जैसे कि मैंने आपको अपने पिछले ब्लॉग में बताया है कि मानव जीवन पर पर्यावरण तथा प्रदूषण का प्रभाव कैसे पड़ता है तो उसमें मैं आपको कुछ बातें बता चुकी हूं जैसे- प्रस्तावना,पर्यावरण का अर्थ तथा परिभाषा, प्राकृतिक पर्यावरण, पर्यावरण के मुख्य भाग या वर्ग, पर्यावरण से लाभ तथा जीवन पर होने वाले प्रभाव, पर्यावरण का जनजीवन पर प्रभाव और मैं आपको प्रदूषण का अर्थ भी बता चुकीहूँ
तो इस ब्लॉक मैं और जानकारी बताऊंगी जैसे- प्रदूषण कितने प्रकार के होते हैं और मानव जीवन पर इनका प्रभाव
प्रदूषण के प्रकार तथा मानव जीवन पर इनका प्रभाव:-
प्रदूषण निम्न प्रकार के होते हैं-1. वायु प्रदूषण 2.जल प्रदूषण 3.ध्वनि प्रदूषण 4.मृदा प्रदूषण तथा 5.रेडियो धर्मी प्रदूषण
1. वायु प्रदूषण:-
वायु प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ है - वायु का दूषित हो जाना ऑक्सीजन के अतिरिक्त वायु में किसी भी गैस की मात्रा संतुलित अनुपात से अधिक होने पर वायु श्वसन योग्य नहीं रहती अतः वायु में किसी गैस की वृद्धि या अन्य पदार्थ का समावेश होना वायु प्रदूषण कहलाता है सैमसंग में सभी जीव कार्बन डाइऑक्साइड विसर्जित करते हैं तथा ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं किंतु हरे पौधे सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति के कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करते हैं तथा वायुमंडल में ऑक्सीजन छोड़ते हैं इस प्रकार इन दोनों गैसों का अनुपात संतुलित बना रहता है वायु मे गैसीय और ठोस दो प्रकार की अशुद्धियां मिलती है
a) गैसीय अशुद्धियां :-
वायु विभिन्न प्रकार की गैसीय का मिश्रण है अशुद्ध गैस जैसे -कार्बन डाइ-ऑक्साइड,कार्बन मोनोऑक्साइड, क्लोरीन,अमोनिया,आदि वायुमंडल में मिल जाती है जिससे वायु अशुद्ध हो जाती है तथा वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ती है
b) ठोस अशुद्धियां :-
विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया, जीवाणु,बाल,मिट्टी, धूल के हल्के कण,धागे,लकड़ी के कण, कोयले के महीन कण,वायुमंडल में मिल जाते हैं और वातावरण को धूल युक्त तथा प्रदूषण युक्त बनाते हैं
प्रदूषण वायु से फैलने वाले रोग
हम जानते हैं कि प्रदूषण वायु में ऑक्सीजन की मात्रा घट जाती है इससे वायु में रोग के कीटाणु बढ़ाने लगते हैं यह कीटाणु ही अनेक रोगों को फैलाने का कार्य करते हैं प्रदूषण वायु के सेवन से फैलने वाले रोगों का संक्षिप्त परिचय निम्न वक्त है
1. सांस द्वारा फैलने वाले रोग:-
सभी जीव स्वसन क्रिया के द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड गैस को वायुमंडल में छोड़ते रहते हैं इस अशुद्ध वायु का सेवन करने से व्यक्ति को घुटन का अनुभव होने लगता है तथा सिर दर्द, चक्कर आना,भारीपन,आदि की शिकायत हो जाती है
2. वास्तु के सड़ने से हुई अशुद्ध वायु से रोग :-
विभिन्न वस्तुओं के सड़ने तथा जलने से भी वायु अशुद्ध होती रहती है इस क्रिया में वायु में दोनों प्रकार की अशुद्धियां अर्थात ठोस अथवा कैसी है व्यापक हो जाती है इस प्रकार असुद्ध वायु में सांस लेने से भी विभिन्न रोग लगा सकते हैं जिसमें मुख्य है- भूख न लगना,अतिसार, अतिसार, सर दर्द,भारीपन, तथा चक्कर आना
3. धूल कानों से युक्त वायु से रोग:-
धूल कणों की अधिकता से भी दूषित हो जाते हैं इस प्रकार की अशुद्ध वायु में सांस लेने में मुख्य रूप से सांस के रोग अर्थात दमा के अतिरिक्त आंखों गले तथा कानों के रोग भी हो सकते है
4. औद्योगिक अशुद्ध वायु से रोग:-
वर्तमान समय में वायु को अशुद्ध बनाने में औद्योगिक संस्थानों का मुख्य हाथ है इनके द्वारा अनेक प्रकार की विषैली कैसे विषैली पदार्थ के अभिषेक निरंतर वायुमंडल में व्यापक होते रहते हैं इस प्रकार की अशुद्धियां अनेक प्रकार के रोगों का कारण बनती है सांस के रोग, फेफड़ों के रोग तपेदिक,खांसी,कुकर खांसी,बुखार तथा अनेक गंभीर रोग इस प्रकार की अशुद्ध वायु से ही फैलते हैं
उपयुक्त विवरण से स्पष्ट है कि अशुद्ध वायु से अनेक प्रकार के रोग फैल सकते हैं जो हमारे जीवन के लिए घातक भी सिद्ध हो सकते हैं वास्तव में शुद्ध वायु ही हमारे जीवन का आधार है हमें चाहिए कि हम अधिक से अधिक शुद्ध वायु का सेवन करें तथा वायु को दूषित होने से बचाए विश्व की अनेक संस्थाएं इस और भरकस प्रकाश कर रही है
वायु प्रदूषण का भरसक जीवन पर प्रभाव:-
वायु प्रदूषण का जनजीवन पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है
वायु प्रदूषण का जन स्वास्थ्य पर प्रभाव:-
1. सल्फर डाइऑक्साइड एक वायु प्रदूषक है फेफड़ों के ऊतकों पर कुप्रभाव, पुराने खांसी का रोग हमारे जन स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है
2. नाइट्रोजन के ऑक्साइड एक वायु प्रदूषक है फेफड़ों का कैंसर इन्फ्लूएंजा के प्रति प्रतिरोधक शक्ति का ह्रास हमारे जन स्वास्थ्य पर पड़ता है
3. कार्बन मोनोऑक्साइड एक वायु प्रदूषक है मस्तिष्क पर कुप्रभाव सोचने विचारने की शक्ति का ह्रास हमारे जन स्वास्थ्य पर पड़ता है
4. सूक्ष्म कण (क )कैडमियम व शिक्षा (ख) रख कालिक वेद हुआ एक वायु प्रदूषक है रक्तचाप वह वृद्धि रुधिर व अधिक मात्रा के कारण मृत्यु वह कम मात्रा के कारण तंत्रिका तंत्र तथा गुर्दों पर को प्रभाव नेत्रों में जलन व अन्य रोग फेफड़ों के कैंसर की संभावना का जन स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है
5. क्लोरोफ्लोरोकार्बन एक वायु प्रदूषक है वायुमंडल की ओजोन की परत में छिद्र कर रहा है जिससे पराबैंगनी करने सूर्य का प्रकाश अधिक के में पृथ्वी पर पहुंचकर कैंसर जैसे असाध्य रोगों की उत्पत्ति का कारण बन रही है
2. जल प्रदूषण:-
जल प्रदूषण का अर्थ है:- जल प्राप्ति के प्रमुख स्रोतों का दूषित हो जाना जल में अशुद्धियों एवं हानिकारक पदार्थों के घुल मिल जाने से जल प्रदूषित हो जाता है इस प्रकार के हानिकारक पदार्थ कार्बनिक तथा अकार्बनिक पदार्थ भी हो सकते हैं तथा कुछ कैसे भी हो सकते हैं प्रदूषण जल जीवन में विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न कर सकता है जल प्रदूषण के अंतर्गत विभिन्न रोग उत्पन्न करने वाले जीवाणु, विषाणु, कीटाणु नाशक पदार्थ, अप्रत्नाशक पदार्थ, रासायनिक खाद्य, कार्बनिक पदार्थ, औद्योगिक संस्थानों से निकले अपशिष्ट तथा व्हाइट माल आदि अनेक पदार्थ हो सकते हैं इन पदार्थों का स्वास्थ्य तथा अर्थ व्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ता है जल प्रदूषण वर्तमान में एक गंभीर समस्या है घरों के वायित मां कारखाने के अपशिष्ट पदार्थ आदि नदियों और अंत में समुद्र में मिलाए जाते हैं मनुष्य के लिए दिए जल सामान्य रूप से इन्हीं जल स्रोतों से सामान्य उपचार के बाद प्राप्त किया जाता है प्रदूषण जल के सेवन से प्रतिवर्ष लाखों व्यक्ति विभिन्न लोगों को के शिकार हो जाते हैं ऐसा अनुमान है कि पेट के रोग क्यों में काम से कम 50% रोगी दूषित जल के सेवन से ही रोग ग्रस्त होते हैं
जल प्रदूषण का जन स्वास्थ्य पर प्रभाव:-
जल प्रदूषण का भी प्रतिकूल प्रभाव मनुष्य के स्वास्थ्य पर पड़ता है विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार भारत में प्रतिवर्ष 5 लाख से अधिक बच्चे जल प्रदूषण के परिणाम स्वरुप उत्पन्न बीमारियों से मर जाते हैं तथा 50% से अधिक लोग केवल प्रदूषण जल के सेवन के कारण ही बीमार होते हैं प्रदूषण जल के सेवन से मुख्य रूप से पाचन तंत्र संबंधी रोग उत्पन्न होते हैं इसमें मुख्य है हैजा पेचिस पीलिया टाइफाइड परतीफाइड आदि यह सभी रोग सकारात्मक रूप से फैलते हैं तथा घातक सिद्ध होते हैं प्रदूषण जल एक अन्य प्रकार से भी मनुष्य को प्रभावित करता है हम जानते हैं कि यह संख्या लोग मांसाहारी है तथा मांस प्रताप का एक मनुष्य स्रोत मछलियां एवं अन्य जल जीव है जब जल प्रदूषित हो जाता है तब इन मछलियों के शरीर में भी अनेक विषैले तत्वों का समावेश हो जाता है तथा ऐसे जीवों का मांस खाने में व्यक्ति के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है विभिन्न रसायनों से प्रदूषण समुद्री जल में रहने वाली मछलियों को खाने से अंधेपन एवं मस्तिष्क समृद्धि रोगों की आशंका रहती है जल प्रदूषण से हमारे फैसले की प्रभावित होती है प्रदूषण जल द्वारा संचित फसलों को खाने से मनुष्य तथा अन्य प्राणियों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है
3.ध्वनि प्रदूषण:-
ध्वनि प्रदूषण का आशय है पर्यावरण में अनावश्यक शोर का व्यापक हो जाना शोर एक वचन ध्वनि है यह सिद्ध हो चुका है किसी और मनुष्य तथा अन्य सभी जीव जंतु पर विपरीत प्रभाव डालता है अतः इसको भी पर्यावरण का प्रदूषण माना जाता है शोर की तीव्रता सरवन शक्ति शारीरिक संतुलन आदि को स्थाई या अस्थाई रूप से हानि पहुंचती है इस प्रकार वायुमंडल में उत्पन्न की गई व्यस्चित ध्वनि जिसका मानव तथा अन्य प्राणियों के श्रवण तंत्र एवं स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है ध्वनि शोर प्रदूषण कहलाता है
सोना केवल बातचीत आराम आदि में बाधा उत्पन्न करता है बल्कि यह मानव के स्वास्थ्य तथा व्यवहार को भी प्रभावित करता है अचानक उत्पन्न होने वाली ऊंची ध्वनि कान के पर्दे तथा भीतरी कान में स्थित संवेदी कोशिकाओं को हानि पहुंचती है यदि अधिक लंबे समय तक सो रहे तो सरवन तंत्र को स्थाई अथवा स्थाई रूप में क्षीत हो सकती है सामान्य ऐसा माना जाता है कि अधिक तीव्रता से अचानक उत्पन्न होने वाले शोर नियंत्रण शोर की अपेक्षा अधिक हानिकारक सिद्ध होते हैं शरीर के कारण स्वास्थ्य संबंधित अनेक समस्या उत्पन्न हो जाती है
ध्वनि प्रदूषण का जन्म स्वास्थ्य पर कुप्रभाव :-
ध्वनि प्रदूषण के जन स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव का व्यवस्थित ग्रिफिथ कामत है कि, "शोर व्यक्ति को समय से पहले बुढा कर देता है " हमारे शरीर पर शोर का प्रभाव अनेक प्रभाव से पड़ता है सूर्य ध्वनि प्रदूषण से व्यक्ति का स्वास्थ्य कमजोर होता है तथा उनके कार्य क्षमता घटती है यह विभिन्न दुर्घटनाओं का कारण भी बन सकता है अत्यधिक ध्वनि प्रदूषण के परिणाम स्वरुप व्यक्ति बड़ा हो सकता है अर्थात उसकी सुनने की शक्ति समाप्त हो सकती है इस विषय में कहा गया है कि कानों को शोर के कारण कष्ट उठाना पड़ता है क्योंकि शोर के कारण हमारे आराम नहीं कर पाते बताइए अतिरिक्त थकान के शिकार बने रहते हैं कानों के अतिरिक्त ध्वनि प्रदूषण का प्रतिकूल प्रभाव व्यक्तियों के हृदय स्नायु मंडल तथा पाचन तंत्र पर भी पड़ता है अत्यधिक शोर के कारण उच्च रक्तचाप श्वसन गति नदी गति में उतार चढ़ाव यात्रा की गतिशीलता में कमी रक्त संचरण में परिवर्तन तथा हृदय पेशी के गुना में परिवर्तन हो जाता है शोर से शरीर एवं मानसिक तनाव बढ़ता है तथा तांत्रिक संबंधित व्यक्तियों की आशंका बनी रहती है अत्यधिक ध्वनि प्रदूषण के कारण निश्चय ग्रंथ हो सकता है तथा व्यक्ति को चक्कर आने लगते हैं शोर के कारण ही व्यक्ति का स्वभाव चिड़चिड़ा तथा झूला पूर्ण हो सकता है
पर्यावरण प्रदूषण का जन जीवन पर प्रभाव :-
पर्यावरण प्रदूषण के विभिन्न पक्षों का सामान्य परिचय हम प्राप्त कर चुके हैं संक्षेप में कहा जा सकता है कि पर्यावरण प्रदूषण एक गंभीर समस्या है जिसका प्रतिकूल प्रभावजन जीवन के प्रत्येक पक्ष पड़ता है इसका प्रत्यक्ष प्रभावजन स्वास्थ्य पर पड़ता है क्योंकि पर्यावरण प्रदूषण के परिणाम स्वरुप विभिन्न साधारण गंभीर तथा अति गंभीर रोग पर अपने लगते हैं पर्यावरण प्रदूषण का अप्रत्यक्ष रूप से प्रतिकूल प्रभावजन साधारण के आर्थिक जीवन पर भी पड़ता है रोगों की वृद्धि तथा स्वास्थ्य के निम्न स्तर के कारण जनसाधारण की उत्पादक क्षमता घटती है तथा रोग निवारण के लिए अतिरिक्त धन खर्च करना पड़ता है इसे जनसाधारण का जीवन आर्थिक संकट का शिकार हो जाता है
4. मृदा प्रदूषण:-
मृदा प्रदूषण का अर्थ है भूमि या मिट्टी का दूषित हो जाना मृदा प्रदूषण के अंतर्गत मुख्य रूप से उसे भूमि के दूषित होने का अध्ययन किया जाता है जैसे कृषि कार्यों के लिए अर्थात फैसले उगाने के लिए प्रयोग किया जाता है वास्तव में प्रदूषण जल तथा वायु के कारण मर्दा भी प्रदूषित हो जाती है वर्षा अत्यधिक के जल के साथ यह प्रदूषण मर्दा में आ जाते हैं जनसंख्या की वृद्धि के साथ-साथ अधिक फसल पैदा करने के लिए भूमि की आवश्यकता बढ़ाने या बनाए रखने के लिए रासायनिक अवरोह को का उपयोग किया जाता है इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के कीटाणु नाशक है अब ताराणसी आदि पदार्थ भी फसलों पर छिड़क जाते हैं यह सब पदार्थ मर्दा के साथ मिलकर हानिकारक प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं
इस प्रकार मृदा को दूषित करने में घरेलू अपमर्जकों वही कमल वाहित जल उद्योगों के अभीष्ट पदार्थ तेल कीटाणु नाशक अप प्रदन्नासी रेडियोधर्म में पदार्थ तथा गर्म पदार्थ के निकशासन आदि की प्रमुख भूमिका रहती है
मुंद्रा प्रदूषण का मानव जीवन पर प्रभाव :-
मृदा प्रदूषण का मनुष्य के जीवन पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ता है
मृदा प्रदूषण के कारण भूमि की उत्पादन शक्ति कम हो जाती है
खाद पदार्थ में पूर्ण शुद्धता नहीं रहती
D. D. T के अधिक प्रयोग से खाद पदार्थ में विश् उत्पन्न हो जाता है
मृदा प्रदूषण फसलों की वृद्धि को रोक देता है
मृदा प्रदूषण को रोकने के उपाय:-
वृक्षारोपण का अभियान चलाना चाहिए
वनों के विनाश पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए
खेतों में मेड बंदी करनी चाहिए
भूमि की चकबंदी करनी चाहिए
5. रेडियोधर्मी प्रदूषण:-
परमाणु शक्ति से भी प्रदूषण बढ़ता है परमाणु परीक्षणों के दौरान होने वाले रेडियोधर्मी विकिरण सीजन स्वास्थ्य प्रभावित होता है इससे वायु जल व पृथ्वी प्रदूषित होती है इस प्रकार का प्रदूषण अधिक भैया वह होता है द्वितीय विश्व युद्ध में नागासाकी और हिरोशिमा शहर पर हुए परमाणु बम के विस्फोट से लाखों व्यक्तियों को कल के मुंह में जाना पड़ा तथा बहुत से अपंग हो गए और बहुत से रोग उनकी संतानों में भी उत्पन्न हुए
रेडियो धर्मी प्रदूषण के रोकने के उपाय- इस प्रदूषण से बचने के लिए न्यू क्लियर परीक्षण जान शून्य स्थान पर किए जाने चाहिए तथा कानून का उल्लंघन करने वाले को दंड दिया जाना चाहिए
पर्यावरण तथा प्रदूषण में अंतर
पर्यावरण तथा प्रदूषण को भली भंते समझ लेने के पश्चात प्रसन्न यह उड़ता है कि इसमें क्यों अंतर है यदि हम दोनों ही विषयों का गहराई से अध्ययन करें तो पता चलता है कि दोनों एक दूसरे से विपरीत है जहां पर्यावरण संरक्षण मनुष्य के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालता है वहीं प्रदूषण चाहे जल का हो ध्वनि अथवा जनसंख्या का होनारात्मक प्रभाव डालता है दूसरे शब्दों में पर्यावरण मानव जीव जंतु जंगली जानवर पेड़ पौधे एवं दुर्लभ देवी की को जीवित रखते हुए उनकी संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि करता है वहीं दूसरी ओर प्रदूषण मानव जीव जंतु पेड़ पौधे तथा दुर्लभ जातियों को नष्ट करता है जिससे पारिस्थितिक तंत्र है संतुलित बन जाता है संक्षेप में यही मुख्य अंतर है
Vanshika
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