लाल बहादुर शास्त्री
꧁ Digital Diary ༒Largest Writing Community༒꧂
बच्चों आपके विद्यालय में 2 अक्टूबर को दो महान विभूतियों का जन्मदिन मनाया जाता है एक मोहनदास करमचंद गांधी और दूसरे जय जवान जय किसान का नारा देने वाले लाल बहादुर शास्त्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 ई को मुगल सारी तत्कालीन वाराणसी वर्तमान चंदौली के साधारण परिवार में हुआ था उनके पिता का नाम शारदा प्रसाद तथा माता का नाम रामदुलारी देवी था मात्र डेढ़ वर्ष की अवस्था में पिता का देहांत हो जाने के कारण अनेक अभाव और कठिनाइयों को झेलते हुए में जीवन पद पर आगे बढ़े में स्वतंत्र भारत के पहले रेल मंत्री बने उनके बाद उद्योग मंत्री तथा सौराष्ट्र मंत्री भी बने जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद यह सर्व संपत्ति से भारत के दूसरे प्रधानमंत्री भी बने देशवासियों के स्वाभिमान को जगाने वाले महान लोकप्रिय नेता लाल बहादुर शास्त्री का निधन 10 जनवरी 1966 को ताशकंद मैं हुआ था
शास्त्री जी उन दिनों रेल मंत्री थे एक बार उन्हें बनारस के पास सेव पुरी जाना पड़ा छोटे कद का होने के कारण शास्त्री जी को गाड़ी से प्लेटफार्म पर उतरने में काफी दिक्कत हुई यह देखकर वहां खड़ी कुछ औरतें हंस कर कहने लगे कि अब महसूस हो रहा होगा कि महिलाओं को प्लेटफार्म पर उतरते समय कितनी कठिनाई का सामना करना पड़ता है प्लेटफार्म पर पहुंचते ही शास्त्री जी ने स्टेशन मास्टर को बुलाया और उनसे कहा कि क्या वह एक फावड़े का इंतजाम कर सकते हैं फावड़े तुरंत लाया गया शास्त्री जी ने फावड़ा लेकर उसे नीचे प्लेटफार्म के दूसरी ओर जमीन खोदने शुरू कर दी और मिट्टी प्लेटफार्म पर डालने लगे यह देखकर वहां जो लोग खड़े थे में भी फावड़ा और उसी तरह की चीज ले आए और शास्त्री जी का अनुकरण करने लगे सभी को जब सुखद आश्चर्य हुआ जब 3 घंटे के अंदर वह नीचे प्लेटफार्म मानक स्तर तक ऊंचा बना
यह प्रसंग भी उसे समय का है जब शास्त्री जी रेल मंत्री थे और सरकारी काम से इलाहाबाद प्रयागराज जा रहे थे शास्त्री जी की कार्यालय फटाक से थोड़ी ही दूर थी कि लाइनमैन ने फाटक बंद कर दिया शास्त्री जी के स्टाफ का एक सदस्य लाइनमैन की ओर दौड़कर गया और उससे कहा कि कर में रेल मंत्री बैठे हैं तुम तुरंत फाटक खोल दो लाइनमैन ने फाटक खोलने से साफ मना कर दिया और बोला कि मैं नहीं जानता कि कौन रेल मंत्री है और कौन प्रधानमंत्री में अपनी ड्यूटी कर कर रहा हूं जब आने वाली गाड़ी गुजर जाएगी फाटक खोल दूंगा स्टाफ के अवसर ने लौटकर कहा श्रीमान वह आदमी बड़ा जिद्दी है उसके विरुद्ध सक्त कार्रवाई की जानी चाहिए दूसरे दिन जब लाइनमैन की तरक्की कर उसे आगे का ग्रेड दिया गया तो सभी लोग अजब्दे में पड़ गए
यह प्रश्न उन दिनों का है जब शास्त्री जी प्रधानमंत्री थे एक बार उनका ड्राइवर सुबह निश्चित समय पर नहीं आया उन्होंने कुछ समय प्रतीक्षा की फिर हाथ में फाइल लेकर पैदल ही दफ्तर की ओर चल दिए उनका दफ्तर घर से करीब 1 किलोमीटर दूर था इस बात से सचिवालय में हड़कंप मच गया ड्राइवर से जवाब तलब किया गया जवाब में उसने कहा कि एकांक उसका छोटा बच्चा गंभीर रूप से बीमार हो गया था और उसे भाकर डॉक्टर के पास जाना पड़ा शिकायती फाइल जब शास्त्री जी के पास पहुंची तो उन्होंने उसे पर टिप्पणी लिखी की उसके लिए उसके बेटे के जीवन का महत्व और किसी भी कार्य से अधिक महत्वपूर्ण
We are accepting Guest Posting on our website for all categories.
Vanshika
@DigitalDiaryWefru