महापरिनिर्वाण
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महापरिनिर्वाण एक संस्कृत शब्द है जिसका बौद्ध धर्म में गहरा महत्व है। यह शब्द दो भागों से मिलकर बना है:
महा (Maha): जिसका अर्थ है "महान" या "उच्च"।
परिनिर्वाण (Parinirvana): जिसका अर्थ है "निर्वाण के बाद", विशेष रूप से शारीरिक मृत्यु के संदर्भ में।
महापरिनिर्वाण का अर्थ और महत्व
बौद्ध धर्म के अनुसार, निर्वाण वह अवस्था है जहाँ व्यक्ति सभी सांसारिक इच्छाओं, दुखों, और जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है। यह अहंकार का मिट जाना और आत्मज्ञान की प्राप्ति है। जब एक व्यक्ति जिसने अपने जीवनकाल में निर्वाण प्राप्त कर लिया है, अपने भौतिक शरीर का त्याग करता है (अर्थात उसकी मृत्यु होती है), तो इस घटना को परिनिर्वाण कहा जाता है।
महापरिनिर्वाण शब्द का प्रयोग विशेष रूप से गौतम बुद्ध के देहावसान के लिए किया जाता है। भगवान बुद्ध ने 80 वर्ष की आयु में 483 ईसा पूर्व में कुशीनगर (वर्तमान उत्तर प्रदेश में) में अपना शरीर त्यागा था। इस घटना को बौद्ध धर्म में अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह दर्शाता है कि उन्होंने जन्म और मृत्यु के सभी बंधनों से पूरी तरह से मुक्ति प्राप्त कर ली थी।
डॉ. बी.आर. अंबेडकर और महापरिनिर्वाण दिवस
भारत में, 6 दिसंबर को हर साल महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माता और महान समाज सुधारक डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर की पुण्यतिथि है।
डॉ. अंबेडकर ने अपने जीवनकाल में जातिगत भेदभाव और सामाजिक असमानता के खिलाफ अथक संघर्ष किया। उन्होंने दलितों और शोषितों के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाई और उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने का मार्ग दिखाया। 1956 में, उन्होंने अपने लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया, क्योंकि उनका मानना था कि बौद्ध धर्म समानता और न्याय के सिद्धांतों पर आधारित है।
डॉ. अंबेडकर के अनुयायी उन्हें बुद्ध के समान ही एक महान गुरु और मुक्तिदाता मानते हैं। इसीलिए, उनकी पुण्यतिथि को "महापरिनिर्वाण दिवस" के रूप में मनाया जाता है, जो उनके द्वारा किए गए महान कार्यों, उनके आदर्शों और उनके द्वारा स्थापित समानतावादी समाज की विरासत को श्रद्धांजलि देता है। इस दिन देशभर में लोग उन्हें याद करते हैं और उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं।
संक्षेप में, महापरिनिर्वाण एक ऐसी अवस्था है जहाँ व्यक्ति जन्म-मृत्यु के चक्र से पूरी तरह से मुक्त हो जाता है, और यह विशेष रूप से बुद्ध के देहावसान को संदर्भित करता है। वहीं, भारत में, यह शब्द डॉ. बी.आर. अंबेडकर की पुण्यतिथि से भी जुड़ा है, जो सामाजिक न्याय और समानता के उनके संघर्ष और विरासत का प्रतीक है।
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