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समानता और आत्मसम्मान

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समानता और आत्मसम्मान: डॉ. अंबेडकर के सिद्धांतों की ज्योति

डॉ. बी.आर. अंबेडकर का सम्पूर्ण जीवन समानता और आत्मसम्मान के लिए समर्पित रहा। उन्होंने सिखाया कि बिना समानता के समाज अधूरा है, और बिना आत्मसम्मान के व्यक्ति गुलाम। आइए, इन दोनों स्तंभों को गहराई से समझें:

समानता: मानवता का आधार

अंबेडकर ने कहा:

"समानता एक सामाजिक आवश्यकता है, जिसे कानून और नैतिकता दोनों से सुरक्षित किया जाना चाहिए।"

  • संविधान के माध्यम से: उन्होंने भारतीय संविधान में अनुच्छेद 14-18 (समानता का अधिकार) को शामिल करवाया, जो जाति, लिंग, या धर्म के आधार पर भेदभाव को गैरकानूनी घोषित करता है।

  • सामाजिक क्रांति: उनका लक्ष्य था-"एक समाज जहाँ हर व्यक्ति को अपनी प्रतिभा के अनुसार अवसर मिले।"

आत्मसम्मान: व्यक्तित्व की पहचान

अंबेडकर का आग्रह था:

"मुझे दया नहीं, सम्मान चाहिए।"

  • दलितों के लिए स्वाभिमान: उन्होंने दलित समाज को "अपमान की गुलामी" से मुक्त करने के लिए आंदोलन चलाए।

  • महाड़ सत्याग्रह (1927): सार्वजनिक तालाब से पानी पीने के अधिकार के लिए संघर्ष करके उन्होंने आत्मसम्मान की लड़ाई का उदाहरण दिया।

समानता और आत्मसम्मान के सिद्धांत

  • "अधिकार माँगो, भीख नहीं":

    • अंबेडकर ने सिखाया कि समाज से अपने अधिकारों की माँग करो, दया नहीं।

  • "शिक्षा से स्वाभिमान जगाओ":

    • वे कहते थे, "शिक्षित बनो, संगठित रहो, और संघर्ष करो।"

  • "धर्म को सवालों की कसौटी पर कसो":

    • उन्होंने मनुस्मृति जैसे ग्रंथों का विरोध किया, जो असमानता को बढ़ावा देते थे।

  • छात्रों के लिए सीख

    • समानता का सम्मान करो: कभी किसी को जाति, लिंग, या आर्थिक स्थिति के आधार पर कम न आँकें।

    • आत्मसम्मान की रक्षा करो: दूसरों के सम्मान के साथ-साथ अपने स्वाभिमान के लिए खड़े हों।

    • मंत्र: "जो समाज को बदल सकता है, वह स्वयं बदलाव की मिसाल बनो।"

    अंबेडकर का अमर संदेश

    उनका जीवन हमें याद दिलाता है कि:

    • समानता के बिना स्वतंत्रता अधूरी है।

    • आत्मसम्मान के बिना जीवन निरर्थक है।

    • "अपने लिए नहीं, पूरे समाज के लिए लड़ो!"

    याद रखें:
    डॉ. अंबेडकर ने कहा था- "मैं ऐसे धर्म को मानता हूँ जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाता है।"
    हर छात्र का कर्तव्य है कि वह इन मूल्यों को अपने विचारों, शिक्षा और कर्मों में जीवित रखे।

    समानता और आत्मसम्मान की इस लड़ाई में आप भी एक सैनिक बनें! ?✨




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