करता है. 

परिधीय तंत्रिका तंत्र (PNS):

इसमें तंत्रिकाएं होती हैं जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को पूरे शरीर से जोड़ती हैं. 

संक्षेप में, जंतु तंत्रिका तंत्र एक अत्यंत जटिल और महत्वपूर्ण प्रणाली है जो जंतुओं को अपने आसपास के वातावरण को समझने और प्रतिक्रिया

करने में मदद करती है. 


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  • Author:- 7017381855
  • Date:- 2025:08:23
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आए जाने मानव नेत्र क्या होता है


आए जाने मानव नेत्र क्या होता है मानव नेत्र, शरीर की एक अत्यंत जटिल ज्ञानेन्द्रिय है जो प्रकाश के प्रति प्रतिक्रिया करती है और हमें दुनिया को देखने की क्षमता देती है. यह एक प्रकाशीय यंत्र की तरह काम करती है, जिसमें कॉर्निया (स्वच्छमंडल), परितारिका (आइरिस), पुतली, लेंस, और रेटिना जैसे भाग होते हैं, जो प्रकाश को केंद्रित करके प्रतिबिंब बनाते हैं और उसकी जानकारी मस्तिष्क तक पहुँचाते हैं.  मानव ने... Read More

आए जाने मानव नेत्र क्या होता है

मानव नेत्र, शरीर की एक अत्यंत जटिल ज्ञानेन्द्रिय है जो प्रकाश के प्रति प्रतिक्रिया करती है और हमें दुनिया को देखने की क्षमता देती है. यह एक प्रकाशीय यंत्र की तरह काम करती है, जिसमें कॉर्निया (स्वच्छमंडल), परितारिका (आइरिस), पुतली, लेंस, और रेटिना जैसे भाग होते हैं, जो प्रकाश को केंद्रित करके प्रतिबिंब बनाते हैं और उसकी जानकारी मस्तिष्क तक पहुँचाते हैं. 

मानव नेत्र के मुख्य भाग और उनके कार्य:

कॉर्निया (Cornea):

आँख की बाहरी परत होती है जो प्रकाश को अंदर प्रवेश करने देती है. 

आइरिस (Iris):

यह रंगीन हिस्सा होता है जो पुतली के आकार को नियंत्रित करता है और आँखों में जाने वाले प्रकाश की मात्रा को समायोजित करता है. 

पुतली (Pupil):

यह आइरिस के बीच का छिद्र है, जो प्रकाश को आँख के अंदर प्रवेश करने देता है. 

लेंस (Lens):

यह एक उत्तल लेंस होता है, जो कॉर्निया से आने वाली प्रकाश किरणों को रेटिना पर केंद्रित करता है. 

रेटिना (Retina):

आँख के पीछे स्थित पर्दा है, जिस पर वस्तु का प्रतिबिम्ब बनता है. इसमें छड़ें और शंकु नामक प्रकाशग्राही कोशिकाएं होती हैं, जो प्रकाश की तीव्रता और रंगों का पता लगाती हैं. 

दृष्टि तंत्रिका (Optic Nerve):

यह रेटिना से प्रकाश संबंधी संकेतों को मस्तिष्क तक पहुंचाती है, जहाँ उनका विश्लेषण करके हम दुनिया को देख पाते हैं. 

कार्यप्रणाली: 

वस्तु से चली प्रकाश की किरणें कॉर्निया से गुजरती हैं.

फिर ये किरणें लेंस द्वारा अपवर्तित (मोड़ी) जाती हैं और रेटिना पर केंद्रित होती हैं.

रेटिना पर बनने वाला प्रतिबिंब आमतौर पर उल्टा होता है.

रेटिना पर मौजूद प्रकाशग्राही कोशिकाएं इस सूचना को विद्युत संकेतों में बदल देती हैं.

ये संकेत दृष्टि तंत्रिका के माध्यम से मस्तिष्क तक पहुँचते हैं.

मस्तिष्क इन संकेतों को संसाधित करता है और हमें वस्तु का सीधा प्रतिबिम्ब दिखाई देता है.


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  • Date:- 2025:08:23
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आए जाने धातुओं का में दहन करने से क्या होता है


आए जाने धातुओं का में दहन करने से क्या होता है धातुओं को वायु में जलाने या दहन करने पर धातु ऑक्साइड बनते हैं। यह अभिक्रिया धातु और हवा में मौजूद ऑक्सीजन के बीच होती है। उदाहरण के लिए, कॉपर को हवा में गर्म करने पर काले रंग का कॉपर (II) ऑक्साइड बनता है, और मैग्नीशियम हवा में जलकर मैग्नीशियम ऑक्साइड बनाता है।  प्रक्रिया कैसे होती है: जब कोई धातु वायु में उपस्थित ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया करती ह... Read More

आए जाने धातुओं का में दहन करने से क्या होता है

धातुओं को वायु में जलाने या दहन करने पर धातु ऑक्साइड बनते हैं। यह अभिक्रिया धातु और हवा में मौजूद ऑक्सीजन के बीच होती है। उदाहरण के लिए, कॉपर को हवा में गर्म करने पर काले रंग का कॉपर (II) ऑक्साइड बनता है, और मैग्नीशियम हवा में जलकर मैग्नीशियम ऑक्साइड बनाता है। 

प्रक्रिया कैसे होती है:

जब कोई धातु वायु में उपस्थित ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया करती है, तो धातु ऑक्साइड बनता है। 

यह एक रासायनिक अभिक्रिया है जहाँ धातु ऑक्सीजन के साथ जुड़ जाती है। 

यह प्रक्रिया आमतौर पर तब होती है जब धातु को गर्म किया जाता है। 

उदाहरण:

मैग्नीशियम का दहन:

मैग्नीशियम रिबन को हवा में जलाने पर यह तीव्र प्रकाश और गर्मी के साथ जलता है और सफेद पाउडर, मैग्नीशियम ऑक्साइड बनाता है। 

रासायनिक समीकरण: 2Mg + O₂ → 2MgO 

कॉपर का दहन:

जब कॉपर को हवा में गर्म किया जाता है, तो यह ऑक्सीजन से अभिक्रिया करके काले रंग का कॉपर (II) ऑक्साइड बनाता है। 

एल्युमिनियम का दहन:

एल्युमिनियम भी वायु में ऑक्सीजन से प्रतिक्रिया करके एल्युमिनियम ऑक्साइड बनाता है। 

महत्वपूर्ण तथ्य:

धातु ऑक्साइड की प्रकृति क्षारीय होती है, जिसका अर्थ है कि ये पानी के साथ अभिक्रिया करके क्षारक बनाते हैं। 

पोटेशियम और सोडियम जैसी बहुत अधिक क्रियाशील धातुएँ हवा में खुली छोड़ने पर आग पकड़ लेती हैं, इसलिए उन्हें केरोसीन तेल में डूबाकर रखा जाता है। 


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  • Date:- 2025:08:22
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साइंस क्या है


साइंस क्या है  विज्ञान (Science) वह व्यवस्थित ज्ञान है जो प्राकृतिक घटनाओं और उनके नियमों का अध्ययन करता है। यह अवलोकन, प्रयोग और तर्क के माध्यम से प्राप्त किया जाता है। विज्ञान का उद्देश्य प्राकृतिक दुनिया को समझना और व्याख्या करना है।  विस्तार में: विज्ञान, जिसे अंग्रेजी में "Science" कहा जाता है, एक व्यवस्थित ज्ञान है जो प्राकृतिक दुनिया के बारे में है। यह प्राकृतिक घटनाओं,... Read More

साइंस क्या है 

विज्ञान (Science) वह व्यवस्थित ज्ञान है जो प्राकृतिक घटनाओं और उनके नियमों का अध्ययन करता है। यह अवलोकन, प्रयोग और तर्क के माध्यम से प्राप्त किया जाता है। विज्ञान का उद्देश्य प्राकृतिक दुनिया को समझना और व्याख्या करना है। 

विस्तार में:

विज्ञान, जिसे अंग्रेजी में "Science" कहा जाता है, एक व्यवस्थित ज्ञान है जो प्राकृतिक दुनिया के बारे में है। यह प्राकृतिक घटनाओं, जैसे कि प्रकाश, ध्वनि, गति, ऊर्जा, पदार्थ, और जीवन का अध्ययन करता है। विज्ञान अवलोकन, प्रयोग, और तर्क के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करता है। 

विज्ञान के कुछ मुख्य पहलू: 

अवलोकन:

विज्ञान में, हम अपने आस-पास की दुनिया को ध्यान से देखते हैं और जो कुछ भी हम देखते हैं, उसे नोट करते हैं।

प्रयोग:

हम प्रयोग करते हैं, जो नियंत्रित परिस्थितियों में अवलोकन करने का एक तरीका है।

तर्क:

हम अपने अवलोकन और प्रयोगों से निष्कर्ष निकालने के लिए तर्क का उपयोग करते हैं।

सिद्धांत:

विज्ञान में, हम सिद्धांतों का निर्माण करते हैं जो हमें प्राकृतिक दुनिया को समझने में मदद करते हैं।

अनुप्रयोग:

विज्ञान के ज्ञान का उपयोग नई तकनीकों और उत्पादों को बनाने के लिए किया जाता है।

विज्ञान के कई अलग-अलग क्षेत्र हैं, जिनमें शामिल हैं: 

भौतिकी:

यह पदार्थ, ऊर्जा, और उनके बीच की बातचीत का अध्ययन करता है।

रसायन विज्ञान:

यह पदार्थों और उनके गुणों का अध्ययन करता है।

जीव विज्ञान:

यह जीवन और जीवित जीवों का अध्ययन करता है।

भूविज्ञान:

यह पृथ्वी और उसके इतिहास का अध्ययन करता है।

खगोल विज्ञान:

यह ब्रह्मांड और खगोलीय पिंडों का अध्ययन करता है।

संक्षेप में, विज्ञान एक शक्तिशाली उपकरण है जो हमें अपने आस-पास की दुनिया को समझने और बेहतर बनाने में मदद करता है। 


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  • Date:- 2025:08:21
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