नए लोगों के लिए ध्यान

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ध्यान का अभ्यास करना सांस लेने और छोड़ने जितना आसान है। इसके लिए आपको पहाड़ों पर जाकर अपने को गुफाओं में बंद करने की आवश्यकता नहीं है। यह एक गतिशील अभ्यास है जिसे आसानी से आपके दैनिक जीवन में शामिल किया जा सकता है। आप कई अलग-अलग प्रकार के ध्यान में से किसी भी प्रकार का ध्यान चुन सकते हैं - यह सभी आपको सहजता से वर्तमान क्षण में लाने में मदद करते हैं।

दरअसल, बहुत से लोग जब पहली बार ध्यान करते हैं, तो उनका अनुभव इतना अद्भुत होता है कि उन्हें इसे शब्दों में बता नहीं पाते है। जैसे-जैसे आप नियमित रूप पर ध्यान सीखते हैं और प्रतिदिन एक या आदर्श रूप से दो बार अभ्यास करते हैं, आप अंदर से बाहर तक एक परिवर्तन महसूस करते हैं - इतना कि आपके आस-पास के लोग भी उस खूबसूरत ऊर्जा को पहचानना शुरू कर देते हैं जिसे आप अपने साथ लिए हुए हैं। इसलिए, जीवन को तनाव मुक्त और खुशहाल बनाने के लिए हर किसी को हर दिन कुछ मिनट ध्यान करना चाहिए।

विचार क्यों आते हैं और कहाँ से उत्पन्न होते हैं

विचार मन या शरीर से कहाँ आते हैं? अपनी आँखें बंद करो और इसके बारे में सोचो। वही एक ध्यान बन जाता है। तब आप अपने भीतर उस बिंदु या स्थान पर पहुंच जाएंगे जहां से सभी विचार आते हैं। और वह शानदार है।

नींद और ध्यान में क्या अंतर है?

एक लेटा हुआ है तो दूसरा सीधा। अभी तो बस इतना ही सोचो. लेकिन कल जब आप ध्यान के लिए बैठें तो इसके बारे में न सोचें। आप न तो ध्यान कर पाएंगे और न ही सो पाएंगे। अब समय आ गया है।

ध्यान में "प्रतीक्षा" का क्या महत्व है?

जब आप प्रतीक्षा कर रहे होते हो तो आपके मन में क्या चल रहा होता है? अभी, इस समय आपके मन में क्या चल रहा है? क्या तुम समय को व्यतीत होते हुए अनुभव कर रहे हो? यही प्रतीक्षा ही तुम्हें गहरे ध्यान में ले जाती है। जब कभी भी आप प्रतीक्षारत होते हो तो आप या तो निराश हो सकते हो या ध्यान में उतर सकते हो। ध्यान का अर्थ ही है "समय को अनुभव करना।" 

परम आनंद की स्थिति तक पहुँचने का सर्वोत्तम उपाय क्या है?

ध्यान, और दूसरा - अपने आस पास लोगों की सेवा करना; किसी सेवा के कार्य में लग जाना। स्वयं में ईश्वर देखना ध्यान है। अपने आस पास के लोगों में ईश्वर को देखना प्रेम अथवा सेवा है। ये दोनों ही आवश्यक है, दोनों साथ साथ चलते हैं। 

हमें प्रतिदिन कितनी देर ध्यान करना चाहिए

हमारा शरीर इस प्रकार से बना है कि एक समय के बाद हम स्वतः ही ध्यान से बाहर आ जाते है; ठीक उसी प्रकार जैसे पर्याप्त नींद के उपरांत हमारी नींद अपने आप खुल जाती है। आप दिन में पंद्रह घंटे तो नहीं सो सकते न। आप लगभग छ: घंटे सोते हो और पर्याप्त विश्राम हो जाने पर अपने आप उठ जाते हो। इसी प्रकार से हमारे शरीर का तंत्र भी इस प्रकार से बना है जो हमें ध्यान से बाहर ला देता है, इसलिए आपको ज़बरदस्ती ध्यानस्थ बैठने की चेष्टा नहीं करनी चाहिए। मैं तो कहूँगा कि रोज़ाना बीस- पच्चीस मिनट तक ध्यान करना अच्छा है। आप यह दिन में दो या तीन बार कर सकते हैं, किंतु दो बार से अधिक नहीं, वो भी थोड़ी थोड़ी देर । यदि आप बीस बीस मिनट, दो या तीन बार भी करते हो तो यह तुम्हारे लिए अच्छा है।




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