अरे पीपल के पेड़ से भी इतने फायदे हो सकते हैं जाने कौन कौन से है यह फायदे
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शायद ही कोई इंसान होगा जो पीपल के पेड़ के बारे में नहीं जानता होगा। हाथी इसके पत्तों को बड़े चाव से खाते हैं। इसलिए इसे गजभक्ष्य भी कहते हैं। पीपल का पेड़ प्रायः हर जगह उपलब्ध होता है। सड़कों के किनारे, मंदिर या बाग-बगीचों में पीपल का पेड़ हमेशा देखने को मिलता है। शनिवार को हजारों लोग पीपल के पेड़ की पूजा भी करते हैं। अधिकांश लोग पीपल के पेड़ के बारे में केवल यही जानते हैं कि इसकी केवल पूजा होती है, लेकिन सच यह है कि पीपल के पेड का औषधीय प्रयोग भी किया जाता है और इससे कई रोगों में लाभ लिया जा सकता है।
कई पुराने आयुर्वेदिक ग्रंथों में पीपल के पेड़ के गुणों के बारे में बताया गया है कि पीपल के प्रयोग से रंग में निखार आता है, घाव, सूजन, दर्द से आराम मिलता है। पीपल खून को साफ करता है। पीपल की छाल मूत्र-योनि विकार में लाभदायक होती है। पीपल की छाल के उपयोग से पेट साफ होता है। यह सेक्सुअल स्टेमना को भी बढ़ाता है और गर्भधारण करने में मदद करता है। सुजाक, कफ दोष, डायबिटीज, ल्यूकोरिया, सांसों के रोग में भी पीपल का इस्तेमाल लाभदायक होता है। इतना ही नहीं, अन्य कई बीमारियों में भी आप पीपल का उपयोग कर सकते हैं। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
पीपल विषैली कार्बन डाइआक्साईड सोखता है और प्राणवायु मतलब ऑक्सीजन छोड़ता है। पीपल के पेड़ की छाया बहुत ठंडी होती है। पीपल का पेड़ लगभग 10-20 मीटर ऊँचा होता है। यह अनेक शाखाओं वाला, विशाल औक कई वर्षों तक जीवित रहता है। पुराने वृक्ष की छाल फटी व सफेद-श्यमाले रंग की होती है। इसके नए पत्ते कोमल, चिकने तथा हल्के लाल रंग के होते हैं। इसके फल चिकने, गोलाकार, छोटे-छोटे होते हैं। कच्ची अवस्था में हरे और पके अवस्था में बैंगनी रंग के होते हैं।
पीपल के पेड़ की जड़ भूमि के अन्दर उपजड़ों से युक्त होती है और बहुत दूर तक फैली रहती है। वट वृक्ष के समान ही इसके पुराने वृक्ष के तने तथा मोटी-मोटी शाखाओं से जटाएं निकलती हैं। इसे पीपल की दाढ़ी कहते हैं। ये जटायें बहुत मोटी तथा लम्बी नहीं होती। इसके तने या शाखाओं को तोड़ने या छिलने से या कोमल पत्तों को तोड़ने से एक प्रकार का चिपचिपा सफेद पदार्थ (दूध जैसा) निकलता है।
आंखों की बीमारी में पीपल का प्रयोग लाभदायक
पीपल के पत्ते के फायदे से आंखों के रोग ठीक किए जा सकते हैं। पीपल के पत्तो से से जो दूध (आक्षीर) निकलता है, उसको आंख में लगाने से आंखों में होने वाला दर्द ठीक हो जाता है।
दांतों के रोग में पीपल से लाभ
पीपल और वट वृक्ष की छाल को समान मात्रा में मिलाकर जल में पका लें। इसका कुल्ला करने से दांतों के रोग ठीक होते हैं।
पीपल की ताजी टहनी से रोज दातुन (ब्रुश) करने से दांत मजबूत होते हैं। इससे मसूड़ों की सूजन खत्म होती है और मुंह से आने वाली दुर्गंध भी खत्म हो जाती है।
हकलाहट की समस्या में पीपल का उपयोग फायदेमंद
पीपल के वृक्ष के लाभ हकलाने की समस्या में भी फायदे पहुंचाते हैं। पीपल के आधी चम्मच पके फल के चूर्ण में शहद मिला लें। इसका सुबह-शाम सेवन करने से हकलाहट की बीमारी में लाभ होता है।
कुक्कुर-खांसी में पीपल से फायदा
40 मिली पीपल के पेड़ की छाल का काढ़ा या 10 मिली रस को दिन में तीन बार देने से कुक्कुर खांसी में लाभ होता है।
अत्यधिक प्यास लगने की समस्या में पीपल से फायदा
पीपल की 50-100 ग्राम छाल के कोयलों को पानी में बुझा लें। इस पानी को साफ कर पिलाने से हिचकी की समस्या, उल्टी और अत्यधिक प्यास लगने की समस्या में लाभ होता है।
भूख बढ़ाने के लिए पीपल का प्रयोग लाभदायक
अगर आपको भूख कम लगती है तो पीपल के वृक्ष के लाभ इस समस्या में ले सकते हैं। पीपल के पके फलों के सेवन से कफ, पित्त, रक्तदोष, विष दोष, जलन, उल्टी तथा भूख की कमी की समस्या ठीक होती है।
पेट के दर्द में पीपल का उपयोग फायदेमंद
पीपल के पत्ते के फायदे से पेट के दर्द ठीक होते हैं। पीपल के ढाई पत्तों को पीसकर 50 ग्राम गुड़ में मिलाकर गोली बना लें। इसे दिन में 3-4 बार खाना चाहिए।
शारीरिक कमजोरी को दूर करने के लिए पीपल के पेड़ का इस्तेमाल
आधा चम्मच पीपल के फल का चूर्ण को दिन में तीन बार दूध के साथ सेवन करते रहने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है।
कब्ज की परेशानी में पीपल से लाभ
पीपल के पत्ते के फायदे से कब्ज की समस्या ठीक होती है। कब्ज हो तो पीपल के 5-10 फल को नियमित रूप से खाएं। कब्ज ठीक हो जाता है।
पीपल के पत्ते और कोमल कोपलों का काढ़ा बना लें। 40 मिली काढ़ा को पिलाने से पेट साफ हो जाता है और कब्ज की समस्या ठीक हो जाती है।
पीलिया रोग में पीपल का इस्तेमाल
पीपल के 3-4 नए पत्तों को मिश्री के साथ 250 मिली पानी में बारीक पीस-घोलकर छान लें। यह शर्बत रोगी को 2 बार पिलाएं। इसे 3-5 दिन प्रयोग करें। यह पीलिया रोग के लिए रामबाण औषधि है।
मूत्र रोग में पीपल का उपयोग
पीपल की छाल का काढ़ा पिलाने से पेशाब के रुक-रुक कर आने की समस्या में लाभ होता है।
गले के रोग में पीपल के पेड़ का प्रयोग फायदेमंद
गले के रोग में पीपल की अंतर छाल को गुलाब जल में घिसकर लगाएं। इससे घाव जल्दी भर जाते हैं।
एड़ियों के फटने में पीपल से लाभ
कई लोगों को यह शिकायत रहती है कि उनके पैरों की एड़ियां फट गई है। ऐसे में पीपल के पत्ते के फायदे ले सकते हैं। हाथ-पांव फटने पर पीपल के पत्तों का रस या दूध (आक्षीर) लगाएं। यह लाभ पहुंचाता है।
पीपल के पेड़ से खाज-खुजली का इलाज
खाज-खुजली की समस्या हो तो 50 ग्राम पीपल की छाल का भस्म बना लें। इसमें आवश्यकतानुसार चूना व घी मिलाकर अच्छी प्रकार से लेप बना लें। इसका लेप करने से खाज-खुजली ठीक होता है।
पीपल की छाल का काढ़ा बनाकर 10-30 मिली मात्रा में रोज सुबह और शाम पिलाने से खुजली ठीक होता है।
फोड़े-फुन्सियों में फायदेमंद पीपल का पेड़
फोड़े-फून्सियों में भी पीपल के पत्ते के फायदे मिलते हैं। पीपल की छाल को जल में घिसकर फोड़े-फुन्सियों पर लगाने और गीली पट्टी बाँधने से अत्यन्त लाभ होता है।
पीपल के कोमल पत्तों को गेहूं के गीले आटे में पीसकर मिला लें। इसे फोड़ों पर लगाने से फोड़े ठीक होते हैं और सूजन ठीक हो जाती है।
अनेक प्रकार के घाव को ठीक करने में उपयोगी पीपल का पेड़
आप पीपल के वृक्ष के लाभ घाव में भी ले सकते हैं। पीपल की नरम कोपलों को जलाकर कपड़े से छान लें। इसे पुराने बिगड़े हुए फोड़ों पर छिड़ने से लाभ होता है।
पीपल की छाल के चूर्ण को पीसकर उसमें घी मिला लें। इसे जलने या चोट लगने से हुए घाव पर लगाने से रक्तस्राव बंद हो जाता है और घाव तुरंत भरने से लाभ होता है।
पीपल की छाल के चूर्ण को आग से जलने के कारण हुए घाव पर छिड़कने से तुरंत घाव सुख जाता है।
पुराने तथा ना भरने वाले घावों पर पीपल की अंतर छाल को गुलाब जल में घिसकर लगाएं। इससे घाव जल्दी भर जाते हैं।
घाव पर औषधि का लेप लगाकर पीपल के कोमल पत्तों से ढक दें। यह घाव को सुखाता है।
अर्जुन, गूलर, पीपल, लोध्र, जामुन तथा कट्फल की छाल लेकर चूर्ण बना लें। इसे घाव पर छिड़कने से घाव तुरंत ठीक हो जाता है।
वट, गूलर, पीपल (pipal tree), प्लक्ष तथा वेतस की छाल के चूर्ण में पर्याप्त मात्रा में घी मिला लें। इसका लेप करने से घाव की सूजन ठीक हो जाती है।
ताजे झड़े हुए पीपल के पत्ते की बारीक चूर्ण को घाव पर छिड़कने से घाव तुरंत ठीक होता है।
पीपल की हरी छाल और हरे पत्तों से बने पेस्ट में मधु मिलाकर लेप करने से मुंह का घाव ठीक होता है।
इसके 21 कोमल पत्ते पीसकर, गुड़ में गोलियां बना लें। इसे 7 दिन सुबह-शाम खिलाने से चोट लगने के कारण होने वाले दर्द में लाभ होता है।
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