High Level Language AND Low Level Language

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High-Level Language (HLL) क्या है?

एक High-Level Language (HLL) या उच्च-स्तरीय भाषा एक प्रोग्रामिंग भाषा है जो इंसानों (प्रोग्रामर) के लिए बनाई गई है। यह English के शब्दों और गणित के सिंबल्स (जैसे +, -, *, /) से मिलकर बनी होती है, जिसे आम इंसान आसानी से पढ़ और समझ सकता है।

इसका नाम 'उच्च-स्तरीय' इसलिए है क्योंकि यह कंप्यूटर के हार्डवेयर (जैसे प्रोसेसर, मेमोरी) से बहुत दूर एक 'ऊँचे स्तर' पर काम करती है। प्रोग्रामर को यह जानने की जरूरत नहीं होती कि कंप्यूटर का CPU अंदर से कैसे काम करता है।

उदाहरण के लिए, एक High-Level Language में लिखा गया कोड:

 answer = 5 + 3 if answer > 10: print("बड़ी संख्या") else: print("छोटी संख्या")

 

इस कोड को देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यह क्या कर रहा है, क्योंकि यह English और गणित के सरल नियमों जैसा दिखता है।

High-Level Language की मुख्य विशेषताएँ:

  • इंसानों के लिए आसान (Human-Friendly): इसे लिखना, पढ़ना और समझना आसान है क्योंकि यह हमारी बोलचाल की भाषा के करीब है।

  • मशीन से स्वतंत्र (Machine Independent): HLL में लिखा गया एक program अलग-अलग तरह के कंप्यूटरों (जैसे Windows, Mac, Linux) पर चलाया जा सकता है। बस उसके लिए अलग-अलग कम्पाइलर की जरूरत होती है।

  • कोड छोटा और सरल (Short & Simple Code): एक छोटे से code लाइन में बहुत बड़ा काम करवाया जा सकता है। जैसे c = a + b लिखने भर से दो numbers जोड़े जा सकते हैं।

  • डीबग करना आसान (Easier to Debug): इसमें गलतियाँ (errors) ढूंढना और सुधारना相对 आसान होता है।

  • High-Level Languages के उदाहरण:

    • Python

    • Java

    • C++

    • JavaScript

    • C#

    • PHP

    • Ruby

    High-Level Language का कनेक्शन कम्पाइलर से:

    एक High-Level Language को कंप्यूटर सीधे नहीं समझ सकता। कंप्यूटर सिर्फ 0 और 1 (बाइनरी कोड) की भाषा समझता है। इसीलिए कम्पाइलर की जरूरत पड़ती है।

    कम्पाइलर का काम होता है High-Level Language में लिखे गए कोड को पूरा का पूरा पढ़कर उसे कंप्यूटर की बाइनरी भाषा (मशीनी कोड) में अनुवाद (Translate) करना। तब जाकर कंप्यूटर उस program को चला पाता है।

    सरल शब्दों में: प्रोग्रामर → High-Level Language में कोड लिखता है → कम्पाइलर → उसे मशीनी कोड में बदलता है → कंप्यूटर → प्रोग्राम चलता है।

     

    Low-Level Language (LLL) क्या है?

    एक Low-Level Language (LLL) या निम्न-स्तरीय भाषा वह भाषा है जो सीधे कंप्यूटर के हार्डवेयर (विशेष रूप से CPU) से संवाद करती है। यह मशीन के बहुत करीब होती है और इंसानों के लिए समझने में कठिन होती है।

    उदाहरण के लिए: जबकि High-Level Language में आप लिखते हैं a = 5 + 3, Low-Level Language में यही काम करने के लिए आपको multiple complex instructions लिखनी पड़ सकती हैं।

    Low-Level Language के प्रकार:

  • मशीनी भाषा (Machine Language - 1st Generation)

    • यह 0s और 1s (बाइनरी कोड) में होती है

    • CPU इसे सीधे समझता और execute करता है

    • Example: 10110000 01100101

  • असेम्बली भाषा (Assembly Language - 2nd Generation)

    • यह मशीनी भाषा से थोड़ी आसान होती है

    • इसमें Mnemonics (संक्षिप्त कोड) का use होता है

    • Example: MOV AL, 61h

  • Low-Level Language की विशेषताएं:

  • मशीन निर्भर (Machine Dependent)

    • अलग-अलग processors के लिए अलग assembly code

    • Intel processor के लिए लिखा code ARM processor पर नहीं चलेगा

  • हार्डवेयर तक सीधी पहुंच

    • Memory, registers और hardware components को directly access कर सकते हैं

  • उच्च performance

    • Direct hardware access के कारण programs तेज चलते हैं

    • कोई translation overhead नहीं होता

  • समझने में कठिन

    • केवल 0s और 1s या cryptic codes

    • Debugging और maintenance मुश्किल

  • Low-Level Language के उपयोग:

  • ऑपरेटिंग सिस्टम बनाने में

  • डिवाइस ड्राइवर्स लिखने में

  • एम्बेडेड सिस्टम programming में

  • रियल-टाइम सिस्टम में

  • फर्मवेयर विकास में

  • High-Level vs Low-Level Language

    High-Level Language (उच्च-स्तरीय भाषा):

    यह वह भाषा है जो इंसानों के लिए बनाई गई है। इसे पढ़ना, लिखना और समझना आसान होता है क्योंकि यह English के शब्दों और गणित के चिन्हों से मिलकर बनी होती है। जैसे Python, Java, C++ जैसी भाषाएँ। इनमें लिखा कोड मशीन से स्वतंत्र होता है, यानी एक ही कोड को अलग-अलग कंप्यूटरों पर चलाया जा सकता है। इनमें programming करना तो आसान होता है लेकिन ये थोड़ी धीमी होती हैं क्योंकि इन्हें चलाने से पहले कम्पाइलर या इंटरप्रेटर की मदद से मशीनी भाषा में बदलना पड़ता है।

    Low-Level Language (निम्न-स्तरीय भाषा):

    यह वह भाषा है जो सीधे कंप्यूटर के हार्डवेयर से बात करती है। इसे इंसानों के लिए समझना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि यह बाइनरी कोड (0 और 1) या Assembly जैसी संक्षिप्त कोड में होती है। यह मशीन पर निर्भर होती है, यानी अलग-अलग प्रोसेसर के लिए अलग कोड लिखना पड़ता है। इसमें लिखे प्रोग्राम बहुत तेज चलते हैं क्योंकि उन्हें किसी translation की जरूरत नहीं होती, लेकिन इन्हें लिखना और डीबग करना बहुत कठिन होता है। इसका इस्तेमाल ज्यादातर ऑपरेटिंग सिस्टम, डिवाइस ड्राइवर या फर्मवेयर बनाने में होता है।




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