(सुतली प्राणायाम हम कैसे करते हैं जाने) : यहतितली प्राणायाम हर योग का एक भाग है शीतल का अर्थ है शांति है एक समसान व्यायाम है जो आंतरिक उष्मा को काम करता है और मानसिक शारीरिक व भावनात्मक संतुलन को बनाए रखना है इन्हें भी जाने : (बैठने की मुर्दा): इसे करते समय पैरों को कोर्स की तरह मोड कर आराम से जमीन पर इस प्रकार बैठिए जिससे कि पर जांघों के ऊपर रहे और पैरों के तलवे ऊपर की तरफ होअपने पैरोंमें मेरुदंडको सीधा रखिएतर्जनीउंगली के सिरों को अंगूठे के सिरों से मिले अपने शेष उंगलियों को या तो फैलाए या ढीला छोड़िए धीरे-धीरे आंखों को बंद कीजिए और अपने मस्तिष्क एवं शरीर को विश्राम दीजिए इन्हें भी पड़े (तकनीक) अपना मुंह खोले धीरे-धीरे जीव को बाहर की और निकलते हुए मोड़ने का प्रयास कीजिए शांति से भीतर की ओर फुककरकीआवाज केसाथ सांस लीजिए तथा सांस लेने के समय शीतलता काअनुभवकीजिएअब अपनी जेब कोभीतर की ओर ले जाए तथा अपने मुंह को बंद रखते हुए जबतक संभव हो सांसो को रोक कर रखिए इस बात का एहसास करें कि समास आपकेमस्तिष्क को अनु प्रणीत कर रही है और धीरे-धीरे समस्त तंत्रिका तंत्र मे फेल रही है धीरे-धीरे नासिक से श्वास छोड़ते हुए शीतलता को महसूस कीजिए यह शीतलप्राणायाम का पहला चरण है इसे 10 से 15 बार नियमित रूप से दोहराइये सावधानियां: १ ऐसे लोग जिन्हें ठंड जुखामअस्थमा अर्थराइटिसबरौनी किस्तऔर दिल की बीमारी है उन्हें इस प्राणायाम से बचना चाहिए/ २ इसका अभ्यास ठंडा मौसम में नहीं करना चाहिए / लाभ: १ यह है क्रोध चिंता में तनाव को काम करता है . . २ यह रक्त को शुद्ध करता है और शरीर में मस्तिष्क को तुरंत ताज रखना है . ३ यह न केवल पाचन क्रिया को सुधरता हैअपितु उच्च रक्तचाप वह अम्लता के लिए भी लाभदायक है ४ यह शरीर है मस्तिष्क को शांत रखता है
Doli
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