भिखारी

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भिखारी

 

लशकाफ नामक‌ भिखार की कहानी ह।

भीख मांगते हुए उसकी मुलाकात सरजई नामक वकील से हुई जिन्होंने उसे कमद दिया सरजई ने उसे अपने घर पर लकड़ी फाड़ने का काम दया। उन्होंने अपनी रसोईया को उसे शेड दिखाने के लए कहां जहां लकड़िया राखी थी भिखारी बहुत कमजोर था और शराब के नशे में था वह मुश्किल से अपनी टांगों पर खड़ा था फिर भी रसोईया ओल्गा ने सरजई को बताया कि लड़कियां फाड़ दी गई थीं।

सरजई खुश था कि आदमी ने काम किया और उन्होंने लड़कियां पढ़ने के लिए उसे 50 कोपेक दिए उन्होंने उसे इसके लिए प्रत्येक महीने के पहले दिन आने को कहा कभी-कभी वह उसे बेलचे से बर्फ उठाकर फेंकने या लकड़िया को शेड में ठीक ढंग से लगाने या चटाइयों में गधों से धूल झाड़ने के लिए कहते थे हर बार उसे 20 से 40 को पैक दिए जाते थे और एक बार उन्होंने उसे अपने पजामो का पुराना जोड़ा भी दिया।

जब सरजई ने अपना घर शिफ्ट किया तो उन्होंने भिखारी को सामान पहुंचाने में सहायता करने के लिए कहा भिखारी बदल गया था क्योंकि वह उस दिन सौम्य था और सरजई सन्तुष्ट था कि उसके प्रयास ने एक शराबी को सुधार क्योंकि वह पढ़ लिख सकता था सरजई ने उसका नाम पूछा उसे बेहतर काम दिया और उसके साथ हाथ मिलाया उस दिन के बाद लशकाफ भिखारी कभी दिखाई नहीं दिया 2 साल बाद  सरजई एक थिएटर के बाहर एक टिकट खरीद रहा था और उसने लश्कर को देखा लश्कर अपने सुंदर ड्रेस पहन रखी थी और वह गैलरी एरिया का टिकट खरीद रहा था सर जी उसे देखकर प्रसन्न हुआ और उसे बुलाया लश्कर अब एक नौकरी के रूप में कार्यरत था और प्रतिमा 35 रूबल कमाता था उसने सरजई को उसे गड्ढे से बाहर निकलने मे सहायता करने और उसकी दयालुता के लिए धन्यवाद दिया लश्कर ने सरजई को बताया कि वह उसकी वजह से नहीं बल्कि उसकी रसोईया ओल्गा की वजह से एक बदला हुआ इंसान है वह उसे डांटती उसके लिए रोटी और उसके लिए लड़कियां फटती थी उसके व्यवहार ने लश्कर को परिवर्तित कर दिया उसके साथ ही वह थिएटर में चला गया।

 

 

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