रोगी का बिस्तर

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 रोगी के बिस्तर का महत्व:-

 रोजी अथवा दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति के लिए आरामदायक बिस्तर आवश्यक होता है इसका प्रमुख कारण यह है कि रोगी व्यक्ति को अधिकांश समय विश्राम के लिए बिस्तर पर ही लेटना पड़ता है कुछ दुर्घटनाग्रस्त व्यक्तियों जैसे कि कूल्हे की हड्डी टूट जाने पर के लिए तो बिस्तर पर लेटने के अतिरिक्त और कोई विकल्प ही नहीं बचता और स्थिति में स्पष्ट है कि रोगी के लिए उपयुक्त विस्तार आवश्यक एवं महत्वपूर्ण होता है रोगी के बिस्तर किया व्यवस्था करना परिचारिका का ही उत्तर होता है परिचारिका को चाहिए कि वह रोजी अथवा दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की शारीरिक स्थिति को ध्यान में रखकर उपयुक्त बिस्तर की उचित व्यवस्था करें बिस्तर की उचित व्यवस्था के अभाव में रोगी को आवश्यक विश्राम नहीं मिल पाता तथा स्वास्थ्य लाभ में भी सहायता प्राप्त नहीं होती

 बिस्तर लगाने का स्थान:-

 बिस्तर लगाते समय स्थान का विशेष ध्यान रखना चाहिए इन निम्नलिखित

 बिस्तर दीवार से सट्टा कर नहीं लगना चाहिए बिस्तर के पास स्वच्छ व शुद्ध वायु तथा प्रकाश की उत्तम व्यवस्था होनी चाहिए शौचालय रोगी के बिस्तर के पास होना चाहिए

 श्या घाव :-

 मैं अंदर लंबे समय तक बिस्तर पर लेटने वाले रोगी तथा दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को सैया घाव हो जाने की आशंका रहती है लगातार एक ही बिस्तर पर रोगी के लंबे समय तक पड़े रहने के कारण रोगी के शरीर में घाव हो जाते हैं इन्हीं को सैया गाव कहते हैं यह घाव बिस्तर की निरंतर रगड़ नामी तथा करवट न बदलने के कारण होते हैं एक बार घाव होने या त्वचा के फट जाने पर इनका ठीक होना कठिन हो जाता है और रोगी को अपनी बीमारी के अलावा इन गांव से अतिरिक्त कष्ट हो जाता है अतः ऐसे गांव को पहले से ही रोकना आवश्यक होता है 

 उपचार:-

 गांव वाले स्थान पर स्पीड लगाकर साफ करना चाहिए घाव पर बोरिक पाउडर लगाना चाहिए लिंग कुशन जो की रबड़ का गोल छल्ला होता है हवा भरकर घाव वाले भाग के नीचे लगा देना चाहिए ऐसा करने सिखाओ पर रगड़ नहीं लगती है

 उपाय:- रोगी का बिस्तर मुलायम होना चाहिए चादर में सिलवट नहीं होने चाहिए रोगी को गड़बड़ दिलाते रहना चाहिए होगी कभी बिस्तर स्वच्छ होना चाहिए 

 




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