लाल बहादुर शास्त्री

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लाल बहादुर शास्त्री

लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे, जो अपनी सादगी, ईमानदारी और दृढ़ नेतृत्व के लिए जाने जाते हैं; उन्होंने 'जय जवान, जय किसान' का नारा दिया और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान देश का सफल नेतृत्व किया, 1966 में ताशकंद में उनका निधन हुआ और उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया, जो देश के सबसे प्रिय नेताओं में से एक हैं। 

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

जन्म: 2 अक्टूबर 1904 को मुगलसराय, उत्तर प्रदेश में हुआ।

संघर्षपूर्ण बचपन: गरीबी और पिता के असामयिक निधन के कारण उनका बचपन संघर्षपूर्ण रहा।

"शास्त्री" उपाधि: काशी विद्यापीठ से स्नातक की उपाधि प्राप्त की, जिसके बाद वे 'शास्त्री' कहलाए। 

स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका

गांधीवादी विचारधारा: महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित होकर स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया।

जेल यात्रा: कई बार जेल गए और असहयोग व भारत छोड़ो आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

प्रधानमंत्री के रूप में (1964-1966)

'जय जवान, जय किसान': युद्ध के समय देश को एकजुट करने और आत्मनिर्भरता के लिए यह नारा दिया।

1965 का युद्ध: पाकिस्तान के साथ युद्ध में देश का नेतृत्व किया और जीत हासिल की, जिसके बाद ताशकंद समझौता हुआ।

सादगी और ईमानदारी: प्रधानमंत्री रहते हुए भी वे बेहद सरल जीवन जीते थे, जो उनकी पहचान बनी। 

विरासत

भारत रत्न: देश के लिए असाधारण सेवा के लिए उन्हें मरणोपरांत 1966 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

प्रेरणा: उनकी सादगी, देशभक्ति और दृढ़ संकल्प आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। 

प्रमुख योगदान

ताशकंद समझौता: पाकिस्तान के साथ शांति स्थापित करने के लिए ताशकंद में समझौता किया।

हरित क्रांति: कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पर जोर दिया, जो हरित क्रांति का आधार बना।

नैतिक नेतृत्व: एक ऐसे समय में नेतृत्व किया जब देश को एकता और नैतिकता की आवश्यकता थी। 

संक्षेप में, लाल बहादुर शास्त्री एक दूरदर्शी, सरल और निस्वार्थ नेता थे, जिन्होंने अपने छोटे से कार्यकाल में देश को मुश्किल समय से निकाला और एक मजबूत विरासत छोड़ी। 




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