घर एक ऐसा स्थान होता है जहाँ प्रत्येक मनुष्य सुख एवं शांति से परिवार के अन्य सदस्यों के साथ अपना जीवन व्यतीत करता है तथा अपने नित्य कर्त्तव्यो तथा अधिकारों का ज्ञान अर्जित करता है| सुख दुःख में एक दूसरे के साथ सहयोग करना सीखता है। गृह में ही मनुष्य की आवश्यकताएँ पूरी होती है और संतुष्टि के साथ उसका जीवन व्यतीत होता है। इस सब के पीछे एक कुशल ग्रहिणी का हाथ होता है। इसलिए आज ग्रहविज्ञान के क्षेत्र की सीमा बहुत विस्तृत हो गई है। प्रस्तुत अध्याय में ग्रहविज्ञान के क्षेत्र, प्रकर्ति और तत्वों के साथ-साथ महत्तव के विषय में भी जानकारी दी गई है।
⇒ गृहविज्ञान का अर्थ तथा परिभाषा
ग्रहविज्ञान दो शब्दों
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