प्रोग्रामिंग तकतीके ( programming Techniques )
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1. किसी संख्या को प्राप्त करना या पढ़ना।
2. किसी संख्या को देना (या छापना)।
3. अंकगणितीय क्रियाएँ (जोड़, घटाव, गुणा तथा भाग) करन 4. दो संख्याओं की तुलना करना।
कोई प्रोग्राम कुछ निर्देशों (Instruction) का निश्चित और क्रमबद्ध समूह होता है। वे निर्देश इस प्रकार दिये (या लिखे) जाते हैं कि यदि उनका उसी क्रम में सही-सही पालन किया जाए, तो कोई कार्य पूरा हो जाए। उदाहरण क लिए, यदि आप किसी बच्चे को बाजार से कोई किताब लाने के लिए भेजते हैं, तो उसे निम्नलिखित आदेश दिय जायेंगे-
1. बाजार जाओ।
2. किताबों की दुकान पर जाओ।
3. किताब का नाम बताकर उसके बारे में पूछो।
4. यदि किताब उपलब्ध है तो उसे खरीद लो।
5. घर वापस आओ।
अब कोई भी बच्चा या व्यक्ति जो इन आदेशों को समझ सकता है और ये क्रियाएँ (आना, जाना, पूछना, खरीदना। आदि) कर सकता है, इन आदेशों के आधार पर आपकी इच्छित किताब लाकर दे सकता है। इस प्रकार ये आदेश वास्तव में एक प्रोग्राम ही हैं। इन आदेशों का इसी क्रम में पालन होना आवश्यक है। उदाहरण के लिए 'किताब के बारे मे पछना
न्यूटर के लिए भी हम इसी प्रकार आदेश देते हैं। इन आदेशों के समूह को ही प्रोग्राम कहा जाता है। लेकिन दर बाजार जाना और खरीदना जैसी क्रियाएँ नहीं कर सकता, चल्कि केवल पहले बतायी गयी पाँच प्रकार की ही कर सकता है। इसलिए उसके लिए सभी आदेश इन क्रियाओं को करने के बारे में ही होने चाहिए। उदाहरण लिए, मान लीजिए कि आप किसी कक्षा के विद्यार्थियों की औसत उम्र निकालना चाहते हैं, तो इसके लिए आदेश इस प्रकार दिये जायेंगे-
1. कक्षा में छात्रों की संख्या को पढ़ो।
2. सभी छात्रों की उम्रों को पढ़ो।
3. उन सभी उम्रों का योग ज्ञात करो।
4. उम्रों के योग में छात्रों की संख्या से भाग देकर औसत उम्र निकालो।
5. औसत उम्र को छाप दो।
ये आदेश हमने साधारण बोलचाल की भाषा में लिखे हैं। कम्प्यूटर के लिए ये ही आदेश किसी विशेष भाषा में संक्षेप में लिखे जाते हैं। ध्यान दीजिए कि इनमें से प्रत्येक आदेश कम्प्यूटर की किसी मूल क्रिया (पढ़ना, जोड़ना, भाग इन, छापना आदि) से सम्बन्धित है। प्रत्येक कार्य करने के लिए क्रियाएँ अलग-अलग की जाती हैं
किसी कम्प्यूटर के लिए प्रोग्राम लिखने की क्रिया को प्रोग्रामिंग कहा जाता है। कम्प्यूटर को कम से कम आदेश उससे अधिक से अधिक कार्य सही-सही करा लेना बहुत उपयोगी कला है। इसके लिए बहुत कौशल और ज्ञान की आवश्यकता होती है। कम्प्यूटर तो केवल एक जड़ मशौन है। उसके द्वारा बड़े-बड़े कार्य करा लेना प्रोग्रामिंग की पाका हो चमत्कार है।
जो व्यक्ति कम्प्यूटर के लिए प्रोग्राम लिखते हैं या तैयार करते हैं, उन्हें प्रोग्रामर (Programmer) कहा जाता है। कम्प्यूटर के लिए प्रोग्राम लिखने की कुछ विशेष भाषाएँ होती हैं। उन्हें प्रोग्रामिंग भाषा (Programming Languages) कहा जाता है। सी (C) ऐसी ही एक भाषा है, जिसका विस्तृत अध्ययन आप अगले अध्याय में करेंगे।
किसी भी कार्य के लिए प्रोग्राम लिखने से पहले उसकी पूरी जिना बनानी पड़ती है। समस्या को सुनते ही प्रोग्राम लिखने लग जाना गलत है। यह गलती प्रायः नये प्रोग्रामर किया आहे. परिणामस्वरूप उनका कई गुना अधिक समय उस प्रोग्राम की गलतियाँ ढूँढ़ने और उन्हें ठीक करने में लग आया है। इसके विपरीत सफल प्रोग्रामर वे होते हैं जो प्रोग्राम को योजना बनाकर चरणबद्ध तरीके से लिखते हैं और वे बहुत कम समय में सफल प्रोग्राम तैयार कर लेते हैं। इसी कारण कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग के क्षेत्र में एक कहावत बहुत प्रोग्राम लिखना आप जितनी जल्दी प्रारम्भ करेंगे, वह उतनी ही देर में समाप्त होगा।
जब तक किसी समस्या को पूरी तरह समझ न लिया जाए, उसको हल करना या उसको कोशिश करना सम्भव नहीं है। यह एक तथ्य है कि प्रोग्राम लिखने के लिए प्रायः जो समस्याएँ दी जाती है, वे कभी भी पूर्ण नहीं होती. का न कोई बात उनमें छूट ही जाती है। अनुभवी प्रोग्रामर उस बात को शीघ्र पकड़ लेते हैं इसलिए या तो अतिरिक्त सूचनाएँ माँग लेते हैं या उसके स्थान पर अपने ज्ञान के अनुसार कल्पना कर लेते हैं। इसलिए समस्या को ठीक-ठीक समझ लेना अनिवार्य है।
आप पढ़ चुके हैं कि प्रोग्राम इनपुट डाटा पर क्रिया करने के लिए लिखे जाते हैं, इसलिए जब तक आपको यह ज्ञात न हो कि इनपुट किस रूप में होगा और किस प्रकार प्राप्त होगा, तब तक आप प्रोग्राम नहीं लिख सकते। इसलिए यह देख लेना अति आवश्यक है कि समस्या को हल करने के लिए समस्त आवश्यक इनपुट उपलब्ध है या नहीं और वह किस रूप में हैं। नये प्रोग्रामर इस तथ्य की उपेक्षा कर देते हैं, इसलिए प्रोग्राम लिखते समय भ्रम में पड़ जाते हैं।
अगले चरण में हमें आउटपुट की योजना बनानी होती है। इस चरण में ही यह स्पष्ट होता है कि हमारा प्रोग्राम वास्तव में क्या करना चाहता है। आउटपुट की योजना तैयार करते समय यह भी सुनिश्चित हो जाता है कि हमने समस्या को ठीक तरह समझ लिया है और यह भी कि हमें जो इनपुट दिया गया है, वह माँगे गये आउटपुट के लिए पर्याप्त है, अर्थात् कोई चीज छूटी नहीं है।
यह प्रोग्राम लिखने और बनाने का सबसे महत्त्वपूर्ण चरण है। इसमें हम समस्या के हल की चरणबद्ध रूपरेखा बनाते हैं। दिये हुए इनपुट से माँगे गये आउटपुट तक पहुँचने में जिन चरणों से गुजरना होता है, वं सभी चरण क्रमानुमार लिखे जाते हैं। इस क्रमबद्ध लेखन को एल्गोरिथ्म कहा जाता है। एल्गोरिथ्म वास्तव में साधारण भाषा में लिखा गया प्रोग्राम ही है। आवश्कता होने पर प्रोग्राम के उदद्देश्य को कई भागों में बाँट लिया जाता है और प्रत्येक भाग पर ध्यान केन्द्रित करके उसके लिए अलग-अलग एल्गोरिथ्म तैयार किये जाते हैं और अंत में सबको एक में मिला दिया जाता है। इस प्रकार पूरा एल्गोरिथ्म तैयार कर लिया जाता है।
एल्गोरिथ्म तैयार करने के बारे में आप अगले अनुच्छेद में विस्तार से पढ़ेंगे।
फ्लोचार्ट एल्गोरिथ्म तैयार करने और दिखाने की ही एक विधि है। इसमें किसी एल्गोरिथ्म के सभी चरणों को विशेष प्रकार की आकृतियों द्वारा दिखाया जाता है और उन आकृतियों के भीतर आवश्यक सूचनाएँ लिखी जाती हैं।
परलोचार्ट तैयार करने के बारे में आप इसी अध्याय में आगे विस्तार से पढ़ेंगे
इस चरण में ऊपर बताये गये एल्गोरिथ्म या फ्लोचार्ट के अनुसार किसी प्रोग्रामिंग भाषा में प्रोग्राम लिखा जाता है। यदि ऊपर के सभी चरणों का ठीक प्रकार से पालन किया गया है तो इस चरण में प्रोग्राम लिखना लगभग स्वचालित के बाद कम्पाइलर द्वारा उसका कम्पाइलेशन कराया जाता है। इससे यदि प्रोग्राम में कोई व्याकरण की गलती रह जाती होता है। इसके लिए केवल उस प्रोग्रामिंग भाषा के व्याकरण (Syntax) का ज्ञान होना आवश्यक है। प्रोग्राम लिख लेने है, तो उसका पता चल जाता है और उसे ठीक करके फिर से कम्पाइलेशन कराया जाता है। यह प्रक्रिया तब तक दोहरायी जाती है जब तक कि प्रोग्राम व्याकरण की गलतियों से पूरी तरह मुक्त नहीं हो जाता।
इस चरण में प्रोग्राम का परीक्षण किया जाता है। इसके लिए सबसे पहले एक परीक्षण डाटा (Test Data) तैयार किया जाता है। यह इनपुट डाटा ऐसा होना चाहिए, जिसका आउटपुट हमें पहले से ज्ञात हो, ताकि यह देखा जा सके चलिए जब तक आपको कि प्रोग्राम ठीक वही आउटपुट देता है या नहीं। यदि दोनों में समानता है, तो प्रोग्राम सफल कहा जायेगा। टैस्ट डाटा नहीं लिख सकते। इन तैयार कर लेने के बाद उस डाटा के लिए प्रोग्राम को चलाकर देखा जाता है और कोई गलती पाये जाने पर प्रोग्राम में उपलब्ध है या नहीं आवश्यक सुधार किये जाते हैं। जब परीक्षण का आउटपुट पूरी तरह सन्तोषजनक होता है, तो प्रोग्राम को वास्तविक य श्रम में पड़ जाते हैं। डाटा के साथ प्रयोग करने के लिए दे दिया जाता है।
आप पढ़ चुके हैं कि कोई एल्गोरिथ्म किसी कार्य को करने के लिए एक विशेष क्रम में लिखे गये आदेशों का समूह होता है। ये आदेश इस प्रकार लिखे जाते हैं कि यदि कोई व्यक्ति उनको समझकर उसी क्रम में उनका ठीक-ठीक पालन करता जाये, तो वह कार्य पूरा हो जाता है।
फ्लोचार्ट एल्गोरिथ्म लिखने की एक विधि है, जिसमें एल्गोरिथ्म के आदेशों या कथनों को विशेष प्रकार की आकृतियों के रूप में दिखाया जाता है। अलग-अलग प्रकार के कथनों के लिए अलग-अलग प्रकार की आकृतियों का उपयोग किया जाता है और उन आकृतियों के भीतर उस कथन को संक्षेप में लिखा जाता है। इन आकृत्तियों को उनके पालन के क्रम की दिशा में तीर के चिह्नों द्वारा जोड़ दिया जाता है।
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