आपकी हर परिस्थति हर समस्या का समाधान है इसमें : सम्पूर्ण श्रीमद भागवत गीता Bhagavad-gītā
श्रीमद्भगवद्गीता वर्तमान में धर्म से ज्यादा जीवन के प्रति अपने दार्शनिक दृष्टिकोण को लेकर भारत में ही नहीं विदेशों में भी लोगों का ध्यान अपनी और आकर्षित कर रही है। निष्काम कर्म का गीता का संदेश प्रबंधन गुरुओं को भी लुभा रहा है। विश्व के सभी धर्मों की सबसे प्रसिद्ध पुस्तकों में शामिल है।
श्रीमद्भगवद्गीता की पृष्ठभूमि महाभारत का युद्ध है। जिस प्रकार एक सामान्य मनुष्य अपने जीवन की समस्याओं में उलझकर किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाता है और जीवन की समस्यायों से लड़ने की बजाय उससे भागने का मन बना लेता है उसी प्रकार अर्जुन जो महाभारत के महानायक थे, अपने सामने आने वाली समस्याओं से भयभीत होकर जीवन और क्षत्रिय धर्म से निराश हो गए थे, अर्जुन की तरह ही हम सभी कभी-कभी अनिश्चय की स्थिति में या तो हताश हो जाते हैं और या फिर अपनी समस्याओं से विचलित होकर भाग खड़े होते हैं।
नीचे दिए गए टेबल में हर अध्याय और उसमे उल्लेखित विशेषताओं का लिंक दिया गया है जिसे आप क्लिक करके पढ़ सकते हैं:
- 1.पहला अध्याय - श्रीकृष्ण-अर्जुन संवाद / श्रीमद्भगवद्गीता अर्जुनविषादयोग ~ अध्याय एक
- 2.श्रीमद्भगवद्गीता सांख्ययोग ~ अध्याय दो
- 3.श्रीमद्भगवद्गीता कर्मयोग ~ अध्याय तीन
- 4.श्रीमद्भगवद्गीता ज्ञानकर्मसंन्यासयोग ~ अध्याय चार
- 5.श्रीमद्भगवद्गीता कर्मसंन्यासयोग ~ अध्याय पाँच
- 6.श्रीमद्भगवद्गीता आत्मसंयमयोग ~ छठा अध्याय
- 7.श्रीमद्भगवद्गीता ज्ञानविज्ञानयोग सातवाँ अध्याय
- 8.श्रीमद्भगवद्गीता अक्षरब्रह्मयोग आठवाँ अध्याय
- 9.श्रीमद्भगवद्गीता राजविद्याराजगुह्ययोग नौवाँ अध्याय
- 10.श्रीमद्भगवद्गीता विभूतियोग दसवाँ अध्याय
- 11. श्रीमद्भगवद्गीता विश्वरूपदर्शनयोग ग्यारहवाँ अध्याय
- 12.श्रीमद्भगवद्गीता भक्तियोग बारहवाँ अध्याय
- 13.श्रीमद्भगवद्गीता क्षेत्र क्षेत्रज्ञविभागयोग तेरहवाँ अध्याय
- 14.श्रीमद्भगवद्गीता गुणत्रयविभागयोग चौदहवाँ अध्याय
- 15.श्रीमद्भगवद्गीता पुरुषोत्तमयोग पंद्रहवाँ अध्याय
- 16.श्रीमद्भगवद्गीता दैवासुरसम्पद्विभागयोग सोलहवाँ अध्याय
- 17.श्रीमद्भगवद्गीता श्रद्धात्रयविभागयोग सत्रहवाँ अध्याय
- 18. श्रीमद्भगवद्गीता मोक्षसंन्यासयोग अठारहवाँ अध्याय
Leave a comment
We are accepting Guest Posting on our website for all categories.
Omtva
@DigitalDiaryWefru