गृह कार्य व्यवस्था के साधन

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"कार्य व्यवस्था के साधन क्या हैं? और यह कितने प्रकार के होते हैं?"

(What Are The Means Of Work Arrangement? And How Many Types Are There?)

 कार्य व्यवस्था के साधन(Means Of Work Arrangement)

     घर के कार्य व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने हेतु विभिन्न साधनों की आवश्यकता होती है। अतः कार्य व्यवस्था में साधनों का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। विभिन्न साधनों को निम्नलिखित दो भागों में बांटा जा सकता है- 

(1) भौतिक या अमानवीय साधन 

      भौतिक साधन में साधन होते हैं जिनको प्राय: देखा और स्पर्श किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त इन साधनों में विभिन्न प्रकार के सुविधाओं को भी सम्मिलित किया जा सकता है। अतः भौतिक साधनों को निम्नलिखित भागों में बांटा जा सकता हैं- 

      1. धन- " धन भी किसी प्रकार का जीवन रक्त है।" जिस प्रकार बिना रक्त के शरीर मृत हो जाता है, ठीक उसी प्रकार से बिना धन के पारिवारिक जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है।अतः बिना धन के गृह कार्य व्यवस्था का संचालन संभव नहीं है क्योंकि धन के अभाव में गृह के विभिन्न कार्यों को संपन्न नहीं किया जा सकता है।

       2. विभिन्न भौतिक पदार्थ- भौतिक साधनों की इस श्रेणी में, विभिन्न प्रकार की वस्तुएं जैसे खाद्य सामग्री, वस्त्र, निवास स्थान, पुस्तक, फर्नीचर,लोहा आदि सम्मिलित किया जा सकते हैं। इन भौतिक साधनों के अभाव में भी गृह कार्य व्यवस्था का संचालन संभव नहीं है।

      3. सार्वजनिक सुविधाएं- विभिन्न प्रकार की सार्वजनिक सुविधाएं; जैसे यातायात के साधन, विद्यालय, पुस्तकालय, बिजली प्रदान करने वाले संस्थान आदि भी भौतिक साधनों में शामिल है। इनके बिना भी गृह कार्य की व्यवस्था को सुचारू रूप से नहीं चलाया जा सकता है।

(2) मानवीय साधन 

       ​​​पूर्वोक्त विभिन्न भौतिक साधनों का महत्त्व समाप्त हो जाता है यदि विभिन्न मानवीय साधन की उपलब्धि एवं प्रयोग ना हो। मानवी साधन में साधन है जो मानव के विभिन्न गुणों आदि में संबंध रखते हैं। मानवीय साधनों को निम्नलिखित भागों में बांटा गया है- 

      1. शक्ति-  ग्रह के कार्य व्यवस्था के संचालन हेतु शक्ति का व्यय होता है। मानवीय शक्ति के विभिन्न कार्यों का आधार है। शक्ति परिवार के सदस्यों के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर निर्भर करती है।

      2. रूचि- किसी भी गृह की कार्य व्यवस्था सुचारू रूप से नहीं चल सकती। यदि उसके सदस्यों में घर के कार्यों के प्रति रुचि ना हो। अतः एक सफल कार्य व्यवस्था में रुचि का एक महत्वपूर्ण स्थान है। 

      3. ज्ञान- "ज्ञान स्वयं एक शक्ति है।" 




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